Sunday 19 April 2009

"चीरू" के आने से खल बलायेगी आन्ध्र की राजनीति....(लोक सभा का महासमर )












१५ वी लोक सभा का काउन डाउन शुरू हो गया है....... सभी पार्टियों ने अपनी सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है...... जिधर देखो आजकल चुनावी घमासान चल रहा है..... हर तरफ़ ... नारों की गूंज सुनाई दे रही है ...... नेताओ ने जनता जनार्दन के द्वारे आना शुरू कर दिया है... भले ही साथ में रहने पर ५ साल कभी जनता के द्वारे नही आए हो ... लेकिन इस चुनावी बेला में जनता के द्वारे आकर सभी फिर से वोट मांग रहे है... लेकिन आंध्र की कहानी इस बार अलग हो गई है ....
आंध्र प्रदेश में लगभग १३ जिलो में चुनाव प्रचार का एक चरण समाप्त हो गया है ... पहले लोक सभा की २२ सीट और विधान सभा की कुछ सीट पर तो बाकायदा मतदान भी हो चुका है..... ५०० उम्मीद वारो के भाग्य का फेसला आने वाले १६ मई को होगा .... इन प्रत्याशियों ने पहला चरण पूरा होने के बाद राहत की सास ली है क्युकी भगवान् भास्कर ने इन दिनों अपनी गर्मी से लोगो के साथ नेताओ के पसीने निकाल दिए है..... एक चरण निपटने के बाद निश्चित ही उन नेताओ ने की सास ली है... पहले चरण में जिन बड़े नेताओ का भाग्य मतपेटियों में बंद हो गया है उनमे के चंद्रशेखर राव , विजय कान्त , बंगारू दत्ता जैसे नाम शामिल है॥
राज्य में मतदान का अगला चरण २३ अप्रैल को होना है जिसकी सभी तैयारिया पूरी कर ली गई है.... आन्ध्र प्रदेश में इस बार सभी की नजरे लगी है... यहाँ पर अभी कांग्रेस की राज शेखर रेड्डी की सरकार है... यह चुनाव इस लिए खास है क्युकि यहाँ पर इस बार लोक सभा के चुनावो के साथ विधान सभा के चुनाव भी साथ हो रहे है आंध्र में लोक सभा की ४२ और विधान सभा की २९४ सीट है... पिछले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में २९, टीआरएस , तेलगु देशम के खाते में ५ सीटआई थी इस बार कांग्रेस के सत्ता में होने के कारण उसको "एंटी इनकम बेंसी" का खतरा सता रहा है...आन्ध्र का इस बार का नजारा बिल्कुल अलग है... अब तक के चुनावो में यहाँ पर तेलगु देशम और कांग्रेस के बीच लड़ाई होती रही है लेकिन इस बार यहाँ पर फ़िल्म अभिनेता " चिरंजीवी" के आने से मुकाबला दिलचस्प बनता जा रहा है सभी पार्टियों में इस बार फ़िल्म अभिनेताओ को उतारने की होड़ मची हुई है साथ ही लोक लुभावन वायदों के द्वारा मतदाताओ को रिझाया जा रहा है इस बार के हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है प्रदेश के भीतर फिल्मी अभिनेताओ का घमासान मच रहा है ....आन्ध्र प्रदेश के इस विधान सभा चुनावो के मुख्य मुकाबले तेलगु देशम , कांग्रेस , प्रजा राज्यम और टी आर अस के बीच हो रहे है..... यह पहली बार हो रहा है राज्य में चतुस्कोनीय मुकाबला चल रहा है ... इस बार राज्य में "लोकसत्ता" नाम की एक नई पार्टी चुनावी संग्राम को दिलचस्प बना रही है..... यह पार्टी " जय प्रकाश नारायण ने बनाई है...जो पहले प्रशासनिक अधिकारी रह चुके है..... उनकी माने तो जनता इस चुनावो में बदलाव चाहती है... वह कांग्रेस और चंद्रबाबू की सरकारों से आजिज आ चुकी है.....चिरंजीवी के साथ लोकसत्ता और के चंदशेखर राऊ की पार्टी भी इस चुनाव में कांग्रेस और टी आर अस के लिए मुसीबत खड़ी कर रही है ... यह पहली बार हो रहा है जब आंध्र के इतिहास में चार पार्टिया मैदानी ज़ंग में अपने योद्धाओ को उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना रही है...आन्ध्र की राजनीती अभी तक तेलगु देशम और कांग्रेस के इर्द गिर्द ही घूमती रही है... एन टी रामा राव के दौर से कांग्रेस और तेलगु देशम पार्टी में घमासान होता आया है... लेकिन इस बार "चीरू " के राजनीती में आने के चलते वहां के सारे समीकरण गडबडा गए है.... राजनीतिक टीकाकार बताते है आन्ध्र की राजनीती में ऐसा दौर १९७८ के आस पास देखा गया था जब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था... यह वह दौर था जब जनता पार्टी का उदय हो गया था....चिरंजीवी की सभाओ में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही है..... इसने सभी लोगो की नीद हराम कर दी है..... इसका कारण यह है आंध्र में चीरू को अभिनेता के तौर पर बहुत बड़ी लोकप्रियता मिलती रही है... अब उनके राजनीती में आने के बाद इस बात के कयास अभी से लगने शुरू हो गए है की वह आंध्र की राजनीती में इस बार कोई बड़ा उलट फेर करने जा रहे है... आन्ध्र का यह चुनाव सारे अनुमानों को धता बता देगा..... " चीरू " जैसे बड़े अभिनेता को राजनीतिक मोर्चे पर मौत देने के लिए उनके विरोधी दल कारगर रणनीति पर काम करना शुरू कर चुके है... अभी तक कांग्रेस ही एकमात्र ऐसे पार्टी है जो " चीरू" की काट का "ब्रह्मास्त्र " नही छोड़ पा रही है... लेकिन इस रेस में "चंद्रबाबू " आगे दिखाई दे रहे है... चीरू की काट के लिए वह भी अभिनेताओ की शरण में जाने से गुरेज नही कर रहे है..... चुनाव प्रचार में अन टी आर जूनियर जैसे सितारों को आगे करने से उनके तेवर स्पस्ट हो जाते है...सबको साथ लेकर चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है लोक लुभावन वायदों की भरमार लगी हुई है .... आम आदमी यह नही समझ पा रहा है वह इस चुनाव में किसका दामन थामे.....? ९ साल अंदर की राजनीती के हीरो रहे चंद्रबाबू नायडू इस चुनाव में अपने लोक लुभावन पिटारे के साथ मैदान में है... उनके पिटारे में कई योजनाओ की भरमार है नायडू राज्य में उनकी सरकार आने पर किसानो को मुफ्त बिजली , गरीब परिवारों को गुजारा भत्ता , और टेलीविज़न देने जैसे वादों को अपनी चुनावी सभा में कर रहे है॥ वही इस कड़ी में चिरंजीवी भी पीछे नही है... वह १०० रुपये में गैस , राशन पानी देने की बात कर रहे है... चीरू की माने तो अगर उनकी पार्टी सत्ता में आ जाती है तो वह आम आदमी को ध्यान में रखकर नीतियों को बनायेंगे....वही इन सबसे हटकर कांग्रेस के मुख्य मंत्री राज शेखर रेड्डी है... उनकी माने तो राज्य में ५ सालो में काफ़ी विकास कार्य उनके द्वारा कराये गए है..... अतः वह विकास को राज्य में एक बड़ा मुद्दा बनने की ठान रहे है..... यही नही कांग्रेस की माने तो उनके शासन में गरीबो को २ रूपया किलो चावल, मुफ्त बीमा दिया गया ... साथ ही बिजली की आँख मिचोली वाली समस्या से लोगो को उनके शासनमें निजात मिली..... कांग्रेस फिल्मी कलाकारों को चुनाव प्रचार के लिए लाने से परहेज कर रही है॥ वही तेलंगाना का मुद्दा इस चुनाव में ठंडा पड़ गया लगता है... लेकिन चंद्र शेखर राव की माने तो यह मुद्दा भी इस चुनाव में तेलंगाना वाली बेल्ट पर अपना असर दिखायेगा..... अगर ऐसा हो जाता है तो राव की पार्टी इस चुनाव में अपनी अच्छी स्थिति बरकरार रखने में सफल हो जायेगी.... लेकिन फिर भी यह कह पाना जल्द बाजी होगी ॥ आज के समय में वोटरों के मिजाज को नही पड़ा जा सकता है॥ वह किस दिशा में जायेगा इसका अनुमान लगा पाना मुश्किल है... लोक सत्ता पर क्या मतदाता भरोसा करेंगे यह कह पाना भी मुश्किल दिखाई देता है... तेलंगाना के सवाल पर चंद्रशेखर ही एकजुट है... कांग्रेस और चंद्रबाबू की पार्टी शुरू से राज्य के बटवारे के खिलाफ रही है... भाकपा , माकपा जैसे दल भी राज्य के बटवारे के फेवर में नही है....अब देखना होगा की जानत जनार्दन इस पर अपना मतदान किसको करती है....?वैसे इस मसले पर भाजपा तेलंगाना के साथ है..... लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है राज्य में भाजपा का कोई आधार नही बचा है... कभी केन्द्र में वाजपेयी के साथी रहे चंद्र बाबू के साथ भाजपा ने गटबंधन किया था जिसके चलते पार्टी का राज्य में वोट का परसेंट बना था लेकिन अब चंद्र बाबू के तीसरे मोर्चे के साथ जाने से आडवानी के पी ऍम बन्ने किसके उम्मीदों पर पलीता लग गया है ....... साउथ में पार्टी के साथ कोई साथी न होने से आने वाले समय में पार्टी को कई परेशानियों से दो चार होना पड़ सकता है... यह समय ऐसा है जो गठबंधन राजनीती का है॥ ऐसे में बीजेपी के आंध्र में कोई सहयोगी न होने से पार्टी को दिक्कत हो रही है.... पार्टी ने चिरंजीवी पर डोरे डालने की कोशिस भी की लेकिन चीरू ने साथ आने से मन कर दिया .....२९४ की विधान सभा में भाजपा के पास केवल २ सदस्य बचे है .... वही २००४ के लोक सभा चुनावो में पार्टी का खाता ही नही खुल पाया था...... अतः इस बारअकेले पड़ने के कारन पार्टी की हालत खस्ता है.... बताया जाता है आडवानी चाहते थे इस चुनाव में बीजेपी के सभी बड़े नेता लोक सभा चुनाव में कूदे ... इसी कारन से उन्होंने सभी बीजेपी के बड़े नेताओ को मैदान में उतारा जो अभी तक राज्य सभा के सदस्य थे... केवल जेटली और वेंकैया नायडू ही ऐसे बचे जिन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया ... बीजेपी के सूत्रों की माने तो आडवाणी जेटली को दिल्ली या सूरत से लड़वाना चाहते थे लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया ..... जेटली का जैसा वेंकैया नायडू के साथ भी हुआ ..... आडवानी की मंशा उनको " नेल्लूर" से लड़ाने की थी लेकिन नायडू के हामी न भर पाने के चलते उनको निरासा हाथ लगी ... आडवानी के रणनीतिकार चाहते थे नायडू जैसे नेता के आन्ध्र से चुनाव लड़ने से राज्य में पार्टी को एक बड़ा नेता मिल जाता जिससे राज्य में बीजेपी एक मजबूत विकल्प के रूपमें उभर सकती थी... लेकिन क्या किया जाता जब नायडू ख़ुद चुनाव प्रबंधन का जिम्मा अपने कंधो में लेना चाहते थे....
हमारी समझ के अनुसार इस बार आंध्र में जात पात भी सत्ता के समीकरणों को प्रभावित करेगा ... यहाँ बता दे प्रदेश में ५०% से ज्यादा वोट पिछडी जातियों के है यह जिसकी दिशा में जायेंगे हवा का रुख उस दिशा में हो जायेगा... शेष लड़ाई कम्मा, कापू, रेड्डी के बीच है... बताया जाता है चंद्रबाबू के साथ कम्मा का , कांग्रेस के साथ रेड्डी का जनाधार है.... अब" चीरू "के राजनीती में आने के बाद उनके साथ कापू लोग आ जायेंगे.... यही नही स्टार होने के चलते गावो से आने वाले बड़े वोट उनकी स्थिति मजबूत करेंगे..... जिस अंदाज में चीरू सभाओ में भीड़ जुटा रहे है उसको देखते हुए कहा जा सकता है इस बार वह कांग्रेस और चंद्र बाबू की चुनावी राह में रोड़ा बुन रहे है .... तमाम विश्लेषको का मानना है इस बार का दंगल दिलचस्प होने जा रहा है ..... अगर कांग्रेस अपने ५०% पिछडी जातियों के वोट जुटाने में कामयाब हो गई तो वह फिर से विधान सभा चुनावो में अपना जलवा बिखेर सकती है.... लोक सभा में क्या होगा यह कह पाना मुश्किल है...? लेकिन चीरू की माने को पहला चरण निपटने के बाद उनको ७० विधान सभा और १० -१५ लोक सभा सीट जीतने की पूरी उम्मीद है.... वैसे चुनाव के दौरान किसी भी वोटर के मिजाज को पड़ पाना बड़ा असंभव कार्य है ... लेकिन चीरू अपने को बड़ा राजनीतिक पंडित साबित करने पर तुले हुए है..... अब देखना होगा प्रजा राज्यम के इस चीरू का यह आंकलन कितना सही साबित होता है

