Friday, 30 May 2025

जंबूरी मैदान में चढ़ेगा सिंदूरी रंग, लोकमाता की 300वीं जयंती नारी शक्ति, विरासत और विकास का संगम बनेगी


31 मई 2025 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एक ऐतिहासिक और भव्य आयोजन की साक्षी बनेगी, जो पूरे देश के लिए महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नया अध्याय रचेगी। लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर भोपाल के जंबूरी मैदान में 'महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन' का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

अहिल्याबाई को उनके न्यायपूर्ण शासन, धर्मपरायणता और समाज कल्याण के कार्यों के लिए जाना जाता है। 18वीं सदी में महिलाओं के लिए लोकमाता ने एक प्रेरणादायी उदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत किया था। 18वीं सदी की महान शासिका रही लोकमाता ने न्याय, धर्म, और समाज कल्याण के क्षेत्र में कई अनुकरणीय कार्य किए। लोकमाता अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि देने के साथ ही इस आयोजन को महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में मोहन सरकार का एक बड़ा कदम माना जा रहा है। आतंकवाद के खिलाफ ‘आपरेशन सिंदूर’ की हालिया सफलता को नारी शक्ति के सम्मान के साथ जोड़ा गया। महासम्मेलन का उद्देश्य लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के साथ ही उनको आत्मनिर्भर और नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए प्रोत्साहित करना है। उनकी 300वीं जयंती पर यह महासम्मेलन नके योगदान को सम्मान देने और नारी शक्ति को प्रोत्साहित करने का एक प्रयास है।

इस महासम्मेलन की खास बात यह है कि इसके संचालन, प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की मान पूरी तरह से महिलाओं के हाथों में होगी। मंच संचालन से लेकर यातायात, भीड़ प्रबंधन और मीडिया प्रबंधन तक की बड़ी जिम्मेदारियां महिला अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सौंपी गई हैं। इसके अलावा पार्किंग, लेकर पेयजल, स्वच्छता से लेकर साज-सज्जा जैसी बड़ी व्यवस्थाओं का जिम्मा भी महिलाओं को दिया गया है जो इस आयोजन को भव्य और विशेष बनाता है। आयोजन सहभागिता करने वाली सभी महिलाएं सिंदूरी रंग की साड़ियां पहनेंगी जो नारी शक्ति, साहस और स्वावलंबन का प्रतीक है। यह थीम न केवल अहिल्याबाई के साहस और नेतृत्व को दर्शाती है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि महिलाएं अब देश में हर क्षेत्र में नेतृत्व करने में सक्षम हैं।

यह आयोजन न केवल अहिल्याबाई के योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि यह महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस आयोजन में स्व-सहायता समूहों और उद्यमशील महिलाओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है जो अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दे रही हैं। यह सम्मेलन मध्य प्रदेश की महिलाओं को एक मंच प्रदान करेगा, जहां वे अपनी उपलब्धियों को साझा कर सकेंगी और नई प्रेरणा प्राप्त करेंगी। इस महासम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से महिलाएं आएंगी जिससे समाज में एक नई चेतना जगेगी जो हर महिला को यह विश्वास दिलाएगा कि वह आज के समाज की बड़ी ताकत है। यह महासम्मेलन समाज के हर वर्ग को इस बात का अहसास कराएगा कि नारी को कमजोर समझने की भूल अब नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर लगभग 2 से 2.5 लाख महिलाओं को संबोधित करेंगे। महासम्मेलन का प्रभाव राजधानी भोपाल या प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा। यह पूरे देश में नारी शक्ति के पुनर्जागरण का बड़ा प्रतीक बनेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार राजधानी भोपाल पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का भोपाल में भव्य स्वागत करने के लिए पूरे शहर को होर्डिंग-बैनर से पाटा जा रहा है। आयोजन स्थल को जाने वाले हर मार्ग पर अहिल्याबाई होल्कर की बड़ी तस्वीरें, शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाई जा रही हैं। भोपाल एयरपोर्ट से शहर को जाने वाले मार्ग से लेकर जंबूरी मैदान तक जाने वाले सभी मार्गों को देवी अहिल्याबाई होल्कर के चित्रों, उनके द्वारा कराए गए कार्यों से सजाया जा रहा है।

31 मई को भोपाल का जंबूरी मैदान सिंदूरी रंग में रंगा होगा, जहां लाखों महिलाएं एकत्रित होकर नारी शक्ति का उत्सव मनाएंगी। जंबूरी मैदान में विशाल पांडाल और बड़ी टीवी स्क्रीनें भी लगाई जा रही हैं ताकि सभी कार्यक्रम को स्पष्ट रूप से देख सकें। इस आयोजन के लिए सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध प्रशासन द्वारा किए गए हैं जिसमें विशेष सुरक्षा दस्ता (एसपीजी), भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी और हजारों पुलिसकर्मी शामिल हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी निगरानी और गुप्तचर तंत्र के जरिए सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। सुरक्षा और ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए अत्याधुनिक तकनीक और डिवाइस का उपयोग किया जाएगा साथ ही ड्रोन्स, सेंसर वाले हाईटेक कैमरे, मेटल डिटेक्टर्स, बम डिस्पोजल यूनिट की भी तैनाती होगी।

31 मई की सुबह से शाम तक जंबूरी मैदान जाने वाले सभी रास्तों पर यातायात प्रभावित रहेगा। कार्यक्रम स्थल को नो फ्लाइंग ज़ोन घोषित किया गया है। जम्बूरी मैदान से 5 किमी की परिधि में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबन्ध रहेगा। इसमें पैराग्लाइडर, हॉट एयर बैलून जैसी गतिविधियों पर भी सुबह 6 से शाम 4 बजे तक प्रभावशील रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को समर्पित एक डाक टिकट और सिक्के का विमोचन करेंगे। इसके अलावा वे इंदौर मेट्रो, सतना एयरपोर्ट और दतिया में विकास परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे, साथ ही उज्जैन में शिप्रा नदी के घाटों के पुनर्निर्माण कार्यों का भूमिपूजन करेंगे। ये परियोजनाएं मध्यप्रदेश के विकास और सांस्कृतिक विरासत को और समृद्ध करेंगी।अहिल्याबाई को समर्पित डाक टिकट और सिक्के का अनावरण भी इस महासम्मेलन में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा "ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमारी सेना ने दुश्मन को घर में घुसकर सबक सिखाया। यह आयोजन नारी शक्ति और देश की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लोकमाता ने अपने शासनकाल में महिलाओं के सम्मान और स्वावलंबन को प्राथमिकता दी। उनकी प्रेरणा से हम आज भी महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा न केवल लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती को यादगार बनाएगा, बल्कि यह मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए एक नया इतिहास भी रचेगा।

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों को जीवंत करती मोहन सरकार

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने 1767 से 1795 तक मालवा साम्राज्य पर शासन किया। वह न केवल एक कुशल शासिका थी , बल्कि समाज सुधार, नारी सशक्तिकरण और सुशासन की प्रतीक भी थी। उनकी 300वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उनके योगदान को सम्मान देने और उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। ये पहल न केवल अहिल्याबाई के विरासत को संरक्षित करती हैं, बल्कि उनके मूल्यों को आधुनिक शासन में एकीकृत करने का प्रयास भी करती हैं।

