Wednesday, 6 May 2009

ना सूत ना कपास .... जुलाहों में लट्ठम लट्टा.... (भाग ३)....लोक सभा का महासमर....






आडवानी की राह की एक अन्य दिक्कत उनका उग्र हिन्दुत्ववादी चेहरा है.... वाजपेयी जब तक नेता थे तब तक यह पता नही चलता था घर के अन्दर खिचडी बन रही है या चावल रोटी॥ आज आलम यह है पार्टी में सभी नेता अपने को तीस मार खान समझने लगे है..... नेता किसी भी विषय पर अपने ब्यान पार्टी लाइन से हटकर देने से भी पीछे नही रहते.... वाजपेयी की छवि के उनके विरोधी भी कायल थे॥ लेकिन आडवानी का चेहरा आज भी पहले जैसा ही बना है... वह अपनी उग्र हिंदुत्व की छवी से बाहर निकलने में सफल नही हो पा रहे है..काठ की हांडी दुबारा नही चद्ती परन्तु भाजपा की सबसे बड़ी दिक्कत यह है की चुनावो के समय उसको राम की याद आ जाती है ... इस बार भी आडवानी जी को याद आ गई है और पार्टी राम की शरण में चले गई है बड़ा सवाल यह है क्या इस बार देश का मतदाता राम के मसले पर आडवाणी के साथ चला जाएगा॥ इस पर हमको शक लगता है...


चुनाव प्रचार के दौरान आडवाणी के द्वारा बार बार मनमोहन पर हमले तेज किए गए ... आम तौर पर शालीन माने जाने वाले मनमोहन इस बार शेर की तरह से गरज उठे .... भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहला मौका है जब प्रधान मंत्री और विपक्षी नेता के बीच संबंधो में तल्खी इस कदर बाद गई की अब वह दोनों किसी मंच पर मुलाकात होने पर वह एक दूसरे से नजर मिलाना पसंद नही करते॥ दरअसल आडवानी मनमोहन को इस बात के लिए बार बार कोसते रहे है वह एक कमजोर प्रधानमंत्री है...


सत्ता का केन्द्र दस जनपद है ॥ आख़िर आदमी की भी तो सहने की एक सीमा होती है.... पिछले पाँच सालो से मनमोहन ने उनको कोई जवाब नही दिया .... जब से सोनिया ने उनको कांग्रेस से भावी प्रधान मंत्री घोषित किया है तब से मनमोहन नए अवतार में अवतरित हो गए है... ऐसे मनमोहक अवतार को देखकर सभी चकित है.... आडवानी के कमजोर प्रधानमंत्री के तमगे को मनमोहन ने कंधार से धो दिया है॥ कंधार आडवाणी की दुखती रग है जिस पर मनमोहन ने हाथ रख दिया है...



दरअसल परमाणु करार पर अपनी साख को दाव पर लगाने के बाद से मनमोहन ने यह साबित कर दिया है वह एक कमजोर प्रधानमंत्री नही है... आडवानी और अन्य दल भले ही उनको कटपुतली प्रधानमंत्री कहे पर यह सच्चाई है मनमोहन ने पाच साल कुशलता पूर्वक सरकार चलाकर अपने को साबित कर दिखाया है... उनको हम जननेता की कोटि में नही रख सकते जो चुनावी रैली में भीड़ खीच सके .....


लेकिन उनमे कुशल प्रशासक के सारे गुण नजर आते है..... भले ही वह आडवानी की तरह भाषण नही दे सकते पर आज भी देश के मध्यम वर्ग में उनकी छवि अच्छी बनी है॥ अभी बीते दिनों दिल्ली की एक चुनावी कंपनी के सर्वे में यह बात उभर कर सामने आई... इसका कारन उनकी शालीनता है... इन सब को धयान में रखते हुए सोनिया ने उनको प्रधान मंत्री का उम्मीद वार घोषित किया ....ताकि मनमोहन का मनमोहक चेहरा देश के गरीब से गरीब को रास आए और मनमोहन के साथ कांग्रेस की भी जय हो.....हो



बड़ा सवाल आज यह है क्या मनमोहन पी ऍम बन पायेंगे? आज का समय गटबंधन राजनीती का है ॥ कोई भी दल अपने बूते २७२ का जादुई आंकडा नही जुटा पायेगा.... भाजपा हो या कांग्रेस दोनों को सरकार बनाने के लिए अन्य दल पर आश्रित रहना पड़ेगा...


अगर कांग्रेस इस बार भी सरकार बनने के मुहाने पर खड़ी होती है तो अन्य दल के सहयोग के बिना वह सरकार बना पाने की स्थिति में नही होगी॥ यही हाल बीजेपी का भी है... अभी की कहानी यह है की यू पी ऐ के घटक मनमोहन के नाम पर सहमत नही है॥ वह अपने को उससे अलग कर चुके है ... वह साफ़ कह चुके है मनमोहन केवल कांग्रेस के उम्मीद वार है ....


