Tuesday, 15 July 2025

डॉ. मोहन यादव के दुबई दौरे से खुली मध्यप्रदेश में निवेश की नई राहें

भारत का हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में औद्योगिक और आर्थिक प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उनके विजन और निवेशकों के प्रति सरकार की पारदर्शी नीतियों ने आज मध्यप्रदेश को देश के सबसे आकर्षक निवेश स्थलों में से एक बना दिया है। हाल के वर्षों में डॉ. यादव की विदेश यात्राओं और रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव जैसे नवाचारों ने राज्य में निवेश की लहर को बूस्टर डोज देने का काम किया है।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को निवेश के लिए बेहतर स्टेट बनाने के लिए 18 प्रकार की पारदर्शी औद्योगिक नीतियां लागू की हैं। इन नीतियों की बदौलत आज निवेशकों को सिंगल विंडो सिस्टम, बिजली बिलों में छूट, और जमीन आवंटन में आसानी जैसे लाभ प्राप्त हो रहे हैं। डॉ. यादव ने निवेशकों को आश्वासन दिया है कि मध्यप्रदेश में निवेश करने पर उन्हें किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। उनकी यह प्रतिबद्धता निवेशकों के बीच विश्वास जगाने में सफल रही है।


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने बेहद कम समय में निवेश, रोजगार सृजन और शहरी विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उनकी पारदर्शी नीतियां, वैश्विक मंचों पर सक्रिय भागीदारी और रोजगार व कौशल विकास पर विशेष जोर ने मध्यप्रदेश को आज भारत का सबसे प्रगतिशील राज्य बना दिया है। निवेश के लिए उनकी लगातार हो रही विदेश यात्राएं अब राज्य की आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन की दिशा में एक नया अध्याय लिख रही हैं। डॉ. यादव का यह मिशन मध्यप्रदेश को न केवल निवेश का केंद्र बनाएगा, बल्कि इसे धार्मिक, सांस्कृतिक पर्यटन के क्षेत्र में भी वैश्विक पहचान मिलेगी ।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने निवेश के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलताएं प्राप्त की हैं। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से लगभग 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा इंग्लैंड, जर्मन और जापान जैसे देशों से 78 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए जो राज्य में 3 लाख से अधिक रोजगार सृजन की संभावना को दर्शाते हैं। इन निवेशों ने मध्यप्रदेश को टेक्सटाइल, रिन्यूएबल एनर्जी, खाद्य प्रसंस्करण, और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में अग्रणी बनाने में मदद की है।हाल ही में लुधियाना में उद्योगपतियों के साथ हुए इंटरेक्टिव सेशन में मध्यप्रदेश को 15,606 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए जिससे 20,275 से अधिक रोजगार सृजित होंगे।

जहाँ एक तरफ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दुबई यात्रा ने देश के हृदयस्थल मध्यप्रदेश को वैश्विक निवेश के मानचित्र पर एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करने का कार्य किया है वहीँ दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दुबई दौरे ने मध्यप्रदेश में निवेश, रोजगार सृजन और तकनीकी सहयोग की दृष्टि से नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। यह दौरा आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यटन क्षेत्रों में मध्यप्रदेश की वैश्विक पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है।डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश अपनी औद्योगिक और आर्थिक प्रगति के लिए लगातार प्रयासरत रहा है। हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई नीतिगत सुधार किए हैं जिनमें उद्योग-अनुकूल नीतियां, रियायती भूमि आवंटन और पूंजीगत अनुदान जैसे प्रावधान शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ.यादव का दुबई दौरा भारत-यूएई व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने और मध्यप्रदेश को वैश्विक निवेश के लिए एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित करने में सफल साबित हुआ है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दुबई में कई प्रमुख वैश्विक कंपनियों और व्यापारिक संगठनों के साथ उच्च-स्तरीय बैठकें की जिनमें लुलु ग्रुप, सराफ डीजी, ईसा एआई अल गुरैर ग्रुप, गल्फ इस्लामिक इन्वेस्टमेंट्स, जी42 इंडिया और टाटा संस मिडिल ईस्ट जैसी कंपनियां शामिल रही। इन बैठकों में स्वास्थ्य, लॉजिस्टिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा हुई। इन बैठकों में मध्यप्रदेश में निवेश के संभावित क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), लॉजिस्टिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा पर चर्चा हुई। विशेष रूप से धार में पीएम मित्रा पार्क (वस्त्र), तामोट और बिलौआ में प्लास्टिक पार्क, उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क, पीथमपुर में ऑटो, भोपाल में इलेक्ट्रॉनिक्स, और देवास में फार्मा क्लस्टर जैसे परियोजनाओं को निवेशकों के सामने प्रस्तुत किया गया। गल्फ महाराष्ट्र बिजनेस फोरम और मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम) के साथ हुई चर्चाओं में आपसी सहयोग की नई संभावनाओं पर विचार किया गया। इसके अलावा जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के साथ बैठक में लॉजिस्टिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं पर जोर दिया गया।दुबई में आयोजित "इन्वेस्ट मध्यप्रदेश दुबई बिजनेस फोरम एंड नेटवर्किंग डिनर" इस दौरे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा जहाँ अपनी डिनर डिप्लोमैसी से डॉ. यादव ने निवेशकों को मध्यप्रदेश की औद्योगिक क्षमताओं और निवेश-अनुकूल नीतियों से अवगत कराया। एमपी की पर्यटन क्षेत्र में जबरदस्त ब्रांडिंग के लिए और भरपूर निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक राउंडटेबल बैठक का आयोजन भी किया गया जहाँ निवेशकों ने मध्यप्रदेश के पर्यटन की प्रशंसा की।

मध्यप्रदेश सरकार ने हाल के वर्षों में निवेश आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। डॉ. यादव ने बताया कि फरवरी 2025 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए जो राज्य की आर्थिक प्रगति का एक मजबूत संकेत है। इसके अलावा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के आयोजन से भी निवेश के लिए एमपी की जबरदस्त ब्रांडिंग हुई। दुबई दौरे के दौरान भी निवेशकों ने मध्यप्रदेश में विशेष रूचि दिखाई और कई महत्वपूर्ण निवेश प्रस्ताव सामने आए। दुबई दौरे में शराफ डीजी ग्रुप ने लॉजिस्टिक्स पार्क के लिए 30-50 मिलियन डॉलर का प्रस्ताव रखा जबकि कोनेरी ग्रुप ने 75 मिलियन डॉलर के स्टील प्लांट की योजना प्रस्तुत की। इसके अतिरिक्त इंदौर इंटरनेशनल बिजनेस नेटवर्क के एक कार्यक्रम में 25 से अधिक कंपनियों के सीईओ की उपस्थिति में सस्टेनेबल सिटी के लिए 1000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया गया। ये निवेश न केवल आर्थिक विकास को गति देंगे, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेंगे।

