Thursday 28 October 2010

ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के नाम पर छलावा...........


हफ्ता भर पहले मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग में प्रदेश की उद्योग मंत्री कैलाश विजय वर्गीय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने का अवसर मिला... मौका था ग्लोबल इन्वेस्टर मीट को लेकर सरकार की नीतियों का गुणगान करनेका... मै इस प्रेस मीटिंग में देरी से पंहुचा....

जनसंपर्क विभाग के जिस कक्ष में इन्वेस्टर मीट की पी सी रखी गई थी वहां पैर रखने भर की जगह नही थी.... आमतौर पर भोपाल में बड़े बड़े चैनलों के रिपोर्टर कभी फील्ड में अपने कैमरामैनों के साथ नजर नही आते है ..... लेकिन जब भाजपा के बड़े बड़े नेताओं की प्रेस वार्ताए और पत्रकारों की मंत्रियो के आवासों पर दावते हुआ करती है तो अपने को बड़ा चैनल कहने वाले कुछ पत्रकार ऐसी पार्टियों में सबसे पहले मंत्रियो के सामने बैठा करते है....

कैलाश विजय वर्गीय की इस पी सी में भी यही नजारा दिखायी दिया ..... मंत्रियो की चरण वंदना करने भास्कर से लेकर अमर कीर्ति तक के सारे पत्रकार पहुच गए... चैनलों की बात करू तो अपने को सबसे तेज कहने वाले पत्रकारों से लेकर डोट कॉम तक के सारे पत्रकार इस आयोजन में पहुचे..... भला पहुचे भी क्यों ना क्युकि खजुराहो में बड़े बड़े उद्योग मंत्रियो का कुनबा जो जुट रहा था .... मंच पर भाजपा के मध्य प्रदेश के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा के साथ प्रदेश के उद्योग मंत्री कैलाश विजय वर्गीय विराजमान थे.......

कैलाश की पूरी पी सी सरकार की उद्योग नीति पर केन्द्रित थी... उसमे बड़े बड़े वायदे किये जा रहे थे... टाटा सेलेकर अम्बानी ...रुइया से लेकर सुभाष चंद्रा के कसीदे पड़ने के साथ ही उन महानुभावो का गुणगान किया जा रहा था जो अपने लाव लश्कर के साथ शिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने की संभावनाओ को तलाशने यहाँ आये थे ...

कैलाश विजयवर्गीय ने पूरी पी सी में अपनी सरकार का गुणगान किया और कहा कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के प्रयासों से बड़े बड़े उद्योग राज्य में आये है और यहाँ निवेश की सम्भावनाये मजबूत हुई है.....

शायद कैलाश को यह बात मालूम नही थी कि मध्य प्रदेश में निवेश करने से देश के उद्योगपति कतराने लगे है..... यह सवाल किसी पत्रकार के जेहन में नही आया .... अगर आता तो उनसे जरुर सवाल जवाब होते और वह पत्रकारों के जाल में फस जाते .....
मै पी सी में देरी से पंहुचा... मेरे साथ एक चैनल के एक रिपोर्टर और थे ... हम दोनों ने पी सी वाले रूममें देरी से प्रवेश किया... मेरे साथी रिपोर्टर तो पी सी में खड़े ही रह गए ॥ लेकिन भारी भीड़ को दरकिनार करते हुए मै सीधे पत्रकारों के बीच पंहुचा ...


मेरे बगल में एक हिंदी समाचार पत्र के पत्रकार बैठे थे... उन्होंने बड़ी आत्मीयता से मुझसे हाथ मिलाया और मेरे लिए जगह बनाई.... उनसे जब मेरी गुप्तगू हुई उस समय कैलाश की पी सी पर चल रही थी तो खजुराहो का मुद्दा भी गर्मजोशी के साथ उठ गया ... मैंने उनसे कहा शिवराज सरकार की अब तक की सारी इन्वेस्टर मीट छलावा ही साबित हुई है....

ऐसा कहने के बाद उन्होंने मेरे सुर में सुर मिलाया और कहा हर्ष जी आपकी बात सोलह आने सच है.... लेकिन किसी पत्रकार ने उनसे वैसे सवाल करने की जहमत नही उठाई .... अगर उठाते तो शायद खजुराहो के प्रचार प्रसार के लिए मिलने वाले विज्ञापन से उन्हें महरूम होना पड़ता .....

