Sunday, 9 March 2025

जाकिर हुसैन: भारतीय शास्त्रीय संगीत और तबले के आइकन सम्राट


 
जाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महान तबला वादक और संगीतकार थे। उन्होंने अपनी शानदार तबला वादन शैली से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई। जाकिर हुसैन का नाम भारतीय संगीत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। वह भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने वाले एक अग्रणी कलाकार थे जिन्होंने अपनी कला से संगीत की नई ऊँचाइयों को छुआ।
 
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वह प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अली अकबर खान के घराने से ताल्लुक रखते थे। उनके पिताउस्ताद अल्लाह रक्खा खानभी एक प्रसिद्ध तबला वादक थेजो पं.रविशंकर के साथ कई संगीत समारोहों में भाग ले चुके थे। जाकिर हुसैन ने बचपन से ही अपने पिता से संगीत की शिक्षा ली। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण वे बहुत जल्दी एक शानदार तबला वादक बन गए।
 
जाकिर हुसैन का संगीत का सफर बहुत ही प्रेरणादायक रहा। उन्होंने अपनी शुरुआत भारतीय शास्त्रीय संगीत से की लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने वर्ल्ड म्यूजिकजाज और अन्य संगीत शैलियों को भी अपनाया। वह संगीत के विविध रूपों को समझते हुए विभिन्न शैलियों में माहिर हो गए। जाकिर हुसैन ने न केवल भारतीय संगीत में उत्कृष्टता प्राप्त कीबल्कि उन्होंने पश्चिमी संगीतकारों के साथ भी काम किया। उनका संगीत भारतीय और पश्चिमी संगीत का एक अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। उनका नाम ऐसे संगीतकारों के साथ लिया जाता है जिन्होंने भारतीय संगीत को पश्चिमी दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाया।
 
जाकिर हुसैन की वादन शैली अद्वितीय और प्रभावशाली थी। उनके तबला वादन में एक विशेष तरह की ताजगी और नवीनता दिखती थी। वह शास्त्रीय तकनीकों के साथ-साथ संगीत में सुधार करने की कला में भी माहिर रहे। जाकिर हुसैन लयगति और ताल की जटिलताओं को साधारण रूप में प्रस्तुत करने में सक्षम थे। उनके तबला वादन की शैली इतनी सहज और सजीव होती थी कि वह श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थी।
 
लगभग छह दशकों के करियर में हुसैन ने पंडित रविशंकर और उस्ताद विलायत खान जैसे महान भारतीय कलाकारों के साथ काम किया। उन्होंने जॉन मैकलॉघलिन के साथ शक्ति और ग्रेटफुल डेड के मिकी हार्ट के साथ प्लैनेट ड्रम जैसे प्रतिष्ठित फ्यूजन बैंड बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई जमीन बनाई जिसने भारतीय शास्त्रीय संगीत की पहुंच का विस्तार किया जिससे यह दुनिया भर के दर्शकों के लिए सुलभ हो गया। उन्होंने मलयालम फिल्म वनप्रस्थम (1999) के लिए संगीत सलाहकार के रूप में अपने काम के लिए प्रशंसा प्राप्त की जिसका कान फिल्म महोत्सव में प्रीमियर हुआ था। फिल्म को ए.एफ.आई.लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ग्रैंड जूरी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था और 2000 में इस्तांबुल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवमुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते थे।
 