दुबई टेक्सटाइल सिटी के दौरे और टेक्समस एसोसिएशन के साथ इंटरएक्टिव सत्र में डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश के वस्त्र उद्योग की क्षमताओं को प्रस्तुत किया। विशेष रूप से धार में पीएम मित्रा पार्क और अन्य टेक्सटाइल क्लस्टरों को बढ़ावा देने की योजनाओं पर जोर दिया गया। इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में यूएई की विशेषज्ञता को मध्यप्रदेश की परियोजनाओं के साथ जोड़ने की संभावनाएं तलाशी गई। ग्रू एनर्जी और जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के साथ हुई चर्चाओं में सतत विकास और पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। डॉ.यादव ने दुबई टेक्सटाइल सिटी में टेक्समस एसोसिएशन परिसर का दौरा किया और वस्त्र उत्पादन तथा निर्यात गतिविधियों का भी अवलोकन किया। इस दौरान एक इंटरएक्टिव सत्र और नेटवर्किंग लंच में मध्यप्रदेश के टेक्सटाइल सेक्टर की क्षमताओं और पीएम मित्रा पार्क जैसी योजनाओं को प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त ग्रू एनर्जी जैसी अग्रणी ग्रीन एनर्जी कंपनी के साथ बैठक में सतत विकास और पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाओं पर मध्यप्रदेश की प्राथमिकताओं को साझा किया गया।

डॉ. यादव ने यूएई के विदेश व्यापार मामलों के मंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल ज़ियोदी के साथ भी एक महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें भारत-यूएई व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। भारत-यूएई सीईपीए (कम्प्रिहेंसिव इकोनॉमि पार्टनरशिप एग्रीमेंट) के तहत मध्यप्रदेश को निवेश और व्यापार के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस बैठक में भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के तहत मध्यप्रदेश की भूमिका पर चर्चा हुई। डॉ. यादव ने सौर ऊर्जा, स्मार्ट ऑटोमेशन, एम्बेडेड इलेक्ट्रॉनिक्स और इंडस्ट्री 4.0 जैसे क्षेत्रों में यूएई की विशेषज्ञता को मध्यप्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। इसके अतिरिक्त, एमिरेट्स एयरलाइंस और दुबई सिविल एविएशन अथॉरिटी के साथ हुई बैठकों में इंदौर और भोपाल से डायरेक्ट फ्लाइट्स और रीजनल कार्गो हब की स्थापना जैसे प्रस्तावों पर सहमति बनी।

डॉ. मोहन यादव का दुबई दौरा केवल आर्थिक और औद्योगिक पहलुओं तक सीमित नहीं रहा। डॉ. यादव ने दुबई में प्रवासी भारतीय समुदाय और फ्रेंड्स ऑफ एमपी के साथ भी संवाद किया जिसमें मध्यप्रदेश के पर्यटन की वैश्विक मंच पर ब्रांडिंग की गई। दुबई दौरे के दौरान उज्जैन, खजुराहो और सांची जैसे पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने की दिशा में सरकार ने कोई कोर- कसर नहीं छोड़ी। डॉ. यादव ने दुबई में रह रहे मध्यप्रदेश मूल के प्रवासी भारतीयों और फ्रेंड्स ऑफ एमपी के साथ संवाद किया। होटल अटलांटिस में आयोजित "ब्रांड मध्यप्रदेश" कार्यक्रम में राज्य की उपलब्धियों और विविधता को दर्शाने वाली लघु फिल्म और थीम प्रदर्शनी ने निवेशकों और प्रवासी भारतीयों का ध्यान आकर्षित किया।इस कार्यक्रम में उन्होंने राज्य की औद्योगिक नीतियों, बुनियादी ढांचे, और जन-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। प्रवासी भारतीयों को मध्यप्रदेश के विकास से जोड़ने के लिए विशेष अवसरों और योजनाओं पर प्रकाश डाला गया।

दुबई दौरे के दौरान कई कंपनियों ने मध्यप्रदेश में निवेश के लिए ठोस प्रस्ताव दिए। शराफ डीजी ग्रुप ने लॉजिस्टिक्स पार्क के लिए $30-50 मिलियन का निवेश प्रस्ताव रखा।कोनेरी ग्रुप ने 75 मिलियन डॉलर के स्टील प्लांट की स्थापना का प्रस्ताव दिया। बीडीओ ईजी ने भोपाल में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर और इंदौर में डिजिटल सेंटर की स्थापना की घोषणा की जिससे हजारों नौकरियां सृजित होंगी। इंदौर इंटरनेशनल बिजनेस नेटवर्क के साथ सस्टेनेबल सिटी के लिए 1000 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दुबई दौरे ने मध्यप्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं को मजबूत किया। प्रस्तावों के माध्यम से हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का दुबई दौरा मध्यप्रदेश के लिए एक फायदे का सौदा साबित हुआ है। दुबई दौरे ने न केवल वैश्विक निवेशकों के साथ संबंधों को मजबूत किया है बल्कि प्रदेश की औद्योगिक, सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमताओं को भी वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया है। मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने से अब विदेशी पर्यटकों की संख्या में बड़ी वृद्धि की उम्मीद है। पीएम मित्रा पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क और फार्मा क्लस्टर जैसे परियोजनाओं के लिए निवेश से मध्यप्रदेश में औद्योगिक बुनियादी ढांचा मजबूत होगा।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का दुबई दौरा मध्यप्रदेश के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है। इस यात्रा ने न केवल निवेशकों का विश्वास जीता, बल्कि मध्यप्रदेश को एक वैश्विक निवेश गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में तेजी से अपने कदम बढ़ाए हैं।टेक्सटाइल उद्योग, पर्यटन, ग्रीन एनर्जी और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं के साथ मध्यप्रदेश अब भारत की आर्थिक प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है जो देश के ह्रदयस्थल मध्यप्रदेश को ग्लोबल निवेश और विकास के नए युग में ले जाएगा।


Saturday, 12 July 2025

बिहार तक गूंजेगी मध्यप्रदेश के निषादराज सम्मेलन की गूँज

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में 12 जुलाई  को आयोजित हुआ निषादराज सम्मेलन न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसके गहरे सियासी मायने भी हैं।

