Thursday, 29 April 2010

अथ श्री सचिन चालीसा........


रजनीश पाण्डे जी के साथ उठाना बैठना होता रहता है..... उनके साथ अपनी परम मित्रता है.... चलते फिरते उनसे देश दुनिया के हाल चाल पर अपन की अक्सर चर्चा हुआ करती है.... नॉन स्टॉप एंकरिंग के लिए रजनीश सरीखे दोस्तों का कोई जबाब नही होता .... २४ मई के दिन उनसे फोन पर बातचीत हुई.... पूछा क्या कर रहे है आप? बोले कुछ ख़ास नही आज सचिन तेदुलकर का बर्थडे है उसी को टीवी में सेलिब्रेट कर रहा हू॥ उन्ही ने बताया कि भोपाल के एक व्यक्ति ने सचिन चालीसा लिख डाली है... मेरा माथा ठनका मैंने तुरंत ही इस खबर पर अपनी स्टोरी करने की ठान ली... रजनीश ने मेरे लिए अशोक शर्मा के नम्बर की व्यवस्था करवाई.... उसके बाद मैंने अशोक शर्मा जी को फ़ोन के उनसे मुलाक़ात का समय मागा....और सीधे अपने कैमरामैन के साथ उनके घर पहुच गया... घर पहुचकर अशोक शर्मा जी ने जूस पिलाया और अपनी चालीसा के बारे में विस्तार से बताया...


अशोक शर्मा जी के साथ बात करना अपने में बड़ा सुखद अनुभव रहा... बातचीत करने का उनका अंदाज भी बड़ा अच्छा रहा... रजनीश से मिलने से पहले तो मुझे इस बात का यकीन ही नही हुआ कोई व्यक्ति सचिन पर चालीसा कैसे लिख सकता है॥ लेकिन जब अशोक शर्मा जी ने अपने काम के बारे में मुझे बताया तो मुझे भरोसा हो गया अशोक शर्मा जी प्रतिभा के धनी है ... उनके पीछे एक बड़ा लेखक छिपा हुआ है॥


सचिन पर चालीसा लिखने का ख्याल कैसे आया इस पर मैंने शर्मा जी से जब अपना पहला सवाल किया तो उन्होंने कहा मैंने सचिन कि बैटिंग का वो दौरभी देखा है जब सचिन अब्दुल कादिर की गेदों में छक्केमारा करते थे..... आज का दौर भी देखा है जब विश्व के नम्बर १ खिलाडी के तौर पर होती है... दरअसल इस साल सचिन ने जब ग्वालियर के रूप मान सिंह स्टेडियम में २०० रनों की पारी खेलकर नया रिकॉर्ड बना दिया तभी से उन्होंने सचिन चालीसा लिखने का कांसेप्ट अपने दिमाग में बना लिया...


शर्मा जी ने इस बार सचिन के जन्म दिन पर अपनी सचिन चालीसा का एक डेमो प्रदर्शित किया... अपनी भावी योजनाओ के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया की एक महीने के बाद बाजार वमे वह इस सचिन चालीसा को उतारेंगे... आप अगर शर्मा जी के द्वारा बनाई गयी सचिन चालीसा का वीडियो देखेंगे तो दंग रह जायेंगे... ऐसे ऐसे विजुअल जुटाए गए है जो उनकी सचिन चालीसा से बिलकुल मेल खाते है... वह कहते है इस काम में मुझे सहयोगियों से जो सहयोग मिला उसका मैं तहे दिल से आभारी हूँ...


अभी तक मैंने हनुमान चालीसा की प्रसिद्धि के बारे में सुना था.....लेकिन खेल के मैदान से बनाई जाने वाली इस सचिन चालीसा के बारे में पहली बार सुन रहा हू... अशोक शर्मा का प्रयास रंग ला रहा है... जल्द ही मार्केट में ये सचिन चालीसा मिलने जा रही है.... मैं समझता हू मार्केट में अशोक शर्मा जी की इस चालीसा को अच्छा रिस्पोंस मिलेगा... क्युकि ये इंडिया है ॥ यहाँ क्रिकेट का एक बड़ा मार्केट है.....यहाँ के खिलाडियों को पूजा जाता है... जब क्रिकेट के देवता सचिन तेदुलकर पर चालीसा मार्केट में आएगी तो इसको लेने वाले ग्राहकों की संख्या भी अच्छी खासी होगी...... शर्मा जी से मैंने कहा है लगे रहिये.....आपकी कोशिसे जल्द ही रंग लाने वाली है...