ऐतिहासिक स्थानों पर कैबिनेट बैठकें

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि मोदी मिशन ज्ञान का आधार नारी शक्ति है। नारी अगर शक्तिशाली होगी तो पूरा समाज शक्तिशाली होगा इसलिए अगर नारी का कल्याण हो गया, तो सारे समाज और सारे प्रदेश का कल्याण होना तय है। डॉ. मोहन यादव ने अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति में मध्यप्रदेश में होल्कर साम्राज्य  के ऐतिहासिक स्थानों पर कैबिनेट बैठकों का आयोजन शुरू किया है। उनकी 300वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में अभी कुछ दिन पहले ही इंदौर के राजवाड़ा में एक ऐतिहासिक कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। यह पहली बार था जब स्वतंत्रता के बाद राजवाड़ा में मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक हुई। इस बैठक में कई दूरगामी निर्णय लिए गए, जिनमें औद्योगिक क्षेत्रों में कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल निर्माण की मंजूरी शामिल है। इसके अलावा महेश्वर में  भी  कैबिनेट बैठक आयोजित की गई, जो अहिल्याबाई की राजधानी थी।  मोहन सरकार की तीसरी कैबिनेट बैठक का आयोजन जबलपुर में हुआ जहाँ  रानी दुर्गावती और रानी अवंती बाई के नाम से सम्मान शुरू करने का फैसला लिया गया।  

 इस तरह की कैबिनेट बैठकों को करने का मुख्य उद्देश्य उनके सुशासन और जनहित के आदर्शों को समाज के सामने पेश करना रहा। मोहन सरकार की आगामी कैबिनेट बैठक पचमढ़ी में 3 जून को प्रस्तावित है जो जनजातीय राजा भभूत सिंह की स्मृति में आयोजित की जाएगी। यह बैठक जनजातीय गौरव को सम्मान देने और राजा भभूत सिंह के योगदान को राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठित करने का मुख्यमंत्री डॉ.मोहन  यादव का एक बेहतर  प्रयास है। यह डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठकों की नई कड़ी का हिस्सा है, जिसके तहत सरकार राज्य के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर बैठकें आयोजित कर रही है। 

नारी सशक्तिकरण से महिलाएं हो रही हैं सशक्त

अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में विधवाओं के पुनर्विवाह और सामाजिक समावेशन जैसे प्रगतिशील कदम उठाए थे। उनकी इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए डॉ. मोहन यादव ने "देवी अहिल्या नारी शक्तिकरण मिशन" की शुरुआत की। इस मिशन का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। मोहन कैबिनेट ने फैसला किया कि प्रदेश में महिला श्रम शक्ति भागीदारी की दर बढ़ाई जाएगी, महिलाओं को बेहतर वातावरण दिया जाएगा और उनके कामकाजी जीवन को आसान बनाया जाएगा। इसके लिए मोहन सरकार ने फैसला किया कि प्रदेश के 4 औद्योगिक क्षेत्रों में 249 करोड़ 66 लाख रुपये की लागत से वर्किंग वीमेन हॉस्टल बनाए जाएंगे। विक्रम उद्योगपुरी जिला उज्जैन, पीथमपुर सेक्टर-1 एवं 2 जिला धार, मालनपुर घिरौंगी (भिंड) एवं मंडीदीप (रायसेन) में कामकाजी महिला छात्रावासों अन्तर्गत कुल 26 हॉस्टलों और भवनों का निर्माण किया जाएगा। हर हॉस्टल में 222 बैड की क्षमता होगी। यह कदम नारी सशक्तिकरण के साथ-साथ सुरक्षित और किफायती आवास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

नारी कल्याण के लिए मोहन सरकार ने महिलाओं के कल्याण के कई काम किए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन शुरू किया। मां अहिल्या बाई के 300वें जन्म जयंती वर्ष और विजयादशमी के अवसर पर पूरे प्रदेश में दशहरा शस्त्र पूजन कार्यक्रम हुआ। सरकार ने दमोह में रानी दमयंती संग्रहालय बनाने का फैसला किया। शासकीय सेवाओं में महिलाओं के आरक्षण को बढ़ाकर 35 प्रतिशत किया। लाड़ली बहना योजना में प्रतिमाह प्रदेश की 1.27 करोड़ बहनों के खातों में रू 35329 की धनराशि का अंतरण किया जा चुका है। इसी तरह से प्रदेश की लगभग 25 लाख लाड़ली बहनों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर की रीफिलिंग के लिए 882 करोड़ से अधिक की राशि का अंतरण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में दिसंबर 2023 से अब तक 3. 99 लाख बालिकाओं को रु 305 करोड़ की छात्रवृत्ति अंतरित की गई है।

सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का संरक्षण

अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, और महाकालेश्वर जैसे धार्मिक स्थलों के निर्माण और संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनकी इस विरासत को जीवंत करते हुए डॉ. मोहन यादव ने कई कदम उठाए हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने 19 धार्मिक शहरों और माँ नर्मदा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में शराबबंदी का फैसला किया है, ताकि इन स्थानों की सात्विकता बनी रहे। इसके अलावा सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को डॉ.मोहन यादव के समीक्षा बैठकों के माध्यम से नई गति मिल रही है। आज प्रदेश में राम गमन, अद्वैत महालोक और कृष्ण पाथेय जैसे दूरगामी प्रोजेक्ट्स को मोहन के विजन के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है।

अहिल्याबाई के जीवन दर्शन से प्रेरित मोहन

अहिल्या बाई के कार्यों से प्रेरणा लेकर मोहन सरकार ने पहला दशहरा महेश्वर में मनाया और कैबिनेट बैठक भी महेश्वर में आयोजित की। प्रदेश की सशस्त्र वाहिनी क्रमांक1 को अहिल्या माता का नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने इंदौर के राजवाड़ा में "विकास यात्रा प्रदर्शनी" का उद्घाटन किया, जो 2023 से अब तक सरकार द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों के बेहतरीन कार्यान्वयन को दर्शाता है। यह प्रदर्शनी अहिल्याबाई के जीवन दर्शन से प्रेरित है और उनके सुशासन के सिद्धांतों को जनता तक पहुंचाने का प्रयास करती है। इसके अतिरिक्त, उज्जैन में कालिदास संस्कृत अकादमी में अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित नाट्य मंचन "राष्ट्रसमर्था देवी अहिल्याबाई की पुण्य गाथा" का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भाग लिया और उनकी उपलब्धियों को याद किया। देवी अहिल्या ने देश भर में नदी घाटों का निर्माण कराया, गरीबों की दिल खोलकर मदद की, रोजगार के लिए महेश्वरी साड़ियों का निर्माण कराया, व्यापार को प्रोत्साहन दिया, किसानों की मदद की और न्याय एवं सुशासन के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान भी जारी है जो 30 जून तक चलेगा। इसका भी प्रदेश भर में बेहतरीन प्रतिसाद मिल रहा है। प्रदेश में 21 मई से 31 मई तक अहिल्याबाई महोत्सव धूमधाम से सरकार मना रही है। अहिल्याबाई की विरासत के प्रचार के साथ सरकार हर जिले में संगोष्ठियां, जनसभाएं कर रही है जिसके माध्यम से समावेशी सुशासन अभियान प्रदेश भर में प्रगति की राह पर है।

