लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को सुशासन, नारी सशक्तिकरण और जनकल्याण की प्रतीक माना जाता है। अपने शासनकाल में जनकल्याण और समावेशी विकास की ऐसी मिसाल कायम की जो आज भी समाज के लिए प्रेरणादायी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उनकी इस विरासत को न केवल संरक्षित करने का संकल्प लिया है, बल्कि इसे आधार बनाकर प्रदेश को विकास के नए आयामों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में सुशासन की अनूठी मिसाल प्रस्तुत की। उन्होंने न केवल प्रशासनिक दक्षता और न्यायप्रियता का परिचय दिया, बल्कि समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। मंदिरों, घाटों, सरायों और जल संरक्षण परियोजनाओं के निर्माण के माध्यम से उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक अभ्युदय को बढ़ावा दिया। उनकी यह विरासत आज भी मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का आधार है जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव अपने विजन से नई दिशा दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के अवसर पर उनके कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने और उनके आदर्शों को विकास नीतियों में समाहित करने का संकल्प लिया है। अहिल्याबाई की पुण्य गाथा के नाटकों का आज पूरे प्रदेश में मंचन हो रहा है जिसके चलते उनके कार्यों की जानकारी आम आदमी तक पहुंच रही है। इस नाटक के माध्यम से आमजन अहिल्या बाई के कार्यों को समझ रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव खुद अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ इस नाटक को इंदौर में देख चुके हैं।
डॉ. मोहन यादव की सरकार ने 'विरासत के साथ विकास' के मंत्र को अपनाते हुए मध्यप्रदेश को एक समृद्ध और सशक्त राज्य बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनकी नीतियां और योजनाएं न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित हैं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देती हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने का जो संकल्प लोकमाता लिया था, उसे डॉ. मोहन यादव की सरकार 'देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन' के माध्यम से साकार कर रही है। यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ज्ञान' (गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी) मंत्र से प्रेरित है। इस मिशन के तहत बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, और आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं जैसे लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना, लखपति दीदी और महिला स्व-सहायता समूहों का सशक्तिकरण लागू किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के अनेक धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी जैसे कदम उठाए गए हैं।
अहिल्याबाई के शासनकाल में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक दक्षता का विशेष महत्व था। डॉ. मोहन यादव ने इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए ई-गवर्नेंस की सुशासन प्रणालियों को प्रदेश में बेहतर ढंग से लागू किया है। उनकी सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाओं को अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए जनकल्याण पर्व जैसे अभियान शुरू किए हैं जिनमें शिविरों के माध्यम से योजनाओं का लाभ वंचित वर्गों तक पहुंचाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महारानी अहिल्या के शासनकाल के फैसले, नीतियों से प्रेरित होकर अपनी कैबिनेट की बैठक इंदौर के राजबाड़ा में रखी जिसमें अहिल्याबाई की दूरदृष्टि से प्रेरित होकर प्रदेश के विकास के लिए कई निर्णय लिए गए जिसमें 3876 करोड़ रु. की सौगात प्रदेश को दी गई। मोहन सरकार की मौजूदा नीतियों में शामिल सुशासन, जनसुनवाई और महिला सशक्तिकरण उन्हीं से प्रेरित है।
डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए कई पहल की हैं। अहिल्यादेवी द्वारा निर्मित मंदिरों, धर्मशालाओंऔर अन्य सामुदायिक संरचनाओं के रखरखाव के लिए अन्य राज्यों के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, श्रीराम वन गमन पथ, श्रीकृष्ण पाथेय, और सिंहस्थ 2028 जैसे आयोजनों के लिए विशेष बजट प्रावधान किए गए हैं। ये प्रयास न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देंगे, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित करेंगे।