सचिन चालीसा की कुछ पंक्तिया जो अशोक शर्मा जी के सौजन्य से मिली है आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हू...


जिनका अपन अलग अंदाज , जिनने पर छोटन देश ने नाज....
जिनके सर सज गईं है ताज, नम्बर १ अपन हो गयिन्न है आज
जिनका नाम सचिन तेंदुलकर, अन्चोरिंग वो लीं ही रमेश जी घर
जिनके गुरु श्री आचरेकर, गौरवान्वित हूँ पा तेंदुलकर॥
गवाह बना शहर ग्वालियर , ध्वस्त हुए कावेंट्री अनवर
गणपति बप्पा जो दिनी दम , झूम उठीं रूप स्टेडियम..

छोटन बालक सबका प्यारा एक नही दुई सेक्र मारा
दुनिया भर फिर पीछे झूटी, २९६२ मैच लड़ी टूटी
अपन सचिन सबके मन भाया, जगत में देश का नाम बदाया
देश ने अपन सर है उठाया, धन्य जो ऐसा खिलाडी पाया...


चारो और हो गयीं है हल्ला , चल गयो देखो सचिन का बल्ला।
का कर दीनी छोटो सो लल्ला, शिवराज दीनी रजत का बल्ला...
परदेश कि बन गयी साख, साथ में दिन नकद दस लाख॥
चौबीस फरवरी आज को दिन चारो और बस सचिन सचिन

Wednesday, 21 April 2010

राहुल बाबा महेन्द्र को भी लिफ्ट करा दो........................


सुबह सुबह खबरों की खोज खबर करने दफ्तर से निकल ही रहा था तो मेरे कैमरा मैन की मोबाइल की घंटी बजी...... उसने फ़ोन उठाया तो आवाज नजरुद्दीन भाई की आई ..... वह एक नेशनल चैनल के कैमरा मैन है... उनसे जब बात करवाई गयी तो उन्होंने बताया प्रदेश में राहुल गाँधी से मिलने की चाह में एक परिवार के लड़के ने खाना पीना छोड़ दिया है .... मेरा माथा ठनक गया ... तुरंत अपने कैमरा मैन को लेकर मै उस परिवार की व्यथा सुनने चला आया...


राहुल गाँधी के बगल में जो ये तस्वीर आप देख रहे है यह तस्वीर है ३१ साल के महेंद्र सिंह कटियार की ... जो पिछले १४ महीनो से राहुल गाँधी से मिलने की जिद पर अड़े है... महेंद्र शादी शुदा है जिनके २ बच्चे भी है॥

परिवार वालो ने बताया राहुल गाँधी की खुमारी महेन्द्र के सर से उतरने का नाम नही ले रही है... हम उससे बहुत ज्यादा परेशान हो गए है... महेन्द्र से परेशान इसलिए भी है पिछले १४ महीनो से उसने खाना पीना बिलकुल बंद कर दिया है....

कभी कभी वह पानी और दूध ले लिया करता है... राहुल से मिलने की जिद के चलते उनका स्वास्थ्य दिन पर दिन गिरता जा रहा है...

महेन्द्र के पिता दशरथ सिंह से जब मैंने ये पूछा आपका बेटा राहुल से मिलने की हट क्यों किये हुए है तो उन्होंने बताया इसका जवाब तो वह भी उन्हें नही दिया करता है.... महेन्द्र के पिता कहते है वह आज भोपाल २०० किलो मीटर दूर से चलकर आये है ताकि मीडिया के सामने महेन्द्र के मामले को उठा सके.... दशरथ का गाव बामोरी खूटिया पोस्ट बिल्हेरू पड़ता है जो मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले का एक अंग है...

