Monday 2 February 2009
साइकिल की सवारी ...अब कल्याण की बारी ......
"दिल्ली का रास्ता उप से गुजरता है " भारतीय राजनीती के सम्बन्ध में यह कथन सही मालूम पड़ता है ८० सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश में इस बार सभी की नज़र लगी है यह कोई नई बात नही है हर बार यहाँ पर घमासान होना कोई नई बात नही...इस बार मुकाबला दिलचस्प होने के आसार लग रहे है... अपनी "बहनजी" ने पिछले चुनाव में " सर्वजन समाज " के फोर्मुले पर चलकर वहां पर सरकार जो बनाई है कम समय में माया को मिली यह सफलता को विपक्षी दल नही पचा पा रहे है वह माया के हाथी की फुर्ती को देख घबराए हुए है घबराना लाजमी है.... उप एक ऐसा स्थान है ,जहाँ की सीट दिल्ली का ताज तय करती है ...समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस सभी माया के बदते कदमो को देखकर सकते में है... उप में जहाँ हाथी का बढता कद "साइकिल " का "टायर " पंचर कर रहा है , वही लोक सभा चुनावो से ठीक पहले "कांग्रेस " की माली हालत भी खस्ता हो चली है भारतीय जनता पार्टी की हालत भी डगमग डगमग है... कह सकते है बीजेपी उप में मरणासन्न हो चली है पार्टी अभी "डाई लिसिस" में है॥ हाल के कुछ वर्षो में डॉक्टर के कई दल हालत देखने उप गए लेकिन कोई सफलता नही मिलपायी है ... इतना है बस जीवन रक्षक उपकरणों के सहारे दिन कट रहे है ... हालत में अपेक्षित सुधार न हो पाने के कारणअब सब कुछ "राम" के आसरे ही टिका है वह ही अब पार्टी के प्राण उप में बचा सकते है ....
देश में बीजेपी के ग्रह इन दिनों ख़राब चल रहे है... पी ऍम वेटिंग के नाम के लिए पार्टी में खलबली मची हुई है... आडवानी जी ओबामा की तर्ज पर कैम्पेनिंग कर ही रहे थे कि बीच में अपने " भैरव बाबा" [बाबोसा] आ धमके ... राजस्थान में ताल ठोक दी चुनाव लड़ने की ... आडवानी को खुली चुनोती ... कह दिया लोक सभा चुनाव लडूंगा... साथ में वसुपर करप्शन का पुलिंदा बनाकर अशोक को थमा दिया ... बाबोसा वैसे ही नाराज चल रहे है वसु से और माथुर से ... विधान सभा चुनाव में दोनों ने उनकी एक नही सुनी ... नतीजा सामने सबके॥ राजस्थान बीजेपी के हाथ से छिटका... रास्ट्रीय स्तर पर भी बाबोसा कीउपेक्षा ... राजस्थान में अपने दामाद की भी कोई पूछ नही... अब क्या करे ... सभी को चित करना है... सो बाबोसा ने अडवाणी से वसु को हटाने माग कर दी लेकिन आडवानी ने बाबोसा कि मांग को दरकिनार कर दिया... सो बाबोसा मन ही मन खिन्न हो गए... प्रधान मंत्री बन्ने का खवाब देखने लगे ... बीजेपी कि मुस्किले बढ गई ... राजनाथ भड़क गए...बोले गंगा नहा चुके लोगो को कुए में नहाने कीजरूरत नही है लेकिन बाबोसा बोले वह राजनाथ जब पैदा भी नही हुए तब से वह संघ में है... खैर इस पर हम बाद में विस्तार से बात फिर करेंगे... अभी इस विषय पर राजस्थान के अपने परम मित्र से फ़ोन में बात हुई है... इस पर ब्लॉग में विस्तार से लिख रहा हूँ इस महीने .....
इधर बाबोसा का विवाद शांत ही हुआ था कि फिर टाटा , अम्बानी , मित्तल ने "मोदी" को पी ऍम के रूप में पेश कर आडवानी और भाजपा की मुस्किलो को बड़ा दिया ... सर मुडाते ओले पड़े...जबाब में बीजेपी के नेताओ ने किसी तरह मीडिया से पल्ला झाडा ... रूडी ने फ़रमाया यह भाजपा के लिए अच्छी बात है ... मोदी का मॉडल सभी को पसंद आ रहा है तो इसमे क्या बुरा है...? उन्होंने भाजपा शषित राज्यों का हवाला दे डाला और मोदी के नाम में कई कसीदे पड़ डाले...यह तूफान किसी तरह से थमा कि अब नया तूफान उप में आ गया...
