Saturday, 27 September 2025

नवरात्र : शक्ति की आराधना का महापर्व


नवरात्र भारतीय संस्कृति में एक पवित्र पर्व है जो दैवीय शक्ति की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह नौ रातों और दस दिनों का उत्सव माँ दुर्गा की पूजा और उनके नौ रूपों के सम्मान में मनाया जाता है। नवरात्र का अर्थ है नौ रातें और यह पर्व वर्ष में दो बार चैत्र मार्च-अप्रैल और शारदीय सितंबर-अक्टूबर में उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है जो बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। 

 
एक ही परम तत्व परमपुरुष पराशक्ति के रूप में सर्वत्र व्यापक है।  शास्त्रकारों ने एक ही  शक्ति को कभी पुरुष के रूप में तो कभी देवी के रूप में स्वीकारा है। सब के घट में एक समान विराजमान वह  दिव्य शक्ति प्रकाश के रूप में हमेशा मौजूद रहती है जिसे जीवन शक्ति कहा जाता है और उसका दर्शन होना ही शक्ति की आराधना है। दुष्टों का  संहार करके भक्तों की रक्षा करने हेतु कभी काली तो कभी दुर्गा  के रूप में उस शक्ति का अवतरण इस धरा पर हुआ है। दुर्गा जी की पूजा  अर्चना का विधान वेद, पुराण, उपनिषदों हिन्दुओं के अन्य धर्मशास्त्रों में भी मिलता है। वेद में 'एकोएहं बहुस्याम' और 'अजाय मानों बहुधा  ब्यजायत ' के रूप में और देवी पुराण में 'सा वाणी साच सावित्री विप्राधिष्ठात' वहां सर्व दुर्गा के रूप में संस्थापित है। मार्कण्डेय पुराण में स्वयं मान जएकैवाहं जगत्यत्र द्वितीया का ममापरा। पश्यैता दुष्ट मय्येव विशन्त्यो मद्विभूतयः अर्थात मैं ही दुर्गा हूँ , सर्वशक्ति स्वरूपा हूँ और मुझमें ही पूरी सृष्टि विलीन है। आशय यह है कि यह विशाल सृष्टि उत्पन्न होती है, बढ़ती है और विभिन्न रूपों में परिवर्तित होकर  अंत में विनिष्ट हो जाती है। 
 
देवी पुराण में एक बड़े रोचक कथा प्रसंग की चर्चा की गयी है। अक्सर भ्रम में पड़  जाने वाले देवर्षि नारद को एक बार भ्रम हो गया।  ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों सर्वश्रेष्ठ हैं तो भला ये तीनों किस महाशक्ति का स्मरण करते हैं ? नारद जी अपने सन्देश निवारण हेतु शिव के पास गए और बोले मुझे ब्रह्मा, विष्णु और महेश से बढ़कर कोई अन्य देवता नहीं दिखाई देता है फिर आप तीनों से ऊंचा कौन है जिसकी उपासना और स्मरण आप करते हैं ? शिव मुस्कुराये और बोले  हे ऋषिवर सूक्ष्म और शूल शरीर से परे जो महाप्राण आदिशक्ति जगदम्बा  है वही तो परब्रह्म स्वरुप है। वह केवल अपनी इच्छा मात्र से ही  सृष्टि की रचना, पालन और संहार करने में समर्थ है। वस्तुतः वह आदिशक्ति दुर्गा निर्गुण स्वरूप है परन्तु उसे किसी भी रूप मे मन समय -समय पर धर्म की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए साकार होना पड़ता है। इसी  समय-समय पर पार्वती,दुर्गा,काली, चंडी, सरस्वती आदि अवतार धारण किये हैं।  इसी जगत जननी का सभी देव भी स्मरण करते हैं। वैसे भी आदिशक्ति स्वरुप दुर्गा में सभी  देवताओं का कुछ न कुछ अंश शामिल है।