महेन्द्र की माता से मिलकर मन ग़मगीन हो गया.... एक माँ के साथ ऐसे समय पर क्या बीत रही होगी ये सब समझने वाली बात है... महेन्द्र की माँ ये कहकर रो पड़ती है कि उनके परिवार के पूरे सदस्य महेन्द्र को समझा कर थक चुके है॥ लेकिन इसके बाद भी वह अपनी राहुल गाँधी से मिलने की जिद नही छोड़ रहा है...वह कहती है अगर जल्द ही उसकी राहुल से मिलने की तमन्ना पूरी नही हुई तो उसकी अर्थी परिवार के सामने निकल जायेगी.....

महेन्द्र के माता पिता के साथ राजधानी पहुचे उसके पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि महेन्द्र की जिद के आगे वे भी बड़े लाचार है...महेन्द्र की जिद को पूरा करने के लिए वे एक बार केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी से भी दिल्ली में मिल चुके है.....

लेकिन उनके द्वारा दिए गए आश्वासन भी आज तक पूरे नही हुए है...यही नही उनका परिवार एक बार राहुल गाँधी के बंगले में जाकर उनसे मिलने की अर्जी दरबार में दे आये है लेकिन आज तक उस पर कोई प्रगति नही हुई है... परिवार वालो ने सुरेश पचौरी से गुहार लगाते हुए कहा है वे उनके बच्चे को कांग्रेस के युवराज से मिलवा दे जिससे महेन्द्र की जान बच जाए.......

कहते है बच्चे जिद करते है लेकिन इस वाकये को देखकर लगता है जिद कोई भी कर सकता है... क्या जिद है .... ? राहुल से मिलने की तमन्ना महेन्द्र अपने दिल में पाले है... उसका परिवार परेशान है॥ इसी चाहत के चलते वह घर से भी बाहर नही निकल रहा है...

जब भी टीवी में राहुल गाँधी की तस्वीर देखता है तो अपना ध्यान उनकी खबर में लगा देता है॥ यह सब राहुल के आकर्षण का कमाल है या कुछ और कह पाना मुश्किल है.... कह सकते है राहुल के कारण महेन्द्र अपनी सुध बुध खो बैठा है ...

अब इस मुसीबत से उसको बाहर निकलने का रास्ता उसके परिवार वालो को कोई बताये..... ये तो वही बात हुई ..." भव पार करो भगवान् तुम्हरी शरण परे"..... आपको कोई रास्ता सूझता है तो आप ही बताये महेन्द्र के माता पिता अगर मिले जाए तो उनको मै ही आपका सुझाव प्रेषित कर दूंगा.....

Wednesday, 7 April 2010

कैसे जीतेंगे आरूषी के परिजन न्याय की लडाई................

आज बात आरूषी से शुरू कर रहा हू...... यह आरूषी नॉएडा वाली नही है.............यह है मध्य प्रदेश की एक मासूम आरूषी छोटी बच्ची जिसकी उम्र महज 5 माह है........बच्ची के परिजनों से मैं मुखातिब पिछले माह हुआ.....उस समय इस केस की कई रिपोर्टिंग करनी पड़ी .... आरूषी की जान तो बच गयी लेकिन इस नन्ही बच्ची के गुन्हेगारो को अभी तक सजा नही मिल पायी है.......


सरकारी अस्पतालों में मरीजो की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ होना कोई नयी बात नही है..... यहाँ पर एक आम आदमी की तभी सुनी जाती है जब उसकी किसी बड़े अधिकारी से पकड़ हो.... सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के मामले आना कोई नयी बात नही है...

भोपाल में एक बार फिर इस तरह की लापरवाही का नया मामला सामने आया है.... जहाँ एक इन्क्युबेटर में २ महीने की छोटी बच्ची आरूषी झुलस गयी....राजधानी में हमीदिया के कमला नेहरु अस्पताल की लापरवाही एक बार फिर सामने आ गयी...


