मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास समत्व में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण और इसके मोबाइल ऐप का लोकार्पण किया। यह घड़ी भारतीय काल गणना की प्राचीन और विश्वसनीय पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर देश और दुनिया को एक अनूठा उपहार प्रदान करती है।यह आयोजन न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी दुनिया की पहली ऐसी घड़ी है जो भारतीय काल गणना प्रणाली पर आधारित है। यह घड़ी पारंपरिक 24 घंटे के समय को 30 मुहूर्तों में विभाजित करती है जो प्राचीन भारतीय पंचांग के सिद्धांतों पर आधारित है। यह न केवल समय, बल्कि तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत, और त्योहारों की जानकारी भी प्रदान करती है। इसके मोबाइल ऐप में 3179 विक्रम संवत पूर्व (श्रीकृष्ण के जन्म) से लेकर 7000 वर्षों से अधिक के पंचांग की दुर्लभ जानकारियां समाहित हैं। यह ऐप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है जिसमें दैनिक सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना और इसी आधार पर हर दिन के 30 मुहूर्तों का सटीक विवरण शामिल है जिससे यह भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर ले जाने में सक्षम है।इस घड़ी की एक विशेषता यह है कि प्रचलित समय में वैदिक समय (30 घंटे), वर्तमान मुहूर्त स्थान यह भारतीय मानक समय (IST) और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) के साथ-साथ मौसम की जानकारी, जैसे तापमान, हवा की गति, आर्द्रता भी प्रदर्शित करती है। इसके अतिरिक्त यह धार्मिक कार्यों और साधना के लिए मुहूर्तों की जानकारी और अलार्म की सुविधा प्रदान करती है।
यह घड़ी भारतीय काल गणना के केंद्र उज्जैन नगरी से जुड़ी हुई है जो प्राचीन काल में समय गणना का केंद्र रहा और कर्क रेखा पर स्थित होने के कारण आज भी समस्त खगोलीय गणनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के मोबाइल ऐप में 3179 विक्रम पूर्व (श्रीकृष्ण के जन्म), महाभारतकाल से लेकर 7000 से अधिक वर्षों के पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत एवं त्यौहारों की दुर्लभ जानकारियां समाहित की गई हैं।
वैदिक घडी का लोकार्पण समारोह का आयोजन आज भोपाल में अत्यंत उत्साह के साथ किया गया। इस अवसर पर सुबह शौर्य स्मारक पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के युवा और विद्यार्थी एकत्रित हुए। वहां से "भारत का समय – पृथ्वी का समय" थीम पर आधारित एक बाइक और बस रैली शुरू हुई, जो श्यामला हिल्स थाने तक गई। इसके बाद रैली पैदल मार्च में बदलकर मुख्यमंत्री निवास समत्व के मुख्य द्वार तक पहुंची। इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम में भाग लिया जिसमें "विक्रमादित्य वैदिक घड़ी: भारत के समय की पुनर्स्थापना" विषय पर गहनचर्चा हुई।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का प्रथम लोकार्पण 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। उज्जैन में यह उपयुक्त स्थान पर स्थापित हो चुकी है । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना की नींव 2022 में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए रखी थी और इसके लिए विधायक निधि से 1.68 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस घड़ी का निर्माण आईआईटी दिल्ली के छात्रों और ऐप डेवलपर आरोह श्रीवास्तव ने किया है। यह घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी हुई है और इसमें टेलीस्कोप भी स्थापित किया गया है जो खगोलीय घटनाओं को देखने में सहायक है।
भारतवर्ष वह पावन भूमि है जिसने संपूर्ण ब्रह्माण्ड को अपने ज्ञान से आलोकित किया है। यहाँ की ज्ञान परंपरा , संस्कृति का प्रत्येक पहलू प्रकृति और विज्ञान का ऐसा विलक्षण उदाहरण है जो विश्व कल्याण और सभी प्राणियों में सद्भाव का पोषक है। इन्हीं धरोहरों के आधार पर निर्मित 'विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' भारतीय परम्परा का गौरवपूर्ण प्रतीक है। इस घड़ी के माध्यम से भारत के गौरवपूर्ण समय को पुनर्स्थापित करने का प्रयास मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया है निश्चित ही उनका यह प्रयास विरासत और विकास, प्रकृति और तकनीक का संतुलन होगा। यह स्वदेशी जागरण की महत्वपूर्ण कोशिश है जो भारत को विश्व मंच पर मजबूती प्रदान करेगी।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का जीवंत प्रतीक है। यह न केवल भारत की प्राचीन समय गणना पद्धति को नया जीवन प्रदान करती है, बल्कि इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर वैश्विक स्तर पर एक नया आयाम प्रदान करती है। यह घड़ी भारत के सभी प्रमुख मंदिरों से भी जुड़ी हुई है जिससे यह धार्मिक और सांस्कृतिक अभ्युदय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि यह पहल प्रदेश और देश के के लिए गर्व का विषय है। यह घड़ी भारतीय संस्कृति को विश्व मंच पर मजबूती प्रदान करेगी और स्वदेशी जागरण की एक महत्वपूर्ण कोशिश है। यह भारत की विरासत और विकास के बीच संतुलन का प्रतीक है। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण मध्यप्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह घड़ी भारतीय काल गणना की प्राचीन पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर विश्व को भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर से परिचित कराती है।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी न केवल समय की गणना का साधन है बल्कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने का एक प्रयास है। मध्यप्रदेश के विजनरी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह पहल आने वाले दिनों में निश्चित ही भारत को विश्व मंच पर एक नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।