देश में जन-भागीदारी मॉडल का सबसे बढ़िया उपयोग किसी राज्य ने किया है तो वह मध्यप्रदेश है। प्रदेश की सरकार मुख्यमंत्री शिवराज के नेतृत्व में अपनी योजनाओं के माध्यम से समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचाने के लिए सतत रूप से कार्य कर रही है। आज से कई दशक पहले तक पहले मध्यप्रदेश विभिन्न क्षेत्रों में बहुत पीछे था और बीमारू राज्य की श्रेणी में आता था लेकिन अपने जनभागीदारी के मॉडल के जरिये उसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में विकास के नए आयाम गढ़ने में सफलता हासिल की है। लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर होता मध्यप्रदेश अब देश के विकसित प्रदेशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है।सुशासन के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की जिस अवधारणा पर जोर दिया उसे सबसे पहले मध्यप्रदेश ने साकार कर दिखाया है। बीते एक दशक से भी अधिक समय में मध्यप्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है वहीँ आधारभूत अवसंरचना के दुरुस्त होने के चलते आज मध्यप्रदेश देश की सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था वाले राज्यों में शामिल है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को जब शपथ ली तो उन्होनें कोरोना के विरूद्ध संघर्ष में खुद को एक योद्धा की तरह झोंक दिया। वह खुद कोरोना से संक्रमित हुए लेकिन इसके बाद भी हिम्मत नहीं और जनभागीदारी से कोरोना के विरुद्ध लड़ाई लड़ी जिसके अच्छे नतीजे सबके सामने आये। कोरोना के मामले जब मध्यप्रदेश में बढ़ने लगे तो सुविधाएँ बहुत कम थी और चुनौतियाँ बहुत अधिक लेकिन जनभागीदारी के मॉडल को लागू कर मुख्यमंत्री ने न केवल टेस्टिंग को बढ़ाया बल्कि नई प्रयोगशालाओं को स्थापित करने से लेकर परीक्षण किट, मास्क, आक्सीजन सिलेंडर वेंटिलेटर के साथ , आई.सी.यू. को सर्वसुलभ करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आवश्यकतानुसार अनेक शासकीय और निजी भवनों, उद्यानों, सामुदायिक केन्द्रों और शादी हॉलों को पूर्ण सुविधायुक्त क्वारेंटाइन सेन्टर में तब्दील किया गया जिसका परिणाम यह हुआ जनभागीदारी से कोरोना हार गया और मध्यप्रदेश ने पूरे देश के सामने एक नई नजीर पेश की। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण से पार पाने के और प्रदेशवासियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए जन-भागीदारी का जो मॉडल अपनाया गया, वह अन्य राज्यों के लिए चर्चा का विषय बन गया। इसमें मुख्य रूप से कोरोना सक्रंमण के उपचार की व्यवस्थाओं के साथ जन-जागरूकता संबंधी कार्यों ने महती भूमिका निभाई। मध्यप्रदेश सरकार ने हर समुदाय तक पहुँच सुनिश्चित की और टीकाकरण अभियान में सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम सुशासन के क्षेत्र में कारगर कानून है जिसके अनुसार लोक सेवकों को तय समयसीमा में काम को पूरा करने की जिम्मेदारी तय की गई है। ऐसा न होने पर जवाबदेही तय कर उन पर 500 से 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। राज्य सरकार ने आम लोगों से जुड़े कार्यों को सरल बनाने के लिए लोक सेवा गारंटी कानून में बड़े बदलाव कुछ समाय पहले किये जिसमें तहत आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, नल-बिजली कनेक्शन, इलाज राशि की मंजूरी, खसरे की नक़ल, डोमेसाइल , बिजली क्नेक्साहँ , भू अभिलेख , प्रसूति योजना , सहित सरकार द्वारा आम लोगों को दी जाने वाली 258 तरह की सेवाओं के आवेदन को अधिकारी अब नहीं लटका नहीं सकते । एक निश्चित समयावधि में या तो जनता का आवेदन मंजूर कर सेवा प्रदान करनी होगी या कारण बताकर समयावधि में ही उसे निरस्त करना होगा। यदि अफसर तय समयावधि में ऐसा नहीं करते हैं तो पोर्टल आवेदन को स्वीकृत मान लेगा और खुद ही सेवा का ऑनलाइन सर्टिफिकेट आवेदक को जारी कर देगा। लोक सेवाओं के प्रदान की गांरटी अधिनियम 2010 में अब तक 48 विभागों की 691 सेवाएं अधिसूचित की गई हैं। इसी तरह से मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान 17 सितंबर 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक संपूर्ण प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जोर शोर से सरकार द्वारा चलाया गया जिसका नेतृत्व प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान से संबंधित संपूर्ण कार्यवाही सी.एम. हैल्पलाईन पोर्टल के माध्यम से की गई । मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के अंतर्गत भारत सरकार एवं राज्य सरकार की फ्लैगशिप हितग्राहीमूलक योजनाओं का चिन्हांकन किया गया है जिसके तहत सभी पात्र हितग्राहियों को संबंधित योजना का लाभ दिलाने का प्रयास किया गया।