... इस नन्ही बच्ची ने अभी सही से उठना ,समझना, तक नही सीखा था की अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उसकी जिन्दगी पर भारी पड़ गयी... इन्क्युबेटर में यह बच्ची जिन्दगी और मौत से जूझ रही थी......शुक्र है ऊपर वाले का ये बच्ची सलामत है... अभी इसका इंदौर के बाम्बे अस्पताल में इलाज चल रहा है.....

गाडरवाडा निवासी इन्द्रपाल सिंह राजपूत की पत्नी प्रीती ने २३ जनवरी को एक निजी अस्पताल में आरूषी को जन्म दिया...ये बच्ची सादे सात माह में पैदा होने के कारन कमजोर थी इसी के चलते उसे कमला नेहरु अस्पताल रेफेर कर दिया गया...

पीलिया होने के कारन अस्पताल प्रबंधन ने इन्क्युबेटर में रख दिया...उसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों का बच्ची से मिलना बंद कर दिया... १५ दिन बाद प्रबंधको ने बतायब उनकी बच्ची इन्क्युबेटर के लैम्प के गिर जाने के कारन जल गयी...


बच्ची के उपर लैम्प गिर जाने के कारन उसके दाए हिस्से और हाथ गंभीर रूप से जल गए...अस्पताल प्रबंधन पूरे १५ दिनों तक मूकदर्शक बना रहा..अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम देखिये...माँ बाप से बिना पूछे उन्होंने नन्ही मासूम आरूषी के हाथ की २ उंगलिया भी काट डाली...इसके बाद माता पिता की भी २६ फरवरी की अस्पताल से बच्ची सहित छुट्टी करवा दी ...


इसके बाद आरूषी के परिजनों ने ११ मार्च को कमला नेहरु अस्पताल के खिलाफ कोहेफिजा थाणे में रिपोर्ट दर्ज करवा डी.... लेकिन पुलिस विभाग की लापरवाही का आलम भी देखिये आज तक आरूषी के परिजनों को न्याय नही दिला सके॥

लापरवाही का आलम इस घटना से बखूबी समझा जा सकता है...अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से एक नन्ही मासूम की जिन्दगी तबाह हो गयी...हालाँकि अभी उसका इलाज चल रहा है॥ लेकिन चिकित्सको का कहना है उसकी हालत तभी सही हो पाएगी जब वह बच्ची बड़ी हो जायेगी ....कम से कम १० साल बाद प्लास्टिक सर्जरी से उसका चेहरा एक आम आदमी जैसा हो पायेगा...


इस घटना को देखकर मेरा दिल बहुत द्रवित हो गया.... लेकिन क्या करे पत्रकारिता में ऐसे मौके आते रहते है... अपन का काम तो चलता रहता है...परिस्थितिया कैसी भी हो , पत्रकारिता तो करनी ही पड़ती है....

जैसे ही फ़ोन के द्वारा मुझे इस घटना की खबर मिली तो मैं अपने कैमरामेनको लेकर बच्ची के परिजनों के पास दौड़ा...पहले तो बच्ची के माता पिता कुछ बोलने को तैयार नही थे......माहौल ऐसा नही था की उनसे कैमरे के सामने कुछ बुलवा सकता... लेकिन क्या करे रिपोर्टिंग के दौरान कई मौके ऐसे आते है जब आपको माहौल के हिसाब से अपने को ढालना पड़ता है.....

मैंने भी समझ बूझ से बच्ची के माता पिता को बाईट देने पहले दिन राजी किया... पहले दिन जब अपनी खबर चैनल में चली तो उसके बाद अगले दिन सभी जगह यह खबर सुर्खिया बटोरने लगी...

अगले दिनबच्ची के माता पिता ने सहयोग दिया ... शायद उनको भी यह बात महसूस हो गयी ,मीडिया भी आरूषी के मामले को उठा रहा है जिसका फायदा उनको मिल रहा है... ह्यूमन राईट कमीशन की शुभ्रा पचौरी से अगले दिन अस्पताल में मेरी मुलाकात हो गयी... उन्होंने बाईट दी और कहा अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा...

