Monday, 29 August 2022

मध्य प्रदेश बन रहा है खेलों का ' हब'








 शारीरिक, मानसिक  विकास के लिए खेलों का वातावरण  जरूरी है, साथ ही  जीवन के सर्वांगीण विकास में यह आवश्यक है। पहले के दौर में कहा जाता था ' पढ़ोगे लिखोगे, बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब'। उस दौर में संसाधनों  के उपलब्ध न होने के बावजूद बच्चे खिलाड़ी नहीं बन पाते थे लेकिन अब यह कहावत भी देश में  बदलती नजर आ रही है।  आज देश में खेलों को लेकर एक नया दौर शुरू  हुआ है। देश के प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की 'खेलो इंडिया' जैसी दूरगामी सोच  और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से प्रदेश की खेल प्रतिभाओं को निरंतर  नए अवसर मिल रहे  हैं।

 शहरों से लेकर गाँवों तक स्टेडियम  

खेलों में मध्य प्रदेश के खिलाड़ी देश और दुनिया  में अपना नाम रोशन करें, इसके लिए शिवराज सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश के खेलों के  बजट में सरकार ने काफी इजाफा किया है। खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई शहरोंं और तहसीलों में स्टेडियम बनाने के लिए  सरकार प्रयत्नशील है। तहसील से लेकर ग्राम स्तर पर खिलाड़ियों को आज बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसके पीछे सरकार की मंशा छोटे शहरों में छिपी प्रतिभाओं को तराशना है। सरकार का लक्ष्य खिलाड़ियों को पूर्ण संसाधन उपलब्ध कराना है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का कौशल दिखा कर अपनी चमक  बिखेर सकें।

भोपाल के नाथू बरखेड़ा में अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप तैयार किया जा रहा है ,जहां खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही हैं। इसके अलावा भी प्रदेश के अन्य शहरों  और  ग्रामीण क्षेत्रों  में भी स्पोर्टस कॉम्पलेक्स निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत इंदौर व ग्वालियर ,कटनी में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स , नरसिंहपुर में वॉलीबाल, बैडमिंटन और अन्य खेलों के लिए इंडोर स्टेडियम का निर्माण  प्रगति पर है। हरदा नगर में इनडोर स्टेडियम,होशंगाबाद इटारसी में सरकार एस्टोटर्फ , रायसेन गैरतगंज, गंजबासौदा राजौदा रोड और नटेरन में खेल स्टेडियम  बनाया जा रहा है। सागर के मकरोनिया, निवाड़ी के तरीचरकलां, छतरपुर के बक्स्वाहा, रीवा जिले के गुढ़ तहसील और माड़ा में सरकार ने स्टेडियम की सौगात  सरकार  ने अपने बजट में दी है। उमरिया के करकेली नगर व नरवार नगर मेंं स्टेडियम, सीहोर नगर में टाउन हाल स्टेडियम, मंदसौर, पन्ना व नीमच में भी अत्याधुनिक स्टेडियम का निर्माण  किया जा रहा है ।

 खेल  प्रतिभाओं को  सरकार दे रही है प्रोत्साहन 

 आज  खेल क्षेत्र में प्रदेश की प्रतिभाओं ने  विश्व पटल पर मध्य  प्रदेश का कद  ऊँचा  किया है। आज खेलों के क्षेत्र में राज्य सरकार व केंद्र सरकार कई योजनाओं के माध्यम से खिलाडियों का  प्रोत्साहन कर रही है। मध्यप्रदेश ने हॉकी,शूटिंग,सॉफ्ट टेनिस,कराटे, वुशु, तैराकी, क्रिकेट, घुड़सवारी, टेबल टेनिस,सेलिंग,शतरंज जैसे अन्य खेलों में  कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। खेल और युवा कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाए जा रहे टैलेंट सर्च अभियान के माध्यम से कई उत्कृष्ट खिलाड़ियों को चिन्हित कर उचित अवसर व सुविधाएं दी जा रही हैं।सरकार के द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन खिलाड़ियों को खेल अलंकृत कर एकलव्य पुरुस्कार, विक्रम अवार्ड, विश्वामित्र अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड जैसे पुरुस्कार से सम्मानित कर शासकीय सेवाओं में पद देकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया जा रहा है।कई दिव्यांगजन युवा खिलाड़ियों को पुरस्कृत कर शासकीय सेवाओं में पद देकर मध्य प्रदेश सरकार ने बड़े  मंचों में सम्मानित भी किया है। ओलंपिक, पैरा-ओलंपिक में भी मध्यप्रदेश के खिलाड़ी शामिल होकर  स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने में योगदान दे रहे हैं।  

खेल एवं युवा कल्याण  विभाग तराश रहा है प्रतिभाओं को 

मध्य प्रदेश के होनहार युवा हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेर रहे हैं। खेल जगत में देश के हृदयस्थल मध्य  प्रदेश की  माटी के लाल सोना बनकर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। बेहतर कोच, संसाधनों और अच्छी सुविधाओं ने राज्य के खिलाड़ियों को ऐसा माहौल दिया है कि वे  खेलों में अपनी जी -जान  कुर्बान कर रहे  हैं। आज  मध्य प्रदेश का युवा  दिन -रात  स्टेडियम में पसीना बहाकर ओलंपिक,एशियाई खेलों समेत बड़ी प्रतिस्पर्धाओं में पदक लाने  के सपने  देख रहा है। खिलाड़ियों के इन सपनों में  मध्य प्रदेश सरकार  रंग भरने का काम कर  रही है।   

 खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के कमान सँभालने के बाद से प्रदेश  के खेल विभाग द्वारा  प्रदेश भर में टैलेंट सर्च अभियान चलाये जा रहे हैं जिसमें  ग्रामीण प्रतिभाओं को  भी समुचित अवसर मिल रहे हैं। खेल विभाग और प्रशिक्षकों की कोशिशों के चलते आज कई खिलाड़ी  देश ही नहीं विदेशी  सरजमीं में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। जिलों में भी खेल विभाग द्वारा बच्चों को खेलों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ ट्रेनिंग दी जा रही है और सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, इससे बच्चों में खेलों के प्रति रुचि बढ़ रही है। खेल मंत्री  यशोधरा  राजे सिंधिया  के कार्यकाल में खेल  अकादमी के वीडिंग आउट प्रॉसेस में बाहर हुए बच्चों को एनआईएस कोचिंग लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि ये खिलाड़ी अकादमी में रह कर खेल की बारीकियों  को जान सकें और एनआईएस कोचिंग कर अपने हुनर से युवा  खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे सकें । 


एमपी में खिलाड़ियों को मिल रहीं बेहतर सुविधाएं 

मध्य प्रदेश देश में सबसे अधिक एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान वाला प्रदेश है।  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हॉकी के लिए जुनून देखने लायक है। देश के इस राष्ट्रीय खेल को मुख्या धरा में लाने का काम उन्हीं के द्वारा किया गया। ऐशबाग में हॉकी इंडिया लीग जैसे आयोजनों के माध्यम से उन्होनें  हॉकी  की पुरानी साख को वापस लाने का काम किया है । राज्य सरकार के प्रयासों की वजह से भोपाल, ग्वालियर, बैतूल, गुना, मंदसौर, दमोह, सिवनी, नर्मदापुरम में एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए उपलब्ध हैं। इंदौर और बालाघाट में तैयारी चल रही है। प्रदेश सरकार हर जिले में एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम बनाने के लिए प्रयासरत है।  

  खेल अकादमी शुरू करने वाला देश का  पहला  राज्य मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश खेल अकादमी शुरू करने वाला  देश का पहला राज्य है। खेल अकादमी  शुरू करने के साथ ही  सरकार खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर, उन्हें  बेहतरीन  सुविधाएं मुहैया कराने का कार्य कर रही है। इस कदम से प्रतिभावान  खिलाड़ी  अपनी मेहनत के दम पर निखर रहे हैं । मध्य प्रदेश के होनहार हॉकी खिलाडी विवेक सागर ,नीलाकांता शर्मा, शौर्य प्रताप  इसी नर्सरी की उपज हैं।  ग्वालियर की राज्य महिला हॉकी अकादमी ने भी एक से बढ़कर एक हीरे तराशे। ग्वालियर की राज्य महिला हॉकी अकादमी ने भारतीय टीम में खेलने वाली बेहतरीन खिलाड़ियों को तराशा जिसके दम  भारतीय महिला हॉकी  टीम  पहली बार  टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची। सुशीला चानू, मोनिका और वंदना कटारिया जैसे खिलाड़ी भी यहीं की उपज हैं। 2006 में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य महिला हॉकी अकादमी  की शुरुआत की थी,जहां खिलाड़ियों के रहने-खाने समेत तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। अकादमी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी देश को दिए हैं। मध्य प्रदेश सरकार प्रतिस्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को निरंतर  प्रोत्साहित कर रही है। अकादमी  के प्रशिक्षकों  के द्वारा  खेलों को लेकर बड़ी रुपरेखा  तैयार की जा रही  है  जिसमें  बचपन से ही खेलों  की बारीकियों के बारे में बच्चों को   बताया  जा रहा है जिससे भविष्य में प्रदेश में बेहतरीन खिलाडी  तैयार हो सकेंगे। 