एक कलाकार के रूप में हुसैन कई फिल्मों में अपने झंडे गाड़ते दिखाई दिए जैसे कि वृत्तचित्र ज़ाकिर एंड हिज फ्रेंड्स (1998) और द स्पीकिंग हैंडः ज़ाकिर हुसैन एंड द आर्ट ऑफ़ द इंडियन ड्रम (2003) जिसका निर्देशन सुमंत्र घोषाल ने किया था। हुसैन ने 1983 की मर्चेंट आइवरी फिल्म हीट एंड डस्ट में इंदर लाल के रूप में अपनी अभिनय प्रतिभा का भी प्रदर्शन किया जहाँ उन्होंने एक सहयोगी संगीत निर्देशक के रूप में काम किया। 2018 में फिल्म निर्माता और लेखक नसरीन मुन्नी कबीर ने 'जाकिर हुसैनः ए लाइफ इन म्यूजिकपुस्तक में हुसैन के जीवन और करियर के बारे में लिखा। यह कार्य 2016 और 2017 में आयोजित 15 साक्षात्कार सत्रों पर आधारित था। हुसैन ने इस्माइल मर्चेंट की इन कस्टडी और द मिस्टिक मैसर जैसी फिल्मों के साउंडट्रैक में भी अपना बेमिसाल योगदान दिया। उनके तबला प्रदर्शन को फ्रांसिस फोर्ड कोपोला की एपोकैलिप्स नाउ और बर्नार्डो बर्टोलुची की लिटिल बुद्ध में भी जोड़ा गया था। हुसैन तबला बीट साइंस के संस्थापक सदस्य भी थे जो अमेरिकी संगीतकार बिल लासवेल के नेतृत्व में एक विश्व संगीत सुपरग्रुप था। इस ग्रुप नेसमकालीन इलेक्ट्रॉनिक और वैश्विक संगीत शैलियों के साथ पारंपरिक भारतीय लय को मिश्रित किया। 2016 में हुसैन ने व्हाइट हाउस में अंतर्राष्ट्रीय जैज़ डे ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में प्रदर्शन किया जिसकी मेजबानी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की थी।
 
जाकिर हुसैन ने संगीत की कई शैलियों में योगदान दिया और भारतीय संगीत को पश्चिमी दुनिया में फैलाने के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें 1987 में भारत सरकार द्वारा "पद्मश्री" और 2002 में "पद्मभूषण" जैसे सम्मान प्राप्त हुए। जहाँ संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1990) प्रदर्शन कला में उत्कृष्टता के लिए इस राष्ट्रीय मान्यता के सबसे कम उम्र के प्राप्तकर्ताओं में से एक रहा वहीँ 7 बार के ग्रैमी विजेताजिसमें 1992 में प्लैनेट ड्रम के लिए उनकी ऐतिहासिक पहली जीत और 2024 में ऐज वी स्पीकदिस मोमेंट और पश्तो के लिए तीन जीत शामिल रही। हिलेरी क्लिंटन द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक कलाओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च पुरस्कार राष्ट्रीय विरासत अध्येतावृत्ति (1999 ) भी प्राप्त किया। कालिदास सम्मान (2006) कला में असाधारण योगदान के लिए मिला वहीँ क्योटो पुरस्कार (2022) संगीत में वैश्विक उपलब्धि के लिए जापान का प्रतिष्ठित पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा गया। उन्हें 2022 में मुंबई विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि और 2017 में सैन फ्रांसिस्को जैज़ सेंटर से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। इसके अलावाउन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले।
 
वे महान तबला वादक साथ ही एक संगीतकार और कुशल एक्टर भी रहे। उन्होंने द परफेक्ट मर्डर’, ‘मिस बीटीज चिल्ड्रन, ‘साज’ और मंटो’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की विशेष छाप छोड़ी। बतौर अभिनेता पहली बार 1983 की फिल्म हीट एंड डस्ट’ में नजर आए। 1998 की फिल्म साज’ में जाकिर हुसैन ने शबाना आजमी के साथ अहम रोल निभाया थाजो अपने कॉन्टेंट की वजह से काफी विवादों में रही थी। शबाना आजमी के प्रेमी के रोल में उनके अभिनय को काफी सराहा गया था। हुसैन ने तबला की भूमिका को बदल दिया और इसे एक सहायक वाद्ययंत्र से शास्त्रीय प्रदर्शन के केंद्र में बढ़ा दिया। उनकी जटिल लय और अभिव्यंजक वादन शैली ने भारत और विदेशों दोनों में व्यापक प्रशंसा प्राप्त की। जाकिर हुसैन ने अपनी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला से शादी कीजो एक कथक नर्तकी और शिक्षिका थींजिन्होंने अपने करियर का प्रबंधन भी किया था।
 
