गुरुनानक के पिता कालू मेहता ने जब अपने बेटे नानक को व्यापार करने के लिए 20 रुपये दिए तो गुरूजी ने उन पैसों से व्यापार का सौदा न खरीदकर भूखे साधुओं को भोजन करा दिया था | पिता के थप्पड़ मारने पर गुरुनानक ने कहा था मैं दुनिया में कोई झूठा सौदा भी नहीं करना चाहता हूँ | उन रुपयों से साधुओं की भूख मिटाकर मैंने सच्चा सौदा किया है लेकिन किसे पता था सच्चे सौदे और गुरु के नाम पर खुद को राम रहीम और इंसा कहने वाला गुरुमीत एक दिन अपनी काली करतूतों से न केवल खुद को बल्कि पूरी मानवता को शर्मसार कर देगा | धर्म के मायावी तिलस्म में आस्था के दुष्परिणाम क्या होते हैं, यह हमने रामपाल के डेरे में देखा | यही नहीं खुद को बड़ा बापू बताने वाला आसाराम भी किस तरह अपनी मायावी दुनिया के मोहपाश में महिलाओं को यूज करता था यह भी हम देख चुके हैं | बीते बरस से ही बापू अपने बेटे नाराणस्वामी के साथ सलाखों की हवा खा रहे हैं | आशाराम बापू, राधे मां , गुरुमीत , इच्छाधारी सरीखे धर्मगुरूओं ने धर्म और नैतिकता के नाम पर जो कुछ भी किया है वह अक्षम्य है और कभी संत महात्माओं के लिए जाना जाने वाला भारत आज इन राम रहीम सरीखे पाखंडी बाबाओं के कारण शर्मसार हो रहा है |
खुद को संत मानने वाला बाबा गुरमीत राम-रहीम के बारे में कल सुनारिया जेल में सजा का बड़ा फैसला आ गया जिसमें साध्वियों से उत्पीड़न के दो अलग अलग मामलों में उसे 10 -10 बरस की सजा सुनाई गयी है | शुक्रवार को जैसे ही पंचकूला में वह बलात्कार के दोषी पाए गए उसके बाद से ही हरियाणा , पंजाब और दिल्ली में हिंसा का जैसा तांडव मचा उसने पहली बार राजनेताओं और बाबाओं की साठगांठ के चेहरे को सही मायनों में सबके सामने उजागर कर दिया | पंचकूला , सिरसा सरीखे शांत शहर हिंसा की आग में जैसे झुलसे उसने हरियाणा की मनोहर लाल सरक़ार को भी कटघरे में खड़ा किया | बाबा के समर्थकों ने जिस अंदाज में तांडव मचाया उसकी मिसाल देखने को नहीं मिलती | पार्क से लेकर रेल , बस से लेकर निजी वाहन हर किसी को आग के हवाले कर दिया गया | लोग अपने घरों में दुबक कर रहने लगे | बाजार बंद हो गया तो शहर में कर्फ्यू सरीखा माहौल देखने को मिला | बाबा के समर्थकों ने गिरफ्तारी के नाम पर सडकों में हिंसा का जैसा नंगा नाच पुलिस और प्रशासन के सामने किया उसने सभ्य कहे जने वाले भारतीय आचरण पर सवाल खड़े कर दिए | लोकतंत्र के चौथे सतम्भ पत्रकारों को भी बाबा के अनुयायियों ने कहीं का नहीं छोड़ा और मीडिया कर्मियों से अभद्रता की और कई ओ बी वैन को फूंक दिया | पंचकूला सरीखा हरियाणा का शांत माना जाने वाला शहर कुछ ही घंटों में ख़ाक हो गया |
बाबा ने अपने फैसले के आने से पहले ही उत्तेजक माहौल बनाकर देश की न्याय प्रणाली को यह चेतावनी देने की कोशिश की कि यदि निर्णय उनके खिलाफ आया तो देश अराजकता के हवाले कर दिया जाएगा। उसके सभी भक्त भारत का नामोनिशॉन मिटा देंगे। किसी जीवंत लोकतंत्र में ऐसी हिंसा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकती जहाँ न्यायपालिका के निर्णय को ठेंगा दिखाते हुए लोग कानून को अपने हाथ में ले लें | शुक्रवार को जब अदालत ने बाबा