क्रिकेट में भी बज रहा है अब मध्य प्रदेश की प्रतिभाओं का डंका 

रणजी ट्राफी  जीतने के बाद मध्य प्रदेश का नाम क्रिकेट में भी सुनहरे अक्षरों में लिखा जाने लगा है। रणजी ट्राफी में  मुंबई  की बादशाहत को चुनौती देने के बाद अब प्रदेश के क्रिकेट खिलाडियों की चर्चा देश - विदेश में होने लगी है। रणजी ट्राफी जीतने वाले 11 खिलाड़ी आज राष्ट्रीय स्तर की टीमों में चुने जा चुके हैं।  रीवा के तेज गेंदबाज आवेश खान  भारतीय  क्रिकेट टीम में शामिल हैं जहाँ उन्होंने जिम्बाब्बे  सीरीज में शामिल किया गया है। एशिया कप के लिए भी रीवा के तेज गेंदबाज कुलदीप सेन के साथ उन्हें   टीम में  जगह मिली  है। रणजी में मध्य प्रदेश का नाम रोशन करने वाले  इंदौर के रजत पाटीदार को भारत ए  के लिए  बेंगलुरु में होने वाली  सीरीज के लिए चुना गया है। रणजी में मध्य प्रदेश की विजय पताका  फहराने वाले इंदौर के शुभम शर्मा को दिलीप ट्राफी में मध्य क्षेत्र का उप कप्तान बनाया गया है।शहडोल निवासी  विजयी विकेटकीपर हिमांशु , स्पिनर कुमार कार्तिकेय, नर्मदापुरम के बल्लेबाज यश दुबे, इंदौर के गेदबाज गौरव यादव ,आल राउंडर वेंकटेश अय्यर , भोपाल के तेज गेंदबाज पुनीत दाते  और इन्दौर के आल राउंडर सारांश जैन को भी दिलीप ट्राफी के लिए टीम में जगह  मिली है। मध्य प्रदेश को रणजी ट्राफी में विजय दिलाने वाले इन खिलाडियों के साथ ही कोच चद्रकांत पाटिल चंदू दादा  भी अपनी चमक अब आईपीएल  में बिखेरेंगे। उन्हें आईपीएल  के आगामी सीजन के लिए कोलकाता नाइटराइडर्स ने अनुबंधित किया है। प्रदेश में खेलों के इतिहास में यह पहला मौका है जब रणजी ट्राफी जीतने के बाद मध्य प्रदेश की प्रतिभाएं इतने बड़े स्तर पर क्रिकेट जैसे खेल में भी अपनी छाप  छोड़ रही हैं।  

Sunday, 21 August 2022

आज भी याद आते हैं रामभक्त 'कल्याण '



कल्याण सिंह का जन्म यूपी के अलीगढ़ जिले में अतरौली तहसील के मढ़ोली गांव में 5 जनवरी, 1932 में हुआ था। वहीं से राजनीति की शुरुआत कर लखनऊ, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश तक राजनीति में ऊंचा कद प्राप्त किया।  एक जमाने में हिन्दू ह्रदय सम्राट के नाम से जाने वाले कल्याण सिंह की राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। सभी लोग कल्याण सिंह को 'बाबूजी' कहकर बुलाते थे।  उनकी सादगी और ईमानदारी के सभी लोग कायल थे। जब भी लोग उनसे मुलाकात करते और कोई राय लेते तो वह उनका मार्गदर्शन करते थे । वे हमेशा उनसे कहते थे कि सफलता के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी है। कल्याण  सिंह की पूरी राजनीती मेंन इस धैर्य की छाप  देखी  जा सकती है।    
उनके मुख्यमंत्री रहते हुए छह दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरी थी और इस मामले में उन्हें एक दिन के लिए जेल भी जाना पड़ा था। भाजपा के सबसे पहले और सबसे सशक्त ओबीसी नेताओं में कल्याण सिंह का नाम आता है। प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में 1990 में जब मंडल-कमंडल की राजनीति शुरू हुई तब ही बीजेपी ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन को राजनीतिक मुद्दे के तौर पर हाथ में लिया। देश में राजनीति दो हिस्सों में बंट गई। एक तरफ मंडल की राजनीति करने वाले और दूसरे मंदिर की राजनीति के साथ,लेकिन कल्याण सिंह देश के शायद इकलौते राजनेता होगें जिन्होंने दोनों राजनीति एक साथ की। बीजेपी में सोशल इंजीनियरिंग को आगे बढ़ाने वाले नेताओं में कल्याण सिंह का नाम सबसे ऊपर गिना जाता है। पिछड़ों और दलितों की आवाज उठाने के साथ कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में परोक्ष और अपरोक्ष रूप से बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।  कल्याण सिंह श्रीराम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेतृत्वकर्ताओं में थे। उन्होंने कहा था कि, 'प्रभु श्रीराम में मुझे अगाध श्रद्धा है। अब मुझे जीवन में कुछ और नहीं चाहिए। राम जन्मभूमि पर मंदिर बनता हुआ देखने की इच्छा थी, जो अब पूरी हो गई। सत्ता तो छोटी चीज है, आती-जाती रहती है। मुझे सरकार जाने का न तब दुख था, न अब है। मैंने सरकार की परवाह कभी नहीं की। मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलाऊंगा। अन्य जो भी उपाय हों, उन उपायों से स्थिति को नियंत्रण में किया जाए।'

कल्याण सिंह आठ बार विधायक भी रहे, दो बार यूपी के मुख्यमंत्री,एक बार लोकसभा सांसद और फिर राजस्थान के साथ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की भूमिका का भी निर्वहन किया। मुख्यमंत्री के तौर पर यूपी में नकल रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया और नाराजगी झेलनी पड़ी। उस वक्त शिक्षा मंत्री थे राजनाथ सिंह।1991 में बीजेपी को यूपी में 425 में से 221 सीटें मिली थी । शपथ लेने के बाद पूरे मंत्रिमंडल के साथ पहुंचे अयोध्या और शपथ ली कसम राम की खाते हैं, मंदिर यहीं बनाएंगें ।अगले ही साल कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी और कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तब के प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने शाम को उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया। फिर 1993 में जब चुनाव हुए तो बीजेपी की सीटें तो घट गईं, लेकिन वोट बढ़ गए। बीजेपी की सरकार नहीं बन पाई। साल 1995 में बीजेपी और बीएसपी ने मिलकर सरकार तो बनाई,लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। बाद में बीजेपी ने हाथ खींच कर सरकार गिरा दी। एक साल तक राष्ट्रपति शासन रहा। 17 अक्टूबर 1996 को जब 13वीं विधानसभा बनी तो लेकिन किसी को बहुमत नहीं मिला, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन सीटें 173 मिली जिससे सरकार नहीं बन सकती थी। समाजवादी पार्टी को 108, बीएसपी को 66 और कांग्रेस को 33 सीटें मिली । तब के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने की सिफारिश कर दी । एक साल से पहले ही राष्ट्रपति शासन चल रहा था । सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए केन्द्र के राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने के निर्णय को मंजूरी दे दी। लेकिन 1997 में हिन्दुस्तान की राजनीति में नया प्रयोग हुआ अगड़ों और पिछड़ों की पार्टी ने 6-6 महीने सीएम रहने के लिए हाथ मिला लिए।

वाजपेयी और कांशीराम के बीच हुए इस समझौते के बाद मायावती पहले छह महीने के लिए मुख्यमंत्री बनी थी, लेकिन छह महीने बाद जब कल्याण सिंह का नंबर आया तो एक महीने बाद ही बीएसपी ने समर्थन वापस ले लिया,इस कहानी के बाद क्या हुआ सब जानते हैं कि किस तरह कल्याण सिंह ने कांग्रेस और बीएसपी को तोड़कर अपनी सरकार बचा ली। वाजपेयी और बीजेपी से रिश्तों में खटास आने के बाद से कल्याण सिंह को हटाने की मांग होने लगी और 12 नवम्बर 1999 को कल्याण सिंह का इस्तीफा हो गया और रामप्रकाश गुप्त को सीएम बनाया गया। नाराजगी इस कदर बढ़ गई कि पार्टी ने पहले सस्पेंड किया और फिर 09 दिसम्बर 1999 को उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया।

कल्याण सिंह ने नई पार्टी बना ली ,लेकिन साल 2002 के चुनाव में उन्हें सिर्फ़ चार सीटें मिली। अगस्त 2003 में यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार में कल्याण सिंह की पार्टी शामिल हो गई। साल 2004 के चुनाव में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा ,लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, पार्टी तीसरे नंबर रही फिर दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। साल 2009 का लोकसभा चुनाव कल्याण सिंह ने एसपी के समर्थन से लड़ा और लोकसभा पहुंचे,लेकिन मुलायम सिंह को नुकसान हुआ, दोनों नेताओं के बीच दोस्ती खत्म हो गई। कल्याण सिंह फिर से अपनी पार्टी को मजबूत करने लगे ,साल 2012 में यूपी में उन्होंनें बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा ,लेकिन उनकी पार्टी हार गई और बीजेपी भी।

 साल 2014 में जब बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर नरेन्द्र मोदी आए तो कल्याण सिंह की एक बार फिर बीजेपी में वापसी हो गई। इस बार उन्होंने कसम खाई कि ‘ज़िंदगी  की आखिरी सांस तक अब बीजेपी का रहूंगा’। कल्याण सिंह को राज्यपाल बना कर राजस्थान भेज दिया गया। जयपुर राजभवन में भी उनका मन लखनऊ की राजनीति में लगा रहा। राजभवन के बाद वे फिर से यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गए।राजनीति में शुचिता बरकरार रखने के लिये कठिन फैसले लेने में तनिक भी देर नहीं करने वाले  कल्याण सिंह ने अपने मुख्यमंंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश में पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन कर राज्य में कानून व्यवस्था के खिलाफ खिलवाड़ करने वालों को सख्त संदेश दिया था। वर्ष 1991 में प्रदेश में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर कल्याण  सिंह ने अपने करीब डेढ़ वर्ष के संक्षिप्त कार्यकाल में 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया था। अपने दूसरे कार्यकाल में श्सिंह ने 21 सितम्बर 1997 को शपथ ग्रहण करने के बाद चार मई 1998 को एसटीएफ का गठन कराया और उसे पहला टास्क आतंक का पर्याय बने गोरखपुर के दुर्दांत माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला की दहशत को खत्म करने का दिया था।  इस निर्णय की परिणाम जल्द सामने आया जब 22 सितंबर 1998 में गाजियाबाद में एसटीएफ ने एक मुठभेड़ में श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया। नब्बे के दशक में श्रीप्रकाश का आतंक यूपी के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार में भी था। इसके बाद एसटीएफ ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई माफियाओं और दुर्दांत अपराधियों को मुठभेड़ में ढेर कर प्रदेश में शांति का माहौल बनाने में अहम योगदान दिया। यह मुहिम आज भी जारी है जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।

  21 अगस्त 2021 में कल्याण सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया।  भाजपा के कद्दावर नेता रहे और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह की  पहली पुण्यतिथि पर कल  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  कैंसर इंस्टीट्यूट में कल्याण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया । कांस्य की यह प्रतिमा करीब 30 लाख रुपये की लागत से बनी है। भाजपा  अभी से मिशन लोकसभा 2024  की मुनादी में  जुटी है।  दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही जाता है  और  प्रदेश के लगभग 25 जिलों की 75 सीटों पर लोधी बिरादरी का प्रभाव माना जाता है। इस आयोजन के बहाने भाजपा कल्याण को याद कर  एक बार फिर से  पिछ्ड़े  वर्ग के बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखना चाहती है।   पहली पुण्यतिथि पर कल्याण सिंह की जन्म और कर्म भूमि अतरौली समेत अलीगढ़, लखनऊ में कई कार्यक्रम आयोजित किए  गए।   भारतीय जनता पार्टी  के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह  भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन दलित पिछड़ों की राजनीति से लेकर राम मंदिर आंदोलन में अहम योगदान देने के कारण वह खासकर भाजपा के नेताओं और कार्यकतार्ओं के दिलों में सदियों तक जीवित रहेंगे।

Monday, 15 August 2022

मध्य प्रदेश के संवेदनशील मुखिया शिवराज !