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन  का उद्देश्य मछुआ समुदाय को सशक्त बनाना, उनकी परंपराओं का सम्मान करना और सामाजिक सदभाव को बढ़ावा देना है। निषादराज सम्मेलन रामायण के पात्र निषादराज गुह से प्रेरित रहा जिन्हें प्रभु श्री राम के प्रति उनकी भक्ति और समर्पण के लिए जाना जाता है।  निषादराज ने प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और सीता माता को गंगा पार करने में सहायता प्रदान की थी जिसे सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है। इस तरह के बड़े सम्मेलन का आयोजन देश के हृदयप्रदेश मध्यप्रदेश की  सांस्कृतिक नगरी उज्जैन में करके मोहन सरकार ने निषाद समुदाय को यह संदेश दे रही है कि वह  विरासत से विकास के अपने विजन पर मजबूती के साथ काम कर रही है। यह कदम सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस समुदाय के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।

मध्यप्रदेश में मछुआ समुदाय की आबादी विशेष रूप से उज्जैन, नरसिंहपुर और होशंगाबाद में उल्लेखनीय है। यह समुदाय परंपरागत रूप से मत्स्य पालन और नदी-आधारित आजीविका पर निर्भर है। हालांकि यह समुदाय ओबीसी समुदायों जितना प्रभावशाली नहीं है फिर भी यह कई विधानसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरणों को प्रभावित करता दिखाई देता है। निषादराज सम्मेलन के आसरे  भाजपा इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने और उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति को बेहतर करने की दिशा में अपने कदम मजबूती एक साथ प्रदेश की सियासत में बढ़ा रही है। 

मध्यप्रदेश आज मत्स्य उत्पादन और मछुआ समाज के सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना जैसे नवाचारों ने हजारों मछुआरों के जीवन में नई आशा की किरण जगाई है।  ड्रोन और जीपीएस प्रणाली जैसे नवाचार और योजनाएँ मध्यप्रदेश को मत्स्य पालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सधे हुए कदम हैं।  इससे  ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने  में भी मदद मिलेगी।  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 22 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि-पूजन और इंदिरा सागर बांध में लगभग 92 करोड़ लागत से 3360 केज परियोजना का वर्चुअल भूमि-पूजन किया और  कहा कि अब मछली पालन सिर्फ पारम्परिक कार्य नहीं, एक आधुनिक उद्योग है। इसमें निवेश बढ़ेगा, उत्पादन बढ़ेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा और सरकार  मस्त्य पालन के लिए मछुआरों को अनुदान देगी। इसमें निवेश बढ़ेगा, उत्पादन बढ़ेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा। 

सरकार के प्रयासों से  भोपाल में 40 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक एक्वा पार्क का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा इंदिरा सागर सहित अन्य जलाशयों में 3 लाख से अधिक केज स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भोपाल में 40 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक मछलीघर का निर्माण किया जा रहा है। आज प्रदेश में वर्तमान में 4.4 लाख हेक्टेयर में मछली पालन कार्य हो रहा है।वर्ष 2024-25 में प्रदेश का मछली उत्पादन 3.81 लाख मैट्रिक टन रहा। प्रदेश में लगभग 2 लाख से अधिक मत्स्य पालक पंजीकृत हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाया है, जिसका लाभ मछुआरों को भी मिल रहा है।

मध्यप्रदेश की सियासत में जातिगत समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति  वोटरों ने भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया था जिसके चलते कांग्रेस सत्ता में आई थी। हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुए दलबदल के बाद भाजपा ने फिर से सत्ता हासिल की। वहीँ 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद पार्टी 2028 के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों  के लिए अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है। डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व  में  निषाद समुदाय को साधने का प्रयास इसी रणनीति का हिस्सा है।  यह समुदाय एक दौर में परंपरागत रूप से कांग्रेस या अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ जुड़ा रहा है अब  बिहार ,बंगाल, यूपी जैसे राज्यों के चुनावों में भाजपा के लिए संजीवनी बन सकता है। 

डॉ. मोहन यादव ने निषादराज के आयोजन  से एक तीर से दो निशाने खेलने की कोशिश की है। पहला सम्मेलन केवल निषाद समुदाय तक सीमित नहीं है। इसका सन्देश अन्य समुदायों में भी जाएगा जिनकी संख्या प्रदेश में कम है। दूसरा यह सम्मेलन मोदी सरकार की सामाजिक समरसता और समावेशी विकास की दिशा में एक नई लकीर खींचेगा जिसकी गूंज आने वाले बिहार चुनावों में भी कैश कराने की कोशिश होगी। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से लगभग 45 सीटों पर निषाद और मांझी जातियों का प्रभाव माना जाता है जो राज्य में किंगमेकर मानी जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में दलित, पिछड़ा और आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में लाने की बात कही है। यह सम्मेलन उसी दिशा में एक कदम है जो सामाजिक  समरसता को बढ़ावा देने के साथ-साथ  'सबका साथ- सबका विकास और सबका विश्वास ' की  छवि को मजबूत करता है। इसके अलावा  बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में इस तरह के बड़े आयोजन का होना  विरासत से विकास के पीएम मोदी के विजन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

मध्यप्रदेश की सियासत में निषादराज सम्मेलन का आयोजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक है जो निषाद समुदाय के सशक्तिकरण के साथ-साथ बिहार में भाजपा के निषाद और मांझी वोटबैंक को मजबूत करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की महाकाल की नगरी उज्जैन में उपस्थिति और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं की घोषणा इस समुदाय को यह विश्वास दिलाने का प्रयास है कि भाजपा मछुआ समुदाय के हितों के प्रति संवेदनशील है। 2023 के चुनावों में कांग्रेस ने भी मछुआ समुदाय को लुभाने के लिए कई वादे किए थे लेकिन सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। अब निषादराज सम्मेलन के जरिए भाजपा द्वारा इस समुदाय को देने वाली सौगातें विपक्षी दलों की भविष्य में मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। 

बिहार में भी मछुआ समुदाय की आबादी भी  आगामी चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राज्य के 38 जिलों में मछुआ समुदाय विभिन्न क्षेत्रों में अपनी आजीविका के लिए मत्स्य पालन पर निर्भर है। मध्यप्रदेश में निषादराज सम्मेलन के सफल आयोजन की गूंज अब बिहार के गाँवों और पंचायतों तक पहुंचना तय है। मध्यप्रदेश में निषादराज सम्मेलन के माध्यम से लिए गए निर्णयों को भाजपा आगामी बिहार चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी करेगी जिसके केंद्र में उसके स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रहेंगे। मध्यप्रदेश सरकार के इस आयोजन ने यह दिखाया  है कि परंपराओं का सम्मान और  विकास एक साथ चल सकते हैं। बिहार अब इस एमपी मॉडल को अपनाकर भविष्य में अपने मछुआ समुदाय को सशक्त बना सकता है। इस सम्मेलन ने निषाद समाज की परंपराओं को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने का बेहतरीन प्रयास किया है। 



