Thursday 21 July 2022

मध्य प्रदेश निकाय चुनावों से निकला बड़ा सन्देश

 



मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव  में  भारतीय जनता पार्टी पर प्रदेश की जनता ने फिर से  भरोसा जताया है।  नगरों से लेकर शहरों में विकास की गति को बनाये रखने की जिम्मेदारी प्रदेश की जनता ने भाजपा को  फिर से सौंपते हुए शानदार जनादेश दिया है ।  नगरीय निकाय  चुनावों के परिणामों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान के  कुशल नेतृत्व और जन  कल्याणकारी  नीतियों पर भी अपनी  मुहर लगाई है। प्रदेश के 16  नगर निगमों में से 9 पर भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस 5 नगर निगमों पर सिमट गई  है। जिन  5 नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है वहां पर भी भाजपा के  विजेता पार्षदों की संख्या कांग्रेस से अधिक है।  

मध्य प्रदेश में हुए 16 नगर निकाय चुनाव के परिणाम आ चुके हैं।  इस चुनाव में  भाजपा अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा पाने में कामयाब नहीं हुई।  पिछली   बार जहाँ 16  नगर निगमों में  महापौर के प्रत्याशियों की विजय हुई थी वहीँ इस  बार  कांग्रेस से मिली टक्कर  से  आधे नगर निगम वह गवां चुकी है।   पिछली बार सभी 16 नगर निगमों  में भाजपा का जादू सिर  चढ़कर  चला था  लेकिन, इस बार उसके हाथ से 7 नगर निगम चले गए हैं।   मध्यप्रदेश में अब कुल 16 महापौर में 9  पर भाजपा,5  पर कांग्रेस,1 पर आप और 1  पर निर्दलीय का कब्ज़ा  है।   प्रदेश के ग्वालियर चम्बल और महाकौशल क्षेत्र में भाजपा  का एक भी महापौर नहीं  है , वहीं विंध्य क्षेत्र में मात्र एक महापौर है। 

मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव के  दोनों चरणों  में सत्ताधारी  भारतीय जनता पार्टी  कांग्रेस पर भारी रही ।  पहले चरण के घोषित चुनाव परिणामों में से  सभी 11 नगर निगमों में  7 पर  भाजपा के महापौर प्रत्याशियों  ने जीत दर्ज की है वहीँ  कांग्रेस 3  सीटों पर और  आम आदमी पार्टी एक सीट पर सिमट गई।  इंदौर, भोपाल, बुरहानपुर, उज्जैन, सतना, खंडवा और सागर में  जहाँ कमल खिला वहीँ  कांग्रेस के खाते में छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर  आए हैं  ।  वहीँ दूसरे चरण में भाजपा ने  देवास और रतलाम नगर निगम पर कब्ज़ा किया वहीँ कांग्रेस के खाते में  रीवा और मुरैना आया ।  हालाँकि  रीवा में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी ने  जीत दर्ज की है लेकिन यहाँ 18 पार्षद  भाजपा , 16 कांग्रेस और 11 अन्य  विजयी हुए  हैं जबकि मुरैना नगर निगम परिषद में बहुमत न भाजपा  और  कांग्रेस दोनों में से किसी को भी बहुमत नहीं मिला है  ।  ऐसी ही स्थति ग्वालियर में भी रही जहाँ महापौर भले ही कांग्रेस का जीता  है  लेकिन यहाँ पर 66 में से 36 पार्षद भाजपा के विजयी रहे हैं।  जबलपुर , सिंगरौली और कटनी नगर निगम में भी भाजपा के पार्षदों की संख्या कांग्रेस से अधिक है।  

