Tuesday, 3 June 2025

राजभवन पचमढ़ी गौरवशाली अतीत और विरासत का प्रतीक


सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध पचमढ़ी अपने नैसर्गिक सौंदर्य, प्राकृतिक सुषमा  और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है। राजभवन पचमढ़ी  न केवल एक प्रशासकीय भवन है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व का अनूठा संगम भी है। यह मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले (वर्तमान में नर्मदापुरम) में स्थित पचमढ़ी नामक खूबसूरत हिल स्टेशन पर समुद्र तल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर बसा है।राजभवन, इस प्राकृतिक वैभव के बीच, एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में अपनी विशेष पहचान रखता है।


प्राकृतिक और प्रशासनिक महत्व 

राजभवन पचमढ़ी के पठार पर 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसके चारों ओर घने जंगल, झरने, और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक शांत और मनोरम स्थान बनाती है। यह स्थान ग्रीष्मकाल में ठंडी और सुखद जलवायु प्रदान करता है, जिसके कारण इसे ब्रिटिश काल में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था।पचमढ़ी राजभवन मध्यप्रदेश के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन आधिकारिक आवास है जो अपनी ऐतिहासिक विरासत,  स्थापत्य कला  और प्राकृतिक विशेषताओं के लिए जाना जाता  है।

 इस राजभवन का निर्माण 1887 में ब्रिटिश काल के दौरान  हुआ था।  उस दौर में जब पचमढ़ी मध्यप्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। उस समय यहाँ उच्च अधिकारियों और मंत्रियों की बैठकों के लिए उपयोग किया जाता था। पचमढ़ी के ब्रिटिश शासनकालीन इतिहास को दर्शाने वाली यह इमारत आज भी  प्रशासनिक महत्व को संजोए हुए है।

खूबसूरत बगीचे और हरियाली  22.84 एकड़ क्षेत्र में फैला  राजभवन 

यह विशाल राजभवन यह 22.84 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें खूबसूरत बगीचे और हरियाली शामिल है। इसका डिज़ाइन क्लासिकल यूरोपीय शैली में किया गया है, इमारत की लागत उस समय 91,344 रुपये थी।  राजभवन  पचमढ़ी में मुख्य भवन के अतिरिक्त डांस  हाल का निर्माण 1910 -11 में 20,770 रु की लगात से हुआ। तब  यह सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए उपयोग किया जाता था।1912 में इसके काउंसिल चैंबर का निर्माण 14392 रु की लागत से हुआ।  यह भवन अब दरबार हाल के नाम से जाना जाता है। तब यह  बैठकों और औपचारिक समारोहों के लिए बनाया गया था। 1933 से 1958 के बीच इसमें कई संशोधन और नवीकरण किए गए। इसके अतिरिक्त इस परिसर में  सचिव निवास (बी बंगा ), ए.डी.सी निवास, कैम्प हाल , कैम्प हेड क्लर्क क्वार्टर , अस्तबल , विद्युत् पावर हाउस , एलिफेंट हाउस , महावत  हाउस , टाइगर हाउस और  कर्मचारियों के लिए क्वार्टर भी हैं, जो इसकी व्यापक संरचना को दर्शाते हैं। राजभवन का उपयोग मध्य प्रदेश के राज्यपाल के ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में किया जाता है। 

राजभवन की वास्तुकला औपनिवेशिक शैली को दर्शाती है, जिसमें विशाल लॉन, ऊंचे पेड़ और सुंदर भवन शामिल हैं। दुर्बार हॉल और डांस हॉल जैसे हिस्से इसके ऐतिहासिक वैभव को प्रदर्शित करते हैं। राजभवन परिसर में राज्यपाल के सचिव, सहायक (ADC) और अन्य कर्मचारियों के लिए आवास भी हैं। यह परिसर न केवल प्रशासकीय कार्यों के लिए उपयोगी है, बल्कि महत्वपूर्ण बैठकों और समारोहों का भी केंद्र रहा है।  1967 तक पचमढ़ी मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही, और राजभवन राज्यपाल के साथ-साथ मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए भी आवास का केंद्र रहा।

 प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का भी प्रतीक


राजभवन पचमढ़ी सतपुड़ा पर्वतमाला की घाटियों में बसा है, जो इसे एक अनूठा प्राकृतिक आकर्षण प्रदान करता है। यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है जहां दुर्लभ वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विविधता देखने को मिलती है। इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता जैसे अप्सरा विहार, रजत प्रपात, और पांडव गुफाएँ, इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक ब्रिटिश काल की वास्तुकला और पचमढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।पचमढ़ी का राजभवन न केवल एक ऐतिहासिक और स्थापत्य दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारत है बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का भी प्रतीक है। इसका ब्रिटिशकालीन इतिहास, विशाल क्षेत्र और सतपुड़ा की रानी के रूप में पचमढ़ी की खूबसूरती इसे एक अनूठा स्थल बनाती है। 


2022 में  हुआ था  चिंतन शिविर  उसी स्थान पर मोहन कैबिनेट का  होगा मंथन 

मध्यप्रदेश की तत्कालीन  शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 26-27 मार्च 2022 को पचमढ़ी में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया था । यह चिंतन शिविर भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पचमढ़ी में आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य राज्य सरकार की योजनाओं की समीक्षा करना, नई रणनीतियों पर विचार-मंथन करना और आगामी 2023 विधानसभा चुनावों की तैयारियों को गति देना था। यह आयोजन मंत्रिपरिषद के सदस्यों, विभागीय अधिकारियों और अन्य हितधारकों के बीच गहन चर्चा और जनहितकारी योजनाओं को प्रभावी बनाने का एक प्रभावी मंच बना।  उसी जगह मोहन सरकार अपनी  कैबिनेट कर  रही है। 3 जून 2025 को राजभवन पचमढ़ी में मोहन कैबिनेट  की बैठक राजा भभूत सिंह के शौर्य को समर्पित होगी।

पचमढ़ी के राजभवन का महत्व न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह पचमढ़ी और मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी एक अहम हिस्सा है। यह स्थल राज्य के शासकों और उच्च अधिकारियों के बीच  प्रशासिक कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसके अलावा, यह राजा भभूत सिंह की पहचान का हिस्सा है, जो इसे एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है।

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