Saturday 27 February 2010
कुमाऊ की खड़ी होली........2
गणपति बाधी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी ...
ब्रह्मा , विष्णु बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी....
शिवशंकर बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधी...
रामिचंद बाधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी ...
लछिमन बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजाकैले बाधनी...
श्री कृष्ण बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी ॥
बली भद्र बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा... कैले बाधनी चीर ॥
नव दुर्गा बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा.... कैले बाधनी चीर ॥
भोलेनाथ बाधनी चीर , हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी चीर...
ईस्ट देव बाधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी चीर...
सबे नारी छिरकत गुलाल हो रघुनन्दन राजा कैले बाधनी चीर ...
( रंग पड़ने के दिन से पहाड़ो में चीर के पेड़ को एक स्थान पर लगाया जाता है उस पर रंग बिरंगे कपडे बाधकर रंग चदा दिया जाता है... गावो में आज भी यह परंपरा रही है... देर रात को सभी यह खड़ी होली के गीत गाते है... इन्ही गीतों को आपके सामने रख रहा हूँ... कुमाऊ से अपना गहरा नाता रहा है ... पिछली बार मेरे बड़े भैया दीपू दादा ने कहा था तुम्हारे ब्लॉग में पहाड़ो की खड़ी होली पड़ने को नही मिली.... इस बार उनको भी मैंने निराश नही करने का मन बनाया है... कल से बोलती कलम में धूम धाम से खड़ी होली चल रही है...)
तुम सिद्ध करो महाराज , होलीं के दिन में ... तुम सिद्धि....
तुम विघ्न हरो महाराज, होलीं के दिन में ... तुम विघ्न...
गणपति गौरी महेश मनाऊ, इन सबको पूजो आज
होलीं के दिन में ॥ तुम सिद्ध करो...
ब्रह्मा , विष्णु, महेश मनाऊ ,
इन सबको पूजू आज, होलीं के दिन में ...
तुम सिद्ध करो...
राम , लछिमन, भरत, शत्रुघ्न ,
दशरथ के सरताज, होलीं के दिन में ...
तुम सिद्धि करो ....
जगदम्बा नव दुर्गा देवी,
असुरन करे संहार, होलीं के दिन में
तुम सिद्ध करो महाराज ..............
अम्बा के भवन बिराजे होली अम्बा के....
देवा के भवन बिराजे होली देवा के भवन ...
सिद्धि के दाता गणपति आये,
रिद्धि सिद्धि दोनों संग लाये॥
अम्बा के भवन....
ब्रह्मा , विष्णु खेलन आये
माता सरस्वती संग लिए
अम्बा के भवन...
शम्भू महादेव खेलन आये,
गौरी पारवती संग लिए...
राम , लछिमन खेलन आये....
सत्य की सीता को संग लिए...
अम्बा के भवन ...
कृष्ण मुरारी खेलन आये....
राधा रुकमनी संग लिए...
अम्बा के भवन........
उत्तराखंड में कुमाऊ की "खड़ी होली" १ ....
बचपन से उत्तराखंड के कुमाऊ अंचल से गहरा नाता रहा है॥ होली जब अब ज्यादा दूर नहीं है तो इस अवसर पर अपने ब्लॉग में खड़ी होली के गीत लिख रहा हूँ जो वहां के घर घर में ढोलक बजाकर गाई जाती है... आज ही अपने बचपन के साथी का मोबाइल पर फ़ोन आया... उसने मुझसे होली लिखने का अनुरोध किया है... उसका कहना है नौकरी के चक्कर में जबसे उत्तराखंड से बाहर जाना हुआ है तो तब से वहां की होली को बहुत मिस कर रहा हू... अतः मैंने अपने दोस्त के अनुरोध पर यह तय किया है इस बार ब्लॉग में अपने पहाड़ो की मनाये जानी वाली "खडी होली" को जरुर लिखूंगा...... आज से इसका शुभारम्भ कर रहा हूँ... आशा है आपका सहयोग मिलेगा.....
