Friday 28 November 2008

......... दिल्ली का दंगल .........


आज अपनी बात दिल्ली के दंगल से शुरू करता हूँ.... मध्य प्रदेश में तो मतदान भी पूरा हो चुका है... अब बारी दिल्ली और राजस्थान की है...... सारे पार्टियों के प्रचारक अब दिल्ली और राजस्थान की और अपना रुख कर चुके है...वहां पर कल मतदान होना है...... चुनाव प्रचार के अन्तिम दिनों में बीजेपी , कांग्रेस के साथ बसपा भी वोटरों को लुभाने में कोई कसर नही छोड़ी... सारे दलों ने दिल्ली को जीतने के दावे किए है लेकिन असली किंग का पता तो ८ दिसम्बर को चल पायेगा जब सभी राज्यू के साथ दिल्ली की तकदीर का फेसला होगा..... ।

जहाँ कांग्रेस अपने १० वर्ष के कार्यकाल को अपनी जीत का आधार बना रही है वहीँ बीजेपी शीला के किले में किसी भी तरह से सेंध लगना चाहती है जिसके लिए उसके नेता एडी चोटी का जोर लगा रहे है....दिल्ली में इस चुनाव में बसपा की उपस्थिति ने मुकाबले को रोचक बना दिया है...दिल्ली में इस बार चढ़ रहा माया का "हाथी" हाथ और कमल दोनों का खेल खराब कर रहा है॥

विश्लेषकों का मानना है हाथी की बदती धमक से दोनों दलौं की नीद उडी हुई है....कई जगह यह कमल और हाथ को कुचल रहा है ..... आसार तो इस बात के लग रहे है भले ही माया बहनजी यहाँ पर ज्यादा सीट न ला पाए लेकिन हार जीत का अन्तर कम या ज्यादा करने में वह इक बड़ी भूमिका निभाएंगी जिस कारन से चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते है... ।

७० सीटो वाली दिल्ली की विधान सभा में पिचले चुनाव में कांग्रेस को ४७ सीट मिली थी वहीँ बीजेपी २० सीटो तक सिमटकर रह गयी थीइस बार के समीकरण पिचली बार से अलग नज़र आ रही है,,, परिसीमन के के कारन से पूरा दिल्ली का भूगोल बदल गया है जिस कारन से कई नेताओ के सीट और विधान सभा बदल चुकी है... फिर भी दिल्ली के अन्दर कई सीट ऐसी है जिनको देखकर लगता है जैसे बीजेपी और कांग्रेस के नेताओ ने मिलके कोई समझोता कर लिया है.... एक दर्जन सीट ऐसी है जहाँपर दोनों दलौं ने इक दूसरे के विरुद्ध कमजोर उम्मीदवार को खड़ा किया है यहाँ पर दोनों में से इक की जीत आसानी से सुनिश्चित है लेकिन सभी जगह ऐसा हाल नही हैकई जगह बसपा की मौजूदगी से कांग्रेस का खेल ख़राब होरहा है ।

दिल्ली पर इस बार सबकी नज़र लगी हुई है...यहाँ का इतिहास बताता है की यहाँ पर बारी बारे से हर ५ साल में सत्ता की चाभी बदलती रही है... केवल शीला "मैडम" का हाल का १० वर्षो का कार्यकाल को छोड़ दे तो पहले का इतिहास भी इसी कहानी कहानी को बतियाता है... कांग्रेस इस बार "शीला का दम " गाने के सहारे चुनावी वैतरणी पार करनाचाह रही है वहीँ बीजेपी के पास शीला के किले में सेंध लगाने को कई मुद्दे है...जैसे वह आतंकवाद, महंगाई , करप्शनको बड़े मुद्दे के रूप में प्रचारित कर रही है साथ में गरीबो के हाथ शीला के राज में असफलता हाथ लगने को वह भुनाने की तयारी में है... ।

जहाँ कांग्रेस की और से सीएम के रूप में शीलापहले से डिक्लेयर हो गया था वहीँ बीजेपी को इस पर भरी फजीहतें झेलनी पड़ रही थी लिहाजा उनके द्वारा अन्तिम समय में विजय कुमार मल्होत्रा का नाम घोषित किया गया सीएम नाम पार्टी के लिए गले की हड्डी बन गया था लेकिन लास्ट समय में मल्होत्रा पर मुहर लगाने को पार्टी मजबूर हुई जिसको हर्षवर्धन, जगदीश मुखी ,विजय गोएल, जैसे नेता नही पचा पा रहे है अब देखना है गुटबाजी से परेशान बीजेपी यहाँ पर किस तरह से शीला के किले में सेंध लगा पाती है?

हमारे दिल्ली के कुछ सूत्र बताते है पार्टी में विजय कुमार मल्होत्रा करना जादू सर चदकर नही बोल रहा है... उनका नाम घोषित न होने से पहले तक जहाँ बीजेपी करना सत्ता बाज़ार में दाव ऊँचा लग रहा था वहीँ अब यह बहुत नीचे आ चुका है ... विश्लेषक इसके पीछे कई कारणों को जिम्मेदार बताते है॥ जहाँ पहले लोगो को उम्मीद थी की पार्टी की और से जेटली या फिर स्वराज का नाम घोषित किया जाएगा वहीँ अब मल्होत्रा के आने से लोगों की उमीदू को धक्का लगा है क्युकी यह दोनों नेता ऐसे थे जो शीला के कद के कही टक्कर के थे इनको प्रोजेक्ट करने से शायद कांग्रेस "बेक फ़ुट" ड्राइव पर चली जाती लेकिन अब मल्होत्रा के आने से कांग्रेस के नेताओ की बांचे खिल गयी है साथ में अंदरखाने मल्होत्रा की दावेदारी को बीजेपी के कई बड़े नेता नही पचा प् रहे है ऐसे सूरत में शीला की वापसी की प्रबल सम्भावना दिख रही है शीला के पिटारे में विकास का मुद्दा है और यह एक नया चलन बन चुका है आज विकास के आगे सारे मुद्दे गौड़ हो जाते है॥ हम इसको बेहतर ढंग से गुजरात में देख चुके है यहाँ यह भी बताते चले १० वर्षो में शीला ने खाफी सराहनीय कार्य किए है जिनको लेकर जनता में कोई नाराजगी नही दिखती हालाँकि कई जगह उनकी काम की प्रणाली को लेकर भारी विरोध भी है जो किसी भी दल के साथ होना कोई नई बात नही है अभी कई मुद्दे ऐसे है जिनको लेकर उन्होंने वह चुस्ती नही दिखाई जिनकी अपेक्षा जनता को १० वर्षो में थी ।

लेकिन बीजेपी इस समय बड़े संकट में फसती नज़र आ रहे है कल मतदान होना है लेकिन दिल्ली से छानकर आ रही खबर कह रही है की मल्होत्रा कम जादू जनता पर अपना असर छोड़ पायेगा यह कह पाना मुस्किल नज़र आ रहा है हालाँकि उसने यहाँ पर अपने दिग्गी नेताओ और फिल्मी प्रचारकों को पूरी ताकत से कोम्पैनिंग में लगाया था लेकिन दिल्ली के मतदाता की खामोसी ने उसकी दिलो की धड़कन को बड़ा दिया है यही कारन है वह यहाँ पर कई सर्वे करा चुकी है जिस पर रिजल्ट यह निकल कर आया है पार्टी मल्होत्रा की कप्तानी में डगमग हालत में खड़ी है अभी ज्यादा समय नही बीता जब शीला और मल्होत्रा इक टीवी चैनल की बहस की दौरान आमने सामने खड़े थे , इस बहस में मल्होत्रा शीला से बुरी तरह से उलझकर रह गए थे जिसको लेकर उन्हें पार्टी के आकाओं की और से खासी किरकिरी झेलनी पड़ी थी बताया जाता है इसके बाद हाई कमान ने उनको यह आदेश दे दिया की वह अब मीडिया में कोई स्टेटमेंट देने से पहले १० बार सोंचे तभी से मल्होत्रा खामोश बैटकर अपने विधान सभा ग्रेटर केलाश में ही उलझे हैअब कल मतदान में उनका और पार्टी कम क्या होता है यह फेसला तो जनता को करना है लेकिन फिर भी मल्होत्रा को यहाँ पर चमत्कार की आस है वह दिल्ली की दो तिहाई सीट जीतने कम दावा कर रहे है ।

बीजेपी के पास अब यहाँ एक नया मुद्दा हाथ लग गया है यदि वह इसको सही से भुना लेती है तो परिणाम उसके पाले में जा सकते है मुंबई में आतंकवादी कार्यवाही ने बीजेपी को संप्रग सरकार को घेरने कम एक बड़ा मुद्दा दे दिया है जिस तरह से आज और कल मुंबई धमाको से हिल गयी उसको देखते हुए मुझको लगता है आने वाले विधान सभा के चुनाव में आतंरिक सुरक्षा इक बड़ा मुद्दा बनेगा सभाबतः यह दिल्ली की फिजा कम रुख अपने और मोड़ सकता है वैसे भी मनमोहन सरकार लंबे समय से आतंकवाद पर नरम रुख अपनाने के विरोधियो के तीखे तीर झेलती आ रही हैदेश की आर्थिक राजधानी में जिस सुनियोजित तरीके से आतंकवादियो ने इसको अंजाम दिया है उससे हमारी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की पोल खुल गई हैमनमोहन सरकार के लिए आने वाले दिन काफी संकट भरे रहने वाले हैअगर बीजेपी ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान ,छत्तीसगढ़ फतह कर लिया तो ८ दिसम्बर को संप्रग के साथी दल पर भी इसका असर पड़ना तय हैउससे पहले हमारे "शिवराज" की विदाई भी तय है वैसे ही लंबे समय से उनको हटाने की मांग की जा रही हैपहले भी ३, ४ बार कपड़े बदलने के चक्कर में उनकी मीडिया में और पार्टी में जमकर खिचाई हो चुकी है अब मुंबई की समस्या उनका पीछा नही छोडेगीलिहाजा बीजेपी के पास सही मुद्दा हाथ लग गया है यह कांग्रेस का जहाज डुबोने की पूरी चमता रखता हैवैसे भी भगवा ब्रिगेड विपक्षियों के "हिंदुत्व आतंकवाद " के मुद्दे पर तीखे तीर झेल रहे थी उसके नेता इस पर बगल झांकते नज़र आ रहे थे अब चुनाव से पहले यह मुंबई वाला मुद्दा जनता के लिए अहम् सवाल बन सकता है खैर देखते है बीजेपी की राह आगे कैसे रहती है?

मैं भी कहाँ से कहाँ की परिक्रमा कर जाता हूँ आप इसके बारे में कुछ भी नही कह सकते बात कर रहा था दिल्ली के कल के चुनावो की आतंरिक सुरक्षा बीच में आ गई तभी तो अपने दोस्त कहते हा यार ब्लॉग में तो तुमने सारी सीमाओं को तौड़ दिया है ... पूरा रिपोर्ट कवर कर रहे हो.... छोड़ कुछ भी नही रहे हो... क्या करे यही बात कल में अपने दिल्ली के दोस्त से भी कर रहा था यार कंप्यूटर पर अगर में इक बार काम करने लग जाऊँ तो कलम इतनी फास्ट चलती है जो भी दिमाग में उमड़ घुमड़कर आता रहता है वही सब ब्लॉग में भी लिखता रहता हूँआज ही की बात है अपने दिल्ली के दोस्त जो भोपाल में हमारे साथ है कह रहे थे "यार इतना कैसे किख देते हो? कल ब्लॉग दिखाया तो उन्होंने फ़रमाया "इसको पड़ने में लंबा समय चाहिए"........... ।

" क्या करे हम है ही अलग सोचने वाले..... दिल्ली की कंपनी भीड़ से हटकर सोचती है... लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य है सारी कंपनी अलग थलग हो गई है यही बात हम आज दिन में अपने दोस्त से भोपाल में कर रहे थे हर किसी को सलाह है हमारी बस मेहनत करते रहो ॥ सफलता मिलेगी.... हम हर पल आपके साथ है ॥ हमारी पूरी कंपनी ..... भी .. कर ॥ बस आप कोसिस करते रहो ... ।

चलिए अब बात समाप्तकरदेता हूँ हम बात कर रहे थे दिल्ली के चुनाव की ..... मुख्य रूप से यहाँ पर मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है लेकिन बसपा के आने से खेल मज़ेदार हो गया हैअभी कई सीटो पर बसपा आगे चल रही हैजहाँ पर उसका अच्छा प्रभाव देखा जा रहा है पिछली बार के नगर निगम चुनाओ की बात करें तो उसका वोट % बड़ा था स्सथ में वह कई जगह कांग्रेस से आगे बदत बनाये हुए थीलिहाजा इस बार भी उसको यही आस है की वह यहाँ पर " किंग मेकर" के रोल में नज़र आएगी ब्राह्मण कार्ड खेलकर उसने फिर दिल्ली में दिखा दिया है "उप हुई हमारी है अब दिल्ली की बारी है" अब देखते है ८ दिसम्बर को हाथी दिल्ली में क्या भूमिका निभाता है? थोड़ा इंतजार करें .... सब्र का फल मीठा होता है...... चुनावो की अपनी रिपोर्टो को यही पर विराम देता हूँ कल से बात करेंगे नए विषय की ....आतंकवाद पर अपनी कलम कल बोलेगी.... ।

Monday 24 November 2008

राजस्थान का दंगल .......


