Monday 31 October 2022

देश का दिल 'मध्य प्रदेश ' बन रहा फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद

 



मध्य प्रदेश 1 नवंबर को अपना 67वां स्थापना दिवस मानने जा रहा है। कभी पिछड़ा और बीमारू कहा जाने वाला मध्यप्रदेश आज विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहे राज्यों की श्रेणी में अग्रणी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने विकास की नई संभावानाएं तलाशने के साथ ही उपलब्धियों के कई आयाम भी गढ़े हैं। आज प्रदेश की पहचान फिल्म उद्योग के लिए अपार अवसरों के रूप में हुई है। मध्यप्रदेश में फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई फिल्म नीति के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। प्रदेश में मिल रही बेहतर सुविधाओं के कारण आज फिल्म निर्माताओं का रुझान मध्यप्रदेश की तरफ बढ़ा है। फिल्मांकन के लिए आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने में अब किसी के आगे चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। एक ही प्लेटफार्म पर सभी अनुमतियां आसानी से मिल जाती हैं। पिछले कुछ समय से मध्यप्रदेश में फिल्मों की शूटिंग की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। शिवराज सरकार प्रदेश में फिल्म उद्योग को लगातार प्रोत्साहित कर रही है।


फिल्म निर्माताओं को आकर्षित कर रहा देश का दिल 

शूटिंग के लिए खास एवं बेहद खूबसूरत लोकेशंस के अलावा सुविधाजनक स्थल होने की वजह से डायरेक्टर्स मध्यप्रदेश खिंचे चले आते हैं। फिल्म निर्माताओं को शूटिंग की अच्छी लोकेशन यहां आसानी से मिल जाती हैं, साथ ही मध्यप्रदेश सरकार फिल्म के अनुकूल बुनियादी ढांचा स्थापित करने के साथ- साथ उसे प्रोत्साहन भी दे रही है। यहाँ शूटिंग के लिए परमिशन और एनओसी मिलना भी अन्य राज्यों की अपेक्षा आसान है। मध्यप्रदेश सरकर ने 2016 में पर्यटन बोर्ड का गठन किया और 2019 में फिल्म के लिए अपनी पॉलिसी जारी की। वर्तमान में यह देश का ऐसा राज्य है, जो शूटिंग के लिए 5 श्रेणियों में सब्सिडी दे रहा है। प्रदेश में फिल्म निर्माण की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए फिल्म पर्यटन नीति 2020 लागू की गई है। इसमें फिल्मांकन की अनुमति अलग-अलग कार्यालयों की जगह एक स्थान से दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई है। अंतरराष्ट्रीय फिल्म, टीवी सीरियल या वेब सीरीज के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक अनुदान देने का प्रविधान किया गया है। वहीं, राष्ट्रीय फीचर फिल्म के लिए 25 प्रतिशत या दो करोड़ रुपये, टीवी सीरियल अथवा वेब सीरीज के लिए 25 प्रतिशत या एक करोड़ रुपये तक अनुदान देने की व्यवस्था है। इसी तरह डाक्यूमेंट्री के लिए अधिकतम 40 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। राज्य के स्थानीय कलाकारों को फिल्म निर्माण में लेने पर 25 लाख रुपये अतिरिक्त देने का प्रविधान है। फिल्म से संबंधित अधोसंरचना विकास पर 30 प्रतिशत तक अनुदान के साथ फिल्म से जुड़े अमले के लिए पर्यटन विभाग के होटल और रिसार्ट में ठहरने पर 40 प्रतिशत छूट दी जाती है। प्रदेश में फिल्म उद्योग के विकास के लिए फिल्म सिटी, फिल्म स्टूडियो, कौशल विकास केंद्र आदि स्थापित करने निजी निवेश को प्रोत्साहन और भूमि देने का प्रावधान भी नीति में किया गया है। फिल्म सिटी के निर्माण के लिए विभिन्न जिलों में भूमि भी आरक्षित की जा रही है। अभी तक प्रदेश में 100  से ज्यादा फिल्म, सीरियल और वेब सीरीज की शूटिंग हो चुकी है।

दूसरी बार मोस्ट फ्रेंडली स्टेट 

मध्यप्रदेश में बुनियादी ढाँचा तैयार कर फिल्म निर्माताओं को यहाँ निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे प्रदेश को देश और दुनिया में नई पहचान मिल रही है। राज्य सरकार ने फिल्म पर्यटन नीति लागू कर अपनी प्रतिबद्धता को दिखा दिया है। हाल के वर्षों में सरकार द्वारा शूटिंग की अनुमति को आसान बनाया गया है, जिससे प्रदेश में फिल्म निर्माताओं की रूचि बढ़ी है। राज्य सरकार फिल्मों को प्रोत्साहन दे रही है, जिसके अन्तर्गत थीम पार्क और सेल्फी पॉइंट भी बनाये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में लगातार हो रही शूटिंग के चलते ही हाल ही में 68 वें राष्ट्रीय फिल्म में मध्यप्रदेश ने 13  राज्यों को पीछे छोड़ते हुए को दूसरी बार मोस्ट फ्रेंडली स्टेट का दर्जा पाया। इसका कारण यहाँ की बेस्ट लोकेशन और सरकार से मिलने वाली सब्सिडी और शूटिंग के लिए सिंगल विंडो परमिशन है।

 

मुख्यमंत्री शिवराज की अपील का  हुआ बड़ा असर

मध्य प्रदेश को मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नागरिकों, पर्यटन विभाग के अधिकारियों एवं फिल्म उद्योग से जुड़े सभी साथियों को बधाई दी साथ ही उन्होंने सभी पर्यटकों को प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के सौंदर्य से समृद्ध मध्यप्रदेश आने के लिए आमंत्रित किया, जिसके बाद से प्रदेश में फिल्म निर्माण की कोशिशें परवान चढ़ने लगी। राजधानी भोपाल में बड़ा तालाब, वन विहार, भारत भवन, गौहर महल, पुरानी विधानसभा, कमला पार्क, किलोल पार्क जैसी लोकेशन फिल्म निर्माताओं को निःशुल्क उपलब्ध करवाई  जा रही हैं।  