Tuesday, 24 June 2025

भारत की महान वीरांगना ‘रानी दुर्गावती’

रानी दुर्गावती का नाम भारत की उन महानतम वीरांगनाओं की  सबसे आगे आता है जिन्होंने मातृभूमि और अपने आत्मसम्मान की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया। रानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीरत सिंह की पुत्री और गोंड राजा दलपत शाह की पत्नी थी। इनका राज्य क्षेत्र दूर-दूर तक फैला था। रानी दुर्गावती बहुत ही कुशल शासिका थीं इनके शासन काल में प्रजा बहुत सुखी थी और राज्य की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। इनके राज्य पर ना केवल अकबर बल्कि मालवा के शासक बाजबहादुर की भी नजर थी। रानी ने अपने जीवन काल में कई युद्ध लड़े और उनमें विजय भी पाई।

रानी दुर्गावती का जन्म चंदेल राजा कीरत राय (कीर्तिसिंह चंदेल) के परिवार में कालिंजर के किले में 5 अक्टूबर 1524 में हुआ था। राजा कीरत राय की पुत्री का जन्म दुर्गा अष्टमी के दिन होने के कारण उसका नाम दुर्गावती रखा गया। वर्तमान में कालिंजर उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में आता है। इनके पिता राजा कीरत राय का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता था इनका सम्बन्ध उस चंदेल राज वंश से था राजा विद्याधर ने महमूद गजनबी को युद्ध में खदेड़ा था और विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर का निर्माण करवाया। कन्या दुर्गावती का बचपन उस माहोल में बीता जिस राजवंश ने अपने मान सम्मान के लिये कई लड़ाईयां लड़ी। कन्या दुर्गावती ने इसी कारण बचपन से ही अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी प्राप्त की।

दुर्गावती जब विवाह योग्य हुई तब 1542 में उनका विवाह गोंड राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह के सांथ संपन्न हुआ। राजा संग्राम शाह का राज्य बहुत ही विशाल था उनके राज्य में 52 गढ़ थे और उनका राज्य वर्तमान मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर , होशंगाबाद, भोपाल, सागर, दमोह और वर्तमान छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों तक फैला था। गोंड राजवंश और राजपूतों के इस मेल से शेरशाह सूरी को करार झटका लगा। शेरशाह सूरी ने 1545 को कालिंजर पर हमला कर दिया और बड़ी मुश्किल से कालिंजर के किले को जीतने में सफल भी हो गया, परन्तु अचानक हुए बारूद के विस्फोट से वह मारा गया। 1545 में रानी दुर्गावती ने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र का नाम वीरनारायण रखा गया। 1550 में राजा दलपत शाह की मृत्यु हो गई। इस दु:ख भरी घड़ी में रानी को अपने नाबालिग पुत्र वीर नारायण को राजगद्दी पर बैठा कर स्वयं राजकाज की बागडोर संभालनी पड़ी।

शेरशाह सूरी के कालिंजर के दुर्ग में मरने के बाद मालवा पर सुजात खान का अधिकार हो गया। जिसे उसके बेटे बाजबहादुर ने सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया। गोंडवाना राज्य की सीमा मालवा को छुति थी और रानी के राज्य की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। मालवा के शासक बाजबहादुर ने रानी को महिला समझकर कमजोर समझा और गोंडवाना पर आक्रमण करने की योजना बनाई। 1556 में बाजबहादुर ने रानी दुर्गावती पर हमला कर दिया। रानी की सेना बड़ी बहादुरी के सांथ लड़ी और बाजबहादुर को युद्ध में हार का सामना करना पड़ा और रानी दुर्गावती की सेना की जीत हुई। युद्ध में बाजबहादुर की सेना को बहुत नुकसान हुआ। इस विजय के बाद रानी का नाम और प्रसिद्धी और अधिक बढ़ गई।

1562 ईसवी में अकबर ने मालवा पर आक्रमण कर मालवा के सुल्तान बाजबहादुर को परास्त कर मालवा पर अधिकार कर लिया। अब मुगल साम्राज्य की सीमा, रानी दुर्गावती के राज्य की सीमाओं को छूने लगी थीं।वहीं दूसरी तरफ अकबर के आदेश पर उसके सेनापति अब्दुल माजिद खान ने रीवा राज्य पर भी अधिकार कर लिया। अकबर अपने साम्राज्य को और अधिक बढ़ाना चाहता था। इसी कारण वह गोंडवाना साम्राज्य को हड़पने की योजना बनाने लगा। उसने रानी दुर्गावती को संदेश भिजवाया कि वह अपने प्रिय सफेद हांथी सरमन और सूबेदार आधार सिंह को मुगल दरवार में भेज दे। रानी अकबर के मंसूबों से भली भांति परिचित थी उसने अकबर की बात मानने से साफ इंकार कर दिया और अपनी सेना को युद्ध की तैयारी करने का आदेश दिया। इधर अकबर ने अपने सेनापति आसफ खान को गोंडवाना पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया। जैसे ही मुगल सेना ने घाटी में प्रवेश किया रानी के सैनिकों ने उस पर धावा बोल दिया। लड़ाई में रानी की सेना के फौजदार अर्जुन सिंह मारे गये अब रानी ने स्वयं ही पुरुष वेश धारण कर युद्ध का नेतृत्व किया दोनों तरफ से सेनाओं को काफी नुकसान हुआ। शाम होते होते रानी की सेना ने मुगल सेना को घाटी से खदेड़ दिया और इस दिन की लड़ाई में रानी दुर्गावती की विजय हुई।

वर्तमान में देश के हृदय स्थल मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में जबलपुर और मंडला रोड पर स्थित बरेला के पास नारियानाला वह स्थान है जहां रानी दुर्गावती वीरगती को प्राप्त हुईं थी। अब इसी स्थान के पास बरेला में रानी दुर्गावती का समाधि स्थल है। प्रतिवर्ष 24 जून को रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर लोग इस स्थान पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर पिछली बार जबलपुर पहुंचे। यहां उन्होंने रानी दुर्गावती स्मारक की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने रानी दुर्गावती पर स्मारक डाक टिकट का लोकार्पण किया साथ ही पीएम ने रानी दुर्गावती पर सिक्के भी जारी किए।

Sunday, 22 June 2025

जीवन जीने की कला का नाम योग

योग जिसका शाब्दिक अर्थ है जोड़ या मिलन न केवल शारीरिक व्यायाम का एक रूप है, बल्कि यह जीवन को संतुलित, स्वस्थ और सार्थक ढंग से जीने की कला भी है। यह प्राचीन भारतीय दर्शन और अभ्यास है, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। योग केवल आसन या शारीरिक मुद्राओं तक सीमित नहीं है यह ध्यान, प्राणायाम, नैतिक अनुशासन और आध्यात्मिक विकास का एक समग्र मार्ग है। 

