Friday 1 May 2009

टंडन की नाक का सवाल बनी लखनऊ संसदीय सीट ........
















मेरे ताऊ जी लखनऊ के इंदिरा नगर इलाके में रहते
है..... कभी कभार उनसे फ़ोन पर बात चीत होती रहती है ... इस बार भारत में लोक तंत्र का सबसे बड़ा महापर्व आयोजित हो रहा है अतः मैं भी उनसे चुनावो के चलते बात करने को विवश हो गया .... वैसे भी राजनीती को बचपन से काफ़ी करीब से देखने का मौका मुझको मिलता रहा है और कई बार चुनावो पर अपन ने रिपोर्टिंग भी की है... अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में अपना लखनऊ जाना होता रहा है... बचपन में मै़ने क्या देखा यह तो मुझको सही से याद नही है लेकिन वाजपेयी जी के संसद पहुचने वाला समय मुझको सही से याद है...
भले ही मैं उस समय में छोटा था लेकिन मुझको यह बात सही से याद है यह वह ९० का दौर था जब वाजपेयी की पूरेदेश में खासी धूम थी.... उनको सुनने के लिए लोगो की भारी भीड़ उमड़ आती थी... यही नही टीवी पर उनके बोलनेका अंदाज हर किसी को भाता था.... वाजपेयी जब चुनावी रेलियो को संबोधित करते थे तो लखनऊ में उनकीसभाओं में भारी जन सेलाब उमड़ आता था.....
कल जब लखनऊ में वोटिंग का दिन था तो मैं भोपाल में था ..... भोपाल में रहकर लखनऊ की बचपन वाली यादमुझको आने लगी ... इस के चलते अपने ताऊ जी से फ़ोन पर ही लखनऊ का हाल चाल जानने लगा... वह बता रहेथे लखनऊ में भगवान् भास्कर अपना प्रचंड रूप दिखा रहे है ..... मैंने ताऊ जी से कहा यह कोई नई बात नही है ... सभी जगह की सूरतेहाल एक जैसी है... इधर भोपाल में भी पारा चदा है तो उधर दिल्ली में भी गर्मी से लोगो केपसीने छूट रहे है.... इसी के चलते लखनऊ में कम मतदान होने की आशंका वह सुबह से ही वयक्त कर रहे थे...... और हुआ भी ऐसा ही... ताउजी के साथ हुई मेरी बात सोलह आने सच साबित हुई.... लखनऊ में वोट का परसेंट इसबार गिर गया .... जिसके चलते सभी लोगो का गणित गडबडा गया है... कोई यह कह पाने की स्थिति में ही नही हैकी वह लखनऊ से भारी बहुमत से जीत रहा है.... इस बार जिस बात ने मेरा दिल कचोटा वह यह है की लखनऊ सेवाजपेयी जी ने चुनाव नही लड़ा....
१९९१ से २००४ तक लगातार बार संसद पहुचाने में लखनऊ वालो का बड़ा योगदान वाजपेयी के साथ रहा... लेकिन इस बार स्वास्थ्य कारणों से वाजपेयी जी ने अपने को राजनीती से दूर कर लिया था.... उनके फेंस में इसबार गहरी निराशा है... वैसे लखनऊ की सीट पर आखरी समय तक सस्पेंस बना रहा ... इधर समाज वादी पार्टी नेसंजू बाबा को अपना प्रत्याशी पहले ही घोषित कर दिया था ... वही बीएसपी ने एक वर्ष से अखिलेश दास को अपनाउम्मीद वार घोषित कर दिया था... परन्तु बीजेपी और कांग्रेस सरीखी पार्टिया लखनऊ को लेकर असमंजस केभवर में फसी थी ... संजू बाबा ने तो चुनाव प्रचार में ही इस बात को कह दिया था अगर वाजपेयी यहाँ से चुनाव फिरलड़ते है तो वह लखनऊ से हट जायेंगे ..... क्युकी वाजपेयी उनके लिए पिता समान है.... लेकिन बाद में कोर्ट केफच्चर के चलते संजय को मैदान से हटना पड़ा.... साथ में अमर सिंह सरीखे हनुमानों की नई गांधीगिरी की भी हवानिकल गई.... पहले कांग्रेस में इस बात की चर्चा जोर शोर से थी वह यहाँ पर सपा के उम्मीद वार को अपना समर्थनदेगी ... लेकिन बाद में सपा की कांग्रेस के साथ दोस्ती परवान नही चढ़ पायी जिसके चलते सपा ने पूरे प्रदेश मेंअपने उम्मीद वार को घोषित कर दिया.... संजू के मैदान से हटने के बाद बीजेपी से लाल जी टंडन का नाम सामनेआया फिर सपा ने नफीसा अली को मैदान में उतार दिया .... आखरी समय में कांग्रेस ने यहाँ से रीता बहुगुणा कोमैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया ....