स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश,आगे बढ़ता मध्यप्रदेश

अहिल्याबाई के शासन में शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई थी। उनकी इस नीति को अपनाते हुए, डॉ. यादव ने इंदौर के महाराजा यशवंतराव होल्कर अस्पताल के लिए 773 करोड़ रुपये और रीवा जिला अस्पताल के लिए 321 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी। इन निवेशों से हृदय और यकृत सर्जरी जैसी उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी जिससे मरीजों को दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों में जाने की आवश्यकता कम होगी।

स्व-सहायता समूह को मिला लाभ, लखपति दीदी बन रही हैं महिलाएं

मोहन सरकार स्व-सहायता समूह अंतर्गत महिलाओं को लखपति दीदी बना रही है। अभी तक 1 लाख से अधिक दीदियां लखपति बन चुकी हैं। सरकार 5 लाख स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 62 लाख बहनों को आत्मनिर्भर बना चुकी है। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन के लिए 850 एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। सरकार ने रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री में प्रति महिला श्रमिक को 5 हजार प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया। सरकार ने जेंडर बजट में 19 हजार 21 करोड़ से अधिक की वृद्धि की। महिला सशक्तिकरण के लिए 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों को न केवल स्मरण कर रही है, बल्कि उन्हें आधुनिक शासन और विकास की नीतियों में एकीकृत भी कर रही है। ऐतिहासिक स्थानों पर कैबिनेट बैठकों, नारी सशक्तिकरण मिशन, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, और स्वास्थ्य-शिक्षा में निवेश जैसे कदम अहिल्याबाई के सुशासन, समाज कल्याण और धार्मिक सद्भाव के सिद्धांतों को जीवंत करते हैं। ये प्रयास मध्यप्रदेश को एक आदर्श राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो अहिल्याबाई के विजन को साकार करते हैं।

महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय लिख रहा है देश का हृदयप्रदेश एमपी


मध्यप्रदेश देश के हृदय स्थल में बसा एक ऐसा राज्य है जिसने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में आज पूरे देश में नई मिसाल कायम कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने स्व-सहायता समूहों को महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बनाया है। स्व-सहायता समूह न केवल ग्रामीण और शहरी महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उनकी स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है। मोहन सरकार की अनेक नीतियां और योजनाएं महिलाओं के उत्थान में सहायक साबित हो रही हैं।


मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूहों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जा रहा है। वर्तमान में, राज्य में 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनसे लगभग 62 लाख महिलाएं जुड़ी हैं। ये समूह महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता, कौशल विकास, और सामुदायिक नेतृत्व के अवसर प्रदान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि स्व-सहायता समूह न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी एक जन-आंदोलन है। मध्यप्रदेश सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं जिनका प्रभाव राज्य के हर कोने में महसूस किया जा सकता है। मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना ने हजारों महिला समूहों को कम ब्याज पर ऋण दिलाकर उनके छोटे-छोटे व्यवसायों को सहारा दिया है। अब महिलाएं न सिर्फ घर चला रही हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं। अब तक 30 हजार 264 महिला समूहों और 12 हजार 685 महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में 648.67 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है।

लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने 1.27 करोड़ बहनों के खाते में 1551.86 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता उनके खातों में पहुंच रही है। इससे न केवल आर्थिक रूप से महिलाओं की स्थिति बेहतर हो रही है बल्कि महिलाएं डिजिटल युग की सहभागी भी बन रही हैं। इस योजना के तहत 1.27 करोड़ महिलाओं को अब तक 35,329 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, 25 लाख महिलाओं को 450 रुपये में गैस सिलेंडर रीफिलिंग के लिए 882 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई है। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उनके परिवारों में बचत को प्रोत्साहित कर रही है।

मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 2 लाख 73 हजार 605 बालिकाओं का पंजीकरण हुआ और लगभग 223 करोड़ रूपये से अधिक की छात्रवृत्ति यूनि-पे के जरिए वितरित की गई। अब तक कुल 50 लाख 41 हजार 810 बेटियां इस योजना का हिस्सा हैं।राज्य सरकार द्वारा नारी शक्ति मिशन के तहत जिला, परियोजना और ग्राम स्तर पर 100 दिवसीय जागरूकता "हम होंगे कामयाब अभियान" चलाया गया। इसमें प्रदेश में जेंडर संवादों, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, साइबर  सुरक्षा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की महिलाओं को न केवल जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना भी सिखाया गया।मध्यप्रदेश सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 1 लाख से अधिक महिलाओं को 'लखपति दीदी' बनाया है। सरकार का लक्ष्य 5 लाख स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 62 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित कर रही है।मध्यप्रदेश में 850 से अधिक एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है, जिससे महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन मिला है। इसके अलावा, रेडीमेड गारमेंट उद्योग में कार्यरत महिलाओं को प्रति माह 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जिससे उनकी मासिक आय में इजाफा हो रहा है। स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मध्यप्रदेश में महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इन समूहों ने न केवल महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान की है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अब स्थानीय स्तर पर उत्पादक संगठनों के माध्यम से रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित कर रही हैं।महिलाओं के लिए 35% सरकारी नौकरियों में आरक्षण और निकाय चुनावों में 50% आरक्षण जैसे कदमों ने उनकी भागीदारी को और बढ़ाया है। इसके अतिरिक्त, जेंडर बजट में 19,021 करोड़ रुपये की वृद्धि और महिला सशक्तिकरण के लिए 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मोहन सरकार ने नारी सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता में रखा है। पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई गई है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। 'महिला हेल्पलाइन' और 'महिला पुलिस स्टेशन' जैसी सेवाओं को भी मजबूत किया गया है। महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को अब 112 आपात सेवा से जोड़ा गया है। वर्ष 2024-25 में लगभग 82 हजार 552 महिलाओं को त्वरित सहायता मिली है। योजना के प्रारंभ से अब तक एक लाख 57 हजार महिलाओं को लाभ मिल चुका है।  