दुर्गाशप्तशती के दूसरे अध्याय में देवी स्वरुप का वर्णन करते हुए बतलाया गया है भगवान शंकर के तेज से उस देवी का मुख प्रकट  हुआ। यमराज के तेज से मस्तक के केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चन्द्रमा के तेज से स्तन, इंद्रा के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से  नितम्ब, ब्रह्म के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पैरों की अंगुलियां, वसुओं के तेज से दोनों हाथों की अंगुलियां, प्रजापति के तेज से सम्पूर्ण दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौहें, वायु के तेज से कान, अन्य देवताओं के तेज से देवी के भीं- भीं अंग बने।  इसी प्रकार सभी अमोघ शक्तियों से दुर्गा के रूप में एक आदिशक्ति का सृजन किया  गया इसलिए यह स्वरुप सभी देवताओं के लिए स्मरणीय हो गया।  आज दो नवरात्रि के रूप में माँ जगदम्बा की पूजा शारदीय और वासंतीक दोनों नवरात्र दोनों में जारी है। शारदीय नवरात्र आश्विन मास में और वासंतिक नवरात्र अभी चैत्र माह में होते हैं। चैत्र वर्ष प्रतिपदा से हिन्दुओं का नया संवत्सर शुरू होता है।  दोनों नवरात्र का समान  महत्व  है। नौ दिन और नौ रातों तक  माँ दुर्गा के नौ अलग -अलग रूपों की पूजा की जाती है।  यह आज तक रहस्य बना हुआ है।  दुर्गा की पूजा सबसे  पहले राम ने की या किसी अन्य ने लेकिन इतना तय है लंका पर चढ़ाई और रावण वध से पहले राम ने आदिशक्ति स्वरूप मानकर दुर्गा जी  की पूजा की। यह स्थान भी रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है। नवरात्र महोत्सव आसुरी शक्ति पर दैवीय शक्ति की विजय का प्रतीक है। नवरात्र में प्रथमा से लेकर नवमी तक शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा -अर्चना होती है। ये नौ शक्तियां बहनों का स्वरुप हैं और इन नौ शक्तियों के विभिन्न नाम रूप के कारण शारदीय  नवरात्र  उत्सव का उल्लास  देखते ही बनता  है।

 9 दिनों  में लोगों की भक्ति भावना, आस्था और शक्ति देखते ही बनती है। माता की  नौ शक्तियों के नाम हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री। प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है।जैसे प्रथम दिन  शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन  कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता,छठे दिन  कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नवें दिन सिद्धिदात्री। ये नौ रूप नारी शक्ति के विभिन्न पहलुओं को भी  दर्शाते हैं। नवरात्र में अंतिम दिन पर कन्या पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन नौ कुमारी कन्याओं को देवी स्वरुप मानकर लोग उनका विशेष पूजन  भोजन, उपहार देकर करते हैं। कन्या पूजन में दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को पूजा जाता है। दस वर्ष से अधिक वर्ष की कन्याओं  का पूजन वर्जित है।  दो वर्ष की कन्या कन्याकुमारी , तीन वर्ष की त्रिमूर्तिनी, चार वर्ष की कल्याणी , पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की ;काली, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शम्भवी,  नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की सुभद्रा स्वरूपा मानी गयी है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक राक्षस महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर बुराई पर विजय प्राप्त की। यह विजय पर्व दशहरा के रूप में मनाया जाता  है। 

