Sunday 30 August 2009

फिर आई मिस्टर भरोसेमंद की याद.............


"बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले......." यह जुमला टीम इंडिया में अगर किसी खिलाड़ी पर लागू होता है तो वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान "मिस्टर भरोसेमंद " कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ है...... लंबे समय से अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर रहने वाले राहुल द्रविड़ पर भारतीय चयनकर्ताओ ने एक बार फिर से भरोसा जताया है...

उनकी भारतीय टीम में वापसी के बाद निश्चित ही भारत का मध्य क्रम मजबूत होगा ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए.... राहुल द्रविड़ की प्रतिभा के सभी कायल है ..... उन्होंने खेल के हर डिपार्टमेन्ट में अपनी उपयोगिता को बखूबी साबित कर दिखाया है....... जब भी भारत को उनकी जरूरत हुई है तब तब अपने प्रदर्शन से उन्होंने करोडो खेलप्रेमियों का दिल जीत लिया ...

राहुल को अगर मैच विजेता खिलाड़ी कहा जाए तो कोई गलती नही होगी..... राहुल भारतीय टीम की वाल रहे है..... टेस्ट में भी उनका खेल अच्छा रहा है....लेकिन एक दिवसीय मैचो में चयनकर्ताओ द्वारा उनकी उपेक्षा बीते कुछ सालो से हो रही थी..... दिलीप वेंगसरकर सरीखे चयनकर्ता उनके चयन पर अपनी आँख की भोहें टेडी कर लिया करते थे ... पर इस बार चयनकर्ता उनकी अनदेखी नही कर सकते थे... बताया जाता है इस बार राहुल के चयन में के श्रीकांत (चीका ) की महत्वपूरण भूमिका है ...

श्रीकांत को उन पर पूरा भरोसा है यही कारण है २ साल खेल से दूर रहने के बाद भी राहुल का दाव टीम इंडिया में खेला गया है... देखते है इस बार श्रीलंका में त्रिकोणीय सीरीज़ और साउथ अफ्रीका में चैम्पियंस ट्राफी में भारत की यह दीवार कैसा प्रदर्शन करती है? वैसे इस बार आई पी अल के मैचो में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था .....देखते है अब क्या होता है???



