फ्रांस को पेनाल्टी शूट आउट में शिकस्त देकर अर्जेंटीना ने फीफा वर्ल्ड कप 2022 जीतकर मानो इतिहास में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इसी के साथ ही लियोनल मेसी का वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना अपने अंतिम विश्व कप में पूरा हो गया। लियोनेल मेसी ने 35 साल की उम्र में इतिहास रचा और टीम को वर्ल्ड चैम्पियन बनाया। अर्जेंटीना ने फीफा वर्ल्ड कप फाइनल में फ्रांस को पेनल्टी शूट आउट में हुए रोमांचक मैच में 4-2 से शिकस्त दी । 90 मिनट के मैच के शुरूआती समय तक दोनों टीमें 2-2 की बराबरी पर थी। मैच बहुत रोमांचक था और अतिरिक्त समय मिलने के बाद भी के बाद मुकाबला भी 3-3 की बराबरी पर छूटा । अर्जेंटीना ने पहले हाफ से लेकर दूसरे हाफ तक लगातार फ्रांस पर पूरी तरह से दबाव बनाए रखा। टीम ने फ्रांस को गोल करने का एक भी मौका नहीं दिया। इसके बाद अंतिम पलों में पेनल्टी शूटआउट से फैसला हुआ। फाइनल में मेसी ने दो गोल किए। वहीं, फ्रांस के लिए किलियन एमबाप्पे ने हैट्रिक जमाई।
अर्जेंटीना ने 36 साल बाद फूटबाल विश्वकप का खिताब अपने नाम किया है। इससे पहले उसे 1986 में खिताबी कामयाबी मिली थी। अर्जेंटीना का यह ओवरऑल तीसरा खिताब है। टीम 1978 में पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनी थी, वहीं फ्रांस का लगातार दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना अधूरा रहा गया। टीम 2018 में चैंपियन बनी थी। अर्जेंटीना ने वर्ल्ड कप में अब तक 5 फाइनल खेले हैं। इसमें से 2 जीते हैं। अर्जेंटीना ने वर्ल्ड कप 1930 में पहला फाइनल खेला था। 2014 में उसे जर्मनी ने 1-0 से हराया था। फ्रांस दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में पेनल्टी शूटआउट में हारा है। इससे पहले उसे 2006 में इटली के खिलाफ फाइनल मुकाबले में पेनल्टी शूटआउट में हार मिली थी। पिछले वर्ल्ड कप की तरह इस बार भी फ्रांस फाइनल में पहुंचा। 2018 में उसका मुकाबला क्रोएशिया से हुआ था। इस बार उसका मुकाबला मेसी की टीम अर्जेंटीना से था । इस वर्ल्ड कप से पहले फ्रांस के बड़े खिलाड़ी जैसे, बेंजेमा, पोग्बा, कांटे और एंकुकु चोटिल हो गए लेकिन इसके बाद भी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और दुनिया की हर छोटी और बड़ी टीमों के साथ अर्जेंटीना के साथ रोमांचक खेल खेला। इसके बावजूद टीम के मैनेजर डिडियर डिस्चेम्पस ने एक संतुलित टीम बनाई और उसे लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल तक लेकर गए।
फीफा वर्ल्ड कप 2022 में कुल 32 टीमों ने इस बार भाग लिया और कुल 48 लीग मैच खेले। हर मैच उतार और चढ़ाव से भरपूर थे। इस विश्व कप में एशिया की टीमों ने अपने युवा खिलाडियों से पूरी दुनिया को प्रभावित किया। जापान, दक्षिण कोरिया और सऊदी अरब की टीमें भले ही आगे नहीं जा सकी लेकिन और हर मैच में अपने आकर्षक खेल से एशियाई देशों की टीमों ने करोड़ों फ़ुटबाल प्रेमियों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सेमीफ़ाइनल में फतह हासिल करने के बाद