प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई नरेंद्र मोदी सरकार के तीन बरस पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर सरकार ने बड़े पैमाने पर पूरे देश में जश्न मनाया । नमो पर्व का यह उत्सव देश के कोने कोने में विशाल सभाओं और मंत्रियो के जरिये इस महीने के अंत तक मनाया जायेगा जहाँ सरकार की तीन बरस की उपलब्धियां गिनाईं जाएँगी | मोदी सरकार के तीन बरस मिली जुली उपलब्धियों से भरे रहे |
बेशक आप मोदी सरकार के आलोचक रहे हों लेकिन मोदी सरकार के बारे में आम राय यह है कि भले ही वह चुनावी वादे पूरे न कर पाई हो लेकिन उसकी मंशा सबका साथ सबका विकास रही है और ख़ास बात यह यह इस सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग अब तक नहीं है | यह सही है नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर विश्वास का एक बड़ा कारण यूपीए सरकार का गंभीर भ्रष्टाचार रहा। मनमोहन सरकार के दौर में करोडो के घोटाले के समाचार आये दिन सामने आते थे वहीँ आज भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के चलते नौकरशाही अफसरशाही की हिमाकत नहीं कि वह कुछ गलत कर जाए |
पी एम मोदी ने अपने मंत्रियो को जनता के बीच जाने और अपने विभागों का रिपोर्ट कार्ड समय समय पर तैयार रखने की हिदायत दी हुई है जिसकी कमान इस दौर में सीधे पी एम ओ के हाथ में है जिसमें गलती की गुंजाईश नहीं के बराबर है | दामन में भ्रष्टाचार के दाग न पड़ना निश्चित ही इस सरकार की बड़ी उपलब्धि है जिसका श्रेय खुद मोदी को जाता है। उन्होंने अपने मंत्रियों के कामकाज पर पैनी नजर पहले दिन से ही बनाए रखी है। सत्ता का सीधा केंद्र पी एम ओ है जहाँ मोदी की चलती है | इस सरकार में आगे आगे मोदी हैं तो पीछे शाह चलते हैं |
तीन बरस की मोदी सरकार में तमाम उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं | मोदी सरकार ने कई देशों के साथ भारत के रिश्ते बेहतर करने के प्रयास किए हैं। कुछ मामले में बीते तीन बरस में ग्लोबल परिस्थितियां भारत के अनुकूल रही हैं। जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट देखने को मिली जिसके चलते भारत को सीधा फायदा पहुंचा और समय समय पर तेल के दामों में उतार चढ़ाव भी देखने को मिला | मोदी सरकार के तीन बरस पूरे होने पर चैनलों से लेकर अखबार के पहले पन्ने विज्ञापन से रंगे दिखे जो नमो सरकार की बड़ी बड़ी उपलब्धियां गिना रहे थे।
बड़े फैसले , कड़े फैसले ,ईमानदारी पक्की देश की तरक्की , जन जन का साथ बढ़ता विश्वास , सशक्त नारी सशक्त भारत , नए भारत की शक्ति भारत की युवा शक्ति , सबकी सुरक्षा सबका ख्याल सरीखे कई नारों के साथ देश में 27 मई 2017 को सुबह हुई | मोदी सरकार विकास के एजेंडे पर आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रही है | पारदर्शी सरकार देना , विश्व में भारत की साख मजबूत करना और गरीबों का हिमायती होना इस सरकार की पहले दिन से प्राथमिकता रही है | जनधन के खाते खोलकर , मनरेगा चालू रखकर , मुद्रा योजना , उज्जवला योजना , स्किल इंडिया , स्टार्ट अप इंडिया सरीखी योजनाओं के केंद्र में गरीब गोरबा जनता रही वहीँ लाल फीताशाही की इस सरकार ने झटके में हवा निकाल दी | आज विभागों में काम करने की एक नयी संस्कृति विकसित हुई है |
मनमोहन सरकार के दौर की मिसाल आप इसी बात से समझ सकते हैं उस दौर में रेल भवन दिल्ली के बाहर सुबह 7 बजे से नाश्ते करने वालों की लम्बी लाइन नहीं लगती थी | आज का दौर देखिये सब काम काज समय से हो रहा है | नहीं तो दफ्तरों में फाइलें कई दिनों तक टेबल में ही रहती थी | मोदी सरकार ने हजार से अधिक बेकार कानूनों को न केवल समाप्त किया बल्कि ई टेंडर और ई गवर्नेंस को अपनी प्राथमिकता में रखा जिससे बहुत हद तक जनता का काम आसान हो गया |
