Thursday, 9 July 2009
पवार की कांग्रेसी दरियादिली...................................
" प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी हो गई मै दीवानी...... बलि बलि जाऊ मैं अपने पिया को जाऊ मैं वारी वारी ....." कैलाश खैर , का यह गाना अपने को बहुत अच्छा लगता है .... जिस अंदाज से वह यह गाना गाते है वह दिल खुशकर देता है... उनके इस सूफियाने अंदाज का मै कायल हूँ .... खैर ऐसी ही प्रीत की लत इन दिनों शरद पवार को लग गई है जिन पर यह गाना फिट बैठता है...
दरअसल मामला ही कुछ ऐसा है ... अभी कुछ समय पहले मुंबई में बान्द्रा वर्ली सी लिंक परियोजना को अमलीजामा पहनाया गया .... इसको हरी झंडी यू तो बहुत समय पहले ही मिल गई थी लेकिन कार्य की सही प्रगति न होपाने के चलते इस परियोजना पर संकट के बादल छा गए थे ... जाहिर सी बात है देरी के कारण परियोजना की लागत में इजाफा हो गया ... अनुमान के मुताबिक १६०० करोड़ की लागत से बने इस पुल की लम्बाई पाँचकिलोमीटर से अधिक है जिसके बन जाने के बाद बान्द्रा से वर्ली तक का सफर 7 से ८ मिनट में पूरा होगा ....
इस लिंक के शुरू होने के समय मुख्य अतिथि यू पी ऐ की अध्यक्ष सोनिया गाँधी थी .... सोनिया के साथ मंच पर शरद पवार थे ... साथ ही एन सी पी के कई नेता भी चहलकदमी करते देखे गए... एक बात जिसने सभी का ध्यान खीचा ,वह था इस लिंक का नाम राजीव गाँधी के नाम से रखने की बात शरद पवार ने की ... माना जाता है शरद पवार ने एक सोची समझी रणनीति के तहत यह सब किया... पवार की यह राजनीती ख़ुद उनकी पार्टी के साथ विपक्षियों को भी पसंद नही आ रही है ॥ लंबे समय से " मराठी मानुष " के जिस मंत्र के आसरे पवार अपनी " घड़ी " के जरिये राजनीती को आगे बढाया करते है आज वही राजीव गाँधी के नामकरण का प्रस्ताव अगर करे तो इसमे आश्चर्य की बात तो होगी ही.... सियासत भी जोर शोर से होगी ही......
भाजपा शिव सेना इस पर विरोध को उतारू हो गए है ॥ यह दोनों पार्टी इस लिंक का नाम सावरकर के नाम से करने की बात कर रहे थे परन्तु उनके उम्मीदों पर पलीता ख़ुद शरद पवार ने लगा दिया है... पलीता लगाने की इस " पवारी स्टाइल" को लोग नही पचा पा रहे है ..... बताया जाता है जैसे ही पवार ने समारोह में लिंक का नाम राजीव गाँधी के नाम से करने का प्रस्ताव रखा वैसे ही महारास्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चौहान ने इसके लिए अपनी हामी भर दी..... विश्लेषक इसके पीछे कई कारणों को देख रहे है जिसके चलते आज पवार ने सभी के सामने नतमस्तक होने का मन बनाया ...
