Saturday 12 March 2011

सूखे की चपेट में भोपाल का बड़ा तालाब.........


भोपाल की पहचान झीलों के शहर के रूप में रही है ... इसकी खूबसूरती में भोपाल की बड़ी झील चार चाँद तो लगाती ही है साथ ही इस झील को शहर की लाइफ लाइन भी कहा जाता है ... परन्तु पिछले कुछ समय से बड़ी झील में पानी का स्तर तेजी से गिरने लगा है जिस के चलते गर्मी के मौसम में यहाँ के लोगो को पानी की समस्या से जूझना पढ़ सकता है......
"तालो में भोपाल की ताल बाकी सब तलैया ".... भोपाल की पहचान इस बड़े तालाब ने झीलों के शहर के रूप में बनायीं है .... यहाँ के लोगो को पानी की सप्लाई इसी बड़ी झील से होती रही है.... परन्तु पिछले कुछ समय से इसका जल स्तर तेजी से घटने लगा है ... यदि पेयजल के लिए यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में जल स्तर में कमी आने की सम्भावना है .......
बड़ी झील में पानी का स्तर नीचे चले जाने से जहाँ भोपाल के लोगो को पानी की सप्लाई प्रभावित हो सकती है वही झील में मछली पकड़कर रोजी रोटी कमाने वाले मछुवारो के सामने अभी से रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है .....
अमित जहांगीराबाद के इलाके में ही रहते है... पिछले दिनों रिपोर्टिंग के दौरान उनसे मुलाकात का मौका मिला....पहले तो उन्होंने बोलने से मना किया .... आख़िरकार मैंने कैमरे के सामने बाईट के लिए उन्हें मना ही लिया ... अमित ने कहा पिछले साल इसी झील से पानी लोगो को मिला था वह भी एक एक दिन छोड़कर... इस बार ऐसे हालत ऐसे नजर नही आते .....इसका एक बढ़ा कारन झील बचाव अभियान भी थे .... इस बार तो झील का बढ़ा हिस्सा सूख चूका है...अभियान भी नही चल रहे है......
कल्लू नाम के मछवारे से मिला तो वह भी खासा परेशान दिखा ....आप बीती सुनाते हुए उसने कहा साहब नवाबी दौर से मछली पकड़ने के काम में लगा हुआ हूँ... पूरा परिवार इन्ही मछलियों के सहारे पलता है ... आज आलम ये है कि तालाब में मछलिया मुश्किल से मिल पाती है ... ऐसे में गुजर बसर कर पाना मुश्किल है.....
गर्मी ने अभी से अपने तेवर दिखने शुरू कर दिए है ....इस समय झील में पानी का स्तर न्यूनतम जल स्तर से मात्र 2 फीट ज्यादा है...जबकि अभी गर्मी की शुरुवात ही हुई है ....नगर निगम भोपाल की माने तो इस समय झील से २ ऍम जी दी पानी हर दिन निकाला जा रहा है... अगर यही सिलसिला जारी रहा तो जल्द ही यह झील सूख जायेगी....
इस बारे में जब मैंने उपनेता महापौर परिसद जल कार्य अशोक पांडे से बात की तो उन्होंने कहा मेरी चिंता जायज है...इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार बड़े तालाब के बजाए नगर निगम कोलार और केरवा डेम से पानी की ज्यादा सप्लाई करने की दिशा में विचार कर रहा है....
पिछले साल भोपाल की बड़ी झील ने राजधानी भोपाल के लोगो की प्यास बुझाई थी परन्तु इस बार उम्मीद कम है ... बेहतर होगा नगर निगम जल्द से जल्द बड़ी झील के पानी को बचाने की दिशा में गंभीरता से विचार करे...

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जल का संदोहन और एकत्रीकरण यदि संकटमय रहा तो शीध्र भोपाल अपना आकर्षण खो देगा।

पी.एस .भाकुनी said...

होली पर मैं आपको तथा परिवार के लिए मंगल कामनाएं करता हूँ !

Reshma said...

Nice article