Sunday, 6 December 2009
मध्य प्रदेश में अब निकाय चुनावो का संग्राम...............
मध्य प्रदेश का चुनावी पारा सातवे आसमान पर है .... राज्य में होने जा रहे नगर निगम चुनावो में सत्तारुद भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एक बार फिर आमने सामने है ... लोक सभा चुनावो में भाजपा की घटी सीटो ने जहाँ मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुसीबतों को बदा दिया है ,वही गुटबाजी की शिकार कांग्रेस कि सीटो में इजाफा होने से कार्यकर्ताओ की बाछें खिल गई है ...
इस बार भी दोनों के बीच मुकाबला रोमांचक होने के आसार दिखाई दे रहे है..... राज्य में तीसरी ताकतों के कोई प्रभाव नही होने से असली जंग इन दोनों राष्ट्रीय दलों के बीच होने जा रही है ....
भाजपा की उम्मीद शिवराज बने हुए है....."एक भरोसे एक आस अपने तो शिव राज" यह गाना प्रदेश की पूरी भाजपा इन दिनों गा रही है ..पार्टी को आस है विधान सभा ,लोक सभा चुनावो की तरह नगर निगम चुनाव में उसके मुखिया शिव तारणहार बनेंगे......शिवराज की साफ़ और स्वच्छ छवि का लाभ लेने की कोशिश भाजपा कर रही है ...ख़ुद "शिव " नगर निगम की "पिच " पर अपनी सरकार के एक साल की उपलब्धियों जनता के बीच ले जा कर बैटिंग कर रहे है....
पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है अगर इन चुनावो में भाजपा का प्रदर्शन ख़राब रहता है तो जनता के बीच अच्छा संदेश नही जाएगा..... राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में बद रही कलह बाजी भी राज्य में लोगो के बीच पार्टी कि अलोकप्रियता को उजागर कर रही है.... निकाय चुनावो की घोषणा से पहले जिस तरह से शिव राज ने ताबड़तोड़ घोषणा की है उससे तो यही लगता है पार्टी इस चुनाव को गंभीरता से ले रही है......
पिछले दिनों शिवराज के द्वारा किया गया मंत्री मंडल विस्तार भी निकाय चुनाव में लाभ लेने की मंशा से किया गया.... यही नही सतना में एक समारोह में उन्होंने यहाँ तक कह डाला प्रदेश में लगने वाले उद्योगों में स्थानीय लोगो को रोजगार दिया जाएगा...इस बयान ने राष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी..... जिसके बाद सफाई में उन्हें यह कहना पड़ा मीडिया ने उनके बयान को ग़लत ढंग से पेश किया ..... शिव ने अपने "ब्रह्मास्त्र " निकाय चुनावो से ठीक पहले फैक दिए जिसका लाभ उठाने की कोशिश वह करेंगे......
१९९९ के नगर निगम चुनावो पर नजर डाले तो भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला पाँच पाँच की बराबरी पर रहा था ... उस समय तीन सीट निर्दलीय के पाले में गई थी ....वही २००४ के नगर निगम चुनावो में भाजपा कांग्रेस पर पूरी तरह भारी पड़ी.... उस समय पार्टी के मुखिया बाबू लाल गौर थे ....तब पार्टी ने 13 नगर निगम सीटो में से १० सीटो पर भगवा लहराया था.... बाद में कटनी के निर्दलीय प्रत्याशी संदीप जायसवाल के भाजपा के पाले में आ जाने से उसकी संख्या ११ पहुच गई ... कांग्रेस की नाक राजधानी भोपाल में सुनील सूद ने भोपाल की महापौर की कुर्सी जीत कर बचाई ....
इस बार भाजपा के सामने जहाँ उसकी ११ सीट बचाने की चुनोती है वही भोपाल की बड़ी झील में कमल खिलवाने की भी... भाजपा को इस बात का मलाल है वह यहाँ पिछले दो चुनाव नही जीत पायी है..... लिहाजा इस बार उसको अपना महापौर जितवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगवाना पड़ेगा...
हालाँकि इस बार के विधान सभा चुनावो में सात विधान सभा सीटो में से ६ सीटो पर भाजपा का कब्ज़ा बना है ....भाजपा के सभी बड़े नेता इस चुनाव में कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ने की जुगत में लगे हुए है ... भोअप्ल नगर निगम में महापौर की सीट इस बार महिला प्रत्याशी के लिए रिजर्व हो गई है ॥ नगरीय प्रशाशन मंत्री बाबू लाल गौर की बहू कृष्णा गौर के भाजपा प्रत्याशी के रूप में उतरने से यहाँ मुकाबला इस बार रोचक बन गया है ......
पिछले दो चुनावो में इंदौर , ग्वालियर , खंडवा , सागर, रीवा, जबलपुर लगातार भाजपा के खाते में गए है ....इस बार इन सीटो पर पार्टी के उपर बेहतर प्रदर्शन करने का भारी दबाव है ... शिव राज की प्रतिष्टा भी इस चुनाव में सीधे दाव पर लगी है..... अगर भाजपा उनके नेतृत्व में नगर निगम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है तो केंद्रीय स्तर पर पार्टी में उनका कद बदना तय है ...