महारास्ट्र में इस साल के अंत में विधान सभा चुनाव होने है ... इन चुनावो में शरद पवार अकेले चुनावी रणभूमि में उतरेंगे ऐसी सम्भावना बहुत कम दिखाई देती है ॥ वैसे भी पवार को पन्द्रवी लोक सभा के परिणामो ने जमीन दिखा दी है ॥ इस चुनाव में पवार ने अपने को जोर शोर से देश के प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया था ... आडवाणी के बाद अगर कोई नेता पी ऍम इन वेटिंग की कतार में खड़ा था तो वह अपने शरद पवार ही थे.... इस चुनाव में एक ओर वह महारास्ट्र में कांग्रेस के साथ २६_ २२ की पिच पर खेल रहे थे वही नवीन पटनायक पर डोरे डालने के साथ ही वामपंथियों को भी अपने पाले में लाने की पुरजोर कोशिसो में लगे थे .... परन्तु राजनीती तो ऐसी ही चीज है ... पवार की पी ऍम बन्ने की उम्मीदों पर धक्का लग गया॥ वैसे भी जोर का झटका धीरे से लगता है ॥जिसके झटको से वह अभी तक नही उबर पाये है... पवार को इसका बखूबी एहसास अब होने लगा है॥ पन्द्रवी लोक सभा में " घड़ी" चुनाव चिन्ह से पवार के ८ प्रत्याशी विजयी हुए है जिसको देखते हुए इस बार वह महारास्ट्र में कोई " रिस्क " मोल लेने के मूड में नही दिखाई देते...
इस बार पवार ने पुल के बहाने राजीव का नाम लेकर सोनिया का गुणगान करने का मौका अपने हाथ से नही जाने दिया है... जो दल सावरकर के नाम पर राजनीती कर रहे है उनकी मुहिम पर भी पवार ने करार तमाचा जड़ दिया है ... भाजपा शिवसेना ने इस पुल का नाम सावरकर के नाम पर करने का शिगूफा छेड़ते हुए कहा सावरकर की पेदायिश महारास्ट्र की है लिहाजा इस पर पहला हक़ उन्ही का बनता है ... एन सी पी अध्यक्ष पवार ने इसे बड़ी चालाकी से टालते हुए कहा है राजीव गाँधी भी मराठा भूमि पुत्र है.... उनके इस ब्यान से स्वयं ऍन सी पी कार्यकर्ता सकते में है ॥ महारास्ट्र के एन सी पी कार्यकर्ता से ही इस पर अगर आप बात करे तो वह अपना मुह खोलने से बच रहे है... इशारे इशारे में वह शरद पवार की कार्य शेली पर सवाल उठा देता है ...
लोक सभा चुनावो से पहले तक जो शरद पवार अपने को प्रधानमंत्री बनाने के सारे समीकरणों पर काम कर रहे थे आज चुनाव परिणाम आने के बाद जब " युवराज" के साथ कांग्रेस की चारो ओर" जय हो " हो रही है तो अब पवार को राहुल में भविष्य के प्रधानमंत्री बनने के गुण नजर आने लगे है .....
पवार जैसे ही सुर तारिक अनवर के भी बने है ॥ विश्लेषको का मानना है अभी कुछ समय पहले शरद पवार की पार्टी की दसवी बरसी पर अनवर एन सी पी के कांग्रेस में विलय पर जोर दे रहे थे... सूत्रों की माने तो पवार संगमा की तरह अनवर को भी अपने विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से बगावत करने का भारी पश्चाताप है ... अनवर को आस है सोनिया का दिल बड़ा उदार है॥ वह त्याग की मूर्ती है और तीनो को अब माफ़ कर देंगी... विदेशी मूल का मुद्दा अब पुराना हो गया है परन्तु पवार कांग्रेस के साथ विलय के मूड में नही दिखाई दिए ... वह आगामी महारास्ट्र का चुनाव कांग्रेस के साथ ही लड़ना चाहते है... पवार का मानना है अगर वह मैदान में अकेले उतरे तो पार्टी की पराजय निश्चित है ... सोनिया द्वारा उन पर किए गए उपकारों के लिए वह उनके ऋणी है ..... सत्ता की मलाई किसको प्यारी नही होती है? इस समय पवार कृषि मंत्रालय और प्रफुल्ल पटेल उड्डयन मंत्रालय पाने में सफल रहे है ..... साथ ही संगमा की बेटी अगाथा भी राज्य मंत्री का दर्जा पाने में सफल रही है...