लखनऊ में मतदान कल पूरा हो गया... मतदाताओ ने अपने मत का इजहार कर दिया.... अब उम्मीद वारो केभाग्य का फेसला आगामी १६ मई को होगा..... उसी दिन यह पता चल पायेगा की क्या लाल जी टंडन अटल कीपुरानी संसदीय सीट पर बीजेपी का जलवा बरकरार रख पाने में सफल हो पाते है या नही...? क्या बीएसपी की ओरसे अखिलेश दास हाथी की सवारी लखनऊ में करते नजर आयेगे.... यह सवाल आज अभी पहेली बना हुआ है.... अपने एक लखनवी दोस्त की माने तो इस बार का मुकाबला रोमांचक मोड़ पर चला है? कोई यह कह पाने कीस्थिति में नही है कौन सा प्रत्याशी लखनऊ का चुनाव जीतता है?
अटल बिहारी वाजपेयी पिछले चुनावो से यहाँ का प्रतिनिधित्व करते रहे है.... यह वह दौर रहा जब वाजपेयीजन जन के बीच अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब हुए.... जनता उनकी व्यक्तिगत छवी को देखते हुए वोटदिया करती थी..... मुझको याद है बचपन में उनकी चुनावी सभाओ में लोगो की भारी भीड़ लखनऊ में जमा होजाती थी.... उनकी विरोधी भी वाजपेयी की जमकर प्रशंसा करते थे लेकिन चुनावो में कोई भी उनके आगे नहीटिक पाता था.... यह वाजपेयी के उदार व्यक्तित्व का ही कमाल था की उन्होंने कर्ण सिंह, राज बब्बर , मुजफरअली जैसी हस्तियों को चुनावो में पटखनी दी... बताया जाता है वाजपेयी के नाम पर लखनऊ की जनता उनकोवोट देती रही है.... इस बार राजनीती से उनके सन्यास लेने के चलते उनके प्रशंसको में गहरी नाराजगी है.... अबदेखना होगा इस बार क्या बीजेपी के लाल अटल जी की सीट बचा पाने में सफल हो पाते है या नही?
लखनऊ की मेरी पुरानी यादे
है... लखनऊ रहने वाले हर व्यक्ति के जेहन में अटल के नाम पर उनका एक शेर सभीलोगो के दिलो दिमाग में गूजता रहता है वाजपेयी जी अपनी चुनावी सभाओ में कहा करते थे" हम पे फिदालखनऊ ओर हम फीदा लखनऊ " इस बार लोगो को बहुत मायूशी हुई है.... वाजपेयी आज स्वास्थ्य कारणोंसे राजनीती से दूर हो चले है... ऐसे में लोगो का मिजाज १५ वी लोक सभा में किस ओर जाएगा यह कह पानाअसंभव लगता है? वैसे यहाँ वाजपेयी के एक अपील टंडन को विजयी बनाने के लिए की लेकिन इसका इस बार मतदाताओ में उतना असर नही है....
हालाँकि इस बार थोड़ा बहुत बाहरी भीतरी उम्मीद वार होने का मसला भी जोर शोर से उठ रहा है ... अगर इसनेथोड़ा बहुत असर दिखाया तो लाल जी की नैया पार हो जायेगी.... लेकिन जिस तरीके से कल लखनऊ के सर्वेसामने आए है तो वह बदलाव की बयार को साफ़ बता रहे है .... इसका कारण वाजपेयी का मैदान में नही होना हैअगर वह मैदान में होते तो लखनऊ में कमल इस बार भी खिल जाता .... इस बार उनके मैदान में होने सेसभी का गणित गडबडा गया है...