नवरात्र का उत्सव भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। गुजरात में गरबा और डांडिया नृत्य इस पर्व का मुख्य आकर्षण हैं जो सामूहिक उत्सव और एकता का प्रतीक हैं। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के रूप में यह पर्व भव्य पंडालों और मूर्ति पूजा के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में रामलीला और दशहरा इस उत्सव का हिस्सा है जो भगवान राम की रावण पर विजय को दर्शाते हैं। नवरात्र की पूरे देश में विशेष धूम रहती है। नवरात्र केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है।  यह सामाजिक एकता को भी  बढ़ावा देता है। लोग एक साथ इकट्ठा होकर नृत्य, गीत और भक्ति में लीन हो जाते हैं। यह पर्व नारी शक्ति के सम्मान का भी प्रतीक है जो समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। नवरात्र का पर्व हमें आंतरिक शुद्धता और आत्म-नियंत्रण का महत्व भी सिखाता है। यह समय आत्म-चिंतन, उपवास और भक्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। उपवास के माध्यम से लोग अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं जबकि माँ दुर्गा की पूजा से वे दैवी शक्ति और सकारात्मकता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, सत्य और धर्म की शक्ति से हर बुराई पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
 
  नवरात्र में की गई पूजा मानव मन की मलिनता को दूर करके भगवती दुर्गा के चरणों में लीन  होकर जीवन में सुख, शांति और ऐश्वर्य की समृद्धि लाती है। कन्या पूजन से अनेक व्याधियों से मुक्ति होने की वैज्ञानिक पुष्टि भी होती है। उस शक्ति स्वरूपा का दर्शन  नवरात्र में करना  हर किसी के  जीवन का लक्ष्य  होना चाहिए । नवरात्र अर्थात शक्ति की आराधना का महापर्व है जिससे धर्म, अर्थ , काम, मोक्ष का पुरुषार्थ भी सफल होता है।  नवरात्र न केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो हमें शक्ति, साहस और भक्ति की प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें यह विश्वास दिलाता है कि दैवीय शक्ति हमेशा हमारे साथ है जो हमें जीवन की हर चुनौती का सामना करने की ताकत देती है। नवरात्र हमें जीवन में सकारात्मकता की ओर ले जाती  है। 

Wednesday, 17 September 2025

मोहन के नेतृत्व में अब 'कॉटन कैपिटल' बनने की राह पर मध्यप्रदेश


मध्यप्रदेश अपनी समृद्ध कृषि विरासत के लिए जाना जाता है। यहां की उपजाऊ भूमि और विविध जलवायु ने इसे कपास उत्पादन का प्रमुख केंद्र बना दिया है लेकिन अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में राज्य न केवल देश का प्रमुख कपास उत्पादक बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर 'कॉटन कैपिटल' के रूप में उभरेगा। यह यात्रा केवल कृषि तक सीमित नहीं है, बल्कि टेक्सटाइल उद्योग, सस्टेनेबल प्रोडक्शन और अंतरराष्ट्रीय निवेश को जोड़कर एक नई आर्थिक क्रांति की पटकथा को तैयार कर रहा है। देश का हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में अब निवेश और रोजगार की दृष्टि से तेजी से उड़ान भर रहा है। धार जिले के बदनावर में  धार जिले के भैंसोला गांव में  प्रदेश का नया  टेक्सटाइल हब स्थापित होने जा रहा है। यह परियोजना न केवल मध्यप्रदेश की आर्थिक तस्वीर को बदलेगी बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी।


मध्यप्रदेश पहले से ही भारत का एक प्रमुख कपास उत्पादक राज्य है। राज्य के मालवा-निमाड़ क्षेत्र विशेष रूप से खरगोन, बुरहानपुर, धार और झाबुआ जिलों में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहां की काली मिट्टी कपास के लिए आदर्श है जो फसल को प्राकृतिक पोषण प्रदान करती है। मध्यप्रदेश के लगभग 18 जिलों  में कपास की खेती होती  है। करीब 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर साल लगभग 24 लाख टन कपास पैदा होता है।  देश का लगभग 40 प्रतिशत कपास  मध्यप्रदेश से आता है शायद यही वजह है कि वस्त्र उद्योग के लिए मध्यप्रदेश सबसे मुफीद साबित हुआ है और धार के पीएम मित्रा पार्क की दिशा में एमपी के कदम तेजी से बढे हैं। पीएम मित्रा पार्क इस क्षेत्र के किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य और स्थायी बाजार उपलब्ध कराएगा। परियोजना के तहत स्थापित होने वाली वस्त्र इकाइयां कटाई, बुनाई, रंगाई, छपाई और परिधान निर्माण जैसी सभी गतिविधियों को एकीकृत करेंगी। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर औद्योगिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

