Sunday, 16 February 2025

जीआईएस बनेगी एमपी के लिए वरदान, रोजगार सृजन के साथ अर्थव्यवस्था को मिलेगी 'बूस्टर डोज'

एमपी में आगामी 24 और 25 फरवरी को राजधानी भोपाल में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2025 प्रदेश की अर्थव्यस्था के लिए एक मील का पत्थर  साबित  होगी जो राज्य  को विकास की एक नई दिशा प्रदान  करेगी।  इस समिट के जरिए मध्यप्रदेश ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावनाएं बनती दिखाई दे रही हैं। इसके माध्यम से एमपी की अर्थव्यवस्था को एक ‘बूस्टर डोज’ मिल सकता है। मध्य प्रदेश की वर्तमान जीडीपी 2.9 लाख करोड़ रूपये है। अब मोहन सरकार जीआईएस और अपनी  निवेश नीति में बदलाव कर अगले 5 सालों में इसे बेहतर करने की दिशा में मजबूती के साथ अपने कदम बढ़ाती नजर आ रही है। अगर निवेश सही से परवान चढ़ा तो वर्ष 2030 तक मध्यप्रदेश की जीडीपी लगभग 6 लाख करोड़ रूपये को पार कर सकती है।  

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का मुख्य उद्देश्य राज्य में उद्योग, वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना है। यह समिट मध्य प्रदेश के आर्थिक ढांचे को सुदृढ़ करने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में सहायक साबित हो सकती है।निवेश के समुचित अवसरों को देखते हुए राज्य सरकार ने विभिन्न सेक्टरों में  निवेशकों को आमंत्रित किया है जिसका अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।  जीआईएस 2025 एमपी के लिए  न केवल निवेश के अवसर प्रदान करने का एक आयोजन है बल्कि यह राज्य को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर उभारने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी है।

मध्यप्रदेश सरकार उद्योग के अनुकूल माहौल बनाने के लिये प्रतिबद्ध नजर आ रही है। मध्यप्रदेश पर्यटन फार्मास्युटिकल्स ऑटोमोबाइल खनन डेयरी और खाद्य प्र-संस्करण जैसे क्षेत्रों के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। मध्यप्रदेश एक्सपोर्ट प्रिपेअर्डनेस इंडेक्स में देश के शीर्ष दस राज्यों में मध्यप्रदेश ईज़-ऑफ-डूइंग बिजनेस रैंकिंग में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है। यहां व्यापार संचालन और निवेश के लिये माहौल को अत्यधिक अनुकूल बनाया गया है। इसके साथ ही नियामकीय प्रक्रियाओं को अत्यंत सरल किया गया है। इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिल रहा है। प्रदेश में किये गए मुख्य सुधारों में ऑनलाइन पंजीकरण, लाइसेंसिंग और अनुमति स्वीकृति जैसी व्यावसायिक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण और इन्वेस्ट मध्यप्रदेश विंडो प्रमुख हैं। इन्वेस्ट पोर्टल को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम के साथ एकीकृत किया गया है। इससे निवेशकों का एमपी में तेजी से विश्वास बढ़ रहा है। 

मोहन यादव की निवेशक-फ्रेंडली नीतियाँ राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वारा शुरू हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की पहल से एक साल के भीतर  निवेशकों के लिए एक आकर्षक माहौल तैयार हुआ है। उन्होंने राज्य में औद्योगिक विकास के लिए एक मजबूत नीति तैयार की जिसमें स्थिरता और पारदर्शिता की गारंटी दी गई। इसने निवेशकों का  दिल जीता और मोहन के प्रति विश्वास बढ़ाया जिसने  राज्य में निवेश बढ़ाने के रास्ते खोले।निवेशकों के लिए एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू र पारदर्शी प्रशासन रहता है । सीएम डॉ.मोहन यादव ने यह सुनिश्चित किया कि राज्य में प्रशासनिक प्रक्रियाएं पारदर्शी हों, जिससे निवेशकों को कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों का सामना न करना पड़े। उन्होंने कई व्यवस्थाओं को डिजिटल किया जिससे प्रशासन में विश्वास बढ़ा और राज्य में निवेश बढ़ा। उनके  द्वारा किए गए सुधारों से राज्य में विदेशी कंपनियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ जिससे राज्य में विदेशी निवेश परवान चढ़ रहा है और  कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित करने में रूचि दिखा रही हैं।

मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिए 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की औद्योगिक भूमि-बैंक है। इसमें से 19,011 हेक्टेयर क्षेत्र उद्योगों के लिए विकसित किए जा चुके हैं । राज्य में 76 विकसित 19 विकासाधीन और 13 प्रस्तावित भूमि-बैंक हैं जो 5 ग्रोथ सेंटर्स में फैले 79 भूखंडों में वितरित हैं। टैक्सटाइल नीति के अंतर्गत संयंत्र और मशीनरी के लिए गए टर्मलोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान सुविधा 5 वर्षों के लिए अधिकतम, 50 करोड़ रूपये प्रदाय की जाएगी।  अपेरल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना पर 25 प्रतिशत सहायता अधिकतम 50 लाख रूपये वित्तीय सहायता प्रदाय की जाएगी साथ ही 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाईयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टमाइज्ड पैकेज के लिए पात्र होंगी।  इसी प्रकार नवकरणीय ऊर्जा उपकरण विनिर्माण नीति में विकास शुल्क में 50 प्रतिशत की रियायत दी जाएगी।  गुणवत्ता प्रमाणन लागत का 50 प्रतिशत या 1 लाख रूपये जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति की जाएगी। 250 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली मेगा श्रेणी की इकाइयां सीसीआईपी अंतर्गत कस्टामाइज्ड पैकज के लिए पात्र होंगे जाएगी।परिधान, फुटवियर, खिलौने और सहायक उपकरण नीति में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार प्रति कर्मचारी 5 हजार रूपये प्रति माह 5 वर्षों तक नियोक्ता को दिया जाएगा। प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए 13 हजार रूपये प्रति नए कर्मचारी के लिए 5 वर्षों तक प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार टर्मलोन पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, अधिकतम 50 करोड़ रूपये दिया जाएगा। विकास शुल्क में 25 प्रतिशत की रियायत देने के साथ स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क सहायता में 100 प्रतिशत की छूट दी  जाएगी। विद्युत टैरिफ रियायत के रूप में 1 रूपये प्रति यूनिट, अधिकतम 5 वर्षों के लिए प्रदान की जाएगी।  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को इस समिट से लाभ मिलेगा। अभी प्रदेश में 12.50 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं। इनमें 66 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जीआईएस में देश के बड़े उद्योगपतियों के साथ विदेशों के भी निवेशक शामिल होंगे। हाल ही में सीएम डॉ मोहन यादव ने जापान की यात्रा की। वहां के निवेशकों ने अपने मौजूदा उद्यमों का विस्तार करने की बात कही है। इसके पहले सीएम की ब्रिटेन और जर्मनी यात्रा के दौरान भी वहां की कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई थी। यह तीनों देश जीआइएस में सहभागी रहेंगे।  नवाचार-आधारित उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश स्टार्ट-अप नीति-2022 जारी की है। एमएसएमई इकाइयों के विस्तार और राज्य में स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना प्रारंभ की गई है। निवेश को आकर्षित करने के लिए, राज्य सरकार ने एमएसएमई विकास नीति और औद्योगिक प्रोत्साहन नीति प्रारंभ की है।

