Sunday 27 August 2023

मुख्यमंत्री शिवराज का 'गहना' बन रही है 'लाड़ली बहना योजना'





मध्यप्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश की शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना योजना के रूप में एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला है जिसका जमीन पर असर अभी से दिखाई देने लगा है। इस योजना को लेकर शहरों से लेकर गाँव में प्रदेश की महिलाओं में बेहद उत्साह नजर आ रहा है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से बहनों के लिए लाई गई लाड़ली बहना योजना को आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक बड़ा गेम चेंजर माना जा रहा है। राज्य की आधी आबादी को साधने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ये मास्टर स्ट्रोक विपक्षी कांग्रेस की चुनावी जीत की संभावनाओं पर पलीता लगा सकता है।


इस योजना के तहत प्रदेश की शिवराज सरकार बहनों को हर महीने की 10 तारीख को 1000 रु की धनराशि प्रदान कर रही है जो लाड़ली बहनों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जा रही है। विधानसभा चुनाव से पहले लाई गई लाड़ली बहना योजना के लागू होने से बहनें काफी उत्साहित हैं। चुनावी साल में शिवराज सरकार के लिए ये योजना कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आये दिन विकास पर्व के प्रदेश भर में हो रहे कार्यक्रमों में इस योजना की जबरदस्त ढंग से ब्रांडिंग करने में जुटे हैं। शिवराज की हर दिन प्रदेश भर में हो रही  सभाओं में  उमड़ रही महिलाओं की भीड़ इस बात की गवाही दे रही है कि  ये योजना उन्हें खूब भा रही है।  महिलाओं में इस योजना के प्रति अलग तरह का उत्साह प्रदेश के हर कोने में महसूस किया जा रहा है।   मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि लाड़ली बहना योजना महिलाओं की जिंदगी बदलने का बड़ा अभियान है। इस  अभियान  के लागू होने के बाद उन्हें प्रदेश भर से बहनों का अपार समर्थन भी मिल रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में बहनों की जिंदगी बदलने के महाअभियान में दिन रात एक किये हुए हैं । प्रदेश की बहनों को अब अपनी छोटी-मोटी जरूरतें पूर्ण करने के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ रहा है। सही मायनों में इस योजना के माध्यम से मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। प्रतिमाह 10 तारीख को गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपए हस्तांतरित होने के बाद उनके चेहरों पर मुस्कराहट दिखाई दे रही है। लाड़ली बहनें इस बात से भी खुश नजर आ रही हैं, आने वाले समय में इस राशि को सरकार प्रति महीने 3,000 रुपए कर देगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति महिलाओं का भरोसा बढ़ा है।  

मुख्यमंत्री शिवराज ने अपनी तमाम योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को हर मोर्चे पर सशक्त करने का काम किया है। ‘लाडली लक्ष्मी’ से लेकर ‘कन्या विवाह’ और अब ‘लाडली बहना’ सभी ने प्रदेश में एक नई  सामाजिक क्रांति लाने का काम किया है। महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त करने के लिए शिवराज सरकार ने कई योजनाएं शुरू की जिसने महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाने का काम भी किया है। एक दौर था जब  मध्यप्रदेश में पहले पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में काफी अंतर था। 1000 बेटों पर 912 बेटियां जन्म लेती थीं। लोग बेटियों को बड़ा बोझ मानते थे। उस समय मुख्यमंत्री शिवराज ने अपनी लाडली लक्ष्मी योजना के माध्यम से महिलाओं को बड़ा संबल देने का काम किया जिसका असर ये हुआ कि मध्यप्रदेश में बेटी अब बोझ नहीं रही। अब वह प्रदेश के लिए वरदान साबित हो रही है। आज मध्य प्रदेश में लिंगानुपात बढ़कर प्रति 1,000 पुरुषों पर 978 महिलाएं हो गया है। ‘लाडली लक्ष्मी’ के बाद ‘कन्यादान योजना’ शुरू हुई जिसका भी प्रदेश में शहरों से लेकर गाँवों तक जबरदस्त असर दिखा। स्थानीय निकाय के चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था के साथ ही पुलिस भर्ती में उनके लिए 30 प्रतिशत आरक्षण और शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण, आजीविका मिशन से प्रदेश की आधी आबादी के हितों का संरक्षण हुआ है। ‘आजीविका मिशन'  बहनों की गरीबी दूर करने की दिशा में सशक्त माध्यम बनकर कार्य कर रहा है। आजीविका मिशन से बहनों में एक नई चेतना आयी  है। आज प्रदेश की लाखों महिलाएं इस मिशन के माध्यम से स्वरोजगार अपनाकर परिवार चला रही हैं।  इससे न केवल उनका आत्मविश्वास  बढ़ रहा है बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ रही है। जो  महिलाएं  आजीविका मिशन से नहीं जुड़ी हैं, उन्हें भी शिवराज सरकार द्वारा  जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।  मुख्यमंत्री शिवराज प्रदेश में आजीविका मिशन की बहनों की आय कम से कम 10 हजार रूपए महीना करना चाहते हैं जिससे वे लखपति क्लब में शामिल हो सकें। सही मायनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी योजनाओं के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का काम किया है जिसकी पूरे देश में सराहना हो रही है। 