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लोक सभा का महासमर जारी है... आने वाले दिनों में आपको चुनावो पर और अधिक विश्लेषण देखने को मिलेगा... बस आप ब्लॉग पर नजर टिकाते रहिये और अपनी राय कमेन्ट के द्वारा देते रहिये.....

Tuesday 14 April 2009

बनारस के पड़ाव पर कठिन होती डॉ जोशी की जीत की डगर (लोक सभा का महासमर )......














दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है.... इस बार उत्तर प्रदेश पर सभी की नजरे लगी है... राज्य में पहले चरण के मतदान की सभी तैयारिया पूरी हो गई है .... आगामी १६ अप्रैल को यहाँ पर मतदानहोने जा रहा है.... इस बार उत्तर प्रदेश की पहले चरण की कुछ सीटो पर कई दिग्गज नेताओ की प्रतिष्ठा दाव परलगी है.... पहले चरण की जिन सीट पर यहाँ पर मतदान हो रहा है उसमे सबसे " हॉट सीट" अगर कोई है तो वह " वाराणसी " है..... यहाँ पर १६ तारीख को वोट पड़ने जा रहे है.... पूर्व केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री "डॉ। मुरली मनोहरजोशी" इस बार यहाँ से बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर दंगल में है..... पिछली बार इलाहाबाद से हार जाने के कारण१५ वी लोक सभा में उन्होंने काशी को अपनी रणभूमि बनाया है .... लेकिन इस बार यहाँ पर भी जोशी का रास्ताआसान नही है... वैसे ,डॉ जोशी ने इस बार पहले से ही यह तय कर लिया था की वह वाराणसी से ही बीजेपी के प्रत्याशी होंगे... इसकारण उनका नाम बीजेपी ने बहुत पहले अपनी पहली लिस्ट में ही घोषित कर दिया था.... उस समय जोशी काआकलन यह था इलाहाबाद के मुकाबले वाराणसी उनके लिए ज्यादा सुरक्षित है... लेकिन अब चुनावी बेला में यह आंकलन उनका ख़ुद का गणित गडबडा रहा है ... आज आलम यह है भाजपा की चुनावी कमानसँभालने वाले जोशी के रणनीतिकार अब यह कहने लगे है जोशी ने यहाँ आकर भारी गलती कर दी है... संभवतया इसका खामियाजा उनको चुनावो के बाद हार के रूप में भुगतना पड़ सकता है॥पूर्वांचल के सदर मुकाम माने जाने वाले बनारस का इस बार का मुकाबला चतुस्कोनीय हो गया है... जोशी केमुकाबले के लिए बीएसपी की बहनजी ने "माफिया डॉन" मुख्तार अंसारी को उतारा है तो वही सपा ने बीजेपी सेपाला बदले दबंग विधायक अजय राय पर अपना दाव खेला है.... कांग्रेस ने यहाँ इन सब की काट के लिए अपनेसीटिंग सांसद डॉ राजेश मिश्रा को दंगल में उतारा है॥ इस लिहाज से देखे तो सारे मत बटते दिख रहे है... कोई यहकह पाने की स्थिति में नही है काउंटिंग में कौन सा प्रत्याशी बदत बनाकर जीत के द्वारे पहुचता है... बताया जाता है की यहाँ पर पहले सपा के मौजूदा उम्मीद वार अजय राय बीजेपी के टिकेट से चुनाव लड़ने केइच्छुक थे... लेकिन हाई कमान के द्वारा डॉ जोशी को पहले से ही प्रत्याशी घोषित कर देने से उनकी संभावनाओ पर पलीता लग गया.... जिस कारण उनको सपा की ओर रुख करना पड़ा ... अब डॉ जोशी केगले की हड्डी अजय राय बन गए है... बताया जाता है अजय अभी सपा के टिकेट से चुनाव लड़ रहे है लेकिनउनके पहले बीजेपी से जुड़े होने के कारण इस चुनाव में उनको भाजपा के तमाम आनुषांगिक संगठनो का सहयोगमिल रहा है... यहाँ यह बताते चले विद्यार्थी परिसद जैसे संगठन भी अब अजय के साथ अंदरखाने से जोशी केविरोध में प्रचार कर रहे है ... अजय की पकड़ इलाके में सही है ओर उनको लोगो का अच्छा समर्थन मिल सकताहै॥ हालाँकि उनकी गिनती भी एक बाहुबली विधायक के तौर पर की जाती रही है॥ वह राजनीती में कोई नोसेखियेनही है... ३ बार गोल्साल से विधायक रह चुके है॥ इस लिहाज से उनको कम आंकना डॉ जोशी की बड़ी भूलहोगी... अगर ऐसा हो जाता है तो डॉ जोशी के बहुत सारे वोट उनसे दूर हो जायेंगे जो बीजेपी के सॉलिड वोट माने जासकते है.... डॉ जोशी की मुस्किले बदती जा रही है... उनकी राह में दूसरा रोड़ा " मुख्तार अंसारी " बने है... हालाँकि मुख्तारअभी जेल में बंद है लेकिन उनके भाई यहाँ पर भाई की जीत के लिए दिन रात एक किए हुए है.... मुख्तार कीगिनती बाहुबलियों में की जाती है... उनके साथ मुसलमानों का एक बड़ा वोट बैंक जा सकता है... कांग्रेस की ओरसे निवर्तमान सांसद राजेश मिश्रा जोशी की नई परेशानी बने हुए है ... मिश्रा के फिर से मैदान में आने और अजय के ताल ठोकने के चलते जोशी का गणित गडबडा गया है... हिन्दुओ के वोट तीनो में बट जायेंगे.... जिससे तीनो केसामने मुस्किले बढ गई है... खास तौर से जोशी के लिए नई मुश्किल यह है चुनावो की बेला में उनके खिलाफविरोधी " बाहरी" होने का आरोप लगा रहे है ... अगर इसने चुनाव में रंग दिखाना शुरू कर दिया तो डॉ जोशी केलोक सभा पहुचने की सम्भावनाये धरी की धरी रह जायेंगी... हालाँकि जोशी बाहरी होने पर अपना बचाव करतेहुए पुराने ज़माने के मदन मोहन मालवीय जैसे कई नामो को गिना रहे है.... लेकिन बाहरी भीतरी होने का मुद्दायहाँ के चुनाव में अपना असर दिखा रहा है.....अब देखना होगा हिंदू वोटरों के आसरे काशी में अपनी राजनीती के अन्तिम पड़ाव पर जोशी क्या गुल खिलाते है...? विरोधियो का दुष्प्रचार जारी है.... उनकी माने तो इलाहाबाद में जिस तरीके से उनको मुह की खानी पड़ी थी ऐसा ही हाल डॉ जोशी का यहाँ भी हो गया है ..... मुख्तार अंसारी भले ही गाजीपुर की जेल के अन्दर से ही अपनी रणनीतियों को बना रहे है लेकिन उनको कम आंकना भी भारी भूल होगी..... मुस्लिम तबके का एक बड़ा वोट उनके साथ जा सकता है लेकिन यहाँ यह भी बताते चले की समाजवादी पार्टी के पाले में भी कई मुस्लिम वोट आते दिखाई दे रहे है.... मतदाताओ की खामोशी यहाँ इस बार की अलग कहानी बता रही है... मुस्लिम वोटर दुविधा में है उनके यह समझ में नही आ रहा है की वह कहा जाए.....? अभी कांग्रेस के वर्त्तमान सांसद मिश्रा भी एक प्रत्याशी है... उनके साथ भी हिन्दुओ का बड़ा वोट जायेगा... साथ में कांग्रेस का पुराना वोट बैंक भी पाले में आएगा ..... चार लोगो को जबरदस्त लड़ाई ने इस बार वाराणसी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है... पिछले चुनाव की बात करे तो यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी ... राजेश मिश्रा ने बीजेपी के शंकर जायसवाल को तकरीबन ९०००० के अन्तर से
हराया था लेकिन इस बार कहानी अलग हो गई है... चारो मैदान में होने से एक दूसरे के वोट काटने से सारे समीकरण गडबडा गए है.... अपने विरोधी प्रत्याशियों के नाम घोषित होने से पहले तक डॉ जोशी फ्रंट फ़ुट पर खेल रहे थे सपा , बसपा , कांग्रेस की गुगली ने उनको चुनाव से पहले "बेक फ़ुट" पर ला दिया है ...... उनके चहरे पर चा रही चिंता की लकीरे बनारस की मौजूदा कहानी ख़ुद बयां कर रही है............. उनको यह सीट निकलने के लिए तगड़ा जोर लगाना पड़ेगा
कल मतदान है देखना होगा बनारस की जनता किसको वोट करती है.....? कल उत्तर प्रदेश की १६ सीट पर पहले चरण में वोट पड़ रहे है.... पिछली बार इन १६ सीटो में ७ बसपा, ५ सपा , २- २ कांग्रेस , बीजेपी के पाले में गई थी... जो भी हो डॉ जोशी के साथ इस समय कुछ भी सही नही चल रहा है .... देखना होगा इस बार ऊट किस करवट बैठता है? बदले समीकरणों के चलते सबसे बड़ी चुनोती सपा , बसपा जैसे दलो के पास इस चुनाव में यह है वह अपने प्रत्याशियों के पक्ष में काशी की हवा का रुख कर इस चुनाव में कोई बड़ा उलट फेर करे....|
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Thursday 9 April 2009

