पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया है । जम्मू-कश्मीर के बारामूला में स्थित उरी सेक्टर में रविवार सुबह आतंकियों ने सेना के मुख्यालय पर आत्मघाती हमला कर दिया जिसमे 17 सैनिक शहीद हो गए । जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 12वीं ब्रिगेड की छावनी पर आत्मघाती हमले ने भारतीय सेना को जबरदस्त नुकसान पहुचाया । शहीद होने वाले 17 जवान डोगरा रेजीमेंट के थे। इस फिदायीन हमले में 19 जवान जख्मी हुए है जिनमें कुछ की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।
ऐसा करके पाक ने एक बार फिर आतंक का अपना चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया । असल में इस कार्यवाही ने एक बार फिर साबित कर दिया है पाक में भले ही नवाज की अगुवाई में सरकार चल रही है लेकिन अभी भी कमोवेश वैसी ही स्थितियां हैं जैसी पहले हुआ करती थी । आज भी पाक में चलती है तो सेना और चरमपंथियों की और उसके बिना पत्ता तक नहीं हिलता । नवाज भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंक से प्रभावित देश बताते हुए भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने की दुहाई देते रहते हो लेकिन उरी सेक्टर की इस कार्यवाही के शुरुवाती संकेत तो यही कहानी कह रहे हैं इस कार्यवाही को पाक के कट्टरपंथियों और आतंकियों का खुला समर्थन था जो भारत के साथ सम्बन्ध किसी कीमत पर ठीक नहीं होने देना चाहते हैं और कश्मीर को अस्थिर करने की नापाक कोशिश करने में लगे हैं । यह हमला ठीक नवाज के अमरीका रवाना होने के बाद किया गया है जिससे जाहिर होता है बिना सेना को भरोसे में लिए आतंकियों ने इसे अंजाम दिया है |
डोगरा रेजिमेंट के जवानों के साथ की गई कार्यवाही ने हमें यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है अब पकिस्तान के साथ किस मुह से हम दोस्ती का हाथ बढ़ाये ? पाक के साथ दोस्ती का आधार क्या हो वह भी तब जब वह लगातार भारत की पीठ पर छुरा भौंकते हुए लगातार विश्वासघात ही करता जा रहा है । इस दुस्साहसिक कारवाई की जहाँ पूरे देश में निंदा हुई है वहीँ आम आदमी अब भारतीय नीति नियंताओ से सीधे सवाल पूछ रहा है कि अब समय आ गया है जब पकिस्तान से सारे रिश्ते तोड़ लिए जाएँ और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचो पर लताड़ा जाए । पठानकोट के बाद अब तक का यह सबसे बड़ा हमला है जिसमे कठघरे में सीधे पाक खड़ा है । हमेशा की तरह अगर इस बार भी केंद्र सरकार धैर्य धारण करने के लिए कदमताल करने की सोचेगी तो यह सही नहीं होगा क्युकि लगातार होते हमलो से हमारा धैर्य अब जवाब दे रहा है । इस घटना से पाक की मंशा धरती के स्वर्ग कश्मीर में उन्माद फैलाने की ही रही है शायद इसकी आहट नवाज और कियानी के बीच बीते कुछ दिनों पहले हुई गुप्तगू के तौर पर दिखाई देने लगी थी जिसमे उन्होंने अमरीका रवानगी से पहले टेबल पर कश्मीर मसले की चर्चा की थी । नवाज का यू एन ओ में भाषण 21 सितम्बर को होना है । अब ऐसे हमलों के जरिये पाक अपनी स्टेट पालिसी के तहत कश्मीर में उन्माद का वातावरण पूरी दुनिया को दिखाना चाहता है । उरी सेक्टर पर तड़के हमला बोलने आये सभी आतंकी जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाना चाहते थे और इन्होंने इसी