गुरमीत को दोषी करार दिया तो पांच मिनट के भीतर हरियाणा समेत दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अनेक जगहों से आगजनी व तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आने लगीं। देखते-देखते करोड़ों की संपत्ति नष्ट कर दी गई और नियंत्रण के उपाय में पुलिस व सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 38 लोगों की मौत हुई और एवं 250 से अधिक लोग घायल हो गए। किसी भी सभ्य समाज में ऐसी हिंसा नहीं होनी चाहिए | बाबा के बलात्कार मामले में फैसला आने से ठीक पहले से ही पंचकूला में बाबा के समर्थक इकट्ठा होने शुरू हो गए थे | इस मामले में हरियाणा की मनोहरलाल सरकार ने पिछली घटनाओं से सबक नहीं लिया | रामपाल और जाट आंदोलन के दौरान भी हमने देखा किस तरह सरकार इससे निपटने में नाकाम साबित हुई और बाबा रामरहीम के मसले पर भी पूरी सत्ता , पुलिस और प्रशासन बाबा के आगे नतमस्तक हुई दिखी | जबकि चंडीगढ़ के डी जी पी ने 22 अगस्त को ही डेरा के अनुयायियों के इरादों को भांप लिया था | सरकार चाहती तो वह फैसले से पहले ख़ामोशी से अपना काम डेरा समर्थकों को पंचकूला कूच करने से पहले रोक सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ पंचकूला में बाबा के सैकड़ों समर्थकों ने बड़ी बड़ी गाड़ियों में अपना शक्ति प्रदर्शन किया | डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम पर यौन शोषण का आरोप सिद्ध हुआ तो उनके सर्मथकों ने उत्तरी भारत में हिंसा का तांडव रचकर जता दिया कि अदालती आदेश के उनके लिए कोई मायने नहीं हैं और अदालत उनके बाबा पर फैसला नहीं कर सकती क्युकि उनका बाबा गॉड ऑफ़ मेसेंजर है |
हैरानी की बात यह है कि चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा एवं पंजाब की सरकारों को पता था कि 24 अगस्त को यह फैसला आना है और उनके समर्थक तीन दिन पहले से ही पंचकूला में धारा 144 लगाए जाने के बाबजूद लाखों की संख्या में आना शुरू हो गए तब उनको नियंत्रित क्यों नहीं किया गया। बड़ी संख्या में पुलिस के अलावा अर्ध-सैनिक बलों 15 हजार जवान तैनात थे। थल सेना गश्त कर रही थी। बाबजूद बाबा के समर्थक लाठी, हथियार और पेट्रोल व डीजल, ऐ के 47 लेकर संवेदनशील क्षेत्रों में घुसे चले आए। खुफिया एजेंसियां को भी इनकी मंशा की भनक तक नहीं लग पाई। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि एजेंसियों के अधिकारी-कर्मचारियों ने क्षेत्र में जाकर न तो समर्थकों से बातचीत की और न ही उनकी तलाशी ली। यहाँ तक की डेरा अनुयायियों ने एक रणनीति के तहत अपने लोगो के खाने पीने के पूरे बंदोबस्त किये हुए थे |
डेरा मामले में खुफिया एजेंसियों की बड़ी चूक है साथ ही सरकार की डेरा से निकटता के चलते पुलिस भी तमाशबीन बानी रही इसलिए उन्हें भी इस हिंसा के लिए दोषी ठहराए जाने की जरूरत है। धारा 144 लगाने का मतलब है 4 से 5 लोग एक ग्रुप में साथ साथ नहीं रह सकते |लेकिन हरियाणा के पर्यटन मंत्री पंडित रामविलास शर्मा ने तो हद ही कर दी | मीडिया के सामने आकर उन्होंने यह कहा 144 धारा डेरा अनुयायियों पर लागू नहीं होती | वह तो शांतिप्रिय लोग हैं