प्रदेश में देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया है। यह मिशन महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। इस मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों को स्टार्ट-अप अभियान से जोड़ा गया, जिसमें 8 करोड़ 10 लाख रुपये के निवेश पत्र वितरित किए गए। मोहन के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के लिए न केवल सशक्तिकरण के अवसर पैदा किए गए हैं, बल्कि अब महिलाएं पारंपरिक घरेलू कार्यों से बाहर निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। सैनिटेशन और हाइजीन योजना के तहत प्रदेश की 19 लाख से अधिक बालिकाओं को 57 करोड़ 18 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है जिससे किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। यूनिसेफ ने भी मध्यप्रदेश के इन प्रयासों की सराहना की है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेते हुए महिला सशक्तिकरण को नया आयाम दिया है। अहिल्या बाई ने महेश्वर से शासन चलाते हुए महिलाओं को साड़ी बुनाई जैसे कौशलों से जोड़ा, जिससे महेश्वरी साड़ियां विश्व प्रसिद्ध हुईं। इसी तरह, डॉ. यादव ने स्व-सहायता समूहों को उद्यमिता और कौशल विकास से जोड़कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। यह प्रयास मध्यप्रदेश को नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे कृषि, उद्योग, शिक्षा, चिकित्सा और राजनीति जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है। नारी शक्ति मिशन के तहत हर जिले की महिलाओं को सशक्तिकरण की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। उनका मानना है कि यदि नारी सशक्त होगी, तो समाज और प्रदेश स्वतः सशक्त होगा। सरकार का लक्ष्य 2047 तक मध्यप्रदेश को विकसित भारत के साथ एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाना है, जिसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। समाज में महिलाओं को समान अवसर देना न केवल उनके विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। एक तरफ आज जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं वहीँ लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना और नारी शक्ति मिशन जैसी अनेकों महिला केन्द्रित योजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश की महिलाएं  सामाजिक रूप से भी सशक्त हो रही हैं। स्व-सहायता समूहों ने न केवल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि महिलाओं को समाज में सम्मान और स्वावलंबन की नई पहचान दी है।

Thursday, 29 May 2025

मोहन सरकार के नवाचार कृषि क्षेत्र में ला रहे हैं बदलाव


मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में कई नवाचारों और नीतियों को लागू करके राज्य को कृषि क्षेत्र में विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने, खेती को लाभकारी बनाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन नीतियों में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, सिंचाई के बेहतर संसाधनों की उपलब्धता और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने के लिए अनेक पहल की गई है ।

मोहन सरकार ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जैविक और पारम्परिक खेती को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं इस बात पर बल दिया है कि जैविक खेती न केवल एक उत्पादन विधि है, बल्कि यह किसानों की समृद्धि और आत्मनिर्भरता का आधार है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में वर्तमान वर्ष में लगभग 1 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती का कार्यक्रम चल रहा है और आगामी वर्षों में इसे 5 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करने का लक्ष्य रखा गया है।

जैविक कृषि को बढ़ावा देने के साथ ही प्रदेश में मटर, सोयाबीन, तुअर दाल और आलू जैसे फसलों का उत्पादन में राज्य में तेजी आई है और इन उत्पादों का निर्यात भी काफी बढ़ा है जिसने किसानों की आय में वृद्धि के साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।कृषि क्षेत्र में ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए मोहन सरकार ने सौर पंप योजना को बेहतर तरीके से लागू किया है। इस योजना के तहत किसानों को मात्र 10% राशि जमा करने पर सौर पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अगले तीन वर्षों में 32 लाख सौर पंप वितरित करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा उत्पादित अतिरिक्त बिजली को सरकार खरीदेगी जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। यह योजना न केवल बिजली बिल से मुक्ति दिलाएगी, बल्कि किसानों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगी।

मध्यप्रदेश में बीते डेढ़ वर्ष में कृषि मंडियों का आधुनिकीकरण, विपणन और भंडारण की सुविधाओं में भी बड़ा सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने किसानों के उत्पादों को बेहतर दाम दिलवाने के लिए कृषि मंडियों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में विस्तार किया है जिससे किसानों को अपनी उपज को बाजार में बेहतर मूल्य पर बेचने का अवसर मिल रहा है। नई जरूरतों के मुताबिक अब अलग-अलग मंडियों की स्थापना पर विचार किया जाना चाहिए।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की कृषि मंडियों को आदर्श बनाने के निर्देश दिए हैं। मंडियों में आधुनिक सुविधाओं को बढ़ाने से लेकर उनके प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। मंडी शुल्क का उपयोग किसानों की कल्याणकारी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है साथ ही फल, सब्ज और मसाला मंडियों की स्थापना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) पर भी विशेष ध्यान दिया गया है जिससे किसानों को उचित लाभ मिल रहा है।इन प्रयासों से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मोहन यादव ने किसान कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं जिनमें कृषि ऋण, बीमा और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं से किसानों को वित्तीय मदद मिल रही है जिसने उन्हें खेती में उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों का उपयोग करने की सुविधा प्रदान की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गेहूं उत्पादक किसानों को भी समर्थन मूल्य 2425 रुपये के अतिरिक्त 175 रुपये प्रति क्विंटल की बोनस राशि दी जायेगी जिससे  लगभग 1400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का लाभ होगा। साथ ही गेहूं के उपार्जन पर प्रति क्विंटल 2600 रुपये की राशि मिलेगी।  इस वर्ष प्रदेश में 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन अनुमानित है। 

एमपी की मोहन सरकार ने श्रीअन्न (मिलेट्स) और विशेष फसलों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने घोषणा की है कि वह किसानों से श्रीअन्न की खरीद करेगी, जिससे इन फसलों का उत्पादन बढ़ेगा। इसके अतिरिक्त, विशेष फसलों को भौगोलिक संकेतक जीआई  टैग प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है, ताकि मध्यप्रदेश की फसलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में नई पहचान मिले। राज्य सरकार ने प्रदेश के हर संभाग में किसान मेलों का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इन मेलों में कृषि आधारित उद्योगों में निवेश पर जोर दिया जा रहा है। अप्रैल माह मेंमंदसौर जिले के सीतामऊ में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को कृषि के आधुनिक यंत्रों और तकनीक से अवगत कराया गया। जिसके बाद अब 26 मई को नरसिंहपुर जिले में कृषि उद्योग समागम का आयोजन होने जा रहा है जिसका शुभारम्भ उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के माध्यम से होगा।

मध्यप्रदेश में वर्ष 2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। कृषि उद्योग समागम नरसिंहपुर का आयोजन मध्यप्रदेश में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने, खाद्य प्रसंस्करण में निवेश आकर्षित करने, और किसानों को बेहतर बाजार से जोड़ने के लिए किया जा रहा है। यह समागम उद्योगपतियों कृषक उत्पादक संगठनों एवं नीति निर्माताओं के बीच संवाद, नीति प्रस्तुति एवं सहयोग के अवसर प्रदान करेगा। कार्यक्रम में उद्योग इकाइयों का शिलान्यास एवं लोकार्पण तथा उद्योगपतियों को भूमि आवंटन पत्र एवं आशय पत्रों का वितरण भी होगा।इस तरह के इन समागमों के माध्यम से किसानों को अधिक  बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। नरसिंहपुर के बाद 8 से 10 जून 2025 तक सतना में विशाल कृषि मेले सह कृषक सम्मेलन भी आयोजित होंगे।

मुख्यमंत्री मोहन स्वयं ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से सीधा संवाद कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक किसान सम्मेलन में कहा, "हमारा लक्ष्य है कि किसानों की आय दोगुनी हो और वे आत्मनिर्भर बनें। इसके लिए सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी।" मोहन सरकार के किसान-हितैषी नवाचार कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, जिससे न केवल किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

Monday, 19 May 2025

राजबाड़ा में कैबिनेट लोकमाता अहिल्याबाई के संकल्पों को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम


मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने 20 मई 2025 को इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा परिसर में एक विशेष कैबिनेट बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह बैठक न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखती है, क्योंकि यह लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती वर्ष के समापन और उनकी विवाह वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की जा रही है। इसके पहले डॉ मोहन सरकार दमोह, जबलपुर में डेस्टिनेशन कैबिनेट के सफल आयोजन कर चुकी है।