मकसद से घुसपैठ की । बुरहान वाणी के जुलाई में मारे जाने के बाद से ही घाटी में हिंसा का दौर जारी है और ताजा हमले ने पाक की संलिप्तता को फिर से उजागर कर दिया है जहाँ गृह मंत्रालय से जुड़े लोगों की जानकारी से स्पष्ट हो रहा है कि यह लश्कर का ही फ़िदायीन दस्ता था जिसका मकसद भारतीय सैनिकों के मनोबल को तोडना था | वैसे आतंरिक सुरक्षा पर 16 जुलाई को एक अलर्ट आई बी ने जारी किया था इसके बाद भी उरी पर हमला कई सवालों को मौजूदा दौर में खड़ा कर रहा है | आखिर अलर्ट के बाद भी आतंकी बेस कैम्प तक कैसे पहुंचे यह अपने में बड़ा सवाल बन गया है जिसकी पड़ताल नए सिरे से गृह मंत्रालय को करने की जरूरत है | सवाल तो भोर के उस समय का भी है जिस समय हमारे जवान सो रहे थे उस समय गॉर्ड क्या कर रहे थे ? ऐसे अनेक सवालों के जवाब तो जांच के बाद ही मिल पायेंगे लेकिन इस हमले ने एक बार फिर पाक को कठघरे में खड़ा कर दिया है क्युकि पठानकोट की तर्ज पर आतंकी सीमा पार से ही आये |
असल में कारगिल के दौर में भी पाक ने भारत के साथ ऐसा ही सलूक किया था । हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी रिश्तो में गर्मजोशी लाने लाहौर बस से गए लेकिन नवाज शरीफ को अँधेरे में रखकर मिया मुशर्रफ कारगिल की पटकथा तैयार करने में लगे रहे । इस काम में उनको पाक की सेना का पूरा सहयोग मिला था । इस बार की कहानी भी पिछले बार से जुदा नहीं है । अपने कार्यकाल के अन्तिम पडाव पर खड़े पाक सेनाध्यक्ष अशफाक कियानी और नवाज भारत के साथ रिश्तो को सुधारने के बजाए अब फिर से बिगाड़ना चाहते हैं । यह उनके द्वारा दिए गए हाल के बयानों में साफ़ झलका है । अभी कुछ दिनों पूर्व उन्होंने कहा बकरीद पर हम कश्मीरियों के बलिदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते । उन्हें उनके बलिदानों का फल मिलेगा । अब ऐसे बयानों से उनकी मंशा भारत को चेताना ही रही |
नवाज के यू एनओ में भाषण से कुछ दिन पहले हमारी सेना के 17 जवान शहीद हो गए । उरी की इस कार्यवाही में पाक सेना का फिदायीन आतंकियों को पूरा समर्थन रहा है । बेशक पाक में सरकार तो नाम मात्र की है वहां पर चलती सेना की ही है और बिना सेना के वहां पर पत्ता भी नहीं हिला हिलता । कट्टरपंथियों की बड़ी जमात वहां ऐसी है जो भारत के साथ सम्बन्ध सुधरते नहीं देखना चाहती है और कश्मीर को किसी भी तरह अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहती है ।आखिर कब तक हम पाक के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाते रहेगे और बातचीत से मेल मिलाप बढ़ायेंगे जबकि हर मोर्चे पर वह हमको धोखा ही धोखा देता आया है । इस घटना के बाद हमारे नीतिनियंताओ को यह सोचना पड़ेगा अविश्वास की खाई में दोनों मुल्को की दोस्ती में दरार पडनी तय है । अतः अब समय आ गया है जब हम पाक के साथ अपने सारे सम्बन्ध तोड़ डालें और ईंट का जवाब ईट से दें । घाटी बुरहान वाणी की मौत के बाद से जहाँ जल रही है वही इस दौर में लोगों के पास काम के भी लाले पड़ गए हैं लेकिन फिर भी हमारी सरकारें वहां हालात सामान्य नहीं कर पा रही हैं । अब समय आ गया है जब अपने उच्चायुक्त को पाक से वापस बुला लेना चाहिए ताकि पाक के चेहरे को पूरी दुनिया में बेनकाब किया जा सके ।