और उनके खाने पीने की व्यवस्था करना सरकार का काम है | राजनीती कैसे इन बाबाओं के सामने नतमस्तक हो जाती है यह इस प्रकरण से हम बखूबी समझ सकते हैं | साफ़ है खट्टर सरकार भी अपने वोट बैंक के मद्देनजर डेरा अनुयायियों पर सख्ती नहीं बरती | यहाँ तक कि पुलिस भी डेरा से आने वाले लोगों की आवभगत में जुटी रही | इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है इस पूरे मामले में हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार कोर्ट की तरफ से पड़ी जिसमे उसने साफ़ किया सरकार इस मामले पर सख्ती दिखाए और अगर वह ऐसा नहीं करती तो क्यों ना डी जी पी को ही बर्खास्त कर दिया जाए | कोर्ट ने तो हिंसा करने वालों को सीधे गोली मारने के आदेश भी दिए थे लेकिन इसके बाद भी सरकार अगर रेंग नहीं पायी तो इसे वोट बैंक के आईने में देखना होगा जहाँ भाजपा , कांग्रेस , इनेलो सब डेरे के आसरे अपनी चुनावी बिसात हर चुनाव में अपने अनुकूल बिछाते रहे | पंजाब की तकरीबन 27 तो हरियाणा की तकरीबन तीन दर्जन सीटों पर डेरा का ख़ास प्रभाव है | पडोसी राज्य राजस्थान में गंगानगर संभाग भी पूरी तरह डेरा के वोट से घिरा हुआ है जहाँ राम रहीम के बिना चुनाव में पत्ता भी नहीं हिलता | डेरा हर चुनाव में जिस पार्टी की ओर इशारा करता है हवा का रुख उस पार्टी की तरफ मुड़ जाता है और वह पार्टी सत्ता का सुख भोगती है | सरकार खट्टर की रही हो या चौटाला या हुड्डा की गाहे बगाहे डेरा के आगे हरियाणा की पूरी सरकारें नतमस्तक रही हैं |
1948 में शाह मस्ताना ने डेरा सच्चा सौदा की नीव रखी | 90 के दशक में गुरमीत राम रहीम ने जब से गद्दी संभाली तब से डेरा में पांच सितारा संस्कृति न केवल हावी हुई बल्कि गुरमीत का डेरा विवादों से चोली दामन का साथ रहा | सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का ये आश्रम करीब सात सौ एकड़ में फैला हुआ है। सबसे खास बात ये है कि इस आश्रम के अंदर ही सबकुछ है। गुरमीत राम रहीम का मायालोक ऐसा है जहां एक तरफ आस्था का आश्रम है और दूसरी तरफ ऐश का अड्डा। 700 एकड़ में बसा एक ऐसा शहर, जहां पत्ता भी डोलता है तो राम रहीम के इशारे पर। यह अपने आप में एक शहर से कम नहीं। आश्रम में एक हवाई पट्टी भी है, जिसपर बाबा राम रहीम का प्लेन लैंड और टेकऑफ करता है। महंगी बाइक और इंपोर्टेड कार गुरमीत बाबा राम रहीम के लिए मानो जिद की हद तक के शौक हैं। उसकी ऐशगाह में उनके पास महंगी कारों का एक लंबा चौड़ा काफिला है। बड़ा स्टेडियम भी है जहाँ सुविधाएं हैं | इस पाखंडी बाबा के गैराज में मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी, लेक्सस और टोयोटा जैसी कई कारें हैं | जिस एसयूवी से राम रहीम बाहर सड़कों पर निकलते हैं, वो गाड़ी बुलेटप्रूफ भी है और उसमें जैमर भी लगा हुआ है।यही नहीं बाबा को सरकार ने जेड प्लस की सुरक्षा भी मिलती थी | यह बाबा मॉडर्न है | विलासिता और अय्याशियों का शौक ऐसा जिसकी गुफा में महिलाएं ही महिलाएं हैं | बाबा की दुष्कर्म की दुनिया ऐसी जहाँ उनके दुष्कर्म को पिताजी की माफ़ी कहा जाता था | बाबा ने अपने इस आश्रम में अपनी रसूख और सरकार में दखल का फायदा उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ा |