आज अपनी बात राजस्थान को लेकर शुरू करते है...... राजस्थान का पारा भी आजकल सातवे आसमान पर है.... जगह जगह शोरगुल ..... सभी दल लगे है....... अपने हिसाब से चुनाव ....में मतदाताओ को..... लुभाने में........ सभी अपने को आगे बता रहे है...... चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस सभी अपनी सरकार बनने की बात कर रहे है...जहाँ तक बीजेपी का सवाल है.... वह तो महारानी की सरकार दुबारा बन्ने की बात कर रही है.....विकास के मुद्दे पर वह जनता को लुभाना चाहती है,......वही कांग्रेस उसको घेरने की पूरी तयारी कर रही है.... उसका मानना है वसुंधरा के शाशन में आम आदमी बुनियादी सुविधाऊ से महरूम रहा है............ इसे कारन से बीजेपी को दुबारा सत्ता में आने का कोई हक़ नही है... ।

वादे तो होते ही रहते है...... सरकार बन्ने के बाद कितने पूरे हो पाते है यह सभी जानते है... आज का अपना वोटर बड़ा शातिर हो गया .... है..... वह अब पहले जैसा नही रहा ...... बोलता ही नही किसको वोट देगा... हालाँकि चुनाव होने में अभी मुस्किल से २ हफ्ते बाकी है लेकिन राजस्थान का आम मतदाता चुप्पी साधे है...... वह यह नही बता ... रहा अपना ... वोट किसको पड़ने जा रहा है..... फेसला तो ८ दिसम्बर को होगा जब सभी राज्यू के प्रत्यासियों के भाग्य का पिटारा खुलेगा...... ।

खैर हम विषय पर आते है...... राजस्थान में इस बार मुकाबला रोचक है... बीजेपी .... एक और है ... तो दूसरे और है... कांग्रेस ..... दोनों के वोट काटने ... के लिए उत्तर प्रदेश से हाथी बुलाया गया है........ जिस रफ़्तार से यह चडाई कर रहा है... सभी की मुस्किल बड़ा रहा है.... अन्य जगह भले ही यह नही चढ़ पाया हो ... लेकिन राजस्थान में यह अपना प्रभाव छोड़ सकता है....स्थितियों से दोनों पार्टिया अच्छी तरह से वाकिफ ही है..... हिमांचल, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों में हाथी ने कांग्रेस की मुसीबते बड़ा दी थी , इसे कारन से दोनों दल अभी से अपने और वोटरों को लुभाने की तयारी कर रहे है.......... ।

अगर राजस्थान की बात करे तो पिचले कुछ दिनों से यहाँ पर बीजेपी और कांग्रेस के हाल इक जैसे ही रहे है.... दोनों में कोई अन्तर नज़र नही आता .... सभी के साथ एक बीमारी लगी है.... बागी .... हर तरफ़ बागियों... का जलवा....... टिकेट न मिल पाने के कारन यह सभी बागी अलग खड़े हो गए है....... अभी टिकेट आवंटन को लेकर दोनों दल के कार्यालयों में ... जमका मार पीट ... हुई..... सब तमाशा देखते रही.... बीजेपी तो अपने साथ वालू की पहली सूची तक डिक्लेयर नही कर पाई.... यही हाल कांग्रेस का भी रहा है....बागियों के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प होने के आसार नज़र आ रहे है... ... ।

कांग्रेस में "मार्गेट आंटी" के टिकेट बेचे जाने का विवाद अभी शांत भी नही हुआ था की अचानक बीजेपी से भी टिकेट बिकने की नौबत आ गयी.......भरतपुर के अपने "विस्वेंद्र " ने कह डाला "वसुंधरा " सरकार के शासन में भे टिकेट बिक रहे है...... जो बीजेपी कल तक अल्वा के बयानों के आधार पर अपने विज्ञापन जोर शोर से प्रसारित कर रही थी वह आज "बेक फ़ुट " ड्राइव पर आ गयी.... उसके कार्यकर्ताओ ने कैसे तैसे इस बात से अपना पल्ला झाडा ... ।

अपने राजस्थान की महारानी की इस चुनाव में प्रतिस्ता दाव पर लगी है.... पार्टी को आस है वह अपने "नरेन्द्र भाई जैसा करिश्मा कर बीजेपी की फिर से वापसी कराने जा रही है.... इस दफा मैडम महारानी जी ने बिल्कुल मोदी वाला फार्मूला लगाया है.... टिकेट आवंटन में "माथुर " को पीछे छोड़ दिया है.... सारे टिकेट देने में उनकी ... चली है॥ इस बार.....रानी का कांग्रेस पर पहला वार यह हो गया है उन्होंने बड़े पैमाने पर महिलाऊ को टिकेट दे दिए है......... कांग्रेस भले ही आपने को महिलाऊ का बड़ा बड़ा सुपोटर बताये लेकिन टिकेट ... मिले है... कम .... महिलाऊ को ... ज्यादा तरजीह ... न ... बाबा ..न॥

कांग्रेस की मुश्किल स्थिते हो गयी है..... वैसे ही संप्रग की नोटंकी जारी रही है... महिला के मसले पर...... हम आपको याद दिलाते है..... संसद में जब महिलाऊ के लिए ३३% का बिल लाया जाता है...... तो अपने मुलायम ... लालू.... विरोध में खड़े हो जाते है..... अबू आज़मी तो बिल फाड़ देते है.... संसद में अगर यह पारित नही हो पा रहा तो दोष तो कांग्रेस और उसके साथियों का है.... लेकिन बार बार उसके द्वारा अपने को महिलाऊ का सच्चा हितेषी कहना हमारे तो गले नही उतरता ....नही तो राजेस्थान में जमकर... टिकेट दिए जाते कांग्रेस ..... की तरफ़ से..... ।

यह सब कर वसुंधरा ने दिखा दिया है उसकी कथनी और करनी इक है" लेकिन परेशानी अभी कम नही हुई है.... बड़े पैमाने पर पार्टी के समर्पित सिपाहियों को टिकेट नही दिया गया है..... उनको मिला है जो जमीन से नही जुड़े है..... लिहाजा महारानी की परेशानी... कम नही हुई है॥ खतरा तो उपर आ रहा था की अचानक किरोडी लाल नाराज हो गए... अलग राह पकड़ ली है... मीना परेशानी में है.... वैसे भी गुज़र आन्दोलन शबाव पर रहा था ..... ।

वसुंधरा को राज्नीते की अच्छी समझ है...... घनशयाम तिवारी, गुलाब चाँद कटारिया, रघुवीर जैसे लोग उनके विरोधी रहे है.....साथ में जसवंत भी कब क्या कर जायें इसका कोई भरोसा नही है.... पहले भी उनका जसवंत के साथ ३६ का आंकडा जगजाहिर ही रहा है....... सो एस बार महारानी ने सभे को चुनाव की समीति में जगह दी.... शेखावत को भी अपने पास लामबंद कर वसुंधरा ने अपना जलवा पहले ही दिखा दिया है.... मसलन गाड़ी ट्रैक पर है बीजेपी की.... पूरी एकजुटता है...... बीजेपी में... कही कोई विरोध होता है... तो शांत कर लिया जाता है.... गुजरात का मोदी का विकास वाला फार्मूला यहाँ पर फिर से महारानी की रह आसान बना रहा है...... गुज्जर मीना ... मसले पर राजस्थान आग में ... जल रहा था लेकिन महारानी ने बाल को केन्द्र के पाले में फैक दिया ...यह गूगली कांग्रेस पर भारी पड़ गयी है.......। कांग्रेस को कोई तौड़ नही मिल पा रहा है राजस्थान में .... ५ साल में राजस्थान में महारानी के द्वारा काफी विकास किया गया है.... जनता फिर से उसकी राह को आसान कर सकती है...... लास्ट चुनाव में सरकारी कर्मचारियों के वोट ने महारानी की राह को आसान बनाया था .... इस बार भी रानी ने उनको निराश नही किया है.... ६ वेतन आयोग ....को लागू करवाकर..... फिजा को अपनी और मोड़ने की तयारी पहले ही कर ली है... ।

वही अन्य राज्यू की तरह कांग्रेस भी यहाँ पर गुटबाजी से परेशां है..... सभी की राह अलग अलग नज़र आ रही है....मुख्य मंत्री कौन होगा यह तय नही है? सूबे में सत्ता वापसी के सपने देख रही कांग्रेस का अगर यही हाल रहा तो वह राजस्थान में भी हार का मुह देख सकती है..... टिकेट देने के मसले पर ..... ओफ्फिसो में जमकर ... हाथापाई की नौबत आ गयी है .... बगावातियो ने भी मुस्किल बड़ा दी है... ।

असंतोष दिनों दिन बढता जा रहा है... कोई भी इसको दूर करने में नाकाम है..... उसके अपने नेताओ को यह रास नही आ रहा की पुर्व मुख्यमंत्री रहे "अशोक गहलोत" को आगे करें..... "न सूत न कपास जुलाहों में लाथाम्म लात्ता " यह हाल है कांग्रेस का का यहाँ पर.... वैसे बताया जाता है गहलोत की १० जनपथ में अच्छी पकड़ है लेकिन पिचले कुछ समय से सोनिया गाँधी उनको चारा नही दाल रही है....कारन यह है पार्टी एकजुट होकर मुकाबला करे तभी पार्टी को जीताया जा सकता है...लेकिन राजस्थान कांग्रेस का आपसी प्रेम स्नेह देखिये, परसराम मदेरणा ने गहलोत पर वार कर दिया है... सब्द बाण ... बहुत ही तीखे... चले है... इस चुनाव... में... इसकी गूंज १० जनपथ तक जा पहुची है... तभे तो मुकुल वासनिक और दिग्गी राजा ने दस्तक दी ॥

पिछले दिनों राजस्थान में... मदेरणा ने चुनाव सूची पर सवाल खड़े कर दिए है.... धनबल का गंभीर आरोप लगा दिया ..... कांग्रेस फिर परेशान ..... है॥ नेताओ को यह पता नही ... की महारानी के किले में कैसे सेंध लगाई जाए कांग्रेसी बिखरते नज़र आ रहे है यहाँ पर... बीते ५ वर्षो में उसने सकारात्मक विपक्ष की भूमिका नही निभायी.... कई मुद्दे थे उसके पास महारानी को घेरने के लिए लेकिन क्या करे नही कर पाई .....? राजस्थान के हमारे कुछ सूत्र बताते है की राज्य कांग्रेस के कई लोग गहलोत को सीएम के पड़ पर देखना पसंद नही कर रहे लेकिन हाई कमान अंदरखाने उनका सुप्पोर्ट करता नज़र आ रहा है...गहलोत पर पिचले सरकार में किसान विरोधी होने का आरोप लगाया जा रहा है... हाँ यह अलग बात है गहलोत इस को सिरे से नकार रहे है.... ।

वैसे इस बात की भी पिचले दिनों हवा उडी की "कांग्रेस के यूवराज " ने पिचले दिनों अपने साथी "सचिन पायलट"को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने की जबरदस्त ढंग से पैरवी की कारन यह है उनका "दौसा " संसदीय सीट रिज़र्व हो गया है और उनको पहले हुए संप्रग के मंत्री मंडल फेरबदल में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा के साथ जगह नही मिल पाई जिस कारनअपने को अलग थलग महसूस कर रहे है... ऐसे सूरत में सचिन कार्ड को खेलना राजस्थान में कांग्रेस के लिए ज्यादा फायदे का सौदा होगा ऐसा राहुल गाँधी का मानना है... अभी इस बात की दिल्ली में १० जनपथ के अन्दर चर्चा भी हुई थी लेकिन बताया जाता है कई कांग्रेस के नेताओ को यह नही भाया अभी सचिन को कमान सोपने का सही समय आ गया है... उनकी तर्क यह है की अभी वह ज्यादा परिपक्व नही हो पाए है लिहाजा उनको आगे करना सही फेसला नही होगा... वैसे भी सभी जानते है कांग्रेस के ज्यादातर युवा नेताओ को परिवारवाद के चलते पार्टी में जगह दी गए है... वंशवाद की अमर बेल यहाँ देखी जा सकती है.....
कांग्रेस के पास बीजेपी को घेरने के कोई तर्क नही हैसंप्रग के मंत्री भी राजस्थान पर अलग अलग भासा बोलते है॥

एक बानगी देखिये सोनिया कहती है वसुंधरा की सरकार ने केन्द्र कई पैसे का सही सदपयोग नही किया वही संप्रग के कई कैबिनेट मंत्रियो की नज़र में बीजेपी साषित राज्यों में जमकर विकास कार्य हुए है... एक योजना की बात करते है... अभी रोजगार गारंटी की ही बात कर ले रागुवंश प्रसाद वसुंधरा के काम के ढंग से खुश नज़र आए॥ उन्होंने कहा राजस्थान में सची से इसको लागू करवाया गया है... यही नही बीजेपी ने आपनेराज्यों में अच्छी से काम करवाया है॥ अब इसको आप क्या कहोगे॥ सोनिया के स्टेटमेंट की तो धज्जिया ही उड़ गयी ।

