Wednesday 5 June 2019

'नमो ' की सुनामी








  इस बार लोकसभा चुनाव जीतकर मोदी ने सही मायनों में अपनी अखिल भारतीय छवि हासिल करने के साथ ही खुद को राष्ट्रीय राजनीती में फ्रंट रनर के तौर पर पेश किया है । पहले यह भ्रम बन गया था कि मोदी पार्टी से बड़े हो गए हैं लेकिन हलिया  चुनाव परिणामो ने इस भ्रम को हकीकत में बदल दिया है । मोदी के बारे में उनके विरोधी ही नहीं भाजपा में उनको नापसंद करने वाली  जमात का एक बड़ा तबका इस बार मोदी की जीत  को लेकर आशंकित था ।  इस बार के चुनावो से पहले उन्होंने  मोदी का किला दरकने के प्रबल आसार  बताये थे  साथ ही अपने  नकारात्मक प्रचार द्वारा   मोदी का जादू  फीका होने की बात मीडिया के सामने रखी थी लेकिन मोदी ने अपने बूते देश फतह  कर यह बता दिया पार्टी में उनको चुनौती देने की कुव्वत किसी में नहीं है ।  


भारतीय राजनीती में 2019  के लोक सभा चुनावो की बिसात कई मायनो में ऐतिहासिक है क्युकि कई दशक बीतने के बाद किसी राष्ट्रीय  पार्टी को अभूतपूर्व जनादेश और सफलता मिली है । नए दौर  की इस  सफलता  में किसी का बड़ा योगदान है तो बेशक वह शख्स  मोदी  और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ही हैं जिनके अथक प्रयासों से भारतीय जनता पार्टी ने वो चमत्कार कर दिखाया है जो पार्टी ने अटल आडवाणी के दौर में नहीं किया था । भाजपा  का  पूरा प्रचार अभियान मोदी के इर्द गिर्द ही घूमा | मोदी ने यू पी , बंगाल ,उड़ीसा , बिहार , महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश , राजस्थान , कर्नाटक  , गुजरात  पर  फोकस किया और तकरीबन एक लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा करते हुए 142  में से 104  रैली  इन राज्यों में की वहीँ अमित शाह ने डेढ़  लाख किलोमीटर से अधिक की यात्राएँ  पूरे देश भर में की | अमित शाह ने देश भर में 161  सभाओँ  को ना केवल सम्बोधित किया बल्कि 300 से अधिक संसदीय इलाकों में अपनी खुद की उपस्थिति  दर्ज करवाई |  चुनाव प्रचार की रणनीति से लेकर बूथ प्रबंधन और सरकारी नीतियों  की जानकारी कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने से लेकर  नारे खोजने  तक की जिम्मेदारी उनके जिम्मे थी | 

 भारतीय जनसंघ के दौर मे भाजपा मे अटल और आडवाणी की जोड़ी खूब बनी | पोस्टरों से लेकर पार्टी के बैनरों तक में  इस जोड़ी ने खूब जगह बनाई | इंडिया शाइनिंग के नारों के बीच भाजपा मे पंचसितारा संस्कृति को बढ़ावा देने की बातें भी उठी लेकिन अटल बिहारी बाजपेयी के राजनीति से सन्यास के बाद आडवाणी पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता मे वह भरोसा  और विश्वास नहीं जगा पाये जैसा हाल के बरसों मे मोदी और शाह की जोड़ी ने जगाया है | अटलबिहारी और आडवाणी के दौर मे जो करिश्मा भाजपा पूरे देश की  सियासी जमीन मे राम मंदिर के दौर मे नहीं कर सकी वह करिश्मा मोदी शाह जोड़ी ने करके तमाम विरोधी राजनीतिक दलों को इस चुनाव में पानी पिला दिया | आप मोदी और शाह के लाख  आलोचक रहे हों लेकिन यह तो मानना पड़ेगा चुनावी राजनीति में  हाल के वर्षों मे अपने कुशल प्रबंधन और चुनावी बिसात से शाह और मोदी की जोड़ी ने भारतीय राजनीति के रुख को ही बदलकर रख दिया है |  हाल के वर्षों मे अमित शाह ने कई राज्यों में न केवल अपनी पार्टी की उपस्थिति दर्ज करवाई है बल्कि  वोट प्रतिशत भी बढ़ाया है |  