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भाग लेने वाले निवेशक न केवल राज्य में निवेश करने के इच्छुक हो रहे हैं, बल्कि इस समिट के माध्यम से मध्यप्रदेश के पास औद्योगिक विकास के लिए कई नई परियोजनाओं की शुरुआत हो सकती है। प्रदेश में होने जा रहे निवेश के परिणामस्वरूप राज्य में औद्योगिक ढांचा मजबूत होगा और नई रोजगार संभावनाएं उत्पन्न होंगी।समिट के आयोजन के बाद नए निवेश से सड़क, परिवहन, ऊर्जा, जल आपूर्ति और संचार क्षेत्र में विकास होगा। इससे राज्य के अंदर और बाहर व्यापार की गति तेज होगी, और इससे राज्य की विकास दर में तेजी से वृद्धि होगी। निवेश के कारण नए उद्योगों के निर्माण से राज्य सरकार को टैक्स और अन्य राजस्व की प्राप्ति होगी। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के जरिए विभिन्न विदेशी कंपनियां मध्य प्रदेश में अपना उद्योग स्थापित करने के लिए आकर्षित होंगी। इससे राज्य में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और राज्य का वैश्विक मानचित्र पर स्थान बनेगा। साथ ही यह समिट न सिर्फ उद्योग क्षेत्र में, बल्कि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन क्षेत्रों में भी नए अवसरों का द्वार खोलेगा।इससे राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी निवेश के जरिए समूचे प्रदेश में  नए उद्योगों की स्थापना से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके अलावा राज्य सरकार रोजगार वृद्धि के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्रामों को भी बढ़ावा देगी, जिससे युवाओं को नए कौशल मिलेंगे। समिट में विशेष रूप से उन उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा  जो पर्यावरण के अनुकूल हों, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, जैविक कृषि और पर्यावरण-प्रेरित उद्योग। इससे राज्य को ‘हरित’ और सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण लाभ होगा। यह न केवल आर्थिक विकास में योगदान करेगा, बल्कि पर्यावरणीय सुधारों के लिए भी एक मजबूत कदम होगा। एम ने जापान से लौटते ही मध्य प्रदेश में सेमी कंडक्टर को लेकर नई पॉलिसी लाए। यह भारत में उभरता हुआ क्षेत्र है। इसमें निवेश की भी बड़ी संभावनाएं हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के सफल आयोजन के लिए पहले ही कई नीतियाँ बनाई हैं, जैसे निवेशकों के लिए प्रोत्साहन योजना, भूमि अधिग्रहण की सरल प्रक्रिया, और विभिन्न कर लाभ। इसके अलावा, सरकार ने निवेशकों को एक स्थिर और पारदर्शी व्यापार वातावरण प्रदान करने का भी वादा किया है। यह निवेशकों के लिए राज्य को आकर्षक बना देगा और समिट के उद्देश्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकेगा। इन विभागीय समिट से सरकार मध्यप्रदेश में निवेशकों को सुरक्षित, पारदर्शी और उद्योग-अनुकूल वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध है। जीआईएस के इस नए स्वरूप से न केवल उद्योग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार और आर्थिक विकास के नए अवसर भी सृजित होंगे। इससे पहले सात रीजनल इंडस्ट्री समिट से भी हजारों करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। कुछ उद्योगों के लिए जमीन भी आवंटित कर दी गई है। सीएम मोहन यादव ने 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि देश के हृदयप्रदेश एमपी  अब एक आकर्षक निवेश स्थल बन चुका है जो  निवेशकों के लिए कई  क्षेत्रों में नए अवसर प्रदान कर रहा  है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट मध्यप्रदेश के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती  है। जीआईएस 2025 न केवल एक आयोजन है, बल्कि यह राज्य के भविष्य को नया आकार देने का एक प्रयास है। इस समिट के जरिए मध्यप्रदेश न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा। यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार सृजन करने और समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा । राज्य सरकार की बेहतर  योजनाओं और इन्वेस्टर फ्रेंडली नीतियों के माध्यम से यह समिट एमपी को विकास के नए प्रगतिपथ पर ले जाएगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस समिट में  उद्योगपतियों और निवेशकों के साथ वन-टू-वन चर्चा करेंगे। उनकी प्राथमिकता है कि राज्य में निवेशकों को आवश्यक सहायता और संसाधन प्रदान किए जाएं। यह कदम न केवल राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा।

Tuesday, 11 February 2025

दिल्ली में आपदा की विदाई और भाजपा आई

 

दिल्ली की राजनीति में भाजपा की हालिया जीत और आम आदमी पार्टी (आप) की हार ने मौजूदा दौर में कई सवाल खड़े किए हैं। दिल्ली में जब चुनावी डुगडुगी बजी तो भाजपा और आप दोनों ही दलों के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिला। पहले केजरीवाल दिल्ली के चुनावों में हमेशा नरेटिव बनाया करते थे और विपक्ष उसकी काट नहीं ढूंढ पाता था लेकिन इस बार  भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी जीत के लिए एक सशक्त प्रचार रणनीति अपनाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में आप-दा ने दिल्ली का पैसा लूट लिया का बेहतर नरेटिव बनाकर भाजपा को प्रचार में आगे किया और केजरीवाल की रेवडी के नहले पर बड़ी रेवड़ी का दहला मारकर  आप-दा पार्टी के कामकाज पर सवाल उठाए और दिल्ली की जनता से यह वादा किया कि भाजपा सरकार बनने पर विकास के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे। मोदी और अमित शाह का प्रचार अभियान बड़े पैमाने पर था, जो स्थानीय मुद्दों को लेकर  जनता से जुड़ा हुआ था।