 


चुनौतियां और संकट सरकार की अग्निपरीक्षा लेते हैं। कई बार सरकारों के हिस्से तमाम दैवी आपदाएं, प्राकृतिक झंझावात और संकट होते हैं जिनसे पार पाना आसान नहीं होता। आज़ादी के अमृत महोत्सव की तैयारियों में जब देश हर घर तिरंगा अभियान में जुटा  हुआ था, इसी दौर में  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के धार ज़िले में कारम नदी पर नवनिर्मित कोठिदा-भारुडपूरा बाँध के ऐसे ही  भीषण  संकट से दो-चार हो रहे थे। स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले  इस संकट  ने मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के सामने हर मोर्चे पर चुनौतियों का अंबार ला खड़ा किया लेकिन  मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह  चौहान ने अपने  अनुभव, समझ  और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों  के अध्ययन  और प्रशासन की मदद से  इस बड़े संकट से  जैसी निजात दिलाई है उसकी मिसाल देखने को कम ही मिलती है ।  


कोठिदा-भारुडपूरा बाँध में रिसाव बनी बड़ी चुनौती

नवनिर्मित कोठिदा-भारुडपूरा बाँध में रिसाव का संकट एक ऐसी चुनौती बनी जिससे उबरना आसान नहीं था। लगातार तेज गिरते पानी और बाँध में लहरों के तेज बहाव ने  मुख्यमंत्री  के माथे पर शिकन को बढ़ाया और उन्होनें खुद को  इस चुनौतियों  के बीच झोंककर जैसी  दक्षता दिखाई वह आज  के राजनेताओं के लिए सीखने की चीज है। मुख्यमंत्री शिवराज  की  सबसे बड़ी खूबी यह है उनकी कथनी और करनी में अन्तर नजर नहीं आता है। उनकी वाणी और कर्म में जो साम्य है, वह उन्हें देश के  राजनेताओं में एक अलग ऊंचाई पर पहुंचाता है। उनकी खूबी यह भी है कि वे  जनता की नब्ज  टटोलना जानते हैं। सिर्फ समस्याओं को देखते ही नहीं  हैं, वरन खुद को उस अभियान में पूरी तरह से झोंक  देते हैं। ऐसे  माहौल के बीच  जनता, शासन-प्रशासन और सामाजिक संगठन भी  उनके साथ  कंधे से कंधे मिलाते हुए नजर आते हैं। कोठिदा-भारुडपूरा बाँध की विकराल चुनौतियों का जिन परिस्थितियों में उन्होनें समाना किया वह उनके दूरदर्शी नेतृत्व की मिसाल है।  

शिवराज जिलाधिकारी को बोले ये परीक्षा की घड़ी  है पंकज 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में बल्लभ  भवन में स्थित मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष में बैठक लेकर धार ज़िले की धर्मपुरी तहसील में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माणाधीन बांध से जनता की सुरक्षा के निर्देश सबसे पहले दिए और  धार के जिलाधिकारी  को कहा ये परीक्षा की घड़ी है।  धार में रिसाव वाले बांध स्थल पर सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ  की टीमें  पहुंचीं और रात भर युद्धस्तर पर  काम चला जिसकी मॉनिटरिंग खुद  मुख्यमंत्री ने की। चौबीस घंटे कंट्रोल रूम  में तैनात रहकर  मुख्यमंत्री ने इस कठिन वक्त पर  जिस संवेदनशीलता से जिम्मेदारी निभाई है उसे  धार के निवासी कभी न भूल पाएंगे। उन्होंने  घटनास्थल पर मौजूद  टीम के लोगों  में सबसे पहले  जोश भरा  फिर  लोगों को आश्वस्त किया नियंत्रित तरीक़े से पानी निकालने की कोशिशें करें। 

संवेदनशील मुखिया का ऐसा भरोसा जनता में भी नई आशा को जगाता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सहज स्वभाव ऐसा है कि वो जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहते हैं। इस मुश्किल वक्त में हर जिंदगी को बचाना उनकी पहली प्राथमिकता थी इसलिए परिस्थिति पर काबू पाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार की गई। सबसे पहले कारम बांध में एक किनारे से सुरक्षित तरीके से पानी की निकासी शुरू की ताकि बांध की दीवारों  पर पानी का दबाव कम किया जा सके जिससे  बांध के निचले हिस्से के गांवों को सुरक्षित तरीके से खाली कराया जा सके।

 मुख्यमंत्री इन पूरी गतिविधियों पर पल-पल नजर रखने के लिए स्वयं भोपाल से घटना स्थल का मुआयना कर रहे थे लेकिन अपनी सरकार के मंत्रियों को ग्राउंड जीरों पर उतार दिया था। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट  और उद्योग संवर्धन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, मंत्री प्रभुराम चौधरी, कमिश्नर, जिलाधिकारी  और पुलिस अधीक्षक को मौके पर तैनात रहे। 

जनता की सुरक्षा बनी मुख्यमंत्री की  पहली प्राथमिकता 

धार जिले के धर्मपुरी तहसील के ग्राम कोठीदा और भारुडपुरा के बीच कारम नदी पर लगभग 305 करोड़ रुपये की लागत से बने कारम बांध में गुरुवार को अधिक बरिश के चलते रिसाव शुरू हो गया था। कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के बांध के दाएं हिस्से में मिट्टी फिसलने से बांध को खतरा पैदा हुआ था।  

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  मंत्रालय स्थित नियंत्रण कक्ष में विशेष बैठक लेकर धार जिले की धर्मपुरी तहसील में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माणाधीन बांध से जनता की सुरक्षा के निर्देश सबसे पहले  दिए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि खतरे में आए गांव के लोगों को जनप्रतिनिधियों के सहयोग से अन्य जगह ले जाएं। तेज रिसाव की खबर मिलते ही इंदौर के आईजी और कमिश्नर तथा धार व खरगोन के एसपी घटनास्थल पर पहुंचे। आगरा-मुंबई नेशनल राजमार्ग को डायवर्ट कर दिया गया। भोपाल और इंदौर  के विशेषज्ञों की टीम मौके पर  पहुँच गई तो वहीँ और आईआईटी  रुड़की की टीमें मुख्यमंत्री के सीधे संपर्क में थी। एनडीआरएफ की सूरत, वडोदरा, दिल्ली और भोपाल से एक-एक टीम भी रवाना हो गई । 

 घटनास्थल की पल-पल की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को उपलब्ध करवाई जा रही थी। बांध का पानी खाली कर बांध की दीवार में राहत-बचाव का कार्य तेजी से शुरू करवाया गया मुख्यमंत्री ने धार  के जिलाधिकारी से कहा कि पंकज जीवन में कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं, जब हमें सारी कठिनाइयों से खुद लड़ना होता है।  धार के जिलाधिकारी  की भी  इस पूरे मसले पर संवेदनशीलता  देखते ही बनती थी, जिन्होनें  प्रशासन को 11 अगस्त को ही बांध के रिसने की जानकारी मिलने के बाद मुस्तैद किया । इसके बाद संबंधित विभागों और मुख्यमंत्री कार्यालय को  भरोसे में लेकर  निर्माणधीन बांध से पानी रिसने के बाद चलाए जा रहे बचाव कार्यों  की जानकारी  मंत्रालय में  बनाये गए कंट्रोल  रूम को उपलब्ध करवाई। शनिवार तड़के चार बजे तक बांध के निचले इलाकों में स्थित 18  गांवों को खाली करा लिया  जिसके बाद हालात  पूरी  तरह से काबू में आ गए। मुख्यमंत्री ने रविवार सुबह 6 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन कर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया जिसके बाद ही वह मंत्रालय की अपनी सीट से उठे।  

हर मुश्किल में जनता के साथ खड़े रहते हैं शिवराज 
 
जनता के लिए  हर मुश्किल में अपने अनुराग के लिए मुख्यमंत्री  शिवराज  सिंह चौहान जाने ही जाते हैं। जनता को किसी भी तरह का कष्ट न हो इसके लिए उनकी मुस्तैदी देखते ही बनती है। इसके साथ ही उनकी संवेदना इसमें जुड़ जाती है। वे लोगों को कष्ट को बखूब समझते हैं ,साथ ही सामाजिक सहभागिता के अवसर भी उसमें जुटाते हैं। बाँध से हुए नुकसान को छोड़कर वह ग्रामीणों और मवेशियों की जिंदगी को बचाने के लिए अपनी  पूरी टीम के साथ   सक्रियता से मैदान में डटे रहे और शनिवार की पूरी  रात नहीं सोये । मुख्यमंत्री शिवराज की खूबी है कि वे  अपनी संवाद कला से  जितनी  सहजता के साथ जनता के  के दिलों में जगह बनाते हैं  वहीं मुश्किलों में भी वे अपना धैर्य नहीं खोते। असली राजनेता की यही सबसे बड़ी यूएसपी है और मुख्यमंत्री शिवराज की यही सबसे बड़ी ताकत है।   
 