संकेतो तो डिकोड करें  तो भाजपा के लिए मोदी का  यह बाहुबली अवतार  किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं हैं क्युकि इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत ही नहीं बढ़ा  बल्कि देश के युवा वोटरों की बड़ी जमात ने मोदी को वोट किया । 20  से अधिक  राज्यों  में कांग्रेस का खाता नहीं खुलना और  पूर्वोत्तर , दक्षिण  के  कई राज्यों में  भाजपा के वोट प्रतिशत में हुई जबरदस्त  वृद्धि  इस बात को बता रही है आज भाजपा ना केवल उत्तर की पार्टी रह ग़ई है वह देश के हर कोने में अपना आधार और साख मजबूत कर रही है | संकट देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को लेकर है जो दिन पर दिन सिकुड़ रही है |   भाजपा ने इस चुनाव में मोदी को तुरूप के इक्के के  रूप में  आगे कर वोट मांगे । ' मोदी है तो मुमकिन है ' से लेकर 'फिर एक   बार मोदी सरकार ' सरीखे नारो के केंद्र में  मोदी ही रहे साथ ही उन्हें नापसंद करने वालो की एक बड़ी जमात बार  बार मोदी  को ही निशाने पर लेती रही लेकिन इसके बाद भी मोदी ने  अपने दम  पर भाजपा को बहुमत में लाकर अगर खड़ा करने किया है तो इसमें मोदी की दिन रात की मेहनत को नहीं नकारा जा सकता ।  इस लोकसभा चुनाव में  पार्टी ने देश के उत्तर, मध्य और पश्चिमी और पूर्वोत्तर के  क्षेत्रों  का रंग अगर भगवा किया है तो यह अमित शाह का कुशल प्रबंधन है |  हालांकि बीजेपी अभी दक्षिण  भारत में अच्छी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है | 

अमित शाह को जब गुजरात से निकाला गया तब उन्होंने अपना डेरा दिल्ली में स्थित गुजरात भवन में डाला। यहां रहते हुए वह भाजपा के बड़े नेताओं के करीब आते गए और मोदी के लिए दिल्ली आने के रास्ते तलाशते गए और 2014  से ठीक पहले गोवा में  मोदी को राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के दौरान पीएम का चेहरा बनाने मे भी अमित शाह की बड़ी भूमिका थी | मनमोहन सरकार  के किले को भेदने के लिए  भाजपा जब भाजपा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बना रही थी तब मोदी और शाह जानते थे कि यूपी जीते बिना दिल्ली की कुर्सी पाना नामुमकिन जैसा है। तब शाह यूपी जाना नहीं चाहते थे लेकिन गुजरात में आनंदीबेन पटेल और अन्य खेमों की पार्टी में बढ़ती पकड़ देख उन्होंने यह चुनौती स्वीकार कर ली। पार्टी की यूपी की कमान संभालते ही शाह एक राज्य के नेता से राष्ट्रीय नेता बन गए।  2014 मे उत्तर प्रदेश की 73  लोकसभा सीट भी अमित शाह के कारण पार्टी ने जीती  और इसके बाद तो  दो तिहाई बहुमत से अमित शाह के अध्यक्ष रहते हुए  पार्टी ने यू पी की पिच पर शानदार करिश्मा कर दिखाया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी | साथ ही अमित शाह के अध्यक्ष रहते हुए भाजपा 10  करोड़ सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी भी बनी  जिसके आज पास कार्यकर्ताओं की भारी भरकम फ़ौज है | 2014  में जब मोदी  पी एम बने तो मात्र 5  राज्यों में भाजपा की सरकार थी लेकिन आज अमित शाह के पार्टी  अध्यक्ष  रहते पार्टी 19  राज्यों में सत्ता में है जो उनके करिश्मे  को  बताने के लिए काफी है |  देश  में मोदी की सफलता के पीछे शाह की प्रतिभा है और मोदी का  चेहरा  | केंद्र मे मोदी ने 5  बरस में  जिस तरह पारदर्शी  सरकार  चलाई उससे प्रभावित होकर जनता ने इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट किया |  उसे समाज के हर तबके का लाभ मिला है साथ ही जातीय बंधन टूटे और   पहली बार परिवारवाद की राजनीति ख़त्म हुई | 