विलक्षण प्रतिभा के धनी थे पर्वत पुत्र.........
भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त का नाम आज भी राष्ट्रीय राजनीती में बड़े गर्व के साथ लिया जाता है..... पन्त जी के योगदान के कारण वह पूरे राष्ट्र के लिए एक युगपुरुष के समान थे जिसने अपने ओजस्वी विचारो के द्वारा राष्ट्रीय राजनीती में हलचल ला दी... उनके व्यक्तित्व में समाज सेवा , त्याग, दूरदर्शिता का बेजोड़ मिश्रण था.... पूरा देश १० सितम्बर को उनकी १२२ वी जयंती पर याद करेगा...पन्त जी का जन्म १० सितम्बर १८८७ को उत्तराखंड के अल्मोडा जनपद से ३० किलोमीटर दूर हवालबाग विकासखंड के खूंट नमक गाव में हुआ था... प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा अपने जिले में पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु पन्त जी इलाहाबाद गए... जनमुद्दों की वकालत करने में अग्रणी रहने के कारणइन्होने इलाहाबाद से एल एल बी की डिग्री ली.... १९०५ में इन्होने अपना पूरा जीवन न्यायिककार्यो में समर्पित कर दिया.....पन्त जी के जीवन पर महात्मा गाँधी का खासा प्रभाव पड़ा..... गाँधी जी के कहने पर वकालत को छोड़कर राजनीती में कूद पड़े... तत्कालीन समय में कुमाऊ में दो तरह प्रकार की विचारधाराये प्रचलित थी ... पहली विचारधारा में प्रतिष्ठित लोग हुआ करते थे , जो उस समय अपने को प्रगतिशील मानते थे , वही दूसरी विचारधारा स्वदेश प्रेम सम्बन्धी विचारो से भरी थी... पन्त जी ने अपनी सूझ बूझ द्वारा दोनों विचारधाराओ में सामंजस्य कायम कर कुमाऊ में राष्ट्रीय चेतना फैलाने में अपनी भागीदारी निभाई.... पन्त जी ने गरीबो के शोषण के विरूद्व आवाज उठाते हुए कुली बेगार के खिलाफ विशाल आन्दोलन चलाया...... १९१६ में अपने प्रयासों से कुमाऊ परिसद की स्थापना की और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य चुने गए......१९१६ का वर्ष पन्त जी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा.... इस वर्ष पन्त जी अपने असाधारण कार्यो के कारण किसी के परिचय के मोहताज नही रहे... इस वर्ष राष्ट्रीय राजनीती में वह धूम केतु की तरह चमके... १९२० में गाँधी के साथ असहयोग आन्दोलन में भी इनके द्वारा सक्रिय सहयोग दिया गया..... १९२७ में सर्वसम्मति से कांग्रेस के प्रेजिडेंट चुन लिए गए... १९ नवंबर १९२८ को लखनऊ में जब साईमन कमीशन आया तो नेहरू जी के साथ इन्होने भी इसका पुरजोर विरोध किया... देश की आज़ादी में पन्त जी के योगदान को नही भुलाया जा सकता है... जंगे आज़ादी के दौर में हिमालय पुत्र द्वारा हर आन्दोलन चाहे वह सत्याग्रह हो या असहयोग आन्दोलन हो , अपना पूरा योगदान दिया... इसी कारण आज़ादी के दौर में अपनी सक्रिय भूमिका के चलते पन्त जी को कई वर्षो तक जेल की यात्रा भी करनी पड़ी...१५ अगस्त १९४७ को वह आजाद भारत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये गए... इस पद पर वह १९५२ तक कार्य करते रहे... १९५२ में देश का संविधान बनने के बाद प्रथम आम चुनाव हुए जिनका संचालन पन्त जी के प्रयासों से हुआ था ... इन चुनावो में कांग्रेस सरकार ने विजय हासिल की....... १९५४ में जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में होम मिनिस्टर का ताज पन्त जी ने पहना.... अपने कार्यकाल में पन्त जी ने विभिन्न कार्यो को पूरा करने का भरसक प्रयत्न किया... २६ जनवरी १९५७ का दिन कुमाऊ के इतिहास में बड़ा महत्वपूर्ण रहा... इस तिथि को भारत सरकार द्वारा उन्हें "भारत रत्न" की उपाधि से विभूषित किया गया... ७ मार्च १९६१ को ह्रदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई... पन्त जी ने अपने प्रयासों से राष्ट्रीय हित के जितने कार्य किए उनके चलते भारतीय इतिहास में योगदान को नही भुलाया जा सकता ....


Tuesday 18 August 2009

......वाडा को लेकर बीसीसीआई का ऐतराज ...................


आजकल बीसीसीआई और आईसीसी के बीच वाडा एक बड़ी दुविधा बनी हुई है......... वैसे इस बार आईसीसी ने बीसीसीआई की ना के बाद इस विषय पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है .... दरअसल जिस वाडा को आईसीसी ने स्वीकार कर लिया है उसको स्वीकार करने से बीसीसीआई कतरा रहा है... इसी कारण दोनों के बीच तलवारे खिच गई है.... वाडा ( विश्व डोपिंग निरोधक एजेन्सी ) है जो खेलो को डोपिंग से बचाने के नए नियमो पर अपनाकाम कर रही है...


वाडा की स्थापना ९० के दशक में की गई ... अब २००९ से उसके द्बारा नए नियम बना दिए गएहै ... वाडा के नए नियमो के अनुसार अब खिलाड़ी डोपिंग परीक्षणों से नही बच सकते... इसके नियमो के अनुसार खिलाड़ी कही भी खेल रहे हो जब जांच के लिए कहा जाएगा उनको हर हाल में उपलब्ध होना पड़ेगा.... खिलाडियों की जांच उस समय भी की जायेगी जब वह नही भी खेल रहे हो..... इस मसले पर भारतीयखिलाडियों के साथ बीसीसीआई को भी ऐतराज है ... बीसीसीआई की माने तो वाडा को यह कोई अधिकार नही हैजब खेल प्रतिस्पर्धा नही हो रही हो तो वह जबरन खिलाडियों की तलाशी ले...