इस तरह के प्रयासों में सरकारों के साथ स्थानीय  प्रशासन,  सामाजिक संगठनों एवं जागरूक व्यक्तियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका  होती है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस  समारोह से ठीक एक दिन पहले कठिन परिस्थितियों में नवनिर्मित कोठिदा-भारुडपूरा बाँध में रिसाव  संकट को जिस तरीके से हल किया है वह उनकी संवेदनशीलता को दिखाता है और जनता में भी  एक आत्मविश्वास पैदा करता है, एक भरोसा जगाता है  कि कठिन परिस्थितियों में  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान की सरकार हमारा सहारा बनेगी और हम फिर से उठ खड़े होंगे। सुगमता से किसी बड़ी चुनौती  का सामना  अगर किया जाए तो संकट टाला  जा सकता है,जहाँ पर मुखिया का अनुभव भी काम आता है। इस प्रकार का भरोसा शिवराज जैसे  सफल और जननायक मुखिया के रहते ही प्रदेश में जग सकता है।  

Friday, 5 August 2022

शौर्य स्मारक में मौजूद हैं शहीदों के बोलते निशान

                                            


                                     



                     ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, 
                  वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां  होगा’


 कविता की  ये पंक्तियां किसी शहीद के स्मारक को देख कर  जेहन में आ जाती  हैं।  देश की आजादी के लिए अपने  प्राणों का बलिदान देने वाले ऐसे ही शहीदों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से भोपाल के अरेरा हिल्स पर  चिनार पार्क के नजदीक 13  एकड़ में फैले शौर्य स्मारक का निर्माण किया गया है ।  राजधानी भोपाल में मौजूद ऐसा ही  शौर्य  स्मारक  वतन पर मिटने वाले  हर जांबाज सैनिकों के जज्बे को सलाम  कर रहा है, जहां  की एक झलक  देखने से  वीरगति को पाने वाले  देश के सपूतों के नाम पर  हर देशवासी सिर का सिर  श्रद्धा से झुक जाता है। 41 करोड़ रुपए से बने इस स्मारक  को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में राष्ट्र को समर्पित किया था।   

2008 में आया आईडिया  मुख्यमंत्री शिवराज ने किया साकार 

10 जुलाई 2008  को राजधानी दिल्ली में इंडिया हैबिटेट सेंटर में  कर्नल मुशरान की बरसी पर भारतीय सेना के प्रति युवाओं की अरुचि पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था।  इस पर तत्कालीन सेना अध्यक्ष  जनरल दीपक कपूर ने कहा आम आदमी और युवाओं का आकर्षण बनाये रखे के लिए अब तक किया ही क्या गया  है ? तब समारोह में मौजूद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा दिया उनकी सरकार भोपाल में एक शौर्य स्मारक बनाएगी। 2016 में मुख्यमंत्री के प्रयासों से एक शौर्य स्मारक की परिकल्पना साकार हो पाई।  

 वास्तुकला की दृष्टि  से बेजोड़ 

ये स्मारक  शहीदों की राष्ट्र सेवा से प्रेरित  है जिसमें , शहीदों की वीरगाथा को  आम लोगों तक पहुंचाने की  कोशिशें की गई  हैं। यहाँ की मिटटी में शूरवीरों की महक नजर आती है।  शौर्य स्मारक वास्तुकला की दृष्टि से बेजोड़  है जहाँ की दीवारों  में शहीदों  के  उजले पदचिह्न नजर आते हैं। शौर्य स्मारक  की छटा भी देखते ही बनती  है। पार्क में एक लाल रंग की मूर्तिकला भी स्थापित है ।  यह देश का  पहला ऐसा स्मारक है जिसका निर्माण सेना  के द्वारा  नहीं किया गया  है।  पार्क में एक भूमिगत संग्रहालय भी  बनाया गया है  जिसमें सैनिकों की याद में समर्पित दीर्घाएँ हैं जिसमें आज़ादी के बंटवारे , भारत -पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्ध , कारगिल युद्ध के दौरान की वीरता की झलक देखने को मिलती है । शौर्य स्मारक के पार्क में महाराणा प्रताप जैसे वीर नायकों के अलावा भी अन्य  शूरवीरों की वीरगाथा को भी  प्रदर्शित किया गया है। 

भारत माता की मूर्ति कराती राष्ट्रबोध  

शौर्य स्मारक पार्क में प्रवेश करते ही भारत माता की  मूर्ति  सभी का ध्यान  अपनी तरफ खींचती है।  शौर्य स्मारक  की पहली वर्षगांठ के अवसर पर  14 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां भारत माता की प्रतिमा की स्थापना  करने का  संकल्प लिया था। 15 अगस्त 2020 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी भोपाल में स्थित शौर्य स्मारक में भारत माता की  भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।  भारत माता की प्रतिमा आशीर्वाद की मुद्रा में है। कमल पुष्प पर विराजमान है एवं भारत का राष्ट्र ध्वज उनके  हाथ में है। भारत माता की प्रतिमा कांस्य धातु से बनाई गई है। भारत माता की प्रतिमा की कुल ऊंचाई  37 फीट है। प्रतिमा के पेडस्टल पर अशोक चक्र के साथ राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत भी उकेरा गया है। 

तिरंगा झंडा लगाता है भव्यता में  चार चाँद 

  भारत माता की मूर्ति के हाथों में  देश की आन , बान और शान रखने वाला तिरंगा झंडा इसकी सुंदरता और भव्यता पर चार चाँद लगाता है। भारत माता की मूर्ति के पीछे एक  संग्रहालय भी है , जहाँ  भारतीय सेना के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं।  सैनिकों के कठिन जीवन से आम जनमानस को रूबरू करवाने के लिए यहां पर ठन्डे कमरे भी मौजूद  हैं जिसमें प्रवेश करने पर एक अलग अनुभव प्राप्त होता है। सैनिकों की तमाम उपलब्धियां और वीरता की गौरव  गाथा को यहाँ  देखा जा सकता है।    
 
मन में जगती है देशभक्ति की भावना 

 शौर्य स्मारक में युद्ध स्थल से जुड़ी  हुई तमाम जानकारी आकर्षण का केंद्र  हैं। मुंबई के एक वास्तुकार शोना जैन के द्वारा शौर्य स्मारक  डिजाइन किया गया है । इस स्मारक की बनावट  एक मंदिर की स्थापना शैली से मेल खाती है। इसमें कई कक्ष बनाए गए है, एक गर्भगृह हैं और एक मुख्य कक्ष है। इसी कक्ष में सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है । यहां पर एक हेलीकॉप्टर का मॉडल भी रखा हुआ है।  रेगिस्तान  की सीमा  के निगरानी करते टैंकों की झलक भी इसमें  देखी जा  सकती  है। हमारे वीर सैनिकों के रहन सहन को भी यहाँ देखा जा सकता है।  

सैनिकों के नाम के भव्य  शिलालेख 

62 फुट ऊँचे स्तंभ में सैनिकों के नाम के शिलालेख हैं जहाँ  शहीदों के प्रति सम्मान  को प्रकट करने  के लिए एक दीपक  जलाया जाता है। यह स्तंभ  देश के उन तमाम वीर सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया था। स्मारक में मृत्यु पर विजय प्राप्ति और आत्मा की मुक्ति के पहलुओं को भी दर्शाया गया है। इस पार्क में स्तंभ के नीचे लाल स्थान है जो कि खून को दर्शाता है और सफेद संगमरमर जीवन का प्रतीक है। स्मारक परिसर के अंदर एक अखाड़ा भी बनाया गया है जो इतिहास का बोध कराता है।

स्मारक में बने संग्रहालय में रामायण, महाभारत और कलिंग युद्ध के अलावा भी कई अन्य युद्ध के चित्र भी  हैं। इसमें उन युद्धों को भी दर्शाया गया है जो जंगे-आजादी के बाद लड़े गए थे। स्मारक में उन तमाम वीर सिपाहियों के चित्रों की गैलरी भी है जिन्होंने परमवीर चक्र को प्राप्त किया है। भगवत गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए जीवन, मृत्यु और आत्मा की अनंतता के बारे में भी संदेशों  की आहट  को भी यहाँ महसूस किया जा सकता है। यहाँ के प्रतीकों में युद्ध क्षेत्र के मैदान भी  दिखाई  देते हैं । शौर्य स्मारक में प्रकाश और ध्वनि के माध्यम से युद्ध में अपने प्राण गंवाने वाले वीर सैनिकों की  गौरव गाथा  को बयां किया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के इस मौके पर  हम देश के सपूतों  के संघर्ष और उनके बलिदान को करीब से महसूस कर सकते हैं ।

Thursday, 28 July 2022

'यूथ महापंचायत ' से 2023 में युवाओं को साधेंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान




'कामनमैन' और 'मामा' की छवि मध्य प्रदेश में गढ़ने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता  की नब्ज को बेहतर ढंग से पकड़ना जानते हैं। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पर प्रदेश की जनता ने फिर से भरोसा जताया है जिसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के  कुशल नेतृत्व और जन-कल्याणकारी नीतियों पर भी अपनी मुहर लगाई है। निकाय चुनावों में कमल खिलाने के बाद अब उनकी पार्टी मिशन मोड में काम कर रही है। आगामी चुनावों में प्रदेश में आदिवासी और युवा सरकार बनाने में बड़े गेमचेंजर साबित होंगे। इसे देखते हुए भी मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता प्रदेश में बढ़ चुकी है। अब मुख्यमंत्री शिवराज 'मामा' के सामने दो  बड़ी चुनौतियाँ हैं। पहली 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़े अंतर से जीत दिलवाना और दूसरा विधानसभा के परिणामों से 2024 के लोक सभा चुनावों की वैतरणी पार लगाना। इसे देखते हुए  जनता के बीच जाकर मुख्यमंत्री शिवराज अभी से युद्धस्तर पर कार्य करने में जुट गए हैं। सियासी 'बाजीगर' उसे कहते हैं जो परिस्थितियों को देखते हुए चुनावी मैदान में जाने से पहले अपनी रणनीतियों को अंजाम तक पहुंचाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने अथक पुरुषार्थ से मध्य प्रदेश के हर इलाके को सींचा है और उनकी इस लोकप्रियता को शहरों से लेकर गांवों की पगडंडियों में बच्चे, बूढ़े और जवान लोगों में भी महसूस किया जा सकता है।