  2014  में मिले 31  फीसदी वोट शेयर को पीछे छोड़ते हुए भाजपा इस बार 50  फीसदी से भी अधिक वोट पा गई  |  जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल , बंगाल और पूर्वोत्तर तक में भाजपा  का वोट  शेयर बढ़ा  है। खास बात यह है कि 12 बड़े और प्रमुख राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं। अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली में पार्टी को जबर्दस्त सफलता मिली है। यूपी में सहयोगी अपना दल के साथ पार्टी के वोट शेयर का आंकड़ा 50 फीसदी को पार कर गया है जिसके पीछे  अमित शाह का चुनावी प्रबंधन ही काम किया  है| हिंदी पट्टी  की 226  सीटों में 202 लोकसभा सीटें पार्टी ने फतह हासिल की |  यही नहीं अमित शाह ने बीते बरस  से ही  के  उन  120  लोकसभा सीटों पर ख़ास खुद का फोकस किया था जहाँ पार्टी हार गयी थी और आज पार्टी ने तकरीबन आधी सीटें अपनी झोली में ला दी  हैं जिसमें उनके योगदान को नहीं नकारा जा सकता | अमित शाह ने  इस चुनाव में  सिटिंग  गेटिंग फार्मूला भी गुजरात की तर्ज पर लगाया जिसमें 91  नए  चेहरों का बड़ा दांव उन्होंने खेला जिसमें 79 लोकसभा सीटों पर कमल खिला |

 5  माह पूर्व छत्तीसगढ़ , राजस्थान , मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों की  हार से सबक लेते हुए जिस तर्ज पर  शाह ने इस बार लोकसभा  की बिसात बिछाई उसकी मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है | लोकसभा चुनावों से पहले ना केवल शाह ने पूरे एनडीए  को एकजुट रखा बल्कि देश भर की ख़ाक छानकर मोदी सरकार  की नीतियों को जन जन तक पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं से  संवाद और मीटिंगों का दौर लगातार जारी रखा | भाजपा के संगठन विस्तार में शाह की यही दूरदृष्टि काम आई | साथ ही  उन्होंने  आक्रामक तरीके से विपक्ष के हर सवाल का जवाब भी दिया | राम मंदिर आंदोलन के दौर मे भी भाजपा को इतनी सीटें  नहीं मिली जितनी की इस बार मिली है | इस जीत ने   भारतीय जनता पार्टी की स्वीकार्यता को पूरे देश में न केवल  बढ़ाया है बल्कि सही मायनों मे पी एम मोदी के कद को बढ़ाने का काम किया है | इस जीत ने  भाजपा मे अमित  शाह को  आज सबसे कामयाब अध्यक्ष  और आधुनिक राजनीति के चाणक्य के तौर पर  पार्टी में स्थापित कर दिया है |  

   सत्तर  अस्सी के दशक को याद करें तो उस दौर में एक बार इंदिरा गांधी ने तमाम सर्वेक्षणों की हवा  निकालकर दो तिहाई प्रचंड बहुमत पाकर संसदीय राजनीती को  आईना दिया था । इस बार मोदी ने 2014  से भी बेहतरीन तरीके से  विकास के माडल को अपनी छवि के आसरे जीत में तब्दील कर दिया ।  आमतौर पर सत्तारूढ़  दलों  को  एंटी इनकम्बैंसी   का सामना करना पड़ता है लेकिन इस लोकसभा  चुनाव में प्रो एंटी इंकम्बैंसी  रही और मोदी के नाम का अंडर करंट  था |  विकास के नारे के आगे सारे नारे फ़ेल  हो गए । यह इस मायनों में कि जनता ने मोदी  के विकास माडल पर न केवल अपनी मुहर लगाई बल्कि यू पी में महागठबंधन के आने के के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा । यही नहीं दूसरी बार पी एम  बनने  के बाद अब  मोदित्व का परचम एक नई  बुलंदियों में पहुच गया है ।  ब्रैंड  मोदी  का जादू लोगो पर सर चदकर बोल रहा है । उनका जादू इस चुनाव में  किस कदर चला इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहरी इलाकों  ,अर्द्ध  शहरी  और ग्रामीण इलाकों की सीटें  भाजपा की झोली में आई । यह मोदी की लोकप्रियता और उनके विकास की कहानी को रूप में  बयाँ करवाने के लिए काफी है ।  राहुल गाँधी ने चौकीदार चोर है के नारे को जहाँ भुनाया वहीँ प्रधानमंत्री के लिए विपक्ष ने  क्या नहीं कहा | गन्दी नाली के कीड़े से लेकर  मुसोलनी , बन्दर , सांप , बिच्छू  , रावण , अनपढ़ , गंवार , औरंगजेब  ,तुगलक , नटवरलाल , निकम्मा , नमक हराम जैसे ना जाने कितने अशिष्ट शब्द बयां  किये लेकिन आज के वोटर ने इन सबको खारिज कर दिया |   देश ने  उन सबको करारा जवाब यह कहते हुए दिया है कि  मोदी के हाथों  में  देश पूरी तरह से सुरक्षित  है ।
    