कैलाश विजय वर्गीय"शिव" के जिन आकड़ो के सहारे अपनी जादूगरी कर रहे थे वह उनको नही भाई और तपाक से कैलाश के सामने उन्होंने सवाल दागा ... करोडो रुपये फूकने के बाद मध्य प्रदेश में किसी निवेशक का ना आना चिंता का विषय है ....

इस प्रश्न के उत्तर में कैलाश ने फिर एक बार अपने विभाग की चरण वंदना करनी शुरू कर दी......जब पत्रकार ने यह पूछा कि पिछले पांच इन्वेस्टर मीट में कितने उद्योग लगे है तो कैलाश नाराज हो गए और उस पत्रकार की बात को टालते हुए चालाकी से अलग विषय को पत्रकार वार्ता में रखने लगे...... यह वाकया ये बताने के लिए काफी है कि आम आदमी के सरोकारों की बात करने वाली हमारी सरकारे विकास को लेकर कितना संवेदनशील है..... ?


मजे की बात यो यह है जिस मुखिया के उद्योग मंत्री को अपने विभाग द्वारा किये गए करारो के बारे में कोई जानकारी नही हो , वहां विकास की गाड़ी किस तरीके से हिच्खोले खाते चल रही होगी इसकी कल्पना आप बखूबी कर सकते है......यकीन जानिये मध्य प्रदेश में कोई उद्योगपति चाहकर भी नही आना चाहते ....इसका कारण यहाँपर बुनियादी सुविधाओं की कमी है... हालाँकि शिवराज के आने के बाद यहाँ पर विकास की रफ़्तार में तेजी आई है लेकिन अभी बहुत से ऐसे मामले है जहाँ बीमारू राज्य का कलंक मध्य प्रदेश नही छूट रहा है...


शिवराज कहते है मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड विकास हो रहा है.... कैलाश तो आकड़ो की बाजीगरी करना बखूबी जानते है ॥ वह भी उनके सुर में सुर मिलते कहते है हम निवेशको को अपनी ओर खीचने में कामयाब हुए है ....लेकिन यह बात प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को नही सुहाती वह शिवराज और विजयवर्गीय के आकड़ो को सिरे से नकार देते है.....

बात खजुराहो की करे तो यहाँ भी हर घंटे ढाई करोड़ के निवेश की बात की गई लेकिन प्रदेश में आकर भारी उद्योग मंत्री अरुण यादव शिवराज सरकार के दावो को सिरे से नकार कर चले गए..... और तो और कांग्रेस पार्टी का कोई बदा नेता खजुराहो की मीत में शिरकत करने आमंत्रण दिए जाने के बाद नही आया ....

आकड़ो की बाजीगरी करने में शिवराज सरकार सबसे तेज है... उनके भाषणों में यह अंदाज झलकता है.... ऐसा नही है मै शिवराज जी की बुराई कर रहा हूँ.... उनकी काबिलियत पर तो किसी तो कोई संदेह नही होना चाहिए लेकिन नौकरशाह के साथ उनके मंत्री मिलकर सरकार की छवि खराब करने में तुले रहते है जिसके छींटे उनकी साख को भी प्रभावित करते है.....

अब कैलाश का ही मामला अगर ले तो यह बात अच्छी से समझ आती हैकि कैलाश अपने विभाग की कार्यशैली से कितना वाकिफ है .... अगर उनको अपने विभाग की जानकारी सही से होती तो जनसंपर्क की पी सी में उस पत्रकार के सवाल को कैलाश चालाकी से नही टालते.......

शिवराज सरकार ने पिछले कुछ वर्षो में निवेशको को आकर्षित करने के लिए पांच इन्वेस्टर मीट पर ६ करोड़ से ज्यादा पैसा लुटा दिया लेकिन इस अवधि में प्रदेश में उस अनुपात में उद्योग नही लगे जिस अनुपात में लगने चाहिए थे.....