इस बार अर्जेंटीना के खिलाडियों के हौंसले इस कदर बुलंद थे कि फ़ाइनल में वह फ़्रांस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने में सफल हुई। फ़्रांस और अर्जन्टीना के बीच खेले गए फ़ाइनल मैच का रोमांच अंतिम समय तक बना रहा जिस कारण मैच एक्स्ट्रा टाइम तक जा पंहुचा। लियोनल मेसी अपना दूसरा वर्ल्ड कप फाइनल खेला। वह 2014 के फीफा वर्ल्ड कप फाइनल में भी अर्जेंटीना से खेले थे। तब टीम को जर्मनी ने 1-0 से हरा दिया था। मेसी के वर्ल्ड कप करियर का यह 26वां मैच भी रहा। मेसी ने जर्मनी के लोथार माथौस का रिकॉर्ड तोड़ा। इस खिलाड़ी ने फाइनल में अपने करिश्मे से सबका दिल जीत लिया। इसमें कोई दो राय नहीं इस बार के फीफा विश्व कप के हर मैच में फ़्रांस की टीम ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया लेकिन फ़ाइनल में टीम बहुत ज्यादा डिफेंसिव हो गई जिसके चलते अंतिम समय में टीम की रक्षापंक्ति बिखरती नजर आई। फ्रांस की टीम फाइनल हारने के बाद गम में डूबी उदास थी। उनके खिलाड़ी ग्राउंड पर ही रो पड़े। किलियन एम्बाप्पे वहीं बैठ गए। उन्हें उदास देख फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों उनके पास पहुंचे गए और एम्बाप्पे को गले लगा लिया।
2014 के फाइनल मैच में अर्जन्टीना की टीम को जर्मनी की टीम को कड़ी टक्कर दी वहीँ अर्जन्टीना की टीम इस विश्व कप में भी लियोनल मेसी पर ज्यादा निर्भर रही। मेसी ने हर मैच में अपनी पकड़ मजबूत की वही टिकी –टाका खेल से इस विश्व कप में नई इबारत गढ़ने का काम किया और यह बता दिया अगर छोटे छोटे पासों के साथ खेला जाए तो हर टीम की रक्षापंक्ति के साथ भेदा जा सकता है । हर विश्व कप में अर्जन्टीना की टीम मेसी पर इस कदर निर्भर रहती है। अक्सर फाइनल में मैसी पर दबावों का पहाड़ खड़ा हो जाता था जिसके बोझ तले वह अपना वास्तविक खेल खेलने में नाकाम रहते थे लेकिन क़तर पहुंचे अर्जन्टीना के करोड़ों समर्थकों को इस बार मेसी ने निराश नहीं किया। अपने लाजवाब खेल का मुजायरा कर उन्होनें सबका दिल जीत लिया। फाइनल मैच में हर किसी खिलाड़ी का दिन होता है और फीफा में इस बार फ़ाइनल मेसी का दिन था और अपने स्वाभाविक खेल से उन्होनें अंतिम समय में फ़्रांस के खिलाडियों के तोते उड़ा दिए। फ़ाइनल मैच में अपने स्टार खिलाडी के चलने से यह विश्वकप अर्जन्टीना के नाम रहा। फ़्रांस के समर्थकों के हाव भावों को देखकर समझा जा सकता है जिनकी आँखों में मायूसी के आंसू नजर आ रहे थे। माराडोना ने अर्जेंटीना को वर्ष 1986 में वर्ल्ड कप जिताया था और इस बार मेसी ने कमाल कर दिखाया और खुद को रोनाल्डो, माराडोना से भी बेहतर साबित कर दिखाया। 2014 में ये टीम वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंची थी। 2018 में अर्जेंटीना राउंड ऑफ 16 में बाहर हो गई थी। 