                      पूरब से लेकर पश्चिम  उत्तर से लेकर दक्षिण  हर जगह मोदी की तूती  ही इस चुनाव में बोली है । पूरा  देश  इस कदर मोदीमय है समाज के कई  तबको का समर्थन जुटाने की कांग्रेस और महागठबंधन  की गोलबंदी इस चुनाव में काम नहीं आ सकी । शहरी , ग्रामीण , गैर आदिवासी , आदिवासी इलाके   इस चुनाव में मोदी के साथ ही खड़ा दिखे  और पहली बार जातीय बंधन  मोदी की राजनीति ने तोड़ डाले |  मोदी ने जातीय बंधन में  सेंध लगाकर अपनी बादशाहत को सही रूप में सबके सामने साबित कर दिखाया । कई प्रेक्षक 2019  में भाजपा की राह मुश्किल होने का दावा कर रहे थे  लेकिन  इस चुनाव में भाजपा को मोदी के नाम का  मिला बड़ा वोट यह साबित करता है कि इस चुनाव में समाज के हर तबके ने  अपना खुला समर्थन मोदी को देकर विपक्ष  की राजनीती को सीधे खारिज ही कर डाला । पूरे देश में नया युवा वोटर मोदी  के साथ खड़ा रहा और उसकी मानें तो देश का बेड़ा  मोदी ही पार लगा सकते हैं । दुबारा  प्रचंड बहुमत पाकर  मोदी अब भाजपा में अब तक के सबसे  बड़े नेता के तौर पर उभर कर सामने आ गए हैं । इस जीत  के बाद मोदी निश्चित ही भाजपा में अब सबसे मजबूत हो गए हैं और संघ भी अब भाजपा की भावी रणनीतियो का खाका मोदी के आसरे ही खींचेगा क्युकि  स्वयंसेवको की बड़ी कतार चाहती है अब  भाजपा उन्ही के  युवा चेहरे के आसरे आगे बढे | इस  जीत के बात भाजपा का जोश बढ़  गया है  जो भाजपा मुख्यालय में देखा जा सकता है |   मोदी देश के वोटर ही नहीं बल्कि  चुनाव को अपने मुद्दों के जरिये  प्रभावित कर सकते हैं । हिंदुत्व और विकास के आसरे मोदी ने देश  में जो लकीर खींची  है वह अब  इतिहास बन चुकी है ।

       इस लोकसभा चुनाव  के बहाने मोदी ने कम से कम यह तो दिखा ही दिया वह सियासत की हर बिसात को अपनी ढाई चाल से मौत देने की छमता तो  रखते  ही  हैं शायद तभी उनके विरोधी  भी  उन्हें सत्ता से बाहर खदेड़ने के मंसूबो पर कामयाब नहीं हो पाते हैं ।दूसरी बार  दिल्ली की पिच पर उतरकर  उन्होंने पूरे विपक्ष  को  ही क्लीन बोल्ड  कर दिया ।  अपने मोदिनोमिक्स के आसरे उन्होंने महागठबंधन को पहली बार आईना  दिखा दिया और विपक्ष को यह कहते हुए  चुनौती  दे डाली कि  उनको  हराने  की कुव्वत विपक्ष में नहीं |    विकास के मोदिनोमिक्स ब्रह्मास्त्र के आसरे अब मोदी देश के करिश्माई नेता के तौर पर अपने को स्थापित करना चाहते हैं | मोदी सरकार के पांच  बरस उपलब्धियों से भरे रहे |  मोदी सरकार की मंशा सबका साथ सबका विकास रही है और ख़ास बात यह यह इस सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग अब तक नहीं है शायद यही इस बार जीत की वजह बनी है |  