आप पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि उसने पिछले कुछ वर्षों में जिन विकास कार्यों को सबसे बड़ी सफलता के रूप में प्रस्तुत किया था, वे अब जनता के लिए उतने प्रभावी नहीं रहे। शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी के मुद्दों पर भले ही आप ने दिल्ली के लोगों को आकर्षित किया हो लेकिन यह महसूस किया गया कि अब कुछ नया नहीं है। लोगों ने यह देखा कि आप की सरकार दिल्ली में कुछ बड़े मुद्दों को सुलझाने में विफल रही जैसे रोजगार, महिला सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण।  इसके साथ ही यमुना की साफ़ सफाई नहीं हो सकी। आप पार्टी में आंतरिक कलह और नेतृत्व की कमी भी हार का एक बड़ा कारण बनकर सामने आई। पार्टी के भीतर लगातार आपसी विवाद और संगठन के भीतर असंतोष ने आम आदमी पार्टी की छवि को प्रभावित किया। रही सही कसर शराब घोटाले और उसकी टॉप लीडरशिप के जेल जाने ने पूरी कर दी।

 अरविंद केजरीवाल का नेतृत्व इस बार उतना प्रभावी नहीं था, जितना पहले था।दिल्ली में भाजपा ने एक बड़ी रणनीति के तहत पूर्वांचल समुदाय के लोगों के वोट बैंक के साथ महिला वोट बैंक और कुछ झुग्गियों के वोट बैंक को अपने पाले में खींचने में सफलता हासिल की।  भाजपा ने अपनी रैलियों में स्थानीय मुद्दों को बेहतर तरीके से उठाया और  यह संदेश देने की कोशिश की कि केवल वे ही दिल्ली  के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में यह रणनीति काम आई, क्योंकि भाजपा ने हर वर्ग को आकर्षित करने के लिए अपनी विचारधारा को मजबूती से प्रस्तुत किया इसमें कोई संदेह नहीं है कि केजरीवाल को मात देने हेतु भारतीय जनता पार्टी और संघ  ने पूरा दम लगाया। उसने धारणा के स्तर पर केजरीवाल की कट्टर ईमानदार की छवि भंग कर दी थी और माइक्रो मैनेजमेंट किया।

 अरविंद केजरीवाल अन्ना की टोपी पहनकर ईमानदारी की राजनीति करके सत्ता में आए थे। दिल्ली की जनता उनसे संपूर्ण ईमानदारी की उम्मीद कर रहा था।तभी शराब नीति से जुड़े घोटाले में नाम आने और जांच शुरू होने के साथ ही अगर वे इस्तीफा देते तो यह उनका बड़ा मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता था लेकिन कुर्सी से चिपके रहना उन्होनें पसंद किया। वह जेल में रहकर दिल्ली की सत्ता में बने रहना चाहते थे जिसने लोगों के मन में उनके प्रति धारणा बदली। जेल से छूट गए तो खुद को सीएम के रूप में मतदाताओं के बीच प्रोजेक्ट करने लगे इससे सीएम की बनने की उनकी महत्वाकांक्षाएं फिर से जगी। 