भोपाल के रविंद्र भवन में 23 जुलाई को आयोजित युवा महापंचायत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  को सुनने बारिश की फुहारों के बीच युवाओं का सैलाब उमड़ पड़ा और रवीन्द्र भवन का सभागार छोटा पड़ गया। युवाओं की एकजुटता किसी भी सरकार के लिए जरूरी है और फिर जब 2023 की चुनौती से निपटना हो और विधानसभा चुनाव दस्तक हो, तो इन आयोजनों के संकेतों को समझा जा सकता है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सक्रिय हो चले हैं। महान क्रांतिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की 116वीं जयंती पर ‘यूथ महापंचायत’ आयोजन के जरिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युवाओं को साधने में देरी नहीं की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सम्बोधन ने युवाओं में उत्साह का संचार कर दिया और जिससे उनका जोश बढ़ गया ।  

चंद्रशेखर आज़ाद को याद करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा 14 वर्ष के बालक आजाद को भारत माता की जय बोलने के कारण सजा मिली। आज के युवा आजाद के बारे में जितना पढ़ेंगे उतना ही जागरूक होंगे। 

मुख्यमंत्री चौहान ने इन पंक्तियों के साथ युवाओं में जोश भरते हुए कहा 

 दुश्मनों की गोलियों का हम सामना करेंगे 

आज़ाद  ही जिए हैं आज़ाद ही मरेंगे 

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा भोपाल में शौर्य स्मारक में चंद्रशेखर आज़ाद की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होनें कहा कि अंग्रेजों से आजादी हमें चांदी की तश्तरी में परोस कर नहीं दी। हजारों क्रांतिकारियों ने इसे आज़ाद किया लेकिन हमें यही पढ़ाया गया कि हिंदुस्तान को आज़ादी एक ख़ानदान ने दिलाई है। हम तात्या टोपे, पेशवा बाजीराव, कुंवर सिंह, अमर शहीद लाला लाजपत राय, लोकमान्य तिलक, दुर्गा भाभी, उधम सिंह, भगत सिंह, महारानी लक्ष्मी बाई, लाल लाजपत राय जैसे नायकों की शहादत को भूल गए। मध्यप्रदेश की धरती को कई वीर शहीदों की भूमि बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश के कई शहीद क्रांतिकारियों ने अपनी ज़िंदगी और जवानी देश के आज़ादी के लिए क़ुर्बान कर दी। 

प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होगा। विधानसभा चुनावों में बेरोजगारी को विपक्ष बड़ा मुद्दा  बना सकता है। जिसे कांग्रेस भी आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बना सकती है। आम आदमी पार्टी और   ओवैसी की ए.आई.एम.आई.एम. ने भी निकाय चुनावों में तीसरी ताकत बनकर प्रदेश में नई दस्तक दी है। ये पार्टियां भी अपने अंदाज में युवाओं को साधने का प्रयास कर रही हैं। भाजपा इसका काउंटर युवाओं में ही खोज रही है। भारतीय जनता पार्टी अगर युवाओं के इस बड़े वोट बैंक को साध लेती है तो निकाय चुनावों के बाद विधानसभा चुनावों की बड़ी चुनौती को आसानी से पार कर सकती है।   मध्य प्रदेश को युवाओं को अपने पाले में लाने के लिये सरकार ने अब सरकारी क्षेत्र में नौकरी देने का पासा फेंका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युवाओं की महापंचायत में आने वाले एक वर्ष के भीतर प्रदेश में 1 लाख सरकारी भर्तियां करने का बड़ा ऐलान किया है। जिसके मुताबिक 15 अगस्त से  प्रदेश में युवाओं को सरकारी नौकरियां देने का बड़ा अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में रोजगार के अधिक अवसर मुहैया कराने का वादा करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हर महीने 2 लाख युवाओं को स्वरोजगार योजनाओं के अंतर्गत लोन दिया जायेगा जिसकी गारंटी सरकार लेगी।  उन्होंने कहा कि इसके लिये हर माह रोजगार मेले लगाए जा रहे हैं।  

यूथ पंचायत के मंच पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा - 

युवा वो होता है जिसके पैरों में गति होती है 

युवा वो होता है जिसके सीने में आग होती है 

युवा वो होता है जिसकी आँखों में सपने होते हैं 

युवा वो होता है जो संकल्प लेता है 

और उसे पूरा करके चैन लेता है 

मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश के युवाओं की पीठ थपथपाते हुए कहा मध्य प्रदेश में कई युवाओं ने चमत्कार किया है।  मध्य प्रदेश का युवा जहाँ आज स्टार्ट अप शुरू कर रहा है वहीं रणजी ट्रॉफी में भी  युवाओं ने अपना नाम दर्ज कर इतिहास रचा है। युवाओं को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा अगर युवा अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो प्रदेश सरकार उनकी मदद करने को तैयार है।  युवा अपने टैलेंट को बाहर निकालें। युवा हमें आइडिया दें उसको हम जमीन पर उतारने का काम करेंगे। आपके मंथन से जो अमृत निकलेगा उसे हम क्रियान्वित करेंगे।

विवेकानंद को याद करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि निज तो तू जान अपनी शक्ति को पहचान, तेरी आत्मा में भगवान। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश  में नई युवा नीति लाए जाने की भी घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में नई युवा नीति 12 जनवरी विवेकानंद जयंती तक लागू कर दी जाएगी। इसके साथ ही युवा पुरस्कार दिए जाने की भी घोषणा की।   उन्होंने कहा कि युवा पंचायत भी हर साल की जायेगी, इसके साथ ही प्रदेश में राज्य स्तरीय युवा सलाहकार परिषद का भी गठन किया जायेगा। युवाओं को 'मां तुझे प्रणाम' योजना के अंतर्गत अब  अंतराष्ट्रीय सीमाओं पर भेजा जाएगा और युवा नीति पर मिलने वाले सुझावों को आगामी 12  जनवरी को लागू कर दिया जाएगा। प्रदेश में प्रतिवर्ष युवा पंचायत आयोजित  होगी और एक युवा सलाहकार परिषद भी  बनाई  जाएगी। आने वाले दिनों में यूथ फॉर आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का एक प्लेटफार्म भी बनाया जाएगा।     

मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान यहीं नहीं रुके। उन्होनें कहा राज्य स्तरीय यूथ पंचायत आत्म-निर्भर भारत और आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण आयोजित की जा रही है जो प्रदेश की उन्नति का नया मार्ग प्रशस्त करेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आजादी के अमृतकाल को देश निर्माण के स्वर्णिम अवसर में बदलना चाहते हैं। उन्हीं की प्रेरणा से यह कार्यक्रम किया जा रहा है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से हम आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का सपना साकार कर रहे हैं।  प्रदेश के युवाओं को  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा  देने के लिए सीएम राइज स्कूल इसी वर्ष से शुरू होने की बात भी कही जिससे मध्य प्रदेश के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल हो सकेगी। इस मौके पर उन्होनें प्रदेश में ग्लोबल स्किल पार्क शुरू करने का भी बड़ा ऐलान मंच से किया।     

मुख्यमंत्री चौहान ने युवाओं से घर-घर तिरंगा फहराने का संकल्प लेने की बात भी कही।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे राष्ट्र को तिरंगा फहराने के लिए एकजुट किया है।   तिरंगा मांगकर नहीं खरीदकर फहराएं इससे देशभक्ति का जज्बा बढ़ेगा और हमारा देश आगे बढ़ेगा।  मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा युथ महापंचायत में मिलने वाले सुझावों की सरकार समीक्षा करेगी 

भले ही 'यूथ महापंचायत' का उद्देश्य शहीद चंद्रशेखर आजाद की विरासत को आगे बढ़ाना और  मध्य प्रदेश के उत्साही युवाओं को साथ लाकर एक मंच प्रदान  स्वर्णिम  आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाना बताया जा रहा हो लेकिन चुनावी साल से पहले इसे मुख्यमंत्री शिवराज के  युवाओं को अपने पाले में लाने की बड़ी कोशिशों के तौर पर भी देखा जा रहा है।  अगर युवाओं के मुद्दे पर  शिवराज सरकार सक्रियता  से काम करती है तो 2023 को आसानी से फतह करने में कामयाब हो जाएगी। सियासी बाजीगर कहे जाने वाले मुख्यमंत्री  शिवराज  सिंह चौहान   युवाओं को साधने को हर संभव कोशिश कर रहे हैं।  आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  के सम्बोधन में इसकी झलक तो दिखाई दे रही है।  

Thursday, 21 July 2022

मध्य प्रदेश निकाय चुनावों से निकला बड़ा सन्देश

 



मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव  में  भारतीय जनता पार्टी पर प्रदेश की जनता ने फिर से  भरोसा जताया है।  नगरों से लेकर शहरों में विकास की गति को बनाये रखने की जिम्मेदारी प्रदेश की जनता ने भाजपा को  फिर से सौंपते हुए शानदार जनादेश दिया है ।  नगरीय निकाय  चुनावों के परिणामों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान के  कुशल नेतृत्व और जन  कल्याणकारी  नीतियों पर भी अपनी  मुहर लगाई है। प्रदेश के 16  नगर निगमों में से 9 पर भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस 5 नगर निगमों पर सिमट गई  है। जिन  5 नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है वहां पर भी भाजपा के  विजेता पार्षदों की संख्या कांग्रेस से अधिक है।  

मध्य प्रदेश में हुए 16 नगर निकाय चुनाव के परिणाम आ चुके हैं।  इस चुनाव में  भाजपा अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा पाने में कामयाब नहीं हुई।  पिछली   बार जहाँ 16  नगर निगमों में  महापौर के प्रत्याशियों की विजय हुई थी वहीँ इस  बार  कांग्रेस से मिली टक्कर  से  आधे नगर निगम वह गवां चुकी है।   पिछली बार सभी 16 नगर निगमों  में भाजपा का जादू सिर  चढ़कर  चला था  लेकिन, इस बार उसके हाथ से 7 नगर निगम चले गए हैं।   मध्यप्रदेश में अब कुल 16 महापौर में 9  पर भाजपा,5  पर कांग्रेस,1 पर आप और 1  पर निर्दलीय का कब्ज़ा  है।   प्रदेश के ग्वालियर चम्बल और महाकौशल क्षेत्र में भाजपा  का एक भी महापौर नहीं  है , वहीं विंध्य क्षेत्र में मात्र एक महापौर है। 

मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव के  दोनों चरणों  में सत्ताधारी  भारतीय जनता पार्टी  कांग्रेस पर भारी रही ।  पहले चरण के घोषित चुनाव परिणामों में से  सभी 11 नगर निगमों में  7 पर  भाजपा के महापौर प्रत्याशियों  ने जीत दर्ज की है वहीँ  कांग्रेस 3  सीटों पर और  आम आदमी पार्टी एक सीट पर सिमट गई।  इंदौर, भोपाल, बुरहानपुर, उज्जैन, सतना, खंडवा और सागर में  जहाँ कमल खिला वहीँ  कांग्रेस के खाते में छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर  आए हैं  ।  वहीँ दूसरे चरण में भाजपा ने  देवास और रतलाम नगर निगम पर कब्ज़ा किया वहीँ कांग्रेस के खाते में  रीवा और मुरैना आया ।  हालाँकि  रीवा में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी ने  जीत दर्ज की है लेकिन यहाँ 18 पार्षद  भाजपा , 16 कांग्रेस और 11 अन्य  विजयी हुए  हैं जबकि मुरैना नगर निगम परिषद में बहुमत न भाजपा  और  कांग्रेस दोनों में से किसी को भी बहुमत नहीं मिला है  ।  ऐसी ही स्थति ग्वालियर में भी रही जहाँ महापौर भले ही कांग्रेस का जीता  है  लेकिन यहाँ पर 66 में से 36 पार्षद भाजपा के विजयी रहे हैं।  जबलपुर , सिंगरौली और कटनी नगर निगम में भी भाजपा के पार्षदों की संख्या कांग्रेस से अधिक है।  

प्रदेश के बड़े  शहरों में भगवा तो लहराया है  साथ ही  76  नगर पालिकाओं में से 50 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है जबकि 15 में अच्छी स्थिति में है वहीँ कांग्रेस  11  नगर पालिकाओं पर ही जीत हासिल कर सकी है।  2014 में नगर पालिकाओं में  भाजपा की जीत का प्रतिशत 55 था जो इस बार बढ़कर 85 हो गया है।  प्रदेश की 255 नगर परिषदों में भी भाजपा को  शानदार बहुमत हासिल हुआ है जबकि 46  नगर परिषदों   में भी पार्टी मजबूत स्थति में है।  कांग्रेस महज 24 नगर परिषदों में सिमटकर रह गई  है।  नगर परिषदों में  वर्ष 2014 की तुलना में इस बार इस बार भाजपा का जीत का प्रतिशत 32 फीसदी अधिक रहा है। कमलनाथ के छिंदवाड़ा जिले की तीनों नगर पालिकाओं (अमरवाड़ा, चौरई और परासिया ) में भी भाजपा ने विजय हासिल की है।  वहीँ ग्वालियर में सभी 5 नगर परिषदों में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है।  मुरैना में 5 में से 4 , जबलपुर में 8 में से 6 , रीवा में 12 में से 11  और कटनी  की तीनों नगर परिषदों  में भाजपा ने जीत दर्ज की है।  

पहले चरण में  भाजपा कांग्रेस पर भारी 

मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण  में सत्ताधारी  भारतीय जनता पार्टी  कांग्रेस पर भारी रही ।  पहले चरण के घोषित चुनाव परिणामों में से  सभी 11 नगर निगमों में  7 पर  भाजपा  ने जीत दर्ज की है वहीँ ,कांग्रेस 3  सीटों पर और  आम आदमी पार्टी एक सीट पर सिमट गई।  इंदौर, भोपाल, बुरहानपुर, उज्जैन, सतना, खंडवा और सागर में  जहाँ कमल खिला वहीँ  कांग्रेस के खाते में छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर  आए । मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी का भी प्रदेश में सिंगरौली से  खाता खुला  और बुरहानपुर और खंडवा  में एआईएआईएम ने वोटों पर अच्छी  सेंधमारी कर  भविष्य  में  प्रदेश  की तीसरी ताकत बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ाए  हैं।  पहले चरण में ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, छिंदवाड़ा ,  मुरैना में कांग्रेस को जीत मिली. जबकि, कटनी में निर्दलीय उम्मीदवार और सिंगरौली में आप की महापौर प्रत्याशी ने जीत हासिल की।

पहले चरण  में भोपाल, इंदौर ,उज्जैन , बुरहानपुर , सतना ,सागर , खंडवा में खिला कमल

भोपाल में  भाजपा की  मालती राय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की  विभा पटेल को  98 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया।  इंदौर में भाजपा  प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने  अपने निकटम कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला को  1 लाख 32 हजार से ज्यादा वोट से हराकर  बड़ी जीत दर्ज की।   खंडवा में भाजपा प्रत्याशी अमृता यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी आशा मिश्रा को   9765 वोटों से  पराजित किया।  उज्जैन में भाजपा प्रत्याशी   मुकेश कटवाल ने कांग्रेस के महेश परमार को 923 वोट से पटखनी दी।  इसी तरह बुरहानपुर में भाजपा प्रत्याशी  माधुरी पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी शहनाज अंसारी को 542 वोटों से  पराजित किया।  बीजेपी की जीत में यहां एआईएआईएम  फैक्टर का बड़ा योगदान रहा  जिसके  उम्मीदवार को मिले 10274 वोटों  ने हार जीत के अंतर को काम किया और यहाँ  मुकलबले को त्रिकोणीय बनाया ।  सतना में योग्रेश ताम्रकार ने कांग्रेस  प्रत्याशी  सिद्धार्थ कुशवाहा को 24 हजार 916 वोट से हराया।   सागर में भाजपा की संगीता तिवारी ने कांग्रेस की निधि जैन को 12, 655 वोटों से    पराजित किया।    

जबलपुर , ग्वालियर , सिंगरौली में नहीं खिल पाया कमल

पहले चरण में आये चुनाव परिणामों में सिंगरौली महापौर चुनाव में आप उम्मीदवार रानी अग्रवाल के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा  को  9159 वोटों से पराजित किया । सिंगरौली से 'आप' की इंट्री ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।  वहीँ   जबलपुर नगर निगम के महापौर की कुर्सी बीजेपी के हाथों से निकल गई । कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. जितेंद्र जामदार को 44339 वोटों से पराजित किया । ग्वालियर कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी  शोभा सिकरवार भाजपा की सुमन शर्मा से 28805 मतों से जीत दर्ज की ।  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के गृहनगर छिंदवाड़ा से पार्टी प्रत्याशी विक्रम अहाके ने भाजपा के  आनंद धुर्वे  को 3547 वोटों से  पराजित किया  ।

दूसरे चरण में दो में भाजपा, दो में कांग्रेस और एक पर निर्दलीय की जीत 

आज 5 नगर निगम में महापौर पद के लिए आये चुनाव परिणामों में  दो में भाजपा, दो में कांग्रेस और एक पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की। रीवा में कांग्रेस प्रत्याशी अजय मिश्रा ने 9 हजार से ज्यादा वोटों से बीजेपी प्रत्याशी प्रबोध व्यास को  पराजित किया । 24 साल के बाद रीवा में  कांग्रेस की वापसी हुई है। वहीँ मुरैना में कांग्रेस प्रत्याशी शारदा सोलंकी ने 12874 वोटों से जीत दर्ज की। रतलाम में भाजपा के महापौर प्रत्याशी प्रहलाद पटेल 8591 वोट से चुनाव  जीते ।  देवास में बीजेपी प्रत्याशी गीता अग्रवाल ने 45884 वोटों से जीत दर्ज की।  कटनी में .प्रीति सूरी भाजपा से बागी होकर मैदान में उतरी थी और उन्होंने भाजपा  की ज्योति दीक्षित को 5000  मतों से पराजित किया । 

ग्वालियर , चम्बल और महाकौशल क्षेत्र  में भाजपा के सामने अब बड़ा खतरा 

 निकाय चुनावों के परिणामों के आने के बाद अब ग्वालियर , मुरैना  और  चम्बल के नेता  ज्योतिरादित्य सिंधिया,नरेंद्र तोमर,नरोत्तम मिश्रा और वीडी शर्मा के वर्चस्व को  आने वाले दिनों में खतरा होगा। वही खजुराहो लोकसभा में आने वाले कटनी निगम में हार के  साथ ही   सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व पर भी सीधे  सवाल  उठने लाजमी हैं।  कटनी का परिणाम इसलिए भी दिलचस्प बन गया  क्योंकि यहाँ पर प्रीती सूरी का टिकट प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपनी मर्जी से काटा था और उनकी जगह पर ज्योति दीक्षित  को टिकट दिलवाया था और उनके पक्ष में धुंआधार प्रचार भी किया था  वहीँ मुरैना में मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान के मोर्चा  संभालने  के साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ केंद्रीय मंत्री  ज्योतिरादित्य सिंधिया ने  खुद कमान संभाली हुई थी। इन सब के बाद भी यहाँ  नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का सधा प्रबंधन भाजपा पर भारी पड़ा। जबलपुर में  सांसद राकेश सिंह पर भी सवाल उठने लाजमी हैं।  संघ के पसंदीदा  उम्मीदवारों को वो जितनी में कामयाब नहीं हो सके इसलिए सवाल तो उठेंगे ही।  शिवपुरी की जीत और उनके प्रभारी  जिले देवास में भाजपा की ऐतिहासिक  जीत का सेहरा कैबिनेट मंत्री  यशोधरा राजे सिंधिया के सिर बेशक  बाँधा जा सकता है लेकिन उससे सटे  ग्वालियर , चम्बल  , मुरैना और महाकौशल में भाजपा का फीका प्रदर्शन कई सवालों को झटके में खड़ा कर देता है।    शिवपुरी और ग्वालियर में भी सिंधिया समर्थक और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के गुट  अब  चुनाव परिणामों के  आने के बाद आमने -सामने आ गए हैं।  मुरैना और ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को महापौर का टिकट दिलाने में कामयाब नहीं हो पाए थे।  अब शिवपुरी से लेकर ग्वालियर और गुना से लेकर अशोकनगर तक जिला पंचायत की कुर्सी अपने समर्थकों को दिलाने के लिए  इनके समर्थक एक बार फिर से  सक्रिय हो चुके हैं।   दिल्ली में  केंद्रीय  मंत्री सिंधिया से नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों  से  मुलाक़ात जारी है ।  उधर शराबबंदी के मुद्दे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के गढ़ में भी भाजपा  का सूपड़ा साफ़ हो गया है।  सटई  में  भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ी है जो कहीं न कहीं भाजपा के लिए बड़ी  खतरे की घण्टी है।  आने वाले दिनों  में पूर्व केंद्रीय मुख्यमंत्री उमा भारती के शिवराज सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अगर इसी तरह से जारी रहते हैं तो पार्टी को मुश्किलों का सामना  करना पड़ सकता है।  वैसे भी शराबबंदी के मसले पर साध्वी अपने बयानों के चलते शिवराज सरकार को कठघरे में खड़ा करती  रहीं हैं।  

