भोपाल अपनी गंगा जमुना तहजीब और झीलों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है .....कला संस्कृति के गढ़ के रूप में भोपाल का कोई सानी नही है.... साथ ही यहाँ की कई परम्पराए लोगो को सीधे उनकी संस्कृति से जोड़ने का काम करती है.... वैसे भी लोक संस्कृति का सीधा सम्बन्ध मानव जीवन से जुड़ा है....
भोपाल में राखी के त्यौहार के बाद किन्नरों का "कजलिया" भी इस बात का बखूबी अहसास कराता है......हर साल राखी के बाद होने वाले किन्नरों के इस आयोजन पर पूरे शहरवासियो की नजरे लगी रहती है.....इस आयोजन की लोकप्रियता का अहसास मुझे तब हुआ जब इस बार किन्नरों को देखने के लिए भोपाल में रहने वाले लोगो का पूरा हुजूम सड़को पर निकल आया....
कजलिया को मनाने की परम्परा भोपाल में नवाबी दौर से चली आ रही है....इस बारे में किन्नरों से जब मैंने बात की तो उन्होंने बताया अच्छी बारिश को लेकर यह आयोजन भोपाल में हर साल होता है जिसमे निकाले जाने वाले जुलूस में सभी किन्नर बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी करते है....माना जाता है एक बार भयंकर अकाल पड़ने पर भोपाल के नवाब को किन्नरों की शरण में जाना पड़ा था...बताया जाता है किन्नरों द्वारा छेड़े गए राग मल्हार के फलस्वरूप इन्द्र देव खासे प्रसन्न हो गए और शहर में मूसलाधार बारिश हो गई....उसके बाद से इस आयोजन की परम्परा चल निकली ..... इठलाते हुए जब ये किन्नर जुलूस में शामिल होने सडको पर निकलते है तो मानो पूरा शहर उन्हें देखने सड़को पर उमड़ आता है .... सड़के जाम तक हो जाती है लेकिन ना तो शहरवासी परेशान होते है ना ही किन्नर....इस दौरान लोग सड़को पर निकले किन्नरों को छेड़ते भी है परन्तु बुरा मानने के बजाय किन्नर अपना नया राग मल्हार छेड़ देते है.....
भोपाल में किन्नरों के जुलूस के दौरान किन्नरों का मानवीय चेहरा भी मुझे देखने को मिला ........ समझ से अलग थलग रहने वाले इस वर्ग ने इंसानियत की जो मिसाल पेश की है वह सराहनीय होने के साथ ही अनुकरणीय है .....भोपाल में किन्नरों के कजलिया के दौरान कुछ बच्चो को साथ देखकर मै चौंक गया ... बढती जिज्ञासा को शांत करने के लिए किन्नरों के बीच बैठा .... दरअसल किन्नर समाज का अंग होते हुए भी समाज से कटे रहते है.... इस कारण इस समाज के प्रति जिज्ञासा औरभय साथ साथ रहता है....जिसके चलते इस समाज की गतिविधियों का सही से ज्ञान लोगो को नही हो पाता.... इन किन्नरों ने कई मासूम लडकियों को भी गोद ले रखा है....जो अनाथ बच्चो को पढ़ाने लिखाने से लेकर उन्हें खान पान भी उपलब्ध करा रहे है.... राजधानी भोपाल के मंगलवारे और इतवारे में रहने वाले कुछ किन्नरों की ये पहल निश्चित ही समाज के लिए अनुकरणीय है... काश समाज की मुख्य धारा से जुड़े लोग भी अगर इस दिशा में ध्यान दे तो कई लोगो की जिन्दगी रोशन हो सकती है ....
"कजलिया " के दौरान निकलने वाला किन्नरों का जुलूस मंगलवारे से शुरू होता है और यह शहर के मुख्य मार्गो से होता हुआ गुफा मंदिर तक पहुचता है....पहले इस मंदिर के पास की पहाड़ी पर एक तालाब था ॥ दुधिया तालाब नामक इस तालाब का अस्तित्व वक्त के साथ खत्म हो गया...परन्तु किन्नरों की ये परम्पराए आज भी जारी है .... शायद ये हमारे देश में ही संभव है जहाँ किन्नर उत्साहपूर्वक आज भी कजलिया मनाते , अनाथ बच्चो को गोद लेते है और बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी इस आयोजन में करते है........
भोपाल में राखी के त्यौहार के बाद किन्नरों का "कजलिया" भी इस बात का बखूबी अहसास कराता है......हर साल राखी के बाद होने वाले किन्नरों के इस आयोजन पर पूरे शहरवासियो की नजरे लगी रहती है.....इस आयोजन की लोकप्रियता का अहसास मुझे तब हुआ जब इस बार किन्नरों को देखने के लिए भोपाल में रहने वाले लोगो का पूरा हुजूम सड़को पर निकल आया....