तीन सालो में तकरीबन ५ मीटो में जनता की गाड़ी कमाई को पानी की तरह बहाया गया.... लेकिन जनता को इन करारो से कुछ भी हासिल नही हुआ... इन्वेस्टर के नाम पर विदेश यात्राये करने में भी मध्य प्रदेश के मंत्री पीछे नही रहे....तीन से ज्यादा विदेश यात्रा में भी करोड़ रुपये फूकने के बाद बमुश्किल १०० करोड़ से भी कम का निवेश हुआ है....

अब तक अपने राज्य में हुई मीटो का जिक्र करे तो तीन सालो की समिट में ३३३ ऍम ओ यू हुए जिनमे १३ ऍम ओ यू पर ही आज तक अमल हो सका है ॥ यही नही खजुराहो , इंदौर , ग्वालियर , बुंदेलखंड की जिन मीटो में उद्योगों को लगाये जाने की बात उद्योगपति कर रहे थे वह आज मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने की अपनी घोषणा से मुकर चुके है..... ६८ के पीछे हटने और ७५ मामलो में जमीन नही ढूढे जाने के चलते मध्यप्रदेश की सरकार की पिछली मीट इन्वेस्टर मीट छलावा ही साबित हुई है....

खजुराहो की जिस मीट पर प्रदेश के मुख्य मंत्री और उद्योग मत्री अपनी पीठ थपथपा रहे है उनको यह मालूम नही कि सरकार की पिछली मीट कितनी बेनतीजा रही है ....१३ उद्योग तो बिना इन्वेस्टर मीट के भी मध्य प्रदेश में लग सकते थे....लेकिन ये मनमोहनी इकोनोमिक्स वाला इंडिया है यहाँ आम आदमी की किसी को परवाह नही है.... अगर परवाह होती तो जनता की गाडी कमाई शिवराज सरकार इस तरह इन्वेस्टर मीटो के आयोजन में नही लुटाती................................

दीपावली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये...... छुट्टियों को मनाने अपने घर उत्तराखंड आज जा रहा हूँ..... वहां से लौटने के बाद ब्लॉग पर नई पोस्ट पड़ने को मिलेगी..... सब्र रखिये , कीजिये थोडा इन्तजार..... एक अंतराल के बाद फिर आपसे जुड़ता हूँ...........

Wednesday 13 October 2010

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आज सुबह जब घर से निकला तो कोई खबर नही मिल रही थी...... नजर दीवार पर लगे इस बोर्ड की महान विभूतियों पर गई .....यह सभी हमारा हाथ आम आदमी के साथ जैसे नारों का प्रतिनिधित्व करते नही थकते..... आज आम आदमी हाशिये पर है..... महंगाई ने उसका जीना मुहाल कर लिया है ..... यह स्केच भी इसी की बानगी दिखा रहा है ..........

नव दुर्गा के अवसर पर अपने मोहल्ले की गलियों में इसे सजा रखा है अभिषेक नाम के एक युवक ने... आज जब मेरी नजर इस बोर्ड पर गई तो सारा मोहल्ला कैमरे के सामने आने लगा ....टी वी में अपनी तस्वीरे देखने का मन किसे नही होता.... आज नजारा देखकर लगा मीडिया से लोग चमत्कार की उम्मीदे क्यों करते है ....


स्केच है यू पी ऐ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का जिनको चोर उच्चका गठबंधन का अध्यक्ष बताया गया है....... शायद यह महंगाई का डंक है........

यह मनमोहन नही कुम्भकरण सिंह है........इनके पास बर्बादी विभाग है...... गरीबो को नही जीने देने की कसम इन्होने खायी है.........

इससे नीचे की तस्वीर में यह है हमारे देश के दुलारे कृषि कम क्रिकेट मंत्री शरद पवार जिनको अनाज की कोई परवाह नही है.....वह कहते है न मैं कोई ज्योतिष तो नही हूँ जो कह सकू महंगाई कम हो जाएगी..................

