भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय और प्रभावशाली नेता रहे। उन्होनें न केवल भारतीय राजनीति में अपनी अलहदा पहचान बनाई बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सम्मान अर्जित किया। अटल को राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी किसी से द्वेष नहीं रखा और हर विचारधारा का सम्मान किया। उनका जीवन सिद्धांतों, नैतिकता और समर्पण का प्रतीक था।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे, जिन्होंने उन्हें शिक्षा और जीवन के मूल्यों की अहमियत सिखाई। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने राजनीति विज्ञान में भी गहरी रुचि ली और एक अच्छे वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई।अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक जीवन भारतीय जनसंघ से जुड़कर शुरू हुआ। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रेरित थे और उनकी विचारधारा को अपनाया। 1957 में, वे पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। इसके बाद, उनका राजनीतिक करियर लगातार उन्नति की ओर बढ़ता गया। वे भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के संस्थापक सदस्य रहे और पार्टी को एक नई दिशा देने में उनकी भूमिका अहम रही।
अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल भारतीय राजनीति के एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में याद किया जाता है। वे 1996, 1998 और 1999 में तीन बार प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल में 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण हुआ । विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के वो पहले नेता थे जिसने अपनी भाषण कला से दुनिया का दिल जीत लिया। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और अटल जी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 1998 में वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। 13 महीने के इस कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की ताकत का अहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत किसी के आगे नहीं झुका।
अटल ने ही 1999 में दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई और पड़ोसी पाक के साथ एक नए युग की शुरुआत की लेकिन ये मित्रता अधिक दिनों तक नहीं चल सकी। पाकिस्तानी सेना ने कारगिल क्षेत्र में बड़ी घुसपैठ की जहाँ पाक को हार का सामना करना पड़ा। इस विजय का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को गया और 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर सबसे बड़ी पार्टी बनी और सरकार बनायी। अटल जी ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में भी सकारात्मक बदलाव की कोशिश की। 1999 में उन्होंने अपनी बस से भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद का नया रास्ता खोला ।
अटल जी की विदेश नीति जबरदस्त रही। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने कई वैश्विक मंचों पर अपनी ताकत दिखाई। उनके नेतृत्व में भारत वैश्विक राजनीति के केंद्र में स्थापित हुआ जहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता मिली। अटलबिहारी वाजपेयी गठबंधन की राजनीती के सबसे बड़े जनक रहे। दो दर्जन से अधिक दलों को साथ लेकर सरकार चलाना बहुत कठिन काम उस दौर में समझा गया लेकिन अटल जी ने अपनी दूरदृष्टि से यह संभव कर दिखाया। उनकी सरकार ने गठबंधन की राजनीति को एक नई राह दिखाई। अटल में सबको साथ लेकर चलने की जबरदस्त कला थी जो उन्होनें अपनी गठबंधन सरकार के कुशल नेतृत्व के माध्यम से देश को दिखाया। अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व एक उदार चरित्र का प्रतीक था। उनके भाषणों में गहरी सोच दिखाई देती थी साथ ही उनका कवि दिल बड़ा था और वे समाज के वंचित और शोषित तबके की आवाज को मुखरता के साथ उठाया करते थे। अटल ने अपने पूरे जीवन में राजनीति को एक साधन के रूप में देखा। उनकी राजनीती में सुशासन, ईमानदारी के गुण दिखाई देते थे। वे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद प्रति भी सम्मान का भाव रखते थे शायद यही वजह रही कि उन्हें राजनीति के अजातशत्रु कहा गया। अटल ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए तत्कालीन केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री बी. सी. खंड़ूडी के नेतृत्व में स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की। उनकी सरकार ने सुशासन को सही मायनों में साबित करके दिखाया और गाँव के अंतिम छोर तक विकास की किरण पहुंचाने का काम किया।
अटल की सरकार ने के रहते देश में हर क्षेत्र में विकास की नई गौरवगाथा लिखी गई। 2004 में जब लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने उनके नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा लेकिन इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। इसके बाद लगातार अस्वस्थ्य रहने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से सन्यास ले लिया।अटल जी की कविता, भाषण करने की कला, नेतृत्व क्षमता ने राजनीति को एक नई ऊँचाई पर पहुंचाया। वे भारतीय राजनीति के ऐसे सितारे कहे जा सकते हैं जिनकी चमक हमेशा बनी रहेगी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। भारतीय राजनीति के युगपुरुष, अजातशत्रु अटल जी का 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनका व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था। सही मायनों में अगर कहा जाए तो अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे। देश अटल जी के योगदान को कभी भुला नहीं पायेगा।
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