मध्य प्रदेश में संघ की जड़ें काफी मजबूत रही हैं।  इन सबके बाद भी ग्वालियर , चम्बल , मुरैना और जबलपुर में भाजपा  प्रत्याशियों की हार भाजपा के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ाने का काम करेगी।  महाकौशल के समूचे इलाके के भाजपा  विधायकों की शिवराज सरकार से नाराजगी ने इस चुनाव में भाजपा का  खेला कर दिया।  

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बचाई अपनी साख 

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ  ने अपने  गढ़  छिंदवाड़ा में साख  बचाई  है।  इसमें कमल नाथ का छिंदवाड़ा मॉडल भी जीत की वजह बताया जा रहा है।  घोषित चुनाव  परिणाम भी इसकी झलक पेश कर रहे  हैं । ग्वालियर , चम्बल और महाकौशल क्षेत्र  में  नेता प्रतिपक्ष गोविन्द  सिंह के साथ मिलकर उन्होनें सधी हुई रणनीति से कांग्रेस को जीत दिलाई।  इस इलाके में भाजपा के बड़े नेताओं और प्रचार तंत्र के बाद भी अधिकांश सीटें कांग्रेस की झोली में गयी हैं।  हालाँकि कांग्रेस  प्रदेश में अपना वो प्रभाव दिखाने में कामयाब नहीं हुई जैसी उम्मीदें  लगायी जा रही थी।   कांग्रेस को भी इस चुनाव परिणाम से सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि तस्वीर वैसी नहीं है, जैसी नजर आ रही है।  कांग्रेस को चाहिए  वह मजबूती से विपक्ष की भूमिका निभाए और अपनी गुटबाजी पर रोक लगाए।  अभी भी कांग्रेस में गुटबाजी का पुराना दौर देखने को मिल रहा  है।  नेताओं के बीच दूरियां  हैं। कार्यकर्ता हताश और निराश है।  कार्यकर्ताओं की कहीं सुनवाई नहीं हो रही।  केंद्रीय नेतृत्व  को प्रदेश से कुछ भी लेना देना नहीं रहा गया है।  विधानसभा की चुनावी  गिनती शुरू होने से पहले   इस बात पर कांग्रेस को गंभीरता से विचार करना  होगा नहीं तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  से मुकाबला करना आने वाले दिनों में  उसके लिए बहुत  मुश्किल होगा।  

भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पसंदीदा प्रत्याशी विभा पटेल की हार के बाद अब हार का ठीकरा दिग्गी राजा के सिर पर फोड़ने की तैयारी है।  तीन बरस पहले दिग्गी राजा खुद साध्वी प्रज्ञा के हाथों बुरी तरह से पराजित हो गए थे और अब उनकी पसंदीदा प्रत्याशी विभा पटेल की हार के बाद दिग्गी की भविष्य की सियासत को लेकर प्रश्नचिह्न लग गोया है।  भोपाल  कांग्रेस भवन में ग्वालियर जीत का सेहरा  नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह , छिंदवाड़ा की जीत पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और जबलपुर की जीत को विवेक तन्खा की जीत बताकर भुनाने की तैयारी है।  विभा पटेल से भी आने वाले दिनों में महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद छीना  जा सकता है  और आने वाले दिनों  में  पूर्व  मुख्यमंत्री  कमलनाथ , नेता प्रतिपक्ष डॉ  गोविन्द सिंह, और विवेक तन्खा की तिकड़ी  के भरोसे  कांग्रेस 2023  की वैतरणी पार करेगी इन संभावनाओं से अब इंकार नहीं किया जा सकता।  

मध्य प्रदेश में शिवराज का कोई विकल्प फिलहाल नहीं 

एंटी  इंकम्बैंसी  के बीच 16 महापौरों में से  9  पर भाजपा के कब्जे के बाद इस जीत ने  साबित किया  है मध्य प्रदेश भाजपा में शिवराज का सिक्का मजबूती के साथ आज भी  चलता है और उन्हीं के अनुभव और अगुवाई में भाजपा चुनाव दर चुनाव सफलता के नए आयाम गढ़ पाने में कामयाब हो सकती है। शिवराज की बुधनी विधानसभा में भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर दिया है।   2018 में प्रदेश में कमलनाथ की सरकार आने के बाद से शिवराज का विकल्प प्रदेश में  खोजने की बातें गाहे -बगाहे उठती रही हैं। प्रदेश  भाजपा  के कई नेता इस कतार में खुद को शामिल बताने से आज भी पीछे नहीं हैं  लेकिन प्रदेश के  निकाय चुनाव परिणामों  ने एक बार फिर से साबित किया है मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भाजपा एकजुट होकर चुनावी मैदान में मुकाबला कर सकती है।  नगर निगमों और परिषदों में भाजपा सदस्यों की विजय के बाद  केन्द्रीय स्तर पर  सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का  कद एक बार फिर  बढ़  गया है  और उनके उत्तराधिकारी  को खोजने की अटकलों पर फिलहाल पूरी तरह से  विराम लग गया है।  2023 के  चुनावी  काउन डाउन के  शुरू होने से पहले पार्टी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुभव का पूरा लाभ लेना चाहती है।    

जीत पर मुख्यमंत्री शिवराज  ने दी बधाई

मुख्यमंत्री  चौहान ने मतदाताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा भाजपा सरकार इस जनादेश  का सम्मान  करते  हुए  प्रदेश के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।  

 निकाय चुनाव 2023 से पहले सत्ता का सेमीफाइनल

निकाय चुनावों  ने 2023 में होने वाले विधान सभा चुनावों का बिगुल बजा दिया है।  विधानसभा  चुनावों से ठीक पहले हुए इन चुनावों को  सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में यूं ही नहीं देखा जा रहा है । भाजपा  और कांग्रेस दोनों दलों के सामने यहाँ अपनी पुरानी सीटों को बरकरार रखने की चुनौती थी । 2018 में  कुछ सीटों से पिछड़ने  के चलते भाजपा के हाथ से सत्ता फिसल गई थी। इस बार के चुनाव में दोनों दलों ने  एक दूसरे को कड़ी टक्कर दी। निकाय चुनावों के परिणामों ने  राजनीतिक दलों को  आईना दिखाने का काम किया है।  अब  दोनों राष्ट्रीय दलों के सामने  यहाँ पर अपने वोट बैंक को बचाने की बड़ी चुनौती तो है , साथ ही में आप  के सिंगरौली में उभार को काउंटर करने की बड़ी चुनौती भी  सामने खड़ी  है।  

 

Wednesday, 25 May 2022

महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में जुटे मुख्यमंत्री शिवराज






मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश लगातार  विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। अपने हर कार्यकाल में अब तक  मुख्यमंत्री  चौहान  ने महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई कदम उठाये हैं।  महिला सशक्तीकरण, सामाजिक और आर्थिक रूप से महिलाओं को सक्षम बनाने की दिशा में सरकार ने  कई  ऐसी  योजनाएं प्रदेश में  चलाई  हैं जिन्हें  पूरे  देश में सराहा जा रहा है।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान  की हर योजना के केंद्र में महिलाएं  शामिल रही  हैं।  इससे मध्य  प्रदेश में बेटियों के सपनों को जहाँ  पंख  लग रहे हैं वहीँ प्रदेश में शिवराज  मामा की लोकप्रियता बढ़ रही है।