राज्य में ऑर्गेनिक कॉटन का उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के जिलों में सबसे ज्यादा कपास उत्पादन होता है। इनमें प्रमुख रूप से इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, खण्डवा और बुरहानपुर शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में कपास उत्पादन की स्थिति अच्छी रही है। वर्ष 2022-23 में 8.78 लाख मीट्रिक टन, 2023-24 में 6.30 लाख मीट्रिक टन और 2024-25 में 5.60 लाख मीट्रिक टन कपास उत्पादन हुआ। मध्यप्रदेश से वर्ष 2024-25 में 9,200 करोड़ रुपये से अधिक का टेक्सटाइल निर्यात हुआ है।  इसके अतिरिक्त प्रदेश के अन्य जिलों में भी कपास की अच्छी फसल ली जाती है। देश में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादन में मध्यप्रदेश अग्रणी है। यही वजह है कि वस्त्र उद्योग के लिए मध्यप्रदेश सबसे उपयुक्त राज्य साबित हुआ है। इसी पृष्ठभूमि के आधार पर धार को पीएम मित्रा पार्क की स्थापना के लिए चुना गया है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि वैश्विक ब्रांड्स के लिए एमपी को ग्लोबल हब  बनाएगा। सीएम बनते ही डॉ. मोहन यादव ने  निवेश को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं जिससे निवेशकों का भरोसा मध्यप्रदेश की तरफ बढ़ रहा है।  