कई फिल्में हो चुकी हैं शूट

मध्यप्रदेश लम्बे समय से फिल्म निर्माण के लिए पसंदीदा जगहों में शामिल रहा है। नया दौर, दिल दिया दर्द लिया, चम्बल की कसम जैसी  कई फिल्में मध्यप्रदेश में शूट हुईं,  जिनके शूट नरसिंहगढ़, मांडवगढ़, शिवपुरी में फिल्माए गए। राजनीति, प्यार किया तो डरना क्या, तेवर, पान सिंह तोमर,दबंग, पंचायत- 2 वेब सिरीज, सूरमा भोपाली, पीपली लाइव, चक्रव्यूह, गंगाजल 2 जैसी कई फिल्मों की शूटिंग मध्य प्रदेश में हुई है। मध्यप्रदेश न केवल फिल्मों बल्कि अब वेब सीरीज की शूटिंग के लिए भी निर्माताओं की पहली पसंद बनता जा रहा है।  अब तक कई फिल्में प्रदेश की खूबसूरत लोकेशंस में शूट हो चुकी हैं। हाल ही में रघुबीर यादव की हरी ओम की शूटिंग पूरी हुई है। फिल्म के सभी शूट भोपाल में ही किये गए हैं। विगत वर्षों में सिंह साहब द  ग्रेट, पंगा, जैसी कई फिल्मों के दृश्य  भोपाल और इंदौर में फिल्माए गए।  अशोका, यमला पगला दीवाना, दबंग 2 जैसी फिल्मों के दृश्य नर्मदा और महेश्वर की खूबसूरत लोकेशंस पर फिल्माए गए।  चंदेरी में स्त्री मूवी, ग्वालियर में लुकाछुपी सभी को मध्यप्रदेश में फिल्म बनाने के लिए लुभा रही है।  बीते कुछ वर्षों में फिल्मों के साथ ही अनेकों वेब सीरीज भी प्रदेश में शूट हुई है जिनमें गुल्लक, आश्रम 3, पंचायत, शिक्षा मंडल के  शूट भोपाल में ही शूट हुए।  राजश्री प्रोडक्शन की एक विवाह ऐसा भी, गली गली में चोर है, राजनीति, आरक्षण, सत्याग्रह, गंगाजल, क्रेजी नुक्कड़ सरीखी कई दर्जन फिल्में भोपाल, पचमढ़ी, होशंगाबाद के आसपास शूट हुई।  

 

2022 में भी कई फिल्म निर्माताओं के किया प्रदेश का रुख

 इस साल प्रदेश में राजकुमार संतोषी के निर्देशन में गांधी वर्सेज गोडसे को शूट किया गया। वहीं, नवाजुद्दीन और अवनीत कौर की फिल्म टिक्कू वेड्स शेरू, गौहर खान की वेब सीरीज शिक्षा मंडल, हुमा कुरैशी की वेब सीरीज महारानी 2, अक्षय कुमार और इमरान की फिल्म सेल्फी,  भोपाल और उसके आसपास के इलाकों में हुई।  नवम्बर  में बुलबुल मैरिज हाल, रहे इश्क़ की शूटिंग शुरू होगी, जिनमें दिवाली के बाद कई बड़े सितारे आने हैं। जिनमें पुलकित सम्राट से लेकर अली फजल, उर्मिला मतोड़कर से लेकर कृति खरबंदा के नाम शामिल हैं। बड़े बजट की कई फिल्में आने वाले वर्षों में बॉलीवुड में आने वाली हैं जिनकी शूटिंग मध्यप्रदेश की विभिन्न लोकेशनों पर होगी।  प्रतीक गांधी और ऋचा चड्डा की वेब सीरीज ग्रेट इंडियन मर्डर 2 की शूटिंग भी यहाँ  प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश में 2022 के अंत तक दर्जन भर से अधिक फिल्में और वेब  सीरीज की शूटिंग पूर्ण होगी।  


मप्र पर्यटन विभाग और  फिल्म निर्माताओं के बीच हुआ एमओयू

मध्य प्रदेश में जल्द ही बड़े बजट की मेगा स्टार फिल्मों की शूटिंग भी होगी। इसके लिए मप्र पर्यटन विभाग और प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं के बीच एमओयू हुआ है। इससे बड़े बजट और मेगास्टार फिल्मों की शूटिंग प्रदेश में होगी, साथ ही फिल्म पर्यटन से प्रदेश में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी।

 एमओयू के अनुसार फिल्म निर्माताओं को प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों की अनुमति, समन्वय हेतु सिंगल विंडो सुविधा एवं म.प्र. पर्यटन इकाई में फिल्म के क्रू के लिए आकर्षक डिस्काउंट मिलेगा। फिल्म निर्माताओं द्वारा लगभग 50 करोड़ का निवेश आने वाले 5 वर्षों में किया जाएगा, जिसमें फिल्म, वेब सीरीज, डाक्यूमेंट्री आदि सम्मिलित हैं। शिवराज सरकार की ये कोशिशें अगर परवान चढ़ी तो आने वाले दिनों में यहां एक बड़ी फिल्म सिटी भी प्रदेश में नया आकार ले सकती है।  

Sunday 16 October 2022

मप्र में हिन्दी माध्यम में पढ़ाई, मुख्यमंत्री शिवराज की सराहनीय पहल




हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिन्दी का एक विशेष स्थान है। मातृभाषा के  रूप में  हिन्दी को आगे बढ़ाने की दिशा में  किसी राज्य  ने अपने कदम तेजी से बढ़ाये हैं  तो वह है देश का हृदयस्थल कहा जाने वाला  मध्य प्रदेश। इसका श्रेय  सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है जो लगातार  हिन्दी  भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम कर  रहे हैं। उनके नेतृत्व में प्रदेश में  हिन्दी भाषा  रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रही है।