मुख्यमंत्री चौहान अपने इस कार्यकाल में जनता से अनावश्यक बिजली नहीं जलाने की अपील करते नजर आये हैं। उनकी मानें तो ऊर्जा का संरक्षण, जीवन का संरक्षण है। जनता अगर ऊर्जा बचाएगी , तो हवा, पानी व कोयला भी बचेगा। इसके लिए पूरे प्रदेश वासियों से मुख्यमंत्री चौहान समय समय पर अपनी अपील करते रहे हैं जिससे जनता के भीतर भी अनावश्यक बिजली न जलाने का एक भाव जगा है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता देने की रणनीति मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के पूर्व कार्यकाल में प्रारंभ हुई है। प्रदेश में सोलर पम्प के माध्यम से किसानों को सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि जनता रूफ टॉप संयंत्र घर-घर लगायें ताकि उपयोग के लिये बिजली सस्ती दरों पर मिलें। शासकीय भवनों पर सौर ऐसे संयंत्र लगाये जा रहे हैं, जिसमें हितग्राही को विभाग अथवा संस्था को कोई पैसा नहीं देना है। संयंत्र विकसित करने वाला सस्ती बिजली उपलब्ध करायेगा।एक समय था जब मध्यप्रदेश में महिलाओं को बोझ समझा जाता था । समाज की इस मानसिकता को अपनी योजनाओं के जरिए बदलने का काम मुख्यमंत्री शिवराज ने बखूबी किया है। मुख्यमंत्री चौहान ने जनभागीदारी और जागरूकता अभियानों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई कदम उठाये। मुख्यमंत्री लाड़लियों के आर्थिक सशक्तीकरण से लेकर उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण देने पर कार्य कर रहे हैं। जनजागरूकता अभियानों से आज बेटियों के प्रति समाज की सोच में जहाँ बदलाव आया है । मुख्यमंत्री शिवराज की योजनाओं का प्रतिफल है प्रदेश के लिंगानुपात के स्तर में भी तेजी से सुधार हो रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में 'एडाप्ट एन आंगनवाड़ी' अभियान इस वर्ष शुरू किया जिसमें वे स्वयं हाथ वह स्वयं ठेला लेकर आंगनवाड़ी बच्चों के लिए खिलौने एवं स्टेशनरी सामग्री प्रदान करने का जनता से आव्हान करते नजर आये। अनेक स्थानों पर लोगों ने वॉटर कूलर और फर्नीचर भी आंगनवाड़ी केंद्रों को दिए हैं। इन केंद्रों में आने वाले बच्चों के खान-पान में पौष्टिक सामग्री शामिल करने अनेक नागरिक आगे आए हैं। इस अभियान को जनता के सहयोग से ही बेहतर ढंग से संचालित किया जा रहा है। जनता के स्वैच्छिक सहयोग से अब वे बच्चे भी आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंच रहे हैं जो स्कूल नहीं ज पाते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी किसानों ने मुख्यमंत्री की एक अपील के बाद ने आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए खाद्य सामग्री प्रदान करने के कार्य में सहयोग किया है। आंगनवाड़ी केद्रों में संचालित गतिविधियों में जन-भागीदारी जुडी तो परिणाम बेहतर मिल रहे हैं। इसका असर आज पूरे प्रदेश में दिख रहा है जहाँ समाज के विभिन्न वर्ग के लोग सहयोग के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं जिनमें स्वैच्छिक संगठनों के सदस्य, अधिकारी-कर्मचारी, व्यापारी और जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में आजीविका मिशन के तहत महिला स्व सहायता समूहों ने बेहतरीन काम किया है। आज प्रदेश की महिलाएं इस योजना के माध्यम से जहाँ सशक्त हो रही हैं वहीँ समाज के सहयोग से जनरल स्टोर, रेडिमेट गारमेंट्स, आटा चक्की, सिलाई कार्य, राशन की दुकान चलाने जैसे कई कामों को बखूबी अंजाम दे रही हैं। शिवराज सरकार द्वारा महिला स्व -सहायता समूहों को सशक्त किया गया है जो उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत कर रहा है। महिलाओं के प्रति अपराध पर प्रदेश के भीतर सम्मान जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू हुआ है जिसमें हेल्पलाइन के माध्यम से महिलाएं संकट के समय सीधे काल कर रही हैं। सम्मान अभियान बेटियों को बुरी नजर से देखने वालों को सबक सिखाने के लिए और समाज में जागरूकता लाने के लिए ये अभियान चलाया जा रहा है । ये संकट के समय महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। जो महिलाएं कभी पुलिस के सामने जाने से कतराती थी आज काम के लिए घरों से बाहर जाने वाली महिलाएं अपना पंजीकरण बढ़ चढ़कर करा रही हैं और पुलिसकर्मी अपने पास उनका रिकार्ड संरक्षित रख रहे हैं। प्रदेश में ये बड़ा बदलाव है। सुशासन के लिए सरकार द्वारा समय समय पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पंचायतों का आयोजन भी किया गया है । पंचायतों के बीच से यह आवाज आई कि जब तक बेटी को बोझ से वरदान नहीं बनाएंगे, तब तक बेटी को लोग आने नहीं देंगे। उसी सोच से समाज की महिलाओं के खिलाफ सोच बदली है।