इस चुनाव में कांग्रेस के लिए राजस्थान में बसपा बड़ा सिरदर्द बन गयी है॥ हिमांचल और उत्तराँचल की तरह से यहाँ पर भी हाथी हाथ का खेल ख़राब कर सकता है बड़े पैमाने पर कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक को नुकसान पहुच सकता है२८% दलित वोट पासा पलट सकती है साथ में हार जीत की संभावना पर भी असर दाल सकते है माया बहनजी तो प्रधान मंत्री बन्ने के सपने देखने लगी है ॥ अभी से नब्ज को टटोल रही है बसपा का वोट परसेंट हर बार बाद रहा हैजो इक खतरनाक संकेत है२८% मतलब हर ४ घर में हाथी इक जगह अपना आशियाना तलाश कर सकता है कही ऐसा न हो जाए बीजेपी का रास्ता हाथी आसन कर दे और वसुंधरा महारानी फिर से इतिहास बना दे अभी बीजेपी यहाँ पर १९२सीटो पर लड़ रही है ।

हत्थी की थोडी मुस्किल इस बार अपने नटवर और जगत ने बड़ा दी है दोनों पिता पुत्र बसपा को टाटा बोल चुके हैबताया जाता है नटवर चाहते थे उनको उत्तर प्रदेश से राज्य सभा में बसपा द्वारा भेजा जाना चाहिए था लेकिन बहनजी ने उनकी एक भी नही सूनी और विवस होकर नटवर को बसपा छोडनी पडी बेटे के साथ पहले भे यही हो चुका है जिस सीट से वह टिकेट मांग रहे थे वहां से उनको टिकेट नही दिया गया लचर होकर जगत को बीजेपी के पास जन पड़ा अब अपने नटवर अंकल भी पुत्र की राह को पकड़ सकते हैउनकी नज़र ८ दिसम्बर तक टिके रहेंगी जब वसुंधरा के भाग्य का फेसला होगा अगर महारानी फिर से जीत जाती है तोवह बीजेपी को जों कर लेंगे इसके बाद शायद वह अपना संसद का रास्ता तैयार कर सकते है फिर चाहे उनको राज्य सभा या फिर लोक सभा से उम्मीदवार बनाया जा सकता है उनके जाने के बाद बसपा का खेल थोड़ा सा बिगड़ गया है क्युकी कई सीटो पर उनका अच्छा प्रभाव था जिसको इस्तेमाल कर हाथी को रेगिस्तान में आसानी से चदाया जा सकता था लेकिन अब ऐसा सम्भव नही दीखता ।

खैर ,हमारे नज़र में मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैबसपा कांग्रेस की मुसीबत बड़ा रही है अब तक के प्रचार में बीजेपी आगे नज़र आपने रही है कांग्रेस गुटबाजी में फस गयी हैआपस में खीचतान.... जारी .... है... ऐसे में ८ दिसम्बर को रेगिस्तान में ऊट क्या करवट लेता है यह कह पाना बहुत मुस्किल नज़र आ रहा है खुदा ना खास्ता , यह हमारा चुनावी विश्लेषण है...... आगे आगे देखते है क्या होता है?

Sunday 23 November 2008

उमा गोविंदा का "जुगलबंदी ऑफर"

उमा और गोविंदा के जुगलबंदी ऑफर की देश में इन दिनों जोर शोर से चर्चा हो रही है ... आज सोचा था राजस्थान के दंगल का जाएगा लेंगे..... लेकिन क्या करे उमा गोविंदा के जुगलबंदी ऑफर की याद आ गयी ... और मैं चाहकर भी नही रुक पाया .... लिखने से....
उपर की जा रही बातें आप को अटपटी लग रही होंगी... आप भी सोच रहे होंगे यह कौन से गोविंदा की बात कर रहा है... यहाँ पर आपको बताते चलू यह न तो फिल्मो वाले गोविंदा है , और न ही यह गोपियो और राधा वाले गोविंदा भगवान् कृष्ण है......
हम बात कर रहे है ॥ मध्य प्रदेश वाली उमा और गोविंदा की.....जनसक्ती पार्टी में नया जुगलबंदी ऑफर आ गया है.... लंबे समय भारतीय जनता पार्टी में रहे गोविन्दाचार्य ने अब उमा का दामन थाम लिया है मध्य प्रदेश के चुनावो से ठीक पहले उमा ने उनको पार्टी में रिमोट दे दिया है.... अब पार्टी का बटन उनके हाथ में रहेगा.... सियासी मोर्चाबंदी शुरू हो गयी है॥ पिचले कुछ समय से बीजेपी की कार्य प्रणालियों से गोविन्दाचार्य आजिज आ चुके थे और हासिये पर थे॥ इस दौर से पहले उन्होंने रास्ट्रीय स्वाभिमान आन्दोलन नाम से एक मोर्चे का निर्माण किया था......लेकिन किसी समय राजनीती से सन्यास लेने की बात दोहराने वाले गोविन्द अब मध्य प्रदेश में जन जन तक "नगाडे " की धुन उमा के साथ बजायेंगे.... २ दिन पहले उन्होंने प्रेस में इस बात को कहा ... वह बोले भारतीय जनसक्ती पार्टी और रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में वही रिश्ता रहेगा जो बीजेपी के साथ रहा है.... मतलब ... संघ से नजदीकी बनेगी ..... बीजेपी से....दोस्ती से .... तौबा .... न ... बाबा .... न..... वैसे ही उमा बीजेपी को लपेटती रही है.....राम रोटी का सवाल है... जिसको लेकर उमा ने पार्टी से बगावत कर दी थी......
संघ की तरह अब उमा की पार्टी के सर संघ चालक "गोविंदा " होंगे.....८ साल के सन्यास के बाद वह फिर से राजनीती के मैदान में बैटिंग करने को बेताब ... है.... वैसे उमा उनको कुशल मेनेजर मानते है॥ उनकी माने तो आज बीजेपी को आकाश की उचाईयो तक पहुचने में गोविन्द दादा का बड़ा योगदान है...अतः उमा को आस है उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में उनके आने से मजबूत होगी.... वैसे भी उमा की पार्टी में कोई दम नही रह है... पिचले कई चुनाव में हम उनका प्रदर्शन देख चुके है.... खाता ही नही खुल पाया था उनका .....लेकिन फिर भी लगी थी बीजेपी को सबक सिखाने की तैयारी में.... पर नतीजा सिफर ही रहा .....
सो अब नया कार्ड .... गोविंदा आ गए है साथ में.... आशा है पार्टी अपने मध्य प्रदेश में एस चुनाव में खता जरूर खोलेगी.... कम से कम १ दर्जन सीट तो लायेगी..... और बीजेपी का खेल ख़राब करेगी....
खैर देखते है उमा गोविंदा का यह जुगलबंदी ऑफर २७ नवम्बर को म्प में नगाडे की स्थिती को कितना मजबूत करता है.....?
आज बात यही पर समाप्त करते है... कल बात करेंगे ..... राजस्थान के दंगल की...... आप से निवेदन है...... आपने राय से मुझको अवगत जरूर करवाए........

Saturday 22 November 2008

"मै कोमेडी को बड़े सीरियस ढंग से करता हूँ"


उत्तराँचल से नाता रखने वाले सिने स्टार "हेमंत पाण्डेय" आज फिल्म जगत में किसी के परिचय के मोहताज नही हैं। बचपन मैं अपने पडोसियों की मिमिक्री से हास्य अभिनय की शुरूवात करने वाले हेमंत के लिए अभिनय एक बड़ी सहज प्रक्रिया है। उनकी मानेतो दिल से किया गया अभिनय दूसरो के दिलो को छु लेता है। यू तो वह अपने उपर हास्य अभिनेता का लेवल नही चास्पना चाहते थे लेकिन उनको कोई भी सीरियस ढंग से नही लेता था। धीरे धीरे मन कॉमेडी में ही रम गया ।

एक दशक से ज्यादा समय के अपने सफर में वह अब तक सेकडो विज्ञापन फिल्मो समेत कई धारावाहिकों में काम कर अपने सफलता के झंडे गाड चुके है। "दिल का डॉक्टर" टेलीफिल्म उनके फिल्मी करियर का पहला पड़ाव थी। सब टीवी पर प्रसारित होने वाले "ऑफिस ऑफिस " कार्यक्रम में उनके "जेक पाण्डेय" के किरदार के कई लोग खास मुरीद हुए ऋतिक रोशन के साथ "कृष" फ़िल्म के उनके छोटे से किरदार को भी कई लोगो ने खासा सराहा।

अभी कुछ समय पहले मेरे उनसे विभिन्न विषय पर बात हुए प्रस्तुत है इस बात के चुनिन्दा अंश.......

(1) हेमंत जी बड़े परदे के सफर के बारे में प्रकाश डाले उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जिले से आपका नाता रहा है जो मेरा भी शहर रहा है उत्तराखंड के इस सीमान्त जनपद से निकलकर आपने मुंबई तक की यात्रा को पूर्ण किया है इस लम्बी यात्रा को किस रूप में देखते है आप?

उत्तर- मुझे घर में रामलीला के दौरान अभिनय का खासा रोमांच रहा इसे मेरा रंगमंच का सफर शुरू हुआ। जिसके बाद स्थानीय लेवल पर रोल मिलने लगे स्कूल में कई बड़ी भूमिका निभायी जिससे बड़े परदे की अउर मेरे दिलचस्पी बादने लगी। 1988-89 में दिल्ली की और रुख किया कई संस्था में रोल मिलने लगे। इसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा "नयी दिल्ली" में काम करने का अवसर मिला। यह इक बड़ा प्लेटफोर्म था। मेरे लिए फिर यही से आगे मुंबई एक बड़ा पड़ाव आया। जहा पर मैंने कई बड़ी फिल्म की। वर्त्तमान में भी लगा हुआ हूँ

(२) हाल के वर्षो में हेमंत जी हमारे सिनेमा में कई तरह के बदलाव आए है ऐक कलाकार के तौर पर आप इसको कैसे देखते है?

उत्तर --बदलाव तो आए है जैसे जहाँ नए तकनीक का विकास हुआ है, वही फिल्मो के कहानी भी बुरी तरह से पीती है आज बन रही हमारे फिल्मो का कोई सरोकार नही है ऐसे फ़िल्म बहुत कम बन रही है जिनको आप अपने परिवार के साथ बैटकर देख सकते है साथ में सिनेमा भी आम आदमी से दूर हुआ है।

(३) इक कलाकार के तौर पर आपको फिल्मर ज्यादा आकर्षित करती है या सीरियल अथवा थिएटर ?

उत्तर- मैं ऐसा व्यक्ती हूँ जो कभी कहीं भी खप जाता हूँ हालांकी आजकल फिल्म करना कम कर दिया हैक्युकी इसमे मेहनत ज्यादा लगती है

(४) आजकल उत्तराखंड में विडियो फ़िल्म का नया ट्रेंड सा चल गया है इन विडियो में हमारी संस्कृति की झलक दूर दूर तक नज़र नही आते है मुझको आप मेरे इस कथन से कहाँ तक सहमत है?

उत्तर--- जिस प्रकार से हिन्दी में गन्दी फिल्म बन रही है उसी प्रकार से उत्तराखंड में भी ऐसे विडियो की भरमार आ गयी है , जिनका हमारी संस्कृति से कोई वास्ता नही रह गया हैपहाड़ की परम्पराए समाप्त हो रही है, जिस तरह नाच गाना हो रहा है फिल्म अगर सामाजिक दशा में बने साथ ही उनको देखने से यदि संस्कृति का विकास हो तो उसको मैं सिनेमा मानूगा लेकिन अगर गंदे सीन डालकर फिल्मो से पैसा कमाया जा रहा है तो यह अच्छी बात नही है

(५) फिल्मो के निर्माण की दिशा में आप किस तरह की संभावना देखते है आप ?

उत्तर--- संभावना तो अपार है यहाँ पर सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा की किस प्रकार से यहाँ की वादियों में फिल्मकारों को लुभाया जाए ।

(६) युवाओ के लिए हमारे माध्यम से क्या संदेश देना चाहेंगे आप?

उत्तर-- युवाओ से यही कहूँगा अधिक से अहिक महेनत करे समय की कीमत को पहचाने चुनोतियों से कभी नही घबराए इक दिन सफलता उनके कदम जरूर चूमेगी

(७) हेमंत पाण्डेय के लिए सफलता के क्या मायने है?

उत्तर-- सफलता का मतलब है इमानदारी और सच्चाई छोटे लालच में कभी नही फसना है साथ में असफल रास्तो से भी बचना है इसके आलावा अगर अपने संस्कारो को भी धयान में रखें तो निश्चित ही ग़लत काम नही कर सकते

(८) भविष्य की आपने क्या योजना है? कुछ हमारे साथ शेयर करना चाहेंगे?

उत्तर-- भविष्य की योजना कल पर निर्भर है सिनेमा ही एक मात्र मकसद नही है जीवन बहुत महत्वपूर्ण है अभी कई पड़ाव से गुजरना है जिन पर मैं आगे काम करना चाहूँगा ।

(९)अन्तिम प्रश्न हेमंत जी यह की कौन कौन सी नयी फिल्मो में काम कर रहे है इसमे क्या किरदार निभा रहे है आप?