2021 में टीम ने वापसी की और कोपा अमेरिका ट्रॉफी अपने नाम की। टीम के हेड कोच लियोनल स्कालोनी टीम के लिए बहुत अच्छे साबित हुए हैं। स्कालोनी फीफा वर्ल्ड कप 2018 के बाद अर्जेंटीना के कोच बने। उसके बाद वे अर्जेंटीना को दो इंटरनेशनल ट्रॉफी दिला चुके हैं। टीम के मिड-फील्डर एंजल डी मरिया और डी पॉल भी हमेशा की तरह इस बार अच्छे फॉर्म में नजर आये । डिफेंस में लिसांड्रो मार्टिनेज के आने से यह टीम और मजबूत हो गई । वहीँ फाइनल खेलने वाली फ्रांस की टीम के नाम 2 वर्ल्ड कप का खिताब दर्ज थे । डिफेंडिंग चैंपियंस ने 2018 में वर्ल्ड कप जीता था। इससे पहले वर्ष 1998 वर्ल्ड कप पर भी फ्रांस ने कब्जा जमाया था। यूरो 2020 में फ्रांस राउंड ऑफ 16 में बाहर हो गया था। बेशक इस साल वह फाइनल में हार गई लेकिन उसकी टीम कुछ संतुलित नजर आई । टीम के स्टार स्ट्राइकर किलियन एम्बाप्पे पर सबकी नजर थी। पिछले एक साल बेंजेमा ने कमाल का फॉर्म दिखाया। इस साल उन्हें फुटबॉल का सर्वोच्च सम्मान भी मिला। बेंजेमा सरीखे कई खिलाडियों की चोट ने टीम को झटका दिया । इससे टीम के चैंपियन बनने की राह कठिन जरूर हुई लेकिन खिलाडियों के चोटिल होने के बाद भी टीम ने हार नहीं मानी।
जर्मनी की टीम को भी इस बार पहले बड़ा दावेदार माना जा रहा था लेकिन इस विश्व कप में जर्मनी के सारे सूरमा फीके पड़ गए। वैसे भी जर्मनी की टीम का दुर्भाग्य यह रहा कई मौकों पर जर्मनी की टीम वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल खेलती आई थी लेकिन फाइनल में या तो वह बाहर हो जाती थी या फ़ाइनल में वह रनर अप टीम रहती थी लेकिन इस बार भाग्य ने जर्मनी के खिलाडियों का साथ नहीं दिया और खिलाडियों में टीम स्प्रिट की कमी साफ़ नजर आई।
यह फीफा विश्वकप कई मायनों में इस बार खास रहा। हर मैचों का रोमांच देखते ही बनता था और कई मजबूत समझे जाने वाली कई टीमों की विदाई जल्द हो गई। उरुग्वे , जर्मनी , ब्राजील , बेल्जियम का प्रदर्शन पूरी तरह से फीका रहा। फीफा वर्ल्ड कप में वर्ल्ड नंबर-2 बेल्जियम को मोरक्को के हाथों 0-2 से हार का सामना करना पड़ा वहीँ क्रोएशिया सरीखी टीम ने कई बार की चैम्पियन ब्राजील का बोरिया बिस्तरा बाध दिया और अपनी ख़ास छाप छोड़ी। क्रोएशिया के लिवाकोविच ने तो अपने प्रदर्शन से हर किसी को प्रभावित किया।
वर्ल्ड कप के इतिहास में ब्राजील के पास सबसे ज्यादा खिताब हैं। ब्राजील ने 5 बार वर्ल्ड कप जीता है। आखिरी बार 2002 में वर्ल्ड कप जीता था। 2018 में ब्राजील की टीम क्वार्टर फाइनल से बाहर हो गई थी। टीम को बेल्जियम के खिलाफ 2-1 से शिकस्त मिली थी। ब्राजील का अटैकिंग लाइनअप बहुत मजबूत था लेकिन इस बार उसकी टीम ने लोगों को निराश किया । फीफा टूर्नामेंट की शुरुआत 92 साल पहले 1930 में हुई थी। अब तक ब्राजील ने सबसे ज्यादा पांच बार इस खिताब को अपने नाम किया है, लेकिन वह 20 साल से ट्रॉफी नहीं उठा पाया है। ब्राजील पिछली बार 2002 में चैंपियन बना था। उससे पहले उसने 1958, 1962, 1970 और 1994 में खिताब अपने नाम किया था। ब्राजील के बाद जर्मनी और इटली चार बार चैंपियन बनी है। उसने 1954, 1974, 1990 और 2014 में खिताब जीतने में सफलता हासिल की थी। इटली 1934, 1938, 1982 और 2006 में चैंपियन बनी । अर्जेंटीना, फ्रांस और उरुग्वे की टीम दो-दो बार खिताब जीते । इंग्लैंड