इजरायल में हुए आम चुनाव में बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुद  पार्टी और उनके सहयोगी दलों को स्पष्ट जीत मिली है। उन्होंने सेंटर लेफ्ट जियोनिस्ट यूनियन के आइजेक हेजबर्ग पर जीत दर्ज की है।  साथ ही नेतन्याहू के रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनने का रास्ता खुल गया है। आम चुनावों में यह नेतन्याहू की यह जीत बहुत बड़ी है । चुनाव में शानदार जीत के बाद नेतन्याहू  ने कहा कि इजरायल में एक मजबूत सरकार बनाएंगे।  इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजों में  नेतन्याहू  पिछड़ते नजर  आ रहे थे लेकिन जनता की नजर में नेतन्याहू जीत और भरोसे के नए नायक बनकर उभरे हैं ।  यह चुनाव इस मायने में भी ख़ास  रहा नेतन्याहू ने इस बार अपने को जनता से सीधे जोड़ने का प्रयास किया शायद यही वजह रही एंटी इन्कम्बेंसी की आहट दूर दूर तक नहीं सुनाई दी । 
 चुनाव प्रचार की तरफ उनका रुख  फिलिस्तीन को लेकर बेहद तल्ख़ रहा  । लिकुद  पार्टी ने इस चुनाव में देश कड़ी  सुरक्षा की वकालत की और ईरान के परमाणु कार्यक्रम  और फिलीस्तीनियों के साथ शांति प्रक्रिया में इजराइल के रुख के साथ किसी तरह के समझौते से साफ़ इंकार कर दिया था ।  इस चुनाव ने एग्जिट पोल की भी हवा इस मायने में निकाल दी कि लिकुद  पार्टी के खिलाफ हार का बड़ा माहौल लोगो के बीच बनाया गया लेकिन नेतन्याहू ने आखरी समय में चुनाव प्रचार का रुख खुद अपनी तरफ मोड़ने में सफलता प्राप्त की । अरब लिस्ट , जिओनिस्ट , कुलानू  , मेरेत्ज जैसी पार्टियो को पीछे छोड़ते हुए चौथी बार  प्रधानमंत्री बनने वाले इजरायल के पहले प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी अबकी बार  नेतन्याहू ने तोडा । जनता की अदालत में वह इजराइल के स्टार  नायक बनकर उभरे हैं ।  राजनीतिक पंडितो के भी तमाम पूर्वानुमान नेतन्याहू ने इन चुनावो में  धवस्त कर दिए  ।  नेतन्याहू की जीत पर वह भी चकित हैं  क्योंकि प्री-इलेक्शन पोल में हेजबर्ग की जियोनिस्ट यूनियन को चार-पांच सीट की बढ़त दिखाई गई थी जबकि लिकुद  पार्टी की 20 सीटें आने का अनुमान लगाया गया था लेकिन  नेतन्याहू के अतिराष्ट्रवादी इलेक्शन कैम्पेन ने चुनाव का खेल बदल दिया। उन्होंने इजरायल की जनता से वादा किया कि जब तक वह देश के पीएम बने रहेंगे फिलस्तीन कभी देश नहीं बन पाएगा और कोई भी अरब इजरायलियों का अपमान करने की हिम्मत नहीं करेगा शायद इस अपील ने उन्हें इस चुनाव में  लोगों को जोड़ने  का सीधा काम किया है  । 
 नेतन्याहू ने चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में  फलस्तीनी राज्य संबंधी अपनी पुरानी नीति को बदलने की बात कही थी।  इजरायली आम चुनावों परिणाम की अंतिम घोषणा होने के बाद 120 सदस्यीय संसद में नेतन्याहू की सत्तारूढ़ लिकुद पार्टी को 30 सीटें मिली हैं। इजाक हेजरेग के नेतृत्व वाली मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल जिओनिस्ट यूनियन को 24 सीटें मिली हैं। इजरायल के अभी तक के त्रिशंकु चुनाव परिणामों को देखते हुए लिकुद को मिली जीत को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले आम चुनाव में महज 18 सीटें जीतने वाली लिकुद पार्टी के लिए 30 सीटों पर मिली जीत से  कार्यकर्ताओं के मनोबल में निश्चित ही इजाफा हुआ है । 
वहीँ इस जीत के बाद अब अमरीका के साथ नेतन्याहू  के रिश्तों में तल्खी आने के कयास  भी शुरू हो गए हैं । नेतन्याहू के जीतने के बाद अमरीका से आई पहली प्रतिक्रिया  से जैसे संकेत मिले हैं उसे दोनों मुल्को के बीच के सम्बन्धो के पटरी से उतरने के रूप में देखा जा रहा है ।    अमरीका ने  खुले तौर पर पहली बार  नेतन्याहू के चुनाव जीतने के लिए  अपनाए गए तरीकों की आलोचना की है । दरअसल इस समूचे दौर में अमरीका की आशंका इस बात को लेकर गहरा गयी  चुनाव प्रचार में नेतन्याहू ने जिस तरीके से कहा  अगर लिकुद  फिर से सरकार बनाने में सफल होती है तो फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र  के निर्माण को मंजूरी नहीं देंगे । अमरीका शुरुवात से  दोनों राष्ट्रों के मसलो को हल करने में अपनी दिलचस्पी दिखाता रहा है लेकिन नेतन्याहू के हाल के समय में दिए गए बयानों से अब इजराइल  और अमरीका के बीच रिश्ते सामान्य रह पाने की उम्मीद कम ही है । 
 ईरान परमाणु समझौते को लेकर  नेतन्याहू ने ओबामा पर सीधा निशाना  हाल में साधते हुए कहा था  अमेरिका और ईरान में  परमाणु  समझौता  में  इजराइल  के लिए संकट पैदा कर सकता है । इजराइल शुरू से इस बात की लकीर खींचता रहा है ईरान पूरे विश्व के लिए आने वाले दिनों में बड़ा खतरा पैदा कर सकता है । हाल में नेतन्याहू ने  यह  भी कहा कि उनका देश  पश्चिम एशिया में मौजूदा हालात को देखते हुए फलिस्तीनियों के लिए जमीन नहीं छोड़ेगा क्युकि इससे  जमीन ईरान समर्थित इस्लामी चरमपंथियों के हाथ लग सकती है ।  हिलेरी ने  2009  में फलिस्तीनी राज्य के गठन का समर्थन जब  किया  तब भी  तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को  यह कतई मंजूर नहीं था। आज भी वह इस मसले पर टस से मस  नहीं हुए हैं ।  अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा के लाख  दखल देने पर भी नेतन्याहू ने फिलिस्तीन  राज्य के गठन को समर्थन देने से इनकार कर दिया है । अब इस नई  पारी में अगर हालत ऐसे ही रहे और दोनों पक्ष सुलह के  किसी निर्णय पर नहीं पहुँचते हैं तो आने वाले दिनों में इजराइल फिलिस्तीन विवाद  फिर से बढ़ने के आसार दिख रहे हैं ।  देखना होगा इस नयी पारी की चुनौतियों का सामना  बेंजामिन नेतन्याहू कैसे करते हैं ? 

 
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