फीफा विश्व कप के रोमांचक फाइनल में फ्रांस ने क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मैंडजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनाई लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया। फ्रांस को जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा। पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी। क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका था तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उम्मीद जगाई। फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था। तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं। इस तरह से डेसचैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गए हैं। उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी फ्रैंक बेकनबऊर ने यह उपलब्धि हासिल की थी। क्रोएशिया पहली बार फीफा के फाइनल में पहुंचा लेकिन जालटको डालिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा। निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबाल खेली लेकिन फ्रांस ने प्रभावी खेल दिखाया जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैंपियन बनने में सफल रहा। इस विश्व कप में क्रोएशिया की युवा खिलाडियों से सजी टीम ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया और हर मैच में अपने आकर्षक खेल से करोडो फ़ुटबाल प्रेमियों का दिल जीत लिया | विश्वकप मुकाबले में तीसरे स्थान पर बेल्जियम रहा जिसने इंग्लैंड को 2-0 की करारी शिकस्त देकर तीसरा स्थान अपने नाम किया |
इस बार का फुटबॉल वर्ल्ड कप इसलिए भी खास है क्योंकि यूरोप की बड़ी-बड़ी टीमें औंधे मुँह गिर गई | पुर्तगाल , अर्जेंटीना, स्पेन , जर्मनी , ब्राज़ील सेमीफइनल तक नहीं पहुंच पाए | नीदरलैंड्स और इटली की टीमें तो क्वालिफाई ही नहीं कर पाई वहीँ जर्मनी ने ग्रुप स्तर पर ही मुकाबले से निकलकर सभी को चौंका दिया | 2010 की विजेता स्पेन और यूरोपियन चैंपियन पुर्तगाल की भी टीमें इस बरस पिछड़ गयी | गौर करने लायक बात यह रही क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली 6 टीमें यूरोप की रही | पहले सेमीफाइनल मुकाबले में फ्रांस ने बेल्जियम को 1-0 से हरा दिया वहीँ दूसरे सेमीफाईनल में इंग्लैंड को क्रोएशिया ने धो डाला | सेमीफ़ाइनल में इंग्लैंड पर विजय के बाद न केवल क्रोएशिया के खिलाडियों के हौंसले बुलंद थे बल्कि इस जीत के बाद फ़ाइनल में वह फ्रांस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की सोच रहे थे लेकिन फ्रांस की टीम से पार पाना उनके लिए आसान नहीं था | फ्रांस और क्रोएशिया के बीच खेले गए फ़ाइनल मैच का रोमांच फर्स्ट हाफ तक बना रहा लेकिन फ़ाइनल में क्रोएशिया की टीम बहुत ज्यादा डिफेंसिव हो गई जिसके चलते अंतिम समय में टीम की रक्षापंक्ति बिखरती नजर आई | जहां क्रोएशियाई टीम पहली बार फीफा तक इस बरस तक पहुंची वहीँ दूसरी ओर फ्रांस टीम तीसरी बार खिताबी मुकाबले में जगह बनाने में कामयाब रही । फ्रांस की टीम एक बार की फीफा चैंपियन भी है। उसने 1998 में ब्राजील को हराकर खिताब अपने नाम किया था। उस विश्व कप में क्रोएशिया पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची थी। जहां उसे फ्रांस से हार का सामना करना पड़ा था । जर्मनी और इटली अब तक चार बार फीफा का ताज अपने नाम