 नई शिक्षा नीति के आने से पहले मध्यप्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी  हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल ने हिन्दी में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की थी।  विश्वविद्यालय ने तीन भाषाओं में जहां  इंजीनियरिंग की शुरुआत की, वहीं एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाये, हालांकि तत्कालीन  समय में भारतीय चिकित्सा परिषद से इसकी अनुमति नहीं मिली थी। विश्वविद्यालय द्वारा छोटे स्तर पर हुई पहल मध्यप्रदेश सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत की गई पहल के चलते रंग लाई।  मध्य प्रदेश  में अब इंजीनियर बनने में  भाषा  राह में रुकावट नहीं बनेगी। प्रदेश में मेडिकल के साथ ही इंजीनियरिंग, नर्सिंग और पैरामेडिकल की पढ़ाई भी  हिन्दी  में कराई जाएगी।  हिन्दी  के प्रयोग से जहाँ  इंजीनियरिंग, मेडिकल  की पढ़ाई  का दायरा बढ़ेगा वहीँ समाज के हर वर्ग के प्रतिभाशाली युवा तकनीकी पढ़ाई के लिए आगे आएंगे।  इससे पठन - पाठन का  स्तर  जहाँ सुधरेगा वहीँ शोध की गुणवत्ता और स्तर में भी सुधार होगा।

 मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां एमबीबीएस की पढ़ाई भी अब हिन्दी में होगी।  प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कालेजों में मौजूदा सत्र से ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री की पढ़ाई कराई जाएगी। अगले सत्र से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष में भी इसे लागू किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर को  राजधानी भोपाल में एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम की शुरूआत करेंगे।  भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड में  एम.बी.बी.एस. के पहले वर्ष की हिन्दी पुस्तकों का विमोचन होगा।  पढ़ाई  को हिन्दी  में भी कराने के लिए पुस्तकें भी अंग्रेजी से अनुवाद कर हिन्दी में तैयार की गई हैं।  पठन सामग्री  इस तरह से तैयार की गई, जो छात्र -छात्रों  को आसानी से समझ में आ जाएं।  इस कार्यक्रम में सभी कालेजों के एमबीबीएस प्रथम वर्ष  में अध्ययनरत सभी छात्र छात्राओं   को बुलाया जा रहा है।इंजीनियरिंग, चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में अंग्रेजी  भाषा की  कठिन शब्दावली के होने से  हिन्दी माध्यम  में पढ़ने वाले ग्रामीण छात्र छात्राओं को कठिनाई होती है। अब  इंजीनियरिंग और एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू होने से गरीब एवं मध्यम वर्ग के  हिन्दी माध्यम में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिये पढ़ाई  आसान होगी ।  मध्य प्रदेश सरकार का हिन्दी  भाषा को  बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया यह कदम  सराहनीय  है।
 
 मध्य प्रदेश  की धार्मिक नगरी उज्जैन में नवनिर्मित श्री महाकाल लोक में खूबसूरत स्थानों  को हिन्दी  के माध्यम से नई पहचान मिल रही है।  हिन्दी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यहाँ सभी नाम  हिन्दी  में रखे गए हैं।   सभी स्थानों के अंग्रेजी नाम अब हटाए जा चुके हैं। विजिटर फेसिलिटी सेंटर को मानसरोवर, मिड-वे ज़ोन को मध्यांचल, कमर्शियल प्लाजा को त्रिवेणी मंडपम, लोटस पॉन्ड, को कमल सरोवर, नाइट गार्डन को सांध्य वाटिका, गजिबो क्षेत्रों को त्रिपथ मंडपम व भैरव मंडपम, डेक-1 को अवंतिका और डेक-2 को कनकशृंगा नाम दिया गया है।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों  यहाँ के अंग्रेजी नामों पर आपत्ति जताई थी , जिसके बाद  उनके निर्देशों पर ही  हिन्दी नाम रखे गए ।

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी का संकल्प है कि शिक्षा का माध्यम मातृ-भाषा बने ।  शिक्षा मंत्रालय ने  अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई  शुरू करने की जरूरत बताई  , जिसके बाद  मध्य प्रदेश सरकार ने मातृभाषा पर ज़ोर देते हुए हिन्दी  में पढ़ाई शुरू  करने की दिशा में अपने कदम तेजी से बढ़ाये हैं ।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  मानते हैं  विद्यार्थी अंग्रेजी अवश्य सीखें, पर शिक्षा अंग्रेजी में ही संभव है, इस विचार से मुक्ति  मिलनी जरूरी है। हिन्दी में पढ़ाई के लिए देश में आत्म-विश्वास पैदा करना आवश्यक है।  हिन्दी  भाषा में  मेडिकल और  इंजीनियरिंग  की पढ़ाई उसी की शुरुआत है।

अनेक मौकों पर मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने हिन्दी  को बढ़ावा देने , खुद उपयोग करने और दूसरों को भी प्रेरित  करने की जरूरत बताई। इस साल  हिन्दी दिवस के मौके पर  मुख्यमंत्री ने हिन्दी  के प्रयोग न करने और कम प्रयोग करने के  कार्य को एक तरह की मानसिक गुलामी का प्रतीक बताया था ।  तब उन्होंने इस भाव को देश से बाहर  निकालने की जरूरत भी बताई । मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की इस  पहल से प्रदेश के गरीब, ग्रामीण इलाकों के बच्चों ,  मध्यमवर्गी परिवारों को इसका  बड़ा लाभ मिलेगा। इससे  छात्र छात्राओं  को शिक्षा के लिए समान अवसर  भी  मिलेंगे और उनकी पढ़ाई में अब अंग्रेजी भाषा बाधा नहीं बनेगी । 

Monday 10 October 2022

शिवराज की सोच से साकार हुई भव्य महाकाल लोक की परिकल्पना

 



