पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया है । बीते बरस 31 दिसम्बर को तड़के 2 बजे भारतीय सुरक्षाबलों पर हमले की कड़ी में अंडर बैरल ग्रेनेड लांचरों तथा स्वचालित हथियारों से लैस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के लेथपुरा क्षेत्र में सी.आर.पी.एफ. के ट्रेनिंग सैंटर पर हमला करके 5 जवानों को शहीद और 3 जवानों को घायल कर दिया।
आतंकवादी खतरे व संभावित हमले के इनपुट के बावजूद आतंकवादी अत्यधिक पहरे वाले सिक्योरिटी कैम्प पर हमला करने में सफल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली और बीते 4 महीनों में यह तीसरा हमला है जब जैश के फिदायीनों ने सुरक्षा कैम्पों का घेरा तोड़ा। जैश के प्रवक्ता ने कहा है कि 3 फिदायीनों ने नूर मोहम्मद तांत्रे और तलहा रशीद की हत्या का बदला लेने के लिए सी.आर.पी.एफ. कैम्प पर हमला किया था। उधर पुलिस महानिदेशक एस पी वैद ने बताया कि सुरक्षा बलों को पिछले तीन दिनों से कश्मीर घाटी में आतंकी हमले के बारे में खुफिया सूचनाएं मिल रही थी शायद उन्हें पहले घुसने का मौका नहीं मिला। इसलिए उन्होंने रात को हमला किया | ऐसा करके पाक ने एक बार फिर आतंक का अपना चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया ।
असल में इस कार्यवाही ने एक बार फिर साबित कर दिया है पाक में भले ही शाहिद अब्बासी की अगुवाई में सरकार चल रही है लेकिन अभी भी कमोवेश वैसी ही स्थितियां हैं जैसी पहले हुआ करती थी । आज भी पाक में चलती है तो सेना और चरमपंथियों की और उसके बिना पत्ता तक नहीं हिलता | भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक के नेता खुद को आतंक से प्रभावित देश बताते हुए भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने की दुहाई देते रहते हो लेकिन पुलवामा जिले के लेथपुरा क्षेत्र की इस कार्यवाही के शुरुवाती संकेत तो यही कहानी कह रहे हैं इस कार्यवाही को पाक के कट्टरपंथियों और आतंकियों का खुला समर्थन था जो भारत के साथ सम्बन्ध किसी कीमत पर ठीक नहीं होने देना चाहते हैं और आज भी कश्मीर को अस्थिर करने की नापाक कोशिश करने में लगे हैं । लगता नहीं है बिना सेना को भरोसे में लिए फिदायीनों ने इसे अंजाम दिया |
भारतीय जवानों के साथ की गई कार्यवाही ने हमें यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है अब पाक के साथ दोस्ती का आधार क्या हो वह भी तब जब वह लगातार भारत की पीठ पर छुरा भौंकते हुए लगातार विश्वासघात ही करता जा रहा है । इस दुस्साहसिक कारवाई की जहाँ पूरे देश में निंदा हुई है वहीँ आम आदमी अब भारतीय नीति नियंताओ से सीधे सवाल पूछ रहा है कि अब समय आ गया है जब पकिस्तान को अंततरराष्ट्रीय मंचो पर लताड़कर काम नहीं बनने वाला | उसे लेकर कोई ठोस नीति बनानी ही होगी | पठानकोट के बाद अब तक का यह सबसे बड़ा हमला है जिसमे कठघरे में सीधे पाक खड़ा है । हमेशा की तरह अगर इस बार भी केंद्र सरकार धैर्य धारण करने के लिए कदमताल करने की सोचेगी तो यह सही नहीं होगा क्युकि लगातार होते हमलो से हमारा धैर्य अब जवाब दे रहा है ।
