20 दिसम्बर, 2012 के दिन को याद करें । इस दिन पूरे देश की नजरें गुजरात विधान सभा चुनावो पर केन्द्रित थी । गुजरात के साथ ही इस दिन हिमाचल के विधान सभा चुनावो के परिणाम भी सामने आये लेकिन पूरा मीडिया मोदीमय था । तीसरी बार गुजरात में हैट्रिक लगाकर फतह करने के बाद नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का जोश देखते ही बन रहा था । उनकी जीत ने कार्यकर्ताओ के जोश को भी दुगना कर दिया । भाजपा के अहमदाबाद दफ्तर में उस समय जहाँ दिवाली मनाई जा रही थी वहीँ 11 अशोका रोड स्थित भाजपा के राष्ट्रीय दफ्तर पर सन्नाटा पसरा था । पार्टी का कोई आला नेता और
प्रवक्ता न्यूज़ चैनल्स को बाईट देने के लिए उपलब्ध नहीं था । इसके ठीक 7 दिन बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जैसे ही मोदी के कदम दिल्ली स्थित भाजपा के दफ्तर अशोका रोड की तरफ बढे तो पूरा माहौल मोदीमय हो गया । हर कोई उनकी तारीफों में कसीदे पढता ही जा रहा था । यह भाजपा में मोदी के असल कद का अहसास करा रहा था जब दो बरस पहले गुजरात जीतने के बाद दिल्ली के दफ्तर और तोरण दुर्गो में लगे बड़े बड़े कद के "ब्रांड मोदी " वाले पोस्टर मोदी की भारी जीत की गवाही दे रहे थे । पोस्टरों में मोदी के बाँए जहाँ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लगी थी वहीँ उनके दाएँ आडवानी और गडकरी की लगी तस्वीर और इन सबके बीच मोदी की लगी बड़ी तस्वीर भाजपा की दिल्ली वाली ड़ी कंपनी को सही रूप में आईना दिखा रही थी और यहीं से तय हो गया था अबकी बार " मोदी सरकार का जुमला " घर घर चुनावी कम्पैनिंग में इस कदर हावी रहेगा कि पार्टी समाज के हर तबके को साधगी जिसमे स्वयंसेवको की बड़ी कतार मोदी मन्त्र घर घर पहुँचाने में लग गयी ।
2014 की चुनावी बिसात पर राजपथ पर मोदी ने कांग्रेस से कई मील आगे निकलकर अपनी चुनावी बिसात बिछाकर यह तो साबित कर दिया इस बरस भाजपा के लिए करो या मरो वाली स्थिति हो चली थी जहाँ भाजपा को लोक सभा चुनाव में अपना वोट का प्रतिशत हर हाल में बढ़ाना जरुरी था नहीं तो केंद्र की सत्ता से उसका सूपड़ा साफ़ होना लगभग तय है । शायद यही वजह है पहली बार मोदी ओबामा की तर्ज पर " यस वी कैन" और "यस वी विल डू " का नारा देना पड़ा क्यूकि इस दौर में भाजपा के पास कोई ऐसा चेहरा बचा नहीं जो पार्टी कैडर में नए जोश का संचार कर सके और अपना ग्राफ जनता के बीच सीटो का ग्राफ बढ़ा सके और शायद कार्यकर्ताओ की इसी नब्ज को संघ की सहमती के आधार पर राजनाथ ने पकड़ा और मोदी को चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपकर उनको अगले लोक सभा चुनाव में प्रधान मंत्री पद का
उम्मीद वार घोषित कर दिया ।
भाजपा के संसदीय इतिहास में प्रचंड बहुमत पाकर मोदी ने सही मायनों में अपनी अखिल भारतीय छवि हासिल करने के साथ ही खुद को राष्ट्रीय राजनीती में फ्रंट रनर के तौर पर पेश किया है । चुनावो से पहले यह भ्रम बन गया था कि मोदी पार्टी से बड़े हो गए हैं लेकिन इन चुनाव परिणामो ने इस भ्रम को हकीकत में बदल दिया है । मोदी ने इस चुनाव में खूब पसीना बहाया । कश्मीर से कन्याकुमारी तक 450 से ज्यादा रैलियां की और 6000 से ज्यादा जगहों पर थ्री ड़ी प्रचार किया । पूरे देश में ख़ाक छानकर तीन लाख किलोमीटर की यात्रा कर दो करोड़ से ज्यादा लोगो से चाय पर चर्चा कर सीधा संवाद किया । लोग कांग्रेस के कुशासन , भ्रष्टाचार से आजिज आ चुकी थी और लोगो ने भाजपा में बड़ी उम्मीद देखी जो उन्हें मोदी में नजर आई । मोदी ने ना केवल देश के युवा वोटरो के दिलो में जगह बनाई बल्कि अपनी सभाओ में भारी भीड़ जुटाकर देश में एक लहर खड़ी की । इस चुनाव में मोदी सबके निशाने पर थे और छत्रपों की जातीय राजनीती में मोदी ने अपने अंदाज में सेंध लगाई । पहली बार में जातीय बंधन टूटे और जनता ने एक स्थिर सरकार के लिए वोट किया ।
16 वी लोक सभा के बारे में मोदी के विरोधी ही नहीं भाजपा में उनको नापसंद करने वाली जमात का एक बड़ा तबका इस बार मोदी की जीत की राह में तमाम रोड़े डालता रहा लेकिन दिल्ली फतह कर मोदी ने यह बता दिया पार्टी में उनको चुनौती देने की कुव्वत किसी में नहीं है और शायद यही वजह है इस दौर में मोदी की ठसक को चुनौती का मुकाबला भाजपा के किसी नेता ने नही किया । वैसे भी केशव कुञ्ज ने उनके नाम का डमरू बजाकर इस दौर में भाजपा के हर छोटे बड़े नेता को ना केवल अपने अंदाज में साधा बल्कि पार्टी कैडर में नमो नमो का जोश भी भरा ।