बीएसपी के अखिलेश दास यहाँ पर सभी पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे है ऐसा मेरा मानना है लखनऊ में अपनेसभी परिचित भी इस बार बदलाव की ओर इशारा कर रहे है .... जहाँ तक अखिलेश दास की बात है तो वह पहलेवह पर मेयर भी रह चुके है... इस लिहाज से उनका वह अच्छा खासा जना धार बन गया था... यही नही उन्होंने साल पहले से ही चुनाव लड़ने की अपनी तैयारी पूरी कर ली थी...वह दीपावली , होली ईद जैसे पर्वो पर लोगो केबीच जाकर अपना संपर्क बढाते रहे है जो उनका बड़ा प्लस पॉइंट है.... कार्यकर्ताओ को साथ लेकर चलते हैजिनका उनको लाभ होता दिखाई दे रहा है॥ दास ने पहले से ही अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी॥ लखनऊ मेंउनके बड़े बड़े होअर्डिंग पहले से ही गली कूचो में दिखाई देने लगे थे... इस कारन वह दौड़ में आगे निकल गए ... अब कोई भी आज उनके आगे नही फटकता है रही बात लाल जी की तो वह लखनऊ के लिए रीता बहुगुणा, नफीसा जैसे नए नही है ... मूल रूप से वही से उनका जुडाव है ... अटल का वरद हस्त उन पर शुरू से रहा है .... अटल के सांसद प्रतिनिधि रहने के कारन उनको लखनऊ की अच्छी समझ है... लेकिन यह कह पाना मुश्किल हैक्या वोटर कल उनके साथ रहा होगा? अखिलेश दास के बारे में कहा जा रहा था उन्होंने लखनऊ में इस बार चुनावमें पानी की तरह पैसा बहाया है ... अब देखना होगा क्या लोग हाथी को लखनऊ में चडाते है या नही? वैसे बसपा केसाथ अगर इस बार दलित और ब्राह्मण साथ साथ गया तो बीजेपी की परेशानिया तेज हो जाएँगी... कांग्रेस कीरीता बहुगुणा की राह आसान नही लगती... नंदन बहुगुणा की बेटी होना उनका एक मजबूत पॉइंट है ... लेकिन यहाँ पर कांग्रेस कभी भी सही से नही उभर पायी॥ कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक उसके पाले से बीएसपीमें गया है... मुस्लिम इस बार नफीसा के साथ चले जाने से कांग्रेस की हालत पस्त हो गई है ..ऐसे में यहाँ परलड़ाई बीजेपी और बीएसपी के बीच है... नफीसा के बदले अगर यहाँ से संजू बाबा चुनाव लड़ते तो शायद नवाबो केशहर में हवा का रुख साइकिल की ओर हो सकता था... संजय के आने से लाल जी टंडन और अखिलेश का खेलबिगड़ सकता था लेकिन क्या करे सपा के हनुमान अमर सिंह के उम्मीद वार जब संजू बाबा चुनाव लड़ने के योग्यही नही रह गए... नफीसा लखनऊ में है ... पहले भी वह लोक सभा का चुनाव हार चुकी है.... ऐसे में उनके लिएलखनऊ जीतने की राह आसान नही है ... बाहरी होने का शोर कल लखनऊ में सुना जा रहा था...इस बार सपा कोबेक वर्ड क्लास के बड़े वोट से महरूम होना पड़ सकता है .... लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात वाजपेयी कीखडाऊ लिए लाल जी टंडन के सामने है... उनके लिए यह लखनऊ की सीट इस बार नाक का सवाल बन गईहै....देखते है १६ मई को क्या वह वाजपेयी के साथ बीजेपी की इस सीट पर नाक बचा पाने में कामयाब हो पाते है यानही...? ...