सिद्धि को दाताविघ्न विनासन,
होली खेले गिरजापति नन्दन
सिद्धि को दाता विघ्न विनासन
गौरी को नन्दन, मूसा की वहां,
होली खेले गिरजा पति नन्दन
लाओ भवानी अक्षत चन्दन,
होली खेले गिरजा पति नन्दन
होली खेले गिरजा पति नन्दन ,
गज मोतियन से चौक पुराऊ
होली खेले गिरजा पति नंदन ,
होली खेले गिरजा पति नंदन
ताल बजावे अन्चन कंचन ,
डमरू बजावे शम्भू विभूषण
होली खेले गिरजा पति नंदन
होली खेले गिरजा पति नंदन
Wednesday 24 February 2010
अज्ञातवास में जार्ज.......भाग १
....."प्रशांत झा" मेरे सीनियर है.........अभी मध्य प्रदेश के नम्बर १ समाचार पत्र से जुड़े है........... बिहार के मुज्जफरपुर से वह ताल्लुक रखते है ......... जब भी उनसे मेरी मुलाकात होती है तो खुद के हाल चाल कम राजनीती के मैदान के हाल चाल ज्यादा लिया करता हूँ ....... एक बार हम दोनों की मुलाक़ात में मुजफ्फरपुर आ गया ... देश की राजनीती का असली बैरोमीटर यही मुजफ्फरपुर बीते कुछ वर्षो से हुआ करता था....... पिछले लोक सभा चुनावो में यह सिलसिला टूट गया...... यहाँ से जार्ज फर्नांडीज चुनाव लड़ा करते थे..... लेकिन १५ वी लोक सभा में उनका पत्ता कट गया.....नीतीश और शरद यादव ने उनको टिकट देने से साफ़ मन कर दिया........... इसके बाद यह संसदीय इलाका पूरे देश में चर्चा में आ गया था... नीतीश ने तो साफ़ कह दिया था अगर जार्ज यहाँ से चुनाव लड़ते है तो वह चुनाव लड़कर अपनी भद करवाएंगे......... पर जार्ज कहाँ मानते? उन्होंने निर्दलीय चुनाव में कूदने की ठान ली....... आखिरकार इस बार उनकी नही चल पायी और उनको पराजय का मुह देखना पड़ा........... इन परिणामो को लेकर मेरा मन शुरू से आशंकित था...... इस चुनाव के विषय में प्रशांत जी से अक्सर बात हुआ करती थी..... वह कहा करते थे जार्ज के चलते मुजफ्फरपुर में विकास कार्य तेजी से हुए है... लेकिन निर्दलीय मैदान में उतरने से उनकी राह आसान नही हो सकती ...उनका आकलन सही निकला ... जार्ज को हार का मुह देखना पड़ा.... हाँ ,यह अलग बात है इसके बाद भी शरद और नीतीश की जोड़ी ने उनको राज्य सभा के जरिये बेक दूर से इंट्री दिलवा दी .........
आज वही जार्ज अस्वस्थ है...... अल्जायीमार्स से पीड़ित है........ उनकी संपत्ति को लेकर विवाद इस बार तेज हो गया है..... पर दुःख की बात यह है इस मामले को मीडिया नही उठा रहा है.... जार्ज को भी शायद इस बात का पता नही होगा , कभी भविष्य में उनकी संपत्ति पर कई लोग अपनी गिद्ध दृष्टी लगाए बैठे होंगे..... पर हो तो ऐसा ही रहा है.... जार्ज असहाय है... बीमारी भी ऐसी लगी है कि वह किसी को पहचान नही सकते ... ना बात कर पाते है...... शायद इसी का फायदा कुछ लोग उठाना चाहते है.......
कहते है पैसा ऐसी चीज है जो विवादों को खड़ा करती है.......... जार्ज मामले में भी यही हो रहा है.... उनकी पहली पत्नी लैला के आने से कहानी में नया मोड़ आ गया है.... वह अपनेबेटे को साथ लेकर आई है जो जार्ज के स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रही है... बताया जाता है जार्ज की पहली पत्नी लैला पिछले २५ सालो से उनके साथ नही रह रही है.... वह इसी साल नए वर्ष में उनके साथ बिगड़े स्वास्थ्य का हवाला देकर चली आई..... यहाँ पर यह बताते चले जार्ज और लैला के बीच किसी तरह का तलाक भी नही हुआ है...अभी तक जार्ज की निकटता जया जेटली के साथ थी....वह इस बीमारी में भी उनकी मदद को आगे आई और उनके इलाज की व्यवस्था करने में जुटी थी पर अचानक शान और लैला के आगमन ने उनका अमन ले लिया .... जैसे ही जार्ज को इलाज के लिए ले जाया गया वैसे ही बेटे और माँ की इंट्री मनमोहन देसाई के सेट पर हो गयी ..... लैला का आरोप है जार्ज मेरा है तो वही जया का कहना है इतने सालो से वह उनके साथ नही है लिहाजा जार्ज पर पहला हक़ उनका बनता है.... अब बड़ा सवाल यह है कि दोनों में कौन संपत्ति का असली हकदार है...?