मुंबई में 26/11 के हमलो में भी पाक की संलिप्तता पूरी दुनिया के सामने ना केवल उजागर हुई थी बल्कि पकडे गए आतंकी कसाब ने यह खुलासा भी किया हमलो की साजिश पाकिस्तान में रची गई जिसका मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद था । हमने पठानकोट हमलो के पर्याप्त सबूत पाक को सौंपे भी लेकिन आज तक वह इनके दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाया । आतंक का सबसे बड़ा मास्टर माईंड हाफिज पाकिस्तान में खुला घूम रहा है और भारत के खिलाफ लोगो को जेहाद छेड़ने के लए उकसा भी रहा है लेकिन आज तक हम पाक को हाफिज के मसले पर ढील ही देते रहे हैं यही कारण है वहां की सरकार उसे पकड़ने में नाकामयाब रही है । 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हमले के बाद उसके जमात उद दावा ने कश्मीर के ट्रेंनिग कैम्पों में घुसकर युवको को जेहाद के लिए प्रेरित किया । अमेरिका द्वारा उसके संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने और उस पर करोडो डालर के इनाम रखे जाने के बाद भी पाकिस्तान सरकार ने उसे कुछ दिन लाहौर की जेल में पकड़कर रखा और जमानत पर रिहा कर दिया । आज पाकिस्तान उसे पाक में होने को सिरे से नकारता रहा है जबकि असलियत यह है कि बुरहान की मौत के बाद लगातार वह भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है और खुले आम घूम रहा है । भारतीय गृह मंत्रालय तो हमेशा उसको ना पकड़ सकने का रोना रोता रहा है । भारत के खिलाफ होने वाली हर साजिश को अंजाम देने में उसे पाक की सेना और कट्टरपंथी सगठनों का पूरा सहयोग मिल रहा है । 26 / 11 के हमलो के बाद भारत ने जहा कहा था जब तक 26 /11 के दोषियों पर पाक कार्यवाही नहीं करेगा तब तक हम उससे कोई बात नहीं करेंगे लेकिन आज तक उसके द्वारा दोषियों पर कोई कार्यवाही ना किये जाने के बाद भी हम उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं तो यह हमारी लुंज पुंज विदेश नीति वाले रवैये को उजागर करता है । अब तो हर घटना में अपना हाथ होने से इनकार करना पाक का शगल ही बन गया है । लाइन ऑफ़ कंट्रोल में अक्सर सैनिको के बीच तनाव देखा जा सकता है और फायरिंग की घटनाएं आये दिन होती रहती हैं । भारतीय सेना में घुसपैठ की कार्यवाहियां अब पाक की सेना आतंकियों के साथ लगातार कर रही है जो पठानकोट के बाद उरी के हमले में साफतौर पर उजागर हो गयी है । उसे लगता है कश्मीर में अगर हिंसा का ऐसा ही तांडव जारी रहा तो आने वाले दिनों में दुनिया की नज़रों में कश्मीर आ जायेगा । अतः ऐसे हालातो में वह अब लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनो को पी ओ के में भारत के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ने के लिए उकसा रहा है जिसमे कई कट्टरपंथी संगठन उसे मदद कर रहे हैं जो कश्मीर में युवाओं से पत्थर बाजी करवाते हुए अपने मिशन कश्मीर को मजबूती दे रहे हैं । पाक की राजनीती का असल सच किसी से छुपा नहीं है । वहां पर सेना कट्टरपंथियों का हाथ की कठपुतली ही रही है । सरकार तो नाम मात्र की लोकत्रांत्रिक है असल नियंत्रण तो सेना का हर जगह है । पाक इस बार यह महसूस कर रहा है अगर समय रहते उसने भारत के खिलाफ अपनी जंग शुरू नहीं की तो कश्मीर का मुद्दा ठंडा पड जायेगा । अतः वह भारतीय सेना को अपने निशाने पर लेकर कट्टरपंथियों की पुरानी लीक पर चल निकला है । कश्मीर का राग पाक का पुराना राग है जो दोस्ती के रिश्तो में सबसे बड़ी दीवार है । ऐसे दौर में हमें पाक पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है । हमारी सेना को ज्यादा से ज्यादा अधिकार सीमा से सटे इलाको में मिलने चाहिए साथ ही कश्मीर को अब पूरी तरह सेना के हवाले किये जाने की जरूरत है ।