भारत सरकार ने देश के 7 राज्यों में पीएम मित्रा पार्क यानी  पीएम मेगा इंडीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपरैल की स्थापना को अंतिम रूप दिया है जिसमें  तमिलनाडु के विरुद्धनगर, तेलंगाना के वारंगल, गुजरात के नवसारी, कर्नाटक के कलबुर्गी, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मध्यप्रदेश के धार और महाराष्ट्र के अमरावती में पीएम मित्रा पार्क स्थापित होने जा रहे हैं जिसका उद्देश्य 70 हजार करोड़ रुपए का निवेश लाना और करीब 20 लाख रोजगार देना है। पीएम मित्रा पार्क प्रधानमंत्री के 5 एफ विजन फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैक्ट्री, फैक्ट्री टू फैशन, और फैशन टू फॉरेन पर आधारित है। करीब 2,158 एकड़ में विकसित हो रहा यह पार्क विश्व स्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित है। यहां 20 एमएलडी  का कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, 10 एमवीए  का सौर ऊर्जा संयंत्र, पानी और बिजली की पुख्ता आपूर्ति, आधुनिक सड़कें और 81 प्लग-एंड-प्ले यूनिट्स जैसी व्यवस्थाएँ विकसित की जा रही हैं। श्रमिकों और महिला कर्मचारियों के लिए आवास और सामाजिक सुविधाएं इसे केवल औद्योगिक क्षेत्र नहीं, बल्कि आदर्श औद्योगिक नगर का रूप देती हैं। धार में स्थापित हो रहे देश के पहले पीएम मित्रा पार्क के शिलान्यास के पहले ही देश की अग्रणी 114 टेक्सटाइल कम्पनियों से 23 हजार करोड़ रूपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके है। इन प्रस्तावों में से 91 कम्पनियों और इकाइकों के आवेदन स्वीकृत किये जाकर 1294 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित किये जाने की अनुशंसा की जा चुकी है। देश की जिन अग्रणी टेक्सटाइल कंपनियों को पीएम मित्रा पार्क में भूमि आवंटित की गई है उनके द्वारा बड़े स्तर पर निवेश के प्रस्ताव दिए गये हैं।  कॉटन  इंडस्ट्री से जुड़े  कई दिग्गज उद्योग समूह यहां आकर निवेश की रुचि दिखा चुके हैं। इससे न केवल प्रदेश को औद्योगिक लाभ मिलेगा बल्कि निर्यात को भी नई दिशा मिलेगी। धार से तैयार वस्त्र और परिधान अब सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचेंगे और मध्यप्रदेश वैश्विक टेक्सटाइल हब के रूप में अपनी अलग पहचान बनाएगा। धार जिले का भैसोला क्षेत्र जो कपास उत्पादन के लिए जाना जाता है अब  इस परियोजना के माध्यम से आर्थिक समृद्धि का नया अध्याय लिखेगा। इन प्राप्त निवेशों से यार्न, फैब्रिक और गारमेंट उत्पादन की संपूर्ण वैल्यू चेन यहीं विकसित होगी जिससे प्रदेश का टेक्सटाइल उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगा। पीएम मित्रा पार्क में भूमि आवंटन की प्रक्रिया भी तेजी से आगे बढ़ रही है और शेष भूमि भी चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराई जा रही है। 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव  ने राज्य को 'कॉटन कैपिटल' बनाने का स्पष्ट विजन प्रस्तुत किया है। उनका नेतृत्व किसान-केंद्रित नीतियों और निवेश-अनुकूल माहौल पर आधारित है। इस वर्ष स्पेन की यात्रा के दौरान  उन्होंने इंडीटेक्स के अधिकारियों से मुलाकात की और मध्यप्रदेश को ऑर्गेनिक कॉटन का वैश्विक हब बताया। इस मुलाकात में धार जिले में पीएम मित्रा पार्क का भी  जिक्र किया।  इसी तरह में जापान यात्रा के दौरान उन्होनें यूनिक्लो  के संस्थापक तादाशी यानाई से कपास खेती और उद्योग विस्तार पर चर्चा की। उन्होंने यूनिक्लो को मध्यप्रदेश में उत्पादन और वितरण इकाइयां स्थापित करने का न्योता दिया। यह प्रयास राज्य के टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देंगे बल्कि यूरोप जैसे देशों में एमपी को बड़ा बाजार उपलब्ध कराएँगे। मोहन सरकार की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' नीतियां निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं। हाल ही में कोलकाता में हुए  निवेशक सम्मेलन में भी टेक्सटाइल सेक्टर को प्रमुखता दी गई, जहां 14600 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले।  इसके अलावा राज्य सरकार कॉटन-टू-कार्बन फाइबर जैसे इनोवेटिव क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा दे रही है जो टेक्सटाइल को हाई-टेक बनाएगा। मोहन सरकार ने पर्यावरण-अनुकूल खनन और ग्रीन एनर्जी जैसी नीतियों के साथ टेक्सटाइल सेक्टर को जोड़ा है। धार में पीएम मित्रा पार्क एनवायरनमेंटल, सोशल, गवर्नेंस के  मानकों पर आधारित होगा जो  आने वाले  दिनों में किसानों को ट्रेनिंग और मार्केट लिंकेज प्रदान कर राज्य आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगा। एमपी में  पहले से ही ट्राइडेंट ग्रुप, वर्धमान, ग्रासिम, नाहर, रेमंड, प्रतिभा सिन्टेक्स, गोकलदास एक्सपोर्ट, महिमा ग्रुप और सागर ग्रुप जैसे बड़े औद्योगिक समूह है। इन कंपनियों की उपस्थिति से यार्न, फैब्रिक, गारमेंट और मशीनरी निर्माण की संपूर्ण वैल्यू चेन पहले से मौजूद है जिसे पीएम मित्र पार्क और मजबूत करेगा। पीएम मित्रा पार्क से विशेष रूप से आदिवासी अंचल के लिए लाभकारी होगा साथ ही धार और आसपास के जिलों में रहने वाले लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।  यह परियोजना स्थानीय युवाओं को कौशल विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करेगी जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या में कमी आएगी। इस पार्क में कपास से धागा, धागे से कपड़े और तैयार कपड़े की बिक्री और निर्यात तक का काम एक ही स्थान से किया जा सकेगा यानी यहां कटाई, बुनाई, प्रोसेसिंग, रंगाई, छपाई और परिधानों के निर्माण जैसे सभी काम होंगे।  इस सौगात को मध्यप्रदेश के कपड़ा उद्योग के नए युग की शुरूआत माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने जन्मदिन के अवसर पर मध्यप्रदेश पधार रहे हैं।  प्रदेश में स्थापित होने जा रहे पीएम मित्रा पार्क से टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में निवेश केवल व्यावसायिक विस्तार नहीं, बल्कि सतत विकास और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भागीदारी है। यह पखवाड़ा प्रधानमंत्री के स्वस्थ समाज, सशक्त राष्ट्र के संकल्प को साकार करने का महत्वपूर्ण कदम होगा। प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया और विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में प्रदेश न केवल  हर संभव योगदान देगा बल्कि  विकसित भारत 2047 के मिशन में भी हमारे प्रदेश की  महत्वपूर्ण भूमिका होगी। डॉ.मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश न केवल कपास का उत्पादक बनेगा बल्कि वैश्विक टेक्सटाइल चेन का अभिन्न अंग भी आने वाले दिनों में बनेगा। किसानों की समृद्धि, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास देश के ह्रदय प्रदेश मध्यप्रदेश को  कॉटन कैपिटल बनने की दिशा में भी अग्रसर करेगी। यह केवल एक आर्थिक बदलाव नहीं, बल्कि मोहन के बनते संवरते  मध्यप्रदेश की नई पहचान है।

