Wednesday, 20 March 2024

जन -जन के मन को भाये 'मोहन' , 100 दिनों की 'विराट' पारी


 

  

 

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अपने 100  दिन के छोटे से कार्यकाल में अपने काम से न केवल जनता का दिल जीता है बल्कि अपने सख्त निर्णयों के माध्यम से राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने भी अपनी अलहदा पहचान बनाने में सफलता पाई है। शपथ ग्रहण करने के बाद उन्होनें योग्य अफसरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां  देकर अपने बुलंद इरादों को सभी के सामने जता दिए।  इस छोटे से कार्यकाल में  उन्होनें अपनी खुद की नई टीम बनाई और सीएम आवास से लेकर मंत्रालय, संभाग और जिलों में बड़ी  प्रशासनिक सर्जरी करने से भी परहेज  नहीं किया।  बरसों तक मंत्रियों के स्टाफ  की नियुक्ति की फ़ाइल रोककर उन्होंने अपनी बनाई नई लकीर पर चलने का साहसिक निर्णय लिया। हर समय एक्शन में रहने वाले डा. मोहन यादव के तेवरों को देखकर आज प्रदेश में पूरी नौकरशाही सहमी हुई है। मंत्रालय का वल्लभ भवन एक समय कुछ चुनिंदा नौकरशाहों की राजनीति का नया पावर सेंटर और कोटरी  बन गया था। इसे देखते हुए वहाँ पर भी ताबड़तोड़  तबादलों से मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव  ने परहेज नहीं किया। हर किसी अधिकारी  के ट्रैक रिकार्ड को न केवल  खंगाला बल्कि कार्यक्षमताओं के अनुरूप सभी को नए कार्यों का प्रभार सौंपा। मुख्यमंत्री निवास से लेकर सचिवालय तक उनकी  देर रात तक होने वाली बड़ी  प्रशासनिक सर्जरी से प्रदेश में अभी भी हड़कंप मचा  है। लालफीताशाही पर लगाम  लगने से अब मध्यप्रदेश के विकास  को  डॉ. मोहन के दूरदर्शी नेतृत्व में नई  गति  मिल रही है। 

 सीएम डा. मोहन यादव बहुत तेजी से फैसले लेते हैं। इसकी बानगी शपथ के बाद तत्काल लिए गए निर्णयों को देखने से  मिलती है। जब से प्रदेश में मोहन सरकार बनी है तब से जहाँ एक ओर प्रदेश में जनता से जुड़े विकास कार्य तेजी से किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर भी तेज गति से काम चल रहा है जिसके कारण  बहुत कम समय में जनता का विश्वास मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव जीतते जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जनता की समस्याओं का निराकरण तत्परता के साथ कर रहे हैं। हर  स्तर पर  डा. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश में बदलाव की बयार दिखायी दे रही है। 100 दिन के भीतर मुख्यमंत्री डा. यादव यह संदेश देने  में कामयाब हुए हैं , सरकार का मतलब जनता की सरकार है और अधिकारियों को जनता का सम्मान  करना ही  होगा। प्रदेश  के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के  कुशल नेतृत्व वाली सरकार में  बेलगाम नौकरशाही पर भी नकेल कसी गई है जिस कारण  मध्यप्रदेश का डबल इंजन विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। नए मुखिया की संकल्प शक्ति और तीव्र गति से निर्णय लेने की क्षमताओं से  मध्यप्रदेश में हर जगह एक नई तरह की कार्य संस्कृति और बदलाव देखने को मिल रहे हैं। भ्रष्टाचार और अफसरशाही पर लगाम कसने से प्रदेश में अब  विकास की  संभावनाओं  को नए पंख लग रहे हैं।

