
भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के माडल की बात आती है तो सभी "मोदी" की प्रशंसा में कसीदे पड़ा करते है .... गुजरात के साथ दक्षिण के राज्य कर्नाटक राज्य की चर्चा भी अब भाजपा के माडल में हाल के कुछ वर्षो से होनी शुरू हुई है ...
जिस प्रकार औरंगजेब की बीजापुर और गोलकुंडा में विजय ने उसके दक्षिण में विजय का मार्ग प्रशस्त किया था ... ठीक उसी प्रकार भाजपा की दक्षिण में विजय का मार्ग कर्नाटक ने खोला ...इस रास्ते को खोलने में किसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तो वह येदियुरप्पा थे .... नही तो उससे पहले भाजपा का वहां पर कोई अस्तित्व नही था.....
दक्षिणी राज्य कर्नाटक में शुरू से कांग्रेस का राज रहा ....८० के दशक में कांग्रेस की पतन की पटकथा शुरू हो गई ...इसके बाद राम कृष्ण लेकर पटेल तक का दौर आया ... जिसके झटको से वह अभी तक नही उबर पाई....
भाजपा ९० के दशक से कर्नाटक में मजबूत होनी शुरू हुई .... १९९९ के चुनावो में सात सांसदों के साथ उसने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ॥ २००४ आते आते उसकी यह संख्या दो गुने से चार अधिक यानी १८ पहुच गई ....विधान सभा आते आते यह आंकड़ा ७९ पहुच गया ... यही वह समय था जब भाजपा को जे डी अस के साथ सरकार बनाने को मजबूर होना पड़ा ....
कुमार स्वामी और भाजपा में २०_ २० माह सरकार चलाने को लेकर सहमती बनी .... परन्तु कुमार स्वामी अपने कहे से मुकर गए ... जिस कारण जब येदियुरप्पा की बारी आई तो कुमार स्वामी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया ... येदियुरप्पा इसी मुद्दे को लेकर जनता के बीच गए ...और उन्हें इस मुद्दे पर सहानुभूति मिली जिस कारण भाजपा राज्य में अपनी सरकार बनाने में सफल हो पायी ...
परन्तु दक्षिण के "मोदी" कहे जाने वाले येदियुरप्पा की पिछले १८ माह से चल रही सरकार पर संकट के बादल छा गए.... वैसे ही भाजपा में केन्द्रीय स्तर पर जूतम पैजार मची हुई थी अब राज्य स्तर पर भी इसकी शुरुवात हो गई.......राजस्थान की महारानी को जैसे तैसे इस्तीफे के लिए मनाया गया ...
उसके संकट से निपटने के बाद भाजपा के सामने नया संकट कर्नाटक का शुरू हो गया.... भाजपा अपने राज्यों के शासन को लेकर बड़ी मिसाले दिया करती है परन्तु अभी तक भाजपा शासित कोई भी ऐसा राज्य नही रहा होगा जहाँ कलह बाजी नही हुई हो..... दक्षिण का एकमात्र राज्य कर्नाटक भी इससे अछुता नही रह सका......
दरअसल कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने में दो भाईयो की बड़ी अहम भूमिका रही .... जनार्दन और करुणाकरण रेड्डी .... इन दोनों ने मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को मुख्यमत्री की कुर्सी से बेदखल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगवाया ....जनार्दन राजस्व मंत्री तो करुणाकरण पर्यटन मत्री की कुर्सी संभाले हुए है ...
येदियुरप्पा का कैबिनेट में लिया एक फैसला इनको नागवार गुजरा जिसमे उन्होंने कहा था बेल्लारी की खदान से अयस्क भरने वाले हर ट्रक पर १००० रूपया अतिरिक्त कर वसूला जाएगा...यही नही तभी से उन्होंने राज्य में सरकार को गिराने की तैयारी कर ली थी... इसके लिए बाकायदा येदियुरप्पा के असंतुस्ट विधायको से संपर्क साधा गया.....
कर्नाटक में येदियुरप्पा नाम के भले ही भाजपा नेतृत्व कसीदे पड़े परन्तु असलियत यह है यहाँ पर रेड्डीबंधुओं का बड़ा वर्चस्व रहा है ... दो भाई ही नही उनके तीसरे भाई सोमशेखर भी चर्चा के केन्द्र बिन्दु बने हुए है वह वर्तमान में दुग्ध संघ अध्यक्ष की कुर्सी संभाले हुए है ॥ रेड्डी बंधू कर्नाटक में उस समय चर्चा में आए जब १९९९ में सोनिया गाँधी ने वहां से लोक सभा का चुनाव लड़ा था... और वहां पर उनके विरोध में भाजपा की तेज तर्रार नेत्री सुषमा स्वराज उठ खड़ी हुई थी॥
बताया जाता है तब इन्होने सुषमा की तन, मन धन से बड़ी खिदमत की .... तभी से यह सुषमा के विश्वास पात्र बने हुए है.....हालाँकि सुषमा यहाँ से चुनाव हार गई थी लेकिन अगले लोक सभा चुनाव में जब सोनिया ने अमेठी का रुख किया तो यहाँ पर सुषमा के कहने पर रेड्डी को टिकेट दिया गया....