इस घटना से पाक की मंशा धरती के स्वर्ग कश्मीर में उन्माद फैलाने की ही रही है | ऐसे हमलों के जरिये पाक अपनी स्टेट पालिसी के तहत कश्मीर में उन्माद का वातावरण पूरी दुनिया को दिखाना चाहता है । सभी आतंकी जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाना चाहते थे और इन्होंने इसी मकसद से हमले को अंजाम दिया । बुरहान वाणी के मारे जाने के बाद से ही कश्मीर में हिंसा का दौर जारी है और ताजा हमले ने पाक की संलिप्तता को फिर से उजागर कर दिया है जहाँ गृह मंत्रालय से जुड़े लोगों की जानकारी से स्पष्ट हो रहा है कि यह जैश का ही फ़िदायीन दस्ता था जिसका मकसद भारतीय सैनिकों के मनोबल को तोडना था | वैसे आतंरिक सुरक्षा पर एक अलर्ट आई बी ने जारी किया था इसके बाद भी नए बरस से पहले हमला कई सवालों को मौजूदा दौर में खड़ा कर रहा है | आखिर अलर्ट के बाद भी आतंकी बेस कैम्प तक कैसे पहुंचे यह अपने में बड़ा सवाल बन गया है जिसकी पड़ताल नए सिरे से गृह मंत्रालय को करने की जरूरत है |
आतंकवादी खतरे व संभावित हमले के इनपुट के बावजूद आतंकवादी अत्यधिक पहरे वाले सिक्योरिटी कैम्प पर हमला करने में सफल हो गए। गुप्तचर विभाग द्वारा दी गई पूर्व चेतावनी के बावजूद अगर यह हमला हुआ है तो नए सिरे से हमें फिदायीनों की रणनीति पर गौर करने की जरूरत है | अनेक सवालों के जवाब तो जांच के बाद ही मिल पायेंगे लेकिन इस हमले ने एक बार फिर पाक को कठघरे में खड़ा कर दिया है क्युकि पठानकोट की तर्ज पर आतंकी सीमा पार से ही आये |
असल में कारगिल के दौर में भी पाक ने भारत के साथ ऐसा ही सलूक किया था । हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी रिश्तो में गर्मजोशी लाने लाहौर बस से गए लेकिन नवाज शरीफ को अँधेरे में रखकर मिया मुशर्रफ कारगिल की पटकथा तैयार करने में लगे रहे । इस काम में उनको पाक की सेना का पूरा सहयोग मिला था । इस बार की कहानी भी पिछले बार से जुदा नहीं है । उरी में भी पाक की सेना का फिदायीन आतंकियों को पूरा समर्थन रहा और अभी भी आतंकियों को हुक्का पानी पाक की सेना ही मुहैया करवाती है | पाक में सरकार तो नाम मात्र की है पर वहां पर चलती सेना की ही है और बिना सेना के वहां पर पत्ता भी नहीं हिलता ।
कट्टरपंथियों की बड़ी जमात वहां ऐसी है जो भारत के साथ सम्बन्ध सुधरते नहीं देखना चाहती है और कश्मीर को किसी भी तरह अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहती है ।आखिर कब तक हमारे जवान सीमा में मारे जायेंगे ? पाक अभी तक हर मोर्चे पर वह हमको धोखा ही धोखा देता आया है । इस घटना के बाद हमारे नीतिनियंताओ को यह सोचना पड़ेगा अविश्वास की खाई में दोनों मुल्को की दोस्ती में दरार पडनी तय है । अतः अब समय आ गया है जब हम अपने सब्र का बाँध तोड़ें और ईंट का जवाब ईट से दें ।
मुंबई में 26/11 के हमलो में भी पाक की संलिप्तता पूरी दुनिया के सामने ना केवल उजागर हुई थी बल्कि पकडे गए आतंकी कसाब ने यह खुलासा भी किया हमलो की साजिश पाकिस्तान में रची गई जिसका मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद था । हमने पठानकोट हमलो के पर्याप्त सबूत पाक को सौंपे भी लेकिन आज तक वह इनके दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाया । आतंक का सबसे बड़ा मास्टर माईंड हाफिज पाकिस्तान में खुला घूम रहा है और पार्टी बनाने की तैयारियों में लगा हुआ है | वह भारत के खिलाफ लोगो को जेहाद छेड़ने के लए उकसा भी रहा है लेकिन आज तक हम पाक को हाफिज के मसले पर ढील ही देते रहे हैं यही कारण है वहां की सरकार उसे पकड़ने में नाकामयाब रही है ।