जार्ज के पेंच को समझने ले लिए हमको ५० के दशक की तरफ रुख करना होगा.... यही वह दौर था जब उन्होंने कर्नाटक की धरती को अपने जन्म से पवित्र कर दिया था..3 जून 1930 को जान और एलिस फर्नांडीज के घर उनका जन्म मंगलौर में हुआ था.....५० के दशक में एक मजदूर नेता के तौर पर उन्होंने अपना परचम महाराष्ट्र की राजनीती में लहराया ... यही वह दौर था जब उनकी राजनीती परवान पर गयी ......कहा तो यहाँ तक जाता है हिंदी फिल्मो के "ट्रेजिडी किंग " दिलीप कुमार को उनसे बहुत प्रेरणा मिला करती थी अपनी फिल्मो की शूटिंग से पहले वह जार्ज कि सभाओ में जाकर अपने को तैयार करते थे... जार्ज को असली पहचान उस समय मिली जब १९६७ में उन्होंने मुंबई में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता एस के पाटिल को पराजित कर दिया ... लोक सभा में पाटिल जैसे बड़े नेता को हराकर उन्होंने उस समय लोक सभा में दस्तक दी ... इस जीत ने जार्ज को नायक बना दिया... बाद में अपने समाजवाद का झंडा बुलंद करते हुए १९७४ में वह रेलवे संघ के मुखिया बना दिए गए...उस समय उनकी ताकत को देखकर तत्कालीन सरकार के भी होश उड़ गए थे... जार्ज जब सामने हड़ताल के नेतृत्व के लिए आगे आते थे तो उनको सुनने के लिए मजदूर कामगारों की टोली से सड़के जाम हो जाया करती थी....
आपातकाल के दौरान उन्होंने मुजफ्फरपुर की जेल से अपना नामांकन भरा और जेपीका समर्थन किया.. तब जॉर्ज के पोस्टर मुजफ्फरपुर के हर घर में लगा करते थे ... लोग उनके लिए मन्नते माँगा करते थे और कहा करते थे जेल का ताला टूटेगा हमारा जॉर्ज छूटेगा... ( जारी रहेगा.....)
Tuesday 23 February 2010
इन तस्वीरो पर भी नजर फेरिये..................
दुल्हनो के सजने सवारने के पार्लर खुल गए है यह तो मालूम था...... पर सड़को पर जब अकेले घूम रहा था तो मेरा माथा ठनक गया ... अब आप ही देख लीजिये.....इस बोर्ड को .... अब दूल्हो का मेक अप भी सस्ते दामो पर हो रहा है....... अगर आप भी विवाह के बंधन में जा रहे है तो इसको आजमाकर देखिये तो सही....... सुन्दरता में चार चाँद लग जायेंगे...........
बूद बूद से घड़ा भरता है....... पर ओसन एकेडेमी को ज्वाइन करने से पेट भर सकता है ...... इसको देखकर कम से कम यही तस्वीर आँखों के सामने बनती है...............
Sunday 21 February 2010
कैसी अजब तस्वीरे............
Saturday 13 February 2010
दिल तो बच्चा है जी...............
अपने पर गौरव न
गीत पराया गाते हो
मीरा का प्रेम त्यागकरतुम किसे पूजने जाते हो?
अश्लीलता में सने देह है
फिर बोलो कैसा दिल होगा ?
यह प्रेम नही फैशन है भइया
यहाँ हर प्रेमी कातिल होगा
ख़ुद को कहते प्रेमी क्या लाज नही आती तुम्हे
तुम तो तन के दीवाने होमन की सुन्दरता क्या भाती तुम्हे
क्यों आएना लोगो को दिखाते हो?
ख़ुद के चहरे को देखने से कतराते हो
क्यों चीर हरण का दुःखचटखारे लेकर सुनते हो
बहस चर्चाएं आयोजित करते हो?
अश्लीलता को सुंदर गुलाबो से तोलते हो ?
चीर हरण की भूमिका पर
राय शुमारी क्यों नही करते
नारी को कर भोग्य रूप किस कियासंस्कृति कुरूप
उत्तर दो उत्तर दो....?
Friday 5 February 2010
करिये दिल खोल के बातें........
पिछले साल जब दिवाली में अपने गाव गया तो महसूस हुआ तो... संचार क्रांति का बाजा कितनी तेजी से बजा है ? गावो में बिजली नही है... सड़क भी नही पहुची है ..... लेकिन मोबाइल सेवा सबके घरो में पहुच चुकी है ....हर घर में मोबाइल सेट घनघना रहे है....चौकने की बात तो यह है गावो में अभी एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसको मोबाइल के इस्तेमाल की सही जानकारी भी नही है..... वह केवल दो फंक्शन जानते है.... लाल से डायल करो..... हरे से फोन काट दो ......