हरियाणा के विधानसभा चुनावों में कमल खिलाने के बाद अब प्रदेश में भाजपा सरकार का आना तय है और इस चुनाव परिणाम के बाद हरियाणा में नए मुख्यमंत्री को लेकर रस्साकस्सी तेज हो गई है | हरियाणा का नया मुखिया कौन होगा इसे लेकर असल मारामारी अब शुरू होने वाली है क्युकि भाजपा ने इस चुनाव में किसी एक चेहरे को प्रोजेक्ट करके चुनाव नहीं लड़ा है लिहाजा मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में भी आने वाले दिनों में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं |यहाँ की स्थिति भी इस समय एक अनार सौ बीमार वाली हो चली है जहाँ हर किसी की नजर मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर हो चली है | क्युकि इस चुनाव में भाजपा मोदी के चेहरे को आगे कर लोगों के बीच गयी है इसलिए हरियाणा का मोदी कौन होगा यह तय करने में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका ही अब देखने लायक होगी |
भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय अशोका रोड से भी अब इस बात के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं अगर सी एम को लेकर विधायको में किसी तरह की सहमति नहीं बनती है तो नए नेता के चयन में मोदी ही अपनी प्रभावी भूमिका निभाएंगे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता शायद यही वजह है शुरुवाती रुझान आने के समय से अमित शाह की मोदी से मुलाकात ने हरियाणा की बहुमत वाली भाजपा की बिसात को उलझा कर रख दिया है |
वैसे भाजपा ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर किसी के नाम को घोषित नहीं किया जिसके चलते असल खींचतान अब हरियाणा में मच सकती है | आमतौर पर भाजपा राज्यों में किसी चेहर्रे को प्रोजेक्ट कर चुनाव लडती रही है लेकिन हरियाणा की जाट और गैर जाट पालिटिक्स ने लम्बे कुछ समय से भाजपा का बंटाधार इस कदर कर दिया कि पार्टी कभी यहाँ दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पायी लेकिन इस बार हरियाणा में ‘चलो चलें मोदी के साथ ’ का नारा जोर शोर से ऐसा चला कि गैर जाटलैंड के इलाको के साथ ग्रामीण और शहरी दोनों इलाको में भाजपा का वोट प्रतिशत काफी बढ़ा है उसने पहली बार हरियाणा की जाटलैंड पालिटिक्स और परिवारवाद को इस कदर आईना दिखा दिया है कि हरियाणा की राजनीती के बड़े बड़े सूरमा इस जनादेश के सन्देश को अपने चश्मे से पढ पाने की स्थिति में नहीं हैं |
अब भाजपा के पास भी नए मुख्यमंत्री पद का संकट खड़ा हो गया है आखिर यह कमान किसे दी जाए ? | भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे कैप्टन अभिमन्यु इस समय मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदारों में शामिल हैं | युवा होने के साथ ही उनकी अमित शाह से गहरी निकटता अब नया गुल खिला सकती है | वैसे बीते दिनों शाह की ताबड़तोड़ प्रदेश में हुई रैलियों में कैप्टन ने जिस तरह अपनी बिसात बिछाई है उससे कई बार ऐसा लगा कि वही पार्टी की पहली पसंद इस समय हैं लेकिन हरियाणा की राजनीती में पार्टी के अन्दर भी उनके विरोधियो की कई नहीं है जो इस पद पर उन्हें देखना पसंद नहीं करना चाहते | ऐसे में मुश्किल विकट हो चली है | अभिमन्यु के साथ सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है केन्द्रीय नेतृत्व ने उनको जो जिम्मेदारी सौंपी उसे उन्होंने बखूबी निभाया है | इससे पहले उनको हाई प्रोफ़ाइल लोगो के सामने चुनाव लडाया गया लेकिन वह चुनाव हारते रहे हैं | रोहतक में हुड्डा का बेटे दीपेंदर के साथ वह मुकाबले के लिए पार्टी में सबसे पहले आगे आये | यह अलग बात है वह बीते दो चुनाव हरियाणा में हारते रहे हैं लेकिन इस बार नारनौद से उनकी जीत ने उनके मुख्यमत्री पद के रास्ते का अच्छा प्लेटफार्म तैयार कर दिया है | इस समय भाजपा में मोदी और शाह की जुगलबंदी गठबंधन से लेकर सरकार और सरकार से लेकर संगठन में हावी है और दोनों के साथ अभिमन्यु की काफी गहरी निकटता है | अगर सब कुछ ठीक रहा तो उनके सितारे हरियाणा में बुलंदी में जा सकते हैं लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत मनोहर लाल खट्टर के परदे के पीछे खड़ी हो सकती है । मोदी के साथ उनकी गहरी निकटता सभी दावेदारों का खेल खराब कर सकती है । इस दौर में संघ दरबार में उनकी मजबूत पकड़ सभी दावेदारों की सम्भावनाओ पर पलीता लगा सकती है । खट्टर डार्क हार्स बन सभी को अंतिम समय में चौंका सकते हैं ।