 जेल जाकर सीएम बने रहना उनको भारी पड़ गया और शराब घोटाले में उन  पर गंभीर आरोप लगे जो प्रकरण अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है और वह बेल पर हैं। केजरीवाल के जेल जाने से दिल्ली पूरी तरह से ठहर सी गई। अरविन्द ने पिछले वर्ष के बजट में महिलाओं को नकद पैसे देने की घोषणा की थी लेकिन इस साल फरवरी के चुनाव तक महिलाओं को कोई पैसा नहीं मिला। उल्टा ये देखा गया महिलाओं से जो फार्म भरवाए गए वो कूड़े के ढेर में पाए जाने के वीडियो खूब वायरल हो गए। मैंने दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना आंदोलन के दौर को करीब से देखा था ।तब समाज के हर तबके ने अन्ना  के आंदोलन में प्रतिभाग किया था और अरविन्द की पार्टी आप ने भी समाज के हर तबके को अपनी फ्री की रेवड़ियों के द्वारा आकर्षित किया था लेकिन शराब घोटाले के बाद दिल्ली में हर वर्ग में उनको लेकरअसंतोष बढ़ने लगहै। खासकर उन लोगों को निराशा हुई जो केजरीवाल एक माध्यम से व्यवस्था परिवर्तन की बड़ी  उम्मीदें लगाए बैठे थे। दो साल पहले एमसीडी में बहुमत के बाद भी  दिल्ली की बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी समस्याएं दुरुस्त नहीं  हो पाई। जगह- जगह कूड़े के ढेर, सीवर की समस्याओं और बढ़ते प्रदूषण से लोग त्रस्त हो गए। उनके जेल में होने से पांच महीने तक सारे कामकाज ठप्प रहे। पार्टी ने जिस तरह से लोगों की बुनियादी को नजरअंदाज किया, उससे जनता में आप के खिलाफ बड़ी निराशा फैली।

 आम आदमी पार्टी  की दिल्ली में हार, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में उभरी है, जिसने न केवल दिल्ली की राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि देशभर में इसके असर को महसूस किया जा रहा है। यह हार उस समय हुई जब पार्टी की उम्मीदें और राजनीतिक ताकत अपने उच्चतम बिंदु पर थी और एक मजबूत चुनावी आधार पर खड़ी थी। दिल्ली में आप और कांग्रेस का गठबंधन नहीं होने से उनका कुछ वोट कांग्रेस के पास चला गया जिससे आप को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। केजरीवाल ने अपने पुराने कई साथियों की टिकट  काट दी और दूसरे दलों से आये उम्मीदवारों को  पैसा लेकर जमकर टिकट बांटी  जिसका उनको बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। जिन 27 नए लोगों को टिकट दी थी उनमें से 20 लोग चुनाव हार गए। शीशमहल विवाद  ने केजरीवाल की छवि को चुनौती दी है। इस पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या एक नेता जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन चला रहा था, वह इतनी भव्यता और विलासिता में रहना आखिर सत्ता में आने के बाद कैसे पसंद कर सकता है ?यह कदम एक प्रकार से केजरीवाल की उस छवि के विपरीत है जो उन्होंने खुद को एक फ्लोटर  सैंडल पहने साधारण आदमी नेता के रूप में पेश की थी। इस विवाद ने जनता और उनके कार्यकर्ताओं को एक  मौका दिया है कि वह उनके नेतृत्व पर सवाल उठाएं और यह आरोप लगाएं कि वे भी सत्ता में आने के बाद वही सब कुछ करने लगे हैं, जिसे वे पहले भ्रष्ट मानते थे। शीशमहल का विवाद न केवल आम लोगों में असंतोष का कारण बना है, बल्कि पार्टी के भीतर भी इस पर  आवाजें चुनावों से पहले आने लगी थी ।

 केजरीवाल ने अपने 10 साल  की सफलता का पैमाना मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, महिलाओं को मुफ्त बस मान लिया। उन्होंने दिल्ली के विकास से कोई सरोकार नहीं रखा और आये दिन केंद्र और उप राज्यपाल  को निशाने पर लेते रहे जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। अरविंद केजरीवाल ने आज से ठीक 5 साल पहले एक जनसभा में कहा था मुझे 5 साल का समय दे दो। अगर 2025 में मैं यमुना साफ न कर पाऊं तो मुझे वोट मत देना। असल में यही दावा केजरीवाल पर भारी पड़ गया। रही सही कसर केजरीवाल के यमुना में जहर को लेकर केजरीवाल के बयान ने पूरी कर दी जब चुनावों से पहले उन्होंने कह डाला हर‍ियाणा से यमुना नदी में जहर मिलाया जा सकता है। इसे पीने से द‍िल्‍ली में नरसंहार हो सकता है। लोगों की मौत हो सकती है।भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया और हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने यमुना में जाकर पानी पीकर दिखाया  हरियाणा से जो पानी छोड़ा जा रहा है वह तो साफ है लेकिन दिल्ली में यह गंदा कर दिया जाता है वहां अरविंद केजरीवाल की सरकार है जो सफाई नहीं कर पाती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे जनसभाओं में उठाया और कहा जिस यमुना जल को मैं 11 साल से पी रहा हूं, उसमें केजरीवाल कहते हैं कि जहर मिला हुआ है।  क्‍या यह हर‍ियाणा के लोगों का अपमान नहीं है? यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी  तक यमुना पर केजरीवाल को चैलेंज देते नजर आए । इसी बीच अर‍विंद केजरीवाल का एक और बयान वायरल होने लगा जिसमें वे कह बैठे लोग यमुना पर वोट नहीं देते। यह सब भी  केजरीवाल के खिलाफ ही गया। हरियाणा की जाट -गुर्जर आबादी और बाहरी दिल्ली के जो लोग द‍िल्‍ली के वोटर हैं, वे इससे खासे नाराज नजर आए और इससे आप के विरुद्ध स्वर मुखरित होने लगे। 