उन्होंने बच्ची के परिजनों की ख़राब हालत के मद्देनजर मुख्यमत्री से मांग रखी .... वह बच्ची का खर्चा उठाए.... अगले रोज सीं ऍम की पत्नी खुद जवाहर चौक के अस्पताल आरूषी का हाळ चाल जानने पहुची... उन्होंने मदद का भरोसा दिलाया....

फिर अगले दिन मुख्य मत्री खुद अस्पताल पहुचे और आरूषी का इलाज सरकार द्वारा उठाने की बात कही......... ये मीडिया का असर था जब इस मामले में सरकार सचेत हो गयी..... जो भी हो ये घटना मेरे लिए यादगार रही....


आरूषी के पिता जी से कल अपनी बात हुई है... उन्होंने कहा आरूषी जल्द ठीक हो रही है...... प्लास्टिक सर्जरी तो १० साल बाद होगी..... लेकिन मुझे दुःख इस इस बात का है अभी तक अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हो पायी है....

शुभ्रा पचौरी मैडम से अपनी इस सम्बन्ध में बात हुई है उन्होंने दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया है..... देखना है परिजनों को न्याय मिलता है या नही?

Monday, 5 April 2010

अजब गजब ये भी खबर है.......................


लम्बे समय की ख़ामोशी के बाद आज से फिर से लेखन चालू हो गया है... अभी कुछ समय से बहुत बिजी चल रहा था सो अपना लेखन नियमित रूप से नही हो पा रहा था... आज से फिर से कोशिश कर रहा हू लिखना चालू रखू.... इस बीच कई लोगो से बातचीत हुई ... उन्होंने भी कहा कोई नयी पोस्ट पढने को नही मिल रही है आजकल..... इस कारण लिखना शुरू कर दिया है.........आपसे कुछ समय के लिए संवाद टूट गया... माफ़ी मांगता हू... छमाप्रार्थी हू..............


छितिज पांडे अपने जूनियर साथी है .... नयी दुनिया में इन दिनों काम सीख रहे है... परसों सुबह सुबह चाय पीते समय मुझसे हाल चाल जानने लगे... मैंने कहा आप ही सुनाये क्या चला रहा है नया ताजा... उन्होंने बताया सब सामान्य है..... उनसे जब प्रिंट की खबरों की टोह लेना शुरू किया तो उन्होंने मुझको यह फोटो दे दी... गौ माता के ये बछड़ा भी खबर है... बछड़े के चार कान है.... गौर से देखिये... छितिज पांडे के सौजन्य से यह दुर्लभ फोटो मिली है ... उनको भी धन्यवाद .... वे भी अपनी पांडे बिरादरी से आते है.........उनको यह तस्वीर राजगढ़ मध्य प्रदेश से मिली है..................

अब लिखना जारी रहेगा...... आपकी प्रतिक्रियाओ का इन्तजार रहेगा... अपनी रिपोर्टिंग के कई किस्सों पर चर्चा करनी है....

Saturday, 27 February 2010

कुमाऊ की खड़ी होली........2

कैले बाधी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी.....
गणपति बाधी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी ...
ब्रह्मा , विष्णु बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी....
शिवशंकर बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी...
रामिचंद बाधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी ...
लछिमन बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजाकैले बाधनी...
श्री कृष्ण बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी ॥
बली भद्र बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा... कैले बाधनी चीर ॥
नव दुर्गा बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा.... कैले बाधनी चीर ॥
भोलेनाथ बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी चीर...
ईस्ट देव बाधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी चीर...
सबे नारी छिरकत गुलाल हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी चीर ...
( रंग पड़ने के दिन से पहाड़ो में चीर के पेड़ को एक स्थान पर लगाया जाता है उस पर रंग बिरंगे कपडे बाधकर रंग चदा दिया जाता है... गावो में आज भी यह परंपरा रही है... देर रात को सभी यह खड़ी होली के गीत गाते है... इन्ही गीतों को आपके सामने रख रहा हूँ... कुमाऊ से अपना गहरा नाता रहा है ... पिछली बार मेरे बड़े भैया दीपू दादा ने कहा था तुम्हारे ब्लॉग में पहाड़ो की खड़ी होली पड़ने को नही मिली.... इस बार उनको भी मैंने निराश नही करने का मन बनाया है... कल से बोलती कलम में धूम धाम से खड़ी होली चल रही है...)