  मुख्यमंत्री की शपथ लेने के तुरंत बाद डा. मोहन यादव का पहला फैसला मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थानों पर जोर से लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस और अंडे की बिक्री पर सख्ती से रोक का रहा। इस फैसले का सभी ने तहे दिल से स्वागत किया।  अपराधियों के घरों पर मोहन  सरकार  भी अपनी बुलडोजर नीति पर चल रही है जिससे अपराधियों के मन में खौफ बैठ गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने दर्दनाक बस दुर्घटना का जब अवलोकन करने  जब गुना पहुंचे तो इस हादसे से सबक लेते हुए सभी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दे दिया  कि उनके क्षेत्र में बगैर परमिट के चलने वालों वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और अवैध संचालन के लिए जिम्मेदार लोग यदि बाज न आए तो फिर दोषियों के विरुद्ध कठोर कदम भी उठाए जाएं। गुना बस हादसे के बाद  मुख्यंमंत्री ने जान गंवाने वाले लोगों के शोकाकुल परिवारों से मुलाकात की और  परिवहन विभाग की स्थिति की भी समीक्षा की। सीएम ने क्षेत्रीय परिवहन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की और  परिवहन विभाग में भी फेरबदल कर दिया। सीएम डा.मोहन यादव का एक और काम जिसकी सबने तारीफ की, वो 24 घंटे के भीतर एक आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर था। हिट-एंड-रन कानून के विरोध में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के चलते एक कलेक्टर ने ट्रक ड्राइवर की 'औकात' पर कमेंट कर दिया था। उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए कलेक्टर का ट्रांसफर कर दिया। अधिकारियों की ठसक से पंगु होते सिस्टम पर नकेल  कसने के लिए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव नौकरशाही में ऊपर से लेकर नीचे तक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करने से भी नहीं कतराए।

  डा. मोहन यादव के काम करने का अपना अलहदा अंदाज है। वह अपने कामकाज के प्रचार से इतर तत्काल एक्शन करने पर यकीन करते हैं। वह अपने फैसले से  प्रदेश में हर दिन नई लकीर खींच रहे हैं।  शिवराज सरकार में वर्षों तक फ्रंटफुट  पर खेलने वाले बरसों तक जमे  चुनिंदा अधिकारी आज लूपलाइन में चले गए हैं।  लम्बे समय से जमे हुए बड़े-बड़े नौकरशाहों की तबादलों से यह बात स्थापित हो गई है कि मुख्यमंत्री डा.मोहन  नई बसाहट के साथ  काम करना चाहते हैं जो त्वरित निर्णय ले सके।  नई विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था होने से अब प्रदेश के विकास कार्यों में न केवल तेजी आयी है बल्कि समय -समय पर  मॉनीटरिंग  किये जाने से जनता के हित में  तेजी से निर्णय लिये जा रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण विकास कार्य कराना मोहन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी है।

 मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने 100 दिनों के कार्यकाल में पहली बार हुकुमचंद मिल इंदौर के 4 हजार 800 श्रमिकों को उनका हक दिलाया है। तीस वर्ष से अटके इस मामले को डॉ. मोहन यादव ने एक ही बैठक में निपटा दिया।  मध्यप्रदेश  सरकार, राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार के बीच 28 जनवरी को श्रमशक्ति भवन स्थित जल शक्ति मंत्रालय के कार्यालय में संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए जिससे मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों की आम जनता को मिलेगा।  कई बरसों से लटके इस मामले को  मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने जयपुर में एक ही बैठक में निपटा दिया। मध्यप्रदेश में लंबे समय से  चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रदेश के मेडिकल कॉलेज आते थे। इसकी वजह से केंद्र की योजनाओं को लागू करने में दिक्कत आती थी। डॉ. मोहन यादव ने  दोनों विभागों को मर्ज कर दिया। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जनता के दुःख दर्द को समझने वाले  जननेता के रूप में भी उभरे हैं। जनता की समस्याओं का निराकरण करना उनकी पहली प्राथमिकता बनी है।  इन 100  दिनों में अलग-अलग संभागों में बैठक कर डॉ. मोहन यादव ने किसानों , युवाओं , महिलाओं और जनजातीय वर्ग के लिए कई  बड़े  ऐलान किये हैं।  रीवा से लेकर  उज्जैन, इंदौर से लेकर ग्वालियर सहित सभी प्रदेश के हर संभाग में उनकी सतत सक्रियता बनी है।  इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ  भी उनका बेहतर समन्वय  बना है और पहली बार प्रदेश में  सरकार और संगठन  एक दूसरे के करीब आये हैं।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने  श्रीराम पथ गमन न्यास की पहली बैठक में  अयोध्या की तर्ज पर  चित्रकूट में भी विकास कार्य करवाए जाने की बड़ी घोषणा की। जिन स्थानों से भगवान राम गुजरे  सरकार ने उन स्थानों को सड़क मार्ग से  जोड़ने का  ऐलान कर सनातन प्रेमियों का दिल जीतने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन को आगे बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव की सरकार ने  महाकाल की नगरी में ‘रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव’ के सफल आयोजन किया जिसके माध्यम से प्रदेश में निवेश की बड़ी संभावनाएं बन रही हैं। उज्जैन धार्मिक पर्यटन के साथ  इंदौर और देवास से मिलकर एक महानगर के रूप में विकसित करने के लिए  मुख्यमंत्री प्रयत्नशील हैं।  अगर उनकी कोशिशें रंग लाई उज्जैन की पहचान  महाकाल की नगरी  के साथ ही साइंस सिटी, इंडस्ट्रीयल और एजुकेशन हब के रूप में भी होगी।