भारत की पुण्य सलिला भूमि अनादिकाल से  योग भूमि के रूप में विख्यात रही है लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2015 से हर वर्ष 21 जून को  अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा के बाद लगभग पूरी दुनिया जान चुकी है कि जीवन जीने की कला का नाम योग है। स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा का नाम योग है।  21 जून को उत्तरी गोलार्ध पर सबसे बड़ा दिन होता है। इसी दिन सूर्य अपनी स्थिति बदल कर दक्षिणायन होते हैं। तपस्वियों की गहन तपस्या से यह माटी धन्य है जो अनेक साधना के शिखर पुरुषों की साक्षी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयत्नों से आज भारत आज पूरे विश्व में  भारत का योग एक बड़े  वैश्विक फलक  में उभर कर आया है जो सम्पूर्ण मानवता  के लिए एक शुभ संकेत है। 

योग का अभ्यास जीवन में शांति, संतुलन और आत्म-जागरूकता लाता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां तनाव, चिंता और शारीरिक रोग आम हो गए हैं, योग एक ऐसी कला के रूप में उभरता है जो हमें इन चुनौतियों से निपटने में मदद करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है। योग के आसन शरीर को लचीला बनाते हैं और मांसपेशियों को मजबूत करते हैं।नियमित योग अभ्यास रक्त संचार को बेहतर बनाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और अन्य शारीरिक समस्याओं में योग से राहत मिलती है।प्राणायाम और ध्यान तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद करते हैं। योग के अभ्यास से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। योग आत्मविश्वास और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर सकता है। योगमय जीवन से सभी के मन में सकारात्मकता का संचार किया जा सकता है। योग कोई धार्मिक कर्मकांड  नहीं है इसीलिए तो  योगः कर्मषु कौशलम् कहा गया है। 

आज विदेश में योग के प्रति लोगों की रूचि अब बढ़ रही है। इसे घर- घर तक टेलीविजन माध्यम से पहुंचाने में बाबा रामदेव की भी बड़ी भूमिका है। अच्छी बात ये है कि आज तेजी से भागती दौड़ती जिंदगी में सारी दुनिया योग के महत्व को पहचान और जान रही है। योग से न सिर्फ तनाव कम होता है बल्कि मन में सकारात्मकता का संचार होता है। देश के अधिकांश युवा आज आधुनिक जीवन शैली और सोशल मीडिया के दौर में खराब  खान पान की आदतों के कारण बहुत कम आयु में ही मधुमेह ,ब्लड प्रेशर, कैंसर, सरवाइकल  जैसे रोगों के शिकार हो रहे हैं। उन्हें  स्मार्ट फोन की रील्स  ने इतना व्यस्त कर दिया है कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतन करने का समय तक नहीं निकाल पा रहे हैं। चलना -फिरना और घूमना भी लोगों का बहुत कम हो गया है और इंसान की जिंदगी ऑनलाइन लाइक्स पर ही मानो टिक गयी है। ऐसे में योग ही है जो सभी का जीवन संवार सकता है। योग मनुष्य को पवित्र बनाता है।

योग जीवन का अन्तर्दर्शन कराता है। योग मनुष्य जीवन की विसंगतियों पर नियंत्रण का बेहतरीन माध्यम है। योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध करता है। योग के नियमित अभ्यास से हम अपने जीवन में संतुलन, शांति और सकारात्मकता ला सकते हैं। यह एक ऐसा मार्ग है, जो हमें स्वयं से जोड़ता है और हमें जीवन के हर पहलू में उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।
 
यजुर्वेद में की गई पवित्रता-निर्मलता की यह कामना हर योगी के लिए काम्य है कि ‘देवजन मुझे पवित्र करें, मन में सुसंगत बुद्धि मुझे पवित्र करें, विश्व के सभी प्राणी मुझे पवित्र करें, अग्नि मुझे पवित्र करे।' इसलिए योग के पथ पर अविराम गति से वही साधक आगे बढ़ सकता है जो चित्त की पवित्रता एवं निर्मलता के प्रति पूर्ण जागरूक हो क्योंकि निर्मल चित्त वाला व्यक्ति ही योग की गहराई तक पहुंच सकता है। योग कोई धार्मिक कर्मकांड न नहीं है इसीलिए तो ‘योगः कर्मषु कौशलम्’ कहा गया है। गीता ‘योग क्षेम वहाम्यहं’ का उद्घोष करती है जिसका अर्थ है- अप्राप्त कोे प्राप्त करना और प्राप्त की रक्षा करना। सद्गुण को बांटना और दुर्गुण को नष्ट करना भारतीय संस्कृति की मूल है। योग कला, विज्ञान और दर्शन है जो जनता को आत्मानुभूति कराने में मदद करता है।  

योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना सरल है। सुबह के समय 15-20 मिनट का योग अभ्यास दिन की शुरुआत को ऊर्जावान और सकारात्मक बना सकता है। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और कपालभाति मन को शांत करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त, योग के नैतिक सिद्धांत जैसे अहिंसा, सत्य, और संतोष को अपनाकर हम अपने जीवन को और अधिक अर्थपूर्ण बना सकते हैं।महर्षि पंतजलि के अनुसार, ‘योगश्चित्त वृत्तिनिरोधः’’ अर्थात चित्त की वृत्तियों को रोकने का नाम योग है। हम सभी को भी अपने चित्त से योग के विरोध की वृत्ति का त्याग कर स्वस्थ,सुदीर्घ जीवन के लिए प्रयास अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर करने चाहिए।