बीसीसीआई को इस पर ऐतराज है .........यह तो कोई बात नही हुई ............खिलाड़ी कब कहा है इसकी सूचना वाडा को उपलब्ध कराये...वाडा के नए नियम बीसीसीआई को नागवार गुजर रहे है..... वैसे पहले इस मसले पर विश्व के कई खिलाड़ी अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे पर अब उन्होंने इस नए नियमो को स्वीकारने में ही अपनी भलाई समझी है॥ यहाँ यह बताते चले माईकल फेलप्स ,नडाल जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी कभी वाडा के नएनियमो के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने में पीछे नही थे लेकिन अब जब सभी खेलो को वाडा के नए नियमो के दायरे में लाया जा रहा है तो विश्व के कई बड़े खिलाड़ी भी वाडा के नए नियमो पर अपनी हामी भरते नजर आ रहेहै... पर अपना बीसीसीआई देखिये वह इन नियमो को स्वीकारने से न जाने क्यों हिचक रहा है...?
बीसीसीआई की यह ना सही नही है.... शायद वह अपनी पैसो की हेकडी के चलते वाडा के नियमो को मानने से मना कर रहा है ....


बीसीसीआई की माने तो वाडा के नए नियम सही नही है ... उसकी माने तो खेलो केदौरान अगर जांच की जाए तो यह बात सही है लेकिन जब खेल ही न हो रहा हो तो जबरन जांच कहा तक जायज है? वाडा के नए नियम इतने कड़े है अगर कोई खिलाड़ी साल में डोपिंग से ना नुकर करता है तो उस पर प्रतिबंध भी लग सकता है ... यह सही है वर्तमान समय में लोग पदक पाने के लिए तरह तरह की उत्तेजक दवाईयों काप्रयोग करते रहते है ....पर अब वाडा के नए नियमो के तहत जब सभी खेलो को एक नजर से देखा जा रहा है तो बीसीसीआई को इस पर क्यों आपत्ति हो रही है?

अब बीसीसीआई की यह बात किसी के गले नही उतर रही है इस जांच के जरिये आप सभी की निजी लाइफ में झाँक रहे है.....यह नियम तो सभी के लिए समान होंगे .... अबऐसा तो नही है की किसी धावक के लिए यह बताना कम्पलसरी है की वह कहा है ? क्या कर रहा है? ऐसा सभीखिलाडियों पर लागू हो रहा है ....

यह वाडा का व्हर अबाउट क्लॉज़ है जो हर किसी पर लागू हो रहा है .... इसमेकिसी खिलाड़ी को नही छोड़ा जा रहा है ..... जब सभी को एक कानून द्बारा एक दायरे में लाया जा रहा है तो हमारेबीसीसीआई को न जाने इस पर क्यों आपत्ति हो रही है?


असल में बात यह है हमारे क्रिकेट के खिलाड़ी अपने को वी आई पी से भी बढकर मानने लगे है ... उनकी असली दिक्कत यह है अगर आउट ऑफ़ सीजन वह डोपिंग में फस जायेंगे तो उनकी सारी प्रतिष्ठा मटियामेट हो जायेगी..... दरअसल हमारे यह क्रिकेट सितारे अपने को बहुत बड़ा आइकन मानने लगे है ...भारत में इनको भले ही देवता जैसा पूजा जाता रहा हो पर इन क्रिकेटरों को विदेशो में उतना मान नही मिल पाता है जितना हमारे यहाँ मिलता है ..... यह भी भ्रम है सचिन , सहवाग, धोनी कमाई के मामले में विश्व में सबसे धनी है .... सच्चाई यह है इनसे कई गुना कमाई विश्व में टेनिस , सूकर खेलने वाले खिलाडियों की है ....


बहरहाल जो भी हो हमारा तो इतना कहना है जब सभी के लिए नियम समान है तो यह क्रिकेटर कोईभगवान् है जो वाडा के नियमो को मानने से इनकार कर रहे है.... कायदे कानून तो सभी के लिए समान ही होते हैचाहे आप हो या हम........................ अब पैसो की हेकडी के चलते बीसीसीआई ने आईसीसी के वाडा वाले फरमानको मानने से साफ़ इनकार कर दिया है ....