यह बयान कही न कही मनमोहन की प्रधान मंत्री बनने की सम्भावना पर पलीता लगा रहा है .... उनकी इस राह का सबसे बड़ा रोड़ा वाम दल बने है.... जो इस बार मनमोहन को समर्थन देने से पहले दस बार सोचेंगे....वैसे भी परमाणु करार के बाद से वाम दल मनमोहन की सूरत देखना पसंद नही करते...


ऐसे में मनमोहन का पी ऍम बन्ने का सपना धूल धूसरित होता दिखाई दे रहा है ....साथ ही कांग्रेस में मनमोहन को फिर से आगे करने को लेकर इस बार एका नजर नही आता...पार्टी में अन्दर ही अन्दर मतभेद है... पर सोनिया के चलते कोई कुछ कहने की स्थिति में नही है...कई नेताओ के मन में इस बात की कसक है मनमोहन के चलते उनकी पी ऍम बन्ने की आकांशा पूरी नही हो पा रही है...


ऐसे नेताओ में कई नाम गिनाये जा सकते है .... अर्जुन सिंह, प्रणव मुखर्जी, ऐ के एंटोनी सभी लाइन में खड़े है....अर्जुन सिंह तो इस बार इस कतार से बहार हो गए ॥ उनका स्वास्थ्य सही नही चल रहा ऊपर से कांग्रेस ने उनकी बेटी वीणा सिंह को मध्य प्रदेश से टिकट नही दिया जिस कारन वह अपने को उपेक्षित समझ रहे है...


वैसे अब उनकी पारी ख़तम हो गई है... अगर मनमोहन पर सहमती नही बन पाती है तो एक सम्भावना यह है की सोनिया गाँधी प्रणव मुखर्जी का दाव परिणामो के बाद खेले.... प्रणव उसी पश्चिम बंगाल से आते है जहाँ वामपंथियों का पुराना किला है ॥ वैसे भी जब जब मनमोहन पर संकट आया है तब तब प्रणव को वामपंथियों के पास सुलह के लिए भेजा जाता रहा है जिस कारन वह पार्टी में संकट मोचक बनकर उभरे है...


मनमोहन की जगह पर प्रणव का समर्थन करने से वाम दल को कोई दिक्कत पेश नही आएगी.... वैसे यहाँ पर आपको यह बताते चले की प्रणव की दिली इच्छा आज भी प्रधानमंत्री बनना है ॥ मनमोहन के समय भी उनका नाम प्रधानमंत्री के लिए जोर शोर से चला था परन्तु मनमोहन अपनी मिस्टर क्लीन छवि के कारन सभी पर भारी पड़े थे... प्रणव बाबु इस बार अपनी इच्छा को नही छुपा पाये...


बीते दिनों एक टीवी प्रोग्राम में उन्होंने इस बात का इजहार कर दिया... प्रणव का कहना था हिन्दी भाषी नही होना उनकी सबसे बड़ी अड़चन है ॥ १६ मई के बाद अगर मनमोहन पर सहमती नही बन पाती है तो भाजपा को रोकने के लिए वाम दल फिर से कांग्रेस के साथ जा सकते है...ऐसे में अन्तिम लोक सभा चुनाव में प्रणव बाबु की इच्छा पूरी हो सकती है ....



वैसे कांग्रेस ने भी इन दिनों भाजपा की तर्ज पर चुनावी वार रूम अभियान चला रखा है... उसके सभी नेता मनमोहन को प्रधानमंत्री बनाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाये हुए है ... जहाँ भाजपा की कमान सुधीन्द्र कुलकर्णी, प्रकाश जावडेकर , जेटली , प्रद्युत बोरा जैसे लोगो के हाथ में है वही कांग्रेस में यह चेंबर पॉलिटिक्स के उस्ताद माने जाने वाले सोनिया के सिपेसालार अहमद पटेल के हाथो में है ...


जय राम रमेश , ऍम लाल बोरा , आनंद शर्मा, अभिषेक मनु सिंघवी , गुलाम नवी आजाद सरीखे लोग पटेल की मदद इस काम में कर रहे है ..... कांग्रेस पार्टी में आम तौर पर यह जुमला कसा जाता रहा है वह दस जनपद से संचालित होती है लेकिन इस बार वह १५ रकाबगंज से संचालित हो रही है ... अब देखते है क्या मनमोहन १६ मई के बाद फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी बरकरार रख पाते है या नही या कांग्रेस से कोई अन्य नाम सामने आता है .............(जारी रहेगा... चौथा भाग शेष है .......)

3 comments:

Harshvardhan said...

kamaal hai harsh ji lagta hai blog me rajneeti ki ramayan likhne ka irada baya liya hai aapne. bahut sundar vishleshan rahta hai aapka..

Urmi said...

Kya baat hai...Apne to rajniti ke bare mein achha khasa sikha diya hai mujhe...Dhanyavad Harsh ji...Likhte rahiye.

शरद कुमार said...

Pahli bar apka lekh pda bhut achchha laga.Realy very good.