Friday, 13 June 2025

लगातार आ रहा है निवेश,मोहन के नेतृत्व में तेजी से आगे बढ़ता मध्यप्रदेश


देश का हृदयस्थल कहा जाने वाला मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में निवेश और विकास के क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बीते डेढ़ बरस के छोटे से समय  में उनकी दूरदर्शी नीतियों, स्पष्ट प्रशासनिक दृष्टिकोण और निवेशक-अनुकूल रणनीतियों ने प्रदेश को औद्योगिक और आर्थिक प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में निवेश की गति धुआंधार रही है और विकास तेजी से हो रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को निवेश के लिए आदर्श गंतव्य बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इसका जीता जागता उदाहरण रहा जहाँ मोहन का मैजिक इस कदर चला कि इस समिट में 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए जो प्रदेश के आर्थिक विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे पहले भी एमपी में निवेशक सम्मेलन आयोजित होते रहे लेकिन बड़े निवेश के प्रस्ताव राज्य को नहीं मिल पाए। डॉ. मोहन यादव की मजबूत इच्छा शक्ति का परिणाम है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से उन्होनें देश और दुनिया में एमपी की पताका फहरा दी। इन निवेश प्रस्तावों से लगभग 21 लाख रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है,जो एक रिकार्ड है। इस समिट में विभिन्न क्षेत्रों जैसे एविएशन, आईटी, कृषि और शहरी विकास में निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। मोहन के नेतृत्व में मध्यप्रदेश अब केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए भी एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य प्रदेश के हर कोने में औद्योगिक विकास को गति देना है। उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर , नर्मदापुरम जैसे शहरों में आयोजित इन कॉन्क्लेव्स ने स्थानीय स्तर पर निवेशकों को आकर्षित किया है। ये कॉन्क्लेव न केवल राज्य में व्यापक निवेश को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि इससे स्थानीय उद्यमियों और छोटे-मध्यम उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने एमएसएमई सेक्टर के लिए 5000 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की है, जिससे छोटे निवेशकों की बांछे खिल गई हैं। मोहन सरकार ने अपने कार्यकाल में औद्योगिक विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है जिसमें औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा देने के साथ स्मार्ट औद्योगिक टाउनशिप विकसित करने पर जोर दिया गया है। इस पहल से रोजगार के नए अवसर न केवल मिलेंगे बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

मध्यप्रदेश बहुत जल्द ड्रोन निर्माण का बड़ा हब भी बनने जा रहा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए मोहन सरकार ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति 2025 को मंजूरी दी है जिससे नए स्टार्ट अप कंपनियों और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने ड्रोन स्कूल खोने की बड़ी कार्ययोजना भी तैयार की है जिसके माध्यम से युवाओं को ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे राज्य में रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे।

डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को न केवल औद्योगिक, बल्कि आध्यात्मिक और वेलनेस हब के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। पिछले दिनों उज्जैन में आयोजित स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट 2025 में 1950 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इस समिट ने मध्यप्रदेश को भारत के वेलनेस मिशन का नेतृत्व करने वाला राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में मेडिसिटी की स्थापना और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के साथ समझौता इस दिशा में उनकी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन जैसे आध्यात्मिक संगठनों ने भी उज्जैन में केंद्र स्थापित करने के लिए पत्र सौंपा है जो प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को और समृद्ध करेगा।

मध्यप्रदेश शहरी विकास के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सात स्मार्ट सिटी, 80% पाइप जलापूर्ति और 6000 किलोमीटर शहरी सड़कों का विकास इसकी गवाही देता है। शहरी विकास में 88 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं जिनमें 50 हजार करोड़ रुपये से 10 लाख नए आवासों की योजना शामिल है। ये प्रयास मध्यप्रदेश को निवेशकों और डेवलपर्स के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने पर पहले से ही विशेष जोर दिया है। आज मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली, उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हैं। अब प्रदेश में उद्योग-अनुकूल नीतियां निवेशकों को इन दिनों खूब लुभा रही हैं। इसके अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों के लिए कस्टमाइज्ड नीतियां , सिंगल विंडो सिस्टम को प्रोत्साहन और विभिन्न विभागों की तरफ से विशेष सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है, जो निवेशकों के लिए अतिरिक्त बूस्टर डोज का काम कर रहा है। नीति आयोग ने भी मध्यप्रदेश को तेजी से प्रगति करने वाले राज्यों में अग्रणी माना है जो मुख्यमंत्री डॉ. यादव के दूरदर्शी नेतृत्व की व्यापक प्रभावशीलता को दिखा रहा है।

मध्यप्रदेश अब नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना  प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जो केंद्र सरकार की पीएम कुसुम योजना के तहत संचालित की जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ना है ताकि किसानों को दिन के समय सस्ती और स्थायी बिजली उपलब्ध हो सके। यह योजना न केवल किसानों को सिंचाई के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करती है बल्कि उन्हें सौर ऊर्जा के उत्पादक के रूप में भी सशक्त बनाती है। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है जो अपने सभी कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ेगा। आज  प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 15 गुना बढ़ चुकी है जिसमें सौर ऊर्जा में 48 प्रतिशत और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अब तक प्रदेश में 80 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं जिनसे 16,000 से अधिक कृषि पंप सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त 240 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापना के चरण में हैं और 200 मेगावाट की परियोजनाएं प्रक्रियाधीन हैं। कुल मिलाकर, 520 मेगावाट की परियोजनाओं से 1 लाख से अधिक पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा।

10 जून 2025 को भोपाल में आयोजित पहली सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। इस समिट में देश और प्रदेश के 350 से अधिक निवेशकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया जो प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। समिट में  सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जिसमें छोटे और बड़े दोनों प्रकार के निवेशकों ने उत्साह दिखाया। सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना ने मध्यप्रदेश में निवेश और रोजगार की दिशा में एक नया द्वार खोला है। समिट में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की संभावना व्यक्त की गई जो न केवल सौर ऊर्जा क्षेत्र में बल्कि आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन मध्यप्रदेश को 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 6% योगदान देने वाला राज्य बनाना है। भारतीय उद्योग परिसंघ की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2047-48 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। डॉ. यादव का कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व मध्यप्रदेश को न केवल औद्योगिक और शहरी विकास में बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी एक वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना  है  कि सोलर एनर्जी से किसानों की जीवन-शैली भी बदलेगी। सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाते हुए बिजली के बिल से मुक्ति दिलाएगी। आगामी तीन वर्ष में 32 लाख सोलर पंप कनेक्शन लगाए जाएंगे। वर्ष 2025 तक प्रदेश के सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाए जाएंगे। 

डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में एमपी तेजी से निवेश और विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और क्षेत्रीय कॉन्क्लेव्स के माध्यम से अब तक 75 हजार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति 2025 , सूर्य मित्र कृषि फीडर समिट, स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट सरीखी पहल ने मध्यप्रदेश को निवेशकों के लिए न केवल एक आदर्श डेस्टिनेशन बनाया है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत बनाने की दिशा में यह एक सधा हुआ कदम है।

Tuesday, 3 June 2025

अब राजा भभूत सिंह के योगदान को याद करेगा मध्यप्रदेश

देश के ह्रदयप्रदेश मध्यप्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में 3 जून 2025 को मोहन कैबिनेट की एक विशेष बैठक का आयोजन होने जा रहा है। यह बैठक न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। मोहन सरकार की यह कैबिनेट बैठक  जनजातीय नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा भभूत सिंह की स्मृति में आयोजित की जा रही है।  मोहन सरकार की  डेस्टिनेशन कैबिनेट को गति देने की एक बड़ी कार्ययोजना है जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन महत्व के स्थानों को प्रचारित करना और उनके विकास को बढ़ावा देना है।