बेशक आपचुनाव हारी है, लेकिन उसे 43.57 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। सत्तारूढ़ होने वाली भाजपा को 45.56 फीसदी वोट मिले हैं। मात्र 2 फीसदी वोट का फासला रहा लेकिन भाजपा ने 48 सीटों का ऐतिहासिक जनादेश हासिल किया, जबकि आप’ 62 सीटों से लुढक़ कर 22 सीटों पर आ गई। दिल्ली हार के बाद केजरीवाल का अहंकार भी समाप्त हुआ है । इसके लिए केजरीवाल ही जिम्मेदार हैं। आम मतदाता ने इस बार उनकी कट्टर ईमानदार की छवि को स्वीकार नहीं कर पाया। 

चुनावी नतीजों में यह निष्कर्ष भी सामने आया है कि दलित, महिला, मध्य वर्ग ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया नतीजतन भाजपा सत्ता तक पहुंच पाई। पिछले चुनाव तक ये समुदाय आपके समर्थक और जनाधार माने जाते थे क्योंकि केजरीवाल की नई छवि के साथ इन वर्गों ने उन्हें वैकल्पिक राजनीति का प्रतीक माना था। दिल्ली में आम आदमी पार्टी का चुनावी अभियान उम्मीदों के मुताबिक नहीं चल सका। जिस तरह से उन्होंने दिल्ली में अपने विकास कार्यों और शिक्षा-संस्था सुधार के मुद्दे को प्रचारित किया था, वह आम लोगों को आकर्षित नहीं कर सका। इसके साथ ही पार्टी को केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार विरोध की रणनीति से भी अधिक सफलता नहीं मिली। चुनावी वादे और कार्यों में बुनियादी बदलावों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं, जिसके परिणामस्वरूप मतदाताओं का विश्वास कमजोर हुआ। अब सब कुछ बेनकाब हो गया। इस चुनाव ने विपक्ष के इंडियावाले नेरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। लोकसभा चुनाव के जनादेश की व्याख्या यह की गई थी कि मजबूत हुआ है। उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली के चुनाव जीत कर भाजपा-एनडीए ने इंडियाको लगभग बिखेर दिया है। इस चुनाव में इंडियाके ही घटक दलों ने आपका समर्थन किया और कांग्रेस का खुलेआम विरोध किया। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस लगातार तीसरे चुनाव में शून्यरही। दिल्ली में 70 में से 68 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है।