कजलिया को मनाने की परम्परा भोपाल में नवाबी दौर से चली आ रही है....इस बारे में किन्नरों से जब मैंने बात की तो उन्होंने बताया अच्छी बारिश को लेकर यह आयोजन भोपाल में हर साल होता है जिसमे निकाले जाने वाले जुलूस में सभी किन्नर बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी करते है....माना जाता है एक बार भयंकर अकाल पड़ने पर भोपाल के नवाब को किन्नरों की शरण में जाना पड़ा था...बताया जाता है किन्नरों द्वारा छेड़े गए राग मल्हार के फलस्वरूप इन्द्र देव खासे प्रसन्न हो गए और शहर में मूसलाधार बारिश हो गई....उसके बाद से इस आयोजन की परम्परा चल निकली ..... इठलाते हुए जब ये किन्नर जुलूस में शामिल होने सडको पर निकलते है तो मानो पूरा शहर उन्हें देखने सड़को पर उमड़ आता है .... सड़के जाम तक हो जाती है लेकिन ना तो शहरवासी परेशान होते है ना ही किन्नर....इस दौरान लोग सड़को पर निकले किन्नरों को छेड़ते भी है परन्तु बुरा मानने के बजाय किन्नर अपना नया राग मल्हार छेड़ देते है.....
भोपाल में किन्नरों के जुलूस के दौरान किन्नरों का मानवीय चेहरा भी मुझे देखने को मिला ........ समझ से अलग थलग रहने वाले इस वर्ग ने इंसानियत की जो मिसाल पेश की है वह सराहनीय होने के साथ ही अनुकरणीय है .....भोपाल में किन्नरों के कजलिया के दौरान कुछ बच्चो को साथ देखकर मै चौंक गया ... बढती जिज्ञासा को शांत करने के लिए किन्नरों के बीच बैठा .... दरअसल किन्नर समाज का अंग होते हुए भी समाज से कटे रहते है.... इस कारण इस समाज के प्रति जिज्ञासा औरभय साथ साथ रहता है....जिसके चलते इस समाज की गतिविधियों का सही से ज्ञान लोगो को नही हो पाता.... इन किन्नरों ने कई मासूम लडकियों को भी गोद ले रखा है....जो अनाथ बच्चो को पढ़ाने लिखाने से लेकर उन्हें खान पान भी उपलब्ध करा रहे है.... राजधानी भोपाल के मंगलवारे और इतवारे में रहने वाले कुछ किन्नरों की ये पहल निश्चित ही समाज के लिए अनुकरणीय है... काश समाज की मुख्य धारा से जुड़े लोग भी अगर इस दिशा में ध्यान दे तो कई लोगो की जिन्दगी रोशन हो सकती है ....
"कजलिया " के दौरान निकलने वाला किन्नरों का जुलूस मंगलवारे से शुरू होता है और यह शहर के मुख्य मार्गो से होता हुआ गुफा मंदिर तक पहुचता है....पहले इस मंदिर के पास की पहाड़ी पर एक तालाब था ॥ दुधिया तालाब नामक इस तालाब का अस्तित्व वक्त के साथ खत्म हो गया...परन्तु किन्नरों की ये परम्पराए आज भी जारी है .... शायद ये हमारे देश में ही संभव है जहाँ किन्नर उत्साहपूर्वक आज भी कजलिया मनाते , अनाथ बच्चो को गोद लेते है और बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी इस आयोजन में करते है........
9 comments:
bahut achchhi jankari sajha ki hai aapne .aabhar
blog paheli no.1
sarthak v sakaratmak jankari bhari post.aabhar.
उनके भी भाव हैं।
Thank u Harsh for visiting my blog and giving me the opportunity to land here.
Glad to know that u r from Bhopal too.
Nice writeup on sensitive issue.
Looking forward to new posts.
Keep writing.
बहुत बढ़िया जानकारी मिली! सुन्दर प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
आपको एवं आपके परिवार "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया"की तरफ से भारत के सबसे बड़े गौरक्षक भगवान श्री कृष्ण के जनमाष्टमी के पावन अवसर पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें लेकिन इसके साथ ही आज प्रण करें कि गौ माता की रक्षा करेएंगे और गौ माता की ह्त्या का विरोध करेएंगे!
मेरा उदेसीय सिर्फ इतना है की
गौ माता की ह्त्या बंद हो और कुछ नहीं !
आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
सबकी मनोकामना पूर्ण हो .. जन्माष्टमी की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें
अच्छी जानकारी मिली! सुन्दर प्रस्तुति.....मेरे ब्लांग मे आने के लिए धन्यवाद!
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ARE YOU READY FOR BLOG PAHELI -2
अपने पोस्ट के माध्यम से सुन्दर जानकारी दी है आपने ...आभार
Post a Comment