मनमोहक प्राकृतिक सुषमा का धनी है पचमढ़ी  

पचमढ़ी, जो सतपुड़ा की वादियों में बसा मध्य प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़ा हुआ है। पचमढ़ी में जिस स्थान को कैबिनेट मीटिंग के लिए तय किया गया है वह पूरी तरह प्रकृति की गोद में है और  हरियाली से घिरा हुआ है। पचमढ़ी में जब भी प्रदेश सरकार की कोई बड़ी मीटिंग रखी जाती है तो इस स्थान का महत्व काफी ज्यादा रहता है। पचमढ़ी भगवान भोलेनाथ की नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है। पचमढ़ी की धूपगढ़ चोटी समुद्र तल से लगभग 1,350 मीटर (4,429 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थल सतपुड़ा पर्वतमाला का प्रमुख आकर्षण है। धूपगढ़ से दिखाई देने वाला सूर्योदय और सूर्यास्त न केवल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता है, बल्कि यह स्थल गोंड साम्राज्य की रणनीतिक शक्ति और प्राकृतिक संरक्षण दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। पचमढ़ी मध्‍यप्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन भी है। मंत्रि-परिषद की बैठक का आयोजन प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह पचमढ़ी की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को सम्मानित करने का अवसर है।

विरासत से विकास का संगम, जन -जन के मन को भाये मोहन 

 इस बैठक में मध्य प्रदेश के विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने की संभावना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पचमढ़ी में मप्र पर्यटन विभाग के 12 करोड़ 49 लाख रुपए के 5 विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे। वे यहां 21 करोड़ 39 लाख के 6 विकास कार्यों का भूमिपूजन भी करेंगे।महिला सशक्तिकरण अंतर्गत जटाशंकर एवं पांडव केव्स पर पिंक टॉयलेट लाउंज सुविधा जो 19 लाख रुपए की लागत से निर्मित की गई का लोकार्पण करेंगे।10 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित जयस्तंभ क्षेत्रांतर्गत मागों के दोनों ओर पाथवे विकास, 60 लाख रुपए की लागत से निर्मित धूपगढ़ पर जल प्रदाय के लिए जलगली से धूपगढ़ तक पाइप लाइन एवं पंप हाउस, 35 लाख रुपए की लागत से निर्मित पचमढ़ी के प्रवेश द्वार का सौंदर्याकरण, 1 करोड़ 35 लाख रुपए की लागत से निर्मित पर्यटन की इकाई सतपुडा रिट्रीट में किचन एवं रेस्टोरेंट नवीनीकरण तथा स्वीमिंग पूल का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री 1 करोड़ 98 लाख रुपए की लागत से बनाए जाने वाले हांडी खो पर पर्यटकों की सुरक्षा व सुविधाएं विकसित करने, 2 करोड़ 13 लाख रुपए की लागत सतपुडा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत पर्यटक स्थलों पर बुनियादी सुविधा के विकास कार्य का, 34 लाख रुपए लागत के पॉलिथिन मुक्त पचमढी की इकाइयों के लिए कांच की बोतल में आरओ जल प्रदाय प्लांट की स्थापना सहित अन्य कार्यों का लोकार्पण करेंगे।

 राजा भभूत सिंह के योगदान को मोहन का सम्मान
 
 इस बैठक का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक निर्णय लेना है, बल्कि पचमढ़ी जैसे स्थानों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना भी है।  ‘विरासत के साथ विकास’ की कड़ी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक को  राजा भभूत सिंह को समर्पित किया है। इसके  माध्यम से राजा भभूत सिंह की ऐतिहासिक विरासत को संजोने का एक बेहतरीन प्रयास शुरू होगा। यह डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठकों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसके तहत सरकार राज्य के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर बैठकें आयोजित कर रही है। इससे पहले जबलपुर में रानी दुर्गावती और इंदौर में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति में भी ऐसी बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। यह पहल न केवल राजा भभूत सिंह की ख्याति को पूरे प्रदेश में बढ़ाएगी, बल्कि आदिवासी समुदाय के योगदान को भी रेखांकित करेगी।

 मोहन के प्रयासों से राजा भभूत सिंह का नाम सबकी जुबां पर चढ़ेगा 

 पचमढ़ी की महादेव चौरागढ़ पहाड़ियों में राजा भभूत सिंह की वंश परंपरा के पूर्वज अजीत सिंह थे। इस भोपा गोत्र के मवासी कोरकू ठाकुर वंश की पचमढ़ी शाखा के जागीरदार ठाकुर मोहन सिंह ने 1819-20 में भी अंग्रेजों के विरुद्ध नागपुर के राजा अप्पा साहेब भोसले का तन मन धन से सहयोग किया था। अपने पूर्वजो के पदचिन्हों पर चलते हुए युवा राजा भभूत सिंह ने भी 1857 की क्रांति के नेता तात्याटोपे के आव्हान पर 1858 में भारत के प्रथम सशस्त्र स्वातंत्र्य समर में कूदने का निर्णय लिया था। राजा भभूत सिंह अपने बड़े बूढ़े के मुख से अंग्रेजों के विरुद्ध नागपुर राजा अप्पासाहेब भोंसले के सशस्त्र संग्राम में स्थानीय जनजातीय सूरमाओं के सहयोग की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए थे।राजा भभूत सिंह  नर्मदांचल के शिवाजी के रूप में जाने जाते थे। आजादी की पहली लड़ाई में पचमढ़ी के आसपास अंग्रेजों को छापामार युद्ध से कई बार धूल चटाई थी। पचमढ़ी में राजा भभूत सिंह और तात्या टोपे ने मिलकर आजादी के आंदोलन का नया शंखनाद किया। हर्राकोट राईखेड़ी वंश के वीर राजा भभूत सिंह का  देनवा घाटी में जब अंग्रेजी मिलिट्री और मद्रास इन्फेंट्री की टुकड़ियों से युद्ध हुआ तो राजा भभूत सिंह ने अपनी छापामार युद्ध नीति के चलते  अंग्रेजी सेना को बुरी तरह धूल  चटाने का काम किया। 1860 में राजा भभूत सिंह को जबलपुर में  मौत की सजा सुनाई गई। डॉ. मोहन यादव की  कैबिनेट बैठक के इस आयोजन से पचमढ़ी के गौरवशाली नायक की  गाथा  जन-जन की जुबान पर चढ़ेगी।  यह आयोजन पचमढ़ी के प्राकृतिक सौंदर्य और जनजातीय समाज की समृद्ध परंपराओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगा।