इन तीन बरसों में सरकार के सभी मंत्री सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे और सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार और लोगों की समस्याओं को उठाने में इसने बड़ी भूमिका निभाई | लोगों की समस्याओं को उठाने में इस माध्यम ने कई बार सक्रियता का अहसास करवाया | सात समुन्दर पार से आये एक ट्वीट से विदेश मंत्री सक्रिय हो जाती हैं इससे अच्छी बात क्या हो सकती है | सुषमा स्वराज ने हाल के बरसों में सोशल मीडिया में कई प्रवासियों की जिस अंदाज में मदद की है उसकी मिसाल बहुत कम सरकारों में देखने को मिली हैं |
सर्जिकल स्ट्राइक , विमुद्रीकरण , रेल बजट का आम बजट में विलय , नीति आयोग का निर्माण , वी वी आई पी कल्चर समाप्त करने, और कई कानून समाप्त करने , बेनामी संपत्ति क़ानून पास करने के मोदी सरकार के कई फैसले बड़े साहसिक रहे | मोदी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर भारत की नयी छवि गढ़ने में सफलता हासिल की और योग को वैश्विक मान्यता दिलाई साथ ही स्वच्छता को एक बड़े जनअभियान में तब्दील किया |
आज मोदी एक बड़े ग्लोबल लीडर के तौर पर स्थापित हो चुके हैं जिनको पूरी दुनिया सलाम कर रही है | इतने कम समय में 50 से अधिक देशों के तूफानी टी 20 दौरे कर मोदी ने खुद को काम के मामले में अपने मंत्रियो से भीं कहीं आगे कर दिया है | काम के मामले में मोदी का कोई जवाब नहीं | वह आज भी बेरोकटोक 18 घंटे काम करते हैं | बीते चार दिनों के भीतर वह जर्मनी , फ्रांस , स्पेन , रूस, का तूफानी दौरा कर आते हैं जो इस बात को साबित करता है मोदी के भीतर काम करने का एक अलग तरह का जूनून है |
विदेश नीति पर मोदी सरकार का प्रदर्शन शानदार रहा है। अमेरिका संग भारत के रिश्ते गहरे हुए हैं | ईरान के साथ चाबहार समझौता कर भारत ने एक ऐसी पहल की है जिससे आने वाले समय में ईरान अफगानिस्तान और भारत का त्रिकोण पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बन सकता है | चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना की काट भारत चाबहार में देख रहा है | मोदी पड़ोसियों से बेहतर सम्बन्ध रखने के हिमायती हैं | नेबरहुड फर्स्ट के तहत मोदी ने बतौर पीएम पहली विदेश यात्रा में भूटान गए । लुक ईस्ट नीति के आसरे पीएम ने यह स्पष्ट संदेश देने का काम किया कि भारत पश्चिमी मुल्कों के सहारे ही नहीं रहना चाहता |
हाल के बरसों में मोदी ने अपनी कूटनीति के आसरे जापान , मलेशिया, म्यांमार , कंबोडिया , इंडोनेशिया , मारीशस , न्यूजीलैंड , ऑस्ट्रेलिया , शेशेल्स , कनाडा , अफ्रीका, सऊदी अरब आदि देशों के साथ हमारे रिश्तों में नई मजबूती आई है। भारत सरीखा विकासशील देश आज मोदी की अगुवाई में एक बड़ी ताकत की कतार के रूप में खड़ा है | सत्ता संभालने के 365 दिन के भीतर ही मोदी ने विदेश में 55 दिन बिताए और कुल 18 देशों का तूफानी दौरा कर डाला जो कि एक नया रिकॉर्ड है |
दूसरे और तीसरे बरस में मोदी ने यूरोप और मिडिल ईस्ट के देशों में भी अपने दौरे कर नई उड़ान भरी जिनसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि एक उभरती ताकत के रूप में बनी | आगामी जुलाई में मोदी की इजराइल यात्रा होनी है | यह यात्रा भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरेगी ऐसी उम्मीद है | ख़ास बात यह है मोदी विदशों में जहाँ जहाँ जाते हैं वहां प्रवासी भारतीयों से मिलना नहीं भूलते |
उनके संबोधन में प्रवासी जिस उत्साह के साथ जुटते हैं उसकी मिसालें दुनिया में देखने को नहीं मिलती जहाँ ऐसा खूबसूरत इस्तकबाल किसी प्रधान मंत्री का हुआ हो | मोदी मोदी के नारों से पूरा सभागार क्या स्टेडियम तक गुंजायमान हो जाता है जो इस बात को साबित करता है मोदी की लोकप्रियता अब भी बरकरार है और उनसे लोगों को अभी भी बड़ी उम्मीदें हैं | तमाम विदेशी यात्राओं के बावजूद पूरे तीन बरस पाकिस्तान और चीन से तनातनी बनी रही। पाकिस्तान ने पठानकोट में हमला कर दिया तो चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के मामले में और एन एस जी में भारत का विरोध किया जो अब भी जारी है | यही नहीं चीन की शातिर चालबाजियां इस दौर में भारत के लिए परेशानियाँ पैदा कर रही हैं |