2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हमले के बाद उसके जमात उद दावा ने कश्मीर के ट्रेंनिग कैम्पों में घुसकर युवको को जेहाद के लिए प्रेरित किया । अमेरिका द्वारा उसके संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने और उस पर करोडो डालर के इनाम रखे जाने के बाद भी पाकिस्तान सरकार ने उसे कुछ दिन लाहौर की जेल में पकड़कर रखा और जमानत पर रिहा कर दिया । आज पाकिस्तान उसे पाक में होने को सिरे से नकारता रहा है जबकि असलियत यह है कि बुरहान की मौत के बाद लगातार वह भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है और खुले आम घूम रहा है ।
भारतीय गृह मंत्रालय तो हमेशा उसको ना पकड़ सकने का रोना रोता रहा है । भारत के खिलाफ होने वाली हर साजिश को अंजाम देने में उसे पाक की सेना और कट्टरपंथी सगठनों का पूरा सहयोग मिल रहा है । यह तो बानगी भर है | जैश , हिज्बुल और लश्कर का पाक में बड़ा नेटवर्क है | किसी भी बड़ी आतंकी घटना के तार सीधे इन्ही संगठनों से मिलते है और ये खुद ही आतंकी हमलों में अपनी संलिप्तता से पीछे नहीं हटते | 26 / 11 के हमलो के बाद भारत ने जहा कहा था जब तक 26 /11 के दोषियों पर पाक कार्यवाही नहीं करेगा तब तक हम उससे कोई बात नहीं करेंगे लेकिन आज तक उसके द्वारा दोषियों पर कोई कार्यवाही ना किये जाने के बाद भी हम उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं तो यह हमारी लुंज पुंज विदेश नीति वाले रवैये को उजागर करता है ।
अब तो हर घटना में अपना हाथ होने से इनकार करना पाक का शगल ही बन गया है । लाइन ऑफ़ कंट्रोल में अक्सर सैनिको के बीच तनाव देखा जा सकता है और फायरिंग की घटनाएं आये दिन होती रहती हैं । भारतीय सेना में घुसपैठ की कार्यवाहियां अब पाक की सेना आतंकियों के साथ लगातार कर रही है जो पठानकोट के बाद उरी और अब पुलवामा के हमले में साफतौर पर उजागर हो गयी है । उसे लगता है कश्मीर में अगर हिंसा का ऐसा ही तांडव जारी रहा तो आने वाले दिनों में दुनिया की नज़रों में कश्मीर आ जायेगा । अतः ऐसे हालातो में वह अब लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन और जैश जैसे संगठनो को पी ओ के में भारत के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ने के लिए उकसा रहा है जिसमे कई कट्टरपंथी संगठन उसे मदद कर रहे हैं ।
पाक की राजनीती का असल सच किसी से छुपा नहीं है । वहां पर सेना कट्टरपंथियों का हाथ की कठपुतली ही रही है । सरकार तो नाम मात्र की लोकत्रांत्रिक है असल नियंत्रण तो सेना का हर जगह है । पाक यह महसूस कर रहा है अगर समय रहते उसने भारत के खिलाफ अपनी जंग शुरू नहीं की तो कश्मीर का मुद्दा ठंडा पड जायेगा । अतः वह भारतीय सेना को अपने निशाने पर लेकर कट्टरपंथियों की पुरानी लीक पर चल निकला है । कश्मीर का राग पाक का पुराना राग है जो दोस्ती के रिश्तो में सबसे बड़ी दीवार है । ऐसे दौर में हमें पाक पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है ।
हमारी सेना को ज्यादा से ज्यादा अधिकार सीमा से सटे इलाको में मिलने चाहिए साथ ही कश्मीर को अब पूरी तरह सेना के हवाले किये जाने की जरूरत है । पाक अधिकृत क्षेत्रों में आतंकवादियों ने लगातार जम्मू-कश्मीर में हिंसा का तांडव जारी रखा हुआ है | हमारे सुरक्षाबलों पर लगातार हमले का दौर पहले भी चल रहा था आज भी हालात जस के तस ही हैं । बीते बरस ही जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के कम से कम 86 सदस्य और 97 सिविलियन मारे गए हैं जो खासी चिंता का विषय है |