डेरा सच्चा सौदा की शुरुआत 1948 में एक संत शाह मस्ताना ने की थी। लेकिन 1990 में डेरा की सत्ता संभालने के बाद ये राम रहीम की जागीर बन गया। 1998 में बेगू गाँव के एक बच्चे की डेरा के वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई | तब डेरा प्रमुख ने खबर छापने पर खासा बवाल किया था| 2002 में बाबा के खिलाफ उनकी शिकायत पर दुष्कर्म व यौन उत्पीड़न का प्रकरण दर्ज किया गया था। तब साध्वियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी को पत्र लिखकर बाकायदा शिकायत की थी | वाजपेयी को लिखी उस गुमनाम चिठ्ठी ने डेरा की संगीन दीवारों का सच सबके सामने लाने का काम किया | यही नहीं 2002 में डेरा समिति के अहम् सदस्य रणजीत सिंह का क़त्ल भी किया गया | कहा गया रणजीत ने ही साध्वियों से चिट्ठी लिखवाई | | उस दौर में वाजपेयी ने चिट्ठी को सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश के पास भेज दिया था जिसके बाद सिरसा के मजिस्ट्रेट को जांच के आदेश दिए गए | 2002 में साध्वियों की आवाज को नई धार पूरा सच अखबार में देने वाले रामचंद्र छत्रपति ने दी | बलात्कार की खबर छपने के बाद बाबा के समर्थकों ने 5 गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी और अपोलो अस्पताल में 28 दिन जिंदगी और मौत से जूझते छत्रपति के बयान पुलिस तक ने दर्ज नहीं करवाया इससे बड़ी त्रासदी इस सिस्टम की क्या हो सकती है जब राजनेता और डेरा प्रमुख मिलकर समानांतर सरकारें चलाया करते हो | 2007 में ही डेरा प्रमुख राम रहीम ने गुरु गोबिंद सिंह की वेशभूषा पहनकर अपने शिष्यों को अमृतपान करवाया था जिससे सिख समाज बड़ा आहत भी हुआ था | यही नहीं राम रहीम पर कई लोगों को नपुंसक बनाए जाने के आरोप भी लगे हैं जिन पर फैसला आना अभी बाकी है | साथ ही पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या की अहम् सुनवाई भी अब 25 सितम्बर को है जहाँ उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है | साध्वी बलात्कार के मामले में राम रहीम जेल की सलाखों के पीछे हैं इसके पीछे पूरा सच अखबार की सबसे बड़ी भूमिका है | सलाम रामचन्द्र छत्रपति को जिन्होंने सिरसा के अपने छोटे से अखबार में राम रहीम की काली करतूतों और बाबा की गुफा के सच को अपने अखबार के माध्यम से उजागर किया | अखबार कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता है शायद यही काम रामचंद्र की खबर ने पूरा सच अखबार में लिखकर कर दिया | इसके बाद 2005 -06 में सी बी आई के अधिकारी बदलते रहे और जांच सही से शुरू नहीं हो पायी | उस दौर में हरियाणा में चौटाला की सरकार थी जिनकी निकटता डेरा के साथ थी जिसके चलते जांच शुरू नहीं हो पायी | चौटाला के बाद हुड्डा भी रामरहीम के साथ वोट बैंक के आसरे गलबहियां करते रहे जिसके चलते मामले को सी बी आई के सामने रफा दफा करने की और प्रलोभन देने की कोशिशें की गयी | वो तो शुक्र रहा सी बी आई के अफसर सतीश डागर का जिन्होंने बिना दबाब के मामले को अंजाम तक पहुंचा दिया | उन्होंने न केवल साध्वियों को गवाही के