Tuesday, 3 June 2025

अब राजा भभूत सिंह के योगदान को याद करेगा मध्यप्रदेश

देश के ह्रदयप्रदेश मध्यप्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में 3 जून 2025 को मोहन कैबिनेट की एक विशेष बैठक का आयोजन होने जा रहा है। यह बैठक न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। मोहन सरकार की यह कैबिनेट बैठक  जनजातीय नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा भभूत सिंह की स्मृति में आयोजित की जा रही है।  मोहन सरकार की  डेस्टिनेशन कैबिनेट को गति देने की एक बड़ी कार्ययोजना है जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन महत्व के स्थानों को प्रचारित करना और उनके विकास को बढ़ावा देना है।

मनमोहक प्राकृतिक सुषमा का धनी है पचमढ़ी  

पचमढ़ी, जो सतपुड़ा की वादियों में बसा मध्य प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़ा हुआ है। पचमढ़ी में जिस स्थान को कैबिनेट मीटिंग के लिए तय किया गया है वह पूरी तरह प्रकृति की गोद में है और  हरियाली से घिरा हुआ है। पचमढ़ी में जब भी प्रदेश सरकार की कोई बड़ी मीटिंग रखी जाती है तो इस स्थान का महत्व काफी ज्यादा रहता है। पचमढ़ी भगवान भोलेनाथ की नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है। पचमढ़ी की धूपगढ़ चोटी समुद्र तल से लगभग 1,350 मीटर (4,429 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थल सतपुड़ा पर्वतमाला का प्रमुख आकर्षण है। धूपगढ़ से दिखाई देने वाला सूर्योदय और सूर्यास्त न केवल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता है, बल्कि यह स्थल गोंड साम्राज्य की रणनीतिक शक्ति और प्राकृतिक संरक्षण दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। पचमढ़ी मध्‍यप्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन भी है। मंत्रि-परिषद की बैठक का आयोजन प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह पचमढ़ी की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को सम्मानित करने का अवसर है।

विरासत से विकास का संगम, जन -जन के मन को भाये मोहन 

 इस बैठक में मध्य प्रदेश के विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने की संभावना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पचमढ़ी में मप्र पर्यटन विभाग के 12 करोड़ 49 लाख रुपए के 5 विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे। वे यहां 21 करोड़ 39 लाख के 6 विकास कार्यों का भूमिपूजन भी करेंगे।महिला सशक्तिकरण अंतर्गत जटाशंकर एवं पांडव केव्स पर पिंक टॉयलेट लाउंज सुविधा जो 19 लाख रुपए की लागत से निर्मित की गई का लोकार्पण करेंगे।10 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित जयस्तंभ क्षेत्रांतर्गत मागों के दोनों ओर पाथवे विकास, 60 लाख रुपए की लागत से निर्मित धूपगढ़ पर जल प्रदाय के लिए जलगली से धूपगढ़ तक पाइप लाइन एवं पंप हाउस, 35 लाख रुपए की लागत से निर्मित पचमढ़ी के प्रवेश द्वार का सौंदर्याकरण, 1 करोड़ 35 लाख रुपए की लागत से निर्मित पर्यटन की इकाई सतपुडा रिट्रीट में किचन एवं रेस्टोरेंट नवीनीकरण तथा स्वीमिंग पूल का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री 1 करोड़ 98 लाख रुपए की लागत से बनाए जाने वाले हांडी खो पर पर्यटकों की सुरक्षा व सुविधाएं विकसित करने, 2 करोड़ 13 लाख रुपए की लागत सतपुडा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत पर्यटक स्थलों पर बुनियादी सुविधा के विकास कार्य का, 34 लाख रुपए लागत के पॉलिथिन मुक्त पचमढी की इकाइयों के लिए कांच की बोतल में आरओ जल प्रदाय प्लांट की स्थापना सहित अन्य कार्यों का लोकार्पण करेंगे।