डॉ. मोहन यादव की सरकार ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस योजना तैयार की है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने बीते डेढ़ वर्ष में औद्योगिक विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रदेश को राष्ट्रीय और वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर स्थापित करने के लिए उन्होंने न केवल बेहतर नीतियां बनाई, बल्कि जमीनी स्तर पर निवेश और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जीआईएस और रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव किए। इस तरह के भव्य आयोजनों ने विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक संभावनाओं को मजबूती प्रदान की। इसके साथ ही निवेशकों के साथ सीएम डॉ.यादव ने सीधा संवाद स्थापित किया जिससे मध्यप्रदेश के औद्योगिक विकास को नई गति मिली। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निवेश आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यूके, जर्मनी और जापान की यात्रा कर वहां की प्रमुख कंपनियों और निवेशकों से संवाद स्थापित किया। अगले पांच वर्षों में 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।यह योजना उद्योग विभाग द्वारा तैयार की गई है और निवेशकों की बैठकों में इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
अहिल्याबाई होलकर ने जल संरक्षण और संवर्धन के लिए कई घाटों और जलाशयों का निर्माण करवाया था। उनकी इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए डॉ. मोहन यादव की सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना, पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, और ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना जैसी योजनाओं को प्राथमिकता दी है। ये परियोजनाएं किसानों के लिए वरदान साबित होंगी और प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगी। इसके अलावा जलगंगा संवर्धन अभियान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मोहन सरकार नई लकीर खींचती हुई नजर आ रही है। मोहन सरकार “खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में’’ के सिद्धांत पर जल संरक्षण की दिशा में ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ चला रही है। "जल गंगा संवर्धन अभियान" जन-भागीदारी से चलाया जा रहा है जो 30 मार्च से 30 जून 2025 तक चलेगा और इसमें 52 जिलों को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आहवान पर जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए वर्षा जल संचयन के साथ नदियों एवं पारम्परिक जल स्रोतों का पुनर्जीवन और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत जल स्रोतों तथा नदी, तालाबों, कुओं, बावड़ी तथा अन्य जल स्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन हेतु जीर्णोद्धार एवं सफाई के कार्य किये जा रहे हैं। किसानों को संगोष्ठियों के माध्यम से जल संवर्धन, वर्षा जल संचयन, भूजल की रिचार्जिंग तकनीकों के विषय में जानकारियां दी जा रही हैं ।
लोकमाता अहिल्याबाई की विरासत मध्यप्रदेश के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जिसे डॉ. मोहन यादव ने अपने विकासपथ का आधार बनाया है और उनकी कार्यशैली में भी लोकमाता की कार्यशैली की झलक दिखाई देती है। डॉ.मोहन यादव समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुँचाना चाहते हैं और अहिल्या की विरासत से अपने विकास के संकल्प को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। उनकी सरकार नारी सशक्तिकरण, सुशासन और सांस्कृतिक संरक्षण के माध्यम से मध्यप्रदेश को एक समृद्ध और विकसित राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर है। लोकमाता अहिल्याबाई की तरह डॉ. मोहन यादव भी अपनी कुशल प्रशासनिक दक्षता और त्वरित निर्णयों से मध्यप्रदेश में एक नई छाप छोड़ते दिखाई देते हैं।
अहिल्यादेवी के आदर्शों को आत्मसात करते हुए डॉ.मोहन यादव के ये प्रयास न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि समूचे देश के लिए एक प्रेरणा है। अहिल्यादेवी की दूरदृष्टि से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने विकास के साथ-साथ अपनी समृद्ध विरासत को सहेजने का जो संकल्प लिया है, वह निश्चित रूप से प्रदेश को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की विरासत मध्यप्रदेश के लिए एक अमूल्य धरोहर है जिसे डॉ. मोहन यादव ने विजन से नई गति मिल रही है। उनकी सरकार नारी सशक्तिकरण, सुशासन और सांस्कृतिक अभ्युदय के माध्यम से एक समृद्ध और विकसित मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में अग्रसर है। अहिल्यादेवी के आदर्शों को आत्मसात करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यह प्रयास न केवल समूचे देश के लिए एक नई प्रेरणा का स्त्रोत है।
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