उमा की भाजपा में वापसी की संभावनाओ को फिर मिला बल ..........(लोक सभा का महासमर)


मै आडवानी को देश के अगले प्रधान मंत्री के रूप में देखना चाहती हूँ साथ ही आगामी लोक सभा चुनावो में बीजेपी के लिए प्रचार करना चाहूंगी......" होली के बाद उमा भारती के इस बयान पर राजनीतिक हलको में खासी हलचल मच गई .... इस बयान ने एक बार फिर से उमा की बीजेपी में वापसी का रास्ता तैयार कर दिया है.... वैसे यह ख़बर तब पुख्ता हो गई थी , जब वह दिल्ली में उत्तर प्रदेश से वापसी के दौरान बीजेपी के कई बड़े आला नेताओ से मिल आई थी और अपने दिल की बात को पार्टी के शीर्ष नेतृत्त्वके सामने रख दिया था.....इसके बाद से ही भारतीय जन शक्ति पार्टी के भविस्य को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए ..... अब यह तय है १५ वी लोक सभा में उमा बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करेंगी.......जिससे उनके आडवानी को पी ऍम बनाने का सपना पूरा हो सके ..... अब ख़ुद तो वह प्रधान मंत्री बन्ने से रही ..... तभी तो फिर से बीजेपी में अपना भविस्य तलाश रही है..... उमा ने ख़ुद इस आशय का बयान बीते दिनों दिया कि वह ख़ुद पी ऍम नही बन सकती लेकिन आडवानी देश को काबिल नेतृत्त्व दे सकते है..... उन में पी ऍम बन्ने की सभी खूबिया मौजूद है...... वाह री उमा बहनजी ..... कल तक तो आप बड़े जोर शोर से आडवानी की आलोचना करती थी और कहा करती थी आडवानी कभी पी ऍम बन्ने के लायक नही है... आज एका एक आपका विचार परिवर्तित हो गया .... और आप फिर से आडवानी की शरण में आने के लिए जोर आजमाईश कर कर रही है.......रही बात भारतीय जन शक्ति पार्टी कि तो अब उसका कोई अस्तित्व नही बचा है......शायद आपको अब अपनी भूल का एहसास अच्छी से हो गया है.... तभी आपको लग रहा है आपका बीजेपी से बाहर कोई अस्तित्व ही नही बचा है .......मध्य प्रदेश के इस बार के विधान सभा चुनावो में आपको अपनी औकात सही से पता चल ही गई तभी आप भविस्य को लेकर आशंकित होती दिखाई दे रही है ..... टीकम गढ़ में आपकी नाक कट गई......... जनता जनार्दन ने आपको "किक आउट" कर डाला .... यहाँ की हार के घाव आपको शायद जिंदगी भर सताते रहेंगे......चुनावो के दौरान शिव राज पर आप जमकर बरसी थी ..... आपने ही तो कहा था "बीजेपी की सरकार का इस चुनाव में बुरा हाल होगा ...शिवराज फिर से सरकार नही बना पाएंगे ..... अगर बीजेपी दुबारा से सरकार बनाने में कामयाब हो गई तो मै राजनीती से टाटा कह दूँगी......हिमालय की और चली जाउंगी.....जहाँ एकांत में प्रवास करूंगी......"अब क्या हो गया ....? आप हिमालय क्यों नही गई? राजनीती करने के लिए क्यों आज आगे आ रही है?आपका राम रोटी वाला मुद्दा कहाँ चला गया ? बीजेपी का विकल्प आप भारतीय जन शक्ति पार्टी को बनाने की बात किया करती थी अब उसका क्या हुआ ? बीजेपी का विकल्प जन शक्ति को आप क्यों नही बना पायी? ऐसे बहुत से सवाल आपके कार्यकर्ता आप से पूछ रहे है......? क्या आपके पास उनका जवाब है?उमा के बीजेपी का समर्थन करने के बयान के बाद भारतीय जन शक्ति पार्टी के कार्यकर्ता अपने को छला महसूस कर रहे है......वह हताश है......आप उसकी एक बानगी तो देख सकती है...... कुछ हफ्ता रोज मैं भोपाल की सड़को में टहल रहा था ..... मार्केट में एक आदमी से हमारी मुलाकात हो गई.... हमारी उसकी कोई पहचान नही थी.... हम मीडिया वाले थे सो उससे आने वाले चुनावो पर बात करने लगे और उसकी नब्ज टटोलनी चाही .... संयोग ऐसा बना कि वह आपकी पार्टी का एक कार्यकर्त्ता निकला ..... फिर क्या था मैंने बात कुछ समय पहले आपके मीडिया में दिए गए बयान से शुरू की जिसमे आपने बीजेपी का साथ इस चुनाव में देने की बात कही थी .... फिर क्या था उसने बताया साहब उमा की पार्टी का कोई आधार भी अब बचा है क्या ? बीजेपी के साथ देकर अपने मुद्दों का तो उमा जी ने जनाजा निकाल दिया ......