 भाजपा ने दिल्ली में अपनी ताकत को पुनः स्थापित किया  और यह साबित किया वह गलतियों से सबक लेती है और कोर्स करेक्शन करना बेहतर जानती है। भाजपा की कड़ी मेहनत, मजबूत प्रचार अभियान, और स्थानीय मुद्दों पर फोकस ने पार्टी को आम आदमी पार्टी के मुकाबले अधिक प्रभावी बना दिया। वहीं कांग्रेस भी अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने में  विफल रही  जिसने आम आदमी पार्टी के वोट बैंक को कुछ हद तक प्रभावित किया। आम आदमी पार्टी के लिए अब एक बड़ी चुनौती है कि वह अपने समर्थकों के बीच विश्वास को फिर से कैसे बहाल करे। भाजपा ने हमेशा खुद को एक ज़मीन से जुड़ी पार्टी के साथ ही 365 दिन चुनावी माड़ में रहने वाली पार्टी के तौर पर पेश किया है। दिल्ली में भी भाजपा ने स्थानीय मुद्दों पर बात की और अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत किया। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर प्रचार किया और लोगों को पार्टी के पक्ष में गोलबंद किया। इस ज़मीन से जुड़ी रणनीति ने भाजपा को काफी लाभ पहुंचाया। संघ के स्वयंसेवकों ने भी दिन रात दिल्ली एक हर इलाके में अपनी पहुँच से केंद्र सरकार की उपलब्धियों और केजरीवाल की विफलताओं को लोगों के सामने रखा। दिल्ली में स्थानीय मुद्दों ने भी चुनावी नतीजों पर बड़ा प्रभाव डाला।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी मजबूत प्रचार रणनीति, स्थानीय मुद्दों को उठाने के जरिए जनता को आकर्षित किया। वहीं आप पार्टी अपने विकास कार्यों के बावजूद आंतरिक संघर्ष, नेतृत्व संकट और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान न देने के कारण हार गई। दिल्ली की राजनीति में यह बदलाव एक संकेत है कि अब सिर्फ फ्री चुनावी रेवड़ी ही निर्णायक नहीं हो सकती बल्कि जनता की व्यापक उम्मीदों और अपेक्षाओं को भी समझना बेहद ज़रूरी है।


 

Tuesday, 4 February 2025

मोहन के जापान दौरे से मध्यप्रदेश के औद्योगिक विकास को मिलेगी नई दिशा

 


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जापान यात्रा ने न केवल जापान की औद्योगिक प्रगति और विकास को करीब से समझने का अवसर प्रदान किया बल्कि वहाँ के लोगों की जीवनशैली, संस्कृति, तकनीकी विकास को भी करीब से देखा। जापान सरकार और प्रवासी भारतीयों द्वारा डॉ. यादव का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। जापान में उनकी यात्रा का उद्देश्य एमपी और जापान के सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना रहा। जब वह टोक्यो पहुंचे तो उनका वहाँ स्थानीय प्रशासन द्वारा स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव जापान दौरे के पहले दिन टोक्यो में विभिन्न महत्वपूर्ण बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल हुए।  टोक्यो में जापान के निवेशकों और औद्योगिक संस्थानों के प्रमुखों के साथ मध्यप्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों और संभावनाओं के विषयों पर चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव "फ्रेंड्स ऑफ एमपी-जापान" टीम के साथ भेंट करने के साथ ही टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ औद्योगिक और निवेश सहयोग के विषय पर बैठक की जिसके बाद टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास में "सेलिब्रेटिंग इंडिया-जापान रिलेशनशिप : फोकस मध्यप्रदेश" रोड-शो में भी सहभागिता की ।

जापान के तकनीकी विकास से डॉ. मोहन यादव को काफी प्रभावित किया। उन्होंने देखा कि कैसे जापान अपने अत्याधुनिक तकनीकी अविष्कारों और इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। वहाँ की रेल प्रणाली ने उन्हें खासा प्रभावित किया। उन्होंने बुलेट ट्रेन की सवारी की और महसूस किया कि कैसे यह तकनीकी दृष्टि से दुनिया के सबसे तेज और सुरक्षित परिवहन साधनों में से एक है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के साथ टोक्यो के मिनाटो-कू में विस्तृत चर्चा की जिसमें जापानी कंपनियों के मध्यप्रदेश में निवेश को लेकर संभावनाओं और सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श हुआ। जेट्रो ने मध्यप्रदेश सरकार के साथ बड़े  निवेश पर चर्चा की। डॉ. मोहन यादव ने जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी को मध्यप्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन करने वाली कंपनी एएनडीडी मेडिकल के निदेशक डाइकी अराई ने मध्य प्रदेश में निर्माण इकाई स्थापित करने की मंशा जाहिर की।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने टोक्यो में एएनडी मेडिकल कम्पनी के निदेशक डाइकी अराई से मुलाकात कर मध्यप्रदेश में चिकित्सा उपकरण निर्माण के अवसरों पर विस्तृत चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन के अत्याधुनिक मेडिकल डिवाइस पार्क में निवेश के लिये आमंत्रित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार औद्योगिक इकाइयों को रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध करा रही है। उन्होंने इस पार्क को भारत के तेजी से विकसित हो रहे हेल्थ केयर और मेडिकल डिवाइस सेक्टर का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बताया। उज्जैन में बन रहे मेडिकल डिवाइस और मुख्य रूप से मेडिकल सेक्टर के लिए भी जापान के उद्योगपतियों से निवेश की बात कही है। सीएम डॉ. यादव के प्रयासों से मध्य प्रदेश में मेडिकल और फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरिंग का नया हब बनने जा रहा है जिसके लिए जापान से निवेशकों  के बड़े प्रस्ताव भी मिले हैं। उन्होंने सिस्मेक्स की अत्याधुनिक मेडिकल डिवाइस निर्माण तकनीक का अवलोकन किया और मध्यप्रदेश में सिस्मेक्स को आमंत्रित किया।