प्रदेश के बड़े  शहरों में भगवा तो लहराया है  साथ ही  76  नगर पालिकाओं में से 50 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है जबकि 15 में अच्छी स्थिति में है वहीँ कांग्रेस  11  नगर पालिकाओं पर ही जीत हासिल कर सकी है।  2014 में नगर पालिकाओं में  भाजपा की जीत का प्रतिशत 55 था जो इस बार बढ़कर 85 हो गया है।  प्रदेश की 255 नगर परिषदों में भी भाजपा को  शानदार बहुमत हासिल हुआ है जबकि 46  नगर परिषदों   में भी पार्टी मजबूत स्थति में है।  कांग्रेस महज 24 नगर परिषदों में सिमटकर रह गई  है।  नगर परिषदों में  वर्ष 2014 की तुलना में इस बार इस बार भाजपा का जीत का प्रतिशत 32 फीसदी अधिक रहा है। कमलनाथ के छिंदवाड़ा जिले की तीनों नगर पालिकाओं (अमरवाड़ा, चौरई और परासिया ) में भी भाजपा ने विजय हासिल की है।  वहीँ ग्वालियर में सभी 5 नगर परिषदों में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है।  मुरैना में 5 में से 4 , जबलपुर में 8 में से 6 , रीवा में 12 में से 11  और कटनी  की तीनों नगर परिषदों  में भाजपा ने जीत दर्ज की है।  

पहले चरण में  भाजपा कांग्रेस पर भारी 

मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण  में सत्ताधारी  भारतीय जनता पार्टी  कांग्रेस पर भारी रही ।  पहले चरण के घोषित चुनाव परिणामों में से  सभी 11 नगर निगमों में  7 पर  भाजपा  ने जीत दर्ज की है वहीँ ,कांग्रेस 3  सीटों पर और  आम आदमी पार्टी एक सीट पर सिमट गई।  इंदौर, भोपाल, बुरहानपुर, उज्जैन, सतना, खंडवा और सागर में  जहाँ कमल खिला वहीँ  कांग्रेस के खाते में छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर  आए । मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी का भी प्रदेश में सिंगरौली से  खाता खुला  और बुरहानपुर और खंडवा  में एआईएआईएम ने वोटों पर अच्छी  सेंधमारी कर  भविष्य  में  प्रदेश  की तीसरी ताकत बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ाए  हैं।  पहले चरण में ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, छिंदवाड़ा ,  मुरैना में कांग्रेस को जीत मिली. जबकि, कटनी में निर्दलीय उम्मीदवार और सिंगरौली में आप की महापौर प्रत्याशी ने जीत हासिल की।

पहले चरण  में भोपाल, इंदौर ,उज्जैन , बुरहानपुर , सतना ,सागर , खंडवा में खिला कमल

भोपाल में  भाजपा की  मालती राय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की  विभा पटेल को  98 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया।  इंदौर में भाजपा  प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने  अपने निकटम कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला को  1 लाख 32 हजार से ज्यादा वोट से हराकर  बड़ी जीत दर्ज की।   खंडवा में भाजपा प्रत्याशी अमृता यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी आशा मिश्रा को   9765 वोटों से  पराजित किया।  उज्जैन में भाजपा प्रत्याशी   मुकेश कटवाल ने कांग्रेस के महेश परमार को 923 वोट से पटखनी दी।  इसी तरह बुरहानपुर में भाजपा प्रत्याशी  माधुरी पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी शहनाज अंसारी को 542 वोटों से  पराजित किया।  बीजेपी की जीत में यहां एआईएआईएम  फैक्टर का बड़ा योगदान रहा  जिसके  उम्मीदवार को मिले 10274 वोटों  ने हार जीत के अंतर को काम किया और यहाँ  मुकलबले को त्रिकोणीय बनाया ।  सतना में योग्रेश ताम्रकार ने कांग्रेस  प्रत्याशी  सिद्धार्थ कुशवाहा को 24 हजार 916 वोट से हराया।   सागर में भाजपा की संगीता तिवारी ने कांग्रेस की निधि जैन को 12, 655 वोटों से    पराजित किया।    