उत्तर---- "मिलेंगे मिलेंगे" , "जबसे हुआ है प्यार", "सिर्फ़ रोमांस लव् बे चांस ", "क्या कहना आपका" यह फिल्म है जिन पर मैं काम कर रहा हूँ ।

Thursday 20 November 2008

" बेमिसाल युवराज ....."

चुनावो की स्टोरी करते करते थक गया हूँ.... अभी अपने दोस्त की राजस्थान के चुनावो का हाल लेना है...... यह तो होता रहेगा ... उससे इस पर कई बार बात भी हुई है लेकिन मुकाबला वहां भी दिलचस्प रहने वाला है कोई बात नही उससे हाल जानते रहेंगे.... वैसे उसकी माने तो वसुंधरा का जादू फिर बोल सकता है वहां पर........ हमारी बोलती कलम अब चलेगी अब राजस्थान में ... मध्य प्रदेश में तो सर्वे के लिए कई टीम आजकल आए हुई है... कल ही अपनी बात हो रही थी एक फर्म से कह रहे थे बीजेपी के हाल ख़राब नही है.... लेकिन पूरा बहुमत पाने में दिक्कत हो सकती है... सर्वे पोल का कुछ भरोसा ही नही है... पिचले बार केन्द्र में इन्होने बीजेपी को जीता दिया था लेकिन सरकार बनी संप्रग की इस बार भी कुछ भरोसा नही है॥ मेरा मानना है की कांग्रेस की हालत ख़राब है यहाँ पर लेकिन बीजेपी भी सत्ता प् जायेगे यह नही कहा जा सकता... मिले जुली भी आ सकती है .... खैर कल हम बात करेंगे वसुंधरा के राजस्थान की॥ ......... ......... ......... ........ ....... .......



आज थोड़ा क्रिकेट की बात कर लेते है... अपने योवराज ने तो कमाल ही कर दिया... जबरदस्त वापसी कर ली है... इंग्लैंड के बोल्लेरो के पसीने ही छुडा डाले... बेमिसाल युवराज... ऐसी आतेशी बैटिंग तो देखे ही नही...२ मैचो में लगातार २ हंड्रेड...... फ़ुट वर्क, शोट सेलेक्शन........ शानदार... दिखा दिया क्यों टीम के युवराज है...

उनकी सबसे बड़े दिक्कत यह है कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस नही दे पाते..... तभी बहार हुए है कई बार इस बार तो अपना टेस्ट टीम का भी दावा कर दिया है........ देखना है "चीका अंकल" क्या करते है...? क्या दादा की जगह पर आ पाते है? या फिर १ डे में ही जलवा दिखायेंगे? जो भी हो इस वापसी के बाद दिखा दिया उनके तेवरों में आज भी गर्मी है.... किसे को नही छोड़ते है.... इंग्लैंड की हालत खराब हो गयी है... आज भी हार गयी कानपूर में... योवराज आज नही चल पाए ........ 38 पर आउट हो गए चक्का मरने के चक्कर में ... लेकिन सीरीज़ में असली त्रुम्फ कार्ड वही रहने वाले है... बाकि बात कल करते है... दोस्त फिर कह रहे है ब्लॉग में बहुत लिख रहे हो ज्यादा ...... मेरे "हर्ष नाम की अमृत वाणी " को नही पचा पाहते है वह सभी ......अपने बीकानेर के एक परम मित्र तो कहते है हर्ष तुमने तो हद ही कर दी है यार...... कल ही मेरे उनसे बात हो रहे थी फ़ोन पर........ क्या करें कलम रुक नही पाती है बात... चुनावो का विश्लेषण जारी रहेगा..... टाटा .... अपने राय से मुजको अवगत जरूर करवाएँ.................

"टी आर पी एक बोगस चीज है"



अशोक श्रीवास्तव मीडिया जगत में एक जाना पहचाना नाम है बीते कुछ वर्षो में उन्होंने टीवी पत्रकारिता में खासा नाम कमा लिया है बेहद कम समय में उन्होंने सफलता की ऊँची बुलंदियों को छु लिया है आज वह किसी के परिचय के मोहताज नही है दूरदर्शन के 2 खास कार्यक्रम "चर्चा" और "समाचार प्लस" के जरिये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बुलंदियों को छुआ इस दौर में धूमकेतु की तरह चमककर अपने को सफल टीवी पत्रकार के रूप में साबित कर दिखाया अपनी टीवी पत्रकारिता की उल्लेखनीय सेवाओ के लिए उनको 2005 में सूचना और प्रसारण मंतरालय भारत सरकार द्वारा "बेस्ट एंकर" के सम्मान से नवाजा जा चूका है।

क्रिकेट पर आधारित " बाउंड्री पार" जैसे कार्यक्रमों में दूरदर्शन न्यूज़ ने खासी टीआरपी बटोरी जिसकी सफलता में उनका खासा योगदान रहा जिसमे उन्होंने काफी नाम कमाया पिछले कुछ समय से वह तमाम नेशनल , इंटरनेशनल, पॉलिटिकल खबर कवर करते आ रहे है अभी वर्त्तमान में प्राइम टाइम पर दूरदर्शन न्यूज़ की स्क्रीन पर उनको देखा जा सकता है

अभी कुछ माह पहले मैं दिल्ली में था तो उनसे विभिन्न मसलो पर मैंने और मेरे साथी आकाश ने बात की प्रस्तुत है इस बातचीत के कुछ मुख्य अंश.........



(1) अशोक जी मीडिया को लोकतंत्र का चौथा महत्वपूर्ण स्तम्भकहा गया है परन्तु हाल के कुछ समय में यह अपने चरित्र से भटक गया है इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर- वर्त्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस तरीके से व्यव्हार कर रहा है , तो वह बड़े चिंता का विषय बन जाता है मीडिया अपने चरित्र से पूरे तरह से भटक गया है यह नही कहूँगा ,लेकिन हाँ यह जरूर है व्यवसायीकरण हो गया है आज भी हमारा मीडिया उन मुद्दों को उठाता है जो जनता से जुड़े हुए रहते है लेकिन मुख्य सवाल यह है उनको उठाया किस तरह से जाता है? आरुशी का ही मामला ले जिस तरह से इसको प्रोजेक्ट किया गया वहां पर भटकाव दिखाई देता है जेसिका जैसे कई मामले है जिन पर मीडिया के चलते दबाव बना ।



(२) ब्रोडकास्टिंग बिल लाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी लम्बे समय से हो रही है अगर यह हो जाता है तो क्या मीडिया की स्वतंत्रता तो बाधित नही हो जायेगी?



उत्तर- मीडिया में कोई भी व्यक्ती यह नही चाहता की बहार से आकर कोई भी चीजो को कण्ट्रोल करे मीडिया का स्वत्रंत रहना आवश्यक है लेकिन कई बार जब चैनल फिजूल की चीजे दिखाते है तो बहुत परेशानी होती है देश के कई बड़े बड़े मुद्दे हासिये पर कर दिए जाते है मीडिया के लोग ही एक लाइन खीचे यह एक आदर्श स्थिति होगी



(३) आज की हमारी पत्रकारिता व्यवसायीकरण से भी प्रभावित हुई है?

उत्तर- पत्रकारिता पहले एक मिशन थी जो उस समय की जरूरत थी अभी देश के भीतर रोज नए नए मुद्दे उठ ते रहते है जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है व्यवसाय बन गया है ठीक है लेकिन कुछ मुद्दों पर जनता की बात आगे आनी चाहिए जैसे महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, नेता आपस में ब्यान देते है जिसको चैनल दिखाते है जबकी होना यह चाहिए महंगाई को कैसे कम किया जा सकता है?


(४) हाल के वर्षो से मीडिया उन पर बहुत फोकस कर रहा है जिसका सम्बन्ध समाज के उच्च वर्ग से है दिल्ली के अन्दर आए दिन कई मामले ऐसे है जो मीडिया के नज़र से गायब रहते है दिल्ली में कई आरुशियो को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता हैजिस पर मीडिया में कोई हलचल नही रहती आरुशी जैसे ३२४०० मामले साल भर में नेशनल कैपिटल रीजन में दर्ज होते है उन पर भी मीडिया का कोई धयान नही जाता ?

उत्तर -- अम्बानी का बंगला ख़बर है गाजियाबाद में ४५ मासूम बच्चे गायब हो जाते है यह ख़बर एक या दो न्यूज़ चैनल्स में आती है , जिसके फोल्लो तक नही होते ,वही अनंत का हर रोज फोल्लो उफ होता था क्युकी वह एक बड़े ceo का बेटा था ऐसा यदि इन ४५ के लिए भी होता तो ठीक था लेकिन यदि यही बच्चे गद्दों में गिर जाते तो दिखाया जाता कैसे उनको बहार लाया जा रहा है बेहतर होता बहस इस बात पर होती की क्या इसके पीछे कोई बड़ा गैंग तो नही काम कर रहा है इस पर मीडिया में कोई बहस नही दिखाए देती यह अब पूरे समाज में हो रहा है अमीरों की बात हो रही है गरीबो की कोई नही सुन रहा है


(५) देश के किसान आत्महत्या कर रहे है मीडिया के अन्दर कोई इस पर धयान नही दे रहा है ख़बर टेलिविज़न पर उस समय आती है जब प्रधान मंत्री विदर्भ की यात्रा करते है उनके साथ ५ पत्रकार वहां जाते है बाकि सभी दिल्ली में फैशन शो कवर करते है?
उत्तर- यह बड़ा सवाल है की आप अगर उनके समाचार दिखाते है तो कौन उनको देखता है? कितने लोग ऐसे है जो उसको देखना पसंद करेंगे? आज के दौर में चमक दमक की ख़बर चल रही और बिक रही है किसान की आत्महत्या वाली ख़बर बिकने वाली नही होगी प्रिंट मीडिया ने इस पर अच्छा काम किया है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लोग उस फ़िल्म को नही देखना पसंद करेंगे जिसमे किसान की हड्डी दिख रही हो वह इसके बदले मॉडल को टेलिविज़न पर देखना पसंद करेगा


(६) मुझको याद है अशोक जी आपके दूरदर्शन न्यूज़ ने इस दिशा में अच्छे प्रयास किए है जो सराहनीय है?


उत्तर- हाँ दूरदर्शन ने इस पर अच्छा काम किया है हमने अपने चैनल में बराबर न्यूज़ को कवरेज दी होना तो यह चाहिए इस किसान के मसले पर सभी टेलिविज़न चैनल्स को प्रोग्राम दिखाने चाहिए भले ही आपको टी आर पी नही मिले लेकिन १ या आधा घंटा कवरेज मिलना चाहिए किसानो को


(७) पत्रकारों पर आए दिन हमले बढ़ रहे है इस बाबत आप क्या कहना चाहेंगे?


उत्तर-हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए राजनीतिक दल को भी इसमे धयान देना चहिये ताकीफिर से इसको नही दोहराया जा सके


(८) क्या कारन है टी आर पी के मामले में आपका दूरदर्शन न्यूज़ अन्य चैनल्स से पीछे चला गया है?


उत्तर- पूरे देश में जितना दूरदर्शन न्यूज़ चैनल देखा जाता है उसका कोई मुकाबला ही नही कर सकता टी आर पी एक बोगस चीज है महानगरो के कुछ घरो में मीटर लगा कर आप यह तय नही कर सकते की कौन सा चैनल सबसे अधिक देखा जा रहा है ७-८ महानगर हमारे लिए अभी बड़ी चुनोती बने है जिस पर हमको धयान देने की जरूरत है लेकिन अब यहाँ पर भी ऐसे रिजल्ट सामने आए है जो बताते है की वह के लोगो का अन्य चैनल की खबरों से मोहभंग हो गया है जिस कारन से वह फिर वापस हमारे चैनल के और लौट रहा है

(९) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में "स्टिंग ओपरेशन " कितना जायज मानते है आप?
उत्तर- स्टिंग में कोई हर्ज नही है हर खेल के नियम कायदे होने आवश्यक
है हवालदार थानेदार को रिश्वत देता है तो यह कोई बड़ी बात नही है सभी जानते है ओपरेशन यदि समाज के हित में हो तो यह अच्छी बात है चोटी मछली को तो सभी पकड़ लेते है बड़े को पकडो तो तब बात होगी

(१०) दूरदर्शन में आप अपने ५-६ साल के सफर का आंकलन किस रूप में करना चाहेंगे?