अब हम जनता के सामने क्या मुह लेकर जायेंगे?आर्थिक मंदी के इस दौर में चुनाव पैसा कमाने का सबसे अच्छा जरिया बन गया है ..... देखा नही कांग्रेस किस तरह "जय हो" जय हो" कर रही है...... वही आडवानी भी युवा वोटरों को लुभाने के लिए इन्टरनेट पर तरह तरह के हथकंडे अपना रहे है ..... प्रचार पर सभी पार्टिया पानी की तरह से पैसा बहा रही है..... अगर आपकी जन शक्ति पार्टी इस चुनाव में लड़ती तो कई बेरोजगारों को काम मिलता ..... कारीगरों को भी फायदा होता .....आपके कार्यकर्ताओ की भी जेब गरम होती.....पर यह क्या आप तो भूमिगत हो गई है..... कहा जा रहा है आप अमर कंटक में ध्यान मग्न है..... कम से कम उस गरीब गोरबा कारीगरों की तो सुन लीजिये जो विधान सभा चुनावो में आपकी पार्टी के बेनर पोस्टर बनाया करते थे...... आज वह सभी खाली बैठे है.....उसको बीजेपी कांग्रेस सरीखी पार्टियों से काम मिलने की कोई आस नही है ..... यह सभी अब "डॉट कॉम" वाली पार्टिया हो गई है.... उनका हाई टेक प्रचार चलता है ....लेकिन कम से कम मध्य प्रदेश में आपकी पार्टी तो अभी नई नवेली दुल्हन है.....४ विधान सभा सदस्य आपकी पार्टी के पास है ...... कुछ तो रहम करती आप....मध्य प्रदेश के इस बार के चुनाव में आपकी पार्टी ने बहुत से नए लोगो को पोस्टर बैनर का काम देकर बड़ा उपकार किया था....अब तो आप चुनाव से पीछे ही हट गई है...सो इनका काम तो ठंडा पड़ गया..... समझो.....उमा जी ... अगर भारतीय जनशक्ति चुनाव में आती तो जनता का भी कल्याण होता.....वैसे उमा जी आपका स्वभाव मुझे भी रास नही आता....आपका मिजाज अलग अलग रहता है... आप कब क्या कर जाए इसका कोई भरोसा नही है ...उप के चुनावो में आखरी समय में आपने नही उतरने का ऐलान किया .... यही हाल गुजरात में भी रहा.... अब आप सफाई मत देना.....आप कहाँ करती थी मोदी मेरे बड़े भाई समान है अतः उनके खिलाफ अपनी पार्टी को उठाना शोभा नही देता..... यह बताओ क्या शिव भी आपके भैया समान नही थे .... बेहतर होता आप मध्य प्रदेश में भी अपनी पार्टी की फजीहत नही कराती.....लेकिन तब तो आप बहुत घमंडी हो गई थी .... आपको यह घमंड हो गया था की मध्य प्रदेश में लास्ट चुनाव में १७० से ज्यादा का आकडा मेरे ख़ुद के बूते आया था.... अब चुनाव परिणाम आए तो ख़ुद की नाक जब कट गई तब आपको अपनी भूल का एहसास हुआ है.....अपने को आप उस समय बड़ा "तीस मार खान " समझने लगी थी ......अब आज शायद आपका घमंड चूर चूर हो गया है तभी लोक सभा चुनाव से ठीक पहले आपने बीजेपी कि शरण में जाने का फेसला किया है.....उमा जी पहले जब आपने बीजेपी से टाटा बोला था तब आपका मानना था कि बीजेपी में कुछलोग ऊँचे पदों पर "कुंडली" मार कर बैठे है.....साथ में आपने कहा था पार्टी में पञ्च सितारा संस्कृति हावी हो गई है ....पार्टी अपने मूल मुद्दों से भटक गई है.... अब आज आप बीजेपी के साथ चुनाव प्रचार करने जा रही है... तो इसके पीछे कौन से ऐसे कारक है जो आपको आपके धुर विरोधी आडवानी का प्रचार करने को प्रेरित कर रहे है... क्या हम यह मान ले बीजेपी हिंदुत्व की राह पर फिर से वापस हो गई है या आप यह सही से देख चुकी है कि बीजेपी से बाहर मेरा कोई अस्तित्व नही है.....? इसका जवाब आप अच्छी से दे सकती है क्युकी आप साध्वी है... जोश में स्पीच देने कि कला में सिद्धि हस्त है .....