इसके लिए ५ सदस्यीय कमेटी बना दी गई है .... उसका फैसला आनाअभी बाकी है ... समिति में अनिल कुंबले , बिंद्रा जैसे लोग शामिल है जो किसी निष्कर्ष पर पहुचेंगे.......देखते हैक्या इस बार आईसीसी बीसीसीआई के आगे झुकती है या नही ? वैसे अभी तक वह बीसीसीआई के इशारो परनाचती रही है. क्युकी बीसीसीआई धनी बोर्ड है पूरे विश्व का .... देखते है वाडा पर इस बार कैसा रवैया अपनाया जाता है ?

Saturday 1 August 2009

कब तक सहते रहेंगे अपमान..............

भारत के पूर्व रास्ट्रपति कलाम के साथ अमेरिका की कांटिनेंटल एयर लाइंस के द्बारा ली गई तलाशी कोई छोटीमोटी घटना नही है ..... इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है अमेरिकी एयर लाइंस ने यह तलाशी भारतीय हवाई अड्डेमें तब ली जब कलाम न्यू जर्सी की फ्लाईट पकड़ने हवाई अड्डे में पहुचे .... चूकि यह घटना भारतीय हवाई अड्डेपर घटित हुई इस कारण इसने आम आदमी का दिल कचोट दिया है॥कम से कम विदेशी एयर लाइंस द्बाराभारतीय प्रोटोकोल के नियमो की अवहेलना इस कदर नही की जानी चाहिए थी ... चौकाने वाली बात तो यह है यह पूरा मामला तीन महीनों से दबा रहा ... हमारी सरकार इस वाकये पर मूकदर्शक बनी रही ॥उसने अमेरिकी एयरलाइंस पर कोई कार्यवाही नही की ॥ प्रफुल्ल पटेल भी इस मसले पर चुप्पी साधे रहे.....

मीडिया में मामला प्रकाश में आने के बाद पटेल को सफाई देनी पड़ी॥ वैसे ,यह घटना भारत से जुड़ी है अतः इस बार बवाल मचा॥ फिर मामला पूर्व महामहिम का था... अरसे पहले हमारे कई नेता इस तरह की जांच प्रक्रियाओं से गुजर चुके है॥पूर्व रक्षा मंत्री फर्नांडीज की एक बार अमेरिका में इस तरह की तलाशी ली जा चुकी है॥ यही नही अपने सोमनाथ दा ने तो एक बार इसके चलते अपना विदेशी दौरा ही रद्द कर दिया था॥इस बार अमेरिका ने कलाम की तलाशी भारत में लेकर पूरे मुल्क को बदनाम करने की कोई कसर नही छोडी...

भारत में हमारे अधिकारियो के बीच इस तरह एक पूर्व रास्ट्रपति के साथ भद्दा व्यवहार नही किया जाना चाहिए था॥साथ ही अमेरिकी विमान कंपनी को यह मालूम होना चाहिए भारत में अमेरिका जैसे कानून नही चला करते है..वैसे मामला मीडिया में आने के बाद एयर लाइंस द्बारा माफ़ी मांग ली गई है लेकिन माफ़ी से काम नही चलेगा..वह तो कलाम का व्यक्तित्व इतना शालीन है की इतनी बेइज्जती होने के बाद भी इस मसले पर उन्होंने अपना मुह नही खोला है ...आख़िर हम इस अपमान को कब तक सहन करते रहेंगे??अमेरिका को किसी दूसरे देश को सिक्यूरिटीका पाठ पदाने की कोई जरुरत नही है ...

बेहतर होगा वह अपने देश में अपने कानूनों के हिसाब से चले ....पूराविश्व उसके अपने कानूनों से नही चलेगा.... हर देश का अपना ख़ुद का संविधान होता है ॥ बाकायदा अलग नियमकानून भी होते है...............इसी तर्ज पर अगर हम किसी अमेरिकी नेता की तलाशी उसके भारतीय दौरे पर लेनेलगे तो बखेडा ही मच जाएगा......