उत्तर-सबसे पहले तो आप के पास ज्ञान होना चाहिएसमाचारों की समझ का होना भी आवश्यक है अगर आप एक अच्छे पत्रकार है तो आप अच्छे एंकर भी बन सकते है यदि आप अपने इस कौशल को कैमरे के सामने भी बेहतर ढंग से प्रर्दशित कर सके









Tuesday 18 November 2008

मध्य प्रदेश का दंगल(भाग ३)

...... योगी का चप्टर भी क्लोज हो गया है .....बीजेपी ने नए ढंग से आतंकवाद को मुद्दा बनने की ठान ली है अब बीजेपी इसको भी अपने एजेंडा में जगह दे रही है.... कांग्रेस इस पर चुप है बीजेपी के सबसे बड़ी गले की हड्डी यह बनी है की भास्त्राचार से कैसे निजात पाया जाए? यही भस्मासुर शिव भगवन की सरकार का सिंहासन खतरे में डाल सकता है दागी मत्रियों को भी टिकेट दे दिया है सो मुसीबत तो बने ही है वह शिव के लिए......अब देखना है बीजेपी वाले क्या करते है इससे पीछा छुटाने के लिए ? वैसे कांग्रेस इस पर उसको जबरदस्त ढंग से लपेट रही है लेकिन अपने जेटली साहब भी लगे है इसे शिवराज को आगे कर भुनाने में .......क्युकी पार्टी के बड़े नेताओ का मानना है शिव को आगे कर विकास के नाम पर जनता को अपने ओरखीचा जा सकता है..... यह अपने शिव को भी पता है .....अपने शिव भगवन भी लगे है धुँआधार सभा करने में...... फुरसत ही नही मिल रही है दौरों से........ दिन रात एक कर रहे है..... अब चुनाव में ७ दिन बचे है..... खाने का रूटीन भी गडबडा गया है एन दिनों में...... बीजेपी को भरोसा है की वह फिर से सत्ता में आ रही है वही कांग्रेस मानती है जनता शिव को इन चुनाव में जवाब दे देगी अपने तीसरे मोर्चे की माने तो वह भी बोल रहा है वह "किंग मेकर" की भूमिका में है लेकिन बीजेपी मध्य प्रदेश को गंभीरता से ले रही है सारे नेता इसको फोकस कर रहे है...... हर हालत में सत्ता में वापसी करनी है ......"उमा" और "माया" मैडम भी बीजेपी कांग्रेस का खेल इस बार बिगाड़ रहे है भले ही दोनों अच्छी सीट न ला पाए लेकिन नुकसान तो दोनों बीजेपी ओर कांग्रेस का ही होगा हार जीत का अन्तर कम या जयादा हो सकता है दोनों बहनजियो के होने से ..... बीजेपी तो बेक फ़ुट पर चले गयी है.... ३ सर्वे में क्लेअर बहुमत से कही पीछे है.... बुंदेलखंड, चम्बल ,विन्ध्य में दोनों मैडम का जलवा चल सकता है लेकिन असली ज़ंग तो बीजेपी और कांग्रेस में है कांग्रेस की बात करे तो वह अलग अलग गुटों में हो गयी है..... भले ही कहे हमारे बराबर आपस में प्रेम स्नेह कही नही है.... यह तो दिखावा .... है... सब जान रहे है..... कमलनाथ की अलग चल रही है.... तो दिग्गी राजा अलग ..... अपनी प्यारी सी नेता प्रतिपक्ष जमुना देवी , अजयसिंह(अर्जुन के बेटे) ,सुभाष सिंह , ज्योतिरादित्य सिंधिया की अलग ही चल रही है... एक पूरब,तो एक पश्चिम.... एक उत्तर तो एक दक्षिम की ओर लगे हैअपने पचौरी साहब की अलग राह है..... फिर भी टिकेट आवंटन में उनकी इस बार जमकर चली है दिग्गी साहब बेक फ़ुट पर है देखना है सीएम कौन बनता है? इस बार टीम उतर चुकी है लेकिन कप्तान का पता नही है ?कौन होगा कांग्रेस का सीएम ?बीजेपी इस पर कांग्रेस को लपेट रही है जबरदस्त ढंग से.... जिस जहाज के कॅप्टन का ही पता नही है तो वह जहाज पानी में कैसे चलेगा? कांग्रेस की यही दिक्कत है... जहा बीजेपी वाले मैच खालेने से पहले अपना कैप्टेन गोषित कर देते है वही कांग्रेस में मैच ख़तम होने के बाद पता चलता है की कौन होगा चीफ मिनिस्टर...... कर्नाटक , गुजरात, उत्तराखंड सब जगह यही हाल रह ... तभी तो एक की बाद एक चुनाव हारते जा रहे है.... अभी भी संभल जाओ तो संभल लो......





















खैर अब आज के लिए बहुत हो गया है...... नही तो दोस्त फिर परेसान हो जाते है अपनी हर्ष वाणी बोलती कलम में न जानने क्या क्या बक बक करते रहती है............ दिल थाम के बैठे रहे आप.... अब फिर ज्यादा बात बाद में करते है बात॥

मध्य प्रदेश का दंगल( भाग २)

....... कल अपनी बात शिवराज चौहान पर ख़तम हुई थी....... आज इसे आगे बढातेहै........ बीजेपी के पास "शिवराज "ही एक ऐसा स्टारहै जो उसकी नैया चुनाव में पार लगा सकता है पिचले कुछ समय से बीजेपी यहाँ पर पिछड़ रहे थी , जिस कारन से अडवाणी, राजनाथ, संघ के हाथ पैर फूल गए थे लिहाजा बीजेपी अब आगे आ गयी है शिवराज एक दिन में १० १० सभा कर रहे है पूरी पार्टी एकजुट ..... है स्टार प्रचारकों को अन्तिम दौर में लाने की तैयारी है.... अन्तिम दौर में वह फिजा का रुख मोड़ने की कोसिस कर रहे है इस बार चुनाव में विकास का मुद्दा अहम् बन रहा है केन्द्र सरकार की नीतियों को भी शिवराज निशाना बना रहे है और महंगाई भी एक बड़ा मुद्दा बन रहा है चुनाव में ..... यह पहला मौका है जब बीजेपी में भगवा मुद्दे पीछे जा रहे है हालांकी अमरनाथ, रामसेतु जैसे कुछ मुद्दे है उसके एजेंडे में लेकिन "भगवन शिव " का मानना है की विकास के मुद्दे पर ही वोटर को अपनी और लौटाया जा सकता है तभी बीजेपी भी "एक आस एक बिस्वास अपने तो एक शिवराज"गाने का गुणगान मध्य प्रदेश में आजकल हो रहा है...... पार्टी के अन्दर.... जेटली साहब भी मानकर चल रहे है विकास ही बीजेपी का मध्य प्रदेश में उधहार कर सकता है
वैसे एक पत्रकार के नाते हम आपको यह भी बताते चले की ३ माह में हम जहा भी गए लोगो से हमारा मिलना जुलना हुआ जब उनसे शिवराज को लेकर हमने सवाल किए तो वह उनसे संतुस्ट नज़र आए हमारा कहने का मतलब यह है की ऐसा भी नही है की सरकार से सारी जनता संतुस्ट ही है थोडी बहुत नाराजगी तो है ही .......लेकिन शिवराज की सादगी को लेकर कोई सवाल नही उठ रहे है.......... जनता कह रहे है की इस शिव सरकार के कार्यकाल में "दिग्गी " से बेहतर काम हुआ है...देखना है उट किस करवट बैठता है? अब बीजेपी ने यहाँ पर "साध्वी प्रज्ञा" और " दयानंद पाण्डेय" को भी धकेल दिया है अभी तक अडवाणी और राजनाथ के सुर अलग अलग नजर आ रहे थे...... आज वेंकैया बाबू की भासा ने मध्य प्रदेश बीजेपी वालू को भी सिखा दिया है साध्वी का बचाव कैसे किया जाए? बीजेपी अब बोल रही है हिंदू साधू संतो का जबरदस्त उत्पीडन कर रहे है मुंबई पुलिस रोज नए नए बयां आ जा रहे है पुलिस को कोई सफलता नही मिल सकी है..... कभी पुरोहित ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार है तो कभी साध्वी .... आज दयानंद पाण्डेय आ गए है \कहानी में..... स्टोरी क्लाइमेक्स पार हो गयी है..... सेना भी पुरोहित के बचाव में आ रही है...... इससे पहले योगी आदित्यनाथ पर सवाल उट रहे थे ........ योगी ने चुनोती दे डाली हिम्मत है तो कदम रख कर दिखा दो कोई है माँ का लाल... सबूत हो तो देशमुख और पवार अंकल को आपने साथ लेकर आ जाओ.....

मध्य प्रदेश का दंगल (भाग१)

......... मध्य प्रदेश का दंगल शुरू हो गया है........ अपनी बोलती कलम भी अब इस पर जमकर बोलेगी ..... चुनाव स्पेशल के इस महासंग्राम में पल पल के बदलते हालात से सीधे हम आपको रूबरू करवाएंगे..... बस दिल थाम कर बैठ जाए ...... चुनाव का दंगल शुरूहो गया है सो हम भी तैयार है आप तक ....... सीधे संग्राम का आँखों देखा हाल बतियाने के लिए ........
कल रात की ही बात है अपने जनकपुरी में रहने वाले बड़े भइया से अपनेफ़ोन पर बात हो रही थी.... वह चुनाव में खासी दिलचस्पी लेते रहे है मेरे से पूछ रहे थे ऊट किस करवट बैठ रहा है ?अबकी चुनाव में....? आप कहोगे वह यह सब मुज्से क्यों पूछ रहे थे? अब यह भी बताते चले अपने स्टेट के विधान सभा के चुनाव के कई स्टोरी मै कर चुका हूँ ......... चुनाव में अपनी भी खासी दिलचस्पी हैऔर अपना काम ख़बर बनाना , जनता तक सही बात को पहुचाना .... वह मुजसे हाल पता करते रहते है एक बार विधान सभा के चुनाव में मेरे यहाँ कांग्रेस की ओर से कोई प्रत्यासी का नाम डिक्लेयर नही हो रहा तो उस समय मैंने एक नाम के बारे में ख़बर लगा दी की फलां का नाम १० जनपथ से पक्का है हुआ भी यही सब को पीछे छोड़ते हुए उसने टिकेट पा लिया तब से उनके साथी अपना गणित सही मानकर चलते है क्युकी पत्रकारों का आंकलन बताता है की फिजा रुख किस ओर है ?लिहाजा हम भी लगे है आप तक हालत बताने की कोसिसो में ब्लॉग पर कल से नज़र मारते रहना कल से सारी तस्वीर साफ होते जायेगी

अब आज पहले बात करते है मध्य प्रदेश की पिचले चुनाव की तरह यह भी मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी ओर कांग्रेस में होने जा रहा है बसपा , जनसक्ती पार्टी दोनों की हार जीत का अन्तर कम या ज्यादा करने में अपने महत्वपूरण भूमिका निभाएंगे 2003 .... बीजेपी ने उमा के मैजिक के सहारे १७३ सीट जीतकर कांग्रेस के "दिग्गी" राजा" के हाल बेहाल कर दिए थे लेकिन इस बार की स्थिते अलग है उमा ने अब अपने अलग पार्टी बना ली है .....उनके साथ बसपा का हाथी भी बीजेपी ओर कांग्रेस की मुसीबत रहा है up से लगे कई चेत्रो में यह अपना प्रभाव दिखा रहा है

बीजेपी के तारणहार भगवान "शिव" बने है वही उसकी नैया पार लगा सकते है कई दागी नेता को टिकेट दे दिया है उन्होंने अब फेसला जनता के हाथ में है वही तय करेगे कमल कीचड़ में फिर खिल रहा है या नही इससे आगे कल बात करेंगे वैसे ही मेरे "बोलती कलम के अमृत "हर्ष वचनों को वह नही पचा sakte है ओवर हो जाता है दिमाग से जल्दे निकल जाता है...........

लुप्त होते प्रकृति के सफाई कर्मी गिद्ध

......... अब बात करे प्रकृति के सफाई कर्मी पख्ची गिद्ध की ......| पृथिवी का प्राकृतिक सफाई कर्मी गिद्ध आज लुप्त होने के कगार पर है| पिचले कुछ दसक से पूरे देश में इसके दर्शन दुर्लभ हो गए है| मानव सभ्यता में अपना महत्तवपूर्ण स्थान रखने वाले इस पख्ची के लुप्त होने से पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन हो गया है| आज स्थिती यह है के आकाश में इनका मदरना तो दूर सड़को के किनारे , गावो में मृत पशु सड़ते रहते है| लेकिन गिद्ध दूर दूर तक नज़र नही आते है| देश में इसकी संख्या में चिंताजनक गिरावट रही है जिससे पर्यावरण , पशु विज्ञानी तक चिंतित है| विश्व के अंतरास्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कांसेर्वेशन द्वारा गिद्धों के प्रजाति पर खतरे के मद्देनज़र चिंता व्यक्त की गयी है| भारतीय समाज में इसका कितना महत्वपोरण एस्थान है इसका अंदाजा इसे बात से लगाया जा सकता है की हिंदू धर्मं के प्राचीन ग्रन्थ रामायण, महाभारत, में तक इसका उल्लेख मिलता है| इसके लुप्त होने का संकेत यह बताता है की पर्यावरण का यह पख्ची या तो किसी गंभीर बीमारी का शिकार होता जा रहा है या फिर पर्यावरण असंतुलन के साथ सामंजस्य कायम नही कर प् रहा है| आज इसकी भारत के कई प्रजाति संकट में है| वर्त्तमान में यह अरुणांचल, असम, तमिलनाडु तक ही सीमित रह गयी है| विज्ञानियों का कहना है के पशुओ की खाल उतारने वाले तस्कर भी इसका अस्तित्व मिटाने में मुख्य भूमिका निभा रहे है| इस कार्य के लिए यह पसूओको जहर खिलाकर मार देते है और तत्पश्चात यह जहर उनकी जीवन लीला को समाप्त कर देता है| अतः वर्त्तमान में इसके अस्तित्व को बचाना बहुत जरूर हो गया है अन्यथा प्रकृती का यह सफाए कर्मी भी जीवो के संरक्चित सूची में सामिल हो जाएगा और प्राकृतिक संतुलन का चक्रगडबडा जाएगा अतः इसके अस्तित्व को बचाने की हमारे सामने एक बड़ी चुनोती hai

Monday 17 November 2008

ऐसी गारंटी के क्या मायने ... जहा हो छलावा................