और स्पेन को एक-बार ट्रॉफी उठाने का मौका मिला है। नीदरलैंड, हंगरी, चेक गणराज्य, स्वीडन और क्रोएशिया की टीम फाइनल में पहुंचने के बाद भी चैंपियन नहीं बनी। पिछली बार 2018 में यह टूर्नामेंट रूस में खेला गया था। वहां फ्रांस ने फाइनल मैच में क्रोएशिया को हराया था। इस बार कई युवा सितारे आकर्षण का केंद्र बने जिनमें अर्जेंटीना के जूलियन अल्वारेज , स्पेन के गावी, ब्राजील के विनिसियस , क्रोएशिया के लिवाकोविच का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है।
फ़्रांस की क़तर में अर्जेंटीना के हाथो हार से शायद ही उसके प्रशंसक आने वाले दिनों में उबरे। जो भी हो विश्व कप आयोजन से पूर्व क़तर में खेल की तैयारियों को लेकर कई तरह के सवाल जरुर उठाये गए लेकिन क़तर ने अपने शानदार आयोजन से इस विश्व कप को यादगार बना दिया। क़तर में विश्व कप के दौरान खास तरह का चकाचौंध देखने को मिला। पूरा शहर रात में रौशनी से नहाया लग रहा था। पर्यटकों के लिए भी ये खूबसूरत शहर आकर्षण का केंद्र बना। कोरोना के बाद यहाँ का पर्यटन दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता नजर आया। कतर में हुआ विश्व कप भी उसकी प्रतिष्ठा के प्रदर्शन के लिए था। प्रवासी श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार और एलजीबीटीक्यू अधिकारों के प्रति संवेदनहीनता के लिए कतर की चाहे जितनी आलोचना की गई हो, विश्व कप के आयोजन से कतर ने लगभग वह सब हासिल कर लिया है, जो वह करना चाहता था। चार सप्ताह तक चले फुटबॉल मुकाबलों के बाद आज दुनिया में कतर की स्थिति मजबूत हुई है।। कतर में बड़ी संख्या में मोरक्को, मिस्र, जोर्डन, लेबनॉन के प्रवासी रहते हैं। भारतीयों और दक्षिण एशियाइयों की भी बड़ी तादाद नजर आई। इस बार विश्वकप के बहाने क़तर की अर्थव्यवस्था कुलाचें मारती नजर आई। टिकट को लेकर मारामारी भी खूब मची और फाइनल में तो टिकटों की कालाबाजारी भी चरम पर पहुंच गई जहाँ टिकट पाने के लिए लोगों को अपनी जेबें भी गरम करनी पड़ी। विश्व कप के आयोजन से कतर ने लगभग वह सब हासिल कर लिया है, जो वह करना चाहता था। इधर एशिया में भी फीफा का जलवा देखने को मिला। फुटबॉल से प्यार करने वाले करोड़ों दर्शकों ने जमकर देर रात तक जागकर टीवी स्क्रीनों में मैच का लुफ्त उठाया। भारत में भी करोड़ों लोगों ने इस बार फीफा के मैचो का आनंद अपने घर में लिया और बता दिया क्रिकेट के अलावे फ़ुटबाल की दीवानगी भी यहाँ सर चढ़कर बोल रही है। ‘क्रिकेट चालीसा’ टीवी में अब तक चलाते रहे भारतीय समाचार चैनलों ने भी पहली बार फुटबाल विश्व कप के मैचों को लेकर अपने विशेष प्रोग्राम चलाये जिस कारण लोगो में फुटबाल के हर मुकाबले को लेकर विशेष उत्सुकता देखने को मिली। भारतीय टीवी चैनलों का यह संकेत खेलों की सेहत के लिए कम से कम बहुत अच्छा कहा जा सकता है। अगर क्रिकेट से इतर अन्य खेलों के लिए मीडिया इसी तरह की कवरेज को प्रमुखता दे तो सभी खेलों के हमारे देश में ‘अच्छे दिन’ तो जल्द ही आ सकते हैं।
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