इन सबके बीच मोदी सरकार कई मामलों में विफल दिखी है। कश्मीर में हालात दिन पर दिन खराब ही हो रहे हैं | सरकार इस पर कुछ भी नहीं कर पाई | घाटी में जहाँ स्कूल कई महीनों से बंद पड़े हैं वहीँ रोजगार का संकट घाटी पर अरसे से बना हुआ है | इस दौर में हुई पत्थरबाजी ने घाटी की कमर तोड़ दी है। यह सब कुछ तब है जब भाजपा केंद्र और राज्य दोनों जगह है | कश्मीर पर मोदी सरकार कोई स्पष्ट प्लान नहीं बना पा रही है | यह उसकी बड़ी विफलता है |
इसी तरह पाकिस्तान को भी वह सबक सिखाने का कोई ठोस प्लान नहीं बना सकी है | हमारे जवान लगातार शहीद हो रहे हैं | नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी जारी है | लाइन आफ कंट्रोल पर सीमा उल्लंघन के कई मामले सामने आ चुके हैं | पाक सेना आतंकी संगठनो के साथ मिलकर अलग कश्मीर राग अपना रही है और लगातार अपनी घुस पैठ कर रही है | सब कुछ देखते और समझते हुए भी मोदी सरकार कोई निर्णय नहीं ले पा रही है |
इसी तरह नक्सलवाद की भी रोकथाम में भी सरकार कोई नीति नहीं बना सकी है। मनमोहन के दौर में भी नक्सलवाद नेशनल सिक्यूरिटी के लिए खतरा था अब भी है | सबसे बड़ी विफलता यह है मोदी सरकार इस दौर में अपने बड़े चुनावी वादों को भूलती नजर आई है । अपने चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने दो करोड़ नौकरियां प्रति वर्ष देने का वादा किया था। इस लिहाज से अब तक मोदी सरकार की रफ़्तार सुस्त है। रोजगार का संकट दिनों दिन गहरा रहा है |
नए रोजगार के अवसर मिलने तो दूर रोजगार पर अब छटनी की तलवार लटक रही है | इंफोसिस और विप्रो सरीखी नामी गिरामी कंपनियां अब मोटी पगार पाने वालो की छंटनी करने लगी हैं | अमरीका में ट्रम्प की नीतियां प्रवासी भारतीयों और कंपनियों के लिए मुश्किलें बढाने में लगी हुई हैं | सभी अपना कारोबार समेटने में लगी हुई हैं | बी पी ओ सेक्टर पर भी आने वाले दिनों पर मंदी की गाज गिर सकती है | ऐसे में मोदी सरकार के सामने तमाम चुनौतियाँ हैं वह कैसे नए रोजगार दें |
2009-10 में जहाँ 8 लाख 70 हजार नए रोजगार के अवसर मिले वही 2016 में यह आंकड़ा महज 1लाख 35 हजार तक जा सिमटा | ऐसे में एक करोड़ रोजगार हर बरस कैसे पैदा होंगे यह दूर की गोटी है | कृषि विकास दर मानसून के चलते इस बरस बेशक ठीक ठाक है लेकिन किसानों को उनकी लागत का आधा फीसद भी नही मिल पा रहा | आंकड़ों की तमाम बाजीगरी के बावजूद देश में खेती किसानी न केवल घाटे का सौदा बन चुकी है बल्कि किसान आत्महत्या का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है |
2016 -17 की चौथी तिमाही में विकास दर 6.1 तक जा पहुची है जो इस सरकार के दौर में सबसे कम है | नोटबंदी ने विकास की रफ़्तार को सुस्त कर दिया है लेकिन वित्त मंत्री वैश्विक मंदी का बहाना बनाकर विकास दर से जुड़े सवालों पर पर्दा डालने की कोशिश करने में लगे हुए हैं | इसी तरह बैंको का एनपीए लगातार बढ़ रहा है | यह 7 लाख करोड़ को पार कर गया है | रोजगार नदारद हैं तो मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया का नारा अभी सोशल मीडिया और सेल्फी में है | जमीनी हकीकत कुछ और है |
कॉरपरेट घरानों की थाप पर यह देश नाच रहा है | अंतर सिर्फ इतना है पहले मनमोहनी इकोनोमिक्स की थाप पर पूरा देश नाच रहा था , अभी मोदिनोमिक्स भी कारपोरेट घरानों के आगे नतमस्तक हैं | किसानों की ख़ुदकुशी की घटनाएं थम नहीं रही | महाराष्ट्र का किसान आज भी सड़क पर है | किसानों की सबसे ज्यदा ख़ुदकुशी महाराष्ट्र में ही हुई है | 22 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ में महाराष्ट्र ही नहीं कमोवेश हर राज्य का किसान दब रहा है लेकिन राज्य सरकारें और केंद्र उसकी सुध नहीं ले पा रही हैं | तमिलनाडु का किसान जंतर मंतर पर जमीन पर दाल चावल खाकर अपने अनूठे अंदाज से सत्याग्रह कर चूका है लेकिन सरकारों को उन्हें देखने की फुर्सत नहीं है |