उरी के हमले के बाद अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए । उसे किसी तरह की ढील नहीं मिलनी चाहिए । पाक हमारे धैर्य की परीक्षा ना ले अब ऐसे बयान देकर काम नहीं चलने वाला क्युकि इस घटना ने हमारे सैनिकॊ के मनोबल को गिराने का काम किया है । पाक के साथ भारत को अब किसी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए और कूटनीति के जरिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसके खिलाफ माहौल बनाना चाहिए साथ ही अमेरिका सरीखे मुल्को से बात कर यह बताना चाहिए आतंक के असल सरगना पाकिस्तान में पल रहे हैं और आतंकवाद के नाम पर दी जाने वाली हर मदद का इस्तेमाल पाक दहशतगर्दी फैलाने में कर रहा है । अगर पाक को विदेशो से मिलने वाली मदद इस दौर में बंद हो जाए तो उसका दीवाला निकल जायेगा । ऐसी सूरत में कट्टरपंथियों के हौंसले भी पस्त हो जायेंगे । तब भारत पी ओ के में चल रहे आतंकी शिविरों को अपना निशाना बना सकता है । माकूल कार्यवाही के लिए यही समय बेहतर होगा । अब समय आ गया है जब पाक के खिलाफ भारत कोई बड़ी कार्यवाही की रणनीति अख्तियार करे क्युकि एक के बाद एक झूठ बोलकर पाक हमें धोखा दे रहा है और कश्मीर के मसले के अन्तरराष्ट्रीयकरण के पक्ष में खड़ा है ।
आज तक हमने पाक के हर हमले का जवाब बयानबाजी से ही दिया है । भारत सरकार धैर्य , संयम की दुहाई देकर हर बार लोगो के सामने सम्बन्ध सुधारने की बात दोहराती रहती है । इसी नरम रुख से पाक का दुस्साहस इस कदर बढ गया है कभी वह पठानकोट तो कभी उरी में हमारे जवानो को निशाना बनाता है और कश्मीर पर मध्यस्थता का पुराना राग छेड़ता रहता है । यह दौर भारतीय नीति नियंताओ के लिए असली परीक्षा का है क्युकि उसी की नीतियां अब पाक के साथ भारत के भविष्य को ने केवल तय कर सकती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर यह मामला उसकी कूटनीति के आसरे दुनिया तक पहुच सकता है । कश्मीर की काट के तौर पर पी एम मोदी ने जिस अंदाज में बलूचिस्तान का मसला इस बार के स्वंत्रता दिवस समारोह में उठाया है उससे पाक और चीन की घिग्गी बध गई है । जवाबी कार्यवाही के तहत उसने अब कश्मीर राग की रट लगायी हुई है और आने वाले 21 सितम्बर को नवाज के यू एन ओ के भाषण में इसकी झलक दिखाई पड़ सकती है । भारत की कोशिश अब यह होनी चाहिए यू एन ओ की भरी सभा में पाक को बेनकाब कर उसका हुक्का पानी बंद करवाते हुए उसे एक आतंकी देश घोषित करवाए । अगर ऐसा होता है तो यह मोदिनोमिक्स की विदेश नीति की बड़ी जीत होगी देखना होगा आने वाले दिनों में हम पाक के प्रति किस तरह का रुख अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर अख्तियार करते है । यह पीएम मोदी की कूटनीति की बड़ी परीक्षा है । फिलहाल इसका इन्तजार सभी को है ।
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