चुनाव में युवा कार्ड भी जबरदस्त ढंग से चला है ... इस कारण पवार को उनका गुण गान मजबूरी में करना पड़ रहा है ... अगर ७० के पड़ाव पर खड़े पवार सोनिया और कांग्रेस के प्रति अपनी दरियादिली अभी नही दिखायेंगे तो कब मौका मिलेगा ऐसा करने का ? वैसे भी राहुल के आसरे इस बार २०६ का आंकडा मिला है ... अब सभी दलों में युवाओ को आगे करने का नारा चल पड़ा है... कांग्रेस में दिग्गी राजा के राहुल बाबा तो सपा में अखिलेश, द्रमुक में स्टालिन तो एन सी में उमर अब्दुल्ला .... अब एन सी पी भी इससे अछूती नही है ... अगाथा , सुप्रिया कार्ड आगे कर दिया गया है...
बहरहाल जो भी हो , पवार की सोनिया के प्रति दरियादिली लाजमी ही है ... प्रीत की लत ऐसी लग गई है अब पवार अपने विदेशी मूल के, वंशवाद वाले मुद्दों से इतर सोनिया का गुण ज्ञान करने वाली राजनीती करने पर उतारू हो गए है.... इसकी एक बानगी सी लिंक का नाम राजीव गाँधी के नाम से करने को अपनी ख़ुद की सहमती देना है... पवार राजनीती के मझे खिलाड़ी है... उनको मालूम है अगर बिना कांग्रेस के वह इस बार महारास्ट्र के मैदान में उतरते है तो उनकी हालत पतली हो जायेगी...
पवार साहब आपकी अपनी स्टाइल पर सवाल उठने लाजमी ही है .... आपको शायद यह खौफ सता रहा है अगर युवराज ने बिहार की तरह महाराट्र में इस बार अकेले उतरने का मन बना लिया तो एन सी पी की फजीहत हो सकती है...क्युकि दोनों पार्टियों का लगभग एक वोट बैंक है... केन्द्र में कांग्रेस की सरकार देखते हुए वहां का वोटर इस बार कांग्रेस के "हाथ" का साथ दे सकता है ..... २६११ के बाद जहाँ बीजेपी शिव सेना का गटबंधन मजबूत होना चाहिए था वह कमजोर ही साबित हुआ है.... राज ठाकरे की मनसे ने इसके वोट बैंक पर सेंध लगायी है.....जिसको देखते हुए यह नही कहा जा सकता बीजेपी शिव सेना फिर से महारास्ट्र में अपनी पकड़ को मजबूत कर लेंगे..... पवार बहुत मझे खिलाड़ी है ... बहुत दूरदर्शी भी ... इनकी राजनीती को समझने के लिए हमको दस साल पहले का रुख करना पड़ेगा॥ यही ९० का दसक ... तब राजीव के बाद अगर किसी की दावे दारी प्रधानमंत्री पद के लिए पुख्ता थी तो वह एन डी तिवारी और पवार ही थे ... परन्तु उस दौर में किस्मत ने पवार का साथ नही दिया और राव के सर पी ऍम का सेहरा बंधा था....राव के जाने के बाद सीता राम केशरी के हाथ कांग्रेस की कमान आ गई ...... उनके जाने के बाद कांग्रेस की कमान सोनिया के पास आ गई....तब पवार के साथ तारिक अनवर और संगमा ने विदेशी मूल के मसले पर कांग्रेस से बगावत कर दी थी॥ अब आज देखिये पवार की पार्टी अब अपने लक्ष्य से भटक गई है॥ पवार कांग्रेस के प्रति हमदर्दी दिखाने से पीछे नही है.... बीते दिनों इनकी पार्टी के द्वारा जिस तरह से कांग्रेस के प्रति दरियादिली दिखाई गई है उसको देखते हुए कहा जा सकता है तीनो का सोनिया और कांग्रेस के पार्टी प्रेम फिर से उजागर हो गया है...ऐसा ही हाल संगमा का है... महीनो पहले एक विवाह समारोह में संगमा सोनिया से मिले॥ उनका अभिवादन किया.... मीडिया में कयास का बाजार गरम था... संगमा से जब इस पर बात की गई तो उन्होंने फरमाया विदेशी मूल अब बीते दौर की बात हो गई है.... वाह, संगमा जी मान गए आपको और शरद पवार को ....अब अगाथा को मंत्रालय मिलने के बाद आपकी वाणी भी बदल गई है.... आप भी कांग्रेस का गुणगान करने मे पीछे नही है .......तभी तो कहते है "राजनीती मे न कोई स्थायी दोस्त न दुश्मन होता है"......................
