आडवाणी जी आपका राजनाथ के साथ ३६ का आंकडा जगजाहिर ही है ... इस बार सुधांशु मित्तल मामले में यह सही से उजागर हो गया ॥ राजनाथ के साथ जेटली की ठन गई॥आपने पूरे मामले से कन्नी काट ली... जेटली को मित्तल का पूर्वोत्तर का प्रभारी बनाया जाना नागवार गुजरा...
इस पर मीडिया में कई दिनों तक गहमागहमी बनी रही... परन्तु जेटली मुह लटकाए ही रहे॥ यहाँ तक कि मीडिया में केमरे के सामने यह बात सही ढंग से उजागर हो गई .. जेटली सभी के साथ प्रेस कांफ्रेंस में तो पहुचते थे परन्तु उनका ध्यान हर समय भटका रहता था॥ इस मामले पर आडवानी कुछ नही कर सके परन्तु संघ को यह नागवार गुजरा॥
संघ ने सोचा कि यह मन मुटाव मतदाताओ संदेश देने का काम कर रहा है लिहाजा उसने जेटली की क्लास ले डाली.... जबरन जेटली ने राजनाथ के घर जाके सब ठीक होने का संकेत दिया॥ लेकिन यह आपस में मीडिया के साथ गले मिलने का यह एक नाटक था जो समाप्त नही हुआ॥ आज भी जेटली मित्तल से खफा है पर संघ के साथ बैठक के बाद जेटली का राजनाथ मिलना जरुरी हो गया था क्युकी इससे कार्यकर्ताओ में ग़लत संदेश जा रहा था॥ साथ ही यह दिख रहा था की पार्टी में आडवानी दूसरी पात के नेताओ के साथ तालमेल कायम कर पाने में सफल नही हो पा रहे है॥
वैसे सच मानिये राजनाथ अभी भी आडवानी को पीं ऍम पदपर नही देखना चाहते है॥ अब यह तो संघ की मजबूरी है की उसने पहले से ही आडवानी को पी ऍम और अटल का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया..अगर राजनाथ का बस चलता तो वह भी अपनी दावेदारी इस पद के लिए पेश कर देते ...मुरली मनोहर आज भले ही भाजपा में उपेक्षित है लेकिन वह भी आडवानी को प्रधानमंत्री देखना पसंद नही करते॥
याद करिए वाजपयी वाला दौर ॥ तब भाजपा में १ ,२,३ पर अटल, आडवानी, मुरली शामिल थे ॥ तब आडवानी मुरली को २ पर देखना पसंद नही करते थे हालाँकि वाजपेयी के सिपेसलारो में वह गिने जाते थे लेकिन आडवानी के कद के आगे मुरली नही ठहर पाये.. भले ही जिन्ना की मजार पर जाकर आडवानी ने उनको धर्म निरपेक्ष कहा हो लेकिन इन सबके बाद भी संघ ने उन पर सहमती १ साल पहले ही दे दी थी कही न कही यह आडवानी की पार्टी में अपनी पकड़ को मजबूत करता है..लेकिन दूसरी पात के नेता आडवानी का नाम घोषित होते ही हताश हो चले है॥ जसवंत सिंह जैसे नेता आज खुले तौर पर उनसे दो दो हात करने को तैयार रहते है॥
आडवानी जानते है यह उनका अन्तिम चुनाव है शायद इसके बाद ५ साल बाद वह प्रधानमंत्री पद नही पा सकेंगे क्युकी तब उनका स्वास्थ्य भी सही नही रहे लिहाजा वह चुनाव प्रचार में हाई टेक तरीको को अपनाने से पीछे नही है ॥ इस बार भाजपा ने ४० लोगो की मदद से चुनावी वार रूम बनाया है जिसमे आईटी, बैंकिंग,जैसे फील्डों से लोग उनके इन्टरनेट प्रचार में जुटे हुए है॥
सुधीन्द्र कुलकर्णी दिल्ली में २६ तुगलक क्रिसेंट पर इसकी कामन को अपने हाथो में लिए हुए है ॥ वह चुनाव पर पैनी नजर रखे हुए है॥ आंकडो के जरिये जी वी एल नरसिम्हन भाजपा की संभावनाओं पर नजर रख रहे है॥ अब यह तो वक्त ही बताएगा की क्या आडवानी पी ऍम बन पायेंगे ?
वैसे बीजेपी की हालत इस समय ख़राब हो चले है॥ पार्टी के अन्दर इतने जयादा झगडे है की वह अब सार्वजानिक होने लगे है ॥ हालाँकि वाजपेयी के रहते सब ठीक ठाक रहता था॥ और पार्टी के अन्दर क्या खिचडी पकरही है या दाल चावल यह पता नही चल पट था॥ लेकिन जा से अडवाणी आए है तब से पार्टी अपनी राह से भटक गई है॥ नेताओ में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई है॥
सबसे बड़ी बात यह है आज आडवानी को बड़े सहयोगी भी नही मिल पारहे है ॥ साथ ही अटल जी की कमी खल रही है.. फर्नांडीज का न होना भी भाजपा की राह को मुस्किल बना रहा है..आज साउथ में पार्टी को कोई सहयोगी ही नही मिल पा रहे है ..ममता आज कांग्रेस के साथ है॥ वही जयललिता तीसरे मोर्चे के साथ चली गई है ॥ चंद्रबाबू भी तीसरे मोर्चे के साथ है ..ऐसे में ५ ,६ दलों के साथ आडवानी कैसे प्रधान मंत्री बन पायेंगे यह असंभव लगता है॥ आडवानी जी विन्ध्य में भगवा लहराने से काम नही चलेगा.....
आज का दौर गठबंधन राजनीती का है बिना सहयोगियों के कोई बहुमत के आस पास नही फटक सकता ॥ फिर यह चुनाव वैसे ही मुद्दा विहीन हो गया है॥शरद यादव फर्नांडेज की तरह चुस्ती नही दिखा पा रहे है॥ जिस कारन भाजपा को इस चुनाव में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.. वैसे ही लालू प्रसाद आपकी प्रधानमत्री की कुंडली पर अपनी पी एच दी पूरी कर चुके है ॥ अगर यह सही साबित हो जाती है तो आप का रेलवे से टिकेट कन्फर्म नही होपायेगा॥ आर ऐ सी मिल जाता हो बात होती॥ लेकिन अगर चुनावो में बीजेपी बुरी तरह पिटती है तो आप पी ऍम इन वेटिंग ही बने रहोगे.
....(जारी रहेगा)
2 comments:
बहुत सुन्दर विवेचन किया है आपने। और हॉं, शीर्षक तो एकदम मस्त।
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SBAI TSALIIM
ek se badkar ek post hai aapka...bahut hi sundar roop se apne vistarit kiya hai jise padkar kafi achha laga.
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