१५ वी लोक सभा का काउन डाउन शुरू हो गया है....... सभी पार्टियों ने अपनी सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है...... जिधर देखो आजकल चुनावी घमासान चल रहा है..... हर तरफ़ ... नारों की गूंज सुनाई दे रही है ...... नेताओ ने जनता जनार्दन के द्वारे आना शुरू कर दिया है... भले ही साथ में रहने पर ५ साल कभी जनता के द्वारे नही आए हो ... लेकिन इस चुनावी बेला में जनता के द्वारे आकर सभी फिर से वोट मांग रहे है... लेकिन आंध्र की कहानी इस बार अलग हो गई है ....
आंध्र प्रदेश में लगभग १३ जिलो में चुनाव प्रचार का एक चरण समाप्त हो गया है ... पहले लोक सभा की २२ सीट और विधान सभा की कुछ सीट पर तो बाकायदा मतदान भी हो चुका है..... ५०० उम्मीद वारो के भाग्य का फेसला आने वाले १६ मई को होगा .... इन प्रत्याशियों ने पहला चरण पूरा होने के बाद राहत की सास ली है क्युकी भगवान् भास्कर ने इन दिनों अपनी गर्मी से लोगो के साथ नेताओ के पसीने निकाल दिए है..... एक चरण निपटने के बाद निश्चित ही उन नेताओ ने की सास ली है... पहले चरण में जिन बड़े नेताओ का भाग्य मतपेटियों में बंद हो गया है उनमे के चंद्रशेखर राव , विजय कान्त , बंगारू दत्ता जैसे नाम शामिल है॥
राज्य में मतदान का अगला चरण २३ अप्रैल को होना है जिसकी सभी तैयारिया पूरी कर ली गई है.... आन्ध्र प्रदेश में इस बार सभी की नजरे लगी है... यहाँ पर अभी कांग्रेस की राज शेखर रेड्डी की सरकार है... यह चुनाव इस लिए खास है क्युकि यहाँ पर इस बार लोक सभा के चुनावो के साथ विधान सभा के चुनाव भी साथ हो रहे है आंध्र में लोक सभा की ४२ और विधान सभा की २९४ सीट है... पिछले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में २९, टीआरएस , तेलगु देशम के खाते में ५ सीटआई थी इस बार कांग्रेस के सत्ता में होने के कारण उसको "एंटी इनकम बेंसी" का खतरा सता रहा है...आन्ध्र का इस बार का नजारा बिल्कुल अलग है... अब तक के चुनावो में यहाँ पर तेलगु देशम और कांग्रेस के बीच लड़ाई होती रही है लेकिन इस बार यहाँ पर फ़िल्म अभिनेता " चिरंजीवी" के आने से मुकाबला दिलचस्प बनता जा रहा है सभी पार्टियों में इस बार फ़िल्म अभिनेताओ को उतारने की होड़ मची हुई है साथ ही लोक लुभावन वायदों के द्वारा मतदाताओ को रिझाया जा रहा है इस बार के हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है प्रदेश के भीतर फिल्मी अभिनेताओ का घमासान मच रहा है ....आन्ध्र प्रदेश के इस विधान सभा चुनावो के मुख्य मुकाबले तेलगु देशम , कांग्रेस , प्रजा राज्यम और टी आर अस के बीच हो रहे है..... यह पहली बार हो रहा है राज्य में चतुस्कोनीय मुकाबला चल रहा है ... इस बार राज्य में "लोकसत्ता" नाम की एक नई पार्टी चुनावी संग्राम को दिलचस्प बना रही है..... यह पार्टी " जय प्रकाश नारायण ने बनाई है...जो पहले प्रशासनिक अधिकारी रह चुके है..... उनकी माने तो जनता इस चुनावो में बदलाव चाहती है... वह कांग्रेस और चंद्रबाबू की सरकारों से आजिज आ चुकी है.....चिरंजीवी के साथ लोकसत्ता और के चंदशेखर राऊ की पार्टी भी इस चुनाव में कांग्रेस और टी आर अस के लिए मुसीबत खड़ी कर रही है ... यह पहली बार हो रहा है जब आंध्र के इतिहास में चार पार्टिया मैदानी ज़ंग में अपने योद्धाओ को उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना रही है...