अहीरवाल इलाके में केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं | लोक सभा चुनावो से ठीक पहले वह हुड्डा के जहाज को छोड़ने वाले पहले शख्स थे | उन्होंने गुडगाँव लोक सभा सीट पर ऐतिहासिक जीत हासिल कर अपने विरोधियो को धूल चटा दी | अहीरवाल इलाके में इनके प्रभाव की कई विधान सभा सीटों पर भाजपा ने इस बार अपना कमल खिलाया है | राव इन्द्रजीत का पार्टी में प्रभाव का अंदाजा इसी बात से हम लगा सकते हैं पार्टी की टिकट आवंटन की पहली सूची में ही वह अपने चहेते लोगो को टिकट देने में कामयाब रहे थे और वहीँ चुनाव से पहले हरियाणा को लेकर होने वाली हर बैठक में वह उपस्थित रहे जिससे भाजपा हरियाणा में मजबूती के साथ अपना जनाधार बढ़ा पायी | अब चुनाव निपटने के बाद उनका दावा भी कम मजबूत नहीं है | वहीँ भारतीय जनता पार्टी की किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश धनकड़ भी अब मुख्यमंत्री पद की कतार में खड़े हैं | वह लोक सभा चुनाव में दीपेन्द्र हुड्डा से पराजित भी हो चुके हैं लेकिन वाजपेयी के दौर में धनकड़ पर पैट्रोल पम्प आवंटन का दाग शायद इस समय उनकी संभावनाओ पर पलीता लगा सकता है
| भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास शर्मा भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने रहने के लिए अपने समर्थको के साथ इस चुनाव में बिसात बिछाते देखे गए हैं और चुनाव परिणाम आने के बाद भी वह दिल्ली दरबार में अपने समर्थको के साथ लाबिंग करने में लग गए हैं | तीन बार पराजय झेलने के बाद अब मोदी लहर ने उनका बेडा इस बार पार करा दिया है | अहीर मतदाताओ पर उनका प्रभाव रहा है इसी के चलते 2000 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने एकतरफा जीत हासिल की लेकिन इस बार उनके कई चेहरे चुनाव जीत गए हैं यह देखना दिलचस्प रहेगा क्या इस बार वह मुख्यमंत्री बन पाते हैं ? कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए चौधरी बीरेंद्र सिंह का भी मुख्यमंत्री पद का दावा भाजपा में कमजोर नहीं है | वह सर छोटू राम के नाती रह चुके हैं जिनका हरियाणा में उनका जबरदस्त प्रभाव रहा | बीरेंद्र चार बार प्रदेश में मंत्री और तीन बार संसद रह चुके हैं | यू पी ए 2 के अंतिम कार्यकाल में हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में उनका नाम पवन बंसल के स्थान पर रेल मंत्री के रूप में खूब चला लेकिन हुड्डा से छत्तीस के आंकड़े के चलते वह केंद्र में मंत्री बनने से चूक गए | कांग्रेस में रहते उनकी मुख्यमंत्री पद को पाने की कसक पूरी नहीं हो सकी | अब भाजपा में आने के बाद वह अपना दावा मुख्यमंत्री पद के लिए छोड़ देंगे इस बात से कैसे इनकार किया जा सकता है |