 3 जून 2025 को पचमढ़ी में होने वाली मोहन कैबिनेट की बैठक मध्यप्रदेश के लिए एक  बड़ी महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल राज्य के विकास और सुशासन को बढ़ावा देगी, बल्कि राजा भभूत सिंह जैसे जनजातीय नायकों के योगदान को भी सम्मानित करेगी। इस आयोजन के माध्यम से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव  ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं जिसमें विरासत  के साथ विकास का बेहतरीन समन्वय देखा जा रहा है।  

राजभवन पचमढ़ी गौरवशाली अतीत और विरासत का प्रतीक


सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध पचमढ़ी अपने नैसर्गिक सौंदर्य, प्राकृतिक सुषमा  और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है। राजभवन पचमढ़ी  न केवल एक प्रशासकीय भवन है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व का अनूठा संगम भी है। यह मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले (वर्तमान में नर्मदापुरम) में स्थित पचमढ़ी नामक खूबसूरत हिल स्टेशन पर समुद्र तल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर बसा है।राजभवन, इस प्राकृतिक वैभव के बीच, एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में अपनी विशेष पहचान रखता है।


प्राकृतिक और प्रशासनिक महत्व 

राजभवन पचमढ़ी के पठार पर 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसके चारों ओर घने जंगल, झरने, और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक शांत और मनोरम स्थान बनाती है। यह स्थान ग्रीष्मकाल में ठंडी और सुखद जलवायु प्रदान करता है, जिसके कारण इसे ब्रिटिश काल में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था।पचमढ़ी राजभवन मध्यप्रदेश के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन आधिकारिक आवास है जो अपनी ऐतिहासिक विरासत,  स्थापत्य कला  और प्राकृतिक विशेषताओं के लिए जाना जाता  है।

 इस राजभवन का निर्माण 1887 में ब्रिटिश काल के दौरान  हुआ था।  उस दौर में जब पचमढ़ी मध्यप्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। उस समय यहाँ उच्च अधिकारियों और मंत्रियों की बैठकों के लिए उपयोग किया जाता था। पचमढ़ी के ब्रिटिश शासनकालीन इतिहास को दर्शाने वाली यह इमारत आज भी  प्रशासनिक महत्व को संजोए हुए है।

खूबसूरत बगीचे और हरियाली  22.84 एकड़ क्षेत्र में फैला  राजभवन 

यह विशाल राजभवन यह 22.84 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें खूबसूरत बगीचे और हरियाली शामिल है। इसका डिज़ाइन क्लासिकल यूरोपीय शैली में किया गया है, इमारत की लागत उस समय 91,344 रुपये थी।  राजभवन  पचमढ़ी में मुख्य भवन के अतिरिक्त डांस  हाल का निर्माण 1910 -11 में 20,770 रु की लगात से हुआ। तब  यह सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए उपयोग किया जाता था।1912 में इसके काउंसिल चैंबर का निर्माण 14392 रु की लागत से हुआ।  यह भवन अब दरबार हाल के नाम से जाना जाता है। तब यह  बैठकों और औपचारिक समारोहों के लिए बनाया गया था। 1933 से 1958 के बीच इसमें कई संशोधन और नवीकरण किए गए। इसके अतिरिक्त इस परिसर में  सचिव निवास (बी बंगा ), ए.डी.सी निवास, कैम्प हाल , कैम्प हेड क्लर्क क्वार्टर , अस्तबल , विद्युत् पावर हाउस , एलिफेंट हाउस , महावत  हाउस , टाइगर हाउस और  कर्मचारियों के लिए क्वार्टर भी हैं, जो इसकी व्यापक संरचना को दर्शाते हैं। राजभवन का उपयोग मध्य प्रदेश के राज्यपाल के ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में किया जाता है। 

राजभवन की वास्तुकला औपनिवेशिक शैली को दर्शाती है, जिसमें विशाल लॉन, ऊंचे पेड़ और सुंदर भवन शामिल हैं। दुर्बार हॉल और डांस हॉल जैसे हिस्से इसके ऐतिहासिक वैभव को प्रदर्शित करते हैं। राजभवन परिसर में राज्यपाल के सचिव, सहायक (ADC) और अन्य कर्मचारियों के लिए आवास भी हैं। यह परिसर न केवल प्रशासकीय कार्यों के लिए उपयोगी है, बल्कि महत्वपूर्ण बैठकों और समारोहों का भी केंद्र रहा है।  1967 तक पचमढ़ी मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही, और राजभवन राज्यपाल के साथ-साथ मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए भी आवास का केंद्र रहा।

 प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का भी प्रतीक


राजभवन पचमढ़ी सतपुड़ा पर्वतमाला की घाटियों में बसा है, जो इसे एक अनूठा प्राकृतिक आकर्षण प्रदान करता है। यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है जहां दुर्लभ वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विविधता देखने को मिलती है। इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता जैसे अप्सरा विहार, रजत प्रपात, और पांडव गुफाएँ, इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक ब्रिटिश काल की वास्तुकला और पचमढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।पचमढ़ी का राजभवन न केवल एक ऐतिहासिक और स्थापत्य दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारत है बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का भी प्रतीक है। इसका ब्रिटिशकालीन इतिहास, विशाल क्षेत्र और सतपुड़ा की रानी के रूप में पचमढ़ी की खूबसूरती इसे एक अनूठा स्थल बनाती है। 


2022 में  हुआ था  चिंतन शिविर  उसी स्थान पर मोहन कैबिनेट का  होगा मंथन 

मध्यप्रदेश की तत्कालीन  शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 26-27 मार्च 2022 को पचमढ़ी में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया था । यह चिंतन शिविर भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पचमढ़ी में आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य राज्य सरकार की योजनाओं की समीक्षा करना, नई रणनीतियों पर विचार-मंथन करना और आगामी 2023 विधानसभा चुनावों की तैयारियों को गति देना था। यह आयोजन मंत्रिपरिषद के सदस्यों, विभागीय अधिकारियों और अन्य हितधारकों के बीच गहन चर्चा और जनहितकारी योजनाओं को प्रभावी बनाने का एक प्रभावी मंच बना।  उसी जगह मोहन सरकार अपनी  कैबिनेट कर  रही है। 3 जून 2025 को राजभवन पचमढ़ी में मोहन कैबिनेट  की बैठक राजा भभूत सिंह के शौर्य को समर्पित होगी।

पचमढ़ी के राजभवन का महत्व न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह पचमढ़ी और मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी एक अहम हिस्सा है। यह स्थल राज्य के शासकों और उच्च अधिकारियों के बीच  प्रशासिक कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसके अलावा, यह राजा भभूत सिंह की पहचान का हिस्सा है, जो इसे एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है।