 धर्म देश की प्राणवायु है और आस्था इस महान देश की आत्मा। भारतीय संस्कृति अगर आज जीवंत बनी है तो इसके पीछे हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएं हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत को दुनिया के मानचित्र पर नई पहचान मिल रही है। उनके कुशल नेतृत्व में हमारे देश के कई वर्षों की समृद्ध विरासत को न केवल संजोने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्स्थापित  करने का भी बेहतर प्रयास किया जा रहा है। दिव्य महाकाल लोक देश की सनातन संस्कृति की पौराणिकता, ऐतिहासिकता और गौरवशाली परम्परा का अद्भुत संगम है। इसका निर्माण जिस भव्यता और सुंदरता  के साथ नए रुप में किया गया है, वह आमजन को आज चमत्कृत कर देता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रथम चरण के इसके निर्माण कार्य को समय से पहले पूर्ण कर अपनी आध्यात्मिक नगरी और विकासवादी सोच की अवधारणा को मजबूत किया है।

 

 महाकाल ने लिया नया आकार

 शिवराज सिंह चौहान देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं जो हर कदम पर  जनता से साथ निभाने का वादा करते हैं, तो निभाते भी हैं और हर कदम पर जनता के  साथ खड़े दिखाई देते हैं। क्षिप्रा के तट पर बसी प्राचीनतम नगरी उज्जैन का महाकाल लोक आज उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शी सोच को प्रस्तुत करता है जो भगवान शिव के भक्तों के स्वागत के लिए अब तैयार है। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया था, सैकड़ों वर्षों के बाद उसके वैभव को मुख्यमंत्री शिवराज ने साकार रूप प्रदान किया है। ये दुनिया के हर कोने से उज्जैन आने वाले  भक्तों के लिए के लिए नया  अनुभव देने का अनूठा प्रयास भी है जिसके परिणाम आने वाले वर्षों में सामने आएंगे। 

महाकाल लोक की अवधारणा वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मन में आई थी। इस पर विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं, संतों और विषय-विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर योजना तैयार की गई थी जिस पर गंभीरता से अमल करते हुए योजना का प्रथम चरण पूर्ण हुआ है।

 


 महाकाल लोक आज आधुनिक व्यवस्थाओं और संसाधनों से  पूरी तरह से सुसज्जित है। कम समय में  शिवराज सरकार ने  यहाँ पर इतनी व्यवस्थाएं की हैं जो उज्जैन आने वाले लोगों का मन मोह लेती है। मंदिरों के साथ ही पूजा सामग्री और हार-फूल की दुकानों को भी विशिष्ट तरीके से लाल पत्थर से बनाया गया है,जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, उनका जीवंत अनुभव अब  धर्मनगरी उज्जैन में लिया जा सकता है ।  महाकाल लोक के जरिए शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर लाना  मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के सामने मुश्किल कार्य था लेकिन सरकार के अथक प्रयासों से यह काम समय में  साकार हो गया। आज महाकाल लोक के जरिये  भारतीय सांस्कृतिक विरासत दुनिया के फलक पर अपनी चमक बिखेर रही है। 

 सिंहस्थ में भी दिखी कुशल नेतृत्व क्षमता 

  2016 में उनके सफल कार्यकाल में ही उज्जैन में ऐतिहासिक सिंहस्थ महाकुम्भ सम्पन्न हुआ था। व्यवस्थाओं और संसाधनों की दृष्टि से इसे भारत का अब तक का सबसे सफलतम धार्मिक आयोजन कहा गया। एक मुखिया की दूरदृष्टि , संकल्प शक्ति और जूनून है जो किसी भी प्रयास में प्राण फूंक देती है। सिंहस्थ के आयोजन में भी मुखिया शिवराज की प्रबल संकल्प शक्ति दिखी जिसने नर्मदा को मोक्षदायिनी क्षिप्रा से जोड़कर उसे प्रवाहमान नदी बना दिया।  सिंहस्थ के उस आयोजन  में भी उन्होंने निर्माण कार्यों में पल -पल नजर रखी और योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन किया और खुद अपने दौरे कर जनता के बीच रहकर दिक्कतें दूर की। दूरदर्शिता दिखाते हुए पूरे इलाके की व्यवस्थाएं चाक -चौबंद की। ये  मुख्यमंत्री  शिवराज  की  कार्यकुशलता , सहजता और व्यवहार ही था जिसने सिंहस्थ जैसे महापर्व को जन -जन  से जोड़ते हुए इसे  सफल बनाया।  सिंहस्थ के सफल आयोजन के बाद से उज्जैन आने वाले भक्तों की तादात बढ़ी है वहीँ सरकार द्वारा इस खूबसूरत नगरी को संवारने के भरपूर प्रयास किये हैं।

 खूबसूरत नक्काशी दिला रही है नई पहचान

 आज यहाँ का सफर फोरलेन  के माध्यम से जहाँ सुविधाजनक हुआ है वहीँ सांस्कृतिक गौरव की नई गाथाएं पत्थरों पर लिखी गयी हैं। फूल प्रसादी काउंटर को नई पहचान दी गई हैं वहीँ दुकानों को परम्परागत लुक। महाकाल लोक में बने स्थानों के नाम  सबसे महत्वपूर्ण हैं। महाकाल लोक में खूबसूरत स्थानों की पहचान अंग्रेजी नामों के साथ हो रही थी, लेकिन अब सभी नाम हिंदी में रखे गए हैं। सभी स्थानों के अंग्रेजी नाम हटाकर उन्हें हिंदी नाम दिए हैं। विजिटर फेसिलिटी सेंटर को मानसरोवर, मिड-वे ज़ोन को मध्यांचल, कमर्शियल प्लाजा को त्रिवेणी मंडपम, लोटस पॉन्ड, को कमल सरोवर, नाइट गार्डन को सांध्य वाटिका, गजिबो क्षेत्रों को त्रिपथ मंडपम व भैरव मंडपम, डेक-1 को अवंतिका और डेक-2 को कनकशृंगा नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंग्रेजी नामों पर आपत्ति जताई थी। उनके निर्देशों पर ही हिंदी नाम रखे गए हैं। आने वाले दिनों में दूसरे चरण के कार्य पूरे होने के बाद यह देश का एक गतिशील शहर बन जाएगा। 

