जयंत डागोर की जो कहानी "कलम बोलती है" ने आपको आज से पांच महीने पहले सुनाई थी, उसी को अब मेनस्ट्रीम मीडिया में भी लिया जा रहा है। संभव कोशिश यही है कि इसकी प्रेरणा आपका ये ब्लॉग ही बना। दैनिक जागरण के नई दिल्ली एडिशन में 22 दिसंबर 2010 को प्रकाशित हुई इस कहानी का स्कैन।
"कलम बोलती है" का लिंक, 18 जुलाई 2010 को लगाई गई स्टोरी का।
ऑस्ट्रेलिया में अभी भी जारी है नस्लवाद...
http://boltikalam.blogspot.com/2010/07/blog-post_18.html
बधाई हो।
ReplyDelete.बधाई हो............
ReplyDeleteआप को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ|
हर्ष तुम्हारी प्रतिभा की मै कायल हूँ.............पूत के पाँव पालने में ही दिखते है..........लेखनी में जान है......
ReplyDeleteआगे उत्तराखंड का नाम रोशन करोगे ऐसी मेरी दुआ है........ नए नए लेख पढने को मिलते रहेंगे...........
harsh ji , bdhai svikaar kare...... sach me aapki boltikalm ka kayal ho gaya hoo.........
ReplyDeleteआप को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteवाह! बहुत खुशी हुई !बधाईयाँ हर्ष!
ReplyDeleteआप के लेखन में प्रवाह और प्रभाव है ,आगे भी आप और ऊँची सफलताएँ हासिल किजीये.
ढेरों शुभकामनाएँ.नववर्ष २०११ आप के लिए मंगलमय हो .
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
ReplyDeleteआशा है नया साल आपके जीवन में बहुत सारी खुशियाँ लेकर आएगा ...हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteहर्ष जी आपकी लेखनी की चमक बरक़रार रहे ऐसी मेरी दुआ है....
ReplyDeleteहर्ष जी अभी बहुत आगे जाना है............. माइल्स टू गो.......
ReplyDeleteनए साल में नए जज्बे के साथ लेखन करिए...... नव वर्ष की मंगल कामनाए