मध्य प्रदेश की बड़ी आबादी आज भी गाँवों में बसती है जिसकी जीविका कृषि , पशुधन और कृषि से सम्बद्ध अन्य क्षेत्रों पर निर्भर है। जो कृषि आज प्रदेश में रोजगार का बड़ा माध्यम बनी है वो कृषि पिछली सरकारों में अनेक विसंगतियों का शिकार रही है। नीति नियंताओं की अदूरदर्शी नीतियां प्रदेश में किसानों पर बोझ बन गई थी जिसके चलते कृषि की तमाम समस्याओं का हल खोज पाने में हम कामयाब नहीं हो पाए।
राजनीति में किसानों के हर दुःख और दर्द में सहभागी बनने की कोई परंपरा भी देखने को नहीं मिलती लेकिन पिछले कुछ महीनों में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पूरी सरकारी मशीनरी के साथ खेती की तमाम समस्याओं का निदान खोजने में लगे हैं ,वह अभूतपूर्व है। किसानों के दर्द के प्रति संवेदना जगाने का ये प्रयास मुख्यमंत्री अपने अंदाज में कर रहे हैं। खेती को लाभ का सौदा बनाने में की दिशा में वो शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के दर्द में इस प्रकार के फैसले लेना एक बड़ी मिसाल है। मध्यप्रदेश ने 7 बार राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कर्मण अवार्ड लेकर कृषि के क्षेत्र में अपनी शानदार उपलब्धियां हासिल कर पूरे देश में अपना मान बढ़ाया है । यह मुख्यमंत्री शिवराज की किसानों की समस्याओं के प्रति गहरी समझ और किसानों के प्रति संवेदनशीलता का ही परिचायक है कि वे दिन –रात किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की दिशा में रहकर सारे प्रयास कर रहे हैं।
कोरोना काल की विषम चुनौतियों के बीच प्रदेश के मुखिया शिवराज ने किसानों के चेहरों पर सही मायनों में मुस्कुराहट लाने का काम किया है। किसान पुत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की कृषि को लेकर दिखाई गई विशेष दिलचस्पी के चलते आज प्रदेश का किसान जहां खुशहाल नजर आता है वहीं उसे फसलों का सही मूल्य भी मिल रहा है। बीते साल कोविड कोरोना लॉकडाउन के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। किसानों की फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदना बहुत बड़ी चुनौती थी। कोरोना संक्रमण उस समय चरम पर था। दिन पर दिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे थे, ऐसे में कोरोना से बीच बचाव करते हुए फसलें खरीद लेने और उन्हें मंडी तक लाने की विकराल चुनौती सरकार के सामने खड़ी थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ खड़ा होकर उन्हें सरकार का समर्थन दिलवाया ।
एक ओर किसानों के ट्रैक्टर , फसल कटाई, , हार्वेस्टर, कृषि उपकरणों के सुधार आदि की पहल सरकार द्वारा की गई वहीं हर दिन किसानों को एस.एम.एस भिजवाकर खरीदी केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाईजेशन आदि करवाकर समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य शुरू किया गया। इतनी विषम परिस्थिति में भी मध्यप्रदेश ने गेहूं का ऑलटाइम रिकार्ड उपार्जन किया। मध्यप्रदेश ने पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य को भी गेहूं खरीदी में पीछे छोड़ दिया। प्रदेश में एक करोड़ 29 लाख 34 हजार 500 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी 16 लाख किसानों से की गई और उन्हें करीब 24 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया गया। किसानों के लिए सरकार ने शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा प्रारंभ कराई । साथ ही पिछले वर्षों की फसल बीमा की लगभग 2990 करोड़ रुपये की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई।किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य दिलाए जाने के लिए मंडी अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे किसानों को मंडी और सौदा पत्रक के माध्यम से अपनी फसल बेचने की सुविधा दी गई । राज्य में किसान उत्पादक संगठन को स्व-सहायता समूहों की तरह सशक्त बनाने की भी तैयारी भी उनके द्वारा की गई। गरीब तबके को हर प्रकार की सहायता देने के लिए संबल योजना पुन: प्रारंभ की गई जो आज गरीबों का सुरक्षा कवच बनकर सामने आई है।