 खुद शिव साधक हैं शिवराज

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं शिव भक्त है, वे महाकाल के न केवल समय - समय पर दर्शन करते रहे हैं बल्कि शाही सवारी में कई वर्षों से शामिल होते रहे हैं।  मुख्यमंत्री उज्जैन को धार्मिक पर्यटन नगरी के प्रमुख  रूप में उभारने को लेकर शुरुआत से प्रतिबद्ध रहे हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए  सिंहस्थ के  वर्ष 2017 में श्री महाकाल लोक की बड़ी योजना तैयार हुई। महाकाल लोक प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज प्रोजेक्ट के संबंध में समय - समय अधिकारियों के साथ कई दौर की मीटिंग्स की और स्वयं भी उज्जैन में जाकर किये जा रहे कार्यों का जायजा लिया। विभिन्न मौकों पर  मुख्यमंत्री शिवराज ने बाबा महाकाल से प्रदेश की जनता की सुख  समृद्धि के लिए कामना की। 

 


महाकाल के आगे नतमस्तक शिवराज सरकार

 

प्रदेश के मुख्य शिवराज सिंह चौहान हैं, लेकिन उज्जैन पहुंचते ही वे भी सेवक बन जाते हैं। इसका एक उदाहरण धार्मिक नगरी उज्जैन में पहली बार हुई कैबिनेट की बैठक में देखने को मिला। यहां पर मुख्यमंत्री शिवराज के साथ पूरी कैबिनेट बैठी। अध्यक्षता उज्जैन के महाराजा भगवान महाकाल ने की। टेबल की मुख्य सीट पर बाबा महाकाल की तस्वीर को आसीन किया गया। आसपास सीएम शिवराज और मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य बैठे। इस दौरान पूरी कैबिनेट नतमस्तक रही। बैठक में कैबिनेट ने शहर के विकास से जुड़ी कई योजनाओं को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट की बैठक के पहले खुद कहा कि महाकाल महाराज से सबके कल्याण की कामना करता हूं। महाकाल महाराज यहां के राजा हैं, हम लोग सेवक हैं। सेवक के नाते हम लोग महाकाल महाराज से प्रार्थना कर रहे हैं।

 


सोशल मीडिया भी हुआ महाकालमय

 जैसे - जैसे  महाकाल लोक के लोकार्पण का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे पूरा मध्यप्रदेश महाकालमय हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज ने सभी से अपील की है कि वह अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में श्री महाकाल लोक के लोगो वाली फोटो लगाएं।  इसकी शुरुआत खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्विटर हैंडल से हुई। मुख्यमंत्री शिवराज ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डीपी बदल ली है। उन्होंने प्रोफाइल पिक्चर पर महाकाल लोक का लोगो लगाया है। मुख्यमंत्री  शिवराज ने ट्विटर पर लोगों से अपील करते हुए लिखा कि 'पुण्य अवसर आया है, 11 अक्टूबर को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री महाकाल महाराज को अर्पित करेंगे "श्री महाकाल लोक" आइये,इस उत्सव के सहभागी बनें और अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल की डीपी व बैनर पर श्रद्धा भाव से श्री महाकालेश्वर की वंदना करें।  जय श्री महाकाल। '

 


मुख्यमंत्री शिवराज की अपील के बाद से ही सोशल मीडिया पर भी हजारों लोगों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्रोफाइल पिक्चर में महाकाल लोक का लोगो लगाया है। अब सोशल मीडिया पर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सोशल मीडिया भी महाकालमय हो गया है।

 आध्यत्मिक पर्यटन में होगा इजाफा

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि आज महाकाल लोक का इतना भव्य रूप सभी को आकर्षित कर रहा है। प्रदेश सरकार के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट से आध्यत्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन बढ़ेगा तो सीधे तौर पर वहां के आम आदमी का जीवन स्तर बेहतर होगा। रोजगार में वृद्धि होगी जिससे प्रदेश की धार्मिक नगरी को विश्व के नक़्शे पर एक अलग पहचान मिलेगी।

 


 शिव के नेतृत्व में नवाचारों का गढ़ बनता प्रदेश

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश भर में लगातार नवाचार किये जा रहे हैं। महाकाल लोक के अद्भुत और विहंगम रूप को पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए प्रदेश सरकार कई सारे नवाचार कर रही है। मुख्यमंत्री  चौहान ने कहा कि श्री महाकाल लोक का लोकार्पण अद्भुत समारोह होगा, इसमें जन-जन को जोड़ने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। पिछले कई दिनों से खुद मुख्यमंत्री  चौहान स्वयं प्रदेशवासियों को विभिन्न संचार माध्यमों से समारोह में आमंत्रित कर रहे हैं , वहीँ  उनके द्वारा यह आहवान भी किया जा रहा है कि प्रदेश के सभी मंदिरों में 11 अक्टूबर को दीप जला कर भजन-कीर्तन किये जाएँ। प्रदेश के देव स्थानों में दीपमालाएँ जला कर रोशनी की जाए। सभी जिलों के बड़े शिव मंदिरों में भजन और कीर्तन आदि हों और मंदिरों  बिजली की मालाओं की  रोशनी से जगमग किया जाए। उज्जैन के मुख्य कार्यक्रम का लाइव प्रसारण करने की व्यवस्था  की गई  है जिससे  देश और दुनिया में लोग इस ऐतिहासिक पल के  साक्षी बन सकें।

 


शिवमय होगा मध्यप्रदेश

11 अक्टूबर को पूरा मध्यप्रदेश शिवमय होने जा रहा है। अवसर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदेश की संस्कारधानी ऐतिहासिक, पौराणिक धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के  साथ ही पूरे प्रदेश में गाँव-गाँव, शहर-शहर देवालयों में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर शिव भजन, पूजन, कीर्तन, अभिषेक, आरती करेंगे। शंख-ध्वनि होगी, घंटे-घड़ियाल बजाए जाएंगे। मंदिरों, नदियों के तट तथा घर-घर दीपक जलाए जाएंगे। धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे तथा भोजन-भंडारे आयोजित होंगे।कार्तिक मेला ग्राउंड उज्जैन में प्रधानमंत्री मोदी के सभा-स्थल पर शिवमय थीम पर केन्द्रित साज-सज्जा की जाएगी। साथ ही विशेष ध्वनि, प्रकाश एवं सुगंध के माध्यम से मंदिर के पवित्र वातावरण का निर्माण किया जाएगा। संतों के लिए पृथक से मंच की व्यवस्था की गई है। प्रख्यात गायक श्री कैलाश खैर द्वारा महाकाल स्तुति गान होगा।