Monday, 1 September 2025

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी: भारतीय ज्ञान परंपरा, विरासत और विज्ञान का संगम


मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास समत्व में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण और इसके मोबाइल ऐप का लोकार्पण किया। यह घड़ी भारतीय काल गणना की प्राचीन और विश्वसनीय पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर देश और दुनिया को एक अनूठा उपहार प्रदान करती है।यह आयोजन न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा।


विक्रमादित्य वैदिक घड़ी दुनिया की पहली ऐसी घड़ी है जो भारतीय काल गणना प्रणाली पर आधारित है। यह घड़ी पारंपरिक 24 घंटे के समय को 30 मुहूर्तों में विभाजित करती है जो प्राचीन भारतीय पंचांग के सिद्धांतों पर आधारित है। यह न केवल समय, बल्कि तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत, और त्योहारों की जानकारी भी प्रदान करती है। इसके मोबाइल ऐप में 3179 विक्रम संवत पूर्व (श्रीकृष्ण के जन्म) से लेकर 7000 वर्षों से अधिक के पंचांग की दुर्लभ जानकारियां समाहित हैं। यह ऐप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है जिसमें दैनिक सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना और इसी आधार पर हर दिन के 30 मुहूर्तों का सटीक विवरण शामिल है जिससे यह भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर ले जाने में सक्षम है।इस घड़ी की एक विशेषता यह है कि प्रचलित समय में वैदिक समय (30 घंटे), वर्तमान मुहूर्त स्थान यह भारतीय मानक समय (IST) और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) के साथ-साथ मौसम की जानकारी, जैसे तापमान, हवा की गति, आर्द्रता भी प्रदर्शित करती है। इसके अतिरिक्त यह धार्मिक कार्यों और साधना के लिए मुहूर्तों की जानकारी और अलार्म की सुविधा प्रदान करती है।

