Tuesday, 18 August 2009
......वाडा को लेकर बीसीसीआई का ऐतराज ...................
आजकल बीसीसीआई और आईसीसी के बीच वाडा एक बड़ी दुविधा बनी हुई है......... वैसे इस बार आईसीसी ने बीसीसीआई की ना के बाद इस विषय पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है .... दरअसल जिस वाडा को आईसीसी ने स्वीकार कर लिया है उसको स्वीकार करने से बीसीसीआई कतरा रहा है... इसी कारण दोनों के बीच तलवारे खिच गई है.... वाडा ( विश्व डोपिंग निरोधक एजेन्सी ) है जो खेलो को डोपिंग से बचाने के नए नियमो पर अपनाकाम कर रही है...
वाडा की स्थापना ९० के दशक में की गई ... अब २००९ से उसके द्बारा नए नियम बना दिए गएहै ... वाडा के नए नियमो के अनुसार अब खिलाड़ी डोपिंग परीक्षणों से नही बच सकते... इसके नियमो के अनुसार खिलाड़ी कही भी खेल रहे हो जब जांच के लिए कहा जाएगा उनको हर हाल में उपलब्ध होना पड़ेगा.... खिलाडियों की जांच उस समय भी की जायेगी जब वह नही भी खेल रहे हो..... इस मसले पर भारतीयखिलाडियों के साथ बीसीसीआई को भी ऐतराज है ... बीसीसीआई की माने तो वाडा को यह कोई अधिकार नही हैजब खेल प्रतिस्पर्धा नही हो रही हो तो वह जबरन खिलाडियों की तलाशी ले...
बीसीसीआई को इस पर ऐतराज है .........यह तो कोई बात नही हुई ............खिलाड़ी कब कहा है इसकी सूचना वाडा को उपलब्ध कराये...वाडा के नए नियम बीसीसीआई को नागवार गुजर रहे है..... वैसे पहले इस मसले पर विश्व के कई खिलाड़ी अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे पर अब उन्होंने इस नए नियमो को स्वीकारने में ही अपनी भलाई समझी है॥ यहाँ यह बताते चले माईकल फेलप्स ,नडाल जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी कभी वाडा के नएनियमो के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने में पीछे नही थे लेकिन अब जब सभी खेलो को वाडा के नए नियमो के दायरे में लाया जा रहा है तो विश्व के कई बड़े खिलाड़ी भी वाडा के नए नियमो पर अपनी हामी भरते नजर आ रहेहै... पर अपना बीसीसीआई देखिये वह इन नियमो को स्वीकारने से न जाने क्यों हिचक रहा है...?
बीसीसीआई की यह ना सही नही है.... शायद वह अपनी पैसो की हेकडी के चलते वाडा के नियमो को मानने से मना कर रहा है ....
बीसीसीआई की माने तो वाडा के नए नियम सही नही है ... उसकी माने तो खेलो केदौरान अगर जांच की जाए तो यह बात सही है लेकिन जब खेल ही न हो रहा हो तो जबरन जांच कहा तक जायज है? वाडा के नए नियम इतने कड़े है अगर कोई खिलाड़ी साल में डोपिंग से ना नुकर करता है तो उस पर प्रतिबंध भी लग सकता है ... यह सही है वर्तमान समय में लोग पदक पाने के लिए तरह तरह की उत्तेजक दवाईयों काप्रयोग करते रहते है ....पर अब वाडा के नए नियमो के तहत जब सभी खेलो को एक नजर से देखा जा रहा है तो बीसीसीआई को इस पर क्यों आपत्ति हो रही है?
अब बीसीसीआई की यह बात किसी के गले नही उतर रही है इस जांच के जरिये आप सभी की निजी लाइफ में झाँक रहे है.....यह नियम तो सभी के लिए समान होंगे .... अबऐसा तो नही है की किसी धावक के लिए यह बताना कम्पलसरी है की वह कहा है ? क्या कर रहा है? ऐसा सभीखिलाडियों पर लागू हो रहा है ....
यह वाडा का व्हर अबाउट क्लॉज़ है जो हर किसी पर लागू हो रहा है .... इसमेकिसी खिलाड़ी को नही छोड़ा जा रहा है ..... जब सभी को एक कानून द्बारा एक दायरे में लाया जा रहा है तो हमारेबीसीसीआई को न जाने इस पर क्यों आपत्ति हो रही है?