किसान हितैषी मुख्यमंत्री के प्रयासों से प्रदेश के किसान का डंका आज पूरे देश में बज रहा है । 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन कर प्रदेश का किसान आज उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश, हरित क्रांति के अगुवा राज्य पंजाब को पीछे छोड़ चुका है वहीं कोविड के दौर में 5.11 लाख हेक्टेयर मूंग, उड़द और धान आदि की बोवनी करा चुका है। इसी दौरान मूंग के 5.76 लाख मीट्रिक टन उत्पादन और किसानों को दी मंडियों के बाहर सौदा पत्रक से उपज बेचने की सुविधा भी दी गयी जिसके परिणाम बेहतरीन रहे हैं । समर्थन मूल्य पर उपार्जन हेतु एक दिन में किसान से खरीदी की अधिकतम सीमा 25 क्विटंल को समाप्त कर असीमित खरीदा जाना भी शिवराज सरकार की एक बड़ी उपलब्धि रही है । एक ही बार में पूरी उपज का सौदा होने से किसान के समय और धन दोनों की हुई बचत हो रही है और उसे बेवजह मंडियों के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं । पिछले साल अतिवृष्टि और कीट प्रकोपों से जब प्रदेश प्रभावित हुआ तो सरकार द्वारा राहत राशि के रूप में 3 हजार 500 करोड़ रुपये की सहायता किसानों को दे गई। सरकार ने सहकारी बैंकों की सेहत में सुधार के लिए 800 करोड़ की सहायता भी दी। प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि , प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना , किसान क्रेडिट कार्ड योजना को प्रदेश में बेहतरीन ढंग से लागू किया गया है ।प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना के माध्यम से अब तक 111 हजार 889 करोड़ रु का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। शून्य ब्याज दर पर ऋण देने वाले प्रदेशों में आज मध्य प्रदेश का नाम शुमार हुआ है । अब तक 26000 करोड़ से अधिक का ऋण किसानों को दिया गया है ।
किसानों के प्रति मुख्यमंत्री की दूरगामी नीतियों का असर ही रहा, उनके रहते प्रदेश में हर स्तर पर किसानों की समस्याओं को सुना गया और विभिन्न फसलों के बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और पहली बार प्रदेश में किसानों की विभाग से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिये 'कमल सुविधा केंद्र' की स्थापना सुनिश्चित की गयी जहां पर शिकायतों का त्वरित निराकरण हुआ। अब तक कई हजार समस्याओं का निराकरण बेहद कम समय में पूरा हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में केन बेतवा परियोजना का निर्माण शुरू हुआ है। ये परियोजना प्रदेश में सिंचाई व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम भविष्य में करेगी। आज भी कृषि के क्षेत्र में एग्रीकल्चर इन्फ्रास्टेक्चर फंड परियोजना के माध्यम से कृषि में बुनियादी सुधारों को अमली जामा पहनाया जा रहा है। 150 नए ऍफ़.पी. ओ के गठन से प्रदेश में किसानों के लिए नई लकीर खींचने की कोशिशें शुरू हुई हैं। आज प्रदेश में कृषि विकास दर जहाँ दहाई के अंक में पहुँच चुकी है वहीँ प्रदेश का कुल कृषि उत्पादन बढ़कर 6 करोड़ मीट्रिक टन पार कर चुका है। पिछले 17 बरस में सिंचित क्षेत्र भी 42 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है । इस दौर में प्रदेश सरकार ने किसानों को बिजली के कनेक्शन देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान भी दिया है ।