यह घड़ी भारतीय काल गणना के केंद्र उज्जैन नगरी से जुड़ी हुई है जो प्राचीन काल में समय गणना का केंद्र रहा और कर्क रेखा पर स्थित होने के कारण आज भी समस्त खगोलीय गणनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के मोबाइल ऐप में 3179 विक्रम पूर्व (श्रीकृष्ण के जन्म), महाभारतकाल से लेकर 7000 से अधिक वर्षों के पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत एवं त्यौहारों की दुर्लभ जानकारियां समाहित की गई हैं।

वैदिक घडी का लोकार्पण समारोह का आयोजन आज भोपाल में अत्यंत उत्साह के साथ किया गया। इस अवसर पर सुबह शौर्य स्मारक पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के युवा और विद्यार्थी एकत्रित हुए। वहां से "भारत का समय – पृथ्वी का समय" थीम पर आधारित एक बाइक और बस रैली शुरू हुई, जो श्यामला हिल्स थाने तक गई। इसके बाद रैली पैदल मार्च में बदलकर मुख्यमंत्री निवास समत्व के मुख्य द्वार तक पहुंची। इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम में भाग लिया जिसमें "विक्रमादित्य वैदिक घड़ी: भारत के समय की पुनर्स्थापना" विषय पर गहनचर्चा हुई।

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का प्रथम लोकार्पण 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। उज्जैन में यह उपयुक्त स्थान पर स्थापित हो चुकी है । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना की नींव 2022 में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए रखी थी और इसके लिए विधायक निधि से 1.68 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस घड़ी का निर्माण आईआईटी दिल्ली के छात्रों और ऐप डेवलपर आरोह श्रीवास्तव ने किया है। यह घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी हुई है और इसमें टेलीस्कोप भी स्थापित किया गया है जो खगोलीय घटनाओं को देखने में सहायक है।

भारतवर्ष वह पावन भूमि है जिसने संपूर्ण ब्रह्माण्ड को अपने ज्ञान से आलोकित किया है। यहाँ की ज्ञान परंपरा , संस्कृति का प्रत्येक पहलू प्रकृति और विज्ञान का ऐसा विलक्षण उदाहरण है जो विश्व कल्याण और सभी प्राणियों में सद्भाव का पोषक है। इन्हीं धरोहरों के आधार पर निर्मित 'विक्रमादित्य वैदिक घड़ी' भारतीय परम्परा का गौरवपूर्ण प्रतीक है। इस घड़ी के माध्यम से भारत के गौरवपूर्ण समय को पुनर्स्थापित करने का प्रयास मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया है निश्चित ही उनका यह प्रयास विरासत और विकास, प्रकृति और तकनीक का संतुलन होगा। यह स्वदेशी जागरण की महत्वपूर्ण कोशिश है जो भारत को विश्व मंच पर मजबूती प्रदान करेगी।

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का जीवंत प्रतीक है। यह न केवल भारत की प्राचीन समय गणना पद्धति को नया जीवन प्रदान करती है, बल्कि इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर वैश्विक स्तर पर एक नया आयाम प्रदान करती है। यह घड़ी भारत के सभी प्रमुख मंदिरों से भी जुड़ी हुई है जिससे यह धार्मिक और सांस्कृतिक अभ्युदय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि यह पहल प्रदेश और देश के के लिए गर्व का विषय है। यह घड़ी भारतीय संस्कृति को विश्व मंच पर मजबूती प्रदान करेगी और स्वदेशी जागरण की एक महत्वपूर्ण कोशिश है। यह भारत की विरासत और विकास के बीच संतुलन का प्रतीक है। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण मध्यप्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह घड़ी भारतीय काल गणना की प्राचीन पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर विश्व को भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर से परिचित कराती है।

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी न केवल समय की गणना का साधन है बल्कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने का एक प्रयास है। मध्यप्रदेश के विजनरी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह पहल आने वाले दिनों में निश्चित ही भारत को विश्व मंच पर एक नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।