पारदर्शी सरकार देना , विश्व में भारत की साख मजबूत करना और गरीबों का हिमायती होना इस सरकार की पहले दिन से प्राथमिकता रही  | जनधन के खाते खोलकर , मनरेगा चालू रखकर , मुद्रा योजना , उज्जवला योजना , स्किल इंडिया , स्टार्ट अप इंडिया,आयुष्मान भारत सरीखी योजनाओं के केंद्र में गरीब गोरबा जनता रही सर्जिकल स्ट्राइक , विमुद्रीकरण , रेल बजट का आम बजट में विलय , नीति आयोग का निर्माण , वी वी आई पी कल्चर समाप्त करने, और कई कानून समाप्त करने ,बेनामी संपत्ति क़ानून , जी एस टी पास करने , दीनदयाल ग्राम योजना के तहत देश के सभी गाँवों को बिजली से रोशन करने  के मोदी सरकार के कई फैसले बड़े साहसिक रहे | साथ ही चुनावों के ऐलान से ठीक पहले  बालाकोट एयर स्ट्राइक ने मोदी की पहचान कड़े फैसले लेने वाले राजनेता के तौर पर उभारी जिसका सीधा लाभ भाजपा को कई राज्यों में मिला | यही नहीं  मोदी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर भारत की नयी छवि गढ़ने में सफलता हासिल की और योग को वैश्विक मान्यता दिलाई साथ ही स्वच्छता को एक बड़े जनअभियान में तब्दील किया और समाज के हर तबके के लिए काम किया | 

मोदी ने इस चुनाव में विकास के नारो के साथ बड़े सपने लोगो के भीतर जगाये ।  आज भाजपा जिन  राज्यों  में भी  शासन कर रही है तो इसकी सफलता का बड़ा पैमाना भी मोदी ही हैं | उनके दमदार नेतृत्व की काट विपक्षियों के पास नहीं है |विपक्ष में कोई उनको चुनौती देने की स्थिति में नहीं है जिसके चलते आने वाले कुछ बरस तक मोदी बनाम ऑल  की लड़ाई  देश में देखने को मिल सकती  है | फिलहाल दूर दूर तक मोदी को चुनौती देने की स्थिति में कोई विपक्षी नहीं है शायद यही वजह है हर चुनाव में मुद्दा मोदी हैं | सबहिं नचावत नमो गोसाई | यानी पूरी  सियासत इस दौर में मोदी के इर्द गिर्द ही घूमी है | इस लोकसभा के चुनाव के संकेत साफ है   भाजपा का कैडर हर चुनाव में शानदार प्रदर्शन कर रहा है और कांग्रेस देश में लगातार सिकुड़ रही है | विपक्ष मोदी का विरोध करते करते  हर राज्य गंवाते ही जा रहा  है | 2014 में हमने  मोदी मैजिक देखा  वही 2019 में मोदी की सुनामी आई  है  | साफ़ है देश  और विदेश में मोदी की  लोकप्रियता बरकरार है और मोदी सरकार से लोगों को अभी भी कई उम्मीदें  हैं  | सपनो को हकीकत का चोला पहनाने का समय शुरू हो गया है । मोदी की लोकप्रियता में आज भी कोई गिरावट नहीं आई  है | लोगो को अभी भी  मोदी से बहुत आशाएं हैं ।  अब मोदी को गाँव  के अंतिम छोर  में खड़े व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुचाना होगा क्युकि 2019  के इस चुनाव की इबारत साफ़ कह रही है  लोगो ने जाति, धर्म से ऊपर उठकर विकास के लिए वोट किया है ।  मोदी के शपथ ग्रहण का सभी को जल्द  इन्तजार है क्युकि उसके बाद ही नयी सरकार अपना काम शुरू करेगी और नीतियों को अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया  विधिवत रूप से शुरू होगी । 
                             

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