कुछ दिनों बाद लम्बी यात्रा से अपनी वापसी हो गई है.... इस स्टोरी से बोलती कलम आज फिर से बोल रही है... अभी यात्रा के कुछ अनुभव आपसे ब्लॉग के माध्यम से शेयर करने है ... सब्र कीजिये हम लौट आए है.... तरोताजा है .... चिंता छोडिये... पोस्ट पर अपनी राय देने में कोई कंजूसी मत कीजिये........
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13 comments:
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! मुझे तो राजनीती में कोई दिलचस्पी नहीं थी पर आपके पोस्ट के दौरान अभी दिलचस्पी लेने लगी हूँ और अच्छी जानकारी प्राप्त हुई! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!
achchhi charcha ,sundar lekhan ,kuchh baate padhkar hansi aai ,in netao ke kya kahane ?baat hi albeli hai .main bhi abhi bhopal jaane wali hoon .badhai ho .
प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी हो गई मै दीवानी...... बलि बलि जाऊ मैं अपने पिया को जाऊ मैं वारी वारी ..kya baat hai shatik tippani ....aaj ki raajniti me kailasha ke gaane ka achchha use kiya.....
पवार,संगमा और अनवर की तिकड़ी अब भावी प्राधान मंत्री को दंडवत करते नजर आयें तो आश्चर्य नहीं.
बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....
provsz
wah ,harsh ji kya sateek vishleshan kiya hai aapne.....post padkar maja aa gaya....
rajneeti me aisi avasarvadita akasar dekhne ko milti hai......
pvaar bhi yahi sab kar rahe hai......
post padvane ke liye shukria.....
vishleshan bahut sakeet dhang se kiya hai... aap jis andaaj me yah sab likhte hai wah style mujhko bahut pasand aati hai...
harsh ji sharad pavar ko ab apni sthiti sahi se pata chal gayi hai... kahan to wah is baar pm pad paane ke sapne dekh rahe they... par mil kroishi mantralay... ab dekho sonia ke prati apni hamdardi dikha rahe hai... ncp ko ab congress me me mil jaana chahiye......
Nice Post...Nice photographs.
Pl. visit my blog & see my latest photograph.
a ap mere blog par aane ke liye dhnywad .apki post achi lgi photo dekhkar aur pul dekhkar achha lga .
rajnitiki achhi jankari mili post ke dvara .
bdhai
Raajneeti mein jo n hjo vo kam hai....... fir bhaarat ke votron ki chaal ko ye rajneta khoob samajhte hain.........bas apna apna ulloo seedha karte rahte hain........ shrad pawaar isi khel ke chalte 40-50 varshon se raajniti mein chaaye huve hin........
सही लिखा है.
शरद पवार जरूर ही राजनीति के मंझे खिलाड़ी है । आपने हरेक प्रसंग को बेहद तरीके से समेटा है । राजनीतिक का जो चरित्र आपने उजागर किया है वह भी शानदार है । अच्छी जानकारी दी है । शुक्रिया
Rajnitic gatividhiyon ko bhut achchhi tarah colletction kiya hai.
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