Thursday, 24 April 2025

धरती के स्वर्ग पर दहशत


अपनी  नैसर्गिक प्राकृतिक सुषमा और सुंदरता के लिए दुनिया भर में  पहचाने जाने वाले जम्मू कश्मीर के  पहलगाम में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि ने एक बार फिर हमारी सुरक्षा व्यवस्था, सामाजिक ताने-बाने और पर्यटन उद्योग पर कई  गंभीर सवाल खड़े किए हैं।  इस आतंकवादी घटना  ने एक बार फिर से हमें झकझोर दिया है। 2019 में पुलवामा अटैक के बाद कश्मीर में यह अब तक का  सबसे बड़ा हमला था जिसमें निशाने पर पर्यटक थे ।   

इस आतंकी  घटना ने  25 बरस पहले छत्तीसिंहपुरा नरसंहार की याद ताजा कर दी है। आतंकियों ने  पहलगाम से करीब 6 किलोमीटर की दूरी के  बैसरन के जिस  इलाके को निशाना बनाया, यह इलाका घने देवदार के पहाड़ों से घिरा घास का बड़ा मैदान है। आतंकियों ने इस जगह को इसलिए चुना क्योंकि यहां अधिक संख्या में पर्यटक आते हैं। खूबसूरत कश्मीर की फिज़ा  को बिगाड़ने के लिए आतंकियों ने इस जगह को चुना। इन हमलों की प्रकृति में सुनियोजित रणनीति  स्पष्ट दिखाई देती है।  द रेजिस्टेंस फ्रंट  नाम के संगठन ने इस हमले  जिम्मेदारी ली है जो लश्कर-ए-तैयबा की ही एक  फ्रेंचाइजी है। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा  न केवल सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं, बल्कि पर्यटकों और प्रवासी मजदूरों  पर भी हमले कर रहे हैं। भारत के खिलाफ  होने वाली हर  साजिश  को अंजाम देने में उसे पाक की सेना और कट्टरपंथी सगठनों  का पूरा सहयोग मिल रहा है । यह तो बानगी भर है।  जैश , हिज्बुल और लश्कर का पाक में अभी भी एक बड़ा नेटवर्क है। दुखद है जम्मू-कश्मीर में  किसी भी बड़ी आतंकी घटना के तार सीधे इन्ही संगठनों से मिलते है और ये खुद ही आतंकी हमलों में अपनी संलिप्तता से पीछे नहीं हटते। 

 पाक की राजनीती का असल सच किसी से छुपा नहीं है। वहां पर सेना कट्टरपंथियों का हाथ की कठपुतली  है।  असल नियंत्रण सेना का हर जगह है। पाक  यह महसूस कर रहा है अगर समय रहते उसने भारत के खिलाफ अपनी जंग शुरू नहीं की तो कश्मीर का मुद्दा नहीं सुलझ पाएगा। पाक के साथ भारत को अब किसी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए और  आतंक के खिलाफ ठोस ऐक्शन लेने की जरूरत है।  

2019 में धारा 370 के निरस्त होने के बाद  भारत सरकार ने दावा किया था कि जम्मू कश्मीर में शांति और स्थिरता स्थापित होगी  लेकिन इस तरह की आतंकी  घटनाएँ बताती हैं कि आतंकवादी गतिविधियाँ फिर से बढ़ रही हैं।  सीमा पार से घुसपैठ और स्थानीय पर सहयोग इन हमलों का प्रमुख कारण हैं। आतंकी हमले हमारे सामाजिक सौहार्द को  भी प्रभावित करते हैं।  पर्यटकों को निशाना बनाए जाने से विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास और भय का माहौल बन सकता है।जम्मू और कश्मीर में देशी-विदेशी सैलानियों की तादाद पिछले वर्षों में लगातार बढ़ रही है। सड़क, रेल और हवाई यातायात के माध्यमों यह पूरे देश से जुड़ चुका है। बीते बरस  2.35 करोड़ से अधिक पर्यटक जम्मू-कश्मीर पहुंचे, जबकि अमरनाथ यात्रा में 5 लाख श्रद्धालु शामिल हुए।  यही  विकास आतंकियों  को खटक रहा है। जिस कश्मीर को आर्टिकल 370 खत्म होने से पहले डर की भावना से देखा जाता था, वह अब पर्यटकों को लुभा रहा  है। श्रीनगर का लाल चौक जहां कभी अलगाववादी देश विरोधी रैलियां निकालते थे, वहां अब सब खुली हवा में साँस ले सकते  हैं। ऐसे में  आतंकियों ने पर्यटकों  पर निशाना बनाकर उनके मन में फिर से खौफ पैदा करने की कोशिश की है । 

आने वाले महीनों में पवित्र अमरनाथ यात्रा भी शुरू होनी है और उससे पहले माहौल बिगाड़ने से पूरी दुनिया का ध्यान कश्मीर पर एक बार फिर से केंद्र में  आ  सकता है। पहलगाम आतंकी हमले को सिर्फ एक घटना मानना भूल होगी, क्योंकि यह हमला पाकिस्तान की नई स्ट्रैटेजी का हिस्सा भी हो सकता है। इस रणनीति का उद्देश्य  है जम्मू क्षेत्र से होकर आतंकियों को भारत में प्रवेश कराना और धर्म के नाम पर नई दहशत फैलाना जिससे कश्मीर में आतंक की तसवीरें दिखाकर  भारत की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देना है।  

खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान की ओर से जम्मू सेक्टर के सामने 32 लॉन्च पैड्स में करीब 100 आतंकवादी घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं, वहीं कश्मीर के सामने 10 लॉन्च पैड्स में सैकड़ों आतंकियों की मौजूदगी है।  2023 में 125 ड्रोन सीमा पार से भेजे गए, जबकि 2024 में यह संख्या 300 तक पहुंच चुकी है।  इन ड्रोन्स के जरिए हथियार, विस्फोटक और संचार उपकरण पहुंचाए जा रहे हैं। 2022 में जहां 107 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं 2023 और 2024 में यह आंकड़ा घटकर क्रमशः 27 और 26 पर आ गया लेकिन पहलगाम से एक बार फिर जम्मू -कश्मीर  में आतंक और हिंसा का नया तांडव शुरू हो सकता है।   इस तरह पर्यटकों पर किये हमलों से जम्मू कश्मीर के  पर्यटन उद्योग को गहरा आघात पहुँच सकता है। इस मौसम में पर्यटन सीज चरम पर  रहता है। ऐसे  हालातों में  हुए इन हमलों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है शायद इस घटना के बाद शायद पर्यटक कश्मीर का  रुख करने से कतराने लगें। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात को दोहराया है कि हमलावरों को कड़ी  सजा दी जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में आपातकालीन बैठक बुलाकर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज कहा है हमला करने वालों को करारा जवाब मिलेगा ऐसा जवाब मिलेगा जो पूरी दुनिया देखेगी।  हम हर जरूरी कदम उठाएंगे। भारत को डराया नहीं जा सकता। यह बयान भारत की तरफ से अभी तक का एक  कड़ा  बयान नजर आता है।  

 पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कश्मीर को लेकर अभी एक हफ्ते पहले ही अपना बयान दिया था।पहलगाम में पर्यटकों की इतनी बड़ी संख्या में निर्मम हत्या के पीछे सीधे-सीधे पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष असीम मुनीश की रणनीति भी हो सकती है। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की ‘गले की नस’ बताया था। उन्होंने ‘टू नेशन थ्योरी’ का जिक्र करते हुए हिंदुओं के खिलाफ नफरती बयान देते हुए कहा था कि पाकिस्तानियों को नहीं भूलना चाहिए कि हम उनसे अलग हैं।  उनके इस बड़े बयान कहीं न कहीं आतंकवादियों के लिए एक संदेश का काम किया है कि जम्मू-कश्मीर को रक्तरंजित करने के लिए यही माकूल वक्त है। इस तरह की घटनाओं की दहशत बहुत ज्यादा होती है और पूरी दुनिया तक संदेश पहुंचाया जा सकता है कि कश्मीर में अब भी कुछ नहीं बदला है। इस हमले से  आतंकियों ने अमेरिका को भी संदेश देने की कोशिश की  है कि कश्मीर अभी भी शांत नहीं हुआ है। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की समस्या जटिल  है। इसके समाधान के लिए  खुफिया जानकारी के आधार पर त्वरित कार्रवाई, ड्रोन और सैटेलाइट निगरानी, और स्थानीय पुलिस की क्षमता में वृद्धि आतंकी गतिविधियों को नियंत्रित कर सकती है। स्थानीय स्तर पर सहयोग मिले बिना आतंकी किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकते यह हमें समझने की आज आवश्यकता है। 

 स्थानीय  लोग आतंकवादियों को गुप्त सूचनाएं प्रदान करते हैं और उन्हें छिपाने में मदद करते हैं।  युवाओं को रोजगार और शिक्षा के नए  अवसर प्रदान करके उन्हें आतंकी संगठनों की भर्ती से दूर रखा जा सकता है। स्थानीय समुदायों के साथ संवाद भी इस दिशा में महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करके सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित करने की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।

जम्मू और कश्मीर में 2024 के आखिर में ही वर्षों के अंतराल के बाद एक लोकतांत्रिक सरकार बनी है। ऐसे समय में यह हमला और भी चिंताजनक है।जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाएँ न केवल सुरक्षा के लिहाज से बड़ी  चुनौती हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए भी खतरा हैं। इनका समाधान त्वरित सैन्य कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय जगत को  विश्वास  में लेकर ही  संभव है। आतंकवादी  भारत में आतंकी हमलों के साथ धार्मिक अलगाव भी पैदा करना चाहते हैं। पाकिस्तान की इस  चाल को समझते हुए देश में अमन-चैन बनाए रखना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार और हमारी सेना आतंकियों के खिलाफ बड़ा एक्शन लेगी। हमारी सभी सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मॉड पर हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूरी स्थिति पर निगाह रखे हुए हैं।

 इस संवेदनशील मौके पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुटता दिखानी होगी। पाकिस्तान के मंसूबों को विफल करने और उसे कड़ा जवाब देने की रणनीति पर इस समय  काम करना होगा। सरकार और नागरिकों को मिलकर इस खूबसूरत क्षेत्र को आतंकवाद के साये से मुक्त करना होगा, ताकि यहाँ शांति, समृद्धि और सामंजस्य का नया युग शुरू हो सके।

1 comment:

Anonymous said...

IPL k nye sitare vaibhav per bhi likho