शासकीय योजनाओं की जानकारी लेने भ्रष्टाचार सम्बन्धी मामलों की शिकायत करने के लिए प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन योजना चल रही है। इसी तरह सीएम जन सेवा आय, मूल निवास, चालू नक्शा, चालू खसरा और बी-1 खतौनी की प्रतिलिपियों के लिए आवेदन की सुविधा दी जा रही है। महिला उत्पीड़न से बचाव के लिए महिला हेल्पलाइन भी काम कर रही है जिसमें हर दिन महिलाओं से सम्बंधित अपराधों एवं समस्याओं में महिला की काउंसलिंग कर तत्काल राहत पहुंचाई जाती है। इसी तरह मप्र जनसुनवाई पोर्टल बड़े पद पर कार्यरत अधिकारियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर ध्यान के लिए बड़ा प्लेटफार्म है। इसमें शिकायत दर्ज करने के लिए किसी भी दफ्तर में जाने या पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती । घर बैठे ही ऑनलाइन शिकायत दर्ज हो जाती है। मुख्यमंत्री द्वारा खुद इसकी सुनवाई की जाती है। साप्ताहिक जनसुनवाई के माध्यम से आवेदक का समाधान मौके पर ही किया जाता है ।मध्यप्रदेश समाधान पोर्टल पर घर बैठे शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर समाधान प्राप्त किया जाता है जिसके माध्यम से शिकायत लोक शिकायत निवारण विभाग में भेजी जा सकती है।मध्य प्रदेश में आमजन की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए सीएम हेल्प लाइन सेवा संचालित है। यह ऐसी सेवा है जिसका लाभ फोन कॉल के जरिए मिलता है। सीएम हेल्प लाइन पर रोजाना लगभग 80 हजार फोन कॉल सुने जाते हैं, जिन पर नागरिकों द्वारा मांगी गई जानकारी देने के साथ ही शिकायतों का निराकरण सुनिश्चित किया जाता है।
पर्यावरण के प्रति मुख्यमंत्री चौहान शुरू से ही संवेदनशील रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का मानना है हर नागरिक प्रतिदिन नहीं तो माह में एक और अपने मांगलिक कार्यक्रमों के अवसर पर एक पौधा अवश्य लगाये जिसके माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को एक बड़ी सौगात दे सकते हैं। पर्यावरण-संरक्षण के लिए समर्पित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डेढ़ साल से अधिक की लम्बी अवधि के दौरान कोई भी दिन अब तक ऐसा नहीं रहा है जब वे पेड़ लगाना भूल गए हों । अब तक वह हजार पेड़ खुद लगा चुके हैं। मध्यप्रदेश की जीवनवाहिनी नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए नमामि देवी नर्मदे यात्रा कर उन्होंने न केवल नर्मदा जल को स्वच्छ बनाए रखने में अपना बड़ा योगदान दिया है बल्कि नर्मदा मैया के दोनों तटों पर वृक्षारोपण कर प्रकृति के लिए व्यापक जन-भागीदारी भी जुटाई है। उनकी नर्मदा यात्रा से विकास के साथ जलवायु परिवर्तन में समाज को सरकार के साथ खड़ा करने में सफलता मिली है। साथ ही कई जिलों में जन-भागीदारी से पौध-रोपण कर हरियाली को बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री की पहल पर पर्यावरण के क्षेत्र में जन-भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेशव्यापी "अंकुर अभियान" का शुभारम्भ भी किया गया है जिसके माध्यम से लाखों पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह अभियान जन-भागीदारी के साथ आज भी सतत रूप के साथ जारी है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी हरियाली को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने पौध-रोपण की योजना बनाई है जिसकी मिसाल अब तक देखने को नहीं मिली है। नगरीय निकाय द्वारा नये घरों के निर्माण की अनुमति देते समय आवास परिसर में वृक्षारोपण की शर्त रखी गई है। इसी प्रकार ग्रामीणों को भी हर दिन वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