मध्य प्रदेश में आजीविका मिशन के तहत महिला स्व सहायता समूहों ने बेहतरीन काम किया है।  आज प्रदेश की महिलाएं इस योजना के माध्यम से जहाँ सशक्त हो रही हैं वहीँ जनरल स्टोर, रेडिमेट गारमेंट्स, आटा चक्की, सिलाई कार्य, राशन की दुकान चलाने जैसे कई कामों को  बखूबी अंजाम दे रही हैं।  शिवराज सरकार द्वारा  इस बार पेश किये गए बजट में  भी महिला स्व -सहायता समूहों को 1100 करोड़ का बजट दिलाकर सशक्त किया है जो भविष्य में  उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत  करेगा । इससे समूह सदस्यों के परिवारों को अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर करने का अवसर मिलेगा।  बैंकों द्वारा मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत गठित स्व-सहायता समूहों को ऋण देकर सहायता  करने का काम तेजी से चल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई यह योजना भी प्रदेश में बेहतरीन ढंग से चल रही है जिसमें बेटी के लिए प्रतिमाह 3  हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया है जिसमें  मैच्योरिटी के समय 15 लाख 22  हजार रु मिलते हैं।  ये योजना बेटियों के भविष्य के लिए उपयोगी है जिसमें मध्य प्रदेश  ने अब तक 5 लाख से अधिक बेटियों को जोड़ने का काम किया है । 2  हजार 238 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का संग्रहण  कर मध्य प्रदेश ने  जहाँ एक नए  कीर्तिमान को स्थापित किया  है वहीँ  सुकन्या समृद्धि योजना में  23 लाख खाते खुलवाकर मध्य प्रदेश ने देश में अपना पहला स्थान बनाया  है। इससे जहाँ प्रदेश की बेटियों में बचत की प्रवृत्ति का विकास हो रहा है वहीँ उनके  सशक्तिकरण की दिशा में ये मील का पत्थर साबित होगा । मध्य प्रदेश में गांव के अंतिम छोर  पर खड़े लोगों  तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने और उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए डाक विभाग बचत खाता खुशहाली का अभियान चला  रहा है जो  वित्तीय समावेशन को नई दिशा देने का काम करेगा । इससे ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं स्वावलंबी बनाने में मदद मिलेगी। पंख अभियान से बेटियों की उम्मीदों को नए पंख लगने शुरू हुए हैं।  किशोरियों की सुरक्षा, पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जागरूकता के लिए  ये योजना प्रदेश में शुरू की गई है जिसमें  311 विकासखण्डों के विद्यालयों में बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए अपराजिता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है । 23 हजार बालिकाओं को जूडो, कराटे, ताईक्वाण्डो का प्रशिक्षण  देने का काम  भी जारी है ।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण  की दिशा में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा कई बेहतरीन  कदम उठाये गए हैं। सरकारी नियुक्तियों  में जहाँ महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है वहीँ पुलिस भर्ती में 30  फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। सामान्य भर्तियों में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर  मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के हितों के संरक्षण किया है। शासकीय सेवा के अलावा मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना अंतर्गत बेटियां अपना खुद का व्यवसाय भी शुरू  कर सकती हैं जिसके लिए 10 लाख से 50 लाख रुपए तक के लोन की गारंटी सरकार ले रही है। यह प्रदेश में महिलाओं के जीवन स्तर  की सुधार की दिशा में मुख्यमंत्री का बड़ा कदम है।  यही नहीं  मध्यप्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव  में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण  देने पर भी सहमति हो गई है।मुख्यमंत्री शिवराज ने इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के  मौके पर  मुख्यमंत्री नारी सम्मान कोष शुरू कर  महिला सशक्तिकरण के लिये कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। एक तरफ प्रदेश में महिला वित्त विकास निगम का सुदृढ़ीकरण करने पर जोर दिया जा रहा है  वहीँ 100 करोड़ रूपये की लागत से मुख्यमंत्री नारी सम्मान कोष स्थापित करने का काम भी शुरू हो रहा है।  मुख्यमंत्री महिला उद्यम शक्ति योजना भी मध्य प्रदेश में शुरू होने जा रही है साथ ही  इंदौर एवं भोपाल में महिला उद्यम प्रोत्साहन के लिए इंडस्ट्रियल पार्क बनाने  की कवायद भी तेजी से चल रही है।   इसी तरह उदिता योजना अंतर्गत किशोरी के मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह योजना किशोरियों के पोषण व स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार विमर्श के लिये एक मंच तैयार करती है।
 
मध्यप्रदेश देश में ऐसा पहला राज्य है  जिसने बाल विवाह के रोकथाम हेतु 2013 में लाडो अभियान शुरू  किया था। लाडो अभियान का मुख्य उद्देश्य जनसमुदाय की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव के साथ बाल विवाह जैसी कुरीति को सामुदायिक सहभागिता से समाप्त करना है। अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला, खण्ड, स्कूल, ग्राम स्तरीय एंव सेवा प्रदाताओं की कार्यशाला का आयोजन कर उपस्थित प्रतिभागियों को अभियान के प्रति संवेदनशील बनाना इसका मुख्य उद्देश्य  है। लाडो अभियान  के अन्तर्गत  बाल विवाह को रोकने हेतु प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2014 में लोक प्रशासन के उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार से  मध्य प्रदेश को नवाजा जा  चुका  है ।किशोरी बालिका , बच्चों,किशोरियों, गर्भवती माताओं  और  प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और एनीमिया की रोकथाम, किशोरियों में पोषण जागरूकता हेतु लालिमा योजना संचालित की जा रही हैं। इस अभियान के तहत किशोरी बालिकाएं, गर्भवती महिलाएं व बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को पोष्टिक आहार की जानकारी देने के साथ ही उन्हें स्वस्थ्य रहने के तरीके बताए जा रहे हैं ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दूरदर्शी नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में  नया इतिहास रचा है। प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा  और  उनके प्रति समाज की सोच में बदलाव लाने के उद्देश्य से  प्रदेश में मुख्यमंत्री द्वारा पंख अभियान के माध्यम से नए पंख लगाने की कोशिश जहाँ हुई है वहीँ महिअलों के साथ होने वाले दुष्कर्मों को रोकने के लिए अपराधियों को फांसी देने का निर्णय हुआ है। बालिकाओं को प्रताड़ना से बचाने के लिए प्रदेश  में मुस्कान अभियान  भी चल रहा है जिसके माध्यम से 10 हजार से अधिक बालिकाओं को बचाया गया है।  मुख्यमंत्री शिवराज  की योजनाओं का प्रतिफल है आज प्रदेश के  लिंगानुपात के स्तर में भी तेजी से  सुधार  हो रहा है।  महिलाओं  के प्रति अपराध पर प्रदेश के भीतर सम्मान जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू हुआ है जिसमें हेल्पलाइन के माध्यम से महिलाएं संकट के समय सीधे काल कर रही  हैं।  सम्मान अभियान बेटियों को बुरी नजर से देखने वालों को सबक सिखाने के लिए और समाज में जागरूकता लाने के लिए ये अभियान चलाया जा रहा है । ये  संकट के समय महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा  है। जो महिलाएं कभी पुलिस के सामने जाने से कतराती थी आज  काम के लिए घरों से बाहर  जाने वाली महिलाएं अपना पंजीकरण बढ़ चढ़कर करा  रही हैं और पुलिसकर्मी अपने पास उनका  रिकार्ड  संरक्षित रख रहे हैं। प्रदेश में ये बड़ा बदलाव है।  लाड़ली लक्ष्मी योजना मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गयी ऐसी योजना  है जिसने पूरे देश में अपनी छाप छोड़ी है।  यही वो योजना है जिसने सीएम शिवराज को बेटियों का मामा  बना दिया और पूरे देश में  मुख्यमंत्री शिवराज  की लोकप्रियता बढ़  गई । आज प्रदेश में जहाँ 43  लाख लाड़लियों को इसके दायरे में लाया जा  चुका  है वहीँ देश के 8  राज्यों ने भी मुख्यमंत्री की इस योजना को दिल से सराहा और इसे अपने  प्रदेशों  में लागू  करने पर मजबूर किया है।  इस योजना को मुख्यमंत्री शिवराज ने 2007 में शुरू किया था। तब से  आज तक योजना को सार्थक बनाने के लिए सरकार द्वारा समय -समय पर कई बदलाव किये गए हैं । प्रदेश सरकार द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत बालिकाओं को कक्षा 6 में प्रवेश पर 2 हजार रूपए, कक्षा 9वीं में प्रवेश पर 4 हजार रूपए, कक्षा 11वीं में प्रवेश पर 6 हजार रूपए और कक्षा 12वीं में प्रवेश पर 6 हजार रूपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। बालिका के 12वीं की परीक्षा में शामिल होने और 18 वर्ष की आयु तक विवाह न करने तथा 21 वर्ष पूर्ण होने पर एक लाख रूपए के भुगतान की व्यवस्था की गई है। यही नहीं सरकार द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना  में पंजीकृत बालिकाओं को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने पर उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन स्वरूप 25 हजार रूपए की राशि प्रदान की जाती है । अब बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना को स्वास्थ्य और पोषण से भी जोड़ा जा रहा है। लाभार्थी बालिकाओं के टीकाकरण, एनीमिया सहित अन्य आवश्यक स्वास्थ्य जाँचों की व्यवस्था और पोषण आहार की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। लाड़ली लक्ष्मी के माता-पिता को बालिका कल्याण के लिए संचालित सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहित कर उनमें प्रतिदिन  बचत  करने के संस्कार भी डाले जा रहे  हैं । प्रदेश में महिलाओं के  बेहतर लिंगानुपात को  सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को पुरस्कृत करने की योजना भी बनाई जा रही है । 2021 में मुख्यमंत्री शिवराज ने मध्य प्रदेश प्रतिभा किरण छात्रवृत्ति योजना शुरू कर बेटियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया है।  गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाली तमाम बालिकाओं के लिए ये नई  उम्मीद लेकर आई  है जिससे उनमें भी पढ़ने की एक नई ललक  जगी है।  इसी तर्ज पर पिछले साल  प्रदेश में मेधावी छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए गाँव बेटी योजना शुरू की गई  जो  प्रतिभाशाली बेटियों के लिए  उम्मीद की नई किरण बनकर आई है। मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना  के तहत विपत्तिग्रस्त पीड़ित, कठिन परिस्थितियों में निवास कर रही महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक उन्नयन  हेतु स्थायी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है  ताकि उन्हें आजीविका मिल सके।

केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं में भी मध्य प्रदेश का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है।  प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का जहाँ सफल क्रियान्वयन हुआ है वहीँ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के माध्यम से प्रदेश की महिलाओं को मातृत्व अवकाश के साथ प्रतिमाह 6  हजार रु दिए जा रहे हैं।  प्रदेश में करोड़ों महिलाओं के जहाँ जन-धन खाते खुले हैं वहीँ शौचालयों  का निर्माण भी तेजी से हुआ है।  प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देने के साथ ही उन्हें  समुचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करती है । गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार और नकदी प्रोत्साहन के माध्यम से अधीन-पोषण के प्रभाव को कम करना इसका मुख्य उद्देश्य है । केंद्र से लेकर राज्य सरकार की हर योजनाओं में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं।  

इस प्रकार कहा जा सकता है महिला सशक्तीकरण को लेकर प्रदेश की मौजूदा सरकार बेहद संजीदा है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  की अगुवाई में इस दिशा में लगातार सार्थक प्रयास किए जा  रहे हैं। एक समय था जब प्रदेश में महिलाओं को बोझ समझा जाता था । समाज की इस मानसिकता को अपनी योजनाओं के जरिए बदलने का काम मुख्यमंत्री शिवराज ने  बखूबी किया है  । यह साधारण बात नहीं है उनकी बनाई गई कई  योजनाएं अन्य राज्यों ने भी दिल से  स्वीकारा है ।