छमा प्रार्थी हू ..... पिछले एक महीने से ब्लॉग पर कुछ नया नही लिख पाया...... आज से नई पोस्ट की शुरुआत कर रहा हू......आशा है आप निराश नही होंगे..... बीते एक महीने से बहुत व्यस्त लाइफ चल रही है....दिन हो या रात हो फुर्सत ही नही हो पा रही थी.... प्रोपर ६ घंटे नीद भी नही ले पा रहा था....ऊपर वाले से दुआ करूँगा ऐसी व्यस्त लाइफ वह किसी को भी न दे..... व्यस्त होने की वजह पर फिर कभी बात होगी.......
"अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा " बचपन में हिंदी के अध्यापक कालोनी जी ने राहुल सांकृत्यायन की लेखन शैली के बारे में पदाया था .... इसका असली महत्व अब समझ में आ रहा है जब पत्रकारिता के फील्ड में रहकर खबरों की खोज खबर कर रहा हूँ.....पत्रकारिता में एक फंडा है किसी भी व्यक्ति के पास नोज फॉर न्यूज़ होनी चाहिए ....लेकिन कट , कॉपी ,पेस्ट के जमाने में आज खबरे दम तोड़ रही है....
आजकल तो फील्ड में जाने से पत्रकार कतराने लगे है ... एयर कंडिशनर रूमों में बैठकर खबरे चुराने का चलन चल पड़ा है ...डोट कॉम के अधिकतर पत्रकार यही सब कर रहे है... आम आदमी उनके भी हाशिये पर है...पेज थ्री वाली खबरों से फुर्सत मिल सके तब तो आम आदमी की बात हो पायेगी....... ऐश्वर्या के प्रेग्नेंट होने को तरजीह देने और युवाओ में कंडोम का चलन बढ़ने वाली खबरे देने से आम आदमी से जुडाव रखने वाली खबरे अटकी रह जाएँगी ॥

अभिषेक के पडोसी तो इस काम की सराहना कर ही रहे थे साथ ही उसके मोहल्ले में दुर्गा जागरण के अवसर पर महंगाई डायन का जागरण हो रहा है.... कीमते इतनी तेजी से बदती जा रही है कि लोगो का जीना मुश्किल होता जा रहा है .... एक देवी ने मुझे बताया अगर यही सब रहा तो लोगो का अगले चुनाव में कांग्रेस से भरोसा उठ जायेगा......
वैसे लोगो का भरोसा सरकार से उठने लगा है ॥ तभी एक महिला ने मुझसे बातचीत करते हुए कहा कि सरकारे कीमते कम करने की दिशा में कोई ठोस कदम नही उठा रही है.... अगर यह सब होता तो आज दैनिक उपभोग की चीजे इतनी महंगी नही होती......कालाबाजारी और वायदा का कारोबार ही इतना ज्यादा है कि सरकार जमाखोरों पर अंकुश नही लगा सकती......
शरद पवार जैसे मंत्री तो पूरे साल के ३६५ दिनों में से ३६ दिन अपने मंत्रालय को दे पाते है ... बचे दिन वह क्रिकेट की यात्राओं में लगा दिया करते है .....ऐसे में क्या होगा हमारे किसान का.... ? वह तो आत्महत्या करेगा ही.......बेचारी पीपली लाइव भी लोगो को आत्महत्या करने से नही रोक पा रही है .... मध्य प्रदेश में भी अब किसान आत्महत्या की मामले बढ़ते ही जा रहे है॥ कल ही एक गाव के मेहनती किसान से बात हो रही थी... उसने कहा साहब खेती बाड़ी में अब कुछ बचा नही है.... बस हम सब जैसे तैसे अपने दिन काट रहे है.....
कुछ समय पहले पीपली लाइव के "नत्था " से मिलना हुआ .... उसकी तकदीर फिल्म आने के बाद भी नही बदल पायी है.....आज भी उसके पास रहने को खुद का मकान नही है... उसने एक बहुत अच्छी बात कही जो मेरे दिल को छू गई..... उसने कहा मैं नही चाहता कोई नत्था देश में फिर से आत्महत्या करे........लेकिन क्या करे किसान का दर्द आज कोई समझ नही सकता ......उनकी जमीनों को कोडियो के भाव या तो बेचा जा रहा है या उन पर सेज बने जा रही है ... ऐसे में देश की कृषि विकास दर २ फीसदी फिसड्डी से आगे बद पानी मुश्किल दिखाई देती है