Saturday, 23 January 2010

विकास की गति अपेक्षा से कम हुई है------- ऐरी



उत्तराखंड क्रांति दल उत्तराखंड का एक मात्र रीजनल दल है.......वह निशंक सरकार को अपना समर्थन दे रहा है...... उसके शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विधान सभा में चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके है..... राज्य निर्माण आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऐरी राज्य में उत्तराखंड क्रांति दल का बड़ा संगठन खड़ा नही कर पाए..... अपनी साफ और ईमानदार छवि को वह पार्टी के वोट बैंक को बढाने में इस्तेमाल नही कर पाए.....पृथक राज्य के लिए चले जन आन्दोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.....परन्तु इसके बाद भी उनका दल लोगो का विश्वास जीतने में कामयाब नही हो पाया है..उक्रांद के कमजोर सांगठनिक ढांचे का फायदा राज्य में भाजपा और कांग्रेस ने उठाया...



उत्तराखंड के वरिष्ट नेता काशी सिंह ऐरी मानते है उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के प्रमुख मुद्दे रसातल में है.....९ वर्ष बीतने के बाद भी राज्य की स्थितिया अच्छी नही कही जा सकती...पहाड़ो से पलायन बदस्तूर जारी है..जल ,जमीन, जंगल जैसे मुद्दे हाशिये पर है.....जिसके चलते जनता अपने को ठगा महसूस कर रही है...


राज्य गठन के ९ वर्ष पूरे होने के मौके पर ऐरी से मैंने विशेष संवाद अभी कुछ समय पहले किया ........ उसी के कुछ मुख्य अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं..........




राज्य गठन के ९ साल पूरे हो चुके है? राज्य निर्माण आन्दोलन में भागीदार के तौर पर इन ९ सालो को आप कैसे देखते है?

--- देखिये हर्ष जी, राज्य बन गया है और ९ वर्ष का समय भी बीत गया है.....लेकिन राज्य में जैसी स्थितिया आज है वह बहुत अच्छी नही कही जा सकती ... जिस आशाओ और आकांशा को लेकर यह राज्य बना था वह पूरी नही हुई है ....पर्वतीय इलाकों से पलायन आज भी जारी है ... हमने पिछली सरकार से भी कहा
वर्तमान सरकार से भी कह रहे है पर्वतीय इलाकों के विकास के लिए एक विशेष ओद्योगिक नीति बनाये.....जिससे पहाड़ो से पलायन कम हो पर इस दिशा में गंभीरता से विचार नही हुआ है......


कांग्रेस का कहना है वर्तमान भाजपा की सरकार विकास के मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुई है? इस बाबत आपका क्या कहना है?
-----कांग्रेस क्या कहती है मैं उस पर नही जाऊँगा, लेकिन इतना जरुर है विकास की गति अपेक्षा से कम हुई है......जिस तेजी से विकास होना चाहिए था वह नही हुआ है.......


तिवारी जी का शासन हमने देखा ....फिर खंडूरी जी आये.... दोनों की काम करने की जो बुनियादी शैली थी उसमे क्या फर्क नजर आता है आपको ?
----तिवारी जी का अपना अलग अनुभव था....उनकी काम करने की अलग शैली थी....देश की राजनीति पर उनकी जो पकड़ थी उसकी वजह से जैसा भी था विकास योजनाये आगे बड़ी........ खंडूरी जी के शासन में विकास को गति नही मिली.... खंडूरी जी विकास का पैसा सही जगह लगाना चाहते थे ताकि करप्शन न हो.....अभी नए मुख्य मंत्री निशंक आये है लोगो को उनसे काफी उम्मीदें है......


स्थायी राजधानी के मुद्दे पर दीक्षित आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है ....आपकी पार्टी गैरसैण को नए राज्य की राजधानी बनाने की बात करती है..... मुझको याद है एक बार १५ जनवरी १९९२ को आपने बागेश्वर में सरयू नदी के तट पर गैरसैण को नए राज्य की राजधानी बनाने का संकल्प लिया था.......लेकिन दीक्षित आयोग की रिपोर्ट देखकर ऐसा लगता है राजधानी को देहरादून से हटाना संभव नही है....उक्रांद का गैरसैण पर क्या स्टैंड है ?उक्रांद पर अपने मूल मुद्दों से भटकने के आरोप भी लगते रहे है ?
----गैरसैण को राजधानी बनाना आज भी हमारे एजेंडे में है ....हम वहां राजधानी बनाकर दिखायेंगे....गैरसैण से पूरे राज्य का कांसेप्ट लगा हुआ है.....चाहे वह पहाड़ हो या मैदान राजधानी तो ऐसी जगह पर होनी चाहिए जो बीच में हो और हर जगह से उसका लिंक हो......गैरसैण हमारी जिद नही है ॥ गैरसैण हमारे लिए राज्य की मूल अवधारणा का केंद्र बिंदु है ॥ हमारा दल इससे नही भटका है......