यह  कैबिनेट की बैठक अहिल्याबाई के आदर्शों को आत्मसात करने का सुनहरा अवसर है। कैबिनेट बैठक का मुख्य उद्देश्य लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के सुशासन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के योगदान को याद करते हुए होल्कर साम्राज्य के संस्थापक महाराज मल्हार राव होल्कर का भी पुण्य स्मरण करना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया है कि यह आयोजन इंदौर की सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित करने और मध्यप्रदेश के विकास के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण, जैसे कि "विजन 2047", को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा। यह आयोजन इंदौर के ऐतिहासिक महत्व का स्मरण करने और देवी अहिल्याबाई के आदर्शों को प्रचारित करने का बेहतरीन अवसर है।

होल्कर साम्राज्य का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। इंदौर का राजवाड़ा, होल्कर साम्राज्य का प्रतीक, मध्य भारत के गौरवशाली अतीत का साक्षी रहा है। यह वह स्थान है जहां होलकर साम्राज्य के शासकों ने अपने दरबार लगाए और अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। 20 मई को गणेश हॉल में होने वाली यह बैठक उसी परंपरा को जीवंत करेगी, जहां डॉ मोहन कैबिनेट अपने कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेगी। यह पहली बार है जब आज़ादी के कई वर्षों बाद इस ऐतिहासिक स्थल पर डॉ. मोहन कैबिनेट का भव्य दरबार सजेगा।

राजवाड़ा एक महल नहीं, बल्कि होलकर साम्राज्य की विरासत है जिस पर आज भी सभी गर्व महसूस करते हैं। यह वह ऐतिहासिक स्थान है जहां से होलकर साम्राज्य ने अपने कई बड़े फैसलों से अपनी दिशा तय की थी। इसका निर्माण 1766 से 1834 के बीच हुआ और इसकी भव्यता आज भी लोगों को आकर्षित करती है। देवी अहिल्याबाई होलकर इसी राजवाड़ा से प्रशासनिक निर्णय लिया करती थी। अंतिम बार 1945 में महाराज यशवंतराव होलकर तृतीय ने अपनी मंत्रिपरिषद के साथ इसी दरबार हॉल में बैठक की थी। वहीँ राजवाड़ा इस बार फिर डॉ. मोहन यादव के निर्णायक फैसलों का साक्षी बनने जा रहा है। लोकमाता की उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब मोहन सरकार यहां बैठक कर, न सिर्फ राजवाड़े के सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित कर रही है बल्कि सुशासन के संकल्पों के नए मानदंड प्रदेश में स्थापित कर रहे हैं।

कैबिनेट बैठक में मालवा संस्कृति की झलक  देखने को मिलेगी।  इस आयोजन को मालवा की संस्कृति के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया है, जिसमें मंत्रियों का स्वागत मालवी पगड़ी पहनाकर किया जाएगा । बैठक के बाद दरबार हाल में सभी मंत्रियों और अधिकारियों के लिए पारंपरिक मालवी भोजन परोसा जाएगा, जिसमें दाल-बाफले, दाल-बाटी-चूरमा, मावा बाटी, दही, लड्डू, केसर श्रीखंड, मैंगो रबड़ी और छाछ जैसे व्यंजन शामिल होंगे।

इस बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा और निर्णय की उम्मीद है, जिसमें "विजन 2047" के तहत मध्यप्रदेश के दीर्घकालिक विकास की कई योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, निवेश संवर्धन, औद्योगिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण से संबंधित नीतियों पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कैबिनेट बैठक में जिला विकास सलाहकार समिति का प्रस्ताव भी आएगा। कैबिनेट बैठक में अनेक कल्याणकारी प्रस्तावों को हरी झंडी मिल सकती है जिसमें नए रोजगार के अवसर सृजित करने, कर्मचारियों के पदोन्नति संबंधी प्रस्ताव भी पास हो सकते हैं। कैबिनेट बैठक में सरकार मेट्रोपॉलिटन रीजन एक्ट 2025 भी लेकर आएगी जिससे इंदौर और भोपाल को मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने की प्रक्रिया को नई गति मिलेगी। इस बड़ी पहल के साथ मध्यप्रदेश देश का 13वां राज्य बन जाएगा, जहां मेट्रोपॉलिटन रीजन विकसित किए जाएंगे।

इंदौर के राजबाड़ा में होने वाली मोहन कैबिनेट की बैठक एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मील का पत्थर साबित होगी। यह आयोजन न केवल प्रशासनिक निर्णयों के लिए, बल्कि इंदौर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को वैश्विक मंच पर उजागर करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। यह आयोजन मध्यप्रदेश की समृद्ध विरासत को सम्मान देने के साथ-साथ भविष्य के विकास के लिए एक मजबूत नींव रखेगा। लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती को समर्पित यह बैठक इंदौर के गौरव को और बढ़ाएगी और मालवा की संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करेगी।  

Sunday, 18 May 2025

मेट्रोपॉलिटन मिशन में जुटे मोहन, मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र नियोजन और विकास अधिनियम 2005 बनेगा विकास का नया मॉडल

देश का हृदयप्रदेश मध्यप्रदेश जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है अब डॉ.मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व और विजन के माध्यम से आधुनिक शहरीकरण की दिशा में तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है। भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने नगरीय विकास विभाग ने एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इंदौर में राजबाड़ा में 20 मई को होने वाली डॉ. मोहन कैबिनेट की बैठक में इस पर प्रस्ताव रखा जाएगा।

आसान होगी नियोजित और समन्वित विकास की राह

अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भोपाल और इंदौर के मेट्रोपोलिटन क्षेत्रों का नियोजित और समन्वित विकास सुनिश्चित करना है। राज्य शासन बड़े महानगरों के आसपास नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र को शामिल करते हुए महानगर क्षेत्र का गठन करेगा। इंदौर पहले से ही प्रदेश का एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र रहा है, जबकि उज्जैन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे विशेष बनाता है। देवास और धार के साथ मिलकर यह क्षेत्र अब एक संतुलित मेट्रोपॉलिटन इकाई के रूप में विकसित होगा। इसी तरह प्रदेश की राजधानी भोपाल प्रशासनिक और तकनीकी विकास का केंद्र है। इसके आसपास के जिलों को शामिल करके एक व्यापक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनाया जाएगा, जो न केवल प्रशासनिक कार्यों को सुगम बनाएगा, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा। इस मिशन का दृष्टिकोण न केवल शहरों का विस्तार करना है, बल्कि आसपास के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को भी विकास की मुख्यधारा में शामिल करना है।

अधिनियम के अन्तर्गत “इंदौर – उज्जैन – देवास - धार को fमलाकर एक और भोपाल – सीहोर – रायसेन – विदिशा – ब्यावरा (राजगढ़) को मिलाकर दूसरा मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनाया जा रहा है। भविष्य में इस अधिनियम के अन्तर्गत अन्य मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र भी बनाये जा सकेंगे। 74 वें संविधान संशोधन की मंशा के अनुरूप राज्य शासन द्वारा मेट्रोपॉलिटन कमेटी का गठन fकया जाएगा। इस अधिनियम के अन्तर्गत जो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र घोषित किए जाएंगे उनके fक्रयान्वयन के लिए मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन fकया जाएगा।

मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकरण

राज्य शासन द्वारा मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट प्लानिंग कमेटी के प्रारूप मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेन्ट एवं इन्वेस्टमेंट प्लान तैयार करने में सहायता करने तथा विकास कार्य करने के लिए मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र डेवलपमेन्ट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र डेवलपमेंट अथॉरिटी प्लान तैयार करने उसके पुनर्वलोकन तथा रूपांतरण में मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी सहायता करेगी तथा प्लान के क्रियान्वयन और उसका चरणबद्ध वकास करेगी।

आर्थिक विकास का नया कॉरिडोर

यह अधिनियम मध्य प्रदेश को एक प्रमुख आर्थिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य करेगा। नगर विकास प्राधिकरण की सीमा के बाहर स्थित सीमा के बाहर स्थित क्षेत्र में विभिन्न स्कीम और परियोजनाओं का क्रियान्वयन एरिया डेवलपमेंट प्लान के माध्यम से करेगी। मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी अपने क्षेत्र के सम्मिलित नगर निगम , नगर पालिकाओं,अन्य स्थानीय निकायों और नगर विकास प्राधिकरण के कार्यकलापों में समन्वय स्थापित करने का काम करेगी। मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र डेवलपमेंट अथॉरिटी विभिन्न जनहित के कार्यों टाउनशिप के विकास, आधारभूत संरचना के विकास अधिकारियों के लिए लैंड बैंक बनाकर उसका प्रबंधन करेगी।

औद्योगिक हब होंगे विकसित, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर और किसानों को मिलेगा बाज़ार

मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट एवं इन्वेस्टमेंट प्लान में समग्र औद्योगिक विकास की नीति बनाकर औद्योगिक हब विकसित किये जा सकेंगे जिससे भोपाल के आसपास वर्तमान में स्थापित औद्योगिक क्षेत्र जैसे मंडीदीप,अचारपुरा आदि के साथ समन्वय स्थापित करते हुए नये औद्योगिक क्षेत्र स्थापित कर सकेंगे। ऐसे ही इंदौर-उज्जैन के आसपास वर्तमान में स्थापित पीतमपुर औद्योगिक क्षेत्र के साथ समन्वय स्थापित करते हुए नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित कर सकेंगे। नियोजित एवं समन्वित औद्योगिक विकास से राज्य में नए निवेश एवं रोजगार सृजन के अवसर उत्पन्न होंगे जिससे टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। किसानों को कृषि तकनीकों और बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी जिससे कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों में बेचने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा। परिवहन और औद्योगिक हब के इंटीग्रेशन संबंध संबंध में प्रस्ताव शामिल होंगें जिससे राज्य में आयात निर्यात सुगम होगा जिससे आर्थिक विकास संभव हो सकेगा।

पर्यावरण और जल संरक्षण के प्रस्ताव होंगे शामिल


मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट एवं इन्वेस्टमेंट प्लान में पर्यावरण संबंधी नीति बना कर पर्यावरण सुधार संबंधी कदम को बढ़ावा मिलेगा जिसके अंतर्गत खनिज संसाधन आदि के संरक्षण और संवर्धन के प्रस्ताव शामिल होंगे। प्राकृतिक सौंदर्य के स्थल, ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व के स्थल तथा पर्यटन स्थल के संरक्षण और विकास के प्रस्ताव शामिल होंगे। जल ग्रहण क्षेत्र का प्रबंध, जल आपूर्ति, जल संचय, भूजल का रिचार्ज, बाढ़ नियंत्रण और जल प्रदूषण की रोकथाम करने के संबंध में प्रस्ताव शामिल होंगे। मिट्टी के क्षरण को रोकने तथा वनों के संरक्षित विकास के प्रस्ताव शामिल होंगे। विभिन्न जल निकाय के वॉटर फ्रंट डेवलपमेंट के प्रस्ताव शामिल होंगे। स्टॉर्म वॉटर, ड्रेनेज, सीवरेज, वेस्ट डिस्पोजल आदि के उन्नयन और विकास के प्रस्ताव शामिल होंगें।

लोक परिवहन संबंधी नीतियों से आवागमन होगा सुगम

मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट एवं इन्वेस्टमेंट प्लान में यातायात संबंधी नीति बना कर यातायात, परिवहन संबंधी प्रस्ताव होंगे जिसके अन्तर्गत वृहद स्तर की अधोसंरचना की वर्तमान एवं प्रस्तावित परियोजना जैसे हाइवे, रेलवे, रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, एयरपोर्ट वाटरवे संबंधी प्रस्ताव होंगे जिससे आवागमन सुगम हो सकेगा। मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए लोक परिवहन एवं संचार के संबंध में प्रस्ताव होंगे। प्रत्येक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए एक एकीकृत मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की स्थापना की जाएगी जो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट संबंधी प्रस्तावों के संबंध में सुझाव देगी, जिससे इंटीग्रेटेड यातायात का विकास हो सकेगा। विभिन्न विभागों द्वारा अपनाए गए यातायात और परिवहन उपायों के प्रभावी समन्वय और कार्यान्वयन को सुfनिश्चत fकया जाएगा।

मध्यप्रदेश सरकार का मेट्रोपोलिटन क्षेत्र नियोजन और विकास अधिनियम 2025 शहरीकरण, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भोपाल और इंदौर को मेट्रोपोलिटन शहरों के रूप में विकसित करने की यह योजना न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि मध्य प्रदेश को एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करेगी। भोपाल और इंदौर को आधुनिक, स्मार्ट और समावेशी महानगरों के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके सफल कार्यान्वयन से आने वाले समय में पूरे प्रदेश के शहरी परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

Monday, 12 May 2025

पत्रकारिता के प्रथम प्रतीक नारद मुनि



हिंदू पौराणिक कथाओं में नारद मुनि को एक ऐसी शख्सियत के रूप में जाना जाता है, जो सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में माहिर थे। वे देवताओं, असुरों, और मनुष्यों के बीच संदेशवाहक की भूमिका निभाते थे। उनकी यह विशेषता उन्हें "आदि पत्रकार" की उपाधि देती है। नारद न केवल सूचना के वाहक थे, बल्कि वे समाज में जागरूकता फैलाने और सत्य को उजागर करने में भी निपुण थे।  नारद को  अगर हम विस्तार से समझें  तो पता चलता  है कि उनका प्रत्येक संवाद  जनकल्याण के लिए था।

 गीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम्चनारद:। अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं। महाभारत के सभा पर्व के पांचवें अध्याय में नारद जी के व्यक्तित्व का परिचय इस प्रकार दिया गया है- देवर्षि नारद वेद और उपनिषदों के मर्मज्ञ, देवताओं के पूज्य, इतिहास व पुराणों के विशेषज्ञ, पूर्व कल्पों (अतीत) की बातों को जानने वाले, शिक्षा, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान, संगीत-विशारद, प्रभावशाली वक्ता, मेधावी, नीतिज्ञ, कवि, महापंडि़त, बृहस्पति जैसे महा विद्वानों की शंकाओं का समाधान करने वाले और सर्वत्र गति वाले हैं। 18 महापुराणों में एक नारदोक्त पुराण; बृहन्नारदीय पुराण के नाम से प्रख्यात है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नारद मुनि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं। उनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के मन से हुई, जिसके कारण उन्हें "मानस पुत्र" कहा जाता है। नारद मुनि का जीवन भक्ति, तप, और ज्ञान का अनुपम उदाहरण है।कथाओं के अनुसार, नारद का जन्म एक दासी के पुत्र के रूप में हुआ था। बचपन में ही उनकी माता का देहांत हो गया, जिसके बाद उन्होंने भक्ति और तप में रुचि ली। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ, और वे ब्रह्मा के मानस पुत्र के रूप में प्रतिष्ठित हुए।नारद मुनि ने भक्ति मार्ग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे और "नारायण-नारायण" का जाप करते हुए तीनों लोकों में विचरण करते थे। उनकी वीणा, जिसे "महती" कहा जाता है, भक्ति और संगीत का प्रतीक है। नारद मुनि ने "नारद भक्ति सूत्र" की रचना की, जो भक्ति के सिद्धांतों को समझाने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसके अलावा, उन्होंने "नारद पंचरात्र" और "नारद संहिता" जैसे ग्रंथों के माध्यम से धर्म और ज्ञान का प्रसार किया।

नारद मुनि के भक्तिसूत्र भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता का एक अनमोल ग्रंथ है, जो भक्ति के तत्वों को सरल और गहन रूप में प्रस्तुत करता है। यह सूत्र न केवल आध्यात्मिक जीवन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है, बल्कि आधुनिक संदर्भों, जैसे पत्रकारिता, में भी प्रासंगिकता रखता है। पत्रकारिता, जो समाज का दर्पण और जनमानस को दिशा देने वाला माध्यम है, नारद के भक्तिसूत्र से प्रेरणा लेकर निष्पक्षता, सत्यनिष्ठा और मानवीय मूल्यों को सुदृढ़ कर सकती है।नारद भक्तिसूत्र में सत्य को भक्ति का आधार माना गया है। पत्रकारिता का मूल उद्देश्य भी सत्य को उजागर करना है। एक पत्रकार, जो नारद के सिद्धांतों से प्रेरित हो, सनसनीखेज खबरों या पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से बचेगा और तथ्यों को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करेगा। सूत्र 25 में नारद कहते हैं:"तद्विस्मरणात् संसारदुःखं"अर्थात, सत्य को भूलने से संसार में दुख उत्पन्न होता है। पत्रकारिता में असत्य या भ्रामक जानकारी का प्रसार समाज में अराजकता और अविश्वास को जन्म देता है। इसलिए, पत्रकार को सत्य के प्रति अटूट भक्ति रखनी चाहिए।

नारद भक्ति को निष्काम कर्म से जोड़ते हैं, जहां कार्य बिना स्वार्थ के किया जाता है। पत्रकारिता में भी निष्पक्षता और निष्काम भाव आवश्यक है। एक पत्रकार को व्यक्तिगत लाभ, राजनीतिक दबाव या कॉरपोरेट हितों से ऊपर उठकर केवल समाज के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। सूत्र 19 में नारद कहते हैं "न तद् भक्तिर्व्यसनं यथा"अर्थात, भक्ति कोई व्यसन या लत नहीं है, बल्कि वह पूर्ण समर्पण है। पत्रकारिता को भी सनसनी या लोकप्रियता की लत से मुक्त होकर समाज के प्रति समर्पित होना चाहिए।भक्तिसूत्र में करुणा और प्रेम को भक्ति के अभिन्न अंग बताया गया है। पत्रकारिता में भी मानवीय संवेदनाओं का सम्मान आवश्यक है। उदाहरण के लिए, आपदा या व्यक्तिगत त्रासदी की खबरों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करना पत्रकार का कर्तव्य है। नारद का यह सिद्धांत पत्रकारों को स्मरण दिलाता है कि उनकी कलम से निकला प्रत्येक शब्द समाज पर गहरा प्रभाव डालता है।नारद भक्तिसूत्र में आत्मसंयम और नैतिक आचरण पर बल दिया गया है। पत्रकारिता में भी नैतिकता का पालन अनिवार्य है। चाहे वह स्रोतों की गोपनीयता हो, तथ्यों की सत्यता हो, या किसी की निजता का सम्मान, पत्रकार को नारद के सूत्रों से प्रेरणा लेकर अपने आचरण को शुद्ध रखना चाहिए। सूत्र 66 में नारद कहते हैं:"सङ्गत्यागात् सत्सङ्गति"अर्थात, कुसंगति का त्याग कर सत्संगति अपनानी चाहिए। पत्रकार को भी भ्रष्टाचार, पक्षपात या अनैतिक प्रथाओं से दूरी बनाकर सत्य और नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए।

 आधुनिक पत्रकारिता में टीआरपी, डिजिटल क्लिकबेट, और कॉरपोरेट दबाव जैसे कारक सत्य और नैतिकता को चुनौती देते हैं। फिर भी, नारद का यह सूत्र प्रेरणा देता है:"भक्तिरेवैनं नयति" (सूत्र 54)अर्थात, भक्ति ही अंततः मार्ग दिखाती है। पत्रकार, जो सत्य और समाज के प्रति भक्ति भाव रखता है, वह इन चुनौतियों को पार कर सकता है।नारद के भक्तिसूत्र पत्रकारिता के लिए एक आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शक की तरह कार्य करते हैं। सत्य, निष्पक्षता, करुणा और आत्मसंयम जैसे सिद्धांत पत्रकारिता को न केवल एक पेशा, बल्कि समाज के प्रति एक पवित्र कर्तव्य बनाते हैं। नारद का यह संदेश कि भक्ति परम प्रेम और समर्पण है, पत्रकारों को प्रेरित करता है कि वे अपनी कलम को सत्य और मानवता की सेवा में समर्पित करें। आज के युग में, जब पत्रकारिता पर विश्वास का संकट मंडरा रहा है, नारद के भक्तिसूत्र एक प्रेरणादायी प्रकाशस्तंभ की तरह हैं, जो इस पेशे को पुनः सम्मान और विश्वसनीयता की ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।  देवर्षि नारद के  संचार का पूर्ण  अध्ययन किया जाए तो हम पाते हैं उनका पूरा संवाद लोककल्याण के लिए था।  

नारद को भगवान विष्णु का परम भक्त माना जाता है। पुराणों के अनुसार, वे ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं और उनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के मन से हुई। नारद का व्यक्तित्व जटिल और बहुआयामी है। वे एक तपस्वी, गायक, कथावाचक, और संगीतज्ञ हैं, जो अपनी वीणा के साथ भक्ति भजनों का गायन करते हैं। उनकी त्रिलोक भ्रमण की आदत उन्हें हर जगह सूचनाएँ एकत्र करने और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुँचाने में सक्षम बनाती है।नारद की विशेषता उनकी वाक्पटुता और बुद्धिमत्ता है। वे अपनी बात को इस तरह प्रस्तुत करते थे कि वह सुनने वाले पर गहरा प्रभाव छोड़ती थी।  नारद मुनि को संदेशवाहक के रूप में भी जाने जाते थे। वे देवताओं, दानवों, और मनुष्यों के बीच संवाद स्थापित करते थे। उनकी बुद्धिमत्ता और कूटनीति ने कई पौराणिक घटनाओं को प्रभावित किया।