अपने देश की बड़ी आबादी गावो में निवास करती है इस कारन भारत को गावो का देश भी कहा जाता है परन्तु इस सच्चाई से भी नही मुकरा जा सकता आज भी अपने देश की करोडो की आबादी प्रतिदिन २० रुपया डोलर से भी कम पर जीवन यापन करती है इस आबादी की एक बहुत बड़ी संख्या परंपरागत रूप से कृषि पर निर्भर है जो अनाज उगाकर अपना भरण पोसन करती है पिचले कुछ अरसे से गाव की जनता का कृषि कार्य से मोहभंग होता जा रहा है जिस कारन वह कम छोड़कर शहरकी और रुख कर रहे है ग्रामीणों की पलायन दर को रोकने के लिए संप्रग सरकार ने २००६ में रोजगार गारंटी योजना की शुरूवात की ,जो शुरू में देश के २०० जिलो में लागू की गयी वर्त्तमान में देश के सभी जिलो में यह लागू की गयी है इस योजना में एक परिवार के एक सदस्य को १०० दिन के काम का वादा किया गया है जिसमे न्यूनतम मजदूरी की दर ७० रूपया निर्धारित की गयी है
" नाम बड़े और दर्शन छोटे" जी हाँ ,यही है संप्रग सरकार की रोजगार गारंटी योजना का हाल यह कोई ख्याली पुलाव नही संप्रग सरकार के ग्रामीण विकास के दावो की हवा निकालने के लिए काफी है जिस उत्साह के साथ देश के ग्रामीण विकास मंत्री और सोनिया ,मनमोहन ने इसको लागू किया था वह उत्साह अब ठंडा पड़ गया है बड़े पैमाने पर पिछले कुछ समय से इसमे बड़ी धांधली हुई है उसको देखते हुए सरकारकी इस योजना को सफलता नही मिल पा रही है




संप्रग सरकार द्वारा इसको लागू करने के पीछे का कारन यह था ,गाव की जनता की दशा सही की जाए यह एक तरह से अपने साथ गाव के लोग को अपने और लुभाने का संप्रग का एक प्रयोग था लेकिन सरकार को सच का पता नही है हो भी क्यों नही? पैसा खाना हमारे जीवन का अंग बन गया है" कांग्रेस के युवराज " राहुल बाबा "के "पापा" कहते १ रूपया में 1५ पैसा गाव तक पहुचता हैआज उनके पुत्र अगर यह कहते है की ५ पैसा ही जा रहा है तो ग़लत क्या है यह कहने में ?कही न कही यह हमारे देश के हाल को बताता है रोजगार गारंटी के भी यही हाल है गाव और पंचायत में काम करने वाले कर्मचारियों की कमी के चलते यह योजना साकार रूप नही ले पा रही है साथ में राज्य सरकार भी गाव तक धन पहुचाने के लिए कोई नियम कानून नही बना पा रहे है ग्राम पधान जमकर पैसा कमा रहे है.... लूट मची है चारू तरफ.... जितना खा सको खा लो .... अभी मौका अच्छा है... साथ में लोगो को न फॉर्म ही मिलपा रहे है है न जॉब कार्ड यहाँ तक की गाव में लोगो को यह पता नही की इस योजना में ७० रूपया सरकार दे रही है अभी पिछले महीने उत्तराखंड के कई गाव से लौटा तो यह जानकर दुःख हुआ की लोग इस पर कुछ भी नही जानते॥ अमीर को गरीब बनाकर रोजगार दिया जा रहा है इसमे....अपने अधिकारी भी जमकर पैसा बना रहे है उत्तराखंड के एक युवक ने मुझसे यह कहा की हमारे यहाँ के एक अधिकारी और बाबु ने इसके पैसे से कार खरीद ली है २ बरस हो जाने के बाद भी योजना के हाल ख़राब हो चले हैपिछले वर्ष एक बहुत बड़ी रकम वापस गयी..... ऐसे में "क्या और कैसा भारत" ..." कैसा रोजगार.".... आम लोग के पास आज खाने के लिए पैसे नही है........ महंगाई आसमान छु रही है.... गरीब की थाली महंगी हो गयी है २ बार का खाना नसीब नही हो पा रहा है ऐसे में १०० दिन के काम से क्या होगा.....? आम लोगो की थाली के बारे में कोई नही सोच रहा है मनमोहन, मोंटेक, चिदंबरम तमाशा देख रहे है कांग्रेस ने देश में लंबा सासन कर लिया है पर भारत वही का वही खड़ा है.... मेरे दिल्ली के दोस्त सही कहते है हर्ष "हमाम में सभी नंगे है" .... आब क्या वाम पंथी क्या दक्सिनापंथी क्या कांग्रेसी ?.......
अपने delhi के dosto से ajkal बात हो rahee है ब्लॉग पर लिखने के कारन wah

भारत में रेडियो प्रसारण

भारत में रेडियो प्रसारण का श्रीगणेश जून 1923 में हुआ जब बम्बई क्लब ने अपने कार्यक्रम प्रसारित किये |  कलकत्ता रेडियो क्लब द्वारा नवम्बर 1923 में कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया लेकिन सुव्यवस्थित रूप से नियमित प्रसारण का प्रयास मद्रास रेडियो क्लब द्वारा 31  जुलाई 1924 में  किया गया इसके पास आरम्भ में एक 40 वाट का ट्रांसमीटर था बाद में इस क्लब ने 40 वाट के ट्रांसमीटर को हटाकर 200 वाट के ट्रांसमीटर पर प्रसारण करना शुरू कर दिया | 1922 में ब्रिटेन में बीबीसी का स्थापना के बाद 1923 में कलकत्ता मेंजून 1924 में मुम्बई और  फिर अगस्त 1924 में मद्रास में रेडियो क्लब के द्वारा भारत में आकाशवाणी का शौकिया प्रसारण शुरू हुआ परन्तु व्यवसायिक स्तर पर पहला प्रसारण इंडियन ब्राडकास्टिंग कम्पनी के मुम्बई केन्द्र से 23 जुलाई 1927 दूसरा कलकत्ता में महीने भर बाद 26 अगस्त 1927 को शरू हुआ  जिसका उदघाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने किया था। सन 1927 में भारतीय प्रसारण ने क्लबों और शौकिया गतिविधियों से निकलकर निजी क्षेत्र में व्यावसायिक प्रसारण के दौर में प्रवेश किया |   इंडियन ब्राड कास्टिंग कम्पनी मूल से एक व्यवसायिक संगठन के रूप में आयी मगर इसके कार्यकलापों पर ब्रितानी छाप देखी जा सकती  थी |  कलकत्ता और बम्बई के स्टेशनों ने संगीत और नाटकों को प्रोत्साहन देने में अच्छी भूमिका निभाई लेकिन  आर्थिक संकट ने इसे तोड़ दिया |

1 मार्च  1930 को कम्पनी बंद हो गई और  इसी के साथ आने वाले कई दशकों के लिए रेडियो के निजी क्षेत्र का पटाक्षेप हो गया इंडियन ब्राडकास्टिंग कम्पनी पर ताला लग जाने के बाद सरकार सामने आ गई |  प्रसारण चालू रखने के लिए और इसे बनाये रखने के लिए सरकार को लोगों की तरफ से ज्ञापन मिलने लगे |  सरकार ने कलकत्ता और बम्बई के स्टेशनों का अधिग्रहण कर लिया और “इंडियन ब्राड कास्टिंग” कम्पनी का नाम बदलकर “इन्डियन ब्राड कास्टिंग सर्विस” रखा गया  और इस सबके बीच 10 अक्टूबर, 1931 को सरकार ने घोषणा की कि आर्थिक मंदी की वजह से रेडियो प्रसारण सेवा जारी नहीं रखी जा सकती है |  सरकार के इस फैसले पर भारी नाराजगी हुई और खासकर बंगाल में छोटे-मोटे आन्दोलन का दौर भी खूब चला |  अंततः सरकार ने अपना निर्णय 23 नवम्बर 1931 को वापस ले लिया और यह सुनिश्चित हो गया कि भारत में प्रसारण कार्य सरकार की जिम्मेदारी है |  सरकार को प्रसारण तंत्र की उपयोगिता भी समझ में आने लगी मैसूर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. गोपाल स्वामी ने अपने घर में एक 30 वाट का ट्रांसमीटर लगाया और सितम्बर  1935 में प्रसारण कार्य शुरू किया अपनी इस सेवा को उन्होंने “आकाशवाणी” नाम दिया |

   



Sunday 16 November 2008

राजनीतिक दलों का विघटन

समय के साथ मनुष्य की परिस्थितियों में परिवर्तन होता रहता है। इसके पीछे वर्त्तमान में आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य , समाज को प्रभावित करने वाले कारण रहे हैं । इन्ही से सभी समस्या जुड़ी हुयी है जिनका समाधान न होने पर जन में रोष पनपता है। यह हमारे समाज का बड़ा दुर्भाग्य है के राजनीतिक दल समस्या से समझोता कर अपने लाभ के लिए भुनाते रहते है। कम से कम हमारे जनता के उन समस्याओ का समाधान तो कारगर ढंग से होना चाहिए जिनका वास्ता मूलभूत जरूरतों से है। आज भी भारत की एक बड़ी आबादी गाव में रह रही है जिसके पास आय २० रुपैया से कम है । उसकी मूलभूत जरूरतों का समाधान कर पाने में नेतागण सफल नहीं हुए है। विकास जैसे कई मुद्दे आज गौण हो गए है जबकि होना यह चाहिए राजनीतिक दलों का मुख्य मुद्दा विकास होना चाहिए लेकिन दल जब विघटन पर हो तो निराशा होती है ।

आज के दलों का चेहरा अलग हो गया है। देश में जो समस्या पुराने दौर में थी वही आज भी है। कुर्सी से प्यार करने वाले नेताकैसे भी सरकार चाहते है। दलों के भीतर के कुछ नेता तो फतवा लेने करने से पीछे नही रहतेसब का लाभ अपने तक होता है। आज दलों में बात में एकता नही है जिस कारण देश में कई स्थानीय दल हो गए है। साझा सरकार का दौर चल पड़ा है। हाल ऐसा है एक के मन के नही हुए तो सरकार को टाटा बोलना पड़ता हैफिर वही नयी सरकार लाओ लोग क्या करे ? सरकार नयी लाओ ।

फिर मौसम गरम हो गया है। नेता घर पर आने लगे है । जीना जो है । जन को कोई आशा नही है। नेता से अब जमाना वैसा नही रहा जब लोहिया कहा करते "भारत के लोगो की आमदनी ५ आना " प्यारे अब जमाना बदल गया है कोई आगे नही आता। नेता बनने के लिए आज सभी एक जैसे हैं । क्या बी जे पि ...क्या बी एस पि ।

मैं भी क्या क्या लिख देता रहता हूँ । जो मन में आते रहता है वही ब्लॉग में भी चलता रहता है। कल रात दोस्त से बात हो रहे थी। कह रहा है हर्ष बहुत लंबा लंबा लिख रहे हो ब्लॉग में ऐसे तो किताब ही बन जायेगी । लेकिन क्या करे ...दिल खुश नही होता..जब तक किसी की तह तक नही जाया जाता है। यही तो पत्रकारिता है। एक बार हम लिखने चल पड़े तो पता नही कलम कहा आकर रुक जाए। ब्लॉग में भी पूरा यही हो रहा है। मिली जुली हिंगलिश हो रही है। अभी ज्यादा समय नही हुआ है शुरू हुए ..मुश्किल से ६ दिन। आने वाले समय में यह भी ठीक कर दूंगा । लेकिन लंबा तो लिखूंगा ही जब तक पूरा मन न भर जाए । कंजूसी नहीं । आज पहली बार कम लिख दिया है। कोई बात नही कल आगे.................