बताया जाता है कर्नाटक में दोनों की बहुत पहुच है जिसका फायदा वह उठाते रहे है ....महंगे बंगलो से लेकर आलीशान आशियाने .... हवाई जहाजो का काफिला इनकी शान है ..... तभी वहां पिछले विधान सभा चुनाव में कई विधायक उनके प्रसाद से चुनाव जीते थे ... यही नही येदियुरप्पा सरकार को समर्थन दिलवाने के लिए इनके द्वारा एक अभियान खरीद का चलाया गया था जिसके बाद येदियुरप्पा सरकार सदन में बहुमत साबित कर पाने में सफल हो पायी थी ....
यही नही रेड्डी के कहानी के किस्से यही खत्म नही होते..... अनंतपुर में इनके पास एक खनन की खदान लीज पर है ... यह खदान दो राज्यों की सीमा से लगी हुई है जिस कारण यहाँ वन विभाग के एक आला अधिकारी द्वारा इनको हरी झंडी नही दी गई ... जिसके बाद यह अन्दर ही अन्दर सुलग रहे थे ॥
आंखिर यह तो कोई बात ही नही हुई जिस राज्य में उनकी सरकार हो और उनके खदान के काम में कोई अदना सा आला अधिकारी अडंगा लगाये... बेल्लारी के एसपी ,कमिश्नर का तबादला बिना रेड्डी बंधुओ की स्वीकृति से कर दिया गया जिस कारण नाक तो लगनी ही थी .... ऐसा ही कुछ मामला कडप्पा में भी है॥ यहाँ पर दोनों का एक स्टील प्लांट है जिसके लिए इनको जमीन आंध्र के पूर्व सी ऍम राजशेखर रेड्डी द्वारा उपलब्ध करवाई गई..यह तकरीबन १०००० एकड़ है ....
कहा तो यह भी जा रहा है कांग्रेस ने जगन्मोहन रेड्डी को येदियुरप्पा की सरकार गिरवाने को उकसाया ... यह भी हो सकता है अगर कर्नाटक की भाजपा सरकार अल्पमत में आ जाती तो फिर आंध्र में जगन्मोहन को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल जाती ..... इन्ही सब बात के चलते येदियुरप्पा सरकार को अस्थिर करने की कोशिसे चलती रही..... येदियुरप्पा सरकार को अस्थिर करने में अनंत कुमार की भी कम भूमिका नही है ....उनकी नजरे कब से वहां के मुख्यमंत्री बन्ने में लगी हुई है... वह रात को इस मसले पर रेड्डी बंधुओं की क्लास तक ले लिया करते थे......
बताया जाता है राज्य विधान सभा के अध्यक्ष जगदीश को यह सभी मुख्यमंत्री का ताज पहनाना चाहते थे परन्तु उनकी यह उम्मीदे पूरी नही हो पायी...... यहाँ पर बता दे संघ परिवार इस बार येदियुरप्पा को हटाने के मूड में नही दिखाई दिया ..साथ ही जाती वाला मसला भी ध्यान में रखना था... येदियुरप्पा भी लिंगायत थे जगदीश भी ॥
असंतुष्टो की अगुवाई कर रहे रेड्डी बंधुओ ने विधायको को भड़काने के काम को बखूब अंजाम दिया ....राज्य की ग्रामीण विकास मत्री शोभा करंदलाजे की येदियुरप्पा के साथ निकटता लोगो को रस नही आ रही थी.....
बताया जाता है मुख्यमंत्री के कई निर्णयों में शोभा का दखल हुआ करता था.....जिस कारन विधायक रेड्डी के पक्ष में लामबंद होने शुरू हो गए थे...पर विरोधी खेमे की अगुवाई मे कुछ बातें मान ली गई है.... जैसे शोभा की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई .....
मुख्य सचिव वी पी वालिगर को हटाकर प्रसाद को बैठा दिया गया ... ....साथ ही यह तय हुआ है बेल्लारी जिले के मामलो में येदियुरप्पा का अब कोई दखल नही होगा..... यहाँ पर तोपों की सलामी सिर्फ़ और सिर्फ़ रेड्डी बंधुओं को मिलेगी........यहाँ पर मुख्यमंत्री का फैसला नही वरन रेड्डी भाईयो का फैसला अंतरिम होगा ..... जगदीश को मंत्री बना दिया गया है ॥
बहरहाल जो भी हो , इस पूरे प्रकरण को हवा में रेड्डी बंधुओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है .... उनकी अधिकाँश मांगे मान ली गई है ...येदियुरप्पा की इस प्रकरण में हार हुई है .... उनकी कुर्सी तो बच गई है पर यह बात सामने निकालकर आ गई है अपने को दूसरो से अलग कहने वाली भाजपा में आज पैसा कैसे बोलता है...?
आज इस पार्टी में भी करोडपतियों की कमी नही रह गई है.... देश की सांसद में सैकड़ो धनी सांसदों में इसके सांसद भी किसी से कम नही है ......कर्नाटक ने पार्टी का चाल , चलन, असली चेहरा सभी के सामने दिखा दिया है ...पार्टी को आज इमानदारी से काम करने वाले मुख्यमंत्रियों की जरुरत नही है ....उसे तो बस चुनावी फंड चाहिए.........मान ना मान में तेरा मेहमान .............
येदियुरप्पा जी यह संकट तो समाप्त हो गया है ... पर आगे आपकी राह आसान नही लगती.....रेड्डी कब फिर से भड़क जाए इसका कोई भरोसा नही है..........नीचे की पंक्तिया सटीक है __________
"जुल्फों की घटाओं में बिजली ने किया डेरा ....
कब जाने बरस जाए इसका न भरोसा है ...
शैतान की नानी है ये कड़कती तडपन
कब आशिया जला दे इसका ना भरोसा है "