 राजा भभूत सिंह के योगदान को मोहन का सम्मान
 
 इस बैठक का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक निर्णय लेना है, बल्कि पचमढ़ी जैसे स्थानों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना भी है।  ‘विरासत के साथ विकास’ की कड़ी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक को  राजा भभूत सिंह को समर्पित किया है। इसके  माध्यम से राजा भभूत सिंह की ऐतिहासिक विरासत को संजोने का एक बेहतरीन प्रयास शुरू होगा। यह डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठकों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसके तहत सरकार राज्य के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर बैठकें आयोजित कर रही है। इससे पहले जबलपुर में रानी दुर्गावती और इंदौर में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति में भी ऐसी बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। यह पहल न केवल राजा भभूत सिंह की ख्याति को पूरे प्रदेश में बढ़ाएगी, बल्कि आदिवासी समुदाय के योगदान को भी रेखांकित करेगी।

 मोहन के प्रयासों से राजा भभूत सिंह का नाम सबकी जुबां पर चढ़ेगा 

 पचमढ़ी की महादेव चौरागढ़ पहाड़ियों में राजा भभूत सिंह की वंश परंपरा के पूर्वज अजीत सिंह थे। इस भोपा गोत्र के मवासी कोरकू ठाकुर वंश की पचमढ़ी शाखा के जागीरदार ठाकुर मोहन सिंह ने 1819-20 में भी अंग्रेजों के विरुद्ध नागपुर के राजा अप्पा साहेब भोसले का तन मन धन से सहयोग किया था। अपने पूर्वजो के पदचिन्हों पर चलते हुए युवा राजा भभूत सिंह ने भी 1857 की क्रांति के नेता तात्याटोपे के आव्हान पर 1858 में भारत के प्रथम सशस्त्र स्वातंत्र्य समर में कूदने का निर्णय लिया था। राजा भभूत सिंह अपने बड़े बूढ़े के मुख से अंग्रेजों के विरुद्ध नागपुर राजा अप्पासाहेब भोंसले के सशस्त्र संग्राम में स्थानीय जनजातीय सूरमाओं के सहयोग की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए थे।राजा भभूत सिंह  नर्मदांचल के शिवाजी के रूप में जाने जाते थे। आजादी की पहली लड़ाई में पचमढ़ी के आसपास अंग्रेजों को छापामार युद्ध से कई बार धूल चटाई थी। पचमढ़ी में राजा भभूत सिंह और तात्या टोपे ने मिलकर आजादी के आंदोलन का नया शंखनाद किया। हर्राकोट राईखेड़ी वंश के वीर राजा भभूत सिंह का  देनवा घाटी में जब अंग्रेजी मिलिट्री और मद्रास इन्फेंट्री की टुकड़ियों से युद्ध हुआ तो राजा भभूत सिंह ने अपनी छापामार युद्ध नीति के चलते  अंग्रेजी सेना को बुरी तरह धूल  चटाने का काम किया। 1860 में राजा भभूत सिंह को जबलपुर में  मौत की सजा सुनाई गई। डॉ. मोहन यादव की  कैबिनेट बैठक के इस आयोजन से पचमढ़ी के गौरवशाली नायक की  गाथा  जन-जन की जुबान पर चढ़ेगी।  यह आयोजन पचमढ़ी के प्राकृतिक सौंदर्य और जनजातीय समाज की समृद्ध परंपराओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगा।

 3 जून 2025 को पचमढ़ी में होने वाली मोहन कैबिनेट की बैठक मध्यप्रदेश के लिए एक  बड़ी महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल राज्य के विकास और सुशासन को बढ़ावा देगी, बल्कि राजा भभूत सिंह जैसे जनजातीय नायकों के योगदान को भी सम्मानित करेगी। इस आयोजन के माध्यम से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव  ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं जिसमें विरासत  के साथ विकास का बेहतरीन समन्वय देखा जा रहा है।  

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