अगर बात नहीं बनी तो भाजपा उनको राज्यसभा का लालीपाप थमाने के साथ कोई बड़ी जिम्मेदारी देने के साथ उनकी पत्नी को कोई बड़ा पद दे सकती है | हरियाणा में मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा हाईकमान की नजर में एक चौकाने वाला नाम इस समय कृष्णपाल गुर्जर का है। यदि गैर जाट मुख्यमंत्री पर भाजपा की सहमति बनी तो कृष्णपाल गुर्जर के नाम पर मोहर लगनी तय मानी जा रही है। इसके अलावा हरियाणा भाजपा में कोई ऐसा चेहरा नजर नहीं आ रहा है जिसे भाजपा हरियाणा में पहली बार कमान देने की सूरत में खड़ी है | लोकसभा चुनावों में पहली बार किस्मत आजमाने वाले कृष्णपाल गुर्जर ने हरियाणा में पहले नंबर पर रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की । व्यवहारकुशल कृष्णपाल गुर्जर हर वर्ग में अपनी पैठ रखते हैं। इसके अलावा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पूरे प्रदेश में अपने समर्थक तैयार कर लिए थे। भाजपा में न केवल जिला व प्रदेश स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कृष्णपाल गुर्जर का अच्छा रसूख है। गैर जाट कार्ड खेलना भाजपा की मजबूरी है इसलिए कैप्टन अभिमन्यु का नाम गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
दक्षिण हरियाणा मुख्यमंत्री हुड्डा के शासन में सबसे ज्यादा उपेक्षित रहा है। सर्वाधिक राजस्व देने के बावजूद फरीदाबाद व गुडग़ांव सबसे अधिक उपेक्षित रहे हैं | चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुए जहाँ सिरसा क्षेत्र में विकास कार्य चरम पर रहे वहीँ हरियाणा में भजनलाल के हाथ मुख्यमंत्री की कमान रहते हुए हिसार का जबरदस्त विकास हुआ | बीते 10 बरस में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक के आसपास के क्षेत्र का विकास किया | रोहतक में हुड्डा ने न केवल अपने चहेते लोगो को रेवड़ियाँ बांटीं दिलाई बल्कि अपने चहेते नौकरशाहों को उनके मनमाकिफ विभागों की जिम्मेदारियां दी | दक्षिण हरियाणा गैर जाट बैल्ट है और भाजपा यदि इस क्षेत्र से ही गैर जाट मुख्यमंत्री लाती है तो यह कांग्रेस की मुश्किलें आने वाले 5 बरस में बढ सकती हैं | डार्क हॉर्स के रूप में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का नाम भी यहाँ के सियासी गलियारों में चल रहा है | अगर भाजपा के संसदीय बोर्ड में ऊपर के किसी नाम पर सहमती नहीं बनती है तो अमित शाह और मोदी की जोड़ी सुषमा स्वराज के नाम को आगे कर सकती है | सुषमा मूल रूप से अम्बाला की हैं और अतीत में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाल चुकी हैं | सुषमा स्वराज अगर पहली बार हरियाणा की कमान सँभालने को तैयार हो जाती हैं तो हरियाणा को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलने का जहाँ गौरव मिल सकता है वहीँ उत्तरी हरियाणा को चौधर मिलेगी |
गैर जाट मुख्यमंत्री देना भाजपा की मजबूरी है और इधर गैर जाट मुख्यमंत्री के रूप में यदि नजर दौड़ाएं तो भाजपा के पास चंद चेहरे हैं। इनमें से एक नाम कृष्णपाल गुर्जर और दूसरा राव इंद्रजीत हैं। इसके अलावा रामबिलास शर्मा का नाम भी चर्चा में है। सूत्रों से पता चला है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कृष्णपाल गुर्जर या फिर सुषमा के पक्ष में है। रामबिलास शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा हाईकमान फिफ्टी फिफ्टी वाली स्थिति में है । इसके अलावा अन्य पसंद गुडग़ांव के सांसद राव इंद्रजीत कांग्रेस के नेता रहे हैं। भाजपा में वे हाल ही में शामिल हुए हैं | मौजूदा समीकरणों में भाजपा यदि उन्हें मुख्यमंत्री आगे लाती है तो भाजपा में विद्रोह हो सकता है। इसके अलावा राव इंद्रजीत सोनिया गांधी व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस में रहते हुए ही कोसते आए हैं इससे उनकी छवि पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। दक्षिण हरियाणा गैर जाट बैल्ट है। भाजपा यदि इस क्षेत्र से मुख्यमंत्री को लाती है तो इससे दक्षिणी हरियाणा के लोगो की नाराजगी कम होने के साथ ही गैर जाट और जाट दोनों समीकरण सध सकते हैं | वैसे इस चुनाव में भाजपा को इन दोनों समुदायों ने जमकर झोली भर के वोट दिया है | अब यह देखने दिलचस्प होगा कि भाजपा का संसदीय बोर्ड किसके नाम पर हरियाणा पर राजी होता है और किसके नाम की लाटरी हरियाणा में खुलती है ?
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