संभवतया नरेन्द्र सिंह तोमर के संभावित उत्तराधिकारी के नाम पर शीर्ष नेतृत्व "शिव" की राय पर अपनी मुहर लगा सकता है ...निकाय चुनाव के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से नरेन्द्र सिंह तोमर की विदाई हो जायेगी...
वही दूसरी तरफ़ मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी भाजपा को इस बार के चुनावो में पटखनी देने की तैयारी कर ली है ॥ टिकटों के चयन में इस बार उसके द्वारा हुई देरी नुकसानदेह साबित हो सकती है .... बीते दिनों टिकटों को लेकर जिस तरह की खीचतान मची उसे देखते हुए यह नही कहा जा सकता की कांग्रेस भाजपा से पूरी ताकत से मुकाबला करने की स्थिति में है...
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के सामने गुटबाजी से त्रस्त्र पार्टी के नेताओं ,कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनोती है ...लोक सभा , विधान सभा चुनावो में पार्टी की घटी सीटो का एक बड़ा कारण खेमेबाजी रही जिसका नुक्सान पार्टी को बड़े पैमाने पर उठाना पड़ा था .....पिछली बार ज्योतिरादित्य,कमलनाथ ,दिग्गी राजा, अजय सिंह, सुभाष यादव जैसे कई गुटों में पार्टी गई जिसका व्यापक नुकसान उठाना पड़ा था ....पर इन सबके बाद भी इस बार कांग्रेस पार्टी के पास लोक सबह में बड़ी सीटो का अस्त्र है ...
साथ में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है ....कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पचौरी की माने तो भाजपा की नाकामियों को जनता के बीच ले जाने का काम कांग्रेस इस बार कर रही है ...यह चुनाव पचौरी की भावी राजनीती की दिशा को भी तय करेगा.....अगर कांग्रेस का प्रदर्शन निखारा तो उनका कद सोनिया गाँधी के दरबार में बदना तय है ...नही तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से उनकी विदाई भी तय है.....
वोट के मौसम में जनता ने दोनों पार्टियों को लुभाने के लिए वादों की झड़ी लगा दी है... भाजपा ने अपना घोषणा पत्र कांग्रेस से पहले घोषित कर दिया.... जिसमे स्थानीय समस्याओ के समाधान की बात दोहराई गई है.... कांग्रेस के पिटारे में भी कुछ इसी तरह की योजनाओं का खाका देखा जा सकता है ....
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने तो कांग्रेस के घोषणा पत्र को भाजपा की नक़ल बता दिया है ... खैर जनता जनार्दन तो दोनों की कार्य प्रणालियों से तंग आ चुकी है ... सीहोर जिले के बिलकीसगंज निवासी राजकुमार कहते है "घोसना पत्र तो चुनाव जीतने का स्तुंत है ॥ चुनावी वादे वादे बनकर रह जाते है" ......
राजधानी में टिकट बटने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध के स्वर मुखरित हुए है ....भाजपा और कांग्रेस दोनों की कहानी एक जैसी ही है ..... असंतुस्ट की नाराजगी किसी भी दल की हार जीत की संभावनाओं पर अपना असर छोड़ सकती है...भाजपा को अपने पुराने किले बचाने में पसीने छूट सकते है... इंदौर, सतना, जबलपुर सीट भी इसके प्रभाव से अछूती नही है .... कांग्रेस के हालात भी भाजपा से जुदा नही है ...
टिकटों के चयन में इस बार भी पचौरी की जमकर चली है..वैसे राज्य के कई कांग्रेसी नेता पचौरी को राज्य की राजनीती में नही पचा पाये है ..पार्टी के अधिकांश नेता उनको थोपा हुआ प्रदेश अध्यक्ष मानते है ॥ "सोनिया" के वरदहस्त के चलते उनको राज्य की राजनीती में लाया गया पर अपनी ताजपोशी के बाद से वह पार्टी में नई जान नही फूक पाये.....
बहरहाल जो भी हो , नगर निगम चुनावो की चुनावी चौसर तैयार हो चुकी है ....भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्टा इस चुनाव में सीधे दाव पर है ... अब देखना है नगर निगम चुनाव का मैदान अपने बूते कौन मारता है ?
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5 comments:
Hmmmmm
चुनाव में बस जुगाड़ काम आता है ......... देखें किसकी चलती है ...........
आप से राजनीति गलियारों की हलचल की जानकारी मिलती रहती है.वैसे आश्चर्य है की BJP में अब भी कहीं umeed बाकी है!
अच्छी रोशनी डाली है सारी स्थिति पर.
Kya hota hai....nateejon ka intzaar rahega!
bahut sundar aapki rajneeti vishay par pakad kaafi majboot hai .. humko achchi janakari mil jaati hai.shukria harsh ji
bahut sundar post hai harsh ji aapki baatein dil ko choo jaati hai.... sundar vishleshan rahta hai apka.............
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