वैसे मेरा तो यह कहना है आपके साथ बीते ४,५ वर्षो में कोई भी सही से टिक नही पाया.....साधू से लेकर सन्यासी किसी के द्वारा आपको "फ्री हैण्ड " नही दिया गया.... आपका कोई खास संगठन ही नही बन पाया... एक एक करते सभी आपके साथ आते रहे और कुछ दिन बाद " उमा के कूचे से बड़े बेआबरू होकर निकलते चले गए......आपकी राम रोटी तो बीच में ही हिचकोले खाती रही.....साथ ही में आप बहुत तुनक मिजाज वाली रही है.....बताया जाता है आपने अपनी पार्टी के निर्माण से पहले ही पार्टी को अपनी बपोती समझ लिया था.... एक तरह से पूरी पार्टी आपने हाई जैक कर ली थी ॥ कार्यकर्ताओ कि राय कीअनदेखी हो रही थी ऐसा मध्य प्रदेश के आपकी पार्टी के कुछ नेताओ ने मुझको बताया.....आपकी पार्टी में हाल के कुछ वर्षो में कोई सही से नही टिक पाया...ऐसे बहुत सारे नाम गिनाये जा सकते है..... रघुनन्दन से लेकर गौतम..... दिल्ली के खुराना से लेकर हाल में बीजेपी में शामिल हुए प्रह्लाद पटेल ...... सभी की कहानी एक जैसी ही है....." .............आया राम गया राम........" ऐसे में कोई रणनीतिकार बचा ही नही आपकी पार्टी में....हाल बेहाल तो होना ही हुआ... चुनाव लड़ना आज कोई हसी मजाक का खेल थोडी है.... करोड़ रुपियो का खेल चलता है......राम रोटी के बहकावे में कोई खाली नही आता .......बहरहाल जो भी हो उमा की ट्रेन का इंजन ख़राब हो गया है ..... उसके पास कार्यकुशल लोगो की कमी है जो उसके इंजन को सही कर ट्रेन पटरी पर ला सके ..... ऐसी दिक्कतों से पार पाने का अब उमा के पास एक ही विकल्प बचता है..... वह है बीजेपी ....और उसके पी ऍम इन वेटिंग आडवानी...... ८२ के पड़ाव में भी ओबामा जैसा जोश दिखा रहे है .....बीजेपी से बाहर जाने का खामियाजा उमा भुगत चुकी है सो उनके पास अब लास्ट लाइफ लाइन यही बच रही थी कि वह बीजेपी का साथ १५ वी लोक सभा चुनाव में दे दे ... इसी कारन वह चुनाव प्रचार बीजेपी के लिए करने का मन बना रही है..... आडवानी को प्रधान मंत्री बनाना तो एक बहाना है .... उमा कि असली मंशा बीजेपी में वापस आना हैजिसका इजहार वह समय आने पर करेंगी..... वैसे भी हर चीज हौले हौले होती है....इस बार उमा बीजेपी के लिए प्रचार कर रही है... उनके इस निर्णय के पीछे बीजेपी के प्रेजिडेंट राजनाथ सिंह का बड़ा हाथ है.... बताया जाता है की उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के विकल्प की भरपाई बीजेपी उमा को पार्टी में लाकर करने जा रही है .... उमा भी कल्याण की तरह बेक वर्ड क्लास से आती है.....जिस कारन वह उप में पार्टी के लिए एक बड़ा वोट बैंक खीच सकती है .... कल्याण की लोध बिरादरी में वह अपनी चुनावी सभा के द्वारा अंकुश लगा सकती है... जिसका फायदा बीजेपी को होगा और लोध वोट बीजेपी के पास जायेंगे.... यही नही पार्टी के कुछ दिल्ली के सूत्र बताते है कि उप की मौजूदा सूरतेहाल में उमा का इस्तेमाल करना बीजेपी के लिए फायदे का सौदा होगा..... इस लिहाज से उमा को रिझाने की राजनाथ की कोशिस अब रंग लाती दिखाई दे रही है.... कम से कम उप में पार्टी को " वरुण " मुद्दा टोनिक देने का काम कर रहा है ..... अब उमा का प्रचार कल्याण के प्रभाव वाली उप की दर्जनों सीटो में अपना रंग दिखा सकता है .... पश्चिम उप में रालोद के आसरे बीजेपी है .... देखने वाली बात होगी इस बार उप में मुकाबले से पहले ही बाहर हो चुकी बीजेपी की राह "वरुण " और उमा के आने से कितनी आसान होती है?