असल में बात यह है हमारे क्रिकेट के खिलाड़ी अपने को वी आई पी से भी बढकर मानने लगे है ... उनकी असली दिक्कत यह है अगर आउट ऑफ़ सीजन वह डोपिंग में फस जायेंगे तो उनकी सारी प्रतिष्ठा मटियामेट हो जायेगी..... दरअसल हमारे यह क्रिकेट सितारे अपने को बहुत बड़ा आइकन मानने लगे है ...भारत में इनको भले ही देवता जैसा पूजा जाता रहा हो पर इन क्रिकेटरों को विदेशो में उतना मान नही मिल पाता है जितना हमारे यहाँ मिलता है ..... यह भी भ्रम है सचिन , सहवाग, धोनी कमाई के मामले में विश्व में सबसे धनी है .... सच्चाई यह है इनसे कई गुना कमाई विश्व में टेनिस , सूकर खेलने वाले खिलाडियों की है ....
बहरहाल जो भी हो हमारा तो इतना कहना है जब सभी के लिए नियम समान है तो यह क्रिकेटर कोईभगवान् है जो वाडा के नियमो को मानने से इनकार कर रहे है.... कायदे कानून तो सभी के लिए समान ही होते हैचाहे आप हो या हम........................ अब पैसो की हेकडी के चलते बीसीसीआई ने आईसीसी के वाडा वाले फरमानको मानने से साफ़ इनकार कर दिया है ....
इसके लिए ५ सदस्यीय कमेटी बना दी गई है .... उसका फैसला आनाअभी बाकी है ... समिति में अनिल कुंबले , बिंद्रा जैसे लोग शामिल है जो किसी निष्कर्ष पर पहुचेंगे.......देखते हैक्या इस बार आईसीसी बीसीसीआई के आगे झुकती है या नही ? वैसे अभी तक वह बीसीसीआई के इशारो परनाचती रही है. क्युकी बीसीसीआई धनी बोर्ड है पूरे विश्व का .... देखते है वाडा पर इस बार कैसा रवैया अपनाया जाता है ?
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10 comments:
ये बी.सी.सी.आई. भारतीय क्रिकेट बोर्ड कब बनेगा? दुनिया को अपनी तरह से चलाने की जिद अच्छी नहीं है. सरकार को नियंत्रण अपने हाथ में ले लेना चाहिये.
sahi kaha apne jab icc ne wada ke niamo ko apnay hai to indian player ko v swikar karna chahiye.sach hi kaha gaya hai ki CHOR KI DHADHI ME TINKA HOTA HAI
sanjeev ji ke vicharo se main sahamat hoon ,sahi kaha aapne .
bcci ek corporate company बन चुकी है, जिसमें कभी-कभी हम लोग देशभावना का मसाला लगाकर उसकी पूजा करने लगे हैं, संजीवजी ने विल्कुल ही सही बात की है
समसामयिक बढ़िया आलेख.
बधाई
.
परिणाम क्या निकलता है, हमें भी बेसब्री से इंतजार है................
राजनीति और वो भी पैसे के बल पर ............ बी सी सी आई ये हो करती रही है अब तक .............. आगे भी करेगी...........
bahut sateek vishleshan raha aapka... yah bcci ki monopoly hai wah icc ke niyamo ko maanme se mana kar rahi hai.......
bahut sateek vishleshankiya hai aapse sahmati hai... achchi baat yah hai aapke blog par sir pahli baar khelo ki post padi achcha laga... nahi to abhi tak aapki lekhni rajneeti par chala karti thii.........
वाडा की इस पहल पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है.कई बार अन्तराष्ट्रीय नियम जान बूझकर इस प्रकार बनाए जाने का आरोप लगा है जिससे किसी स्थापित या उभरते राष्ट्र के खिलाड़ियों को नुक्सान पंहुचता हो.जैसे हॉकी के नियमों के बारे में कहा गया था.
बिल्कुल सही कहा है आपने सच्चाई का बयान किया है ! बहुत ही सुंदर आलेख ! अब तो बेसब्री से इंतज़ार है की आख़िर परिणाम क्या निकलेगा !
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