अस्सी के दशक को याद करें तो उस दौर में एक बार इंदिरा गांधी ने तमाम सर्वेक्षणों की हवा निकालकर दो तिहाई प्रचंड बहुमत पाकर संसदीय राजनीती को आईना दिखा दिया था और इस बार मोदी ने विकास के माडल को अपनी छवि के आसरे जीत में तब्दील कर दिया । जहाँ 2002 में उनकी जीत के पीछे सांप्रदायिक कारण जिम्मेदार थे वहीँ 2007 में कांग्रेस द्वारा उन्हें मौत का सौदागर बताने भर से उनकी जीत की राह आसान हो गई थी लेकिन इस बार की मोदी की जीत अप्रत्याशित रही । विकास के नारे के आगे सारे नारे फ़ेल हो गए । यह इस मायनों में कि जनता ने मोदी के विकास माडल पर न केवल अपनी मुहर लगाई बल्कि हर राज्य में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ाया । यही नहीं दिल्ली फतह करने के बाद अब अब मोदित्व का परचम एक नई बुलंदियों में पहुच गया है । विकास और वायब्रेन्ट गुजरात का जादू लोगो पर सर चदकर बोल रहा है अब दिल्ली की नईपारी में मोदी के सामने चुनौतियां का पहाड़ खड़ा है । मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में उस जनता जनार्दन की भी बड़ी भूमिका है जिसके सरोकार इस दौर में हाशिये पर चले गए । मोदी ने अपनी बिसात में प्यादों को पीटकर वजीर बनने की जो ऐतिहासिकइबारत गढ़ी है उसकी मिसाल अब तक देखने को नहीं मिली । मोदी मंत्र पर मतदाताओ ने भरोसा जताया । लोगो ने मोदी को तानाशाह बताने से परहेज नहीं किया तो किसी ने उन्हें हिन्दू राजनीती का झंडाबरदार बताकर उन्हें सांप्रदायिक करार दिया । लेकिन मतदाताओ ने मोदी पर लगाये जा रहे सारे आरोपों से पल्ला झाड़ लिया । प्रचंड बहुत पाकर अब नरेंद्र मोदी भाजपा में करिश्माई नेता के दौर पर उभर गए हैं । नमो के रूप अब राजनीती में नयीपरिभाषा गढ़ते देख रहे हैं । जिस मनमोहन की आर्थिक नीतियों का गुणगानकांग्रेस बीते दशको से करती आ रही है वही काम मोदी ने गुजरात में कर दिखाया और वहां हैट्रिक लगाकर अपने विरोधियो को चारो खाने चित्त कर दिया । साम्प्रदायिकता का दाव भी इस बार फीका पड़ गया और इन सबके बीच जातीय समीकरण भी इस चुनाव में धवस्त हो गए ।
हाल के लोक सभा चुनावो में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और दार्जिलिंग से लेकर बड़ोधरा तक हर जगह मोदी की तूती ही बोली । पूरा देश इस कदर मोदीमय था कई समाज के नाराज तबको का समर्थन जुटाने की कांग्रेस और छत्रपों की गोलबंदी इस चुनाव में काम नहीं आ सकी । शहरी , ग्रामीण , गैर आदिवासी ,छत्रिय समाज, दलित , ओ बी सी इस चुनाव में मोदी के साथ ही खड़ा दिखा और उन्होंने खुलकर मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट किया । पूरे देश का युवा वोटर अब मोदी पर गुजरात की तरह अपनी नजरें गढाये बैठा है क्युकी पहली बार अब मोदी कोगुजरात से निकलकर अब 7 आर सी आर से अपने कदम पूरे देश की तरफ बढ़ाने हैं । देश के युवा वोटरों की मानें तो कलह से जूझती भाजपा का बेडा अब मोदी ही पार लगा सकते हैं । प्रचंड बहुमत पाकर मोदी अब बड़े नेता के तौर पर उभर कर सामने आ गए हैं । जीत के बाद मोदी निश्चित ही भाजपा में अब सबसे मजबूत हो गए हैं और संघ भी अब भाजपा की भावी रणनीतियो का खाका मोदी के आसरे ही खींचेगा । हिंदुत्व के पोस्टर बॉय के रूप में मोदी का उदय छत्रपों के लिए चुनौती पेश कर सकता है । हिंदुत्व, विकास, सुशासन के जिसमॉडल को मोदी ने गुजरात में दोहराया अब उसे देश में कारगर ढंग से लागू करना होगा । यह जीत भाजपा के ठन्डे पडे कैडर में नया जोश फूंकेगी ।2014में अब भाजपा संघ का जोश भी बढ़ गया है । मोदी देश के वोटर को प्रभावित कर सकते हैं ।हिंदुत्व और विकास ने गुजरात में जो लकीर खींची है वह अब गुजरात में इतिहास बन चुकी है और अब इसे मोदी के सामने इसे पूरे देश में दोहराने की बड़ी चुनौती खड़ी है
1 comment:
काश इस लकीर को अपने ही लोग मिटाने की कोशिश न करें।
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