मोदी सरकार ने किसानों के लिए कुछ ख़ास नहीं किया है। केवल किसान बीमा योजना की ढपोरशंखी घोषणाओं से किसानों के अच्छे दिन नहीं आ सकते | 2015 के दौरान महाराष्ट्र में कुल 3228 किसानों ने खुदकुशी कर ली | हर आधे घंटे में इस देश के भीतर एक किसान ख़ुदकुशी करता है | इस सच से शायद हम वाकिफ नहीं हैं | भाजपा की अगुवाई वाली सरकारों ने भी किसानों के तकलीफ की अनदेखी की है। अगर ऐसा नही होता तो आज महाराष्ट्र के किसानों को देवेन्द्र फडनवीस सरकार के सामने हड़ताल नहीं करनी पड़ती |
एक विफलता यह भी है मोदी सरकार के दौर में ही बीते तीन बरस में देश में पनसारे , दाभोलकर ,कलबुर्गी सरीखे की लोगों की हत्या कर दी गई साथ ही कई साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने देश में बढ़ रही असहिष्णुता पर अपने पुरस्कार वापस कर दिए | मोदी सरकार के दौर में ही योगी आदित्यनाथ, कैलाश विजयवर्गीय, गिरिराज सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति और कई लोगों ने मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जहर उगला । बिहार चुनाव के दौरान इसी सरकार के दौर में असहिष्णुता बढ़ गई | हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला , जेएनयू में कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में इसी सरकार के दौर में गिरफ्तार किया गया।
राष्ट्रवाद और देशद्रोह पर इसी सरकार के दौर में बहस हुई जो आज भी जारी है | कला , संस्कृति , शिक्षा और अनुसंधान से जुड़े कई संस्थानों पर इस सरकार ने उन लोगों को बैठाया जिनकी स्वामीभक्ति केशवकुञ्ज की तरफ रही । यही नहीं इसी सरकार के दौर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले बड़े और राज्यों में रेप की घटनाये भी बढ़ी | क़ानून व्यवस्था राज्य सरकार क विषय है कहकर मोदी सरकार इस समस्या से पल्ला नहीं झाड सकती |
आज भाजपा 61 प्रतिशत आबादी वाले राज्यों में शासन कर रही है तो इसकी सफलता का बड़ा पैमाना भी मोदी ही हैं | उनके दमदार नेतृत्व की काट विपक्षियों के पास नहीं है | विपक्ष में कोई उनको चुनौती देने की स्थिति में नहीं है जिसके चलते आने वाले कुछ बरस तक मोदी का एकछत्र राज देश में देखने को मिल सकता है | फिलहाल दूर दूर तक मोदी को चुनौती देने की स्थिति में कोई नहीं है शायद यही वजह है हर चुनाव में मुद्दा मोदी हैं | सबहीं नचावत नमो गोसाई | यानी पूरी सियासत इस दौर में मोदी के इर्द गिर्द ही घूमी है | मोदी सरकार के तीन बरस उम्मीदों भरे रहे |
आने वाले दो बरस में मोदी सरकार को विकास , रोजगार के मसले पर कुछ रफ़्तार तेज करनी होगी साथ ही डिजिटल इंडिया , स्किल इंडिया , मेक इन इंडिया सरीखी कई योजनाओं को आगे बढ़ाना होगा | हनीमून पीरियड अब खत्म हो गया है | अच्छे दिनों के इन्तजार में अब जनता का धैर्य जवाब दे रहा है | 2019 की बिसात का काउन डाउन शुरू होने में अब देरी नहीं है |
2019 से पहले कई राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं जहाँ पर भी मोदी की साख दांव पर होगी | लेकिन जो भी हो मोदी लीक से अलग हटकर चलने वाले नेताओं में से हैं और इन तीन बरस में एक ग्लोबल लीडर के तौर पर उन्होंने खुद को स्थापित कर लिया है जिसके कसीदे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी बीते दिनों पढ़ चुके हैं जहाँ उन्होंने मोदी को नेहरु और इंदिरा की जमात में शामिल किया है | पी एम मोदी की असल अग्नि परीक्षा तो अब शुरू होगी देखते हैं वह इसमें कितना खरा उतरते हैं ?
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