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पांच करोड़ 40 लाख वोटर हैं जिनमें महिलाओं की संख्या दो करोड़ 60 लाख से अधिक है। राज्य में लाडली बहना योजना की पात्र महिलाओं की संख्या एक करोड़ 25 लाख से अधिक है। राज्य सरकार ने पहले इस योजना को 23 वर्ष से 60 वर्ष तक की महिलाओं के लिए लागू किया लेकिन बाद में अधिक बहनों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पात्रता शर्तों में ढील दी। अब ऐसी बहनें जिनकी आयु 21 से 23 वर्ष की है और जिनके पास ट्रैक्टर भी है, उन सभी को लाडली बहना योजना से जोड़ा गया है और अब उन्हें भी योजना का लाभ मिल रहा है ।  आज मध्यप्रदेश में प्रत्येक गांव और वार्ड में महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के साथ ही महिलाओं की हितग्राही मूलक योजनाओं के प्रभावी लाभ के लिए लाड़ली बहना सेना का भी  गठन किया गया है। लाड़ली बहना सेना से जोड़कर बहनों को संगठित किया जा रहा है। यह सेना बहनों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करेगी साथ ही बहनों पर होने वाले अन्याय को रोकने में भी कारगर बनेगी।

शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के जवाब में कांग्रेस ने सत्ता में आने पर नारी सम्मान योजना की गारंटी दी है जिसकी हवा शिवराज 'मामा 'ने हर महिला के खाते में प्रतिमाह 10 तारीख को एक हजार रुपये देकर निकाल दी है। इसकी काट कांग्रेस नारी सम्मान योजना के रूप में देख रही है जिसमें वो प्रतिमाह महिलाओं को 1500 रु देने की बात कर रही है। कांग्रेस और चुनावी गारंटियों पर यकीन करना मुश्किल इसलिए भी हो रहा है क्योंकि अपने बीते 15 माह के कार्यकाल में उसने शिवराज सरकार की तमाम योजनाओं को बंद कर दिया। 2018 में कांग्रेस के द्वारा जोर शोर के साथ कृषि ऋण माफी, बेरोजगारी भत्ता और गैस सिलेंडर पर 100 रुपये की छूट की घोषणा की गई थी लेकिन 15 महीनों में एक भी वादा पूरा नहीं किया। इस लिहाज से कांग्रेस की गारंटियों पर अब भाजपा भारी पड़ती दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री शिवराज की सभाओं में हर जिले में उन्हें सुनने आ  रही महिलाओं की बड़ी भीड़ इस बात की गवाह बन रही है मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना को बहनों ने दिल से स्वीकारा है।

मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा है कि वे लाड़ली बहनों की आँखों में आँसू नहीं आने देंगे । सबके चेहरे पर मुस्कुराहट लाकर ही चैन से बैठेंगे। लाड़ली बहना योजना की शुरूआत 1000 रूपये से की है लेकिन धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 3000 रूपये किया जायेगा। खास बात ये है  जनता के दिलों में आम आदमी के सीएम के रूप में बसने वाले मुख्यमंत्री शिवराज की बनाई गई योजनाओं पर तुरंत अमल शुरू होता है और उसका प्रभाव हर क्षेत्र में महसूस किया जाता है। यह बात साधारण नहीं है मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह चौहान की बनाई कई महिला केंद्रित योजनाओं ने उन्हें प्रदेश का मामा कई दशकों से बनाया हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  27 अगस्त को बहनों से रक्षाबंधन से पहले फिर संवाद करेंगे। जबसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सभाओं में इस बात की घोषणा की है कि इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर प्रदेश भर की सवा करोड़ से ज्यादा लाडली बहनों को बड़ा तोहफा मिलने वाला है उसके बाद से ही  लाड़ली बहनों में उपहार को लेकर  विशेष उत्साह देखा जा  रहा है।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 27 अगस्त से लाडली बहनों के खाते में हर महीने 1250 रुपये डालने की घोषणा  के साथ  अक्टूबर से इसे बढ़ाकर प्रतिमाह 1500 रु करने की घोषणा कर  पूर्व सीएम  कमलनाथ  और कांग्रेस की गारंटियों की हवा निकाल सकते हैं।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बार रक्षाबंधन पर अपनी लाखों  बहनों को बड़ा तोहफा देंगे  इस बात  से महिलाएं  उत्साहित नजर आ रही हैं। 


मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी साल में कई  घोषणाएं करने में जुटे हुए हैं  लेकिन सबसे बड़ी गेमचेंजर  योजना लाडली बहना मानी जा रही है।  लाडली बहनों के सहारे सरकार एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर को चित करती दिखाई दे रही हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार महिलाओं से संवाद कर उन्हें एक के बाद एक तोहफे दे रहे हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए वो कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं । उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए स्व-सहायता समूह से जोड़ने का प्रयास भी कर रहे हैं। 27 अगस्त का  दिन भोपाल में ऐतिहासिक होने जा रहा है।  सीएम शिवराज सिहं चौहान 27 अगस्त को जम्बूरी मैदान भोपाल में अपनी सवा करोड़ लाडली बहनों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाएंगे। लाड़ली  बहनें अपने भैय्या सीएम शिवराज सिंह चौहान को राखी बांधेंगी। इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से लाखों की संख्या में लाड़ली बहना पहुंचने का सिलसिला शुरू गया है।  महिला बाल विकास विभाग इस संबंध  में तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है।  

मुख्यमंत्री  शिवराज  ने कहा  है कि हम मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण का इतिहास बनाएंगे। लाड़ली बहना योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपए का प्रबंध किया है। सरकार का प्रयास यह है कि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से बहनों की मासिक आमदनी 10000 रुपए तक हो जाए। महिलाओं और बेटियों के सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने अपने स्तर पर अनेक प्रयास किये हैं जिसका प्रभाव धरातल पर हर जगह नजर आता है। लाड़ली बहना योजना के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज महिलाओं को ये भरोसा दिलाने में कामयाब हुए हैं वे अपनी अंतिम सांस तक बेटियों , महिलाओं , बहनों के सम्मान के लिए काम करते रहेंगे।

Friday 4 August 2023

वो नटखट,मधुर, चितचोर सभी का किशोर

   

                           



प्राचीन परंपरा, संस्कृति और स्मृतियों को समेटे मध्यप्रदेश का खंडवा शहर मायानगरी किशोर कुमार की  खूबसूरत स्मृतियों से भी जुड़ा है। उनका जन्म खंडवा, मध्यप्रदेश में 4 अगस्त 1929 को हुआ था। उनका वास्तविक नाम आभास कुमार गांगुली था। उनके पिता कुंजलाल गांगुली, एक वकील थे और उनकी माँ, गौरी देवी, एक गृहिणी थीं। किशोर कुमार के चार भाई अशोक कुमार, अनूप कुमार, कुणाल कुमार और रतन कुमार थे। अशोक कुमार भाइयों में सबसे बड़े थे और भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध अभिनेता भी थे। किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा उस स्वर्णिम दौर में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। उस दौर को याद करें तो  सिनेमा में दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्वगायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों का ही  बोलबाला था।

किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्हें पहली बार गाने का मौका 1948 में बनी फ़िल्म जिद्दी में मिला  जिसमें उन्होंने देव आनन्द के लिए खूबसूरत  गाना गाया। किशोर कुमार के एल सहगल के विशिष्ट प्रशंसक थे इसलिए उन्होंने यह गीत उन की शैली में ही गाया। जिद्दी की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। उन्होंने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फ़िल्म 'आन्दोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फ़िल्म फ़्लॉप हो गई। 1954 में उन्होंने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोज़गार युवक की संवेदनशील भूमिका निभाकर अपनी प्रभावकारी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा" और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिसमें किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया। यह भी मजेदार बात है कि किशोर कुमार की शुरुआत की कई फ़िल्मों में मोहम्मद रफ़ी ने किशोर कुमार के लिए अपनी आवाज दी थी। मोहम्मद रफ़ी ने फ़िल्म ‘रागिनी’ तथा ‘शरारत’ में किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार दी तो मेहनताना लिया सिर्फ एक रुपया। काम के लिए किशोर कुमार सबसे पहले एस डी बर्मन के पास गए थे, जिन्होंने पहले भी उन्हें 1950 में बनी फ़िल्म "प्यार" में गाने का मौका दिया था। एस डी बर्मन ने उन्हें फिर "बहार" फ़िल्म में एक गाना गाने का मौका दिया और  गाना बहुत हिट हुआ।

शुरू में किशोर कुमार को एस डी बर्मन और अन्य संगीतकारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म "फंटूस" में दुखी मन मेरे गीत अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। इसके बाद एस डी बर्मन ने किशोर कुमार को अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। 

किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 500  से अधिक गाने गाए।  हिन्दी के साथ ही किशोर कुमार ने तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए। किशोर कुमार को उनकी गायकी के लिए आठ फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिले। पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 1969 में अराधना फ़िल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की विशेषता यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों। 1975 में आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्यौता मिला। किशोर कुमार ने पारिश्रमिक मांगा तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गायन को प्रतिबंधित कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद पांच जनवरी 1977 को उनका पहला गाना बजा दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना।

 किशोर के गाये गाने संगीत प्रेमियों को झूमने के लिए मजबूर कर देते हैं।   किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे। किशोर कुमार ने एक गायक के रूप में अपना करियर शुरू किया और जल्द ही भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे लोकप्रिय गायकों में एक अलहदा पहचान बनाने में सफल हुए। उनकी मधुर आवाज़  ने उन्हें घर -घर नई  पहचान देने का काम किया। गायन  के अलावा किशोर कुमार ने  अपनी खुद की कई फिल्मों के लिए संगीत भी तैयार किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय जीत में फिल्म “चलती का नाम गाड़ी” (1959) से “एक लड़की भीगी भागी सी”, फिल्म “आराधना” (1970) से “रूप तेरा मस्ताना” और फिल्म “सफर” (1971) से “जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर ” शामिल हैं।

किशोर कुमार को कला और संगीत के क्षेत्र  में उनके योगदान के लिए 1983 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया ।  यही नहीं 8 बार  फिल्मफेयर पुरस्कार से भी नवाजा गया । सही मायनों में किशोर कुमार भारतीय फिल्म उद्योग में एक बेहद सफल गायक और अभिनेता थे। उनकी विशिष्ट आवाज़ और शैली ने उन्हें शिखर पर पहुंचाया। किशोर कुमार ने “हाफ टिकट”, “पड़ोसन”, “चलती का नाम गाड़ी” और “गोल माल” सहित कई लोकप्रिय फिल्मों में अभिनय और निर्देशन भी किया। अपने अभिनय और गायन कौशल के अलावा, किशोर कुमार ने अपनी खुद की कई फिल्मों के लिए संगीत भी तैयार किया और अपने काम में एक अनूठा और रचनात्मक स्पर्श लाने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। भारतीय फिल्म उद्योग में उनके योगदान ने उन्हें एक स्थायी और प्रभावशाली व्यक्ति बना दिया है और उन्हें अभी भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे बड़ी प्रतिभाओं में से एक के रूप में याद किया जाता है।

 किशोर कुमार को खंडवा से बेपनाह प्यार था। वो मुंबई से लौटकर वापस खंडवा बसना चाहते थे लेकिन नियति को कुछ और मजबूर था। किशोर कुमार खंडवे वाला छोरा तो उस समय हिट हो गया था । 58 साल की आयु में किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर 1987 को  में दिल का दौरा पड़ने से हो गया था। किशोर कुमार भारतीय फिल्म उद्योग में एक अत्यधिक सफल और प्रभावशाली व्यक्ति थे जो पार्श्व गायक के रूप में अपनी अनूठी आवाज और शैली के साथ-साथ अपने अभिनय और निर्देशन कौशल के लिए जाने जाते थे। किशोर कुमार भारतीय सिनेमा में एक सदाबहार गायक के तौर पर आज भी याद किये जाते हैं।  फिल्म उद्योग में उनके योगदान को आज भी दिल से सराहा जाता है।