आपको लोक सभा चुनावो पर लिखी जा रही "लोक सभा का महासमर" यात्रा कैसी लग रही है? इस पर अपनी बेबाक राय अपने कमेन्ट के माध्यम से मुझको जरूर पहुचाये ...आपके कमेन्ट की मुझको प्रतीक्षा रहेगी.........
लोक सभा का महासमर जारी है... आने वाले दिनों में आपको चुनावो पर और अधिक विश्लेषण देखने को मिलेगा... बस आप ब्लॉग पर नजर टिकाते रहिये और अपनी राय कमेन्ट के द्वारा देते रहिये.....




10 comments:

hem pandey said...

लगता है पोस्ट अधूरी रह गयी है |

kumar Dheeraj said...

अटल बिहारी बाजपेयी के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है जब लखनउ की सीट पर मुकाबला चल रहा है । इससे पहले कभी देखने को नही मिला । इस बार सभी दलो के लिए यह सी‍ट मायने जरूर रखती है । धन्यवाद

Harshvardhan said...

hem pandey ji ab post poori ho gayi hai.....

hem pandey said...

वाजपेयी के करिश्मे के अभाव में इस बार यह सीट भाजपा से खिसक कर जा सकती है , ऐसा आपका आकलन है |
कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए भीतरघात से इंदौर सीट में भी भाजपा को नुक्सान पहुँच सकता है , ऐसा अन्य कुछ लोगों का अनुमान है | कुल मिला कर चुनाव नतीजों के बारे में असमंजस बना हुआ है और कोई भी यह कह सकने की स्थिति में नहीं है कि बढ़त किस दल को मिलेगी |

Unknown said...

harsh, aapki likhni ki ada mujhko khasi bhatii hai.... aapki har political story padne me us sthan ki poori jaankari mil jaati hai... aapko padte padte ab mujhko bhii politics ki samajh viksit hone lagi hai....
lucknow me nischit hi atal ji ke nahi hone se is baar mukable me akhilesh das aage rahe hai... post achchi lagi .. aane wali posto ka intjaar rahega......shukria...

Urmi said...

बहुत बहुत शुक्रिया आपको मेरी शायरी पसंद आई और कोई सुझाव हो तो ज़रूर बताइयेगा!
मुझे कभी पॉलिटिक्स में कोई दिलचस्पी नहीं थी पर आपने इतने सुंदर रूप से लिखा है की अब काफी कुछ जानकारी हो गई है! बहुत बहुत शुक्रिया हर्ष जी आपके लेखनी के दौरान बहुत कुछ जानने को मिल रहा है! ऐसे ही लिखते रहिये और हम ज्ञान प्राप्त करते रहेंगे!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

अटल बिहारी बाजपेयी के बाद पहली बार नतीजों के बारे में असमंजस बना हुआ है और कोई भी यह कह सकने की स्थिति में नहीं है कि बढ़त किस दल को मिलेगी |

हर सप्ताह रविवार को तीनों ब्लागों पर नई रचनाएं डाल रहा हूँ। हरेक पर आप के टिप्प्णी का इन्तज़ार है.....
for ghazal ----- www.pbchaturvedi.blogspot.com
for geet ---www.prasannavadanchaturvedi.blogspot.com
for Romantic ghazal -- www.ghazalgeet.blogspot.com
मुझे यकीन है आप के आने का...और यदि एक बार आप का आगमन हुआ फ़िर..आप तीनों ब्लागों पर बार -बार आयेंगे/आयेंगी..........मुझे यकीन है....

Alpana Verma said...

माननीय बाजपाई जी आज भी हर दिल अजीज़ हैं इस में कोई दो राय नहीं.ईश्वर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दे.
बेशक उनके उम्मीदवार न होने से लखनऊ की उनकी सीट पर मुकाबला दिलचस्प रहेगा.

rajesh singh kshatri said...

bahut sahi kaha aapne.

Unknown said...

sirji jaankari bahut achchi lagi..political ganit sahi lagaya hai aapne mujhko bhii lagta hai basapa is baar lucknow ko apni jholi me daal legi..atal ji ke nahi ladne se is baar yaha ki rangat feenki padi hai.. aapki har story lajavaab hai... aage bhee jaldi nayi poste dalte rahiye./.....
god bless u