उप में कल्याण ने भाजपा को "गुड बाय " कह दिया... २००१ में भी भाजपा छोडे थे .... अलग रास्ट्रीय क्रांति पार्टी बना डाली थी... विधान सभा चुनाव भी लड़ा ....हाल बेहाल हुआ... ४ सीट जीत पाये...लेकिन बाद में फिर अपना हश्र देख लिया.... भाजपा में आ गए...लेकिन इस बार फिर भाजपा से बाय बाय कह दिया ...राजनीती में क्या हो जाए इसका इंटर प्रेटेशन आप नही कर सकते ... कल तक जो कल्याण सिंह अपने को भाजपा का असली हीरो समझते थे आज वही भाजपा कि खुल्लम खुल्ला आलोचना कर रहे है ....वही अपने मुलायम सिंह को देखिये कल तक कल्याण को बाबरी मस्जिद ढहाने का जिम्मेदार बताते थे आज वही उनको क्लीन चिट दे रहे है... मुलायम के "हनुमान " अमर सिंह को ही देखिये आज उनकी भाषा भी बदल गई है ... कल्याण उनके लिए दोस्त हो चुके है... वह पिछडी जातियों के सच्चे हितेसी हो गए है...हनुमान जी आपको भी मान गए ... कल्याण सिंह सही फरमाते है आप राजनीती के असली चाणक्य है ... वाह मान गए उस्ताद .. लखनऊ से " मुन्ना " का टिकेट पक्का किया तो "योगी बाबा" के खिलाफ "भोजपुरी तिवारी "को खड़ा कर दिया...आपका बस चले तो आप असंभव को भी सम्भव बना दे ... अगर कोर्ट के आदेश के चलते संजू बाबा लखनऊ से नही लड़ते तो "मान्यता" कि जे जे बोलेंगे.... उनको पटक देंगे लखनऊ से... सपा के हनुमान की ऐसी मिसाल कही देखने को नही मिलती... सपा में समाज वाद आज दम तोड़ता नजर आ रहा है ... अमर सिंह ने उसका जनाजा निकाल दिया है ... पूंजीपतियों का वर्चस्व बन रहा है... चमक दमक कीसंस्कृति आ गई है वहा ...अब ख़बर ऐसे आ रही है की "मदेपुरा " से पप्पू यादव को चुनोती देने के लिए"ऐश्वर्या " को उतारा जा सकता है ...इधर यह ख़बर आते ही अपने शरद यादव भड़क गए और मीडिया को लताडा....ऐसे अटपटे सवाल मुझसे नही पूछे ....
खैर हम, बार उप की कर रहे है तो उस पर आते है ... बात कल्याण सिंह पर हो रहे थी ...कल्याण के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह हो रही थी पार्टी में उनकी नही सुनी जा रही थी ... वह अजित सिंह से तालमेल के बिल्कुल खिलाफ थे... लेकिन अपने जेटली तालमेल के पूरे मूड में...... कई महीनो से लगे थे परन्तु कल्याण के चलते तालमेल नही बन रहा था ... अब कल्याण के जाने के बाद पूरे आसार नजर आ रहे है भाजपा के साथ समझोता होकर रहेगा आर एल डी का...कल्याण की दूसरी दिक्कत "अशोक प्रधान" बने थे ... गले की हड्डी बन गए थे अशोक उनकी... भाजपा ने अशोक को बुलंदशहर से टिकेट दे दिया लेकिन कल्याण को यह रास नही आया...अशोक प्रधान वैसे तो १९९६ से नॉएडा खुर्जा सीट से मेंबर ऑफ़ पार्लियामेन्ट है ... अपने कल्याण अभी बुलंदशहर से ...अब कल्याण का इलाका रिज़र्व हो गया है जिस कारण उनकी मुस्किले बढ गई है...परिसीमन का रोड़ा आ गया है पूरे लोक सभा चुनावो में .... खुर्जा, नॉएडा अब अलग अलग लोक सभा हो गए इस कारन कल्याण का तो "कल्याण" ही हो गया ...यहाँ दोनों जगह कल्याण का जनाधार नही है ... वाह लोध बिरादरी से आते है जिसकी तादात उप में ५% के आसपास है.... इस कारन बुलंदशहर में कल्याण की तूती बोलती थी....वह भी अब रिज़र्व ... अब पार्टी ने उनको "एटा " पटक दिया वहां कल्याण की हालत खस्ता ....इसलिए बीजेपी से खफा खफा .... यह तो वही बात ... "आँख है भरी भरी और तुम मुस्कुराने की बात करते हो"
अशोक प्रधान से पुराना हिसाब भी कल्याण को चुकता करना था... पिछले चुनाव को कौन भूल सकता है जब उनके बेटे "राजवीर" को हराने की कमान अपने हाथ में ली थी प्रधान ने॥ यह अलग बात है बेटा जीत गया .... लेकिन अशोक से हिसाब किताब करना ..... आडवानी से चिल्लाये अशोक को टिकेट देकर बहुत बड़ी गलती कर रही है भाजपा....लेकिन बीजेपी उनके आगे नही झुकी ॥अपने बेटे की राजनीती के खातिर बीजेपी को टाटा बोल दिया॥ कल्याण यह कह रहे है की बीजेपी में उन जैसे समर्पित सिपाहियों की कोई कद्र नही है... पार्टी अपने मूल मिशन से भटक चुकी है... लेकिन बीजेपी का कहना है उनको पार्टी ने पूरा सम्मान दिया ...सीएम भी बनाया ... साथ में उप के पिछले चुनाव में सीएम के रूप में भी प्रोजेक्ट किया था....लेकिन उनका करिश्मा नही चल सका उप में ... पार्टी ५१ सीटो में सिमटकर रह गई थी....
