Friday 26 May 2023

मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आ रहा है बदलाव





 
जीवन के प्रत्येक अनुभव को शिक्षा कहा जाता है। वास्तव में शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षा जीवन के प्राय: प्रत्येक अनुभव के भंडार में वृद्धि करती है। मनुष्य जन्म से मृत्यु तक जो कुछ भी सीखता है और अनुभव करता है वह शिक्षा के व्यापक अर्थ के अंतर्गत आता है। उसके सीखने और अनुभव करने का परिणाम यह होता है कि वह धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार से अपने भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक वातावरण से सामंजस्य स्थापित कर लेता है। शिक्षा मनुष्य जीवन के परिष्कार एवं विकास की कहानी है। शिक्षा राष्ट्र के व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए साक्षर होना बेहद आवश्यक है।  जीवन को समझना है, तो हमें शिक्षा का महत्व भी समझना होगा। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बच्चों, विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा शिक्षा को लेकर अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं।
 
मध्यप्रदेश में शिक्षा तक सभी की पहुंच आसान बनाने के क्षेत्र में शिवराज सरकार लगातार बेहतर कार्य कर रही है।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में साक्षरता दर में और इजाफा करने के उद्देश्य से 'नवभारत साक्षरता कार्यक्रम'  सरीखे अनेक अभियान संचालित किए जा रहे हैं जो प्रदेश में शिक्षा की तस्वीर बदलने का काम कर रहे हैं। निरक्षरों को साक्षर करने में 'अक्षर साथी' अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने एडॉप्ट आंगनवाड़ी अभियानों और बेटियों को पढ़ाने के संकल्पों ने समाज की सोच को बदलने का काम किया है। बालिकाओं के लिए  लाड़ली लक्ष्मी, नि:शुल्क साइकिल वितरण, सामान्य निर्धन वर्ग के परिवारों की बालिकाओं के लिए छात्रवृत्ति, बालिका शिक्षा के लिए केंद्र सरकार के सुकन्या समृद्धि योजना, बालिका छात्रावास, बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना जैसे कार्यक्रमों ने बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने का काम किया है। 
 
2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों को देखें, तो प्रदेश को महिला साक्षरता में ज्यादा सफलता मिली है। 2001 की तुलना में 2011 की जनगणना में महिला साक्षरता में 9.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जो यह प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। पुरुष  साक्षरता में इंदौर 89.2 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर, जबलपुर 89.1 के साथ दूसरे, भोपाल 87.4 के साथ तीसरे, भिंड 87.2 के साथ चौथे और बालाघाट 87.1 के साथ पांचवें स्थान पर है। इसी तरह महिला साक्षरता में भोपाल 76.6 प्रतिशत के साथ पहले, जबलपुर 75.3 प्रतिशत के साथ दूसरे और इंदौर 74.9 के साथ तीसरे , बालाघाट 69.7 के साथ चौथे और 68.3 प्रतिशत के साथ ग्वालियर पांचवें स्थान पर बना है। मध्यप्रदेश के मंडला जिले को देश के पहले कार्यात्मक रूप से साक्षर जिले के रूप में घोषित किया गया है। 2011 की जनगणना में मंडला जिले में साक्षरता 68 प्रतिशत थी। इसे देखते हुए वर्ष 2020 में निरक्षरता से आजादी अभियान की प्रदेश में शुरुआत हुई, जिसमें महिला एवं  बाल विकास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, आंगनवाड़ी और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहयोग किया और गांव की शिक्षित महिलाओं को अभियान में जोड़ा गया, इसके बाद अभियान में लोग जुड़ते गए और इस अभियान से सभी को साक्षर करने में मदद मिली। अब मंडला जिला के ग्रामीणों  को बुनियादी अक्षर का ज्ञान है।  केन्द्र सरकार ने 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति जारी की और मध्यप्रदेश ने 26 अगस्त 2021 को इसे राज्य में लागू करने की घोषणा की। मध्यप्रदेश नई शिक्षा नीति लागू करने वाला कर्नाटक के बाद दूसरा राज्य है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन में मार्गदर्शन और सुक्षाव देने के लिए राज्य स्तर पर टॉस्क फोर्स का गठन किया है। नई शिक्षा नीति के हर पहलू के क्रियान्वयन में योजना बनाकर रणनीतियां विकसित की गई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश भर में 9500 सीएम राइज स्कूल बनाने का लक्ष्य रखा है। योजना के तहत स्कूल हर 15- 20 किलोमीटर पर रहेगा। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में सीएम राइज योजना अहम भूमिका निभाएगी।
 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना राज्य सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकता है, जिसे पूरा करने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। मध्‍यप्रदेश में 69 सीएम राइज स्कूलों का भूमि पूजन के बाद से सीएम राइज स्‍कूलों को खोलने के काम में अब तेजी आ चुकी है। सरकार द्वारा सीएम राइज योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और नए अधिक आधुनिक स्कूलों की स्थापना के साथ नवनियुक्त शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करना है। भारत सरकार की नई शिक्षा पॉलिसी के तहत आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु सीएम राइज योजना शुरु की गई है। इस योजना के तहत 9500 सीएम राइज स्कूल पूरे राज्य में खोले जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा खोले गए स्कूलों में बैंकिंग, अकाउंट, डिजिटल स्टूडियो, कैफेटेरिया, थिंकिंग एरिया, जिम, स्विमिंग पूल आदि सुविधाएं उपलब्ध होगी। राज्य में युवाओं को रोजगार के समुचित अवसर प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज कौशल विकास प्रशिक्षण पर भी काफी जोर दे रहे हैं। राज्‍य में उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार की योजना के तहत पहली से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार राज्य में 730 ‘पीएम श्री स्कूल’ स्थापित करने के फैसले को अपनी  मंजूरी प्रदान की है।  प्रदेश के 313 ब्लॉक में से हरेक में दो स्कूल और 52 जिला शहरी निकायों में 104 स्कूल स्थापित किए जाएंगे।  