 

उज्जैन एवं इंदौर संभाग की प्रत्येक ग्राम-पंचायत से श्रद्धालु कार्यक्रम स्थल पर पहुँचेंगे। सभा स्थल पर एक लाख से अधिक नागरिकों की उपस्थिति की संभावना है। उज्जैन में शिप्रा नदी के सभी घाटों पर लगभग एक लाख श्रदालु एलईडी स्क्रीन के माध्यम से कार्यक्रम देखेंगे।

 धार्मिक नगरी ने रूप में मिलेगी उज्जैन को पहचान

 उज्जैन में महाकाल लोक के निर्माण का फायदा न केवल शिव भक्तों को मिलेगा बल्कि रोजगार और पर्यटन की दृष्टि से भी यह फलदायी होगा। महाकाल लोक में लाखों लोग एक साथ भ्रमण कर सकते हैं और रुकने की दृष्टि से भी इसे सर्व सुविधायुक्त बनाया गया है। अब शिव भक्त यहाँ महाकाल के दर्शन के लिए आएंगे भी और आराम से वे रुक भी सकेंगे। ऐसे में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मध्य प्रदेश में मालवा का यह सम्पूर्ण क्षेत्र धार्मिक कॉरिडोर के रूप में पहचान बनाने में  सफल होगा। महाकाल लोक की लोकप्रियता और आकर्षण से इस क्षेत्र में नये-नये उद्योग भी बढ़ेंगे। सांस्कृतिक विरासत,रोजगार और पर्यटन के अदभुत केंद्र के रूप में दुनिया भर में अपना विशिष्ट स्थान बनाने में यह सफल होगा।

 

Friday 7 October 2022

अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय 'महाकाल लोक'

 

 



 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देश आधारभूत संरचनाओं के मामले में न केवल विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत को दुनिया के मानचित्र पर नई पहचान मिल रही है। उनके कुशल नेतृत्व में हमारे देश के कई वर्षों की समृद्ध विरासत को न केवल संजोने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्स्थापित  करने का भी बेहतर प्रयास किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर से लेकर केदारनाथ धाम,  रामजन्मभूमि से लेकर  श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के सौंदर्यीकरण और सोमनाथ मंदिर जैसे देश के इन ऐतिहासिक स्थलों का अब कायाकल्प हो गया है। अब इसी क्रम में देश के हृदय स्थल  मध्य प्रदेश का महाकाल लोक भी तैयार है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी 11 अक्टूबर को करने जा रहे हैं। काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में देश को बड़ी सौगात भी मिली थी, लेकिन उससे कहीं अधिक भव्य महाकाल लोक की परिकल्पना इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रही है। 

 धार्मिक नगरी  उज्जैन का प्राचीन वैभव विराट

 महाराज विक्रमादित्य की प्रसिद्ध नगरी उज्जैन भारत की अत्यंत प्राचीन नगरी है।  पुरातन साहित्य में अनेक स्थान पर इसकी महिमा बताई गई है। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से उज्जैन का बड़ा महत्व रहा है। पौराणिक महत्त्व की दृष्टि से इसका उज्जयिनी नाम इसलिए पड़ा कि त्रिपुरासुर को मारने के लिए देवताओं के साथ भगवान शिव ने महाकाल वन में रक्तदन्तिका चंडिका की आराधना करके महापाशुपत अस्त्र प्राप्त किया और उससे त्रिपुरासुर का वध किया।प्रबल शत्रु को 'उज्जित' करने के कारण ही इसका नाम उज्जयिनी पड़ा जो आगे चलकर उज्जैन के नाम से जाना जाने लगा। इसका प्राचीन नाम अवंतिका भी कहा जाता है। यह पवित्र नगरी देवता, तीर्थ, औषधि, बीज और प्राणियों का अवन अर्थात रक्षण करती है। स्कंदपुराण में इस नगरी को 7 प्राचीन  नगरियों में गिना जाता है। यह नगरी काशी से दस गुना पुण्यदायी बताई गई है। 

 वामन पुराण में भी उल्लेख किया गया है प्रह्लाद ने उज्जैन में क्षिप्रा नदी में स्नान करके महाकाल के दर्शन किये थे। महाकाल भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसकी महिमा का वर्णन महाभारत में भी मिलता है। महाकाल के निकट कोटि तीर्थ का स्पर्श होने से अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। यहीं पर वासुदेव श्रीकृष्ण , उनके भाई बलराम और सुदामा ने उज्जैन में ही सांदीपनि के आश्रम में विद्या प्राप्त की थी।  ज्योतिष में भी उज्जैन का बड़ा  महत्व रहा  है। काल गणना के लिए देशांतर की शून्य रेखा उज्जैन में होकर गई जिसका उल्लेख भास्कराचार्य द्वारा रचित सिद्धांत शिरोमणि में मिलता है जिसमें कहा गया है लंका से उज्जैन और कुरुक्षेत्र होते हुए जो रेखा मेरु पर्वत तक पहुँचती है, वह मध्य रेखा मानी गई है। इसी के संकेतस्वरूप उज्जैन की वेधशाला आज भी कार्य कर रही है। प्राचीन भारतीय साम्राज्यों और सभी धर्मों और संस्कृतियों से इस नगरी का विशेष सम्बन्ध रहा है। 