अब कल्याण के अगले कदम की सभी को प्रतीक्षा.... कल ही मुलायम का बयान आया.... बोले कल्याण के साथ मैंने कोई समझोता नही किया है... उनकी माने तो समझोते में कुछ शर्त होती है .... यह तो दोस्ती है... मुलायम की माने तो आज राम मन्दिर और बाबरी मस्जिद कोई मुद्दा नही रहा ... भूख , बेगारी से जूझ रहे इस देश में मुद्दे की कोई कमी नहीआज विकास सबसे बड़ा मुद्दा .... मुलायम भी इसकी जय जयकार करने को आमादा हो रहे ....है... मुलायम जी मान भी ली आपकी बात सही है लेकिन उन मुसलमानों का क्या होगा जिनको भुनाकर आप किसी समय उप की सियासत में अपना अलग रुतबा कायम करते रहे है....आज कल्याण के आने से वह अगर आपसे दूर चले गया तो साइकिल की सवारी करना उप में आपके लिए आसान नही होगी.....वैसे भी कल्याण के आने के बाद आपकी पार्टी में इसको लेकर विरोध ...आपके लंगोटिया यार आजम खान चिल्ला चुके...बोले कल्याण के साथ आने पर सपा को नुक्सान उठाना पड़ेगा ही... उनकी माने तो कल्याण मुसलमानों के कट्टर विरोधी.... तभी तो राम मन्दिर आन्दोलन में जमकर नारे बाजी करी आपने..."राम लला हम आयेंगे मन्दिर यहीं बनायेंगे " नारा अभी ठंडा नही पड़ा है... बचपन में उप में इसकी गूंज सुनी थी यह आज भी मुझको कंठस्त याद है... मुझको ही क्यों मुसलमानों को भी .... ९० का दशक याद करे.... उस दौर में कल्याण बीजेपी के पोस्टर बॉय ... चिल्ला चिल्ला कर राम नाम की माला जपा करते थे...बाबरी मस्जिद के आन्दोलन वाले दौर में २४ घंटे के लिए जेल भी गए.... जेल से छूटने पर फिर वही पुराना राग... मन्दिर ... राम ..राम॥ यही नही बीजेपी के द्वारा जब वह सीएम पहली बार बनाये गए ....तब भी वही...... राम नाम के साथ...यही नही २००१ में रास्ट्रीय क्रांति पार्टी बनते समय भी राम का दामन छोड़ने का नाम नही... कहते रहे .... राम मन्दिर बनकर रहेगा... हिन्दुत्व मेरी जान...अब फिर बीजेपी छोड़ दी ... मुलायम के साथ ...है... मुसलमान तो उनकी कथनी को सही से जानते है ...... कल्याण सिंह के बयानबदल सकते है लेकिन मुसलमान के दिलो में बाबरी की याद आज भी जेहन में है...तो मुसलमान तो नाराज होंगे ही... लेकिन मुलायम को इसकी कोई परवाह नही... बोलते है बाबरी मस्जिद गिराने में कल्याण की कोई भूमिका नही ... कल्याण का नाम लेने से तौबा तौबा...अब इसका दोष दिया संघ और शिव सेनिको को....मुलायम की माने तो कल्याण राजधरम का पालन उस दौर में नही कर सके ....लेकिन इसमे उनकी कोई गलती नही... इस्तीफा भी जल्दी दे दिया था...जिस कल्याण ने अपने को बाबरी मस्जिद ढहाने का सच्चा सिपे सालार साबित किया था उस पर मुसलमान भरोसा नही कर सकते ... तभी कांग्रेस की भ्रिकुतिया तन गई... १० जनपद से आया बयान ... कहा सोनिया उस सभा को संबोधित नही करेंगी जिसमे कल्याण मुलायम के साथ होंगे.... अपने दिग्गी राजा भी मुलायम से खफा... यार खफा होने की तो बात ही है ... कल तक सांप्रदायिक ...आज सेकुलर हो गए...यह तो वही बात हुई "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना"...