तुम सिद्ध करो महाराज , होलीं के दिन में ... तुम सिद्धि....
तुम विघ्न हरो महाराज, होलीं के दिन में ... तुम विघ्न...
गणपति गौरी महेश मनाऊ, इन सबको पूजो आज
होलीं के दिन में ॥ तुम सिद्ध करो...
ब्रह्मा , विष्णु, महेश मनाऊ ,
इन सबको पूजू आज, होलीं के दिन में ...
तुम सिद्ध करो...
राम , लछिमन, भरत, शत्रुघ्न ,
दशरथ के सरताज, होलीं के दिन में ...
तुम सिद्धि करो ....
जगदम्बा नव दुर्गा देवी,
असुरन करे संहार, होलीं के दिन में
तुम सिद्ध करो महाराज ..............

अम्बा के भवन बिराजे होली अम्बा के....
देवा के भवन बिराजे होली देवा के भवन ...
सिद्धि के दाता गणपति आये,
रिद्धि सिद्धि दोनों संग लाये॥
अम्बा के भवन....
ब्रह्मा , विष्णु खेलन आये
माता सरस्वती संग लिए
अम्बा के भवन...
शम्भू महादेव खेलन आये,
गौरी पारवती संग लिए...
राम , लछिमन खेलन आये....
सत्य की सीता को संग लिए...
अम्बा के भवन ...
कृष्ण मुरारी खेलन आये....
राधा रुकमनी संग लिए...
अम्बा के भवन........

उत्तराखंड में कुमाऊ की "खड़ी होली" १ ....

होली का त्यौहार ज्यादा दूर नहीं है.... उत्तराखंड के कुमाऊ अंचल में इसको मनाये जाने की लम्बी परंपरा रही है... इस अवसर पर महिलाये भी एक दुसरे के घर घर जाकर होली मनाते है... रंग पड़ने के दिन से हर किसी के घर में होली गई जाने लगती है... इस अवसर पर बहुत सी महिलाये दूसरा वेश भी धारण करती है जिसको "स्वांग" कहा जाता है... यह सब कर महिलाये होली को इंजॉय करती है .....
बचपन से उत्तराखंड के कुमाऊ अंचल से गहरा नाता रहा है॥ होली जब अब ज्यादा दूर नहीं है तो इस अवसर पर अपने ब्लॉग में खड़ी होली के गीत लिख रहा हूँ जो वहां के घर घर में ढोलक बजाकर गाई जाती है... आज ही अपने बचपन के साथी का मोबाइल पर फ़ोन आया... उसने मुझसे होली लिखने का अनुरोध किया है... उसका कहना है नौकरी के चक्कर में जबसे उत्तराखंड से बाहर जाना हुआ है तो तब से वहां की होली को बहुत मिस कर रहा हू... अतः मैंने अपने दोस्त के अनुरोध पर यह तय किया है इस बार ब्लॉग में अपने पहाड़ो की मनाये जानी वाली "खडी होली" को जरुर लिखूंगा...... आज से इसका शुभारम्भ कर रहा हूँ... आशा है आपका सहयोग मिलेगा.....