पुलवामा के हमले के बाद अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए । उसे किसी तरह की ढील नहीं मिलनी चाहिए । पाक हमारे धैर्य की परीक्षा ना ले अब ऐसे बयान देकर काम नहीं चलने वाला क्युकि इस घटना ने हमारे सैनिकॊ के मनोबल को गिराने का काम किया है । पाक के साथ भारत को अब किसी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए और कूटनीति के जरिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसके खिलाफ माहौल बनाना चाहिए साथ ही अमेरिका सरीखे मुल्को से बात कर पाक के खिलाफ ठोस ऐक्शन लेने की जरूरत है |
आतंक के असल सरगना पाकिस्तान में पल रहे हैं और आतंकवाद के नाम पर दी जाने वाली हर मदद का इस्तेमाल पाक दहशतगर्दी फैलाने में कर रहा है । अगर पाक को विदेशो से मिलने वाली मदद इस दौर में बंद हो जाए तो उसका दीवाला निकल जायेगा । ऐसी सूरत में कट्टरपंथियों के हौंसले भी पस्त हो जायेंगे । पाकिस्तान के आतंक को भारत लगातार झेल रहा है अब दुनिया भी इसे समझ रही है | नए साल पर राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया कि पिछले 15 सालों में अमेरिका ने 33 बिलियन डॉलर पाकिस्तान को देकर बेवकूफी की है | बदले में उन्होंने हमें सिर्फ झूठ और धोखा दिया है, हमारे नेताओं को बेवकूफ बनाते हुए | जिन आतंकियों को हम अफगानिस्तान में मारते हैं उन्हें वो अपनी जमीन पर पनाह देता है |
इस ट्ववीट के गंभीर मायने हैं और कहा जा रहा है अमरीका पाक की साढ़े 22 करोड़ डॉलर की सहायता रोक सकता है | अगर सच में ऐसा हुआ तो यह पाक पर अमरीका का सबसे बड़ा निर्मम प्रहार होगा | अमरीकी मदद का पाक ने बेजा इस्तेमाल शुरू से आतंक की फैक्ट्रियो को पालने पोसने में ही किया है । ट्रम्प ने नए साल पर पाकिस्तान को करारा झटका दिया है। अमेरिका ने पाकिस्तान को झूठा और धोखेबाज करार देते हुए कहा है कि पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सहायता देना मूर्खतापूर्ण फैसला था और अब उसे कोई मदद नहीं दी जाएगी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नेनववर्ष की शुरुआत के साथ लंबे समय से दोस्त रहे पाकिस्तान पर तीखा हमला किया। ट्रंप ने कहा कि जिन आतंकवादियों को हम अफगानिस्तान में तलाश रहे हैं, उन्हें पाकिस्तान अपने यहां सुरक्षित पनाह दे रखा है। आतंकवाद के खात्मे के नाम पर पाक सरकार को हर बरस अमरीका से करोड़ों रुपये की मदद मिली जिसने पाक के लिए टानिक का काम करना शुरू किया | जिस कारण विकास के मोर्चे पर हिचकोले खा रही पाक की अर्थव्यवस्था मे नई जान आई है वरना पाक की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर जाती | अब अगर ट्रम्प पाक को लेकर अपनी नई घेराबंदी करते हैं तो इससे भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखना होगा क्युकि ओबामा और उससे पहले के दौर में अमरीका का पाक के प्रति नजरिया दोस्ताना सरीखा रहा है |
यह पहला मौका है जब पाकिस्तान पर भारत और अफगानिस्तान दोनों देशों के खिलाफ आतंकियों को पनाह देने का आरोप अमरीका ने लगाए हैं वहीँ आज तक हमने पाक के हर हमले का जवाब बयानबाजी से ही दिया है । भारत सरकार धैर्य , संयम की दुहाई देकर हर बार लोगो के सामने सम्बन्ध सुधारने की बात दोहराती रहती है । इसी नरम रुख से पाक का दुस्साहस इस कदर बढ गया है कभी वह पठानकोट तो कभी उरी तो कभी पुलवामा में हमारे जवानो को निशाना बनाता है और कश्मीर पर मध्यस्थता का पुराना राग छेड़ता रहता है ।
भारत की कोशिश अब यह होनी चाहिए में पाक को बेनकाब कर उसका हुक्का पानी बंद करवाते हुए उसे एक आतंकी देश घोषित करवाए । अगर ऐसा होता है तो यह मोदिनोमिक्स की विदेश नीति की बड़ी जीत होगी |