खैर क्या करें अब ? कल्याण तो गए ...मुलायम से दोस्ती हुई है... मुलायम ने ख़ुद फ़रमाया है॥ दोनों अच्छे दोस्त है॥ अभी कल्याण वेट एंड वोच नीति पर ... बेटे को तो सपा में शामिल करवा दिया ... उसका टिकेट भी पक्का... लेकिन सवाल अपना॥ अभी साइकिल पर सवारी करने में जल्दी नही ... तभी तो बोले .... निर्दलीय ही कूद जाऊंगा मैदान में... लेकिन अभी कहानी में नया मोड़ .... कुसुम राय बीजेपी के कोटे से राज्य सभा में .....वह इस बार कल्याण के साथ नही... पिछली बार जब कल्याण ने बीजेपी छोड़ दी ... तो कुसुम भी उनके साथ चली गई .....पार्टी को छोड़कर ... क्युकी बीजेपी कुसुम राय को ज्यादा चारा नही डालती थी ... आडवानी ने इसको बेहतर ढंग से इस बार समझ लिया ... कल्याण की दुखती रग पर पहले ही हाथ रख दिया ... कुसुम को राज्य सभा भेज दिया ... ताकि कल्याण की नाराजगी कम हो सके...सभी को कल्याण कुसुम की जानकारी सही से..लोग बताते है कुसुम लखनऊ की जब पार्षद हुआ करती थी तो दोनों एक दूजे केकरीब आ गए ... शास्त्री भवन इसका गवाह ... कल्याण तभी से कुसुम की राय को कभी अनसुना नही किया करते थे.... जब कल्याण ने बीजेपी से किनारा किया तो कुसुम भी उनके साथ चली गई... कुसुम कल्याण नाम राशि एक समान ...तभी तो दोनों की सही बनती थी॥ रास्ट्रीय क्रांति पार्टी बनने ने बाद मुलायम से मिलकर कुसुम को ऍम अल सी बनने के लिए एडी चोटी का जोर लगाया... इसमे कल्याण सफल भी हो गए .... लेकिन इस बार कुसुम राज्य सभा में ... अब कल्याण के साथ जाने का कोई सवाल नही ॥ गई तो राज्य सभा से छुट्टी तय है .... "जहाँ बाबु जी जायेंगे वहां मैं जाउंगी " के नारे का तो कुसुम ने इस बार जनाजा निकाल दिया .... कल्याण के जाने के बाद कुसुम के रंग बदल गए तभी बोली कल्याण ने बीजेपी छोड़कर सही काम नही किया...
खैर , कल्याण की बीजेपी से विदाई हो गई... अब बीजेपी के लिए उप में मुस्किल हालत... आडवानी के प्रधान मंत्री बन्ने का सपना उप तय करेगा... अब कल्याण का विकल्प खोजने की
बड़ी चुनोती ...जहाँ तक राजनीती की हमारी समझ है उसके मुताबिक बीजेपी के लिए आगे की राह नही आसान ...रमापति, कलराज , लाल जी टंडन जैसे बूडे नेताओ के बूते नगर निगम का २० २० जीतना अलग बात है और इस बार का लोक सभा का वर्ल्ड कप जीतना अलग ... ऐसे बूडे नेताओ की ख़राब फिटनेस के सहारे उप फतह करने में हमे संशय लगता है...
अकेले जेटली क्या कर लेंगे?
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5 comments:
jay ho rajniti aur rajnitigyon ki.
Hi Harsh.
You write well.
One thing you should control is the number of mistakes oyu make.
Sorry buddy you can grab as much readers as oyu want but control.
you are writing very well on politics.
sorry I wasn't here.
see you now.
god bless you.
gajendra singh bhati
राजनीति की बारीकी को बेहतर तरीके से लिखा है । खासकर कल्याण के बारे में आपने सही चित्रण किया है । कल्याण की साइकिल को आपने सही सड़क पर दिखाने का काम किया है । शु्क्रिया
respected sir, aaj ki rajneeti avasar vaadi ho gayi hai . kalayan ke saath mulayam ka jana bhee isee kadi ka ek hissa hai. musalmano me aaj bhee kalyan ke prati nafarat hai. wah isko nahi pacha paa rahe hai .
aapki yah post achchi lagi . behaad khoob. aage aapki posto ka intazaar rahega. aap se gujaris hai ab blog par political khabaro par jyada samagari dene ki kirpa kijiyega .
thanka
राजनीति की बारीकी का सही चित्रण किया है .
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