
"बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले......." यह जुमला टीम इंडिया में अगर किसी खिलाड़ी पर लागू होता है तो वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान "मिस्टर भरोसेमंद " कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ है...... लंबे समय से अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर रहने वाले राहुल द्रविड़ पर भारतीय चयनकर्ताओ ने एक बार फिर से भरोसा जताया है...
उनकी भारतीय टीम में वापसी के बाद निश्चित ही भारत का मध्य क्रम मजबूत होगा ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए.... राहुल द्रविड़ की प्रतिभा के सभी कायल है ..... उन्होंने खेल के हर डिपार्टमेन्ट में अपनी उपयोगिता को बखूबी साबित कर दिखाया है....... जब भी भारत को उनकी जरूरत हुई है तब तब अपने प्रदर्शन से उन्होंने करोडो खेलप्रेमियों का दिल जीत लिया ...
राहुल को अगर मैच विजेता खिलाड़ी कहा जाए तो कोई गलती नही होगी..... राहुल भारतीय टीम की वाल रहे है..... टेस्ट में भी उनका खेल अच्छा रहा है....लेकिन एक दिवसीय मैचो में चयनकर्ताओ द्वारा उनकी उपेक्षा बीते कुछ सालो से हो रही थी..... दिलीप वेंगसरकर सरीखे चयनकर्ता उनके चयन पर अपनी आँख की भोहें टेडी कर लिया करते थे ... पर इस बार चयनकर्ता उनकी अनदेखी नही कर सकते थे... बताया जाता है इस बार राहुल के चयन में के श्रीकांत (चीका ) की महत्वपूरण भूमिका है ...
श्रीकांत को उन पर पूरा भरोसा है यही कारण है २ साल खेल से दूर रहने के बाद भी राहुल का दाव टीम इंडिया में खेला गया है... देखते है इस बार श्रीलंका में त्रिकोणीय सीरीज़ और साउथ अफ्रीका में चैम्पियंस ट्राफी में भारत की यह दीवार कैसा प्रदर्शन करती है? वैसे इस बार आई पी अल के मैचो में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था .....देखते है अब क्या होता है???
विलक्षण प्रतिभा के धनी थे पर्वत पुत्र.........
भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त का नाम आज भी राष्ट्रीय राजनीती में बड़े गर्व के साथ लिया जाता है..... पन्त जी के योगदान के कारण वह पूरे राष्ट्र के लिए एक युगपुरुष के समान थे जिसने अपने ओजस्वी विचारो के द्वारा राष्ट्रीय राजनीती में हलचल ला दी... उनके व्यक्तित्व में समाज सेवा , त्याग, दूरदर्शिता का बेजोड़ मिश्रण था.... पूरा देश १० सितम्बर को उनकी १२२ वी जयंती पर याद करेगा...पन्त जी का जन्म १० सितम्बर १८८७ को उत्तराखंड के अल्मोडा जनपद से ३० किलोमीटर दूर हवालबाग विकासखंड के खूंट नमक गाव में हुआ था... प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा अपने जिले में पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु पन्त जी इलाहाबाद गए... जनमुद्दों की वकालत करने में अग्रणी रहने के कारणइन्होने इलाहाबाद से एल एल बी की डिग्री ली.... १९०५ में इन्होने अपना पूरा जीवन न्यायिककार्यो में समर्पित कर दिया.....पन्त जी के जीवन पर महात्मा गाँधी का खासा प्रभाव पड़ा..... गाँधी जी के कहने पर वकालत को छोड़कर राजनीती में कूद पड़े... तत्कालीन समय में कुमाऊ में दो तरह प्रकार की विचारधाराये प्रचलित थी ... पहली विचारधारा में प्रतिष्ठित लोग हुआ करते थे , जो उस समय अपने को प्रगतिशील मानते थे , वही दूसरी विचारधारा स्वदेश प्रेम सम्बन्धी विचारो से भरी थी... पन्त जी ने अपनी सूझ बूझ द्वारा दोनों विचारधाराओ में सामंजस्य कायम कर कुमाऊ में राष्ट्रीय चेतना फैलाने में अपनी भागीदारी निभाई.... पन्त जी ने गरीबो के शोषण के विरूद्व आवाज उठाते हुए कुली बेगार के खिलाफ विशाल आन्दोलन चलाया...... १९१६ में अपने प्रयासों से कुमाऊ परिसद की स्थापना की और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य चुने गए......१९१६ का वर्ष पन्त जी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा.... इस वर्ष पन्त जी अपने असाधारण कार्यो के कारण किसी के परिचय के मोहताज नही रहे... इस वर्ष राष्ट्रीय राजनीती में वह धूम केतु की तरह चमके... १९२० में गाँधी के साथ असहयोग आन्दोलन में भी इनके द्वारा सक्रिय सहयोग दिया गया..... १९२७ में सर्वसम्मति से कांग्रेस के प्रेजिडेंट चुन लिए गए... १९ नवंबर १९२८ को लखनऊ में जब साईमन कमीशन आया तो नेहरू जी के साथ इन्होने भी इसका पुरजोर विरोध किया... देश की आज़ादी में पन्त जी के योगदान को नही भुलाया जा सकता है... जंगे आज़ादी के दौर में हिमालय पुत्र द्वारा हर आन्दोलन चाहे वह सत्याग्रह हो या असहयोग आन्दोलन हो , अपना पूरा योगदान दिया... इसी कारण आज़ादी के दौर में अपनी सक्रिय भूमिका के चलते पन्त जी को कई वर्षो तक जेल की यात्रा भी करनी पड़ी...१५ अगस्त १९४७ को वह आजाद भारत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये गए... इस पद पर वह १९५२ तक कार्य करते रहे... १९५२ में देश का संविधान बनने के बाद प्रथम आम चुनाव हुए जिनका संचालन पन्त जी के प्रयासों से हुआ था ... इन चुनावो में कांग्रेस सरकार ने विजय हासिल की....... १९५४ में जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में होम मिनिस्टर का ताज पन्त जी ने पहना.... अपने कार्यकाल में पन्त जी ने विभिन्न कार्यो को पूरा करने का भरसक प्रयत्न किया... २६ जनवरी १९५७ का दिन कुमाऊ के इतिहास में बड़ा महत्वपूर्ण रहा... इस तिथि को भारत सरकार द्वारा उन्हें "भारत रत्न" की उपाधि से विभूषित किया गया... ७ मार्च १९६१ को ह्रदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई... पन्त जी ने अपने प्रयासों से राष्ट्रीय हित के जितने कार्य किए उनके चलते भारतीय इतिहास में योगदान को नही भुलाया जा सकता ....