जाकिर हुसैन का नाम भारतीय संगीत के क्षेत्र में हमेशा सम्मान से लिया जाएगा। उन्होंने अपने अद्वितीय वादन शैली और संगीत के प्रति अपने समर्पण से भारतीय शास्त्रीय संगीत को पूरी दुनिया में प्रसिद्ध किया। उनका संगीत न केवल शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम को बढ़ावा देता हैबल्कि वह एक नई दिशा और सोच को भी प्रस्तुत करता है। उनकी कला आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
 

Saturday, 8 March 2025

जीआईएस का दिखने लगा असर, मोहन के नेतृत्व में एमपी बन रहा है निवेश का नया गढ़

मोहन सरकार की इंवेस्टर्स समिट रंग जमाने लगी है। एक साल के छोटे से कार्यकाल में मोहन सरकार की बेहतर औद्योगिक नीतियों, बुनियादी सुविधाओं और बेहतर कनेक्टिविटी ने प्रदेश में क्षेत्रीय स्तर पर न केवल इंडस्ट्री के लिए नई राह खोल दी है बल्कि इसने स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की संभावनाओं को तेजी से बढ़ाने का काम किया है। जीआईएस 2025 के सफल आयोजन से मध्यप्रदेश का नाम निवेश के मामले में तेजी से सुर्खियों में है। राज्य ने निवेशकों के लिए कई ऐसे अवसर पैदा किए हैं जो न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि देश के समग्र विकास में भी अहम योगदान दे रहे हैं। इस समिट ने राज्य को निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है।


मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में प्रदेश के विभिन्न संभागों में रीजनल इंवेस्टर्स आयोजित की जिससे पिछले एक वर्ष में प्रदेश के भीतर निवेश के अनुकूल बेहतरीन माहौल मिला। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भी देशी और विदेशी निवेशकों का बेहतरीन प्रतिसाद मिला है। इस समिट में पीएम ने 18 औद्योगिक नीतियों को लागू किया। इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन करना रहा। प्रदेश सरकार ने इस नीति के माध्यम से निवेशकों को विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन, सुविधाएं और समर्थन दिया है जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर औद्योगिक समूहों ने निवेश में रूचि दिखाई है।मोहन सरकार की रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव नीति का असर एक साल में ही दिखने लगा है और निवेशकों का रुझान मध्यप्रदेश की तरफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन के लिए लागू की गई नीतियों और व्यवस्थाओं के प्रति उद्योगपति और निवेशक विश्वास जता रहे हैं। तमाम औद्योगिक समूहों और निवेशकों ने बड़े पैमाने पर मध्यप्रदेश सरकार की रीजनल इंवेस्टर्स समिट की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। मोहन सरकार की नीति राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बनाई गई जिसके एक साल में ही बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट एक ऐसा मंच रहा जहां दुनिया भर के निवेशक और उद्योगपति एकत्रित हुए। इस समिट के माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार ने निवेशकों के लिए राज्य में उपलब्ध संसाधनों, अवसरों और नीतियों के बारे में जानकारी दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में राज्य ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं जैसे व्यापारिक सुगमता, भूमि अधिग्रहण में आसानी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास। मध्यप्रदेश ने कृषि, ऊर्जा, खनन,जैसे विविध क्षेत्रों में निवेश के लिए आकर्षक अवसर प्रदान किए हैं। इसके अलावा,राज्य में हरित ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जैव ऊर्जा के क्षेत्रों में भी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।

कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में मध्यप्रदेश की जनता को कई बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली और पानी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ा। यह समस्याएँ राज्य की विकास प्रक्रिया में बड़ी बाधाएँ बनकर उभरी जिसने जनता की जीवनशैली पर प्रतिकूल असर डाला और निवेशकों ने भी एमपी से मुँह मोड़ लिया। प्रदेश में भाजपा सरकार के आने के बाद राज्य में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से सुधार हुआ और वर्तमान में बेहतरीन बुनियादी ढांचे के होने से एमपी में निवेशक रूचि लेने लगे। इसी का असर है कि आज मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा , जबलपुर जैसे प्रमुख शहरों में निवेश नयी ऊंचाइयों को छू रहा है।