कर चुके हैं | जर्मनी की टीम 1954, 1974, 1990 ,2014 में फीफा चैम्पियन रही वहीँ ब्राज़ील 1958, 1962, 1970, 1994, 2002 में 5 बार फीफा चैम्पियन रह चुका है | इंग्लैंड की टीम 1990 में फीफा विश्व कप सेमीफाइनल में पहुंची थी लेकिन वहां जर्मनी की टीम के खिलाफ उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था | इससे पहले इंग्लैंड सिर्फ एक बार 1966 में फाइनल में पहुंची जब फीफा का आयोजन इंग्लैंड में ही हुआ था | इटली की टीम भी 1934, 1938, 1982, 2006 में चार बार फीफा का खिताब अपने नाम कर चुकी है | उरुग्वे की टीम भी अब तक दो बार फीफा फाइनल जीत चुकी हैं |
2018 के फीफा फाइनल मैच में भी मुकाबला बहुत रोमांचक रहा और फ्रांस की टीम ने क्रोएशिया की टीम को कड़ी टक्कर दी शायद यही वजह रही क्रोएशिया गोल बनाने के कई मौको को गंवाती नजर आई वहीँ क्रोएशिया की रक्षा पंक्ति को कई मौकों पर रोककर फ्रांस ने अपनी पकड़ मजबूत की | हाफ टाइम के बाद हुए 2 फटाफट गोलों ने फाइनल मैच का पूरा सीन बदल डाला | इस विश्व कप में क्रोएशिया की टीम की ख़ास बात यह रही हर मैच में इसका डिफेन्स बहुत अच्छा रहा | तकरीबन 7 से 8 खिलाड़ी हर मैच में चले लेकिन फाइनल में टीम पर दबावों का ऐसा पहाड़ खड़ा हो गया जिसके बोझ तले वह अपना वास्तविक खेल खेलने में नाकाम रहे | फ़ाइनल मैच देखने रूस पहुचे क्रोएशिया के करोडो समर्थको को यकीन ही नहीं हो रहा था क्या यह वही टीम है जो अपने लाजवाब खेल के लिए इस विश्वकप में जानी जा रही थी | फाइनल मैच के अंतिम हाल्फ में पोग्बा और एमबापे की सधी रणनीति के आगे क्रोएशिया मौका चूक गया जबकि मैच ख़त्म होने में काफी समय बचा था | खेल में किसी भी खिलाडी का दिन होता है और फ़ाइनल क्रोएशिया का दिन नहीं था और उनके करोडो समर्थक उनके प्रदर्शन से निराश हो गए | क्रोएशिया की किस्मत ने भी इस बरस के फीफा फाइनल मुकाबले में उसका साथ नहीं दिया।
फाइनल मैच का पहला गोल फ्रांस ने किया लेकिन यह आत्मघाती गोल था, जो क्रोएशिया के मारियो मंडुजुकिच ने किया। गौरतलब है कि मंडुजुकिच के गोल से ही क्रोएशिया ने सेमीफाइनल में इंग्लैंड को 2-1 से हराने में कामयाबी पायी थी। यह विश्व कप के फाइनल में हुआ पहला आत्मघाती गोल था, जिसने क्रोएशिया को निराश कर दिया। इसी गोल से फाइनल मैच में क्रोएशिया की उल्टी गिनती शुरू हो गई। हालांकि ईवान पेरीसिच ने शानदार गोल ठोक क्रोएशिया को बराबरी करने का मौका दिया, लेकिन भाग्य एक बार फिर क्रोएशिया से रूठा रहा। पहले हाफ में जबरदस्त खेलने वाली क्रोएशिया की टीम दूसरे हाफ में फ्रांस द्वारा किए गए दो गोल के सामने बिखर गई और पहले खिताब से चूक गई| क्रोएशियाई फुटबॉल टीम आखिरी बार 1998 में फीफा विश्व कप में इतना आगे तक आई थी। फ्रांस में हुए उस विश्व कप के दौरान क्रोएशियाई टीम तीसरे पायदान पर रहने में सफल रही थी जहां उनके स्टार खिलाड़ी डेवर सूकर को गोल्डन बूट का पुरस्कार भी मिला था। जब भारत में बाजार को मुक्त करने की बात चल रही थी तो क्रोशिया अपने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था। विश्व के मानचित्र में स्वतंत्र देश के रूप में दर्ज हुए क्रोएशियाई को करीब 3 दशक हो गए हैं इसके बावजूद इस देश को बहुत कम लोग जानते हैं।