साथियो, चुनावो के मैदान से मेरा "लोकसभा का महासमर " आज से शुरू हो गया है चुनावी विशेष रिपोर्ट आज से शुरू कर दी है यू तो यह अप्रैल के प्रथम सप्ताह से शुरू होजानी चाहिए थी पर बिजी हो जाने के चलते नई पोस्ट तय प्रोग्राम के मुताबिकशुरू नही कर पाया देरी के लिए सॉरी चाहूँगा

अब आपसे आशा है की मेरी इन चुनावी पोस्टो पर आप ज्यादा से ज्यादा कमेन्ट

दीजियेगा.........



Sunday 5 April 2009

आस्था और विश्वास का केन्द्र है उत्तराखंड के सोर स्थित माता कामाक्ष्या का दरबार .........



हिमालय की गोद में बसा सीमान्त जनपद पिथोरागढ़ प्राकृतिक सौन्दर्य से लबालब भरा पड़ा है.... अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुषमा के कारण यह जनपद "मिनी कश्मीर" नाम से भी जाना जाता है... दूर दूर तक फेलीहरी भरी पहाडिया और हिम से ढके शिखर बरबस ही पर्यटकों का मन मोह लेते है ... जनपद में स्थित अटूट आस्था और विश्वास के केन्द्र रहे मंदिरों की ख्याति दूर दूर तक फेली है जिस कारण भक्तजन माता के दरबार में आकर एक बार मनोती अवश्य ही मनाते है .... रमणीक वादियों और पर्वत मालाओ के बीच माता का मन्दिर स्थित है ... अटूट आस्था और भक्ति का यह केन्द्र अध्यात्मिक शान्ति के साथ प्रकृति से सीधे संवाद कायम कराता प्रतीत होता है ...इस कारण भक्त दूर दूर से माता जी के दर्शनों को यहाँ पहुचते है .... उपवासों , त्योहारों , धार्मिक पर्वो पर समीप वर्ती ग्रामीण अंचलो से बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आकर पूजा अर्चना करते है और मन्नते मांगते है ....जनपद मुख्यालय से सटे छावनी एरिया और कुसोली गाव के मध्य में स्थित माता जी का यह दरबार पिथोरागढ़ में खासी प्रसिद्दि पाये हुए है ...माता के इस दरबार तक पहुचने में भक्तो को खासी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है ....जनपद मुख्यालय से सटे कुछ किलो मीटर की दूरी पर स्थित केंट एरिया हेतु हर समय वाहनों की सेवा रहती है... वाहन से कुछ दूरी उतरकर यहाँ से थोडी चदायी चदकर भक्त आस्था के इस पवन केन्द्र तक पहुच सकते है , जहाँ माता के दर्शनों से आत्मिक सुख शान्ति मिलती है ....
स्थानीय लोग बताते है इस मन्दिर की स्थापना वर्ष १९७२ में मदन मोहन शर्मा के प्रयासों से हुई ...... तब मन्दिर का स्वरूप बहुत छोटा था... किंतु स्थानीय धर्म प्रेमी जनता के प्रयासों से अभी कुछ वर्षो में मन्दिर ने काफी विशाल स्वरूप को ग्रहण कर लिया है... मन्दिर के विस्तारीकरण में वास्तुकार डी शाह ने अहम् योगदान दिया है ... वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध वास्तुकार रहे है...
मन्दिर का प्रवेश द्वार बंगला शेली में बनाया गया है... जो बहुत खूबसूरत दिखाई देता है... यहाँ के मन्दिर की वास्तुकला यहाँ आने वाले हर भक्क्त का मन मोह लेती है... मन्दिर में माता की विशाल प्रतिमा लगायी गई है ...जिसके दर्शन भक्त दूर से कर सकते है... मन्दिर की दीवारों में की गई नक्कासी , संस्कृत में लिखे गए श्लोक , आरतिया हर भक्त के मन को खुश कर देती है... मन्दिर में भेरव देवता , बजरंग बली जी की मूर्तिया भी स्थापित की गई है...मन्दिर में भजन कीर्तन के पर्याप्त स्थान के अलावा यज्ञशाला का निर्माण भी किया गया है.... यज्ञशाला के उपर प्राकृतिक रोशनी को शीशे लगवाये गए है ...मन्दिर परिसर से हवाई पट्टी के दृश्य देखकर काफी सुकून मिलता है... साथ ही यहाँ जाकर आपको नैनी सेनी गाव का विहंगम दृश्य भी देखने को मिलता है...यहाँ पर आकर मन को शान्ति मिलती है... मंद मंद बहने वाली हवा जब चलती है तो ऐसा लगता है यही बस जाया जाए....भक्तो में माता के प्रति अगाध आस्था और विश्वास बना है.... इसका कारन यह हैमाता के दरबार की शीतलता मन को तृप्त कर देती है ... छावनी एरिया से लगे होने के कारन सेना के जवानों में माता के दर्शनों की भारी होड लगी रहती है..... जवान माता को एक अराध्य देवी के रूप में मानते है इस कारन से दूर दूर से आर्मी के जवान यहाँ आकर मन्नते मांगते है ... वैसे भी मन्दिर निर्माण में ६९ ब्रिगेड का खासा योगदान रहा है.... मन्दिर के रख रखाव में भी सेना के कुमाऊ रेजिमेंट के जवानों का खासा योगदान है...
कुछ वर्षो पहले तक यहाँ पर सावन मास , नवरातो , धार्मिक आयोजनों में ही भीड़ लगी रहती थीलेकिन हाल के कुछ समय से भक्तो की आवाजाही यहाँ दिन रात लगी रहती है...मन्दिर के प्रवेश द्वार से नीचे एक छोटा सा मन्दिर है...जहाँ पर विशाल शिव लिंग का निर्माण किया गया है... यदि राज्य सरकार मन्दिर के सौन्दर्यीकरण , विस्तारीकरण की दिशा में धयान दे तो यह स्थल अध्यात्मिक केन्द्र के रूप में पर्यटन मानचित्र में अपनी जगह बनने में सफल हो सकता है....लोगो को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री "प्रकाश पन्त " से इस दिशा में कई उम्मीद है लेकिन अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई कारगर पहल नही की है जिस कारन लोगो में निराशा है...
कुछ समय पहले जब मेरा उत्तराखंड जाना हुआ तो यहाँ कुछ दिनों तक रुकना हुआ.... इस दौरान मन्दिर में कई भक्तो से भी मुलाकात हुई....मन्दिर बाबत पूछने पर पिथोरागढ़ सुवाकोट के रहने वाले युवा "राजेंद्र "( गुड्डू) ने बताया की राज्य सरकार को पर्यटन के लिहाज से कारगर पहल करने की जरूरत है जिससे देव भूमि के कई सुंदर मंदिरों की गूंज दूर दूर तक फेलेगी......

चुनावो के मैदान से हमारे चुनावी सफर का आगाज आगामी "अप्रैल " सप्ताह से होने जा रहा है....इस सफर में आपके सहयोग की मुझको आशा है... रिपोर्टो पर अपनी बेबाक राय का मुझको सदा की तरह इस बार भी इंतजार रहेगा.....बस आप ब्लॉग पर नजर टिकाते रहिये...........................................