Thursday 13 November 2008

मार्गरेट आंटी का इस्तीफा


रात का समय था। मैं सोने की तैयारी कर रहा था, कि अचानक दिल्ली से अपने एक मित्र की कॉल मेरे पास आयी। वह मुझ को बता रहा था " कांग्रेस महासचिव मार्गरेट अल्वा ने एक टीवी चैनल से बातचीत में यह कह दिया की कांग्रेस में टिकिट बिकते है"। क्योंकि उस रात मै समाचार नहीं सुन पाया था। जिस कारण मैं इस ख़बर के बारे मैं कुछ नहीं कह सकता था। क्योंकि मेरे यह मित्र दिल्ली से थे और मुझे कई बार चुनावों के दौरान होने वाली पल पल की खबरों से मुझे पहले अवगत करवाते रहे हैं , जिस दौरान मैं चुनावों की स्टोरी किया करता था, सो मुझे उनकी बात पर यकीन करना पड़ा। मैंने उनसे कह दिया " अल्वा के ऐसे बयान 6 राज्यों के चुनावों से पूर्व कांग्रेस के लिए गले के हड्डी बन जायेंगे । हुआ भी ऐसा ही। अगले ही रोज जैसे ही नींद खुली..तो समाचार पत्रों की लीड स्टोरी यही थी। अल्वा के बयानों ने ठण्ड में चुनावी पारा गरमा दिया है । उस रोज अल्वा के बयानों पर सभी टीवी चैनल्स प्रोग्राम दिखा रहे थे। मैंने भी उसको देखा। बहस गरमा गरम हो रहे थी।

बेचारी अल्वा आंटी ने टीवी चैनल से यह कह दिया " कांग्रेस में टिकिट बिकते है। बस इसके बाद तो टी वी चैनल्स को मसाला मिल गया। ब्रेकिंग न्यूज़, फ्लैश ; सबसे तेज का सिलसिला चल पड़ा। 6 राज्यों के विधान सभा चुनावों से पूर्व के 1 माह की संध्या पर अल्वा आंटी के "मास्टर स्ट्रोक" ने कांग्रेसियों की फजीहतो को बढ़ा दिया । जिस कारण देश की सबसे पुरानी पार्टी के धुरंधर टीवी रिपोर्टर्स के सामने अपना मुह खोलने से बचते रहे सारी नजर इस बार भी १० जनपथ पर लगी रही वैसे भी कांग्रेस में हाई कमान ही सबका माँ बाप हुआ सभी उसे के निर्णय को सुनते है प्रेजिडेंट से लेकर प्रधानमंत्री, चीफ मिनिस्टर से लेकर जनरल मेनेजर सब उसकी अनुसंसा पर बनाये जाते है इस बार भी यही कहानी दोहराई गयी बड़े नेताओ ने जबान पर ताला लगा दिया मोइली जहा अनुसासन हीनता के कसीदे पड़ते रहे वही पार्टी के सिपेसालर "सोनिया सरनामगचामी" की माला जपते रहे लेकिनअपने आंटी के सुप्पोर्ट में साउथ के प। शिवशंकर और जल्लापा आए दोनों ने आंटी के सुर में सुर मिलाया और बोले" मिले सुर मेरा तुम्हारा कांग्रेस में होता है टिकेट आवंटन में धन का बटवारा" किसी ज़माने में दोनों की केन्द्र में व्ही हैसियत रही है जो अभी सेण्टर में शिवराज पाटिल की रही है हा, यह अलग बात है दोनों में से एक अब कांग्रेस छोड़ चुके है लेकिन अर्जुन के "राहुल बाबा" की भी सुने वह बोले टिकेट वितरण की प्रोसेस से वह नाराज नही है नेता बनकर नेतागिरी पर उतारू हो गए है अपने राहुल बाबा भी जरा गौर करे कैसा झूट बोल रहे है अपने युवराज कर्नाटका के चुनावो से पहले आप कह चुके है टिकेट वितरण की प्रोसेस असंतोष जनक रही है अब अपने बयान से ही यु टार्न ले लिया.... आप भी कमाल के है राहुल बाबा कब कहा क्या कह जाए इसका कुछ भरोसा नही है उप के चुनावो में रोड शो में उतरे तो बोल दिया यदि नेहरू परिवार सत्ता में होता तो बाबरी को नही गिराया जाता अब कोई आप पर भरोसा क्यों करे आप पर ? अब जरा माता जी को सुनते जाए सोनिया से जब रिपोर्टरों ने पुचना सुरू किया तो वह बोली आप बार बार हमारे परिवार के वंशवाद पर ही क्यों अंगुली क्यों उठाते है? लो कर लो बात खैर छोड़ो इन सब बातो को एक समय अपने भगवा ब्रिगेड वाले सोनिया के पीछे हाथ धोकर पड़ गए विदेसी मूल का मुद्दा उताह दिया कमल कीचड़ में पिचले लोक सभा चुनाव में नही खिल पाया हाथ ने उसको उखाड़ डाला "फील गुड" इंडिया उदय" नारू की हवा निकल गयीसोनिया के पास सत्ता आने पर भी बीजेपी ने हो हल्ला बंद नही किया कहा "एक विदेसी प्रधानमंत्री नही बन सकता हालाँकि जनता ने बीजेपी के विदेसी मूल के नारू की भी हवा निकाल दी तब बीजेपी को भी ओप्पोजिसन में समय बिताना पड़ा तब सोनिया ने मनमोहन को अपना
"यस् बॉस " बनाया अब देखना होगा इस बार अपने "अल्वा आंटीकी स्पार्किंग देश के जनता पर क्या असर छोड़ती है? मुद्दा कांग्रेस की पुरानी पार्टीके साथ साथ प्रिस्टेज से भी जुड़ गया है मतदाताओ पर इसका चुनावू में असर ग़लत पड़ सकता है कहा जा रहा है "अल्वा आंटी " ने कर्नाटक चुनावू से ही बारूद बना लिया था कांग्रेस के संसदीय बोर्ड ने उनके अपने लाडले राजकुमार"निवेदित" को टिकेट नही दिया गया जबकि पार्टी के कई दिग्गी नेता हाई कमान के सामने टिकेट अपने नाते रिस्तेदारू को दिलवाने की मंत्रणा करते रहे करीबियों को तो टिकेट दे दिया गया जिसमे जमकर खरीद फ़रोख्त हुई लेकिन आंटी के राजकुमार को टिकेट नही मिला जिस कारण वह पार्टी में अपनी उपेक्षा से आहत थी तभी से उन्होंने नए विकल्प की तलाश शुरू कर दी जिस कारण से ठान ली पार्टी को सबक सिखाएंगी जो उन्होंने आज कर दिखाया है अब सोनिया ने उनका इस्तीफा मंज़ूर भी कर दिया है
एक बड़ा धंदा बन गया है... आज ॥ राजनीती ..देश का वह नौजवान चाहकर भी इसमे नही आ सकता क्युकी उसके पास पैसे नही है टिकेट खरीदनेके लिए आज राज्नीते से सुचिता , ईमानदारी चीजे गायब हो गयी है सभी दल अपने अपने रिस्तेदारू को टिकेट दिलवाकर चुनाव पीच पर बैटिंग के लिए उतावले हो चले है ऐसे मै उनका क्या होगा जिनका राज्नीते में कोई माँ बाप नही है? चुनाव जीतने में एन दिनों तरह तरह के हथकंडे अपनाए जाने लगे है पिचली दिनों जब उत्तराखंड की यात्रा पर था तो एक महानुभाव ने बस में बताया यहाँ के विधान सभा के चुनावू में प्रत्यासियों का खर्चा लाखो करोडो में गया कहने का अर्थ यह है के चुनाव लड़ने के लिए मोटी रकम चाहिए फिर प्रचार में तरह तरह के हथकंडे अपनाए जाते है तभी जीतसुनिश्चित हो पाती है राजनीती एक बड़ा धंदा बन गया है यहाँ आने के लिए कोई योग्यता नही चाहिए बस आपके पास जेब गर्म करने की कैपेसिटी होनी चाहिए खैर बात बात मै क्या बोल जाता हूँ पता नही.... अब विषय पर आते है .... यार अपने दोस्त भी कहा करते है तू बहुत बोलता है....... जर्नलिस्ट का तो काम ही बोलना पड़ना होता है
अल्वा आंटी ने अपने स्ट्रोक से बता दिया है सच किसी से नही छुपता वत्स " आंटी ने कांग्रेस की दुखती रग पर पर हाथ रख दिया है ......कम से कम कांग्रेस को अब तो अपनी गलती से सीख लेने की जरूरत है पर वह इसको भी नही मान रही
इधर म्प में बीजेपी खुश है अल्वा आंटी के स्टेटमेंट को आधार बनाकर होअर्डिंग बनाये जा रहे है शिव , रमन की जोड़ी खुश है॥ पार्टी के नेता भी मस्त कह रहे है कांग्रेस में आतंरिक लोकतंत्र नही है
बीजेपी में टिकेट नही बिकता है
अपने पी ऍम वेटिंग साहब तो उचल कूद कर रहे है उनकी नज़र प्रधानमंत्री की कुर्सी पर लगी है वैसे भी आडवानी जी का यह अन्तिम वर्ल्ड कप है....८१ के हो चुके है सत्ता का भरोसा जो नही हुआ अगर मिल गयी तो ठीक .....नही तो फिर ५ साल के बाद बैटिंग करने नही आ पाएंगे... टायर्ड हो जायेंगे अडवाणी ओबामा की सफलता से खुश है उसी को वह अब यहाँ भी करना चाहते है उनकी यह तमन्ना पूरी होती है या नही यह मार्च के बाद पता चलेगा लेकिन वह अभी से अपने साथ कई पार्टी को लेने में लग गए है " रजनीकांत"
पर डोरे दाल रहे है..... अब चुताला भी आ चुके है.... आ गए है साथ में .....अडवाणी बंगाल के साथ साउथ में लगे है दिल्ली से आ रही ख़बर कह रही है अपने अरुण जेटली साहब कर रहे है नया मैनेजमेंट.... उनकी कोसिस है है "कांग्रेस की"अल्वा आंटी" बीजेपी के पास में आ जाए इसके लिए वह अपने साथ बात करने में लगे है आशा है बात बन जाए वैसे भी बीजेपी पर एस समय पूरे देश में कंधमाल और कर्णाटक में ईसाई विरोधी होने होने का दाग लग रहा है यह दाग अल्वा के पार्टी में आने से धुल सकता है अब देखना होगा अल्वा की राजनीती किस और जाती है वैसे इस बात के भी ॥ कयास लग रहे है अपनी उप की बहिन जी " भी अल्वा को अपने पास बुला रही है माया की कोसिस है अल्वा को बसपा में लाकर पार्टी का का जनाधार सकता है और वह प्रधानमंत्री की कुर्सी पा सकती है फिर माया के साथ एक और सतीश मिश्रा एक और अल्वा आंटी साथ हाथी में सवार होंगे" अल्वा आंटी" किसके साथ जाती है ?

जिंदगी

"सारे सवालू का उत्तर
सारे दुखो का अंत
समस्याऊ का समाधान
नही है खामोशी
एक पराजित इन्सान की
एक कमजोर मानव की
निरासा का हथियार नही
है खामोशी
लोहे से लोहा काट डालो
पैरो से बंजर जमीन फाड़ डालो

गुल उगा दो मरुस्थल में
आशा का doosara नाम है
जिंदगी "


बोया पेड बबूल का आं कहा से होय ....... { भाग २}

मुश् की विदाई कई बाद पाक में बड़ी अराजकता हो गयी है कट्टर पन्थियू को यह रास नही आ रहा की अमेरिका की फौज पाक की सीमा मे घुसकर उनको अपने निशाने पर ले यही कारण है के पाक सरकार का अमेरिख झुकाव उसको नही सुहा रहा है ईट का जवाब पत्थर से दिया जा रहा है पाक मे आए दिन बम विस्फोट हो रहे है मुश् के जाने के बाद डेरा इस्माईल खान और आयुध कारखाने मे बड़े विस्फोट हुए है यही नही अमेरिका के कई मानवरहित विमान पाक मे डेरा डाले रहे जिसमे पाक के बेगुनाह नागरिक हलाक हुए कट्टर पंथियों के हाथ दिनों दिन मजबूत होते जा रहे है अभी कुछ माह पूर्व वहा का आलीसान मेरियट होटल अनंकियो के निशाने पर था इस हमले मे कई लोग हलाक हुएकार्यवाही अमेरिका को को यह बताने के लिए की गयी पाक की सीमा का उल्लंघन किए जाने पर माकूल जवाब दिया जाएगा सदाम की फासी होने और फिर इराक पर कब्जा ज़माने के बाद से अमेरिका कट्टाrपंथियों की आँखों में खटक रहा है यही कारण है इस वर्ष वहा पर इराक जैसे कई भीषण हमले हो चुके है बेनजीर तो अतंक्वादीयो के हम्लू के भेट चढ़ चुकी है अब वहा के गिलानी साहब भी इसके एक बार सिकार हो चुके है संयोग से वह इसमेबाळ बाळ बच निकले आज पाक मे कानून नाम केकोई चीज नही रह गयी है कोई भी कभी वहा अन्तंकवादियो के भेट चढ़ सकता है सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात होने के बावजूद वहा कोई भी घुसपैट कर सकता है यह पाक के भविष्य के लिए असुभा संकेत है सरकार होने के बाद भी वहा पर सेना की राह अलग दिख रही है वह यह नही चाहते किसी सूरत पर पाक के अन्दर अमेरिका की सेनाये जाए जहाँ पर कट्टर लोग छिपे है लेकिन बुश का फरमान मानने को सेना को मजबूर होना पड़ रहा है सरकार और पाक के सेना दोनों अभी तक यह तय नही कर पा रहे है की किसका साथ दिया जाए? यहाँ आपको यह बता दे की पाक मे बुश ने सेना को हमले करने की अनुमती दे डाली है फिर इसके लिए चाहे उनको पाक के सीमा के अन्दर ही क्यों न घुसना पड़े









