देश का दिल मध्यप्रदेश स्वच्छता के क्षेत्र में भी अपना नाम रोशन कर रहा है। पिछले 6 वर्षों में प्रदेश के इंदौर शहर ने स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इंदौर देश का पहला वॉटर-प्लस शहर भी बना है। वॉटर-प्लस श्रेणी के अंतर्गत घरों से निकलने वाले गंदे पानी को नदी या तालाबों में जाने से पूर्व ट्रीट किया जाता है जिससे पानी के अन्य स्रोत जल प्रदूषण से मुक्त होते हैं। साथ ही, इस पानी का पुनः उपयोग किया जाता है। इंदौर ने जन भागीदारी के माध्यम से अपने शहर की जीवन-रेखा कही जाने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों को नया जीवन प्रदान किया है। कभी गंदगी से भरी इन नदियों में आज बहती जल की अविरल धारा में मछलियां तैरती देखी जा सकती हैं। गंदगी दूर होने से शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। देश के सभी छोटे बड़े शहर, आज इंदौर के स्वच्छता मॉडल को अपनाना चाहते हैं। मध्य प्रदेश में सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि उज्जैन, ग्वालियर, सागर, बुरहानपुर, खंडवा, सिंगरौली, भोपाल, धार, मुंडी, छिंदवाड़ा आदि शहरों में भी स्वच्छता को प्रमुखता दी गई है। प्रदेश में स्वच्छता के इन प्रयासों के मूल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान है। सॉलिड वेस्ट के निस्तारण में भी मध्य प्रदेश एक अग्रणी राज्य है। प्रदेश के नागरिकों ने स्वच्छता में अपनी जनभागीदारी से कई नवाचार किये हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते कुछ समय से अपने काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज के रहते प्रदेश में मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे आम जनता के लिए खुले हैं। मुख्यमंत्री 18 -20 घंटे लगातार जनता के बीच रखकर काम करते हैं। सुबह 6 बजे से ही वह जिलों की समीक्षा करते नजर आते हैं। वर्चुअल मीटिंग में भी कलेक्टरों और अधिकारियों की तगड़ी क्लास लगाते हैं। जनता के बीच जाकर सीधे उनसे संवाद स्थापित करते हैं और मौके पर मुख्यमंत्री दरबार लगाते हैं और जन समस्याओं को सुनकर बड़ी कार्रवाई करने से परहेज नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं हर महीने जिलों के कार्यों की समीक्षा करते हैं, लापरवाह अधिकारियों को ऑन द स्पॉट सस्पेंड किया जाता है, वहीं अच्छे काम करने वाले अधिकारियों को जनता के सामने सराहा जाता है और पुरस्कृत किया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज अचानक सुबह 6 बजे किसी भी जिले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भी समीक्षा कर लेते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज अपनी सभाओं में सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजने की बात कहकर जनता का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता को मध्य प्रदेश की मालिक बताते हैं इसलिए वह नहीं चाहते उनके कार्यकाल में आम जनता को किसी भी तरह की परेशानी हो।
पिछले दिनों मध्यप्रदेश ने पूरे देश में नंबर एक आकर एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। प्रदेश को राष्ट्रीय गुड गवर्नेस इंडेक्स में पहला स्थान हासिल हुआ है। मध्य प्रदेश में सुशासन के लिए सीएम हेल्पलाइन, जन सुनवाई, समाधान ऑनलाइन जनता से जुड़ने, मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान, जैसे कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं, जहां पर जनता सीधे कोई भी सुझाव दे सकती है। किसी समस्या की शिकायत भी कर सकती है। यह सेवाएं सुशासन के सशक्त माध्यम है। आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश में 5जी तकनीक का इस्तेमाल होने के बाद में गुड गवर्नेंस के कार्यों में तेजी आएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में प्रदेश को अग्रणी बनाकर आगामी वर्षों में आत्म-निर्भर बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिये आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश रोडमेप-2023 तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर 'आत्मनिर्भर भारत' की तर्ज पर राज्य ने 'आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश'' के रोडमेप में को मूर्त रूप देना प्रारंभ कर दिया है।
Sunday 1 January 2023
जन-भागीदारी मॉडल से सुशासन में मॉडल स्टेट बना देश का हृदयस्थल मध्यप्रदेश
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