जबलपुर , ग्वालियर , सिंगरौली में नहीं खिल पाया कमल

पहले चरण में आये चुनाव परिणामों में सिंगरौली महापौर चुनाव में आप उम्मीदवार रानी अग्रवाल के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा  को  9159 वोटों से पराजित किया । सिंगरौली से 'आप' की इंट्री ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।  वहीँ   जबलपुर नगर निगम के महापौर की कुर्सी बीजेपी के हाथों से निकल गई । कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नू ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. जितेंद्र जामदार को 44339 वोटों से पराजित किया । ग्वालियर कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी  शोभा सिकरवार भाजपा की सुमन शर्मा से 28805 मतों से जीत दर्ज की ।  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के गृहनगर छिंदवाड़ा से पार्टी प्रत्याशी विक्रम अहाके ने भाजपा के  आनंद धुर्वे  को 3547 वोटों से  पराजित किया  ।

दूसरे चरण में दो में भाजपा, दो में कांग्रेस और एक पर निर्दलीय की जीत 

आज 5 नगर निगम में महापौर पद के लिए आये चुनाव परिणामों में  दो में भाजपा, दो में कांग्रेस और एक पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की। रीवा में कांग्रेस प्रत्याशी अजय मिश्रा ने 9 हजार से ज्यादा वोटों से बीजेपी प्रत्याशी प्रबोध व्यास को  पराजित किया । 24 साल के बाद रीवा में  कांग्रेस की वापसी हुई है। वहीँ मुरैना में कांग्रेस प्रत्याशी शारदा सोलंकी ने 12874 वोटों से जीत दर्ज की। रतलाम में भाजपा के महापौर प्रत्याशी प्रहलाद पटेल 8591 वोट से चुनाव  जीते ।  देवास में बीजेपी प्रत्याशी गीता अग्रवाल ने 45884 वोटों से जीत दर्ज की।  कटनी में .प्रीति सूरी भाजपा से बागी होकर मैदान में उतरी थी और उन्होंने भाजपा  की ज्योति दीक्षित को 5000  मतों से पराजित किया । 

ग्वालियर , चम्बल और महाकौशल क्षेत्र  में भाजपा के सामने अब बड़ा खतरा 

 निकाय चुनावों के परिणामों के आने के बाद अब ग्वालियर , मुरैना  और  चम्बल के नेता  ज्योतिरादित्य सिंधिया,नरेंद्र तोमर,नरोत्तम मिश्रा और वीडी शर्मा के वर्चस्व को  आने वाले दिनों में खतरा होगा। वही खजुराहो लोकसभा में आने वाले कटनी निगम में हार के  साथ ही   सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व पर भी सीधे  सवाल  उठने लाजमी हैं।  कटनी का परिणाम इसलिए भी दिलचस्प बन गया  क्योंकि यहाँ पर प्रीती सूरी का टिकट प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपनी मर्जी से काटा था और उनकी जगह पर ज्योति दीक्षित  को टिकट दिलवाया था और उनके पक्ष में धुंआधार प्रचार भी किया था  वहीँ मुरैना में मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान के मोर्चा  संभालने  के साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ केंद्रीय मंत्री  ज्योतिरादित्य सिंधिया ने  खुद कमान संभाली हुई थी। इन सब के बाद भी यहाँ  नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का सधा प्रबंधन भाजपा पर भारी पड़ा। जबलपुर में  सांसद राकेश सिंह पर भी सवाल उठने लाजमी हैं।  संघ के पसंदीदा  उम्मीदवारों को वो जितनी में कामयाब नहीं हो सके इसलिए सवाल तो उठेंगे ही।  शिवपुरी की जीत और उनके प्रभारी  जिले देवास में भाजपा की ऐतिहासिक  जीत का सेहरा कैबिनेट मंत्री  यशोधरा राजे सिंधिया के सिर बेशक  बाँधा जा सकता है लेकिन उससे सटे  ग्वालियर , चम्बल  , मुरैना और महाकौशल में भाजपा का फीका प्रदर्शन कई सवालों को झटके में खड़ा कर देता है।    शिवपुरी और ग्वालियर में भी सिंधिया समर्थक और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के गुट  अब  चुनाव परिणामों के  आने के बाद आमने -सामने आ गए हैं।  मुरैना और ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को महापौर का टिकट दिलाने में कामयाब नहीं हो पाए थे।  अब शिवपुरी से लेकर ग्वालियर और गुना से लेकर अशोकनगर तक जिला पंचायत की कुर्सी अपने समर्थकों को दिलाने के लिए  इनके समर्थक एक बार फिर से  सक्रिय हो चुके हैं।   दिल्ली में  केंद्रीय  मंत्री सिंधिया से नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों  से  मुलाक़ात जारी है ।  उधर शराबबंदी के मुद्दे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के गढ़ में भी भाजपा  का सूपड़ा साफ़ हो गया है।  सटई  में  भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ी है जो कहीं न कहीं भाजपा के लिए बड़ी  खतरे की घण्टी है।  आने वाले दिनों  में पूर्व केंद्रीय मुख्यमंत्री उमा भारती के शिवराज सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अगर इसी तरह से जारी रहते हैं तो पार्टी को मुश्किलों का सामना  करना पड़ सकता है।  वैसे भी शराबबंदी के मसले पर साध्वी अपने बयानों के चलते शिवराज सरकार को कठघरे में खड़ा करती  रहीं हैं।  