आन्ध्र की राजनीती अभी तक तेलगु देशम और कांग्रेस के इर्द गिर्द ही घूमती रही है... एन टी रामा राव के दौर से कांग्रेस और तेलगु देशम पार्टी में घमासान होता आया है... लेकिन इस बार "चीरू " के राजनीती में आने के चलते वहां के सारे समीकरण गडबडा गए है.... राजनीतिक टीकाकार बताते है आन्ध्र की राजनीती में ऐसा दौर १९७८ के आस पास देखा गया था जब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था... यह वह दौर था जब जनता पार्टी का उदय हो गया था....चिरंजीवी की सभाओ में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही है..... इसने सभी लोगो की नीद हराम कर दी है..... इसका कारण यह है आंध्र में चीरू को अभिनेता के तौर पर बहुत बड़ी लोकप्रियता मिलती रही है... अब उनके राजनीती में आने के बाद इस बात के कयास अभी से लगने शुरू हो गए है की वह आंध्र की राजनीती में इस बार कोई बड़ा उलट फेर करने जा रहे है... आन्ध्र का यह चुनाव सारे अनुमानों को धता बता देगा..... " चीरू " जैसे बड़े अभिनेता को राजनीतिक मोर्चे पर मौत देने के लिए उनके विरोधी दल कारगर रणनीति पर काम करना शुरू कर चुके है... अभी तक कांग्रेस ही एकमात्र ऐसे पार्टी है जो " चीरू" की काट का "ब्रह्मास्त्र " नही छोड़ पा रही है... लेकिन इस रेस में "चंद्रबाबू " आगे दिखाई दे रहे है... चीरू की काट के लिए वह भी अभिनेताओ की शरण में जाने से गुरेज नही कर रहे है..... चुनाव प्रचार में अन टी आर जूनियर जैसे सितारों को आगे करने से उनके तेवर स्पस्ट हो जाते है...सबको साथ लेकर चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है लोक लुभावन वायदों की भरमार लगी हुई है .... आम आदमी यह नही समझ पा रहा है वह इस चुनाव में किसका दामन थामे.....? ९ साल अंदर की राजनीती के हीरो रहे चंद्रबाबू नायडू इस चुनाव में अपने लोक लुभावन पिटारे के साथ मैदान में है... उनके पिटारे में कई योजनाओ की भरमार है नायडू राज्य में उनकी सरकार आने पर किसानो को मुफ्त बिजली , गरीब परिवारों को गुजारा भत्ता , और टेलीविज़न देने जैसे वादों को अपनी चुनावी सभा में कर रहे है॥ वही इस कड़ी में चिरंजीवी भी पीछे नही है... वह १०० रुपये में गैस , राशन पानी देने की बात कर रहे है... चीरू की माने तो अगर उनकी पार्टी सत्ता में आ जाती है तो वह आम आदमी को ध्यान में रखकर नीतियों को बनायेंगे....वही इन सबसे हटकर कांग्रेस के मुख्य मंत्री राज शेखर रेड्डी है... उनकी माने तो राज्य में ५ सालो में काफ़ी विकास कार्य उनके द्वारा कराये गए है..... अतः वह विकास को राज्य में एक बड़ा मुद्दा बनने की ठान रहे है..... यही नही कांग्रेस की माने तो उनके शासन में गरीबो को २ रूपया किलो चावल, मुफ्त बीमा दिया गया ... साथ ही बिजली की आँख मिचोली वाली समस्या से लोगो को उनके शासनमें निजात मिली..... कांग्रेस फिल्मी कलाकारों को चुनाव प्रचार के लिए लाने से परहेज कर रही है॥ वही तेलंगाना का मुद्दा इस चुनाव में ठंडा पड़ गया लगता है... लेकिन चंद्र शेखर राव की माने तो यह मुद्दा भी इस चुनाव में तेलंगाना वाली बेल्ट पर अपना असर दिखायेगा..... अगर ऐसा हो जाता है तो राव की पार्टी इस चुनाव में अपनी अच्छी स्थिति बरकरार रखने में सफल हो जायेगी.... लेकिन फिर भी यह कह पाना जल्द बाजी होगी ॥ आज के समय में वोटरों के मिजाज को नही पड़ा जा सकता है॥ वह किस दिशा में जायेगा इसका अनुमान लगा पाना मुश्किल है... लोक सत्ता पर क्या मतदाता भरोसा करेंगे यह कह पाना भी मुश्किल दिखाई देता है... तेलंगाना के सवाल पर चंद्रशेखर ही एकजुट है... कांग्रेस और चंद्रबाबू की पार्टी शुरू से राज्य के बटवारे के खिलाफ रही है... भाकपा , माकपा जैसे दल भी राज्य के बटवारे के फेवर में नही है....अब देखना होगा की जानत जनार्दन इस पर अपना मतदान किसको करती है....?