 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल

 पवित्र नगरी उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकाल की महिमा का विभिन्न पुराणों में  विस्तृत  वर्णन किया गया है। कालिदास जैसे  संस्कृत  के महान कवियों ने इस मंदिर को भावनात्मक रूप से समृद्ध किया है। उज्जैन प्राचीन काल से  भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था। समय के देवता, शिव अपने सभी वैभव में, उज्जैन में शाश्वत शासन करते हैं। महाकालेश्वर का मंदिर, इसका शिखर आसमान में चढ़ता है, आकाश के खिलाफ एक भव्य अग्रभाग, अपनी भव्यता के साथ आदिकालीन विस्मय और श्रद्धा को उजागर करता है। महाकाल शहर और उसके लोगों के जीवन पर हावी है।  भगवान महाकाल  के दर्शन से नि:सन्देह मुक्ति पद प्राप्त होता है। यहां तक कहा गया है कि संसार में वे मनुष्य धन्य हैं, जो निरन्तर  महाकाल के दर्शन के करते हैं। महाकाल की अद्भुत महिमा को लेकर वृतान्त भरे पड़े हैं ।

  नवनिर्मित देवलोक कॉरिडोर ने बदला उज्जैन का नजारा

 भगवान शिव के महाकालेश्वर धाम कॉरिडोर का नजारा बिल्कुल देवलोक में बदल गया है। अब इस परिसर में शिव पुराण में मौजूद  भोलेनाथ के 200 रूपों की प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी। इनके  अलावा अभी इस नवनिर्मित कॉरिडोर के भीतर सप्तर्षियों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं जिनमें महर्षि कश्यप, महर्षि भारद्वाज, अत्रि, महर्षि गौतम, महर्षि विश्वामित्र, जमदग्नि और महर्षि वशिष्ठ की प्रतिमाएं हैं।  नवनिर्मित  महाकाल लोक  भारत की  सनातन संस्कृति की पौराणिकता और नूतनता का अद्भुत संगम है।  इसकी भव्यता आज उज्जैन की सुंदरता पर चार चांद लगा रही है। 

 

 2019 में मिली कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मंजूरी

 2019 में महाकाल कोरिडोर के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी। जब इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली तब इसका बजट महज 300 करोड़ रुपए था लेकिन मध्य प्रदेश की सत्ता में बीजेपी के आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में इसका बजट दोगुने से भी अधिक कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में सिंहस्थ-2016 में उज्जैन में विश्व स्तरीय अधो-संरचना का विकास किया गया था। अब उनके अथक प्रयासों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी के विजन से महाकाल लोक के माध्यम से उज्जैन को देश और दुनिया में नई पहचान मिल रही है। 

पहले चरण के कामों ने बदली सूरत

 पहले चरण में महाकाल के आँगन में छोटे एवं बड़े रूद्र सागर, हरसिद्धि मन्दिर, चार धाम मन्दिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। इसके अलावा सप्तर्षियों की प्रतिमाएं, महाकालेश्वर वाटिका, शिवा अवतार वाटिका, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला, शिव तांडव स्त्रोत, और शिव विवाह प्रसंग जैसी चीजें देखने को मिलेंगी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणना में संख्या 108 का विशेष महत्व है फिर चाहे वह मंत्रोचार हो, जप मालाएं हो या फिर या फिर कुछ और हर जगह 108 संख्या को शुभ माना जाता है। इसी तर्ज पर महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को भी 108 स्तंभों पर बनाया गया है। 910 मीटर का यह पूरा महाकाल मंदिर परिसर 108 स्तंभों पर टिका होगा।  मंदिर परिसर में शिव तांडव स्त्रोत शिवविवाह प्रसंग पार्किंग स्थल, धर्मशाला और कई अन्य सारी चीजें बनाई गई हैं लेकिन  महाकाल वन सबका ध्यान अनायास ही खींच रहा है  जिसका निर्माण संस्कृत के महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन के वर्णन और चित्रण के आधार पर किया गया है। इन सबके अलावा मंदिर परिसर कार और मोटर बाइक पार्किंग सुविधाओं का विकास भी किया गया है जिनमें एक समय में  कई हजार गाड़ियों को पार्क किया जा सकता है।

  यहाँ पर पग यात्रियों  के लिए 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी म्युरल वॉल बनाई गई है। शिव स्तंभ, शिव की मूर्तियां  अलौकिक  छटा को  बिखेर रहे हैं। यहाँ पर लोटस पोंड, ओपन एयर थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी  बनाए गए हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में साफ़ पानी भरा गया है।  महाकाल थीम पार्क में भगवान श्री महाकालेश्वर की कथाओं से युक्त म्यूरल वॉल, सप्त सागर के लिए डैक एरिया एवं उसके नीचे शॉपिंग और बैठक क्षेत्र सुविधाएँ विकसित की गई हैं। इसी तरह त्रिवेणी संग्रहालय के समीप कार, बस और दोपहिया वाहन की मल्टीलेवल पार्किंग बन चुकी है। इस क्षेत्र में धर्मशाला एवं अन्न क्षेत्र भी  हैं। रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की अब बेहतर कनेक्टिविटी विकसित की गई है। मिड-वे झोन में पूजन सामग्री की दुकानें, फूड कोर्ट, लेक व्यू रेस्टोरेंट, लेक फ्रंट डेवलपमेंट, जन-सुविधाएँ और टॉवर सहित निगरानी एवं नियंत्रण केन्द्र की स्थापना भी की गई है जो इस परिसर के बदलते रूप को बता रहा है। 

 2.2 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हेक्टेयर से अधिक हो गया है परिसर

 पहले मंदिर का परिषद महज 2.2 हेक्टेयर था। नवनिर्मित परिसर लगभग 20 हेक्टेयर से भी अधिक का हो गया है। महाकाल लोक  का यह नवनिर्मित कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर से लगभग 4 गुना बड़ा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के नवनिर्मित परिसर का क्षेत्रफल 5 हेक्टेयर है जबकि महाकाल मंदिर के जिस कोरिडोर का उद्घाटन होने जा रहा है उसके परिसर का क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर से भी अधिक है। अब महाकाल मंदिर का यह परिसर इतना बड़ा हो चुका है कि इस समय 1 घंटे में  लाखों  श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।