शिवराज सरकार का एकमात्र संकल्प प्रदेश के किसानों की समृद्धि है । इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2018 में 9.51 लाख किसानों को खरीफ का 1987.27 करोड़ रु. वर्ष 2018-19 में 8.94 लाख किसानों को रबी का 1241 करोड़ रु., खरीफ 2019 का 24.54 लाख किसानों को 5,531 करोड़ रुपये की बीमा राशि का भुगतान कराया गया। इस प्रकार कुल 44 लाख किसानों को 8,891 करोड़ रु. की राशि का भुगतान बीमा कंपनियों द्वारा कराया गया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए फसल बीमा की अंतिम तारीख 31 जुलाई के स्थान पर पिछले साल एक माह बढ़ाकर 31 अगस्त की गई । बाढ़ प्रभावित पांच जिलों के लिए तारीख आगे बढ़ाकर 7 सितंबर तक की गई जिससे प्रदेश में खरीफ फसल के लिए 44 लाख 53 हजार से ज्यादा किसानों ने बीमा पंजीयन कराया।प्रदेश में मूंग फसल क्षेत्र 2021 में बढ़कर 8.35 हेक्टेयर पहुँच चुका है जिसमें पिछले साल के मुकाबले दुगनी वृद्धि हुई है ।
भारत सरकार द्वारा माह दिसम्वर 2018 से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना प्रारंभ की गई जिसमें प्रतिवर्ष कृषकों को एक वर्ष में तीन समान किश्तों में कुल राशि 6 हजार का भुगतान किया जाता है। इस योजना अंतर्गत अब तक प्रदेश में 81 लाख 49 हजार किसानों को 1492 करोड़ रूपये की राशि का वितरण किया गया है। मुख्य्मंत्री किसान कल्याण योजना प्रदेश में 22 सितम्वर 2020 से शुरू हुई जिसके तहत वित्तीय वर्ष में 2 समान किश्तों में पात्र किसानों को 4 हजार रूपये का भुगतान किया जाता है। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 2020-21 में जहाँ 74 लाख 50 हजार किसानों के खातों में लगभग 1 हजार 492 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है वहीँ 2021-22 के लिए पहली किश्त के रूप में 75 लाख किसानों को 1 हजार 500 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं। वर्ष 2021-22 में प्रस्तु त बजट में मुख्यमंत्री किसान कल्यानण योजना अंतर्गत 3200.00 करोड़ रूपये राशि का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में शामिल कराकर वन अधिकार पट्टेधारियों को फसल बीमा योजना का लाभ दिलाया गया है। पूर्व में सरसों का उपार्जन 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के मान से तथा चना का उपार्जन 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर . के मान से किया जा रहा था, जिसे बढ़ाकर प्रदेश सरकार के द्वारा 'जितना उत्पादन-उतना उपार्जन' के मान से 20-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक चना तथा सरसों की उपार्जन मात्रा नियत किया गया। इससे चना एवं सरसों उत्पादक किसानों को अपनी उपज के बेहतर मूल्य प्राप्त हुए हैं। समर्थन मूल्य पर उपार्जन हेतु एक दिन में एक किसान से खरीदी की अधिकतम सीमा 25 क्विंटल को समाप्त कर असीमित पंजीयन अनुसार एक साथ असीमित खरीदा जाना निश्चित किया गया जिससे किसान के धन और समय की एक साथ बचत हुई है। बीज ग्राम कार्यक्रम किसानों को नई किस्मों के बीज दिलाने के लिए भारत सरकार के सहयोग से चलाया जा रहा है । 2021-22 में रबी की फसल हेतु मसूर, सरसों , अलसी बीज का मिनी किट बीज का वितरण प्रदेश में निशुल्क किया जा रहा है । मोटे अनाजों के मूल्य संवर्धन हेतु अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के लिए मिलेट मिशन योजना चलाई जा रही है जिससे किसानों की आय निश्चित रूप से बढ़ेगी ।कृषि अधोसंरचना निधि के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में प्रदेश को 7500 करोड़ रूपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। इसका उपयोग आधुनिक मंडियों की स्थापना, फूड पार्क, शीत गृहों की श्रृंखला स्थापित करने के साथ-साथ साइलोस एवं वेयर हाउस के निर्माण में किया जाएगा । रबी विपणन बर्ष 2021-22 हेतु चना, मसूर, सरसों का उपार्जन गेहूं के उपार्जन से पहले किए जाने का निर्णय भी प्रदेश सरकार के द्वारा किया गया ।
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