एएंडडी मेडिकल ने मध्यप्रदेश में अपनी निर्माण इकाई स्थापित करने में विशेष रूचि दिखाते हुए इसे वर्ष के अंत तक इसे शुरू करने की बात कही है। जापान की एएंडडी मेडिकल कम्पनी वैश्विक स्तर पर चिकित्सा उपकरण और स्वास्थ्य निगरानी उत्पादों का उत्पादन करती है। डॉ. मोहन यादव ने कोबे और ओसाका में स्थित हेल्थ केयर और डॉयग्नोस्टिक कम्पनी साइसमेक्स प्रमुख औद्योगिक कम्पनियों के उद्योगपतियों के साथ बैठक की और हेल्थ केयर, ऊर्जा और मैन्युफेक्चरिंग क्षेत्रों में निवेश एवं साझेदारी पर भी चर्चा की। उन्होंने जापानी कार निर्माता कंपनी ‘टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन' के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात कर उनसे मध्य प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की।पैनासोनिक एनर्जी कपंनी लिमिटेड, डॉयग्नोस्टिक कंपनी साइसमेक्स सहित कई औद्योगिक कंपनियों ने बैटरी निर्माण और प्रदेश में ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में गहरी रूचि दिखाई और एमपी में भरपूर  निवेश का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने जापान दौरे में प्रवासी भारतीयों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपने जो नींव तैयार की है उसका फायदा भारत की आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।जापान की यात्रा डॉ.मोहन यादव के लिए एक अद्वितीय अनुभव है। जापान में डॉ. यादव की सादगी लोगों के दिल में उतर गई। डॉ. यादव ने अपने सोशल मीडिया में एक ऐसा वीडियो शेयर किया जो खूब वायरल हो रहा है जिसे देखकर लोग भावुक हो रहे हैं। इस वीडियो में उनके सहज, सरल और आकर्षक व्यक्तित्व की विलक्षण छाप देखने को मिल रही है। लोग जापानी अंदाज और भाषा में उन्हें विदाई दे रहे हैं। इम्पीरियल होटल से चेक-आउट करते समय होटल के सदस्यों ने बड़ी देर तक खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाईं और तस्वीरें खिंचवाईं। लोग तब तक होटल के मुख्य द्वारा पर खड़े रहे, जब तक सीएम डॉ. यादव कार में नहीं बैठे।

मध्य प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन  24-25 फरवरी 2025 को भोपाल में आयोजित होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के 15,000 से अधिक निवेशकों के शामिल होने की उम्मीद है। यह सम्मेलन उद्योगपतियों के लिए आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र होगा। इस बार की समिट में जापान कंट्री पार्टनर होगा जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलेगी। जापानी निवेशकों के अलावा अन्य देशों के भी निवेशक इस समिट में भाग लेंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 मध्य प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगी। इस आयोजन से नए उद्योगों की स्थापना, रोजगार के अवसरों में वृद्धि और राज्य की औद्योगिक छवि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की उम्मीद है। कहा जा सकता है कि डॉ.मोहन यादव का जापान दौरा एमपी में जापानी कंपनियों के बीच निवेश को बढ़ावा देने में कारगर साबित हुआ है। उन्होंने अपनी चार दिन की जापान यात्रा में न केवल जापान के प्रमुख उद्योगपतियों से मुलाकात की और निवेश और व्यापार के नए अवसरों को तराशा बल्कि जापानी समाज और संस्कृति को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। उन्होंने वहाँ की तकनीकी प्रगति, कला, संस्कृति और व्यापारिक दृष्टिकोण को अपनी यात्रा के अनुभवों में समाहित किया। यह यात्रा मध्यप्रदेश और जापान के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने में भी सहायक साबित हुई है ।