बिचौलियों से उनका आशय नेता, नौकरशाहों , कॉरपोरेट के गठबंधन से था ..जब उस समय हालत ऐसे थे तो आज कैसे होंगे इसकी कल्पना स्वर्गीय राजीव गाँधी के इस कथन के आसरे बखूबी की जा सकती है.....बोफोर्स से लेकर हवाला ,हर्षद मेहता से लेकर चारा, तहलका से लेकर कॉमन वेल्थ , आदर्श सोसाईटी से लेकर 2 जी स्पेक्ट्रम यह कुछ चर्चित घोटाले रहे है ....इनके बीच हुए घोटालो की फेहिरस्त लम्बी है .... कई घोटालो की परते आज तक नही खुली ........
अगर सभी को देख लिया जाए तो भ्रष्ट्राचार के विकराल रूप की लकीर खींची जा सकती है ......विडम्बना है हमारे राजनेता भी भ्रष्टाचार को समाप्त करने के बजाए उसकी गंगा में दुबकी लगाकर उसे सामान्य बात मानने लगे है .... वह भी परोक्ष रूप से किसी न किसी घोटालो में लिप्त है क्युकि घोटालो का सीधा सम्बन्ध सत्ता से होता है .... यहाँ लोकतंत्र है जिसकी लाठी उसकी भैस होती है .......
भ्रष्टाचार की व्यापकता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है आज गरीबो तक सरकारी इमदाद नही पहुच पा रही है ....विदेशो में भारत का ७० करोड़ रुपये से अधिक का काला धन जमा है ... अगर यह धन वापस आ जाये तो देश कि गरीबी मिट जाएगी... साथ ही चारो तरफ खुशहाली आ जाएगी .....परन्तु हमारे राजनेता इसे वापस लाने में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहे है ......
२०१० को घोटालो के साल के रूप में याद किया जायेगा ... मधु कोड़ा जैसे नेता का बस अगर इस देश में चले तो वह इसे बेच डाले.... भ्रष्टाचार के मुकाबले के लिए भाजपा और कांग्रेस की स्थिति एक जैसी है.... जहाँ कांग्रेस अपने लोगो को बचने का प्रयास कर रही है वही भाजपा बिहार की जीत से इतना गदगद है की वह येदियुरप्पा को हटाने के बजाए उन्हें अभयदान देने से परहेज नही करती ........
उदारीकरण के बाद देश में घोटालो के ग्राफ में तेजी आई है ..... नेताओं में भ्रस्ताचार से लड़ने की इच्छा शक्ति नही है.... वह इसे बड़ी समस्या तो मानते है परन्तु उन भ्रष्टाचारियो पर नकेल कसने से डरते है क्युकि वह भी सत्ता की मलाई साथ साथ चाटते है....यह हमारे सिस्टम का एक दोष है यहाँ अपराधी को सबूत मिटाने का पर्याप्त समय मिल जाता है.......कलमाड़ी के घर छापा पड़ने से पहले उसके घर से सबूत मिटने की कोशिसे होना आम बात है....... अब समय आ गया है भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए "लोक पल "जैसी स्वतन्त्र संस्था गठित की जाए.......जिसके काम में किसी का कोई दखल नही हो........साथ ही भ्रष्टाचारियो के लिए कठोर सजा का प्रावधान होना भी जरुरी है ...........
पिछले दिनों नीतीश कुमार ने इस दिशा में अच्छी पहल करते हुए विधायक निधि को समाप्त किया......साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचारियो की संपत्ति जप्त करने के आदेश भी दे दिए.....बिहार का यह फैसला ऐतिहासिक लगा.... राष्ट्रीय स्तर पर कुछ ऐसी ही पहल होनी चाहिए..... सूरत बदलनी चाहिए......
साल की विदाई में जिस खबर ने मुझको सबसे ज्यादा आहत किया वह थी नेता, कोर्पोराते और मीडिया का कोकटेल...... चौथे स्तम्भ से लोगो को बहुत उम्मीदे थी वह नीरा प्रकरण ने धूमिल कर दी .... किस तरीके से नीरा और पत्रकारों के गठजोड़ ने राजा को यू पी ऐ २ में संचार मंत्री बनाया यह सबके सामने उजागर हुआ ....
अभी तक मीडिया पैड न्यूज़ के बारे में बदनाम था ... अब नीरा के कारनामे ने पत्रकारों की साख गिरा दी है.... कारगिल रिपोर्टिंग से रातो रात शौहरत कमाने वाली " बरखा दत्त" को कई लडकिया अपना रोल मोडल मानती है परन्तु बरखा के कारनामे ने पत्रकारों को शर्मसार कर दिया है .... आज अगर प्रभाष जोशी होते तो वह बहुत दुखी होते ...