मध्यप्रदेश सरकार ने  ‘मुख्यमंत्री सीखो- कमाओ योजना’  लागू करने की स्वीकृति दी है जो युवाओं के लिए स्वाभिमान और सम्मान का प्रतीक बनेगी। मध्यप्रदेश के लाड़ले शिवराज मामा ने युवाओं को कौशल को बढ़ाने और बेरोजगारी को दूर करने के लिए अपनी युवा नीति के माध्यम से प्रदेश को एक नई  दिशा देने का काम किया है। इसके अंतर्गत युवाओं को अपने संबंधित क्षेत्र में ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी और ट्रेनिंग के दौरान युवाओं को प्रतिमाह 8000 रु प्रदान किए जाएंगे। मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के युवाओं को हर तरह से विकसित करने के लिए कई तरह की नीतियां बनाई  है जिसके लिए युवा आयोग का गठन भी किया गया है। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प है कि शिक्षा का माध्यम मातृ-भाषा बने। शिक्षा मंत्रालय ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई  शुरू करने की जरूरत बताई जिसके बाद सरकार ने मातृभाषा पर ज़ोर देते हुए हिन्दी में पढ़ाई शुरू करने की दिशा में अपने कदम तेजी से बढ़ाये हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मानते हैं कि विद्यार्थी अंग्रेजी अवश्य सीखें, पर शिक्षा अंग्रेजी में ही संभव है, इस विचार से मुक्ति मिलनी जरूरी है। 

हिन्दी में पढ़ाई के लिए देश में आत्म-विश्वास पैदा करना आवश्यक है। मेडिकल और  इंजीनियरिंग  की पढ़ाई हिन्दी में शुरू करने वाला देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश के दूरदर्शी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  की सोच से बना है। प्रदेश में मेडिकल के साथ ही आने वाले दिनों में नर्सिंग और पैरामेडिकल की पढ़ाई भी हिन्दी में कराई जाएगी। 

हिन्दी के प्रयोग से जहाँ इंजीनियरिंग, मेडिकल की पढ़ाई  का दायरा बढ़ेगा वहीँ समाज के हर वर्ग के प्रतिभाशाली युवा तकनीकी पढ़ाई के लिए आगे आएंगे।  इससे पठन - पाठन का  स्तर जहाँ सुधरेगा वहीँ  भारतीय भाषाओँ में शोध की गुणवत्ता और स्तर में भी सुधार होगा।

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