नारद की पत्रकारिता के कई गुण आज भी प्रासंगिक है। नारद सूचनाओं को त्वरित और सटीक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाते थे। वे त्रिलोक (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) में स्वतंत्र रूप से विचरण करते थे, जिससे उन्हें हर घटना की जानकारी रहती थी।नारद किसी एक पक्ष के प्रति पूरी तरह झुके हुए नहीं थे। वे देवताओं और असुरों दोनों के साथ संवाद करते थे और सत्य को प्राथमिकता देते थे।उनकी वाणी में जादू था। वे अपनी बात को इस तरह प्रस्तुत करते थे कि वह सुनने वाले को विचार करने पर मजबूर कर दे। नारद ने कई अवसरों पर समाज में जागरूकता फैलाई। उदाहरण के लिए, भगवान विष्णु की भक्ति को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कई कथाएँ और भजन गाए।

आज के डिजिटल युग में पत्रकारिता का स्वरूप बदल चुका है लेकिन  नारद के गुण और उनकी संचार की क्षमता से सभी पत्रकारों को एक नई  प्रेरणा मिलती है । उनकी निष्पक्षता, त्वरित सूचना संप्रेषण, और समाज को जागरूक करने की क्षमता आधुनिक पत्रकारों के लिए एक आदर्श है। नारद की पत्रकारिता हमें यह भी सिखाती है कि पत्रकारिता में सनसनीखेज खबरें फैलाने से हर हाल में बचना चाहिए और सत्य को संतुलित रूप में प्रस्तुत करना चाहिए।नारद मुनि न केवल एक पौराणिक चरित्र हैं, बल्कि वे पत्रकारिता के प्रथम प्रतीक भी हैं। उनकी सूचना संप्रेषण की कला, निष्पक्षता और समाज को जागरूक करने की क्षमता उन्हें आदि पत्रकार के रूप में अमर बनाती है। आज के पत्रकारों को नारद से यह सीख लेनी चाहिए कि सत्य और निष्पक्षता ही पत्रकारिता का मूल आधार है। 

Wednesday, 7 May 2025

मोहन सरकार की जल संरक्षण की अनुपम पहल जल गंगा संवर्धन अभियान

जल का उचित उपयोग और संरक्षण न केवल हमारे आज के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार का जल गंगा संवर्धन अभियान एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह अभियान जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।यह अभियान राज्य के जल स्रोतों, नदियों, तालाबों और जलाशयों की रक्षा और पुनर्जीवन पर केंद्रित है। जल संरक्षण को जन-आंदोलन का रूप देने और भूजल स्तर में सुधार लाने की दिशा में यह एक  महत्वपूर्ण कदम है। 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 30 जून 2025 तक चलने वाला यह 90-दिवसीय अभियान उज्जैन की पवित्र क्षिप्रा नदी के तट से शुरू हुआ, जिसका समापन भी उज्जैन में ही होगा।

इस अभियान के तहत न केवल जल स्रोतों की सफाई और पुनर्जीवन पर काम किया जा रहा है, बल्कि जल संचयन के उपायों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत  पुराने जलाशयों और तालाबों की सफाई और पुनर्निर्माण किया जा रहा है ताकि जल  को संरक्षित किया जा सके। जल गंगा संवर्धन अभियान का मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों का संरक्षण और पुनर्जनन, भूजल स्तर में वृद्धि, और जल संरक्षण के प्रति बढ़ाना है। इस अभियान के तहत जहाँ प्रदेश भर में  पुराने तालाबों, कुओं, बावड़ियों और नदियों की सफाई और गहरीकरण किया जा रहा है वहीँ  नई जल संरचनाओं का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। वर्षा जल को संग्रहित करने की दिशा में पूरे प्रदेश में इस समय गंभीर  प्रयास हो रहे हैं। राज्य में नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए जल गंगा अभियान के तहत विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा शहरों और ग्रामीण इलाकों में वर्षा जल संचयन के लिए टैंक का निर्माण किया जा रहा है, ताकि मानसून के दौरान पानी का संचयन किया जा सके और जल संकट को रोका जा सके। जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पौधारोपण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।  युवा पीढ़ी को जल संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए रैलियाँ, जल चौपाल, और प्रदर्शनियाँ आयोजित की जा रही हैं।

 जल गंगा संवर्धन अभियान का व्यापक प्रभाव मध्यप्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता जन-भागीदारी है। सरकार ने इसे केवल सरकारी आयोजन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि विभिन्न सामाजिक संगठनों, ग्राम विकास समितियों और आम नागरिकों को इसमें शामिल किया है। प्रदेश में 1.06 लाख जल दूत तैयार किए गए हैं जो जल स्रोतों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। ये जलदूत स्थानीय स्तर पर जल संरचनाओं के रख-रखाव और जल संरक्षण का कार्य करेंगे। धार जिले में ग्राम विकास प्रस्फुरण समितियों ने श्रमदान के माध्यम से तालाबों और कुंडों की सफाई की जिससे सामुदायिक सहभागिता को बल मिला है। सरकारी विभागों के साथ-साथ एनजीओ और स्थानीय समाज से जुड़े लोग भी इस अभियान का हिस्सा बनकर जल संरक्षण में सहयोग दे रहे हैं। गांवों में जल संरक्षण समितियाँ बनाकर उन्हें सक्रिय किया गया है। 

 अभियान के तहत  प्रदेश भर में जल संरक्षण के अनेक कार्य किये जा रहे हैं। बालाघाट जिले में सर्वाधिक 561 खेत तालाब बनाए गए हैं। प्रदेश में अनूपपुर जिला 275 खेत तालाब बनाकर दूसरे क्रम और अलीराजपुर जिला 216 खेत तालाब बनाकर तीसरे क्रम पर है। अमृत सरोवर निर्माण के लिए सिवनी जिले में सबसे अच्छा कार्य हुआ है। टीकमगढ़ में 70 प्राचीन तालाबों और 10 बावड़ियों के निकट क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाकर उन्हें स्वच्छ और सुंदर बनाने का कार्य हो रहा है। सागर में नदियों को पुनर्जीवित करने के कार्य भी किए जा रहे हैं। उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा के मार्ग में अभियान के तहत जल संरक्षण से संबंधित अनेक कार्यों को किया जा रहा है। आदिवासी झाबुआ जिले में कुओं की सफाई से जल स्तर में अपेक्षित सुधार हुआ है। यह  अभियान न केवल जल संकट से निपटने में सहायक होगा, बल्कि किसानों के लिए सिंचाई और पेयजल की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा।

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है जल प्रकृति का अमूल्य उपहार है जिसका संरक्षण और संवर्धन करना हम सभी की जिम्मेदारी है। हम अगर जल की बूंद-बूंद बचाएंगे, तभी हमारी सांसें बचेंगी। जल गंगा संवर्धन अभियान मध्यप्रदेश सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रही है। यह अभियान न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए जल संकट का समाधान प्रस्तुत करता है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और समृद्ध कल सुनिश्चित करता है।