अपने मिस्टर १०% कहे जाने वाले जरदारी यह तय नही कर पा रहे है की मुश् के जाने के बाद वह किस तरह अपने कदम चलें पाक की इकोनोमी इस समय इस समय खस्ता हाल मे चल रही है, इन्फ्लेशन, विदेश नीती जैसे कई मोर्चे पर उसको कई समस्याओ को झेलना पड़ सकता है अमेरिका के खिलाफ आवाम में बन रहे असंतोष को दरकिनार कर पाना जरदारी के लिए मुस्किल नही होगा ईसी कारन अमेरिका मे बुश से मिल कर अपना दुखडा रोये की हमारे सीमा के अन्दर तो मत घुसो बुश ने आसिफ को इस पर आश्वाशन ही दिए है क्युकी वह वहा सेना और सरकार के बीच खाई को देख रहे है और अब तो अमेरिका मे बराक ओबामा का उदय हो गया है शायद वह वहा और हमले तेज कर सकते है पाक के बैंक डूबने के कगार पर खड़े है अगर अमेरिका या किसी और देश ने मदद नही की तो पाक दिवालिया हो जाएगा इस सूरत में पाक किस और जाएगा यह कह पाना मुस्किल है लेकिन ओबामा के आने के बाद शायद वह यह भी देखे क्या वहा भेजे जा रही अमेरिका की मदद का सही उपयोग हो रहा है या नही
जो भी हो आज पाक में कट्टर पंथियों ने उसके नाक में दम किया है\ कभी यह लडाके कश्मीर मे लड़ाई लड़ते थे जिनको अपने मुश् साहब " स्वतंत्रता सेनानी " कहा करते थे \ आज यही उनके देश में उत्पाद मचा रहे है अब तो पानी भी सर से उपर बह चुका है आने वाले दिनों में वहा आतंकी कार्यवाही बदने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता क्युकी वहां का आतंकवाद आज नासूर बन चुका है>>>>>>.................. {पूरा हुआ }

Wednesday 12 November 2008

बोया पेड बबूल का आम कहाँ से होय

"बोया पेड बबूल का आम कहाँ से होय " बचपन में हिन्दी की क्लास में गुरुजनूद्वारा पदाया जाने वाली यह उक्ती अनायास ही मेरे जेहन में आ रही है क्युकी मेरी बोलती कलम अपने ब्लॉग में पड़ोसी पाकितान की सूरतेहाल पर चल रही है आज के पाक कई हालातू को देख तरस आता है मुसल्मानू के लिए अलग "द्विरास्त्र सिद्धांत " का पर्तीपदन करने वाले जिनाह ने भी ऐसा सपने में नही सोचा होगा की वहा लोकतंत्र एक दिन खतरे की ज़द में आ जाएगा चौकने की बात नही किस्सागोई पाक की ही हो रही है

आज पाक के हालात दिन पर दिन बद से बद्तार होते जा रहे है मिया मुश् की विदाई के बाद जहा लोग एस बात के कयास लगा रहे थे की वहा नया सवेरा होगा लेकिन आज वहा अलग सा माहौल दिख रहा है ऐसे मे दिल में अगर यह विचार आ जाए वहा डेमोक्रेसी का क्या भविष्य है तो इसका जवाब यह होगा क्या वहा कभे यह सफल हो पाया है ? जब भी वहा सूरज की नयी किरण निकली है उस किरण के मार्ग मे मिलिटरी शासन ने दखल देकर उसको अपना लिबास ओड़ने को मजबूर कर दिया है
इंडियन फिलोसोफी में आचार्य रामानुज जैनेयू के स्यादवाद" की जमकर आलोचना करते है इस प्रसंग मे आज हम पाक की आलोचना करने जा रहे है वह कहा करते थे किसी पदार्थ मे "भावः" और "अभाव" दोनों साथ साथ नही रह सकते है इस तरह यदि हम यह चाहते हो की पाक के पदार्थ रुपी लोकतंत्र मे सेना और सरकार दोनों साथ साथ चलेंगे तो यह नेकास्मिन सम्भावात वाली बात होगी फिर ५० से लेकर आज तक जिस देश मे तानाशाह की भरमार रही है उसमे दोनों के साथ की उम्मीद बेमानी लगती है मुश् से पहले मिलिटरी रुलेर्स ने किस तरह रिमोट को चलाया और उनका क्या हस्र हुआ हम सब यह जानते है लेकिन पाक की हिस्ट्री में एक नाम सबसे भाग्यशाली रहा है वह कोई और नही मिया मुश् है ९ साल उन्होंने पाक मे किस तरह काम किया उसकी मिसाल आज तक वहा के अवाम को देखने को नही मिले है १२ अक्टूबर को मुश् ने नवाज का तख्ता पलट दिया औअर प्रेजिडेंट की पोस्ट अपने नियंतरण में ले लीपरवेज की सही चाल का आकलन कर पाने मे नवाज विफल साबित हुए जिसका खुलासा उन्होंने कुछ वर्ष पहले "इंडिया टुडे " मे किया नवाज ने इसमे कहा की मुश् ने कारगिल की योजना कब बनाई जिसका पता मे नही लगा सका देखा जाई तो मुश् ने कारगिल की ज़ंग खेल नवाज के पीट मे चूरा भोंका कारगिल मे हार मिलने के बाद पाक को आपने स्टाइल में चलाने के फेर मे उन्हने नवाज की छुट्टी करवा दी जिसके बाद वह अपने सरजमी से बेदखाल कर दिए गए इस तरह ९९ मे मुश् का पहला अवतार तानाशाह के रूप मे हुआ दूसरा अवतार सनिक वर्दी उतरने के बाद प्रेजिडेंट की कुर्सी से चिपके रहने के रूप मे देखा जा सकता है सत्ता का स्वाद कितना मजेदार होता है यह हम सब मुश् से सीख सकते है सेनिक वर्दी उतरने के बाद वहा के सुप्रीम पोस्ट पर विराजमान होना इस बात को पुस्त करता है
जिस दौर मे मुश् ने नवाज से सताह हतियाई उस समय की स्थितिया अलग थी भारत के पोकरान की पर्तिक्रिया मे पाक ने गौरी का परिकचान कर डाला उसको पाक की खस्ता हाल अर्थव्यवस्ता का तनिक भी आभास नही हुआ भारत ने तो वर्ल्ड के सरे पर्तिबंधो को झेल लिया लेकिन पाक के लिए यह सब कर पाना मुस्किल था लेकिन फिर भी मुश् ने चैलेन्ज को सुविकार किया औअर जैसे तैसे २ बरस पाक की गद्दी पत्री मे बनाई राखी २००१ मुश् के लिए नए सौगात लेकर आया ११ sep को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर मे हमला हो गया जिसकी जिम्मेदारी ओसामा ने ली इसमे अमेरिका के बहुत नागरिक मरे बेगुनाह पब्लिक की मौत का बदला लेनेऔर वर्ल्ड से आतंकवाद समाप्त करने के संकल्प के साथ अमेरिका ने ओसामा के संगटन को पर्तिबंधित संगटन सूची मे दाल दिया उसके खिलाफ आर पार की लड़ाए लड़ने की ताह्नी अमेरिका केसमाप्त तेर्रोर पूर्ति मे पाक उसका हम दम साथी बन गया यह बात पाक की जनता के गले नही उतारी की मुश् अमेरिका का साथ देकर क्या साबित करना चाह रहे है? पर जनता को क्या मालूम मुश् पाक की अर्थव्यवस्ता के संकटमोचक बन उभर रहे है आतंकवाद के खात्मे के नाम पर पाक सरकार को मुश् के कारन अरबू रुप्यी की मदद मिलने सुरू हुए पाक के लिए इसने टोनिक का काम सुरू किया जिस कारन विकास के मोर्चे पर हिचकोले खा रहे वहा की व्यवस्ता मे नए जान आयी अमेरिका ने पाक से कहा लादेन हर हाल मे चाहिए चाहे जिन्दा या मुर्दा ? लेकिन मुश् के होसियारी से फूक फूक कर कदम रखा तेर्रोर अभियान शुरू होने से पहले तक अफगानिस्तान में तालिबान की टूटी बोला करती थी ओसामा के चेलू ने एस पूरे इलाके मे अपना अधिपत्य का यम् कर रखा था\ मुश् द्वारा अमेरिका को मदद किए जाने के डिसीजन को ओसामा के सुप्पोर्टर तक नही पचा पा रहे थे लेकिन उनको क्या पता मुश्अपनेएस कदम से एक तीर से २ निशाने खेल रहे है हुआ भी ऐसा ही ९\११ के बाद मुश् के अमेरिका के पैसो से अपने सूबा सरहद की सेहत मजबूत की आतंकवाद समाप्त करना तो दूर मुश् उनके सुप्पोर्टर बने रहे अमेरिका के सेनिक जब अफगान इलाके पर हमला करते तो पाक सरकार के भेदिये अटैक जानकारी उनको हर दम पंहुचा देते थे जिस कारन वह हर दिन अपना नया घर खोजतेरहते अमेरिका के सेनिको को चकमा देकर यह लडके पाक के अन्दर छिपे रहते ऐसी सूरत मे एन को पकड़ पाना मुस्किल होता जा रहा था चित भी मेरी पात भी मेरी फोर्मुले के सहारे मुश् ने पाक मे जमकर लुफ्त उठाया बेनजीर और नवाज के बाद वहा कोई एसा नेता नही बचा जो उनका बाल बका कर सके लेकिन किसे ने सही फार माया है यह पब्लिक सब जानती है अमेरिका से अत्यधिक निकटता जनता को रास नही आए और उनसे भी मोहभंग हो गया पर मुश् जनता को यह दिलासा देते रहे की वह पाक मे जल्द लोकतंत्र लाने जा रहे है judiciary यह सब tamasa देख रहे थी chaudhari ने कहा मुश् यह सब सही नही कर रहे है अपने virodh मे बन nnरहे माहौल को देख मुश् की gaj chaudharee पर ही गिरी एस action से मुश् को kirkiri jhelne पड़े dabav के madenajar chaudhari फिर से bahal किए गए पाक मे khusi की लहर दौड़ गए nazarband chaudharee aab khule हवा मे साँस ले सकते ठे लेकिन मुश् कह achup betane wale ठे उन्होंने अपने tarkash से हर teer निकला अपने कुर्सी बचने के phair में bhutto से samjhota कर dala जिसके स्क्रिप्ट america ने लिखे november मे apatkal lagne के darmiyaan फिर nisane पर judge chaudharee आ गए auar उनको bahal नही किया गया २७ december २००८ को bhutto की मौत के बाद पाक मे मुश् को हटाने की mangh parvaan chadne लगी bhutto की मौत के piche betaullah masood के भी taar जोड़े गए लेकिन eska khandan आने के बाद mamla gambheer बन गया पाक की एक पूर्व pm की guthii pahele बन गए भरी dabav के चलते मुश् को england से scotland yard के dastoo को bulana पड़ा parantoo वह भी बिना किसी niskarsh पर pahuche back to pavellion लौट गया usa मुश् की neetiyo से naraj था सो mazadhaar मे उनको akele छोड़ दिया awam का dabav to था ही aab bush भी मुश् के virodhi हो गए last मे मुश् को chunav karvane हे पड़ा feburary के election में मुश् की पार्टी की हार हो गए auar उनका sinhasaan dolne लगा electon में bhutto की ppp satta मे आ गए jardari ने nawaj की pml{न} से pact कर सरकार bana ले abhee भी ppp का pm होने के बाद पाक मे democracy नही आ payee है bhutto की मौत ने nawaj को jardari से हाथ milane को मजबूर कर दिया nawaj की मैं mang ठे की किसी भी तरह से मुश् को हटाया जाए साथ हे judiciary independent हो वह iftikar की फिर से bahali चाहते है parntoo kafi kheechtaan के बाद दोनों दल मुश् के khilaf mahabhiyog लेन पर sahamat हुए geedar की जब मौत आती है to वह sahar की auar bhagata है मुश् को जब यह lagne लगा की उनका aab कोई madadagar नही है to उन्होंने अपने पड़ से जल्द विदाई ले lee
nawaj की यह pahle जीत ठे लेकिन iftikar की bahalee न होने का sawal आज उनको मन ही मन kacot रहा है आज आलम यह है की ministors के esteephee के बाद उनको jardari को bahar से support देना पड़ रहा हैके alava उनके pas कोई चारा नही bacha है abhee उनकी kosis है की पाक मे pml{न} के लिए माहौल बनाया जाए lihaza वह jameen tyar करने मे jute है बीते महीने उन्होंने rastrapati पड़ पर अपने candidate को utakar नया card खेला है halankee jardari ७०% मत से जीत गए लेकिन nawaj janta में eske बहने iftikar के pakch मे sympathy dikkana chahate thewe jardari कुर्सी panne के बाद aab बदले बदले नज़र आ रहे है उन्होंने nawaj auar उनके young brother shahabaj के porane मामले खोलने का मन बनाया है jardari नही chahate की की मुश् पर बदले की bhawana से कोई action लिया jayee क्युकी उनके khilaf corruption के mamloo को end करने मे मुश् की bhoomika रहे है जिसके लिए वह उनके taumra abhari रहेंगे...........