फ्रांस की टीम ने 20 बरस के लम्बे इन्तजार के बाद इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया | इस विश्व कप में क्रोएशिया के पास मूलर, क्लोजा , ओजिल सरीखे खिलाडियों की तिकड़ी थी जो किसी भी पल मैच का रुख अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रही थी लेकिन फाइनल में सारे सूरमा विपक्षियो के आगे फीके पड़ गए | इस बार भाग्य ने फीफा फाइनल में फ्रांस के खिलाडियों का साथ बखूबी दिया और फ़ाइनल में खिलाडियों की टीम स्प्रिट ने एक नया जज्बा जगाया जिसको क्रोशिया की टीम सही से हैंडल करने में कामयाब नहीं हुई | हार के बाद मायूसी क्रोशिया के खिलाड़ियों के चेहरे पर साफ़ झलक रही थी | भले ही क्रोशिया इस बार फीफा जीतने में कामयाब नहीं हो पाया लेकिन युवा जोश से लबालब भरी इस टीम ने दुनिया के दिल पर क्रोशिया के लिए जगह बना दी |
2018 का फीफा विश्वकप कई मायनों में इस बार खास रहा | मैचो में रोमांच बना रहा और जर्मनी , अर्जेंटीना , पुर्तगाल सरीखी टीमों की प्री क्वार्टर फाइनल मैच में ही विदाई हो गयी | वहीँ क्रोएशिया ने कई टीमों का बोरिया बिस्तरा बाध दिया और अपनी ख़ास छाप छोड़ी | क्वार्टर फाइनल में उरुग्वे , बेल्जियम , ब्राजील , स्वीडन , इंग्लैंड , रूस ने पहुंचकर सभी को चौंकाया | लेकिन इसके बाद उनकी आगे की डगर कठिन हो गयी | इस बार फीफा में कई सितारे जहाँ बुलंदियों के शिखर पर जा पहुचे वहीँ कई ऐसे भी रहे जिनका जादू फीका रहा | कैलाइन एमबापे ,हैरी कैन, डैनिश चेरिशेव , पावर्ड , डैनिजल सुबासिक , लुका मॉड्रिक ने जहाँ प्रशंसको के दिलो में अपनी जगह बनाई वहीँ रोनाल्डो, मार्सेलो , मिरांडा, मैसी , रोनाल्डो , नेमार , सिल्वा, पेपे , डिएगो गोडिन , पाल पोग्बा , रामोस सरीखे खिलाडियों की चमक फीफा में फीकी पड़ी | एमबापे, टोनी ग्रीजमेन , गोलोविन भविष्य की उम्मीद बन सकते हैं यह इस बार के फीफा ने दिखा दिया |
रूस ने अपने शानदार आयोजन से इस विश्व कप को यादगार बना दिया | रूस में विश्व कप के दौरान खास तरह का चकाचौंध देखने को मिला | पूरा शहर रात में रौशनी से नहाया लग रहा था | टिकट को लेकर मारामारी भी खूब मची और फाइनल में तो टिकटों की कालाबाजारी भी चरम पर पहुच गयी जहाँ टिकट पाने के लिए लोगो को अपनी जेबें भी गरम करनी पड़ी | एशिया में भी फीफा का जलवा देखने को मिला | लोगो ने जमकर देर रात तक जागकर टी वी स्क्रीनों में मैच का लुफ्त उठाया | भारत में भी करोडो लोगो ने इस बार फीफा के मैचो का आनंद अपने घर में लिया और बता दिया क्रिकेट के अलावे फ़ुटबाल की दीवानगी भी यहाँ सर चढ़कर बोल रही है | ‘क्रिकेट चालीसा’ टी वी में अब तक चलाते रहे भारतीय समाचार चैनलों ने भी पहली बार फुटबाल विश्व कप के मैचो को लेकर अपने विशेष प्रोग्राम चलाये जिस कारण लोगो में फुटबाल के मैचो को लेकर विशेष उत्सुकता देखने को मिली |
भारतीय टी वी चैनलों का यह संकेत खेलो की सेहत के लिए कम से कम बहुत अच्छा कहा जा सकता है | अगर क्रिकेट से इतर अन्य खेलो के लिए मीडिया इसी तरह की कवरेज को प्रमुखता दे तो सभी खेलो के ‘अच्छे दिन `’ जल्द आ सकते हैं | क्रोएशिया ने भारत के लिए यह आइना दिखाया है कि एक ऐसा देश जिसकी आबादी दिल्ली की आबादी से भी आधी है जब वह फीफा के फाइनल तक अपनी युवा टीम के बूते पहुँच सकता है तो वहीँ सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश जिसकी सबसे बड़ी युवा ताकत है उस भारत में फुटबॉल को प्रोत्साहन कब मिलेगा?
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