सिद्धि को दाताविघ्न विनासन,
होली खेले गिरजापति नन्दन
सिद्धि को दाता विघ्न विनासन
गौरी को नन्दन, मूसा की वहां,
होली खेले गिरजा पति नन्दन
लाओ भवानी अक्षत चन्दन,
होली खेले गिरजा पति नन्दन
होली खेले गिरजा पति नन्दन ,
गज मोतियन से चौक पुराऊ
होली खेले गिरजा पति नंदन ,
होली खेले गिरजा पति नंदन
ताल बजावे अन्चन कंचन ,
डमरू बजावे शम्भू विभूषण
होली खेले गिरजा पति नंदन
होली खेले गिरजा पति नंदन





Wednesday, 24 February 2010

अज्ञातवास में जार्ज.......भाग १


"कोई हम दम ना रहा ..... कोई सहारा ना रहा......................
हम किसी के ना रहे ........... कोई हमारा ना रहा........................
शाम तन्हाई की है ......... आएगी मंजिल कैसे.........
जो मुझे राह दिखाए....... वही तारा ना रहा ...............
क्या बताऊ मैं कहाँ............ यू ही चला जाता हू.......
जो मुझे फिर से बुला ले..........वो इशारा ना रहा........."
झुमरू की याद जेहन में आ रही है ............. मजरूह सुल्तानपुरी और किशोर की गायकी इस गाने में चार चाँद लगा देती है........... पुराने गीतों के बारे में प्रायः कहा जाता है "ओल्ड इस गोल्ड ".......
इसका सही से पता अब चल रहा है............ ७० के दशक की राजनीती के सबसे बड़े महानायक पर यह जुमला फिट बैठ रहा है........ कभी ट्रेड यूनियनों के आंदोलनों के अगवा रहे जार्ज की कहानी जीवन के अंतिम समय में ऐसी हो जायेगी , ऐसी कल्पना शायद किसी ने नही की होगी.......कभी समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाला यह शेर आज बीमार पड़ा है ....वह खुद अपने साथियो को नही पहचान पा रहा ......यह बीमारी संपत्ति विवाद में एक बड़ा अवरोध बन गयी है......

....."प्रशांत झा" मेरे सीनियर है.........अभी मध्य प्रदेश के नम्बर १ समाचार पत्र से जुड़े है........... बिहार के मुज्जफरपुर से वह ताल्लुक रखते है ......... जब भी उनसे मेरी मुलाकात होती है तो खुद के हाल चाल कम राजनीती के मैदान के हाल चाल ज्यादा लिया करता हूँ ....... एक बार हम दोनों की मुलाक़ात में मुजफ्फरपुर आ गया ... देश की राजनीती का असली बैरोमीटर यही मुजफ्फरपुर बीते कुछ वर्षो से हुआ करता था....... पिछले लोक सभा चुनावो में यह सिलसिला टूट गया...... यहाँ से जार्ज फर्नांडीज चुनाव लड़ा करते थे..... लेकिन १५ वी लोक सभा में उनका पत्ता कट गया.....नीतीश और शरद यादव ने उनको टिकट देने से साफ़ मन कर दिया........... इसके बाद यह संसदीय इलाका पूरे देश में चर्चा में आ गया था... नीतीश ने तो साफ़ कह दिया था अगर जार्ज यहाँ से चुनाव लड़ते है तो वह चुनाव लड़कर अपनी भद करवाएंगे......... पर जार्ज कहाँ मानते? उन्होंने निर्दलीय चुनाव में कूदने की ठान ली....... आखिरकार इस बार उनकी नही चल पायी और उनको पराजय का मुह देखना पड़ा........... इन परिणामो को लेकर मेरा मन शुरू से आशंकित था...... इस चुनाव के विषय में प्रशांत जी से अक्सर बात हुआ करती थी..... वह कहा करते थे जार्ज के चलते मुजफ्फरपुर में विकास कार्य तेजी से हुए है... लेकिन निर्दलीय मैदान में उतरने से उनकी राह आसान नही हो सकती ...उनका आकलन सही निकला ... जार्ज को हार का मुह देखना पड़ा.... हाँ ,यह अलग बात है इसके बाद भी शरद और नीतीश की जोड़ी ने उनको राज्य सभा के जरिये बेक दूर से इंट्री दिलवा दी .........

