Saturday, 12 July 2025

बिहार तक गूंजेगी मध्यप्रदेश के निषादराज सम्मेलन की गूँज

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में 12 जुलाई  को आयोजित हुआ निषादराज सम्मेलन न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसके गहरे सियासी मायने भी हैं।

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन  का उद्देश्य मछुआ समुदाय को सशक्त बनाना, उनकी परंपराओं का सम्मान करना और सामाजिक सदभाव को बढ़ावा देना है। निषादराज सम्मेलन रामायण के पात्र निषादराज गुह से प्रेरित रहा जिन्हें प्रभु श्री राम के प्रति उनकी भक्ति और समर्पण के लिए जाना जाता है।  निषादराज ने प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और सीता माता को गंगा पार करने में सहायता प्रदान की थी जिसे सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है। इस तरह के बड़े सम्मेलन का आयोजन देश के हृदयप्रदेश मध्यप्रदेश की  सांस्कृतिक नगरी उज्जैन में करके मोहन सरकार ने निषाद समुदाय को यह संदेश दे रही है कि वह  विरासत से विकास के अपने विजन पर मजबूती के साथ काम कर रही है। यह कदम सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस समुदाय के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।

मध्यप्रदेश में मछुआ समुदाय की आबादी विशेष रूप से उज्जैन, नरसिंहपुर और होशंगाबाद में उल्लेखनीय है। यह समुदाय परंपरागत रूप से मत्स्य पालन और नदी-आधारित आजीविका पर निर्भर है। हालांकि यह समुदाय ओबीसी समुदायों जितना प्रभावशाली नहीं है फिर भी यह कई विधानसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरणों को प्रभावित करता दिखाई देता है। निषादराज सम्मेलन के आसरे  भाजपा इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने और उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति को बेहतर करने की दिशा में अपने कदम मजबूती एक साथ प्रदेश की सियासत में बढ़ा रही है। 

मध्यप्रदेश आज मत्स्य उत्पादन और मछुआ समाज के सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना जैसे नवाचारों ने हजारों मछुआरों के जीवन में नई आशा की किरण जगाई है।  ड्रोन और जीपीएस प्रणाली जैसे नवाचार और योजनाएँ मध्यप्रदेश को मत्स्य पालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सधे हुए कदम हैं।  इससे  ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने  में भी मदद मिलेगी।  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 22 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि-पूजन और इंदिरा सागर बांध में लगभग 92 करोड़ लागत से 3360 केज परियोजना का वर्चुअल भूमि-पूजन किया और  कहा कि अब मछली पालन सिर्फ पारम्परिक कार्य नहीं, एक आधुनिक उद्योग है। इसमें निवेश बढ़ेगा, उत्पादन बढ़ेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा और सरकार  मस्त्य पालन के लिए मछुआरों को अनुदान देगी। इसमें निवेश बढ़ेगा, उत्पादन बढ़ेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा। 

सरकार के प्रयासों से  भोपाल में 40 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक एक्वा पार्क का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा इंदिरा सागर सहित अन्य जलाशयों में 3 लाख से अधिक केज स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भोपाल में 40 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक मछलीघर का निर्माण किया जा रहा है। आज प्रदेश में वर्तमान में 4.4 लाख हेक्टेयर में मछली पालन कार्य हो रहा है।वर्ष 2024-25 में प्रदेश का मछली उत्पादन 3.81 लाख मैट्रिक टन रहा। प्रदेश में लगभग 2 लाख से अधिक मत्स्य पालक पंजीकृत हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाया है, जिसका लाभ मछुआरों को भी मिल रहा है।

मध्यप्रदेश की सियासत में जातिगत समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति  वोटरों ने भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया था जिसके चलते कांग्रेस सत्ता में आई थी। हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुए दलबदल के बाद भाजपा ने फिर से सत्ता हासिल की। वहीँ 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद पार्टी 2028 के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों  के लिए अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है। डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व  में  निषाद समुदाय को साधने का प्रयास इसी रणनीति का हिस्सा है।  यह समुदाय एक दौर में परंपरागत रूप से कांग्रेस या अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ जुड़ा रहा है अब  बिहार ,बंगाल, यूपी जैसे राज्यों के चुनावों में भाजपा के लिए संजीवनी बन सकता है। 

डॉ. मोहन यादव ने निषादराज के आयोजन  से एक तीर से दो निशाने खेलने की कोशिश की है। पहला सम्मेलन केवल निषाद समुदाय तक सीमित नहीं है। इसका सन्देश अन्य समुदायों में भी जाएगा जिनकी संख्या प्रदेश में कम है। दूसरा यह सम्मेलन मोदी सरकार की सामाजिक समरसता और समावेशी विकास की दिशा में एक नई लकीर खींचेगा जिसकी गूंज आने वाले बिहार चुनावों में भी कैश कराने की कोशिश होगी। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से लगभग 45 सीटों पर निषाद और मांझी जातियों का प्रभाव माना जाता है जो राज्य में किंगमेकर मानी जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में दलित, पिछड़ा और आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में लाने की बात कही है। यह सम्मेलन उसी दिशा में एक कदम है जो सामाजिक  समरसता को बढ़ावा देने के साथ-साथ  'सबका साथ- सबका विकास और सबका विश्वास ' की  छवि को मजबूत करता है। इसके अलावा  बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में इस तरह के बड़े आयोजन का होना  विरासत से विकास के पीएम मोदी के विजन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

मध्यप्रदेश की सियासत में निषादराज सम्मेलन का आयोजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक है जो निषाद समुदाय के सशक्तिकरण के साथ-साथ बिहार में भाजपा के निषाद और मांझी वोटबैंक को मजबूत करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की महाकाल की नगरी उज्जैन में उपस्थिति और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं की घोषणा इस समुदाय को यह विश्वास दिलाने का प्रयास है कि भाजपा मछुआ समुदाय के हितों के प्रति संवेदनशील है। 2023 के चुनावों में कांग्रेस ने भी मछुआ समुदाय को लुभाने के लिए कई वादे किए थे लेकिन सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। अब निषादराज सम्मेलन के जरिए भाजपा द्वारा इस समुदाय को देने वाली सौगातें विपक्षी दलों की भविष्य में मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। 

बिहार में भी मछुआ समुदाय की आबादी भी  आगामी चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राज्य के 38 जिलों में मछुआ समुदाय विभिन्न क्षेत्रों में अपनी आजीविका के लिए मत्स्य पालन पर निर्भर है। मध्यप्रदेश में निषादराज सम्मेलन के सफल आयोजन की गूंज अब बिहार के गाँवों और पंचायतों तक पहुंचना तय है। मध्यप्रदेश में निषादराज सम्मेलन के माध्यम से लिए गए निर्णयों को भाजपा आगामी बिहार चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी करेगी जिसके केंद्र में उसके स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रहेंगे। मध्यप्रदेश सरकार के इस आयोजन ने यह दिखाया  है कि परंपराओं का सम्मान और  विकास एक साथ चल सकते हैं। बिहार अब इस एमपी मॉडल को अपनाकर भविष्य में अपने मछुआ समुदाय को सशक्त बना सकता है। इस सम्मेलन ने निषाद समाज की परंपराओं को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने का बेहतरीन प्रयास किया है। 



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