3 comments:
ईश्वर, देश को भ्रष्टाचारियों से मुक्त करो।
नीतीशजी का महा ब्याभिचारी और भ्रष्टाचारी मंत्री नरेन्द्र सिंह ने तो कृषि विभाग को अपनी दूकान बना दिया हैं |ढैचा बीज खरीद में २५ करोड रुपैया ,micronutient subsidy scheme में रोजाना कुछ लाख रुपैये ,कृषि यंत्रीकरण योजना में करोड़ों रुपैये , कृषि का उद्यान विभाग से अपने शेयर का पैसा रोज के हिसाब से ,स्थानातरण और पदस्थापन में जैसे जिला कृषि पदाधिकारी के रूप में पोस्टिंग करने का ५ लाख रुपैया ,प्रखंड कृषि पदाधिकारी के ट्रांसफर में १ -१ लाख रुपैया आदि तो मामूली इनकी दूकान का सामान के रूप में इन्ही के प्राइवेट सेक्रेटरी के हाथ से बेचा जाता है |मिश्रित दानेदार उर्वरक खाद कारखाने के लाइसेंस नवीकरण में इनकी खास भूमिका रहती है |इनके द्वारा पोषित एक महा भ्रष्टाचारी आफिसर संजय सिंह तो इनका दत्तक पुत्र है जो अपने तीन वर्ष प्रभारी उर्वरक कोषांग के रूप में बिताने के बाद करोड़ों रुपियों का लेनदेन,पटना में जमीनों का प्लाट खरीदने के बाद ,मंत्री जी को भी अच्छी खासी कमाई करवा रहा है और इस नाते पुनः मंत्री जी ने इस कमाऊं पुत को फिर से उर्वरक कोषांग ,बिहार का सर्वे सर्व बना दिया है |यह व्यक्ति कृषि विभाग के सांख्यिकी विभाग में उप कृषि निदेशक के पद पर मूल रूप से पदस्थापित है लेकिन अपनी काली कारगुजारियों के कारण मंत्री जी का सबसे नजदीकी आदमी है और एक लाइसेंस के नवीकरण में ७-१० लाख रुपैया लेता है |मुख्य मंत्री जी को दसियों बार लिखने के बाउजूद कोई भी तरह की इंक्वायरी नहीं हुई है |
बिहार में सुशासन की आंधी चल रही है इसलिए कुछ कहना बेकार है |
नीतीशजी का महा ब्याभिचारी और भ्रष्टाचारी मंत्री नरेन्द्र सिंह ने तो कृषि विभाग को अपनी दूकान बना दिया हैं |ढैचा बीज खरीद में २५ करोड रुपैया ,micronutient subsidy scheme में रोजाना कुछ लाख रुपैये ,कृषि यंत्रीकरण योजना में करोड़ों रुपैये , कृषि का उद्यान विभाग से अपने शेयर का पैसा रोज के हिसाब से ,स्थानातरण और पदस्थापन में जैसे जिला कृषि पदाधिकारी के रूप में पोस्टिंग करने का ५ लाख रुपैया ,प्रखंड कृषि पदाधिकारी के ट्रांसफर में १ -१ लाख रुपैया आदि तो मामूली इनकी दूकान का सामान के रूप में इन्ही के प्राइवेट सेक्रेटरी के हाथ से बेचा जाता है |मिश्रित दानेदार उर्वरक खाद कारखाने के लाइसेंस नवीकरण में इनकी खास भूमिका रहती है |इनके द्वारा पोषित एक महा भ्रष्टाचारी आफिसर संजय सिंह तो इनका दत्तक पुत्र है जो अपने तीन वर्ष प्रभारी उर्वरक कोषांग के रूप में बिताने के बाद करोड़ों रुपियों का लेनदेन,पटना में जमीनों का प्लाट खरीदने के बाद ,मंत्री जी को भी अच्छी खासी कमाई करवा रहा है और इस नाते पुनः मंत्री जी ने इस कमाऊं पुत को फिर से उर्वरक कोषांग ,बिहार का सर्वे सर्व बना दिया है |यह व्यक्ति कृषि विभाग के सांख्यिकी विभाग में उप कृषि निदेशक के पद पर मूल रूप से पदस्थापित है लेकिन अपनी काली कारगुजारियों के कारण मंत्री जी का सबसे नजदीकी आदमी है और एक लाइसेंस के नवीकरण में ७-१० लाख रुपैया लेता है |मुख्य मंत्री जी को दसियों बार लिखने के बाउजूद कोई भी तरह की इंक्वायरी नहीं हुई है |
बिहार में सुशासन की आंधी चल रही है इसलिए कुछ कहना बेकार है |
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