मध्यप्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ ने कई जिलों में तबाही मचाई लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की संवेदनशीलता ने राहत कार्यों को एक नई दिशा देने का कार्य किया है। उनकी कार्यशैली में जनता की सुरक्षा और जनकल्याण पहली प्राथमिकता है जिसका स्पष्ट प्रमाण हाल के दिनों में अतिवृष्टि और बाढ़ के दौरान प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदाओं में किए गए राहत कार्यों और अनेक फैसलों में देखा जा सकता है।
प्राकृतिक आपदा के समय त्वरित निर्णय लेने की सबसे अधिक आवश्यकता किसी भी शासक को होती है। डॉ. मोहन यादव ने अपने अभी तक के कार्यकाल में इस बात को साबित किया है आपदा की घड़ी में त्वरित निर्णय लेकर अनेक जिंदगियों को बचाया जा सकता है। डॉ. मोहन यादव ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि जान-माल की सुरक्षा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इन दिनों बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे राहत कार्यों की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार समीक्षा कर रहे हैं जिसके चलते प्रशासन भी पूरा मुस्तैद नजर आ रहा है। मध्यप्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण उत्पन्न संकट के दौरान उन्होंने अपनी त्वरित कार्रवाई और प्रशासन के समन्वित प्रयासों के माध्यम से प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोहन सरकार ने अतिवृष्टि से प्रभावित 432 बचाव अभियान चलाकर 3628 नागरिकों को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया और 53 राहत शिविरों में 3065 लोगों को भोजन, दवाइयां, कपड़े और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान की। प्रदेश में तैनात बचाव राहत दलों द्वारा 432 बचाव अभियान चलाए गए जिसमें 3628 नागरिकों तथा 94 मवेशियों को जीवित बचाया गया।मुख्यमंत्री डॉ. यादव में एक कुशल प्रशासक के साथ एक संवेदनशील राजनेता की छवि भी दिखाई देती है। वे आपदा प्रभावित लोगों की मदद के लिए तत्काल पहुंचते हैं और प्रशासन को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी देते हैं। उन्होनें स्वयं आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। गुना में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को समझकर तत्काल समाधान के निर्देश दिए। उनकी यह संवेदनशीलता न केवल प्रशासन को प्रेरित करती है, बल्कि जनता में भी विश्वास जगाती है कि सरकार उनके साथ हर कदम पर खड़ी है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गत दिनों हुई भारी वर्षा ने जिले में 32 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा है। इस चुनौती का प्रशासन ने तत्परता एवं समन्वय के साथ सामना किया। इस दौरान एनडीआरएफ की 70 सदस्यीय टीम द्वारा सघन बचाव कार्य किए। विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं एवं प्रशासनिक अमले ने मिलकर भोजन पैकेट वितरण, अस्थायी आश्रय स्थल की स्थापना तथा आवश्यक सामग्री वितरण जैसे राहत कार्य किए गए।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिवपुरी, गुना, दमोह, रायसेन, छिंदवाड़ा के बाढ़ प्रभावितों से वर्चुअली चर्चा की और प्रभावितों से बाढ़ के दौरान प्रशासन द्वारा किए गए प्रबंधों की जानकारी भी ली। मुख्यमंत्री डॉ. यादव अतिवृष्टि और बाढ़ प्रभावितों को अभी तक 58 करोड़ की राशि का सिंगल क्लिक से अंतरित कर चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा 2025-26 में राहत के विभिन्न मदों में अब तक 123 करोड़ की राहत राशि प्रभावितों को वितरित की गई है।
अभी कुछ दिन पहले सीएम डॉ.यादव शिवपुरी जिले के ग्राम पचावली पहुंचकर भीषण बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं और त्वरित राहत कार्यों का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि अतिवर्षा से उत्पन्न परिस्थितियाँ हमारे लिए परीक्षा की घड़ी हैं। जनता के सहयोग और प्रशासन के समर्पण से स्थिति पर नियंत्रण पाया गया है। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि एवं बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य निरंतर जारी रहेंगे। उनके इस संवेदनशील और सक्रिय दृष्टिकोण की केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जमकर तारीफ की है। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान से सुना। उन्होंने प्रभावित परिवारों को मकान क्षति और खाद्यान्न के लिए तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की। साथ ही, मक्का और सोयाबीन की फसलों को हुए नुकसान के लिए मुआवजे का निर्देश भी दिया। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की नियमित समीक्षा की जाए और मुआवजा शीघ्र वितरित हो। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव का ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को समझने और त्वरित कार्रवाई करने का प्रयास सराहनीय है। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव बाढ़ से प्रभावित स्थानीय नागरिकों को मकान क्षति तथा खाद्यान्न के लिए सहायता राशि भी प्रदान की।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए पहले से ही व्यापक तैयारियां शुरू कर दी थी। 22 जुलाई को उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों को बाढ़ की पूर्व तैयारियों के लिए निर्देश दिए और 9 जून को मुख्य सचिव द्वारा विस्तृत समीक्षा की गई थी। इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की टीमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और धार में तैनात की गई, जबकि राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय किया गया। पूरे प्रदेश में 259 संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित कर डिजास्टर रेस्पॉन्स सेंटर स्थापित किए गए और 111 क्विक रेस्पॉन्स टीमें तैनात की गई। इसके अतिरिक्त, 3300 आपदा मित्रों और 80,375 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को प्रशिक्षित किया गया जिससे जन-सामान्य को आपदा प्रबंधन में शामिल किया जा सका। यह दर्शाता है कि डॉ.मोहन यादव का दृष्टिकोण न केवल प्रशासनिक स्तर पर, बल्कि सामुदायिक सहभागिता के स्तर पर भी बेहद प्रभावी रहा है। सरकार द्वारा प्रदेश में अतिवृष्टि प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर अभियान चलाकर उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जा रही है। इन राहत शिविरों में दवाइयां, भोजन तथा पेयजल त्वरित रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा वैकल्पिक मार्ग तत्काल उपलब्ध कराये जा रहे हैं ताकि आवागमन में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आमजन को बाढ़ के खतरों के बारे में समय रहते सूचित किया जाये। इस कार्य के लिए राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के द्वारा लगातार रेड अलर्ट मोबाइल के माध्यम से भेजे गए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आपदा प्रबंधन में बांधों के जलस्तर की सतत निगरानी और गेट खोलने-बंद करने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया, ताकि बाढ़ से जन-हानि न हो और भविष्य में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रहे। इसके अलावा मौसम विभाग की चेतावनियों को समय पर जनता और राहत दलों तक पहुंचाने के लिए मोबाइल रेड अलर्ट सिस्टम और 24 घंटे सक्रिय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए। उनके नेतृत्व में प्रभावित क्षेत्रों में 254 ग्रामीण सड़कों में से 212 का तत्काल सुधार किया गया और बैरीकेड्स लगाकर यह सुनिश्चित किया गया कि कोई दुर्घटना न ह , साथ ही 3600 करोड़ रुपये की व्यवस्था राहत कार्यों के लिए की गई। उन्होंने जिले के विभिन्न वर्षा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा भी की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि अतिवृष्टि या बाढ़ प्रभावितों को कोई भी कठिनाई न आने पाये। जल्द ही जल्द सर्वे पूरा कर पीड़ितों को उनके नुकसान की समुचित भरपाई की जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आपदा के समय न केवल प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता दिखाई, बल्कि जनता से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी सुरक्षा के लिए अपील भी की। उन्होंने नागरिकों से बाढ़ प्रभावित नदी-नालों में न उतरने, तेज बहाव वाले पुल-पुलियों से आवागमन न करने और कच्चे मकानों में सावधानी बरतने का आग्रह किया। उनकी यह अपील दर्शाती है कि वे जनता को जागरूक करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि राहत शिविरों में रह रहे लोगों को भोजन, स्वच्छ पेयजल, दवाइयां और कपड़े जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों। उनकी यह संवेदनशीलता इस बात को रेखांकित करती है कि वे गाँव के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के हितों के लिए हमेशा उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आपदा में ग्रामीणों के बीच उनकी सक्रियता न केवल प्रशासनिक दक्षता को दर्शाता है, बल्कि सरकार की जन-केंद्रित नीतियों को भी रेखांकित करता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी संवेदनशीलता, त्वरित निर्णय क्षमता और कुशल नेतृत्व के माध्यम से मध्यप्रदेश में आपदा के राहत कार्यों को एक नई दिशा दी है। उनकी सरकार ने न केवल आपदा के समय तत्परता से कार्य कर रही है बल्कि पूर्व-तैयारी और जन-सहभागिता के माध्यम से भविष्य की आपदाओं से निपटने की मजबूत नींव भी रखी है। उनकी यह कार्यशैली न केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एक संवेदनशील सरकार आमजन के बीच पहुंचकर समाज के हर वर्ग के साथ खड़ी हो सकती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की आपदा के दौर में यह संवेदनशीलता मध्यप्रदेश की जनता के लिए के लिए नई उम्मीद और विश्वास का प्रतीक बन गई है।
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