जीआईएस 2025 से ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा में 8 लाख 94 हजार 301 करोड़ निवेश के 441 प्रस्ताव, इंफ्रास्ट्रक्चर में 3 लाख 37 हजार 329 करोड़ रुपये निवेश के 870 प्रस्ताव, खनन और खनिज क्षेत्र में 3 लाख 25 हजार 321 करोड़ रुपये के 378 निवेश के प्रस्ताव, रक्षा-विमानन और एयरोस्पेस में 3 लाख 01 हजार 681 करोड़ के 8 प्रस्ताव और पेट्रोकेमिकल्स-रसायन-प्लास्टिक व संबद्ध क्षेत्र में 1 लाख 4 हजार 158 करोड़ रुपये के निवेश के 237 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स में 78 हजार 314 करोड़ रुपये के, इसी प्रकार आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में 78 हजार 314 करोड़ रुपये के 193 प्रस्ताव, पर्यटन तथा हॉस्पिटेलिटी में 68 हजार 824 करोड़ रुपये के 303 प्रस्ताव, कृषि और खाद्य प्र-संस्करण में 63 हजार 383 करोड़ रुपये के 957 प्रस्ताव, शिक्षा में 52 हजार 294 करोड़ रुपये के 191 प्रस्ताव, हेल्थ केयर, फार्मा और चिकित्सा उपकरण के लिए 41 हजार 986 करोड़ रुपये के 345 प्रस्ताव, ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 41 हजार 590 करोड़ रुपये के 349 प्रस्ताव, इंजीनियरिंग क्षेत्र के 26 हजार 277 करोड़ रुपये के 203 प्रस्ताव, कपड़ा-टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र में 21 हजार 833 करोड़ रुपये के 171 प्रस्ताव, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाऊसिंग से संबंधित 9 हजार 112 करोड़ रुपये के 67 प्रस्ताव, पैकेजिंग क्षेत्र में 1 हजार 697 करोड़ रुपये के 51 प्रस्ताव तथा अन्य क्षेत्रों में 83 हजार 720 करोड़ रुपये के 1 हजार 96 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। एक तरफ नये निवेशकों को उद्योग मित्र नीतियों के साथ सरल और सुगम निवेश प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है वहीँ उद्योगों को समुचित प्रोत्साहन देते हुए सरकार द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जिले में इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन सेंटर भी स्थापित किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जीआईएस 2025 में प्राप्त निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए राज्य सरकार ने बड़ी कार्ययोजना बनाई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं ऑनलाइन इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के बाद राज्य में निवेशकों की रुचि में लगातार वृद्धि हो रही है। राज्य में निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए भी एक आदर्श वातावरण तैयार किया गया है। उद्योगों की स्थापना से स्थानीय युवाओं को रोजगार के भविष्य में नए अवसर मिलेंगे। निवेश आने के साथ ही राज्य में रोजगार के अवसरों में बड़ी वृद्धि होगी। राज्य में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी योगदान मिल रहा है।मध्यप्रदेश में औद्योगिक परिदृश्य बदलने के साथ ही अब प्रदेश से विदेशी निर्यात की अपार संभावनाएं बन रही हैं। निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सिंगल विंडो प्रणाली यहाँ बेहतर ढंग से काम कर रही है। मोहन सरकार ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। आज यहाँ पर छोटे और मध्यम उद्यम, किसान उत्पादक संगठनों, कलाकारों के हस्तशिल्प प्रोडक्ट और उद्यमियों के स्टार्टअप को सहयोग दिया जा रहा है।

ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट ने मध्यप्रदेश को एक नई दिशा दी है जो न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को गति दे रही है, बल्कि पूरे भारत में मध्य प्रदेश को एक प्रमुख निवेश केंद्र के रूप में स्थापित कर रही है।प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी पहचान बनाई है और मध्यप्रदेश भी पीएम मोदी के विजन के अनुरूप तेजी से औद्योगिक निवेश के माध्यम से सतत विकास और औद्योगिक विकास के दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।