मध्य प्रदेश में संघ की जड़ें काफी मजबूत रही हैं।  इन सबके बाद भी ग्वालियर , चम्बल , मुरैना और जबलपुर में भाजपा  प्रत्याशियों की हार भाजपा के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ाने का काम करेगी।  महाकौशल के समूचे इलाके के भाजपा  विधायकों की शिवराज सरकार से नाराजगी ने इस चुनाव में भाजपा का  खेला कर दिया।  

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बचाई अपनी साख 

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ  ने अपने  गढ़  छिंदवाड़ा में साख  बचाई  है।  इसमें कमल नाथ का छिंदवाड़ा मॉडल भी जीत की वजह बताया जा रहा है।  घोषित चुनाव  परिणाम भी इसकी झलक पेश कर रहे  हैं । ग्वालियर , चम्बल और महाकौशल क्षेत्र  में  नेता प्रतिपक्ष गोविन्द  सिंह के साथ मिलकर उन्होनें सधी हुई रणनीति से कांग्रेस को जीत दिलाई।  इस इलाके में भाजपा के बड़े नेताओं और प्रचार तंत्र के बाद भी अधिकांश सीटें कांग्रेस की झोली में गयी हैं।  हालाँकि कांग्रेस  प्रदेश में अपना वो प्रभाव दिखाने में कामयाब नहीं हुई जैसी उम्मीदें  लगायी जा रही थी।   कांग्रेस को भी इस चुनाव परिणाम से सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि तस्वीर वैसी नहीं है, जैसी नजर आ रही है।  कांग्रेस को चाहिए  वह मजबूती से विपक्ष की भूमिका निभाए और अपनी गुटबाजी पर रोक लगाए।  अभी भी कांग्रेस में गुटबाजी का पुराना दौर देखने को मिल रहा  है।  नेताओं के बीच दूरियां  हैं। कार्यकर्ता हताश और निराश है।  कार्यकर्ताओं की कहीं सुनवाई नहीं हो रही।  केंद्रीय नेतृत्व  को प्रदेश से कुछ भी लेना देना नहीं रहा गया है।  विधानसभा की चुनावी  गिनती शुरू होने से पहले   इस बात पर कांग्रेस को गंभीरता से विचार करना  होगा नहीं तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  से मुकाबला करना आने वाले दिनों में  उसके लिए बहुत  मुश्किल होगा।  

भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पसंदीदा प्रत्याशी विभा पटेल की हार के बाद अब हार का ठीकरा दिग्गी राजा के सिर पर फोड़ने की तैयारी है।  तीन बरस पहले दिग्गी राजा खुद साध्वी प्रज्ञा के हाथों बुरी तरह से पराजित हो गए थे और अब उनकी पसंदीदा प्रत्याशी विभा पटेल की हार के बाद दिग्गी की भविष्य की सियासत को लेकर प्रश्नचिह्न लग गोया है।  भोपाल  कांग्रेस भवन में ग्वालियर जीत का सेहरा  नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह , छिंदवाड़ा की जीत पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और जबलपुर की जीत को विवेक तन्खा की जीत बताकर भुनाने की तैयारी है।  विभा पटेल से भी आने वाले दिनों में महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद छीना  जा सकता है  और आने वाले दिनों  में  पूर्व  मुख्यमंत्री  कमलनाथ , नेता प्रतिपक्ष डॉ  गोविन्द सिंह, और विवेक तन्खा की तिकड़ी  के भरोसे  कांग्रेस 2023  की वैतरणी पार करेगी इन संभावनाओं से अब इंकार नहीं किया जा सकता।  

मध्य प्रदेश में शिवराज का कोई विकल्प फिलहाल नहीं 

एंटी  इंकम्बैंसी  के बीच 16 महापौरों में से  9  पर भाजपा के कब्जे के बाद इस जीत ने  साबित किया  है मध्य प्रदेश भाजपा में शिवराज का सिक्का मजबूती के साथ आज भी  चलता है और उन्हीं के अनुभव और अगुवाई में भाजपा चुनाव दर चुनाव सफलता के नए आयाम गढ़ पाने में कामयाब हो सकती है। शिवराज की बुधनी विधानसभा में भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर दिया है।   2018 में प्रदेश में कमलनाथ की सरकार आने के बाद से शिवराज का विकल्प प्रदेश में  खोजने की बातें गाहे -बगाहे उठती रही हैं। प्रदेश  भाजपा  के कई नेता इस कतार में खुद को शामिल बताने से आज भी पीछे नहीं हैं  लेकिन प्रदेश के  निकाय चुनाव परिणामों  ने एक बार फिर से साबित किया है मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भाजपा एकजुट होकर चुनावी मैदान में मुकाबला कर सकती है।  नगर निगमों और परिषदों में भाजपा सदस्यों की विजय के बाद  केन्द्रीय स्तर पर  सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का  कद एक बार फिर  बढ़  गया है  और उनके उत्तराधिकारी  को खोजने की अटकलों पर फिलहाल पूरी तरह से  विराम लग गया है।  2023 के  चुनावी  काउन डाउन के  शुरू होने से पहले पार्टी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुभव का पूरा लाभ लेना चाहती है।    

जीत पर मुख्यमंत्री शिवराज  ने दी बधाई

मुख्यमंत्री  चौहान ने मतदाताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा भाजपा सरकार इस जनादेश  का सम्मान  करते  हुए  प्रदेश के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।  

 निकाय चुनाव 2023 से पहले सत्ता का सेमीफाइनल

निकाय चुनावों  ने 2023 में होने वाले विधान सभा चुनावों का बिगुल बजा दिया है।  विधानसभा  चुनावों से ठीक पहले हुए इन चुनावों को  सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में यूं ही नहीं देखा जा रहा है । भाजपा  और कांग्रेस दोनों दलों के सामने यहाँ अपनी पुरानी सीटों को बरकरार रखने की चुनौती थी । 2018 में  कुछ सीटों से पिछड़ने  के चलते भाजपा के हाथ से सत्ता फिसल गई थी। इस बार के चुनाव में दोनों दलों ने  एक दूसरे को कड़ी टक्कर दी। निकाय चुनावों के परिणामों ने  राजनीतिक दलों को  आईना दिखाने का काम किया है।  अब  दोनों राष्ट्रीय दलों के सामने  यहाँ पर अपने वोट बैंक को बचाने की बड़ी चुनौती तो है , साथ ही में आप  के सिंगरौली में उभार को काउंटर करने की बड़ी चुनौती भी  सामने खड़ी  है।  

 

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