 धर्म नगरी उज्जैन को मिलेगी एक नई पहचान

 महाकाल कॉरिडोर के निर्माण से भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, वे कथाएं अब धर्मनगरी उज्जैन में जीवंत हो उठेंगी साथ ही देश और दुनिया से महाकाल का दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में भक्तों पहुंचेंगे जिससे उज्जैन शहर में पर्यटन नई  ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। 

 

 जनता में  बढ़ाफ्लाईओवर सेल्फीका  क्रेज

 पिछले महीने मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल की महाकाल नगरी में हुई आज़ादी के बाद की  पहली बैठक के बाद फ्लाईओवर सेल्फीके लिए लोगों की दीवानगी बढ़ गई है। इस  प्रोजेक्ट की भव्यता को लेकर स्थानीय लोग उत्साहित हैं। हर दिन सूरज के ढलने के बाद काफी संख्या में लोग ओवरब्रिज के पास एकत्र होकर प्राचीन रुद्रसागर झील की छटा को निहारते हैं और और उसे अपनी  सेल्फीमें कैद करने की कोशिश करते हैं। सरकार के प्रयासों  के चलते अब यहाँ श्रद्धालुओं को पहुंचने और महाकाल  के दर्शन करने में आसानी होगी।

 पर्यटन विकास को लगेंगे नए पंख

 महाकाल लोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से होने के बाद  प्रदेश के पर्यटन विकास को नए पंख लगेंगे।  प्रधानमंत्री के आने का कार्यक्रम तय  होने के बाद से  उज्जैन में पिछले  कई दिनों से  25 से 30  हजार श्रद्धालु और पर्यटक आने लगे हैं। लोकार्पण के पहले ही महाकाल कारिडोर में भी  भक्तों की आवाजाही बढ़ गई है। ऐसे में जब महाकाल कारिडोर का भव्य लोकार्पण हो जाएगा तो भक्तों और पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा होना तय माना जा रहा है। इससे जहाँ पर्यटन व्यवसाय बढ़ेगा वहीँ दुनिया के धार्मिक पर्यटन का मुख्य केन्द्र भविष्य में उज्जैन बन जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये इस पूरे इलाके में विशेष प्रयास किये जा रहे है।  उज्जैन में धार्मिक पर्यटन की असीम और अपार संभावनाएं हैं। महाकाल लोक की परिकल्पना जिस तरह से साकार हुई  है उसे देखते हुए कहा जा सकता है शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर  लाना एक बड़ा काम है।

 उज्जैन में कम से कम दो दिन

 उज्जैन जिला प्रशासन ने महाकाल लोक को एक नई टैग लाइन दी है, जिसमें लिखा है उज्जैन में कम से कम दो दिनयानि अब आप उज्जैन आएंगे तो यहां महाकाल लोक एवं दर्शन के साथ-साथ पूरे शहर में घूमने के लिए आपको दो दिन का वक्त निकालना होगा। इसे यहाँ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। 

 दूसरा चरण

 महाकाल लोक क्षेत्र विकास योजना के दूसरे चरण ‘’मृदा प्रोजेक्ट-2’’ में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा। इस चरण के कार्य वर्ष 2023-24 में पूर्ण होंगे। इसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, पुराने अवशेषों का समावेश कर भवन का आंशिक उपयोग कुंभ संग्रहालय के रूप में करते हुए इस परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण किया जायेगा।  महाराजवाड़ा परिसर का भी विकास किया जायेगा जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश एवं इस परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण होगा। स्थानीय कला एवं संस्कृति को दर्शाते हुए सांस्कृतिक हाट का भी यहाँ निर्माण होगा। रामघाट फसाड ट्रीटमेंट के घटक में रामघाट की ओर जाने वाले पैदल मार्ग का कायाकल्प, फेरी एवं ठेला व्यवसाइयों के लिये अलग व्यवस्था, वास्तुकलात्मक तत्वों के प्रयोग द्वारा गलियों का सौन्दर्यीकरण रामघाट पर सिंहस्थ थीम आधारित डायनेमिक लाइट शो किया जायेगा। पार्किंग, धर्मशाला, प्रवचन हॉल एवं अन्न क्षेत्र का भी निर्माण किया जा रहा है।

 छोटा रूद्र सागर लेक फ्रंट विकास योजना में लैंडस्केपिंग सहित मनोरंजन केन्द्र, वैदिक वाटिका एवं योग केन्द्र, मंत्रध्वनि स्थल एवं पार्किंग का विकास  भी सरकार की प्राथमिकताओं में है। रूद्र सागर को शिप्रा नदी से जोड़ा जायेगा। हरि फाटक ओवर ब्रिज की चारों भुजाओं को चौड़ा किया जायेगा और जयसिंहपुरा के समीप रेलवे अण्डरपास बनाया जायेगा। महाकालेश्वर थाने के पास स्थित महाकाल द्वार का संरक्षण किया जायेगा और यहाँ हेरिटेज कॉरिडोर विकसित होगा। इसी तरह बेगमबाग क्षेत्र का विकास एवं सौन्दर्यीकरण भी होगा। रूद्र सागर पर 210 मीटर लम्बा पैदल पुल बनाया जायेगा, जो पीएचई की पानी की टंकी से महाकाल थीम पार्क को जोड़ेगा। इस चरण में श्री महाकाल मन्दिर परिसर के आगे के भाग का लगभग 70 मीटर तक विस्तार किया जायेगा।  इस क्षेत्र में बैठने का स्थान, लैंडस्केपिंग एवं पैदल मार्ग भी प्रस्तावित हैं।

 इस प्रकार महाकाल लोक की निराली महिमा यहाँ के कण- कण में समायी हुई है। उज्जयिनी, अवंतिका, अमरावतीपद्मावती, कुशस्थली, भोगवती, हिरण्यवती, कनकशृंगा, कुमुद्धवती, प्रतिकल्पा, विशाल और अवन्ति आदि नामों से पूजनीय महाकाल की नगरी का स्मरण अक्षय फल प्रदान करने वाला है।