वैसे इस मसले पर भाजपा तेलंगाना के साथ है..... लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है राज्य में भाजपा का कोई आधार नही बचा है... कभी केन्द्र में वाजपेयी के साथी रहे चंद्र बाबू के साथ भाजपा ने गटबंधन किया था जिसके चलते पार्टी का राज्य में वोट का परसेंट बना था लेकिन अब चंद्र बाबू के तीसरे मोर्चे के साथ जाने से आडवानी के पी ऍम बन्ने किसके उम्मीदों पर पलीता लग गया है ....... साउथ में पार्टी के साथ कोई साथी न होने से आने वाले समय में पार्टी को कई परेशानियों से दो चार होना पड़ सकता है... यह समय ऐसा है जो गठबंधन राजनीती का है॥ ऐसे में बीजेपी के आंध्र में कोई सहयोगी न होने से पार्टी को दिक्कत हो रही है.... पार्टी ने चिरंजीवी पर डोरे डालने की कोशिस भी की लेकिन चीरू ने साथ आने से मन कर दिया .....२९४ की विधान सभा में भाजपा के पास केवल २ सदस्य बचे है .... वही २००४ के लोक सभा चुनावो में पार्टी का खाता ही नही खुल पाया था...... अतः इस बारअकेले पड़ने के कारन पार्टी की हालत खस्ता है.... बताया जाता है आडवानी चाहते थे इस चुनाव में बीजेपी के सभी बड़े नेता लोक सभा चुनाव में कूदे ... इसी कारन से उन्होंने सभी बीजेपी के बड़े नेताओ को मैदान में उतारा जो अभी तक राज्य सभा के सदस्य थे... केवल जेटली और वेंकैया नायडू ही ऐसे बचे जिन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया ... बीजेपी के सूत्रों की माने तो आडवाणी जेटली को दिल्ली या सूरत से लड़वाना चाहते थे लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया ..... जेटली का जैसा वेंकैया नायडू के साथ भी हुआ ..... आडवानी की मंशा उनको " नेल्लूर" से लड़ाने की थी लेकिन नायडू के हामी न भर पाने के चलते उनको निरासा हाथ लगी ... आडवानी के रणनीतिकार चाहते थे नायडू जैसे नेता के आन्ध्र से चुनाव लड़ने से राज्य में पार्टी को एक बड़ा नेता मिल जाता जिससे राज्य में बीजेपी एक मजबूत विकल्प के रूपमें उभर सकती थी... लेकिन क्या किया जाता जब नायडू ख़ुद चुनाव प्रबंधन का जिम्मा अपने कंधो में लेना चाहते थे....
हमारी समझ के अनुसार इस बार आंध्र में जात पात भी सत्ता के समीकरणों को प्रभावित करेगा ... यहाँ बता दे प्रदेश में ५०% से ज्यादा वोट पिछडी जातियों के है यह जिसकी दिशा में जायेंगे हवा का रुख उस दिशा में हो जायेगा... शेष लड़ाई कम्मा, कापू, रेड्डी के बीच है... बताया जाता है चंद्रबाबू के साथ कम्मा का , कांग्रेस के साथ रेड्डी का जनाधार है.... अब" चीरू "के राजनीती में आने के बाद उनके साथ कापू लोग आ जायेंगे.... यही नही स्टार होने के चलते गावो से आने वाले बड़े वोट उनकी स्थिति मजबूत करेंगे..... जिस अंदाज में चीरू सभाओ में भीड़ जुटा रहे है उसको देखते हुए कहा जा सकता है इस बार वह कांग्रेस और चंद्र बाबू की चुनावी राह में रोड़ा बुन रहे है .... तमाम विश्लेषको का मानना है इस बार का दंगल दिलचस्प होने जा रहा है ..... अगर कांग्रेस अपने ५०% पिछडी जातियों के वोट जुटाने में कामयाब हो गई तो वह फिर से विधान सभा चुनावो में अपना जलवा बिखेर सकती है.... लोक सभा में क्या होगा यह कह पाना मुश्किल है...? लेकिन चीरू की माने को पहला चरण निपटने के बाद उनको ७० विधान सभा और १० -१५ लोक सभा सीट जीतने की पूरी उम्मीद है.... वैसे चुनाव के दौरान किसी भी वोटर के मिजाज को पड़ पाना बड़ा असंभव कार्य है ... लेकिन चीरू अपने को बड़ा राजनीतिक पंडित साबित करने पर तुले हुए है..... अब देखना होगा प्रजा राज्यम के इस चीरू का यह आंकलन कितना सही साबित होता है
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