लिए तैयार किया बल्कि अम्बाला से यह केस पंचकूला तक विशेष सी बी आई अदालत तक पहुंचा दिया | 3 बरस बाद ट्रायल इस मामले में शुरू हुआ | 2016 में पूरे 52 गवाह , 15 वादी और 37 प्रतिवादी सामने आये और पीड़ित साध्वियों के बयान 2009 -10 में दर्ज हुए | राम रहीम को दोषी ठहराने के लिए दो पीड़ित साध्वियों ने 15 साल कानूनी लड़ाई लड़ी जिसके लिए उनको भी सलाम | सच में इस फैसले ने तो साबित ही कर दी है कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हैं और कोई भी अपराधी पुलिस की पकड़ से बहार नहीं जा सकता चाहे उसकी रसूख कितनी ही ऊँची क्यों ना हो |
25 अगस्त 2017 के दिन को हमेशा याद रखा जाएगा क्युकि विशेष सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को बलात्कार के मामले में दोषी पाया और 28 अगस्त 2017 भी हमेशा याद रखा जायेगा जहाँ सुनारिया जेल में ही कोर्ट लगा और बाबा को 10-10 साल की सजा हुई | साध्वियों के बयानों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर यह इल्जाम सही साबित हुआ। बाबजूद समर्थकों ने पीड़ित साध्वियों का पक्ष लेने की बजाए उस बाबा का साथ दिया, जिसने बाबा का रूप रखकर जघन्य अपराध किया था। भारत में यह बेहद दुखद स्थिति है कि भक्तगण धर्म के मायालोक में इतने अंधविश्वासी हो जाते हैं कि वे अपना सही-गलत का विवेक तो खोते ही हैं, कानून भी अपने हाथ में लेकर, अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारने का काम कर देते हैं। खद बात यह है बलात्कार में दोषी पाए जाने के बाद भी भक्तों की नज़रों में राम रहीम जैसे विलासी लोग दैवीय शक्ति के प्रतीक बन जाते हैं। नतीजतन इनके सम्मोहन में आकर लोग अंधेपन का शिकार होकर अपने जीवन को पंगु बना देने का काम कर डालते हैं। राम रहीम जैसे बाबाओं को महिमामंडित करने का काम हमारे राजनेता भी उनकी शरण में जाकर करते हैं। इस कारण आम जनता का मानस इन्हें चमत्कारी मानने का भ्रम पाल लेती है। मिसाल देखिये 25 अगस्त को राम रहीम पर फैसले आने से पहले हरयाणा के तो ताकतवर मंत्री रामविलास शर्मा , अनिल विज बाबा के डेरा में सिरसा में मिले भी थे जहाँ 51 लाख का चंदा हरियाणा सर्कार की तरफ से उन्होंने दिया | 2014 में मोदी के सत्ता में आते आखिरी पलों में डेरा ने खुलकर भाजपा को वोट देने का ऐलान अपने समर्थकों के बीच किया था जिसका असर यह हुआ केंद्र और राज्य के चुनाव में भी भाजपा का कमल हरियाणा में खिला |
सुनारिया जेल में कल सीबीआई अदालत ने जो फैसला राम रहीम पर सुनाया है उसने एक साथ कई चेहरों से नकाब उठा दिया। धर्म के इस पाखंडी बाबा का धर्म से कोई लेना देना नहीं है और ना ही आध्यात्म से। लोगों की भावनाओं और आस्था को भड़काकर इस शख्स ने अय्याशी का साम्राज्य खड़ा किया है। यह शख्स खुद को आस्था का अवतार, लोगों का भगवान कहता था। फिल्में दिखाकर कुछ भी कर गुजरने का दावा करता था। सीबीआई की विशेष अदालत के एक फैसले ने साबित कर दिया कि लोगों की आस्था ने जिसे अब तक एक पहुंचा हुआ बाबा माना था, वो असल में बलात्कारी से ज्यादा कुछ भी नहीं था ।
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