 मोहन सरकार की अब तक की दिशा देखकर स्पष्ट नजर आता है कि वह  पार्टी के संकल्प पत्र में किये गए वायदों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन  और मोदी की हर गारंटी पूरा करने के लिए डॉ. मोहन यादव ने अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी है। मोहन सरकार में जनता से जुड़े निर्णय  जिस तरह से हल किये जा रहे हैं  उससे प्रदेश भर में एक सकारात्मक वातावरण निर्मित हुआ  है, उसने लोगों के दिल को जीतने का काम किया है।   मध्यप्रदेश के गरीब और मध्यमवर्ग के परिवारों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा परिवार में कोई सदस्य  अगर बीमार पड़ गया तो उसे एयर एम्बुलेंस जैसी सुविधा मिलेगी लेकिन डॉ. मोहन ने अपने कार्यकाल में प्रदेश की जनता को इसकी  बड़ी सौगात दी

 डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाये जाने के कारण यूपी, बिहार में क्षेत्रीय दलों के सामने अपने परंपरागत यादव वोट बैंक को बचाने की चुनौती बढ़ने जा रही है। यह बात सभी मान रहे हैं कि डॉ. मोहन यादव के सीएम बनने से यूपी, बिहार, हरियाणा के यादव मतदाताओं की नई गोलबंदी भाजपा के पक्ष में हो सकती है। उत्तर प्रदेश में यादव मतदाताओं की संख्या 10- 12 प्रतिशत,  बिहार में 14.26 प्रतिशत और हरियाणा में 10 प्रतिशत के आसपास है। अभी तक यूपी में अखिलेश यादव और बिहार में लालू यादव ही अपने आपको यादवों का एकछत्र नेता घोषित करते आ रहे थे किंतु अब भाजपा के पास भी मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव एक उभरते  नेता बन चुके हैं।

 डा.मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं जिसमें पहला यह है कि अब मध्य प्रदेश में बीजेपी को भविष्य के लिए एक नया चेहरा उभरता हुआ ओबीसी चेहरा मिल चुका है जिसके  आसपास  प्रदेश का कोई भी नेता नहीं है।  दूसरा अब भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों में एक यादव मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव  के सहारे अपनी राजनीति  की नई  बिसात बिछाने जा रही है जिसका प्रभाव 2024 में  उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और हरियाणा तक में महसूस किया जा रहा है जिसके चलते  देश के इन सबसे बड़े सूबों में यादव समाज के बड़े नेता परेशान हो चले हैं। शुरुआत में प्रदेश के अधिकांश नेताओं और वरिष्ठ मंत्रियों को ये लगा पार्टी आलाकमान ने उनकी दावेदारी को अनदेखा कर तीसरी कतार के एक कनिष्ठ नेता को साढ़े आठ करोड़ की आबादी के मध्यप्रदेश की कमान सौंप दी जिससे सभी को काम करने में बहुत परेशानी होगी लेकिन अपने 100 दिन के कार्यकाल में  मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने तमाम अटकलों को खारिज कर दिया है और अपने गुड गवर्नेंस के मॉडल को सभी के सामने पेश किया है जिसमें जनता  के हितों की अनदेखी होनी  फिलहाल तो मुश्किल दिखाई दे रही है। अधिकारियों को मौके पर लूप लाइन में डालने से लेकर जनता के प्रति जवाबदेह बनाने का नया 'मोहन मॉडल 'सबकी जुबान पर चढ़ रहा है। एमपी की जनता भी उनके  निर्णयों पर हामी भरती नजर आ रही है। पक्ष और विपक्ष भी उनकी नीतियों और काम करने के अलहदा अंदाज का का तोड़ नहीं निकाल पा रहा है। हालाँकि सरकार का 100 दिनों का कार्यकाल बहुत छोटा होता है लेकिन मोहन यादव ने अपने छोटे से कार्यकाल में इस बात को प्रदेश के भीतर स्थापित कर दिया है उन्हें कमतर आंकने की भूल कोई भी नहीं करे, वह मध्यप्रदेश की राजनीती नहीं बल्कि देश की सियासत में भी लम्बी रेस के घोड़े साबित होंगे।

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