आज वही जार्ज अस्वस्थ है...... अल्जायीमार्स से पीड़ित है........ उनकी संपत्ति को लेकर विवाद इस बार तेज हो गया है..... पर दुःख की बात यह है इस मामले को मीडिया नही उठा रहा है.... जार्ज को भी शायद इस बात का पता नही होगा , कभी भविष्य में उनकी संपत्ति पर कई लोग अपनी गिद्ध दृष्टी लगाए बैठे होंगे..... पर हो तो ऐसा ही रहा है.... जार्ज असहाय है... बीमारी भी ऐसी लगी है कि वह किसी को पहचान नही सकते ... ना बात कर पाते है...... शायद इसी का फायदा कुछ लोग उठाना चाहते है.......

कहते है पैसा ऐसी चीज है जो विवादों को खड़ा करती है.......... जार्ज मामले में भी यही हो रहा है.... उनकी पहली पत्नी लैला के आने से कहानी में नया मोड़ आ गया है.... वह अपनेबेटे को साथ लेकर आई है जो जार्ज के स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रही है... बताया जाता है जार्ज की पहली पत्नी लैला पिछले २५ सालो से उनके साथ नही रह रही है.... वह इसी साल नए वर्ष में उनके साथ बिगड़े स्वास्थ्य का हवाला देकर चली आई..... यहाँ पर यह बताते चले जार्ज और लैला के बीच किसी तरह का तलाक भी नही हुआ है...अभी तक जार्ज की निकटता जया जेटली के साथ थी....वह इस बीमारी में भी उनकी मदद को आगे आई और उनके इलाज की व्यवस्था करने में जुटी थी पर अचानक शान और लैला के आगमन ने उनका अमन ले लिया .... जैसे ही जार्ज को इलाज के लिए ले जाया गया वैसे ही बेटे और माँ की इंट्री मनमोहन देसाई के सेट पर हो गयी ..... लैला का आरोप है जार्ज मेरा है तो वही जया का कहना है इतने सालो से वह उनके साथ नही है लिहाजा जार्ज पर पहला हक़ उनका बनता है.... अब बड़ा सवाल यह है कि दोनों में कौन संपत्ति का असली हकदार है...?

जार्ज के पेंच को समझने ले लिए हमको ५० के दशक की तरफ रुख करना होगा.... यही वह दौर था जब उन्होंने कर्नाटक की धरती को अपने जन्म से पवित्र कर दिया था..3 जून 1930 को जान और एलिस फर्नांडीज के घर उनका जन्म मंगलौर में हुआ था.....५० के दशक में एक मजदूर नेता के तौर पर उन्होंने अपना परचम महाराष्ट्र की राजनीती में लहराया ... यही वह दौर था जब उनकी राजनीती परवान पर गयी ......कहा तो यहाँ तक जाता है हिंदी फिल्मो के "ट्रेजिडी किंग " दिलीप कुमार को उनसे बहुत प्रेरणा मिला करती थी अपनी फिल्मो की शूटिंग से पहले वह जार्ज कि सभाओ में जाकर अपने को तैयार करते थे... जार्ज को असली पहचान उस समय मिली जब १९६७ में उन्होंने मुंबई में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता एस के पाटिल को पराजित कर दिया ... लोक सभा में पाटिल जैसे बड़े नेता को हराकर उन्होंने उस समय लोक सभा में दस्तक दी ... इस जीत ने जार्ज को नायक बना दिया... बाद में अपने समाजवाद का झंडा बुलंद करते हुए १९७४ में वह रेलवे संघ के मुखिया बना दिए गए...उस समय उनकी ताकत को देखकर तत्कालीन सरकार के भी होश उड़ गए थे... जार्ज जब सामने हड़ताल के नेतृत्व के लिए आगे आते थे तो उनको सुनने के लिए मजदूर कामगारों की टोली से सड़के जाम हो जाया करती थी....

आपातकाल के दौरान उन्होंने मुजफ्फरपुर की जेल से अपना नामांकन भरा और जेपीका समर्थन किया.. तब जॉर्ज के पोस्टर मुजफ्फरपुर के हर घर में लगा करते थे ... लोग उनके लिए मन्नते माँगा करते थे और कहा करते थे जेल का ताला टूटेगा हमारा जॉर्ज छूटेगा... ( जारी रहेगा.....)