कभी तीसरा मोर्चा बनाने की बात करने वाला आपका दल आज प्रदेश की भाजपा सरकार में खुद सत्ता की मलाई चाट रहा है ....ऐसे में तीसरे मोर्चे के कांसेप्ट का क्या होगा ऐरी जी?
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ऐसा नही है...तत्कालीन समय की राजनीतिक आवश्यकताएं अलग थी ......कोई सरकार नही बन रही थी.....प्रदेश में दुसरे चुनाव होने की आशंका भी बन रही थी ... कुछ विधायको की खरीद फरोख्त का भी मामला चल रहा था....ऐसे में अस्थिरता को समाप्त करने के लिए हमने अपने संवेधानिक कर्तव्यों का पालन किया .....और भाजपा को अपना समर्थन दिया... तीसरा मोर्चा ख़त्म हो गया है यह कहना सही नही है ......हम जनता के मुद्दों को उठाते रहते है ..आगे भी उठाएंगे.....


राज्य में कांग्रेस के शासन में उद्योगों में सत्तर फीसदी रोजगार स्थानीय लोगो को दिए जाने का शासनादेश जारी हुआ था॥ उस समय जितने भी मजदूर रखे गए उनका न्यूनतम मजदूरी देकर शोषण किया गया ... आज भी भाजपा के शासन में कमोवेश यही स्थितिया है?
------निश्चित तौर पर यह शासनादेश जारी है कि राज्य में लगने वाले उद्योगों में सत्तर फीसदी रोजगार स्थानीय लोगो को मिलना चाहिए लेकिन जहाँ तक इसके अनुपालन का सवाल है तो स्थिति बड़ी ख़राब है ॥ सत्तर फीसदी रोजगार सीधे डायरेक्ट होना चाहिए......हम इस मांग को सरकार के सामने रखेंगे......

विकास का प्रथम सोपान रेल यातायात है ... पहाड़ो में रेल चलने से विकास कार्य तेजी से हो सकते है .....राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तिवारी ने तो एक बार कह दिया था पहाड़ो में रेल की कोई आवश्यकता नही है ....आपका इस सम्बन्ध में क्या कहना है ?
----जहाँ तक रेल की बात है तो पूरे विश्व में रेल कि महत्ता बनी हुई है ....पहाड़ के पिछड़ेपन को दूर किया जाना चाहिए.....इस सम्बन्ध में कई आन्दोलन भी चले....टनकपुर से पंचेश्वर, धारचुला, बागेश्वर , कर्णप्रयाग,तक तीन चार लाइन बिछाई जानी चाहिए......रेल सेवा महत्वपूर्ण है इसलिए यह कहना पहाड़ में रेल की कोई जरुरत नही है यह उचित नही है.......


ऐरी जी अगर आपकी पार्टी भविष्य में सत्ता में आती है तो आपकी प्राथमिकता क्या होगी?
----विकास का ढर्रा बदलना ,रोजगार के अधिकाधिक अवसर देना , राज्य के संसाधनों का अधिकाधिक उपयोगकरना और करप्सन दूर करना हमारी प्राथमिकता में रहेगा..... पानी का सवाल हो या फिर जल जमीन जंगल का इन सभी मुद्दों पर जनता को केंद्र में रखकर नीतिया लागू की जायेंगी......

ऐरी जी अंतिम प्रश्न , जनता से आप क्या उम्मीद रखते है ?
---जनता ने उत्तराखंड के अलग राज्य के कांसेप्ट को स्वीकारा ...जनता हर आन्दोलन में हमारे साथ थी और आगे भी रहेगी.....राज्य के नव निर्माण में वह फिर हमारा साथ देगी .... ऐसी आशा करता हूँ ........

4 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी और गंभीर पोस्ट. ऐरी जी के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा....

दिगम्बर नासवा said...

ये नेता लोग बस अपनी अपनी जेबें भरेंगे ........... जनता चाहे तो ही कुछ हो सकता है ........

Unknown said...

हर्ष जी उत्तराखंड क्रांति दल अपने मूल मिशन से भटक गया है....... ऐरी जी भी आपके साथ बातचीत में जैसा बोले है उसको देखकर लगता है उनका दल भी अवसरवादी हो गया है...........

Unknown said...

achcha interview liya hai aapne...................